24 फरवरी 2024: संत गुरु रविदास की जयंती

प्रत्येक वर्ष  माघ माह की पूर्णिमा को संत  गुरु रविदास की जयंती मनाई जाती है. इस वर्ष यानि 2024 में उनकी जयंती 24 फरवरी को मनाई गयी. उनका जन्म माघ माह की पूर्णिमा तिथि को वर्ष 1398 में उत्तर प्रदेश के काशी में हुआ था. जिस दिन रविदास जी का जन्म हुआ था उस दिन रविवार था. इसी के चलते इनका नाम रविदास पड़ा.

संत गुरु रविदास: एक दृष्टि

  • संत रविदास बहुत ही सरल हृदय के थे और दुनिया का आडंबर छोड़कर हृदय की पवित्रता पर बल देते थे. इस बारे में उनकी एक कहावत – “जो मन चंगा तो कठौती में गंगा” काफी प्रचलित है.
  • भगवान कृष्ण की परमभक्त मीराबाई के गुरु संत रविदास थे. मीराबाई संत रविदास से ही प्रेरणा ली थी और भक्तिमार्ग अपनाया था.
  • संत रविदास जात-पात के विरोधी थे. इस सन्दर्भ में उनकी दोहा “जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात, रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात.” प्रचलित है.
  • सिख धर्म पर भी संत रविदास का विशेष प्रभाव है. उनकी चालीस कविताओं को सिख धर्म के आदि ग्रंथ में शामिल किया गया है.

21 फरवरी: अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य भाषायी और सांस्कृतिक विविधता को प्रोत्साहित करना है.

इस वर्ष यानी 2024 के अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का मुख्य विषय (थीम) ‘बहुभाषी शिक्षा अंतर-पीढ़ीगत शिक्षा का एक स्तंभ है’ (Multilingual education is a pillar of intergenerational learning) है.

संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मनाये जाने की स्वीकृति 17 नवम्बर 1999 को दी थी.

21 फरवरी, 1952 को ढाका में कई छात्रों ने ‘बांग्ला’ को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग को लेकर आंदोलन में पुलिस की गोलियों से शहादत हासिल की थी. संयुक्त राष्ट्र ने इसकी स्मृति में प्रतिवर्ष इस दिन दिवस मनाने का निर्णय किया. बांग्लादेश में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है.

20 फरवरी: विश्व सामाजिक न्याय दिवस

प्रत्येक वर्ष 20 फरवरी को विश्व भर में ‘सामाजिक न्याय दिवस’ (World Day of Social Justice) मनाया जाता है. इस अवसर पर विभिन्न संगठनों, जैसे- संयुक्त राष्ट्र एवं अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा लोगों से सामाजिक न्याय हेतु अपील जारी की जाती है.

इस वर्ष 2024 में विश्व सामाजिक न्याय दिवस की थीम ‘सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए असमानताओं की खाई को पाटना’ (Closing the Inequalities Gap to Achieve Social Justice) है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2007 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गयी थी. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सामाजिक न्याय का अर्थ है लिंग, आयु, धर्म, अक्षमता तथा संस्कृति की भावना को भूलकर समान समाज की स्थापना करना.

20 फरवरी: अरूणाचल प्रदेश और मिजोरम का स्‍थापना दिवस

प्रत्येक वर्ष 20 फरवरी को अरूणाचल प्रदेश और मिजोरम का स्‍थापना दिवस (Arunachal Pradesh and Mizoram Statehood Day) मनाया जाता है. अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम को 1987 में आज ही के दिन राज्य का दर्जा मिला था. इस वर्ष यानी 2024 में 38वां स्थापना दिवस मनाया गया.

अरुणाचल प्रदेश

  • अरुणाचल प्रदेश 20 फ़रवरी, 1987 को भारतीय संघ का 24वां राज्य बना था. 1972 तक, इसे नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) के नाम से जाना जाता था.
  • सन 1972 में इसे प्रदेश को केंद्र शासित राज्य बनाया गया था और इसका नाम ‘अरुणाचल प्रदेश’ किया गया था. केंद्रशासित प्रदेश अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा दिए जाने के लिए 55वां संविधान संशोधन किया गया था.
  • अरुणाचल प्रदेश भारत गणराज्य का एक उत्तर पूर्वी राज्य है. ‘अरुणाचल’ का अर्थ हिन्दी में शाब्दिक अर्थ है ‘उगते सूर्य की भूमि’ (अरुण+अचल). ईटानगर राज्य की राजधानी है. अरुणाचल प्रदेश की मुख्य भाषा हिन्दी और असमिया है.
  • प्रदेश की सीमाएँ दक्षिण में असम दक्षिण-पूर्व मे नागालैंड पूर्व में म्यांमार, पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत से मिलती हैं. भौगोलिक दृष्टि से पूर्वोत्तर के राज्यों में यह सबसे बड़ा राज्य है.

