RBI की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा: नया रेपो दर 4.9%, रिवर्स रेपो दर 3.35%

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC) की बैठक 6-8 जून को मुंबई में हुई थी. बैठक की अध्यक्षता बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की थी. यह चालू वित्त वर्ष (2022-23) की दूसरी द्विमासिक (मई-जून) मौद्रिक नीति (2nd Bi-Monthly Monetary Policy) समीक्षा बैठक थी.

इस बैठक में RBI ने नीतिगत रेपो दर को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया. इससे पहले, 4 मई को RBI ने रेपो दर में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि की थी.

रेपो दर में परिवर्तन का प्रभाव

रिजर्व बैंक जिस रेट पर बैंकों को कर्ज (लोन) देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट के कम या अधिक होने का प्रभाव कर्ज पर पड़ता है. रेपो दर में वृद्धि से बैंकों को RBI से अधिक व्याज पर कर्ज मिलता है. यानी RBI के इस कदम से कर्ज महंगा होगा.

RBI बढ़ते मुद्रास्फीति (महंगाई दर) पर नियंत्रण के लिए नीतिगत रेपो दर में वृद्धि करता है, जबकि बाजार में मांग को बढाने के लिए रेपो दर में कमी करता है.

रेपो दर में वृद्धि से लोग अपने बचत को खर्च करने के बजाय बैंक में जमा करने को प्रोत्साहित होते हैं, जिससे  मांग घटेगी और महंगाई कम होगी.

MPC की बैठक, जून 2022: मुख्य बिंदु

  • चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत किया गया. पहले मुद्रास्फीति 5.7 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान लगाया गया था.
  • खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल 2022 में आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत रही थी. RBI को खुदरा महंगाई 2 से 6 प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है.
  • चालू वित्त वर्ष में आर्थिक (GDP) वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है.
  • क्रेडिट कार्ड को UPI से जोड़ा जाएगा. Rupay कार्ड पहले जुड़ेंगे.

Rupay क्रेडिट कार्ड को UPI से जोड़ने का फैसला

RBI ने क्रेडिट कार्ड को UPI से जोड़ने का फैसला किया है. इसकी शुरुआत Rupay क्रेडिट कार्ड से की गई है. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने UPI के माध्यम से Rupay क्रेडिट कार्ड से भुगतान की अनुमति 8 जून को दी.

वर्तमान में, UPI यूजर्स डेबिट कार्ड के माध्यम से सेविंग्स या करेंट अकाउंट को जोड़कर लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर4.90%
रिवर्स रेपो दर3.35%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MSF)5.15%
बैंक दर5.15%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)4.5%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

कर्मचारी भविष्य निधि जमा पर 8.1% ब्याज दर को मंजूरी

केंद्र सरकार ने 2021-22 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि जमा (EPF) पर 8.1% ब्याज दर को मंजूरी दी है. EFPO ने मार्च में 2021-22 के वित्तीय वर्ष के लिए कर्मचारियों के PF फंड पर ब्याज दर 8.5% से घटाकर 8.1% निर्धारित किया था. यह 1977-78 के बाद से कर्मचारियों द्वारा अपने रिटायरमेंट फंड में जमा की गई सबसे कम ब्याज दर है.

EFPO अपने एनुअल एक्रुअल्स का 85% सरकारी सिक्योरिटीज और बांड्स सहित डेबिट उपकरणों में और 15% ईटीएफ के माध्यम से इक्विटी में निवेश करता है. डेबिट और इक्विटी दोनों से होने वाली आय का उपयोग ब्याज भुगतान की गणना के लिए किया जाता है.

EPFO के नियम

  • एक कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता को जोड़कर जो राशि बनती है, उसका 12% हिस्सा उसके पीएफ खाते में जमा किया जाता है. इसमें कंपनी का भी 12% कंट्रीब्यूशन होता है जिसमें में से 3.67% कर्मचारी के पीएफ अकाउंट (EPF) में जाता है और बाकी के 8.33% कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) में जाता है.
  • कंपनी का योगदान दो हिस्सों में बंटा होता है, एक हिस्सा पेंशन फंड यानी ईपीएस में जाता एवं दूसरा हिस्सा ईपीएफ में जाता है.

