RBI मौद्रिक नीति समिति की बैठक: रेपो दर घटाकर 4.4 प्रतिशत किया गया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 27 मार्च को मुंबई में हुई. RBI ने इस बैठक में COVID-19 (कोरोना वायरस) से देश की अर्थव्‍यवस्‍था पर पड़ने वाले प्रभाव से बचाने के लिए महत्त्वपूर्ण घोषणाएं की.

इस बैठक में RBI ने बेंचमार्क ब्याज दरों में कमी किए जाने और सभी सावधि ऋण और पूंजीगत ऋण के मासिक भुगतान पर तीन महीने तक की राहत देने की घोषणा की.

इस बैठक में RBI ने नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में 0.75 प्रतिशत की कमी करके उसे 4.4 प्रतिशत कर दिया है. रिवर्स रेपो दर में भी 90 आधार अंकों की कमी करके उसे 4 प्रतिशत किया गया है. इसी तरह नकद आरक्षी अनुपात (Cash Reserve Ratio) भी 4 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत किया गया है.

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि इन उपायों से अर्थव्यवस्था में तीन लाख चौहत्तर हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त उपलब्ध होंगे. इन घोषणाओं से नगदी के प्रवाह में सुधार होगा तथा मध्‍यम वर्ग और व्‍यापार जगत को राहत मिलेगी और कर्ज की दरों में कमी होगी.

रेपो रेट कम होने से कैसे लोगों को होता है फायदा?

रेपो रेट के कम होने से बैंकों को RBI से कम व्याज पर कर्ज मिलता है. इस सस्ती लागत का लाभ कर्ज लेने वाले ग्राहकों को मिलता है. इससे बैंकों को घर, दुकान, पर्सनल और कार के लिये लोन कम दरों पर देने का मौका मिलता है. ग्राहकों के चल रहे लोन पर EMI का भी कम होता है.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर4.40%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर4%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर4.65%
बैंक दर4.65%
CRR3%
SLR18.25%

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

कोविड-19 से प्रभावित लोगों के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा

सरकार ने कोविड-19 से प्रभावित प्रवासी मजदूरों और गरीबों के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है. वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारामन ने इस राहत पैकेज की घोषणा 26 मार्च को नई दिल्ली में की. घोषणा के तहत आठ कैटिगरीज में किसान, मनरेगा, गरीब विधवा-पेंशनर्स-दिव्यांग, जन-धन योजना-उज्ज्वला स्कीम, सेल्फ हेल्प ग्रुप (वुमन), ऑर्गनाइज्ड सेक्टर वर्कर्स (EPFO), कंस्ट्रक्शन वर्कर्स को लाभ मिलेगा.

