विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation), प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को ‘विश्व श्रवण दिवस’ (World Hearing Day) मनाया जाता है. इस दिवस पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जागरूकता अभियान चलाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य कान की सुरक्षा और बधीरता से बचाव के लिए जागरूकता फैलाना है.
इस वर्ष यानी 2021 में विश्व श्रवण दिवस का विषय ‘जीवन भर सुनने के लिए ध्यान से सुनें’ (To hear for life, listen with care) है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2022-03-03 20:26:492022-03-06 20:30:433 मार्च: विश्व श्रवण दिवस
प्रत्येक वर्ष फरवरी माह के अंतिम दिन को ‘विश्व दुर्लभ रोग दिवस’ (World Rare Disease Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दुर्लभ बीमारी के प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाना जिनके बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं होती. ऐसा इसलिए है क्योंकि ये बीमारियां बहुत कम लोगों को होती हैं.
विश्व दुर्लभ रोग दिवस 2022 का थीम- ‘दुर्लभ बीमारियों में एक साथ अनुभव साझा करना’ (Sharing Experiences in Rare Diseases Together) है.
दुर्लभ रोग दिवस को पहली बार यूरोपीय आर्गेनाईजेशन फॉर रेयर डिसीज (EURORDIS) और इसकी काउंसिल ऑफ नेशनल अलायन्स द्वारा 2008 में लॉन्च किया गया था.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार इस समय दुनिया में लगभग 7000 ऐसे रोग हैं जिन्हें दुर्लभ माना जाता है. इनमें कुछ जाने-माने नाम हैं: सिस्टिक फाइब्रोसिस, जो श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है. हटिन्गटन्स डिजीज, जो ब्रेन और नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है. मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी, जो मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं.
इंडियन सोसायटी फॉर क्लीनिकल रिसर्च (ISCR) के मुताबिक, भारत में 70 मिलियन और दुनिया भर में 350 मिलियन लोग दुर्लभ बीमारियों के शिकार हैं. 6,000 से ज्यादा अलग-अलग तरह के दुर्लभ और आनुवंशिक रोग (Genetic Diseases) हैं.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2022-02-28 18:30:232022-03-06 18:38:55फरवरी माह का अंतिम दिन: विश्व दुर्लभ रोग दिवस
प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों के जीवन में विज्ञान के महत्व के प्रति जागरुकता फैलाना और विज्ञान व प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाना है. यह दिवस रमन प्रभाव की खोज की स्मृति में मनाया जाता है. सर सीवी रमन ने 1928 में इसी दिन रमन प्रभाव की खोज की घोषणा की थी
इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मुख्य विषय- ‘सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण’ (Integrated Approach in science and technology for Sustainable Future) है.
भारत सरकार ने 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी. पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी 1987 को मनाया गया था.
रमन प्रभाव की खोज की स्मृति में मनाया जाता है
यह दिवस रमन प्रभाव की खोज की स्मृति में मनाया जाता है. भारतीय वैज्ञानिक सर चन्द्रशेखर वेंकटारमन ने 1928 में इसी दिन रमन प्रभाव की खोज की घोषणा की थी.
सीवी रमन ने फोटॉन कणों के लचीले वितरण के अद्वीतीय घटना की खोज की थी जिसे बाद में ‘रमन प्रभाव’ के नाम से जाना गया. इस खोज के दो वर्ष बाद ही 1930 में सीवी रमन को उनकी इस बेहतरीन खोज के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया था. विज्ञान के क्षेत्र में किसी भारतीय को दिया जाने वाला ये पहला नोबल पुरस्कार था.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2022-02-28 18:22:422022-03-06 20:23:3128 फरवरी: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, रमन प्रभाव की खोज की स्मृति में मनाया जाता है
27 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय प्रोटीन दिवस (National Protein Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस का उद्देश्य प्रोटीन की कमी के बारे में जागरूकता पैदा करना है. इस वर्ष प्रोटीन दिवस की थीम (खाद्य भविष्यवाद) ‘Food Futurism’ है.
राष्ट्रीय स्तर की सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल, ‘राइट टू प्रोटीन’ ने 27 फरवरी, 2020 को भारत में पहला ‘प्रोटीन दिवस’ मनाया था.
भारत में प्रोटीन की कमी कई लोगों को प्रभावित कर रहा है. प्रोटीन की आवश्यकता मांसपेशियों के निर्माण के लिए होती है. प्रोटीन त्वचा, बालों और नाखूनों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में भी मदद करता है. कई अध्ययनों ने साबित किया है कि उच्च प्रोटीन आहार से स्थायी वजन कम हो सकता है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2022-02-27 17:21:022022-02-28 08:52:1227 फरवरी: राष्ट्रीय प्रोटीन दिवस
प्रत्येक वर्ष 27 फरवरी को ‘विश्व NGO दिवस’ (World NGO Day) मनाया जाता है. NGO, Non-Governmental Organisation का संक्षिप्त रूप है.