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EFPO): एक दृष्टि

EFPO भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय के अधीन एक वैधानिक निकाय है. यह देश में भविष्य निधि के विनियमन और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है. EFPO सालाना आधार पर EPF योजना के लिए ब्याज दर तय करता है.

अर्थव्यवस्था की वृद्धि से संबंधित आंकड़े जारी, 2021-22 में वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत

केंद्र सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय ने भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि से संबंधित आंकड़े 31 मई को जारी किये थे. इन आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत रही थी. और इस प्रकार भारत दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गई है.

अर्थव्यवस्था (GDP) वृद्धि: मुख्य बिंदु

  • वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत रही थी. यह सरकार की तरफ से जारी 8.9 प्रतिशत के विकास दर के अनुमान से कम है. वित्त वर्ष 2020-21 में विकास दर -6.6 प्रतिशत रही थी.
  • वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में विकास दर 4.1 प्रतिशत रही. कोरोना की तीसरी लहर और यूक्रेन क्राइसिस का असर मार्च तिमाही में जीडीपी वृद्धि पर पड़ा है.
  • चौथी तिमाही की विकास दर तीसरी तिमाही की 5.4 प्रतिशत विकास दर से कम है, लेकिन चौथी तिमाही में कुल जीडीपी 40.78 लाख करोड़ रहा जबकि तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर) में जीडीपी 38.21 लाख करोड़ रुपये था. वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही का जीडीपी 39.18 लाख करोड़ रुपये था.
  • वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का जीडीपी 1,47,35,515 करोड़ रुपये रहा, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में देश का जीडीपी 1,35,58,473 करोड़ रुपये तो वित्त वर्ष 2019-20 में 1,45,15958 करोड़ रुपये का था.
  • वित्त वर्ष 21-22 में कर संग्रह में मजबूती और खर्च पर नियंत्रण की वजह से राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.7 प्रतिशत रहा, जबकि सरकार ने राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.

वित्त वर्ष 2021-22 में पिछले वर्ष के मुकाबले क्षेत्रवार वृद्धि

  1. कृषि व संबंधित सेक्टर: 3 प्रतिशत
  2. खनन (माइनिंग): 11.5 प्रतिशत
  3. विनिर्माण (मैन्यूफैक्चरिंग): 9.9 प्रतिशत
  4. बिजली, पानी आपूर्ति, गैस व अन्य सेवा: 7.5 प्रतिशत
  5. कंस्ट्रक्शन: 11.5 प्रतिशत
  6. ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट, कम्यूनिकेशंस: 11.1 प्रतिशत
  7. फाइनेंशियल, रियल एस्टेट व अन्य प्रोफेशनल्स: 4.2 प्रतिशत
  8. रक्षा, लोक प्रशासन व अन्य: 12.6 प्रतिशत

सरकार की वित्तीय स्थिति

वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार की प्राप्ति 22,07,634 करोड़ रुपये जबकि सरकार का कुल खर्च 37,94,171 करोड़ रुपये रहा. वित्त वर्ष 21-22 में 8,05,390 करोड़ रुपये कर्ज के ब्याज चुकाने में खर्च हुए.

चीन को पीछे छोड़ अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना

वाणिज्य मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2021-22 में हुए द्विपक्षीय व्यापार के आंकड़े हाल ही में जारी किये थे. इन आंकड़ों के अनुसार अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है. भारत के साथ व्यापार के मामले में अमेरिका ने चीन को पीछे छोड़ा है.

अमेरिका के साथ व्यापार: मुख्य बिंदु

  • 2021-22 में अमेरिका और भारत का द्वपिक्षीय व्यापार बढ़कर 119.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया. 2020-21 में यह आंकड़ा 80.51 अरब डॉलर का था.
  • 2021-22 में भारत का अमेरिका को निर्यात बढ़कर 76.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 वित्त वर्ष में 51.62 अरब डॉलर रहा था.
  • 2021-22 में अमेरिका से भारत का आयात बढ़कर 43.31 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 वित्त वर्ष में 29 अरब डॉलर था.
  • चीन के साथ व्यापार: मुख्य बिंदु
  • 2021-22 में भारत-चीन द्वपिक्षीय व्यापार 115.42 अरब डॉलर रहा, जो 2020-21 में 86.4 अरब डॉलर था.
  • चीन को भारत का द्वारा किया गया निर्यात मामूली बढ़कर 21.25 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 21.18 अरब डॉलर रहा था.
  • इस दौरान चीन से भारत का आयात बढ़कर 94.16 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 65.21 अरब डॉलर पर था.
  • वित्त वर्ष के दौरान भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 72.91 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 44 अरब डॉलर रहा था.