मिज़ोरम

  • मिज़ोरम 1987 को भारत का 23वां राज्य बना था. 1972 में पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम लागू होने पर मिजोरम केंद्रशासित प्रदेश बना था. केंद्रशासित प्रदेश बनने से पहले तक यह असम का एक जिला था.
  • भारत सरकार और मिज़ो नेशनल फ्रंट के बीच 1986 में हुए ऐतिहासिक समझौते के फलस्वरूप 20 फरवरी, 1987 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया. इसके लिए 53वां संविधान संशोधन किया गया था.
  • मिज़ोरम भारत का एक उत्तर-पूर्वी राज्य है. मिजोरम में साक्षरता का दर भारत में सबसे अधिक 91.03% है. यहाँ की राजधानी आईजोल है.
  • पूर्व और दक्षिण में म्यांमार और पश्चिम में बांग्लादेश के बीच स्थित होने के कारण भारत के पूर्वोत्तर कोने में मिजोरम सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण राज्य है.

19 फरवरी: देशभर में ‘मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड दिवस’ मनाया गया

19 फरवरी को देशभर में ‘मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड दिवस’ (Soil Health Card Day) मनाया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 फरवरी 2015 को राजस्थान के हनुमानगढ से ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना‘ का शुभारंभ किया था. इस योजना में मिट्टी में कम हो रहे पोषक तत्वों की समस्या पर फोकस किया जाता है.

मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड: एक दृष्टि

  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का उद्देश्य प्रत्‍येक दो वर्ष में किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना है ताकि मिट्टी में पोषक तत्‍वों की कमी दूर करने के उपाय किये जा सकें.
  • देश में अब तक, किसानों को 24 करोड़ से अधिक मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं. देश भर में 11.5 हजार से अधिक नई मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं को चालू किया गया है.
  • राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद् द्वारा किये गये एक अध्ययन के अनुसार देश में मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड (Soil Health Card) के उपयोग से उर्वरक के उपयोग में 10% की कमी आई है. इस अध्ययन से यह भी ज्ञात हुआ है कि मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड के कारण उत्पादकता में 5-6% की वृद्धि हुई है.

19 फरवरी 2024: छत्रपति शिवाजी महाराज की 394वीं जयंती मनाई गयी

19 फरवरी 2024 को छत्रपति शिवाजी महाराज की 394वीं जयंती मनाई गयी. 1630 में इसी दिन शिवनेरी दुर्ग में उन्का जन्म हुआ था. छत्रपति शिवाजी को एक कुशल रणनीतिकार और निपुण प्रशासक के रूप में याद किया जाता है.

छत्रपति शिवाजी: एक दृष्टि

  • छत्रपति शिवाजी महाराज ने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी.
  • उन्होंने शक्तिशाली आदिलशाही, निजामशाही और मुगल सरदारों को पराजित करके अपना साम्राज्य बनाया.
  • उन्होंने दक्कन में हिंदू राज्य की स्थापना की थी, जो कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया.
  • 1674 ई. में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और वे छत्रपति बन गये.
  • शिवाजी ने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये और गुरिल्ला वॉर की नयी शैली विकसित की.
  • उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनीतिक प्रथाओं को पुनर्जीवित किया और फारसी के स्थान पर मराठी और संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया.
  • 3 अप्रैल 1680 को महज 50 साल की उम्र में वीर छत्रपति शिवाजी महाराज ने लंबी बीमारी के बाद अंतिम सांस ली.

12-18 फरवरी: राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह, राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद का 66वां स्थापना दिवस

12 से 18 फरवरी को ‘राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह’ (National Productivity Week) मनाया गया था. इसका उद्देश्य भारत के सभी क्षेत्रों में उत्पादकता और गुणवत्ता जागरूकता को प्रोत्साहित करना और बढ़ावा देना है. यह सप्ताह राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC) द्वारा अपने स्थापना दिवस के अवसर पर मनाया जाता है. 2024 के राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह का थीम ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) – आर्थिक विकास के लिए उत्पादकता इंजन’ (Artificial Intelligence (AI) – Productivity Engine for Economic Growth) है.

12 फरवरी: उत्पादकता दिवस
इस वर्ष 12 फरवरी, 2024 को NPC का 66वां स्थापना दिवस था. NPC अपने स्थापना दिवस को ‘उत्पादकता दिवस’ के रूप में मनाती है.

