प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति जारी की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितम्बर को नई दिल्ली में राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स (National Logistics Policy) नीति जारी की. इस अवसर पर आयोजित समारोह में श्री मोदी ने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में इस नीति को महत्वपूर्ण कदम बताया.

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति: मुख्य बिन्दु

  • भारत में अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में लॉजिस्टिक्स लागत अधिक होने के कारण राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति की आवश्यकता महसूस की जा रही थी.
  • नई राष्ट्रीय माल लॉजिस्टिक्स (परिवहन) नीति का उद्देश्य परिवहन क्षेत्र की चुनौतियों से निपटना और कारोबार में ढुलाई की लागत 10 प्रतिशत से कम करना है. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुपात के रूप में भारत की वर्तमान लॉजिस्टिक्स लागत लगभग 13-14 प्रतिशत है.
  • कम लॉजिस्टिक्स लागत से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कुशलता में सुधार होता है. घरेलू बाजार और निर्यात के लिए भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्धा में सुधार करने में यह लागत कम करना आवश्यक है.
  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्धा में सुधार, आर्थिक विकास को बढ़ाने और रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने का एक प्रयास है.
  • पिछले साल प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई पीएम गतिशक्ति बहु प्रणाली कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था.
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि तेजी से परिवहन होने से कृषि उत्पादों का नुकसान कम होगा. उन्होंने कहा कि भारतमाला और सागरमाला जैसी विभिन्न सड़क परियोजनाओं से संपर्क सुविधा में सुधार होगा.

भारत के विदेशी ऋण में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 620 अरब डॉलर

चालू वित्त वर्ष (2022-23) के दौरान भारत के विदेशी ऋण में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 620 अरब डॉलर से अधिक हो गया.

मुख्य बिन्दु

  • वित्‍त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग से विदेशी ऋण 2021-22 पर जारी स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष (2022-23) भारत का विदेशी ऋण 573 अरब डॉलर से अधिक था.
  • सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में विदेशी ऋण में पिछले वर्ष के 21.2 प्रतिशत की तुलना में इस वर्ष मामूली गिरावट आई और यह 19.9 प्रतिशत हो गया.

इस वित्त वर्ष देश का कुल निर्यात 750 अरब अमरीकी डॉलर का अनुमान

सरकार ने कहा है कि इस वित्त वर्ष (2022-23) में देश का कुल निर्यात 750 अरब अमरीकी डॉलर को पार कर जाएगा. पिछले वर्ष यह 676 अरब अमरीकी डॉलर था. इस दौरान वस्तु निर्यात 450 अरब डॉलर जबकि सेवा क्षेत्र में निर्यात 300 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.

मुख्य बिन्दु

  • इस साल अगस्त में निर्यात 33 अरब अमेरिकी डॉलर पर स्थिर रहा, जबकि अप्रैल से अगस्त के दौरान निर्यात 192 अरब अमरीकी डॉलर रहा जो पिछले वर्ष की तुलना में 17.1 प्रतिशत अधिक है.
  • चालू वित्त वर्ष के पांच महीनों में, भारत के आयात में 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह बढकर 318 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया.
  • कोयला और पेट्रोलियम के आयात में वृद्धि हुई है और यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्‍छा संकेत है क्योंकि देश का 25 प्रतिशत आयात उपभोक्ता वस्तुओं के लिए है, जबकि 75 प्रतिशत आयात कच्चे माल के लिए है.

भारत दुनिया का 5वां सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था बना, ब्रिटेन को पीछे छोड़ा

भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है. भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ यह स्थान प्राप्त किया है. ऐसा दूसरी बार हुआ है जब भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए यह स्थान प्राप्त किया है.

मुख्य बिन्दु

  • इससे पहले भारत 2020 में पांचवां स्थान प्राप्त किया था, लेकिन महामारी के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान के चलते ब्रिटेन आगे निकल गया था. अब केवल अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी की अर्थव्यवस्था भारत से बड़ी हैं. ब्रिटेन अब छठवें स्थान पर है.
  • महज 10 साल पहले तक दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत 11वें स्थान पर जबकि ब्रिटेन 5वें स्थान पर था.
  • हाल ही में जारी जीडीपी के आंकड़ों के अनुसार भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी 13.5 फीसदी की दर से आगे बढ़ी है.
  • भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्तीय वर्ष के दौरान करीब 7 फीसदी की दर से आगे बढ़ने का अनुमान जताया गया है.

