यूरोपीय संघ-भारत व्यापार और प्रौद्योगिक परिषद के गठन का निर्णय

भारत और यूरोपीय संघ (EU) ने व्यापार और प्रौद्योगिक परिषद (India-EU Trade and Technology Council) के गठन का निर्णय लिया है. यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की यात्रा पर आयीं यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच हुई 25 अप्रैल को हुई वार्ता में लिया गया था. यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष को इस साल के रायसीना डायलॉग के लिए मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था.

मुख्य बिंदु’

  • यह ऐसी रणनीतिक व्‍यवस्‍था है जो व्यापार, विश्वसनीय टेक्‍नोलॉजी और सुरक्षा की मिलीजुली चुनौतियों से निपटने में मदद करेगी.
  • दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि तेजी से बदलते भू-राजनीतिक माहौल के मद्देनजर संयुक्त और विस्तृत सामरिक सहयोग की आवश्यकता है.
  • व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद राजनीतिक मार्ग के साथ ही राजनीतिक फैसलों के क्रियान्वयन के लिए एक आवश्यक प्रारूप प्रदान करेगा.
  • यह तकनीकी काम में सहयोग करेगा तथा यूरोपीय और भारतीय अर्थव्यवस्थाओं की टिकाऊ प्रगति के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में क्रियान्वयन और प्रगति सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक स्तर पर रिपोर्ट करेगा.
  • व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद स्थापित करने का फैसला भारत के लिए पहला और यूरोपीय संघ के लिए दूसरा होगा. यूरोपी संघ ने अमेरिका के साथ इस प्रकार की एक परिषद की स्थापना की है.

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भारत यात्रा पर, रूस के बाद भारत का दूसरा बड़ा रक्षा सहयोगी बनेगा ब्रिटेन

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन 21-22 अप्रैल को दो दिन की भारत यात्रा पर थे. प्रधानमंत्री के रूप में यह उनकी पहली भारत यात्रा थी. इस यात्रा के दौरान श्री जॉनसन ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी. इससे पहले उन्होंने गुजरात का दौरा कर कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था.

भारत और ब्रिटेन के बीच छह समझौतों पर हस्‍ताक्षर हुए हैं. इनमें से दो सरकारी और चार गैर सरकारी समझौते हैं. प्रधामनंत्री नरेन्‍द्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के बीच द्विपक्षीय बातचीत के बाद इन समझौतों पर हस्‍ताक्षर हुए. दोनों नेताओं ने रक्षा समझौतों, विशेषकर अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी के संयुक्त विकास और संयुक्त उत्पादन पर विस्तृत चर्चा की.

भारत-ब्रिटेन संयुक्त रक्षा सहयोग समझौता: एक दृष्टि

  • दोनों देशों द्वारा जारी संयुक्त बयान के अनुसार, ब्रिटेन का रक्षा विज्ञान एवं तकनीक प्रयोगशाला तथा भारत का DRDO मिलकर रक्षा तकनीकों के विकास के लिए शोध करेंगे और उभरती सैन्य तकनीकें विकसित करेंगे. दोनों देश संयुक्त रूप से उनका उत्पादन भी करेंगे, जिससे दोनों देशों के सशस्त्र बलों की जरूरतें पूरी होंगी.
  • इसमें इलेक्ट्रिक प्रपल्सन को लेकर ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप बनाने की भी बात कही गई है. यह तकनीक नौसेना के पोतों एवं पनडुब्बियों के निर्माण के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
  • दोनों देश समग्र रणनीतिक साझेदारी के लिए उभरती तकनीकें विकसित करने के अलावा आधुनिक लड़ाकू विमानों, जेट इंजन एडवांस्ड कोर टेक्नोलॉजी, रक्षा प्लेटफॉर्म, कल पुर्जे और अन्य कंपोनेंट बनाने के लिए भी काम करेंगे.
  • ब्रिटेन की तकनीक और निवेश से इन रक्षा सामानों का देश में निर्माण होगा तो इससे भारत की जरूरतें पूरी होंगी और उसे दूसरे देशों को निर्यात भी किया जा सकेगा.
  • ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने भारत के लिए रक्षा सामग्री को लेकर ओपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसेंस का भी ऐलान किया है. इससे भारत को प्रौद्यौगिकी से जुड़ने का मौका मिलेगा तथा वह ब्रिटेन के विमानों एवं पोतों के निर्माण कार्यक्रम में भी भाग ले सकेगा.