UAE भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार

2021-22 में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) 72.9 अरब डालर के साथ भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था. इसके बाद सऊदी अरब (42.85 अरब डॉलर) चौथे, इराक (34.33 अरब डॉलर) पांचवें और सिंगापुर (30 अरब डॉलर) छठे सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार थे.

गांधीनगर में विश्‍व के पहले नैनो तरल यूरिया संयंत्र का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 28 मई को गुजरात में नैनो तरल यूरिया संयंत्र का उद्घाटन किया. यह विश्‍व का पहला नैनो तरल यूरिया संयंत्र है जो गांधीनगर के कलोल में लगाया गया है. यह संयंत्र इफको (IFFCO) द्वारा शुरू किया गया है.

175 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया इस अति आधुनिक नैनो फर्टिलाइजर प्लांट से किसानों को फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद मिलेगी. इस प्लांट से प्रतिदिन 500 मिली लीटर नैनो तरल यूरिया की करीब डेढ़ लाख बोतलों का उत्पादन किया जाएगा.

नैनो तरल यूरिया: एक दृष्टि

  • इफको (Indian Farmers Fertiliser Cooperative) ने व्यावसायिक रूप से दुनिया का पहला नैनो यूरिया विकसित किया और इसक पैटेंट भी इफको के ही पास है.
  • नैनो तरल यूरिया की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक एक बैग परंगरागत यूरिया के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व देता है. IFFCO नैनो यूरिया एकमात्र नैनो फर्टिलाइजर है जिसे भारत सरकार ने मान्यता दी है.
  • किसान यूरिया का इस्तेमाल फसलों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए करते हैं. इफको के मुताबिक नैनो तरल यूरिया के इस्तेमाल से सामान्य यूरिया की खपत 50 फीसदी तक कम हो सकती है.
  • नैनो तरल यूरिया, परंगरागत यूरिया से अधिक कारगर है. परंगरागत यूरिया सफेद दानों के रुप में उपलब्ध थी. इसका इस्तेमाल करने पर आधे से भी कम हिस्सा पौधों को मिलता था जबकि बाकी जमीन और हवा में चला जाता था.
  • भारत नैनो लिक्विड यूरिया को लॉन्च करने वाला पहला देश है. मई 2021 में इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने इसे लॉन्च किया था. इससे पहले नैनो तरल यूरिया को 94 से ज्यादा फसलों को देश भर में 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण (एफएफटी) पर परिक्षण किया गया था. इसके बाद आम किसानों को दिया गया.
  • इस संयंत्र से अब एक बोरी यूरिया की क्षमता को एक बोतल में समेट पाना संभव होगा. इससे ढुलाई की लागत कम होगी.

वित्त वर्ष 2021-22 में भारत में 83.57 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ

वित्त वर्ष 2021-22 में भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 83.57 अरब डॉलर पर पहुंच गया. यह पिछले वित्त वर्ष की अपेक्षा दो प्रतिशत अधिक है. इस दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) इक्विटी प्रवाह 1 प्रतिशत घटकर 58.77 अरब डॉलर रहा.

2021-22 में FDI: मुख्य बिंदु

  • विभिन्न निवेशक देशों में सिंगापुर 15.87 अरब डॉलर के निवेश के साथ शीर्ष पर रहा. इसके बाद अमेरिका (10.55 डॉलर) और मॉरीशस (9.4 डॉलर) का स्थान है.
  • कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र में बीते वित्त वर्ष के दौरान 14.5 अरब डॉलर की सबसे अधिक FDI आया. इसके बाद 7.1 अरब डॉलर के साथ सेवा क्षेत्र और ऑटोमोबाइल उद्योग का स्थान है. 2020-21 की तुलना में विनिर्माण क्षेत्रों में FDI प्रवाह में 76% की वृद्धि हुई.
  • कर्नाटक कुल FDI  प्रवाह में 38% हिस्सेदारी के साथ शीर्ष प्राप्तकर्ता राज्य है, इसके बाद महाराष्ट्र (26%) और दिल्ली (14%) है.