वित्‍तमंत्री द्वारा घोषित राहत पैकेज के मुख्य बिंदु

  1. कोरोना के मुकाबले में लगे विभिन्‍न वर्ग के लोगों को तीन महीने के लिए 50 लाख रुपये का बीमा भी कराया जाएगा. इनमें डॉक्टर, चिकित्सा-कर्मी, स्‍वास्‍थ्य-कर्मी, सफाई कर्मचारी और आशा कार्यकर्ता शामिल हैं.
  2. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को अगले तीन महीने तक 5 किलो चावल या गेंहू मुफ्त उपलब्‍ध कराया जाएगा. यह इस समय दिए जा रहे 5 किलो राशन के अतिरिक्त होगा. इसके अतिरिक्‍त, प्रत्‍येक परिवार को 1 किलो दाल भी मुफ्त दी जाएगी.
  3. मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी में भी वृद्धि की घोषणा की गयी. देश में मनरेगा योजना का लाभ 5 करोड़ परिवारों को मिलता है. मनरेगा दिहाड़ी अब 182 से बढ़ाकर 202 रुपये कर दी गई है.
  4. जन-धन योजना वली करीब 20 करोड़ महिलाओं के खाते में अगले 3 महीने तक डीबीटी के जरिए हर महीने 500 रुपये ट्रांसफर किए जाएंगे.
  5. करीब 8.3 करोड़ BPL परिवारों को उज्जवला स्कीम के तहत 3 महीनों तक फ्री एलपीजी सिलेंडर दिए जाएंगे.
    वरिष्‍ठ नागरिकों, विधवाओं और दिव्‍यांगजनों को अगले तीन महीनों के दौरान एक-एक हजार रुपये की दो किस्‍तों में तदर्थ अनुदान दिया जाएगा.
  6. मौजूदा प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत 8 करोड़ 70 लाख किसानों और अन्‍य लोगों को अप्रैल के पहले सप्‍ताह तक उनके खाते में 2 हजार रुपये जमा कर दिए जाएंगे.
  7. अगले तीन महीनों के लिए एम्प्लॉयी और एम्प्लॉयर दोनों के हिस्से का EPF योगदान (बेसिक सैलरी का 24 पर्सेंट) सरकार करेगी. ये उन सभी ऑफिसेस के लिए है जिनमें 100 से ज्यादा एम्प्लॉयी हैं. 15000 रुपये से कम सैलरी लेने वाले 80 लाख मजदूरों को और 4 लाख संगठित इकाइयों को फायदा मिलेगा. EPFO अब EPF खाते की रकम का 75% या 3 महीने की सैलरी, जो कम हो, निकालने की परमिशन देगा.

सरकार ने क्षेत्रीण ग्रामीण बैंकों के पुनर्पूंजीकरण को मंजूरी दी

सरकार ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के पुनर्पूंजीकरण के लिए 1340 करोड़ रुपये की मदद दिये जाने को मंजूरी प्रदान कर दी है. यह मंजूरी 25 मार्च को हुई प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में दी गयी. पुनर्पूंजीकरण का उद्देश्य इन बैंकों में न्यूनतम नियामक पूंजी उपलब्ध कराना है.

रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित नियामक मानकों के अनुरूप क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के Capital to Risk Assets Ratio (CRAR) को 9 प्रतिशत पर बनाये रखने के लिए यह पुनर्पूंजीकरण किया जा रहा है. पुनर्पूंजीकरण राशि उन बैंकों को आवंटित की जाएगी जो 9% की न्यूनतम CRAR को बनाए रखने में असमर्थ हैं.

CRAR क्या है?

CRAR, Capital to Risk weighted Assets Ratio का संक्षिप्त रूप है. CRAR एक ऐसी न्यूनतम राशि है, जिसे बैंकों को हमेशा अपने पास रखना होता है. बैंक इस राशि का उपयोग लोन देने में नहीं कर सकता. इस राशि को भविष्य की सुरक्षा के रूप में रखा जाता है

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक: एक दृष्टि

  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक भारत सरकार, संबंधित राज्‍य सरकार तथा संबंधित बैंक का एक संयुक्‍त उद्यम है. इन बैंकों में 50 प्रतिशत पूंजी भारत सरकार का, 15 प्रतिशत राज्‍य सरकार का और 35 प्रतिशत पूंजी संबंधित बैंक का होता है.
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्‍थापना ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे व सीमांत किसानों, कृषि-श्रमिकों, कारीगरों और छोटे उद्यमियों को ऋण प्रदान करने के उद्देश्‍य से की गईं थीं.
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की पुनर्पूंजीकरण की योजना डॉ केसी चक्रवर्ती समिति की सिफारिश पर 2011 में शुरू किया गया था.

RBI ने बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए 30,000 करोड़ रुपये नकदी डालने की घोषणा की

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए बाजार में 30,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की घोषणा की है. यह नकदी बांड की खरीद-बिक्री (खुले बाजार की गतिविधियां- OMO) के माध्यम से डाली जाएगी. यह खरीद 15,000-15,000 करोड़ रुपये की इसी महीने में होगी. इसकी नीलामी 24 मार्च और 30 मार्च को होगी.