राष्ट्रीय उत्‍पादकता परिषद: एक दृष्टि

  • राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद, औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (DIPP) के अधीन एक राष्‍ट्रीय स्‍वायत्‍त संगठन है.
  • राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद का गठन भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में उत्‍पादकता को प्रोत्साहन देने के लिये किया गया था. इसके अलावा NPC सरकार की उत्‍पादकता संवर्द्धन योजनाओं को भी कार्यान्‍वित करता है.
  • भारत सरकार ने वर्ष 1958 में एक पंजीकृत सोसाइटी के तौर पर इसकी स्‍थापना की थी. यह एक बहुपक्षीय, गैर-लाभकारी संगठन है.
  • NPC टोक्यो स्थित ‘एशियन प्रोडक्‍टिविटी आर्गेनाईज़ेशन’ (APO) के एक घटक के रुप में इसके कार्यक्रमों को भी कार्यान्‍वित करता है. APO एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसका भारत एक संस्‍थापक सदस्‍य है.

गोवा में भारत ऊर्जा सप्ताह 2024 आयोजित किया गया

गोवा में 6 से 9 फ़रवरी तक भारत ऊर्जा सप्ताह (India Energy Week) 2024 का आयोजन किया गया था. यह भारत की एकमात्र ऊर्जा प्रदर्शनी और सम्मेलन है, जो संपूर्ण ऊर्जा मूल्य श्रृंखला को एक मंच प्रदान करती है. यह भारत के ऊर्जा पारगमन लक्ष्यों के लिए उत्प्रेरक का काम करती है.

मुख्य बिन्दु

  • भारत ऊर्जा सप्ताह आयोजन में 120 से ज़्यादा देशों के 4,000 से ज़्यादा प्रतिनिधि और विभिन्न देशों के 17 ऊर्जा मंत्रियों ने हिस्सा लिया था. इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारत ऊर्जा सप्‍ताह के दौरान ऊर्जा क्षेत्र की शीर्ष कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से बातचीत की. उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र की वृद्धि को और प्रोत्साहन देने के लिए सुधारों की प्रक्रिया तेज करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई.
  • इससे पहले कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में अगले पांच से छह वर्ष में ऊर्जा क्षेत्र में 67 अरब डॉलर का निवेश होगा.
  • प्रधानमंत्री गोवा में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में 1330 करोड रुपये की परियोजनाओं का शुभारंभ और शिलान्यास भी किया.

13 फरवरी: विश्व रेडियो दिवस

प्रत्येक वर्ष 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस (World Radio Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्‍य जनता और मीडिया में रेडियो के महत्‍व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.

यह दिन रेडियो की अनोखी क्षमता को याद करने के लिए भी मनाया जाता है, यह आम लोगों के जीवन से सीधा जुड़ा है और दुनिया के सभी भागों के लोगों को जोड़ता है.

विश्व रेडियो दिवस 2024 का मुख्य विषय (थीम) ‘रेडियो एक सदी की सूचना, मनोरंजन और शिक्षा’ (Radio: A century informing, entertaining and educating) है.

यूनेस्को ने साल 2011 में विश्व-स्तर पर रेडियो दिवस मनाने का फैसला लिया था. 13 फरवरी का दिन विश्व रेडियो दिवस के रूप में इसलिए चुना गया क्योंकि 13 फ़रवरी 1946 से ही रेडियो संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) द्वारा अपने रेडियो प्रसारण की शुरुआत की गई थी.

13 फरवरी: राष्ट्रीय महिला दिवस, सरोजिनी नायडू का जन्मदिन

प्रत्येक वर्ष 13 फरवरी को ‘राष्ट्रीय महिला दिवस’ (National Women’s Day) के रूप में मनाया जाता है. यह दिवस भारत के स्वतंत्रता सेनानी और कवि सरोजिनी नायडू के जन्मदिन पर मनाया जाता है. सरोजिनी नायडू का जन्म इसी दिन 1879 में हुआ था. इस वर्ष यानी 2024 में उनकी 145वीं जयंती मनाई गयी.

सरोजिनी नायडू: एक दृष्टि

  • सरोजिनी नायडू ने देश की आजादी के लिए भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था. वह कांग्रेस पार्टी की पहली महिला अध्यक्ष थी.
  • उनकी कविताओं के कारण उन्हें ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया (भारत कोकिला’)’ के उपनाम से भी जाना जाता है.
  • सरोजिनी नायडू संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) की पहली महिला राज्यपाल भी बनीं थीं.
  • उन्हें 1928 के दौरान भारत में प्लेग महामारी के दौरान उनके काम के लिए ‘कैसर-ए-हिंद’ पदक से सम्मानित किया गया था.
  • उन्होंने महिला सशक्तीकरण की भी वकालत करते हुए 1917 में महिला भारतीय संघ (WIA) की स्थापना में मदद की.
  • उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन का प्रमुखता से नेतृत्व किया था.