फाइबर उत्पादकता में सुधार हेतु भारतीय कपास परिषद का गठन किया गया

केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल ने भारतीय कपास परिषद के गठन की मंजूरी दे है. प्रसिद्ध वयोवृद्ध कपास व्यापारी श्री सुरेश भाई कोटक को परिषद् का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.

  • इस परिषद में वस्त्र मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारतीय कपास निगम और कपास अनुसंधान संस्थान का प्रतिनिधित्व रहेगा.
  • प्रस्तावित परिषद की पहली बैठक 28 मई 2022 को निर्धारित की गई है. परिषद इस क्षेत्र में ठोस सुधार लाने के लिए चर्चा, विचार-विमर्श और एक मजबूत कार्य योजना तैयार करेगी.

भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट बढ़ाकर 4.40% किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नीतिगत रेपो दर में 40 आधार अंक यानी 0.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी का निर्णय लिया है. यह निर्णय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति ने लिया. इस बढ़ोतरी के बाद रेपो दर 4.4 प्रतिशत हो गई है. यह वृद्धि तत्‍काल प्रभाव से लागू हो गयी है.

मुख्य बिंदु

  • RBI ने चार साल के बाद रेपो दर में बढ़ोतरी की है. इससे पहले पिछली बार रेपो रेट में मई 2020 में कटौती की गई थी और तब से लगातार इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया था.
  • RBI ने इसके अलावा कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में भी 50 बेसिस प्‍वाइंट की बढ़ोतरी की गई है, जो कि ब्याज दरों पर और दबाव बनाएगा.
  • रेपो रेट वह रेट होता है जिसपर केन्द्रीय बैंक (RBI) अन्य वाणिज्यिक बैकों को कर्ज देता है. इसी आधार पर वाणिज्यिक बैंक अपने ग्राहकों को कर्ज देता है.
  • रेपो रेट कम होने का मतलब होता है कि ग्राहकों को कम दाम पर लोन मिलेगा और रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि अब लोन महंगा हो जाएगा.
  • यह फैसला देश में बढती मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के लिए लिया गया है. बीते कुछ माह के आंकड़ों पर गौर करें तो यह एक बहुत बड़ी चुनौती है, जो 6% के ऊपरी स्तर पर बनी हुई है.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर4.4%
रिवर्स रेपो दर3.75%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MSF)4.65%
बैंक दर4.65%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)4%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत में कच्चे तेल के उत्पादन में 2.67 प्रतिशत की गिरावट

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत में कच्चे तेल के उत्पादन में 2.67 प्रतिशत की गिरावट आई है. पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में कच्चे तेल का उत्पादन 296.9 लाख टन रहा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष के 305 लाख टन के मुकाबले 2.63 प्रतिशत कम है. 80 फीसदी से ज्यादा कच्चे तेल का आयात करता है.

मुख्य बिंदु

  • मंत्रालय ने बीते वित्त वर्ष के दौरान 336.1 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य तय किया था, जिसके मुकाबले वास्तविक उत्पादन 11.67 प्रतिशत कम था.
  • पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत में कच्चे तेल का उत्पादन घटा है. यह आंकड़ा 2017-18 में 357 लाख टन, 2018-19 में 342 लाख टन, 2019-20 में 322 लाख टन और 2020-21 में 305 लाख टन तक गिर गया.
  • इस कमी की प्रमुख वजह कुछ तेल भंडार की उम्र बढ़ना है, जहां प्राकृतिक उत्पादन में गिरावट आई है. निकासी दर बढ़ाने के लिए तकनीक में निवेश करके उत्पादन बनाए रखने की कोशिश की जा रही है.
  • ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) ने वित्त वर्ष 2021-22 में 194.5 लाख टन कच्चे तेल का उत्पादन किया, जो लक्ष्य से 13.82 प्रतिशत कम है.
प्राकृतिक गैस के उत्पादन में 18.66 प्रतिशत की वृद्धि

