4 मार्च: राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस, राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह

प्रत्येक वर्ष 4 मार्च को देश में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस’ (National Safety Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य जागरूकता न होने की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकना है. इस साल यानी 2024 में 53वां राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया गया.

4 से 10 मार्च तक ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह’

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के साथ ही 4 से 10 मार्च तक ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह’ (National Safety Week) के रूप में मनाया जाने लगा है. इस सप्ताह के दौरान विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से औद्योगिक दुर्घटनाओं से बचाव के तरीकों से लोगों को अवगत कराया जाता है.

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस और राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह को मनाने की पहल ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद’ (National Safety Council) ने की थी. 4 मार्च के ही दिन भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना हुई थी.

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC): एक दृष्टि

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना 4 मार्च 1966 को मुंबई सोसायटी अधिनियम के तहत हुई थी. यह एक स्वशासी निकाय है जो सार्वजनिक सेवा के लिए गैर-सरकारी और गैर-लाभकारी संगठन के रूप में कार्य करता है. 1972 में इस संगठन ने राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाने का निर्णय लिया था. बाद में इसे नेशनल सेफ्टी सप्ताह के रूप में मनाया जाने लगा.

3 मार्च 2024: विश्व वन्यजीव दिवस

प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ (World Wildlife Day) मनाया जाता है. वर्ष 1973 में इसी दिन वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे.

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर विलुप्त संकटापन्न वन्य-जीवों तथा वनस्पतियों के संरक्षण की दिशा में जागरूकता लाना है.

वर्ष 2024 में इस दिवस का मुख्य विषय (Theme)- ‘लोगों और ग्रह को जोड़ना: वन्यजीव संरक्षण में डिजिटल नवाचार की खोज’ (Connecting People and Planet: Exploring Digital Innovation in Wildlife Conservation) है. इसके तहत वनों, वन प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं की केंद्रीय भूमिका को उजागर करने का प्रयास किया जाएगा ताकि वनों और उसके पास रहने वाले समुदायों के लाखों लोगों की आजीविका को बनाए रखा जाए.

20 दिसंबर, 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने अपनी 68वीं महासभा में इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी.

3 मार्च 2024: विश्व श्रवण दिवस

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation), प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को ‘विश्व श्रवण दिवस’ (World Hearing Day) मनाया जाता है. इस दिवस पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जागरूकता अभियान चलाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्‍य कान की सुरक्षा और बधीरता से बचाव के लिए जागरूकता फैलाना है.

इस वर्ष यानी 2024 में विश्व श्रवण दिवस का विषय ‘बदलती मानसिकता: आइए कान और सुनने की देखभाल को सभी के लिए वास्तविकता बनाएं!’ (Changing mindsets: Let’s make ear and hearing care a reality for all!) है.

फरवरी माह का अंतिम दिन: विश्व दुर्लभ रोग दिवस

प्रत्येक वर्ष फरवरी माह के अंतिम दिन को ‘विश्व दुर्लभ रोग दिवस’ (World Rare Disease Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दुर्लभ बीमारी के प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाना जिनके बारे में ज्‍यादा लोगों को जानकारी नहीं होती. ऐसा इसलिए है क्‍योंकि ये बीमारियां बहुत कम लोगों को होती हैं.

विश्व दुर्लभ रोग दिवस 2024 का थीम- ‘बदलाव के लिए एकजुट हों! समानता के लिए एकजुट हों!’ (Unite for Change! Unite for Equity!) है.

दुर्लभ रोग दिवस को पहली बार यूरोपीय आर्गेनाईजेशन फॉर रेयर डिसीज (EURORDIS) और इसकी काउंसिल ऑफ नेशनल अलायन्स द्वारा 2008 में लॉन्च किया गया था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार इस समय दुनिया में लगभग 7000 ऐसे रोग हैं जिन्‍हें दुर्लभ माना जाता है. इनमें कुछ जाने-माने नाम हैं: सिस्टिक फाइब्रोसिस, जो श्‍वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है. हटिन्‍गटन्‍स डिजीज, जो ब्रेन और नर्वस सिस्‍टम को प्रभावित करता है. मस्‍क्‍युलर डिस्‍ट्रॉफी, जो मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं.