RBI ने कोरोना वायरस महामारी के चलते वित्तीय बाजारों में पर्याप्त नकदी और कारोबार को सामान्य करने के लिए यह निर्णय लिया है.

उल्लेखनीय है कि RBI ने 20 मार्च को खुले बाजार गतिविधियों के जरिए 10,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली थी. केंद्रीय बैंक 19 दिसंबर 2022 को परिपक्व होने वाली प्रतिभूतियों पर 6.84 फीसदी, 25 मई 2025 को परिपक्व होने वालों पर 7.72 फीसदी, नौ जुलाई 2026 को परिपक्व होने वाली प्रतिभूतियों पर 8.33 फीसदी और 14 जनवरी 2029 को परिपक्व होने वाली प्रतिभूतियों पर 7.26 फीसदी ब्याज देगा.

जनगणना 2021: दो चरणों में सम्‍पन्‍न होगी, संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

भारत की जनगणना-2021 दो चरणों में सम्‍पन्‍न होगी. पहला चरण 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 तक चलेगा. इस चरण में आवास से संबंधित जानकारी जुटाई जाएगी. दूसरा चरण जनसंख्या की गणना का होगा जो 9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 तक पूरे देश में एक साथ चलेगा. 2021 की जनगणना परंपरागत कागज और पेन के जरिए नहीं बल्कि एक मोबाइल फोन अनुप्रयोग (app) के माध्यम से की जाएगी.

पहले चरण में जनगणना कर्मी मोबाइल नम्बर, शौचालय, टेलीविजन, इन्टरनेट, वाहन और पेयजल के स्रोत सहित अन्य जानकारी मांगेंगे. जनगणनाकर्मी बिजली के मुख्य स्रोत, उपयोग किए गए पानी के निकलने की व्यवस्था, रसोई घर की उपलब्धता, LPG या PNG कनेक्शन तथा खाना बनाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे मुख्य ईंधन से संबंधित जानकारी भी मांगेंगे.

जनगणना देश में नीतियां बनाने का प्रमुख आधार है. जनगणना से मिले आंकड़ों से देश की वास्तविक स्थिति सामने आती है. इन आंकड़ों से ही पता चलता है कि देश में कुल कितने लोग हैं, किस आयु वर्ग के कितने लोग हैं, किस भाषा को बोलने वाले लोग कितने हैं, किस धर्म के कितने लोग है, लोग कितने शिक्षित हैं, देश में कितने तरह के रोजगार हैं और कितने लोग किस रोजगार में लगे हैं, किन लोगों ने दस साल में अपने रहने का ठिकाना बदल लिया है आदि.

भारत की जनगणना: मुख्य तथ्य

  • भारत में हर दस साल में जनगणना होती है. साल 2011 में आख़िरी जनगणना हुई थी और 2021 में अगली जनगणना होनी है.
  • भारत में जनगणना 1872 से हो रही है और यह सिलसिला कभी नहीं टूटा है. भारत के आज़ाद होने के बाद जनगणना का काम साल 1948 के जनगणना अधिनियम के तहत होता है.
  • 1872 से लेकर 1931 तक की जनगणना में जाति भी गिनी जाती थी आज़ादी के बाद सरकार ने तय किया कि जनगणना में अब जाति नहीं गिनी जाएगी. 1951 से लेकर 2011 तक की जनगणना में जाति नहीं गिनी गई.
  • जनगणना का काम भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त का दफ़्तर करता है. यह दफ़्तर केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करता है.

भारतीय डाक बिभाग देश में पहली बार फ्री डिजिटल लॉकर सर्विस शुरू किया

भारतीय डाक बिभाग (इंडिया पोस्ट) देश में पहली बार फ्री डिजिटल लॉकर सर्विस शुरू करने जा रहा है. इसकी शुरुआत 12 मार्च को कोलकाता में दो पोस्ट ऑफिस सॉल्ट लेक सिटी और न्यू टाउन में किया गया. इस सर्विस के तहत कस्टमर्स पोस्ट ऑफिसेज से अपना पार्सल अपनी सुविधा के हिसाब से प्राप्त कर सकेंगे.