क्या होती है GDP (जीडीपी)?

  • GDP (जीडीपी) का पूरा नाम ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (सकल घरेलू उत्पाद) है. किसी देश में एक निश्चित अवधि के दौरान उत्पादित सभी वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल बाजार मूल्य को जीडीपी कहते हैं.
  • जीडीपी से ही किसी देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति का पता लगाया जाता है. अगर जीडीपी कम रहता है, तो इससे पता चलता है कि देश में पिछले साल के मुकाबले कम वस्तुओं/ सेवाओं का उत्पादन हुआ.
  • पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में देश की जीडीपी का आकार 3173.40 अरब डॉलर होने का अनुमान है.

देश में सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए पहला स्वदेसी qHPV वैक्सीन विकसित

देश में सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए पहला स्वदेसी विकसित क्वैड्रीवैलेंट ह्यूमन पेपीलोमा वायरस (qHPV) टीका विकसित किया गया है. इसका विकास सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने किया है.

मुख्य बिन्दु

  • ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI)  ने हाल ही में SII को सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन के उत्पादन की इजाजत दी थी.
  • भारत में सर्वाइकल कैंसर 15 से 44 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाओं में दूसरा सर्वाधिक संख्या में पाया जाने वाला कैंसर है.
  • यह टीका सर्वाइकल कैंसर को रोकने में सफल रहेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बच्चियों को कम उम्र में ही यह टीका दे दिया जाए तो वह ऐसे संक्रमण से सुरक्षित हो जाएंगी.

क्या होता है सर्वाइकल कैंसर

  • सर्वाइकल कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो सर्विक्स में शुरू होता है. महिलाओं के गर्भाशय के निचले हिस्से में यूट्रस और वजाइना से जुड़ने वाली सिलेंडर नुमा नाली को सर्विक्स कहा जाता हैं. सर्वाइकल कैंसर भारत में दूसरा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है.
  • ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) जो कि एक यौन संचारित संक्रमण है. ये वायरस सर्वाइकल कैंसर पैदा करने में सबसे अधिक जिम्मेदार है.

वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में GDP विकास दर 13.5 प्रतिशत रही

वर्तमान वित्त वर्ष (2022-23) की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की विकास दर 13.5 प्रतिशत रही थी. ये आँकड़े सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने 31 सितम्बर को जारी किए थे.

अप्रैल से जून 2022 में GDP विकास दर: मुख्य बिन्दु

  • जारी अंतरिम अनुमानों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
  • विनिर्माण क्षेत्र में 4.8 प्रतिशत और निर्माण क्षेत्र में 16.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई. व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाओं के सकल घरेलू उत्पाद में चालू वित्त वर्ष में 25.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.

विश्व बैंक ने उत्पादन बढाने के भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की

विश्व बैंक ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कोरोना महामारी के दौरान उत्पादन बढाने के भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की गई है.

रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु

  • विश्व बैंक ने कहा कि भारत सरकार ने गुणवत्ता से कोई समझौता किए बिना स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करने की नीति अपनाई, जिससे वैश्विक आपूर्ति पर निर्भरता कम हुई.
  • विश्व बैंक की रिपोर्ट में आवश्यक चिकित्सा सामग्री की सुचारु आपूर्ति बनाए रखने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा किए गए उपायों पर भी गौर किया गया है.
  • रिपोर्ट में कोविड उपचार से जुड़ी सामग्री और जीवन-रक्षक संयंत्रों के लिए घरेलू बाज़ार को विस्तार देने के प्रयासों का भी उल्लेख है.
  • विश्व बैंक ने कहा कि परीक्षण में निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना सरकार के प्रयासों में विशेष रहा.
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने निर्यात प्रतिबंध भी शीघ्र लागू किए और घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र की मदद की.

बिहार के मिथिला मखाना को जीआई टैग प्रदान किया गया, जानिए क्या है GI टैग

केन्‍द्र सरकार ने बिहार के मिथिला मखाना को GI टैग प्रदान किया है. इसकी घोषणा वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 20 अगस्त को की. GI टैग मिलने से बिहार के मिथिला क्षेत्र के पांच लाख से अधिक किसानों को फायदा होगा. उन्हें इसके उत्पाद का अधिकतम मूल्य मिलेगा.