विश्व NGO दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को NGO के अंदर सक्रिय रूप से शामिल होने और NGO तथा सार्वजनिक व निजी क्षेत्र दोनों के बीच अधिक सहजीवन को प्रोत्साहित करना है.
2010 में बाल्टिक सागर के राज्यों की काउंसिल के ‘NGO फोरम’ के 12 सदस्य राष्ट्रों द्वारा आधिकारिक रूप से इस दिवस को मान्यता दी थी. बाल्टिक सागर के NGO फोरम के सदस्य राष्ट्र बेलारूस, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, जर्मनी, आइसलैंड, लटविया, लिथूनिया, पोलैंड, रूस, नॉर्वे और स्वीडन थे.
संयुक्त राष्ट्र संघ, यूरोपीय संघ के नेताओं और अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों ने 2014 में पहली बार इसे दिवस के रूप में चिह्नित किया था.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2022-02-27 16:28:562022-02-28 08:53:0127 फरवरी: विश्व NGO दिवस
प्रत्येक वर्ष 24 फरवरी को केन्द्रीय उत्पाद शुल्क दिवस (Central Excise Day) मनाया जाता है. यह दिवस केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के अंतर्गत केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग द्वारा मनाया जाता है. यह दिवस 24 फ़रवरी, 1944 को केन्द्रीय उत्पाद शुल्क तथा नमक क़ानून लागू किए जाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य आम लोगों में उत्पाद शुल्क और सेवा शुल्क की अहमियत बताना है. देश का औद्योगिक विकास तभी संभव है जब देशवासी उत्पाद शुल्क उत्पाद कर भरते हैं, इसके प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत को समझते हुए यह दिन मनाया जाता है.
केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग
केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग 1855 में अंग्रेज़ों द्वारा स्थापित भारत के सबसे पुराने विभाग में से एक है. वर्ष 1996 से पहले ‘केंन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम’ को ‘केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और नमक अधिनियम’ के रूप में जाना जाता था. मार्च 2017 में इसका नाम परिवर्तित करके सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (CBEC) रख दिया गया था.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2022-02-24 23:05:322022-02-25 23:10:4824 फरवरी: केन्द्रीय उत्पाद शुल्क दिवस
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत 11 करोड किसानों को लगभग एक लाख 75 हजार करोड रूपये दिये गये हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2023 को अन्तर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया गया है.
रागी, ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाजो का लंबे समय से उपभोग होता आ रहा है. मोटे अनाज के महत्व को मान्यता देते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2018 को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया था, ताकि इनके उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा सके.
मोटे अनाज की घरेलू और वैश्विक मांग पूरी करने तथा लोगों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित करने के प्रस्ताव का अभियान चलाया था. भारत के प्रस्ताव का 72 देशों ने समर्थन किया और मार्च 2021 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को मोटा अनाज अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2022-02-23 23:22:252022-02-25 23:33:19वर्ष 2023 को अन्तर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया गया है
प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य भाषायी और सांस्कृतिक विविधता को प्रोत्साहित करना है.
इस वर्ष यानी 2022 के अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का मुख्य विषय (थीम) ‘बहुभाषा सीखने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग में चुनौतियाँ और अवसर’ (Using technology for multilingual learning: Challenges and opportunities) है.
संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मनाये जाने की स्वीकृति 17 नवम्बर 1999 को दी थी.
21 फरवरी, 1952 को ढाका में कई छात्रों ने ‘बांग्ला’ को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग को लेकर आंदोलन में पुलिस की गोलियों से शहादत हासिल की थी. संयुक्त राष्ट्र ने इसकी स्मृति में प्रतिवर्ष इस दिन दिवस मनाने का निर्णय किया. बांग्लादेश में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है.
प्रत्येक वर्ष 20 फरवरी को विश्व भर में ‘सामाजिक न्याय दिवस’ (World Day of Social Justice) मनाया जाता है. इस अवसर पर विभिन्न संगठनों, जैसे- संयुक्त राष्ट्र एवं अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा लोगों से सामाजिक न्याय हेतु अपील जारी की जाती है.
इस वर्ष 2022 में विश्व सामाजिक न्याय दिवस की थीम ‘औपचारिक रोजगार के माध्यम से सामाजिक न्याय प्राप्त करना’ (Achieving Social Justice through Formal Employment) है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2007 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गयी थी. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सामाजिक न्याय का अर्थ है लिंग, आयु, धर्म, अक्षमता तथा संस्कृति की भावना को भूलकर समान समाज की स्थापना करना.
वर्ष 2021 में इस दिवस का मुख्य विषय (थीम) ‘A Call for Social Justice in the Digital Economy’ है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2022-02-20 18:26:042022-02-21 08:30:3820 फरवरी: विश्व सामाजिक न्याय दिवस
प्रत्येक वर्ष 20 फरवरी को अरूणाचल प्रदेश और मिजोरम का स्थापना दिवस (Arunachal Pradesh and Mizoram Statehood Day) मनाया जाता है. अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम को 1987 में आज ही के दिन राज्य का दर्जा मिला था. इस वर्ष यानी 2022 में 36वां स्थापना दिवस मनाया गया.