डिजिटल लॉकर सर्विस यूरोपीय देशों में काफी चर्चित है लेकिन भारत में पहली बार शुरू हो रही है. यह सर्विस वर्किंग क्लास के ऐसे लोगों के लिए की गई है, जिनके घर पर कोई पार्सल रिसीव करने वाला नहीं होता है. ऐसे लोग ऑफिस के बाद पोस्ट ऑफिस में अपने लॉकर से अपनी सुविधा के हिसाब से अपना पार्सल ले सकते हैं.

कैसे काम करेगा?

यह सुविधा अपनाने वाले कस्टमर्स को इंडिया पोस्ट की ओर से जहां भी पार्सल ड्रॉप किया जाएगा, उसके एड्रेस के लिए एक खास लॉकर नंबर दिया जाएगा. इस डिजिटल पार्सल लॉकर में पार्सल ड्रॉप कर दिया जाएगा और कस्टमर के पास OTP का एक मैसेज आ जाएगा. कस्टमर्स पार्सल ड्रॉप होने के अगले सात दिनों तक अपना पार्सल लॉकर से निकाल सकेंगे.

सरकार ने ‘किसान रेल’ की रूप-रेखा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया

सरकार ने ‘किसान रेल योजना’ की रूप-रेखा तैयार करने के लिए एक समिति (Kisan Rail Committee) का गठन किया गया है. यह समिति कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तत्वावधान में कार्य करेगी. इस समिति में भारतीय रेलवे के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है.

‘किसान रेल’ क्या है?

गौरतलब है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में जल्द खराब होने वाले उत्पादों के परिवहन के लिये किसान रेल योजना (Kisan Rail Scheme) का प्रस्ताव किया था. इसमें से जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं की ढुलाई के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से कोल्ड सप्लाई चेन की सुविधा प्रदान की जाएगी.

फल-सब्जियों की लोडिंग-अनलोडिंग के लिए सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तहत 4 कार्गो सेंटर बनाएगी. ये कार्गों सेंटर गाजीपुर, न्यू आजादपुर, लासलगांव और राजा का तालाब में बनाये जाएंगे. इसके अलाबा सोनीपत में एक एग्रीकल्चर लॉजिस्टिक सेंटर बनाया जायेगा.

RBI ने यस बैंक के निदेशक मंडल को भंग किया, SBI 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेगी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 5 मार्च को निजी क्षेत्र के यस बैंक (Yes Bank) के निदेशक मंडल को भंग करते हुए प्रशासक नियुक्त कर दिया था. बैंक का नियंत्रण भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के नेतृत्व में वित्तीय संस्थानों के एक समूह के हाथ में देने की तैयारी की गई है. SBI के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (CFO) प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है.

इसके साथ ही RBI ने बैंक के जमाकर्ताओं पर निकासी की सीमा सहित इस बैंक के कारोबार पर कई तरह की पाबंदियां भी लगा दीं. केंद्रीय बैंक ने अगले आदेश तक बैंक के ग्राहकों के लिए निकासी की सीमा एक महीने में 50,000 रुपये तय कर दी है. उल्लेखनीय है कि RBI ने करीब छह माह पहले घोटाला सामने आने के बाद PMC बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया गया था.

यस बैंक: मुख्य बिंदु

यह बैंक अगस्त 2018 से डूबे कर्ज की समस्या से जूझ रहा है. उस समय RBI ने बैंक के संचालन और ऋण से जुड़ी खामियों की वजह से तत्कालीन प्रमुख राणा कपूर को 31 जनवरी, 2019 तक पद छोड़ने को कहा था. इस बैंक को मार्च 2019 की तिमाही में पहली बार घाटा हुआ था.