इंडियन सोसायटी फॉर क्लीनिकल रिसर्च (ISCR) के मुताबिक, भारत में 70 मिलियन और दुनिया भर में 350 मिलियन लोग दुर्लभ बीमारियों के शिकार हैं. 6,000 से ज्यादा अलग-अलग तरह के दुर्लभ और आनुवंशिक रोग (Genetic Diseases) हैं.

28 फरवरी: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, रमन प्रभाव की खोज की स्‍मृति में मनाया जाता है

प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों के जीवन में विज्ञान के महत्व के प्रति जागरुकता फैलाना और विज्ञान व प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाना है.

यह दिवस रमन प्रभाव की खोज की स्‍मृति में मनाया जाता है. सर सीवी रमन ने 1928 में इसी दिन रमन प्रभाव की खोज की घोषणा की थी

इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मुख्य विषय- ‘विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक’ (Indigenous Technologies for Viksit Bharat) है.

भारत सरकार ने 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी. पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी 1987 को मनाया गया था.

रमन प्रभाव की खोज की स्‍मृति में मनाया जाता है

यह दिवस रमन प्रभाव की खोज की स्‍मृति में मनाया जाता है. भारतीय वैज्ञानिक सर चन्द्रशेखर वेंकटारमन ने 1928 में इसी दिन रमन प्रभाव की खोज की घोषणा की थी.

सीवी रमन ने फोटॉन कणों के लचीले वितरण के अद्वीतीय घटना की खोज की थी जिसे बाद में ‘रमन प्रभाव’ के नाम से जाना गया. इस खोज के दो वर्ष बाद ही 1930 में सीवी रमन को उनकी इस बेहतरीन खोज के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया था. विज्ञान के क्षेत्र में किसी भारतीय को दिया जाने वाला ये पहला नोबल पुरस्कार था.

सीवी रमन का जन्म तमिलनाडु में 7 नवंबर 1888 में हुआ था.

27 फरवरी: विश्व NGO दिवस

प्रत्येक वर्ष 27 फरवरी को ‘विश्व NGO दिवस’ (World NGO Day) मनाया जाता है. NGO, Non-Governmental Organisation का संक्षिप्त रूप है. NGO एक ऐसा संगठन होता है, जो सरकार और व्यवसायी के लाभ के लिए कार्य नहीं करता, बल्कि जनसेवा ही इसका उद्देश्य होता है.

इस साल एनजीओ दिवस 2024 की थीम ‘सतत भविष्य का निर्माण: सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका’ (Building a Sustainable Future: The Role of NGOs in Achieving the Sustainable Development Goals) है.

विश्व NGO दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को NGO के अंदर सक्रिय रूप से शामिल होने और NGO तथा सार्वजनिक व निजी क्षेत्र दोनों के बीच अधिक सहजीवन को प्रोत्साहित करना है.

2010 में बाल्टिक सागर के राज्यों की काउंसिल के ‘NGO फोरम’ के 12 सदस्य राष्ट्रों द्वारा आधिकारिक रूप से इस दिवस को मान्यता दी थी. बाल्टिक सागर के NGO फोरम के सदस्य राष्ट्र बेलारूस, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, जर्मनी, आइसलैंड, लटविया, लिथूनिया, पोलैंड, रूस, नॉर्वे और स्वीडन थे.

संयुक्त राष्ट्र संघ, यूरोपीय संघ के नेताओं और अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों ने 2014 में पहली बार इसे दिवस के रूप में चिह्नित किया था.

27 फरवरी: राष्ट्रीय प्रोटीन दिवस

27 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय प्रोटीन दिवस (National Protein Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस का उद्देश्य प्रोटीन की कमी के बारे में जागरूकता पैदा करना है.

इस वर्ष यानी 2024 के प्रोटीन दिवस की थीम ‘#प्रोटीन से समाधान’ (#SolveWithProtein) है.

