स्‍वीडन नैटो का 32वां सदस्‍य बना, जानिए क्या है NATO

स्वीडन आधिकारिक तौर पर 7 मार्च 2024 को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन ‘नाटो’ (NATO) का 32वां सदस्य बन गया. फरवरी 2022 में फिनलैंड और स्‍वीडन ने नैटो सैन्‍य गठबंधन में शामिल होने के लिए आवेदन किया था. फिनलैंड को आधिकारिक तौर पर 4 अप्रैल 2023 को ही नैटो के 31वें सदस्य के रूप में शामिल कर लिया गया था. तुर्की और हंगरी की आपत्तियों के कारण स्वीडन को सदस्यता देने की प्रक्रिया में देरी हुई.

मुख्य बिन्दु

  • फिनलैंड और स्‍वीडन के नैटो में शामिल होने को रूस के लिए एक रणनीतिक और राजनीतिक झटके के तौर पर देखा जा रहा है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन लंबे समय से रूस की ओर नाटो के विस्तार का विरोध करता रहा है.
  • रूस ने फिनलैंड द्वारा नाटो की सदस्यता ग्रहण करने को लेकर कहा था कि उसने रूस को ‘प्रतिशोधी उपाय’ करने के लिए मजबूर किया है.
  • स्वीडन पिछले करीब 20 से अधिक सालों से नाटो सैन्य संगठन से परहेज करता रहा था. स्‍वीडन के प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘एकता और एकजुटता’ स्‍वीडन के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत बना रहेगा.

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) क्या है?

नाटो या NATO, North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) का संक्षिप्त रूप है. यह 30 यूरोपीय और उत्तरी अमरीकी देशों का एक सैन्य गठबन्धन है जो रूसी आक्रमण के खिलाफ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में बनाया गया था. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है. नाटो सदस्य देशों ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत बाहरी हमले की स्थिति में सदस्य देश सहयोग करते हैं.

नाटो के सदस्य देश

मूल रूप से नाटो में 12 सदस्य (फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका) थे जो अब बढ़कर 32 हो गए हैं.

नाटो के अन्य सदस्य देश: ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया, अल्बानिया और क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो और उत्तर मैसेडोनिया (2020 30वां सदस्य बना था).

भारत और अमरीका के बीच पांचवां ‘टू प्‍लस टू’ संवाद आयोजित किया गया

भारत और अमरीका के बीच पांचवां 2+2 (टू प्‍लस टू) मंत्रि‍स्‍तरीय संवाद 10 नवंबर को नई दिल्‍ली आयोजित किया गया था. इस संवाद में भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर ने भाग लिया था. अमरीका का प्रतिनिधित्व वहाँ के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने किया था.

पांचवां टू-प्लस-टू मंत्रि‍स्‍तरीय संवाद: मुख्य बिन्दु

  • संवाद के दौरान रक्षा और सुरक्षा सहयोग, प्रौद्योगिकी सहयोग तथा दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क बढाने में भी हुई प्रगति की समीक्षा की गई.
  • इस वर्ष जून और सितंबर में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच हुई बातचीत के अनुरूप भारत-अमरीका साझेदारी को आगे बढाने के उपायों पर विचार-विमर्श हुआ.
  • दोनों देश सामरिक क्षेत्रीय मुद्दों की समीक्षा किए और बहुपक्षीय मंचों और क्‍वाड जैसे ढांचे के माध्यम से सहयोग बढाने की प्राथमिकताएं साझा किए.

भारत-अमरीका टू-प्लस-टू वार्ता: एक दृष्टि

  • भारत-अमरीका टू-प्लस-टू वार्ता में दोनों देशों के दो-दो मंत्री (विदेश और रक्षा) और उनके प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेते हैं.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प की स्वीकृति के बाद पहली टू-प्लस-टू वार्ता सितंबर 2018 में नई दिल्ली में हुई थी. इस वार्ता में दोनों देशों के बीच विदेश नीति और रक्षा के क्षेत्रों में बहुत प्रगति हुई थी.
  • यह वार्ता बैठक दोनों देशों के बीच उच्चतम स्तर का संस्थागत तंत्र है जो विदेश नीति, रक्षा और रणनीतिक मुद्दों पर दोनों के विचारों को एक साथ लाता है.
  • टू-प्लस-टू संवाद के माध्यम से भारत-अमरीका वैश्विक रणनीतिक भागीदारी और मजबूत हो रही है.