रूस के बाद ब्रिटेन दूसरा रक्षा सहयोगी देश बना

  • भारत और ब्रिटेन ने संयुक्त रूप से रक्षा उपकरणों पर शोध करने, उन्हें विकसित करने एवं उत्पादन करने पर सहमति जताई है. ब्रिटेन के साथ इस प्रकार के समझौते से भविष्य में वह रूस के बाद भारत का दूसरा बड़ा सहयोगी बन सकता है.
  • भारत के कई देशों के साथ रक्षा समझौते हैं लेकिन अभी तक संयुक्त रूस से रक्षा तकनीकों का उत्पादन भारत रूस के साथ मिलकर करता है. इनमें ब्रहमोस मिसाइल और इंडो रशियन राइफल लिमिटेड प्रमुख उपक्रम हैं.
  • यदि ब्रिटेन से हुआ समझौता आगे बढ़ता है तो भविष्य में इस प्रकार के उपक्रम भारत और ब्रिटेन द्वारा भी स्थापित किए जा सकते हैं.
  • यूनाइटेड किंगडम भारत के प्रमुख व्यापार साझेदारों में से एक है. 2019-20 में दोनों देशों के बीच व्यापार 15 दशमलव चार-पांच बिलियन डॉलर का रहा. मॉरिशस, सिंगापुर, नीदरलैंड, जापान और अमरीका के बाद, यूनाइटेड किंगडम भारत में छठा सबसे बड़ा निवेशकर्ता है.

भारत-अमरीका चौथी टू प्‍लस टू वार्ता, प्रधानमंत्री की अमरीकी राष्ट्रपति के साथ शिखर बैठक

भारत और अमरीका के बीच चौथी ‘टू प्‍लस टू वार्ता’ 11 अप्रैल को वाशिंगटन में हुई थी. इस वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्‍व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री डॉक्‍टर सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने जबकि अमरीका के विदेश मंत्री एंटनी ब्‍लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन अमरीकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था. इस वर्ष की टू-प्लस-टू मन्त्रिस्तरीय वार्ता दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हुई.

मुख्य बिंदु

  • इस वार्ता में दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय स्थिरता और कानून का शासन बढाने की प्रतिबद्धता दोहराई. भारत के खिलाफ आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने की कुछ देशों की नीति पर भी चर्चा हुई.
  • भारत के अंतरिक्ष विभाग और अमेरिका के रक्षा विभाग ने ‘स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस’ समझौता पूरा कर लिया है. डिफेंस स्पेस और डिफेंस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर भी समझौता हुआ है.
  • यूक्रेन में जारी संघर्ष और उससे उत्‍पन्‍न स्‍थि‍ति के बारे में बातचीत हुई. भारत बातचीत और कूटनीति का पक्षधर है तथा हिंसा तत्काल समाप्त करना चाहता है.
  • भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्‍यक ऊर्जा रूस से खरीदता है. डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत की एक महीने की खरीद यूरोप की एक दिन की खरीद से कम होगी.
  • भारत, अमरीका के महत्‍वपूर्ण रक्षा मंचों को हासिल करता रहेगा, क्योंकि अमरीका भार‍त को हिंद प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रक्षा उत्पादक देश मानता है.
  • सभी देश, विशेष रूप से रूस से जुडे देश रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर युद्ध समाप्त करने के लिए दबाव डालें. भारत को यूक्रेन चुनौती से निपटने के बारे में अपने फैसले खुद करने होंगे.

भारत-अमरीका के मन्त्रियों की टू-प्लस-टू वार्ता

भारत-अमरीका के मन्त्रियों की पहली टू-प्लस-टू वार्ता सितंबर 2018 में नई दिल्ली में हुई थी. उस समय अमरीका के तत्कालीन विदेश मंत्री माइकल पॉम्पियो और रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन के साथ बातचीत करने भारत आये थे.  उसके बाद से अब तक इस वार्ता के तीन दौर हो चुके हैं.

प्रधानमंत्री की अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ शिखर बैठक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति जो. बाइडेन ने 11 अप्रैल को बैठक की थी. यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई थी. यह शिखर बैठक भारत और अमरीका के विदेश और रक्षा मंत्रियों की ‘टू प्लस टू वार्ता’ से पहले हुई थी.

इस बैठक में दोनों नेताओं ने कोविड महामारी, वैश्विक आर्थिक बहाली, जलवायु गतिव‍िधि, दक्षिण एशिया और हिंद प्रशांत क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों और यूक्रेन की स्थिति जैसे कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्‍यापक विचार-विमर्श किया.

20वां भारत-फ्रांस द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास ‘वरुण-2022’  अरब सागर में आयोजित किया गया

भारत और फ्रांस की नौसेना के बीच द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास ‘वरुण-2022’ का आयोजन 30 मार्च से 03 अप्रैल, 2022 तक किया गया था. यह ‘वरुण’ अभ्यास का 20वां संस्करण था जिसका आयोजन अरब सागर में किया गया था.

निर्बाध समन्वय, युद्धाभ्यास का सटीक कार्यान्वयन और जटिल पनडुब्बी-रोधी युद्ध अभ्यासों का तय समय पर निष्पादन वरुण अभ्यास -2022 की विशेषता रही.

भारत-फ्रांस नौसेना अभ्यास ‘वरुण’: एक दृष्टि

  • दोनों नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास 1993 से आयोजित किया जा रहा है और इस अभ्यास को 2001 में ‘वरुण’ नाम दिया गया था.
  • वरुण-2022 अभ्यास में दोनों नौसेनाओं के विभिन्न जहाज, पनडुब्बी, समुद्री गश्ती विमान, लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर ने हिस्सा लिया था.