राष्ट्रीय स्तर की सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल, ‘राइट टू प्रोटीन’ ने 27 फरवरी, 2020 को भारत में पहला ‘प्रोटीन दिवस’ मनाया था.

भारत में प्रोटीन की कमी कई लोगों को प्रभावित कर रहा है. प्रोटीन की आवश्यकता मांसपेशियों के निर्माण के लिए होती है. प्रोटीन त्वचा, बालों और नाखूनों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में भी मदद करता है. कई अध्ययनों ने साबित किया है कि उच्च प्रोटीन आहार से स्थायी वजन कम हो सकता है.

24 फरवरी: केन्द्रीय उत्पाद शुल्क दिवस

प्रत्येक वर्ष 24 फरवरी को केन्द्रीय उत्पाद शुल्क दिवस (Central Excise Day) मनाया जाता है. यह दिवस केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के अंतर्गत केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग द्वारा मनाया जाता है. यह दिवस 24 फ़रवरी, 1944 को केन्द्रीय उत्पाद शुल्क तथा नमक क़ानून लागू किए जाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य आम लोगों में उत्पाद शुल्क और सेवा शुल्क की अहमियत बताना है. देश का औद्योगिक विकास तभी संभव है जब देशवासी उत्पाद शुल्क उत्पाद कर भरते हैं, इसके प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत को समझते हुए यह दिन मनाया जाता है.

उत्‍पाद शुल्‍क या आबकारी एक अप्रत्‍यक्ष कर है जो भारत में विनिर्माण की जाने वाली उन वस्‍तुओं पर लगाया जाता है जो घरेलू खपत के लिए होती हैं. कर ‘विनिर्माण’ पर लगाया जाता है और जैसे ही वस्‍तुओं का विनिर्माण हो जाता है केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क देय हो जाता है.

केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग

केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग 1855 में अंग्रेज़ों द्वारा स्थापित भारत के सबसे पुराने विभाग में से एक है. वर्ष 1996 से पहले ‘केंन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम’ को ‘केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और नमक अधिनियम’ के रूप में जाना जाता था. मार्च 2017 में इसका नाम परिवर्तित करके सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (CBEC) रख दिया गया था.

24 फरवरी 2024: संत गुरु रविदास की जयंती

प्रत्येक वर्ष  माघ माह की पूर्णिमा को संत  गुरु रविदास की जयंती मनाई जाती है. इस वर्ष यानि 2024 में उनकी जयंती 24 फरवरी को मनाई गयी. उनका जन्म माघ माह की पूर्णिमा तिथि को वर्ष 1398 में उत्तर प्रदेश के काशी में हुआ था. जिस दिन रविदास जी का जन्म हुआ था उस दिन रविवार था. इसी के चलते इनका नाम रविदास पड़ा.

संत गुरु रविदास: एक दृष्टि

  • संत रविदास बहुत ही सरल हृदय के थे और दुनिया का आडंबर छोड़कर हृदय की पवित्रता पर बल देते थे. इस बारे में उनकी एक कहावत – “जो मन चंगा तो कठौती में गंगा” काफी प्रचलित है.
  • भगवान कृष्ण की परमभक्त मीराबाई के गुरु संत रविदास थे. मीराबाई संत रविदास से ही प्रेरणा ली थी और भक्तिमार्ग अपनाया था.
  • संत रविदास जात-पात के विरोधी थे. इस सन्दर्भ में उनकी दोहा “जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात, रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात.” प्रचलित है.
  • सिख धर्म पर भी संत रविदास का विशेष प्रभाव है. उनकी चालीस कविताओं को सिख धर्म के आदि ग्रंथ में शामिल किया गया है.

21 फरवरी: अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य भाषायी और सांस्कृतिक विविधता को प्रोत्साहित करना है.

इस वर्ष यानी 2024 के अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का मुख्य विषय (थीम) ‘बहुभाषी शिक्षा अंतर-पीढ़ीगत शिक्षा का एक स्तंभ है’ (Multilingual education is a pillar of intergenerational learning) है.

संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मनाये जाने की स्वीकृति 17 नवम्बर 1999 को दी थी.

21 फरवरी, 1952 को ढाका में कई छात्रों ने ‘बांग्ला’ को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग को लेकर आंदोलन में पुलिस की गोलियों से शहादत हासिल की थी. संयुक्त राष्ट्र ने इसकी स्मृति में प्रतिवर्ष इस दिन दिवस मनाने का निर्णय किया. बांग्लादेश में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है.

20 फरवरी: विश्व सामाजिक न्याय दिवस

प्रत्येक वर्ष 20 फरवरी को विश्व भर में ‘सामाजिक न्याय दिवस’ (World Day of Social Justice) मनाया जाता है. इस अवसर पर विभिन्न संगठनों, जैसे- संयुक्त राष्ट्र एवं अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा लोगों से सामाजिक न्याय हेतु अपील जारी की जाती है.

इस वर्ष 2024 में विश्व सामाजिक न्याय दिवस की थीम ‘सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए असमानताओं की खाई को पाटना’ (Closing the Inequalities Gap to Achieve Social Justice) है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2007 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गयी थी. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सामाजिक न्याय का अर्थ है लिंग, आयु, धर्म, अक्षमता तथा संस्कृति की भावना को भूलकर समान समाज की स्थापना करना.

20 फरवरी: अरूणाचल प्रदेश और मिजोरम का स्‍थापना दिवस

प्रत्येक वर्ष 20 फरवरी को अरूणाचल प्रदेश और मिजोरम का स्‍थापना दिवस (Arunachal Pradesh and Mizoram Statehood Day) मनाया जाता है. अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम को 1987 में आज ही के दिन राज्य का दर्जा मिला था. इस वर्ष यानी 2024 में 38वां स्थापना दिवस मनाया गया.

अरुणाचल प्रदेश

  • अरुणाचल प्रदेश 20 फ़रवरी, 1987 को भारतीय संघ का 24वां राज्य बना था. 1972 तक, इसे नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) के नाम से जाना जाता था.
  • सन 1972 में इसे प्रदेश को केंद्र शासित राज्य बनाया गया था और इसका नाम ‘अरुणाचल प्रदेश’ किया गया था. केंद्रशासित प्रदेश अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा दिए जाने के लिए 55वां संविधान संशोधन किया गया था.
  • अरुणाचल प्रदेश भारत गणराज्य का एक उत्तर पूर्वी राज्य है. ‘अरुणाचल’ का अर्थ हिन्दी में शाब्दिक अर्थ है ‘उगते सूर्य की भूमि’ (अरुण+अचल). ईटानगर राज्य की राजधानी है. अरुणाचल प्रदेश की मुख्य भाषा हिन्दी और असमिया है.
  • प्रदेश की सीमाएँ दक्षिण में असम दक्षिण-पूर्व मे नागालैंड पूर्व में म्यांमार, पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत से मिलती हैं. भौगोलिक दृष्टि से पूर्वोत्तर के राज्यों में यह सबसे बड़ा राज्य है.

मिज़ोरम

  • मिज़ोरम 1987 को भारत का 23वां राज्य बना था. 1972 में पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम लागू होने पर मिजोरम केंद्रशासित प्रदेश बना था. केंद्रशासित प्रदेश बनने से पहले तक यह असम का एक जिला था.
  • भारत सरकार और मिज़ो नेशनल फ्रंट के बीच 1986 में हुए ऐतिहासिक समझौते के फलस्वरूप 20 फरवरी, 1987 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया. इसके लिए 53वां संविधान संशोधन किया गया था.
  • मिज़ोरम भारत का एक उत्तर-पूर्वी राज्य है. मिजोरम में साक्षरता का दर भारत में सबसे अधिक 91.03% है. यहाँ की राजधानी आईजोल है.
  • पूर्व और दक्षिण में म्यांमार और पश्चिम में बांग्लादेश के बीच स्थित होने के कारण भारत के पूर्वोत्तर कोने में मिजोरम सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण राज्य है.