बहुराष्ट्रीय सेनाओं का अभ्यास खान क्वेस्ट मंगोलिया में आयोजित किया गया

बहुराष्ट्रीय सेनाओं का अभ्यास ‘खान क्वेस्ट 2022’ (Ex Khaan Quest 2022) मंगोलिया में 6 जून से 19 जून तक आयोजित किया गया था. इस सैन्य अभ्यास से भारत सहित 16 देशों की सेनाओं ने हिस्सा लिया था.

मुख्य बिंदु

  • मंगोलिया के राष्ट्रपति उखना खुरेलसुख ने इस अभ्यास का उद्घाटन किया था. इस अभ्यास में भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व लद्दाख स्काउट्स ने किया.
  • इस अभ्यास का उद्देश्य सभी देशों की सेनाओं के बीच तालमेल बढाना, सेनाओं के स्तर पर संबंधों को मजबूत बनाना और शांति अभियानों के दौरान सैन्य तैयारी में सहयोग करना है.
  • एक्स खान-क्वेस्ट एक बहुराष्ट्रीय शांति रक्षा अभियान अभ्यास है. इसमें एक संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन कमांड पोस्ट अभ्यास शामिल है.

अनवर हुसैन को WTO की समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया

भारतीय प्रतिनिधि अनवर हुसैन शेख को विश्व व्यापार संगठन (WTO ) में तकनीकी बाधाओं की समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. वह दस साल बाद समिति की अध्यक्षता करने वाले भारतीय प्रतिनिधि हैं. वह मेक्सिको की एलिसा मारिया ओल्मेडा डी एलेजांद्रो का स्थान लेंगे.

विश्व व्यापार संगठन की परिषदें और समिति आधिकारिक तौर पर अपने स्वयं के अध्यक्ष का चुनाव करती हैं. WTO के सदस्य 23 मई, 2022 को 14 सहायक निकायों के अध्यक्षों के नामों की सूची पर अनौपचारिक सहमति पर पहुंचे.

विश्व व्यापार संगठन: एक दृष्टि

विश्व व्यापार संगठन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों से संबंधित वैश्विक संगठन है. यह वैश्विक निर्यात और आयात के लिए नियम तैयार करता है और व्यापार से संबंधित मुद्दों पर देशों के बीच विवादों पर निर्णय लेता है. भारत सहित 164 देश इसके सदस्य हैं. भारत 1995 से इसका सदस्य है.

अमरीका ने समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा का शुभारम्‍भ किया

अमरीका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन ने समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा (IPEF) का शुभारम्‍भ किया है. इसका शुभारम्भ क्वाड शिखर सम्मेलन 2022 के दौरान 24 मई को किया गया. यह सम्मेलन जापान के तोक्यो में आयोजित किया गया था.

मुख्य बिंदु

  • आरम्भ में इस आर्थिक रूपरेखा में अमरीका के अलावा 12 अन्‍य देश – भारत, ऑस्‍ट्रेलिया, जापान, ब्रनेई, इंडोनेशिया, कोरिया, मलेशिया, न्‍यूजीलैंड, फिलीपिंस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं. ये देश विश्‍व के सकल घरेलू उत्पाद के चालीस प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं.
  • IPEF का उद्देश्‍य हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo Pacific Region) में आने वाले दशकों में प्रौद्योगिकी नवाचार और वैश्विक अर्थव्यवस्था के संबंधों को मजबूत करना और इस क्षेत्र में चीन के आक्रामक विस्तार का मुकाबला करना है.
  • भारत के दक्षिण में समुद्री क्षेत्र से लेकर ऑस्ट्रेलिया से आगे तक का विशाल जलक्षेत्र बिजनस और अर्थव्यवस्था के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. इसे ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र कहते हैं.
  • यह सीधे तौर पर अमेरिका की पहल है. IPEF में 12 देश अमेरिका के साथ जिनमें 7 आसियान देश हैं, लेकिन कंबोडिया, लाओस जैसे देश इससे दूर रहे जिन्हें चीन का करीबी माना जाता है. अमेरिका ने फिलहाल ताइवान को IPEF से दूर रखा है.
  • IPEF के माध्यम से अमेरिका, सीधे तौर पर चीन को चुनौती देना चाहता है. दरअसल, चीन सहित 15 सदस्य देश रीजनल कंप्रेहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) व्यापर समझौता में शामिल है. इसमें जापान और दक्षिण कोरिया और 10 एशियाई देश हैं. हालांकि अमेरिका ने साफ किया है कि यह पहल कोई मुक्त व्यापर समझौता नहीं है और न ही सुरक्षा व्यवस्था है.