किसी उत्पाद को जीआई टैग मिलने पर कोई भी व्यक्ति या कंपनी इसी तरह की सामग्री को उसी नाम से नहीं बेच सकती. इस टैग की मान्यता दस वर्षों के लिए है और बाद में इसका नवीनीकरण किया जा सकता है.

GI टैग क्या है?

  • GI (Geographical Indication) टैग किसी भी उत्पाद के लिए एक भौगोलिक चिन्ह होता है जो कुछ विशिष्ट उत्पादों (कृषि, प्राकृतिक, हस्तशिल्प और औधोगिक सामान) को दिया जाता है.
  • यह टैग एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में 10 वर्ष या उससे अधिक समय से उत्पन्न या निर्मित हो रहे उत्पादों को दिया जाता है.
  • भारत में GI टैग उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा दिया जाता है.
  • भारत ने GI टैग उत्पादों का (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम को 15 सितम्बर, 2003 को पारित किया गया था. भारत में GI टैग सर्वप्रथम वर्ष 2004-2005 में, दार्जिलिंग चाय को दिया गया था.

GI टैग के फायदे

  • GI टैग उन उत्पादों को संरक्षण प्रदान करता है, जहाँ घरेलू और अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रीमियम मूल्य निर्धारण का आश्वासन देता है.
  • GI टैग यह भी सुनिश्चित करता है कि अधिकृत उपयोगकर्ताओं निदिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में दर्ज किए गये उत्पादों का नाम अन्य किसी को उपयोग करने कि अनुमति नहीं देता है.
  • GI टैग मिलने के बाद अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में उस वस्तु की कीमत और उसका महत्व बढ़ जाता है. इस वजह से देश-विदेश से लोग एक खास जगह पर उस विशिष्ट सामान को खरीदने आते हैं.
  • किसी भौगोलिक क्षेत्रों में रहने वाले कारीगरों/ कलाकारों के पास बेहतरीन हुनर, कौशल और पारंपरिक पद्धतियों का ज्ञान होता है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता रहता है. इसे सहेज कर रखने तथा बढ़ावा देने के लिए GI टैग की आवश्यकता होती है.

GI टैग और पेटेंट में अंतर

GI टैग किसी भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर दिए जाते हैं, जबकि पेटेंट नई खोज और आविष्कारों को बचाए रखने के लिए दिए जाते हैं. GI टैग्स और पेटेंट दोनों ही इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (IPR) का हिस्सा हैं, जो पेटेंट से मिलते-जुलते ही हैं.

भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी गांघीनगर में गिफ्ट सिटी (गुजरात अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रौद्योगिकी सिटी) में भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय सर्राफा बाजार (India International Bullion Exchange IIBX) का उद्घाटन किया. IIBX भारत का पहला और दुनिया का तीसरा अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज है जो भारत में बुलियन आयात के लिए प्रवेश द्वार होगा.

IIBX के जरिए देश में पहली बार मान्यता प्राप्त ज्वैलर्स को सोने की सीधी आयात करने की अनुमति मिलेगी. ज्वैलर्स के अलावा, अनिवासी भारतीय और संस्थान भी IFSCA (International Financial Services Centres Authority) के साथ पंजीकरण के बाद एक्सचेंज में भाग ले सकते हैं.

गिफ्ट सिटी IFSCA में लगभग 125 टन सोना और 1,000 टन चांदी की भंडारण क्षमता होगी. NSE IFSC-SGX Connect के तहत, सिंगापुर एक्सचेंज लिमिटेड के सदस्यों द्वारा निफ्टी डेरिवेटिव पर दिए गए सभी ऑर्डर NSE IFSC ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर पर भेजे जायेंगे और वहीं उनकी खरीदी बिक्री भी की जा सकती है.

भारत का 2023 तक दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश होने का अनुमान

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या विभाग की आर्थिक और सामाजिक मामलों की इकाई ने 11 जुलाई को ‘विश्व जनसंख्या संभावना 2022’ रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के सबसे बड़े देशों में असमान जनसंख्या वृद्धि दर आकार के हिसाब से उनकी रैंकिंग को बदल देगी. भारत का 2023 में दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से आगे निकलने का अनुमान है.

रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु

  • भारत का 2023 तक दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से आगे निकलने का अनुमान है.
  • दुनिया की आबादी नवंबर 2022 के मध्य तक आठ अरब तक पहुंचने का अनुमान है. 65 वर्ष और उससे अधिक आयु की वैश्विक आबादी का हिस्सा वर्ष 2022 के 10 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2050 में 16 प्रतिशत होने का अनुमान है.
  • सन 1950 के बाद से दुनिया की जनसंख्या सबसे धीमी गति से बढ़ रही है. यह 2020 में एक प्रतिशत से कम हो गई है. दुनिया की जनसंख्या 2030 में लगभग 8.5 बिलियन और 2050 में 9.7 बिलियन तक बढ़ सकती है.
  • दुनिया की आबादी 2080 तक करीब 10.4 बिलियन लोगों के शिखर तक पहुंचने और 2100 तक उसी स्तर पर बने रहने का अनुमान है.
  • 2022 में दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्र पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया हैं, जिनमें 2.3 बिलियन लोग हैं. यह विश्व की आबादी का 29 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं.
  • मध्य और दक्षिणी एशिया में 2.1 बिलियन लोग हैं जो कुल विश्व जनसंख्या का 26 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं.
  • साल 2022 में 1.4 बिलियन से अधिक लोगों के साथ चीन और भारत सबसे बड़ी आबादी वाले देश हैं.
  • सन 2050 तक वैश्विक जनसंख्या में अनुमानित वृद्धि का आधे से अधिक कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, मिस्र, इथियोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और तंजानिया के सिर्फ आठ देशों में केंद्रित होगा.
  • 2022 में भारत की आबादी 1.412 अरब है, जबकि चीन की आबादी 1.426 अरब है. 2050 में भारत की आबादी 1.668 बिलियन होगी. यह चीन के 1.317 बिलियन लोगों से बहुत आगे होगी.

भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये में व्यापारिक भुगतान की प्रणाली शुरू की

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रुपये में व्यापारिक भुगतान की प्रणाली शुरू की है. RBI ने यह अतिरिक्त व्यवस्था भारतीय मुद्रा (INR) में निर्यात और आयात के चालान, भुगतान तथा अदायगी के लिए की है.

मुख्य बिन्दु

  • इस प्रणाली के तहत सभी प्रकार के निर्यात और आयात के भुगतान को रुपये में वर्गीकृत कर चालान तैयार किया जा सकता है.
  • इस पहल का उद्देश्य भारत से निर्यात पर जोर देने के साथ ही वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देना और भारतीय मुद्रा में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रुचि में सहयोग करना है.
  • हालांकि, रुपये में भुगतान करने के लिए अधिकृत डीलर बैंकों को RBI के विदेशी मुद्रा विभाग से पूर्वानुमति आवश्यक होगा.

विपणन वर्ष 2022-23 के लिए खरीफ फसलों के MSP में बढ़ोतरी की गयी

मंत्रिमंडल की आर्थिक कार्य समिति ने वर्ष 2022-23 के लिए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी का निर्णय लिया है. यह निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 8 जून को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया.

नया MSP प्रति क्विंटल रुपये में

फसल 2021-22 में MSP  2022-23 में MSP MSP वृद्धि
धान (सामान्य)19402040100
धान (A ग्रेड)19602060100
ज्वार (हाईब्रिड)27382970232
ज्वार (मालदंडी)27582990232
बाजरा22502350100
मक्का1870196292
तुअर63006600300
मूंग72757755480
मूंगफली55505850300
सूरजमुखी60156400385
सोयाबीन39504300350
तिल73077830523
कपास (मिडिल स्टेपल)57266080354
कपास (लॉन्ग स्टेपल)60256379354

मुख्य खरीफ फसलें

धान (चावल), मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन, उडद, तुअर, कुल्थी, जूट, सन, कपास आदि. खरीफ की फसलें जून जुलाई में बोई जाती हैं और सितंबर-अक्टूबर में काट लिया जाता है.

MSP (Minimum Support Price) क्या है?

MSP (Minimum Support Price) यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. इसे सरकारी भाव भी कहा जा सकता है.

सरकार हर साल फसलों की MSP तय करती है ताकि किसानों की उपज का वाजिब भाव मिल सके. इसके तहत सरकार फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया, नैफेड जैसी सरकारी एजेसिंयों की मदद से किसानों की फसलों को खरीदती है.