सरोजिनी नायडू के मुख्य कोट्स

  1. हम अपनी बीमारी से भारत को साफ करने से पहले पुरुषों की एक नई नस्ल चाहते हैं.
  2. एक देश की महानता, बलिदान और प्रेम उस देश के आदर्शों पर निहित करता है.
  3. हम गहरी सच्चाई का मकसद चाहते हैं, भाषण में अधिक से अधिक साहस और कार्यवाही में ईमानदारी.
  4. श्रम करते हैं हम कि समुद्र हो तुम्हारी जागृति का क्षण, हो चुका जागरण अब देखो, निकला दिन कितना उज्ज्वल.

10 फरवरी: विश्व दलहन दिवस

प्रत्येक वर्ष 10 फरवरी को विश्व दलहन दिवस (World Pulses Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दाल में विद्यमान पोषक तत्वों और उसकी उपयोगिता के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है. पहला विश्व दाल दिवस 10 फरवरी 2019 को मनाया गया था.

दाल पोषण तथा खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं. इसको ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2016 को अन्तर्राष्ट्रीय दालों का वर्ष घोषित किया गया था.

इस वर्ष यानी 2024 में विश्व दलहन दिवस का मुख्य विषय (theme) ‘दालें: पौष्टिक मिट्टी और लोग’ (Pulses: Nourishing Soils and People) है.

दलों का महत्व

दालें खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हैं. यह विश्व की एक बड़ी जनसँख्या का प्रमुख भोजन हैं. दालों से जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है. दालों के कारण संश्लेषित उर्वरकों के उपयोग में कमी आती है. इससे ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में भी कमी होती है.

4 फरवरी: विश्व कैंसर दिवस, विश्व कैंसर दिवस 2024 की थीम

प्रत्येक वर्ष 4 फ़रवरी को विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) मनाया जाता है. यह दिवस कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस रोग के प्रति लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से दुनिया भर में मनाया जाता है.

विश्व कैंसर दिवस की शुरुआत यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC) के द्वारा की गयी थी. 4 फरवरी 2000 को कैंसर के खिलाफ पेरिस में विश्व कैंसर सम्मेलन हुआ जहां यह तय हुआ कि हर साल चार फरवरी को कैंसर के खिलाफ जागरुकता फैलाने के लिए इस दिवस को मनाया जाएगा.

विश्व कैंसर दिवस 2024 की थीम

विश्व कैंसर दिवस को एक थीम, अभियान के साथ मनाया जाता है. 2016 से हर तीन साल एक ही थीम रखने का फैसला लिया गया. वर्ष (2022-2024) अभियान का थीम ‘केयर गैप बंद करें’ (Close the Care Gap) है. वर्ष (2019-2021) अभियान का थीम ‘मैं हूं और मैं रहूंगी/रहूंगा’ (I Am and I Will) था.

विश्‍व में सबसे ज्‍यादा मृत्‍यु कैंसर से होती है

कैंसर बेहद खतरनाक एवं जानलेवा बीमारी है. दुनियाभर में इस बीमारी से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं. वर्तमान में, विश्व में हर साल लगभग 76 लाख लोगों की मौत कैंसर से होती है. इनमें से लगभग 40 लाख लोगों की मौत समय से पहले हो जाती है. वर्ष 2025 तक, कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर प्रति वर्ष 60 लाख होने का अनुमान है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वर्ष 2025 तक कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों में 25 प्रतिशत कमी का लक्ष्य रखा है. WHO ने चेतावनी दी है कि 2040 तक कम और मध्‍यम आय वाले देशों में कैंसर के मामले 81 प्रतिशत तक बढ़ जायेंगे क्‍योंकि वहां रोकथाम और देखभाल के लिए निवेश का अभाव है.

भारत में हर साल 7 लाख लोगों की मौत कैंसर से होती है. यहाँ 40 फीसद कैंसर सिर्फ तंबाकू के सेवन से होता है. पुरुषों में सबसे ज्यादा फेफड़े के कैंसर और महिलाओं में स्तन कैंसर का जोखिम रहता है.

कैंसर से बचाव

कैंसर से बचाव संतुलित भोजन, साफ-सफाई, नियमित व्यायाम और ध्रुमपान से दूर रहकर किया जा सकता है. कैंसर के मामलों में मौत की सबसे बड़ी वजह देर से ईलाज शुरु करना माना जाता है.