भारत को 2022-24 के लिए AAEA के अध्यक्ष के रूप में चुना गया

भारत को 2022-24 के लिए एसोसिएशन ऑफ एशियन इलेक्शन अथॉरिटीज (AAEA) के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है. AAEA का वर्तमान अध्यक्ष देश मनीला है.

मुख्य बिंदु

  • भारत को AAEA के कार्यकारी बोर्ड और महासभा की बैठक में सर्वसम्मति से इसका अध्यक्ष चुना गया था. यह बैठक 7 मई को फिलीपींस के मनीला में हुई थी. इस बैठक में भारत के चुनाव आयोग (ECI) के 3 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया था. इसकी अध्यक्षता उप चुनाव आयुक्त नितेश व्यास ने की.
  • AAEA (एसोसिएशन ऑफ एशियन इलेक्शन अथॉरिटीज) की स्थापना 1998 में हुई थी. यह एक गैर-पक्षपातपूर्ण मंच है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को बढ़ावा देने और शासन और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए विभिन्न देशों के चुनाव अधिकारियों के बीच समन्वय करने वाली संस्था है. भारत का चुनाव आयोग (ECI), AAEA के चुनाव प्रबंधन निकाय (EMB) का संस्थापक सदस्य है.

भारत ने UN में हिन्दी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने के आठ लाख डॉलर का योगदान दिया

भारत ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में हिन्दी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों को जारी रखने के लिए आठ लाख अमेरिकी डॉलर का सहयोग दिया है.

भारत के स्थायीय उप प्रतिनिधि आर रविंद्र ने इस राशि का चेक संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक संप्रेषण विभाग की उपनिदेशक और प्रभारी अधिकारी मीता होसाली को सौंपा.

हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए UN द्वारा किये जा रहे प्रयास

  • संयुक्त राष्ट्र (UN) हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास कर रहा है. इस प्रयास के तहत संयुक्त राष्ट्र के जन सूचना विभाग के सहयोग से वर्ष 2018 में ‘हिन्दी @संयुक्त राष्ट्र’ परियोजना की शुरुआत की गई थी, जिसका मकसद हिन्दी भाषा में संयुक्त राष्ट्र की लोगों तक पहुंच को बढ़ावा देना है.
  • इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र वैश्विक संप्रेषण विभाग (डीजीसी) में भारत वर्ष 2018 से साझीदार है. डीजीसी के मुख्य धारा के समाचार और मल्टीमीडिया सामग्री का प्रसारण हिन्दी में करने के लिए अतिरिक्त बजटीय सहायता मुहैया कराता है.
  • वर्ष 2018 से हिन्दी में संयुक्त राष्ट्र की खबर संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट और ट्विटर, इंस्टाग्राम तथा फेसबुक पर मौजूद इसके सोशल मीडिया हैंडल पर प्रसारित की जाती है.
  • ‘संयुक्त राष्ट्र न्यूज-हिन्दी’ ऑडियो बुलेटिन का प्रसारण हर सप्ताह किया जाता है. संयुक्त राष्ट्र हिन्दी न्यूज वेबसाइट पर इसका वेब लिंक मौजूद है.

अमरीका अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में सदस्य देश के रूप में शामिल हुआ

अमरीका अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में सदस्य देश के रूप में शामिल हो गया है. वह इस गठबंधन की रूपरेखा संधि पर हस्ताक्षर करने वाला 101वां देश है. अमरीकी राष्ट्रपति के विशेष जलवायु दूत जॉन केरी ने 10 नवम्बर को ग्लासगो में 26वें जलवायु परिवर्तन संधि में शामिल देशों के सम्मेलन (UNFCCC COP26) में अमरीका के इस निर्णय की घोषणा की.

सौर गठबंधन का उद्देश्य सौर ऊर्जा को प्रमुख वैश्विक ऊर्जा स्रोत बनाना है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने नवंबर 2015 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन संधि में शामिल देशों के 21वें सम्मेलन (UNFCCC COP21) में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की घोषणा की थी.

यह गठबंधन सौर ऊर्जा की कुशल खपत के लिए काम करने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है.

जानिए क्या है अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन…»

चीन ने ‘शेनझू-13’ अंतरिक्ष यान से तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष स्टेशन भेजा

चीन का अंतरिक्ष यान ‘शेनझू-13’ तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अपने साथ लेकर गया है. इस दल में दो अनुभवी अंतरिक्ष यात्री झाई झिगांग 55 वर्ष व वांग यापिंग 41 शामिल हैं. इसके अलावा एक महिला अंतरिक्ष यात्री ये गुआंगफू भी इस मिशन का हिस्सा हैं.