2004 में शुरू हुए यस बैंक का मुख्यालय मुंबई में है. यह भारत में निजी (प्राइवेट) क्षेत्र का चौथा सबसे बड़ा बैंक है. इसकी देश के 28 राज्यों और 9 केंद्रशासित प्रदेशों में मौजूदगी है. देशभर में इसकी तकरीबन 1000 शाखाएं हैं और 1800 ATM हैं.

सक्षिप्त घटनाक्रम

  1. राणा कपूर ने अपने रिश्तेदार अशोक कपूर के साथ मिलकर 2004 में यस बैंक की शुरुआत की थी. 26/11 के मुंबई हमले में अशोक कपूर की मौत हो गई, उसके बाद अशोक कपूर की पत्नी मधु कपूर और राणा कपूर के बीच बैंक के मालिकाना हक को लेकर लड़ाई शुरू हो गई. कोर्ट से राणा कपूर को जीत मिली.
  2. यस बैंक अनिल अंबानी ग्रुप, आईएलएंडएफएस, सीजी पावर, एस्सार पावर, रेडियस डिवेलपर्स और मंत्री ग्रुप जैसे कारोबारी घरानों को कर्ज देने में आगे रहा. बाद में जब ये कारोबारी समूह डिफॉल्टर साबित हुए तो बैंक को करारा झटका लगा.
  3. RBI ने शक के कारण 2015 में यस बैंक का असेट क्वॉलिटी रीव्यू (AQR) शुरू किया. RBI ने पाया कि 2017 में बैंक ने 2018 करोड़ का बैड लोन (NPA) दिखाया है, जबकि कुल NPA 8373 करोड़ का है. मतलब यस बैंक ने 6355 करोड़ का NPA छिपाया. इसके बाद RBI ने आगे की कार्रवाई की. जनवरी 2019 में राणा कपूर को चेयरमैन पद से हटा दिया गया.
  4. RBI ने 5 मार्च 2020 को इसके बोर्ड को भंग कर दिया. SBI के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (CFO) प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया.
  5. संकट के बीच स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने यस बैंक को बचाने का प्लान पेश किया. SBI 2,450 करोड़ रुपये में यस बैंक के 10 रुपये अंकित मूल्य वाले 245 करोड़ शेयर खरीदने की घोषणा की. इस प्रकार SBI 2450 करोड़ रुपये में में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेगी.
  6. प्रवर्तन निदेशालय ने छंटों चली पूछताछ के बाद 7 मार्च को राणा कपूर को धन शोधन के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. केन्‍द्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (CBI) ने राणा कपूर, दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल), के प्रोमोटर कपिल वाधवन और डॉयट अर्बन वेंचर्स (इंडिया) लिमिटेड के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी और भ्रष्‍टाचार का मामला दर्ज किया.

EPFO ने निधि कोष जमा राशि पर ब्‍याज दर 8.5 प्रतिशत किया

कर्मचारी निधि कोष संगठन (EPFO) ने निधि कोष जमा राशि पर ब्‍याज दर 8.65 प्रतिशत से घटाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया है. वित्त वर्ष 2019-20 के लिए ब्याज दरों में 0.15 फीसदी कटौती की गई है. नई ब्याज दर पिछले 7 सालों में सबसे कम है. इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 में PF पर ब्याज दर 8.5 फीसद दी थी.

श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने आज EPFO की शीर्ष निर्णायक संस्‍था- सेन्‍ट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्‍टी की नई दिल्‍ली में हुई बैठक के बाद यह घोषणा की.