हालांकि, वित्त वर्ष 2021-22 में प्राकृतिक गैस का उत्पादन 18.66 प्रतिशत बढ़कर 34 अरब घन मीटर हो गया. इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसकी सहयोगी बीपी पीएलसी द्वारा नए क्षेत्रों से उत्पादन शुरू करने का विशेष योगदान रहा. यह उत्पादन पूर्वी अपतटीय KG-D6 ब्लॉक में शुरू किया गया है.

ऑयल इंडिया ने असम में देश का पहला शुद्ध हरित हाइड्रोजन संयंत्र चालू किया

सरकारी स्वामित्व वाले तेल अन्वेषक कंपनी ने ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) ने असम में 99.999 प्रतिशत शुद्ध हरित हाइड्रोजन के निर्माण में सक्षम एक पायलट संयंत्र शुरू किया है. यह देश में इस तरह का पहला संयंत्र है.

मुख्य बिंदु

  • इसकी उत्पादन क्षमता प्रति दिन 10 किलोग्राम है जिसे बढ़ाकर 30 किलोग्राम प्रति दिन किया जाएगा.. OIL ने इस पायलट संयंत्र को अपने जोरहाट पंप स्टेशन पर तीन महीने के रिकॉर्ड समय में चालू किया है.
  • हरित हाइड्रोजन का उत्पादन मौजूदा 500 किलोवॉट सौर संयंत्र द्वारा 100 किलोवॉट अनियन एक्सचेंज मेम्ब्रेन (AEM) इलेक्ट्रोलाइजर संरचना का उपयोग करके उत्पन्न बिजली से किया जाएगा. AEM प्रौद्योगिकी का देश में पहली बार इस्तेमाल किया जा रहा है.

भारत ने पहली बार सेवा निर्यात में 250 अरब डॉलर का लक्ष्‍य प्राप्‍त किया

भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में सेवा निर्यात में 250 अरब डॉलर का लक्ष्‍य प्राप्‍त किया है. यह पिछले वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में 21.31 प्रतिशत अधिक है. भारत ने पहली बार सेवा निर्यात में 250 अरब डॉलर का लक्ष्‍य प्राप्‍त किया है.

मार्च 2022 में सेवा निर्यात लगभग 22.5 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष मार्च 2021 की तुलना में 8.31 प्रतिशत अधिक है. वर्ष 2021-22 में भारत का कुल वस्‍तु और सेवा निर्यात रिकॉर्ड करीब 670 अरब डॉलर रहा.

भारत ने कोविड वैश्विक महामारी के कारण विश्‍वव्‍यापी आर्थिक मंदी और यूरोप में हाल के घटनाक्रम के बावजूद निर्यात के ऊंचे लक्ष्‍य हासिल किये हैं.

2021-22 में भारत में सोने के आयात में 33.34 प्रतिशत की वृद्धि

पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में भारत में सोने के आयात में 33.34 प्रतिशत बढ़कर 46.14 अरब डॉलर पर पहुंच गया. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में भारत का सोने का आयात 34.62 अरब डॉलर रहा था. लेकिन वित्त वर्ष 2021-22 में सोने का आयात बढ़ने से देश का व्यापार घाटा बढ़कर 192.41 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो एक साल पहले 102.62 अरब डॉलर रहा था.

मुख्य बिंदु

  • चीन के बाद भारत सोने का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है. भारत में सोने का आयात मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है.
  • वित्त वर्ष 2021-22 में रत्न एवं आभूषणों का निर्यात करीब 50 प्रतिशत बढ़कर 39 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
  • रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में देश का चालू खाते का घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.7 प्रतिशत या 23 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
  • अप्रैल, 2021 से फरवरी, 2022 के दौरान मात्रा के लिहाज से सोने का आयात 842.28 टन रहा.
  • भारत ज्यादातर सोना, स्विट्जरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण अफ्रीका, पेरू और घाना से आयात करता है.