अंतरिक्ष स्टेशन ‘तियान’ के काम को पूरा करेगा

चीन ने 16 अक्तूबर को शेनझू-13 अन्तरिक्ष मिशन को लांच किया था. चीन अपना खुद का स्पेस स्टेशन ‘तियान’ अंतरिक्ष में स्थापित कर रहा है. इस मिशन का उद्देश्य इस चीनी स्पेस स्टेशन के काम को पूरा करना और अगले छह महीने तक ऑपरेट करना है. नए मिशन के तहत चीन ने शेनझू-13 अंतरिक्ष यान को लांग मार्च-2 से रवाना किया है.

सबसे लंबे समय का रिकॉर्ड

चीन के इस मिशन का उद्देश्य सबसे लंबा समय अंतरिक्ष में बिताने का रिकॉर्ड बनाने का भी है. इससे पहले चीन ने तीन महीने के लिए तीन अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन भेजा था, जो हाल ही में पृथ्वी पर लौटे हैं. इस बार चीन ने छह महीने के लिए इस मिशन को लांच किया है.

भारत के सहयोग से नेपाल में दूसरी सबसे बड़ी परियोजना शुरू की गयी

नेपाल ने अपने पूर्वी हिस्से में 679 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना के विकास के लिए भारत की सतलज जल विद्युत निगम (SJVN) के साथ 1.3 अरब डॉलर का समझौता किया है. यह भारत द्वारा शुरू किया गया दूसरा बड़ा उद्यम होगा.

इस परियोजना में कुल 679 मेगावाट क्षमता वाली लोवर अरुण जलविद्युत परियोजना भारत द्वारा शुरू की गई दूसरी बड़ी परियोजना है.

इससे पहले भारत ने 1.04 अरब अमेरिकी डॉलर लागत वाली 900 मेगावाट क्षमता की अरुण-3 जलविद्युत परियोजना शुरू की थी. इस परियोजना को बनाओ, रखो, चलाओ और सौंपो (BOOT) मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा.

बांग्लादेश ने भूटान के साथ अपना पहला तरजीही व्यापार समझौता किया

बांग्लादेश ने अपना पहला तरजीही व्‍यापार समझौता भूटान के साथ किया है. बांग्लादेश के वाणिज्‍य मंत्री टीपू मुंशी और भूटान के आर्थिक मामलों के मंत्री ल्‍यानपो लोकनाथ शर्मा ने 6 दिसम्बर को ढाका में इस समझौते पर हस्‍ताक्षर किये गये.

तरजीही व्‍यापार समझौते के अनुसार दोनों देश एक दूसरे को अनेक वस्‍तुओं का शुल्‍क-मुक्‍त आयात कर सकेंगे. इसके अनुसार भूटान बांग्लादेश की 100 वस्‍तुएं बिना सीमाशुल्‍क के आयात कर सकेगा. भूटान की 34 वस्तुओं को बांग्लादेश में बिना सीमाशुल्‍क निर्यात किया जा सकेगा.

यह समझौता दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध कायम होने के 50 साल पूरे होने के अवसर पर किये गये हैं. 1971 में बांग्लादेश के गठन के बाद उसे सबसे पहले मान्‍यता देने वाला देश भूटान ही था. उसके बाद भारत ने बांग्लादेश को स्‍वतंत्र देश के रूप में मान्‍यता प्रदान की थी.

तरजीही व्यापार समझौता क्या है?

तरजीही व्यापार समझौते के तहत दो देश वस्तुओं पर आयात को शुल्क मुक्त या काफी कम कर देते हैं.

भारत को अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के संचालक मंडल की अध्यक्षता मिली

भारत को अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के संचालक मंडल की अध्यक्षता मिली है. श्रम सचिव अपूर्व चंद्र को ILO के संचालक मंडल के अध्यक्ष के लिए चुना गया है. वह इस पद पर अक्टूबर 2020 से जून 2021 तक रहेंगे. 35 साल बाद भारत को ILO के संचालक मंडल की अध्यक्षता मिली है.

अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) क्या है?

अंतर्राष्‍ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization) संयुक्‍त राष्‍ट्र की एजेंसी है. यह अन्तर्राष्ट्रीय श्रम मानक तय करती है. यह संगठन अंतरराष्ट्रीय आधारों पर मजदूरों तथा श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए नियम बनाता है. 1969 में इसे विश्व शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

संचालक मंडल ILO का शीर्ष कार्यकारी निकाय है. यह निकाय नीतियों, कार्यक्रमों, एजेंडा, बजट और महानिदेशकों का चुनाव करती है. वर्तमान में ILO के 187 सदस्य हैं. ILO का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है.