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश 20 फ़रवरी, 1987 को भारतीय संघ का 24वां राज्य बना था. 1972 तक, इसे नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) के नाम से जाना जाता था.
सन 1972 में इसे प्रदेश को केंद्र शासित राज्य बनाया गया था और इसका नाम ‘अरुणाचल प्रदेश’ किया गया था. केंद्रशासित प्रदेश अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा दिए जाने के लिए 55वां संविधान संशोधन किया गया था.
अरुणाचल प्रदेश भारत गणराज्य का एक उत्तर पूर्वी राज्य है. ‘अरुणाचल’ का अर्थ हिन्दी में शाब्दिक अर्थ है ‘उगते सूर्य की भूमि’ (अरुण+अचल). ईटानगर राज्य की राजधानी है. अरुणाचल प्रदेश की मुख्य भाषा हिन्दी और असमिया है.
प्रदेश की सीमाएँ दक्षिण में असम दक्षिण-पूर्व मे नागालैंड पूर्व में म्यांमार, पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत से मिलती हैं. भौगोलिक दृष्टि से पूर्वोत्तर के राज्यों में यह सबसे बड़ा राज्य है.
मिज़ोरम
मिज़ोरम 1987 को भारत का 23वां राज्य बना था. 1972 में पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम लागू होने पर मिजोरम केंद्रशासित प्रदेश बना था. केंद्रशासित प्रदेश बनने से पहले तक यह असम का एक जिला था.
भारत सरकार और मिज़ो नेशनल फ्रंट के बीच 1986 में हुए ऐतिहासिक समझौते के फलस्वरूप 20 फरवरी, 1987 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया. इसके लिए 53वां संविधान संशोधन किया गया था.
मिज़ोरम भारत का एक उत्तर-पूर्वी राज्य है. मिजोरम में साक्षरता का दर भारत में सबसे अधिक 91.03% है. यहाँ की राजधानी आईजोल है.
पूर्व और दक्षिण में म्यांमार और पश्चिम में बांग्लादेश के बीच स्थित होने के कारण भारत के पूर्वोत्तर कोने में मिजोरम सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण राज्य है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2022-02-20 14:10:242022-02-21 08:23:2220 फरवरी: अरूणाचल प्रदेश और मिजोरम का स्थापना दिवस
19 फरवरी 2021 को छत्रपति शिवाजी महाराज की 392वीं जयंती मनाई गयी. 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में उन्का जन्म हुआ था. छत्रपति शिवाजी को एक कुशल रणनीतिकार और निपुण प्रशासक के रूप में याद किया जाता है.
छत्रपति शिवाजी: एक दृष्टि
छत्रपति शिवाजी महाराज ने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी.
उन्होंने शक्तिशाली आदिलशाही, निजामशाही और मुगल सरदारों को पराजित करके अपना साम्राज्य बनाया.
उन्होंने दक्कन में हिंदू राज्य की स्थापना की थी, जो कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया.
1674 ई. में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और वे छत्रपति बन गये.
शिवाजी ने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये और गुरिल्ला वॉर की नयी शैली विकसित की.
उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनीतिक प्रथाओं को पुनर्जीवित किया और फारसी के स्थान पर मराठी और संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया.
3 अप्रैल 1680 को महज 50 साल की उम्र में वीर छत्रपति शिवाजी महाराज ने लंबी बीमारी के बाद अंतिम सांस ली.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2022-02-19 19:21:472022-02-20 13:29:2819 फरवरी 2022: छत्रपति शिवाजी महाराज की 392वीं जयंती मनाई गयी
19 फरवरी को देशभर में ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस’ (Soil Health Card Day) मनाया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 फरवरी 2015 को राजस्थान के हनुमानगढ से मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का शुभारंभ किया था. साइल कार्ड योजना में मिट्टी में कम हो रहे पोषक तत्वों की समस्या पर फोकस किया जाता है.
मृदा स्वास्थ्य कार्ड: एक दृष्टि
इस योजना का उद्देश्य प्रत्येक दो वर्ष में किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना है ताकि मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी दूर करने के उपाय किये जा सकें. इसके अलावा, मृदा उपचार के उपाय भी इस कार्ड के माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं.
देश में अब तक, किसानों को 23 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं. देश भर में 11 हजार 500 से अधिक नई मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं को चालू किया गया है
राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद् द्वारा किये गये एक अध्ययन के अनुसार देश में मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) के उपयोग से उर्वरक के उपयोग में 10% की कमी आई है. इस अध्ययन से यह भी ज्ञात हुआ है कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड के कारण उत्पादकता में 5-6% की वृद्धि हुई है.