सुप्रीम कोर्ट ने वित्तीय संस्थानों को क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित सेवाएं देने की इजाजत दी

सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित सेवाएं देने की इजाजत दे दी है. क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल या आभासी मुद्राएं हैं, जिनमें मुद्रा इकाइयों के बनाने और फंड के लेन-देन का सत्यापन करने के लिए एन्क्रिप्शन तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है और यह व्यवस्था केंद्रीय बैंक से स्वतंत्र रहकर काम करती है.

कोर्ट ने RBI के सर्कुलर को रद्द किया

न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 4 मार्च को सुनाये अपने फैसले में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 2018 के सर्कुलर को रद्द करते हुए यह आदेश दिया. RBI इस सर्कुलर के अनुसार देश में आभासी मुद्राओं से संबंधित कोई भी सेवा प्रदान करने पर रोक थी.

क्या है क्रिप्टोकरेंसी?

क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की आभासी (वर्चुअल) मुद्रा है. आभासी से मतलब है कि अन्य मुद्रा की तरह क्रिप्टोकरेंसी का कोई भौतिक स्वरुप नहीं है. क्रिप्टोकरेंसी को आप ना तो देख सकते हैं और न ही छू सकते हैं. यह एक डिजिटल करेंसी है. बिटकॉइन, इथीरियम, रिप्पल, लाइटकॉइन इत्यादि कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी हैं.

जानिए क्या है क्रिप्टोकरेंसी…»

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 सरकारी बैंकों का विलय कर चार ‘बड़े बैंक’ बनाने की मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 सरकारी बैंकों का विलय कर चार ‘बड़े बैंक’ बनाने की मंजूरी दे दी है. इसकी घोषणा 4 मार्च को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की. सरकार ने 30 अगस्त 2019 में इन बैंकों के विलय की घोषणा की थी. यह विलय 1 अप्रैल 2020 से प्रभावी हो जायेगा.

योजना के मुताबिक, यूनाइडेट बैंक ऑफ इंडिया (UBI) तथा ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) का पंजाब नैशनल बैंक (PNB) में विलय होगा, जिससे यह दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक बन जाएगा. वहीं, सिंडिकेट बैंक में केनरा बैंक, इलाहाबाद बैंक तथा इंडियन बैंक का विलय किया जाएगा. इसी तरह, आंध्रा बैंक तथा कॉर्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) में विलय किया जाएगा.

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RBI ने बंधन बैंक पर नई शाखाएं खोलने पर लगे प्रतिबंध को हटाया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बंधन बैंक पर नई शाखाएं खोलने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है. RBI ने बंधन बैंक की ओर से एक वित्तीय वर्ष में खोले जाने वाले कुल बैकिंग शाखाओं में से करीब 25 फीसदी शाखाएं ग्रामीण इलाकों में खोले जाने का आदेश दिया है, जहां बैंकिंग सुविधाएं मौजूद नहीं हैं.

सितंबर 2018 में लगा था प्रतिबंध

उच्चतम न्यायालय ने बंधन बैंक पर सितंबर 2018 में नई ब्रांच खोलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. कोर्ट ने शेयर होल्डिंग नियम को पूरा न करने के यह आदेश दिया था. उल्लेखनीय है कि RBI लाइसेंसिंग गाइडलाइन के अनुसार, बंधन फाइनेंशल होल्डिंग, बैंक प्रोमोटर कंपनी के शेयर को तीन साल में 82 फीसदी से घटाकर 40 फीसदी करना था. बैंक की समय सीमा अगस्त, 2019 में पूरी हो गई थी, जिसे पूरा करने में असफल रहा था.

बंधन बैंक 2015 में शुरू किया गया था

बंधन बैंक साल 2015 में ऑपरेशन में आया था. 2001 में इस बैंक ने माइक्रो फाइनेंस कंपनी के तौर पर शुरुआत की थी. RBI ने अप्रैल, 2014 में बंधन बैंक को एक यूनिवर्सल बैंक खोलने के लिए सशर्त मंजूरी दी थी. देश के अलग-अलग हिस्सों में इस बैंक के 937 शाखाएं हैं.