भारत और ऑस्ट्रेलिया ने आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये

भारत और ऑस्ट्रेलिया ने 2 मार्च को आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये. ये समझौते वाणिज्‍य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और भारत की यात्रा पर आये ऑस्ट्रेलिया के व्यापार, पर्यटन और निवेश मंत्री डैन टेन के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान किये गये.

मुख्य बिंदु

  • इस वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन भी वर्चुअल माध्‍यम से उपस्थित थे.
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि इस समझौते को बहुत कम समय में अंतिम रूप दिया गया है. इससे भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच आपसी विश्‍वास का पता चलता है.
  • ऑस्‍ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्‍कॉट मॉरीसन ने कहा कि भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच सहयोग में उल्‍लेखनीय प्रगति हुई है. इस समझौते से कई क्षेत्रों में दोनों देशों के लिए आर्थिक साझेदारी के लिए नये रास्‍ते खुलेंगे.
  • श्री पीयूष गोयल ने इस दिन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच वस्‍त्र, सूचना प्रौद्योगिकी और औषधि उद्योग सहित कई क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं.

भारत और ऑस्ट्रेलिया व्यापार समझौता: एक दृष्टि

  • इस समझौते के तहत, ऑस्ट्रेलिया अपने बाजार में चमड़े, कपड़ा, खेल उत्पादों और आभूषणों जैसे 95% से अधिक भारतीय सामानों के लिए शुल्क मुक्त पहुंच प्रदान करेगा. समझौते से छह हजार से ज्‍यादा भारत के उत्‍पाद अब शुल्‍क मुक्‍त पहुंच सकेंगे.
  • यह नया हस्ताक्षरित समझौता दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 27.5 बिलियन डॉलर से अगले पांच वर्षों में 45-50 बिलियन डॉलर तक ले जाने में मदद करेगा.

नेपाल के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा, दोनों देशों के बीच चार समझौते

नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने 1-2 अप्रैल को भारत की यात्रा की थी. जुलाई 2021 में प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद श्री उनकी यह पहली आधिकारिक विदेश यात्रा थी.

इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच चार समझौता ज्ञापनों पर हस्‍ताक्षर किए गए. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की नई दिल्‍ली में प्रतिनिधिमण्‍डल स्‍तर की वार्ता के दौरान ये समझौते किए गये. बैठक में दोनों नेताओं ने आपसी साझेदारी की प्रगति की समीक्षा की. दोनों देशों के बीच सहयोग विस्तार के बारे में भी विचार-विमर्श किया गया.

मुख्य बिंदु

  • इस अवसर पर श्री मोदी और श्री देउबा ने कई परियोजनाओं का संयुक्‍त रूप से उद्घाटन किया. उन्‍होंने बिहार के जयनगर और नेपाल के कुरथा के बीच यात्री रेलगाडी को झण्‍डी दिखाकर रवाना किया. उन्‍होंने संयुक्‍त रूप से सोलू कॉरीडोर- 132 किलोवॉट क्षमता की बिजली पारेषण लाइन और नेपाल में बिजली उप-केन्‍द्र का भी उद्घाटन किया.
  • दोनों देशों ने पंचेश्‍वर परियोजना में तेज गति से आगे बढ़ने के महत्‍व पर जोर दिया है. भारतीय कंपनियों द्वारा नेपाल के हाइड्रो पॉवर डेवलपमेंट योजनाओं में और अधिक भागीदारी के विषय पर भी सहमति व्‍यक्‍त की. व्यापार और सभी प्रकार से क्रॉस बॉर्डर कनेक्टिविटी और इनिसिएटिव को प्राथमिकता देने पर भी सहमति जताई.

चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा

चीन के विदेश मंत्री वांग यी 25-26 मार्च की भारत यात्रा पर थे. उन्होंने इस यात्रा के दौरान नई दिल्‍ली में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ वार्ता बैठक की. इस बैठक में द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा हुई.

मुख्य बिंदु

  • बैठक में दोनों नेताओं ने व्यापक और महत्वपूर्ण एजेंडे पर चर्चा की. बैठक में अफगानिस्‍तान और यूक्रेन सहित प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ. आपसी संबंधों में शिक्षा, यात्रा और वाणिज्य सहित विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की गई.
  • डॉ. जयशंकर ने कहा चीन के साथ संबंधों में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. उन्‍होंने कहा कि भारत स्‍थायी और भरोसेमंद संबंध चाहता है, लेकिन सामान्य स्थिति बहाल होने के लिए सीमा पर शांति और स्थिरता कायम होना आवश्यक है.
  • चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने दोनों देशों के बीच सामान्‍य स्थिति बहाल करने की इच्‍छा व्‍यक्‍त की.

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच दूसरी शिखर बैठक आयोजित की गयी

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच दूसरी शिखर बैठक वर्चुअल माध्यम से 21 मार्च को आयोजित की गयी थी. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने हिस्सा लिया. बैठक में दोनों प्रधानमंत्रियों ने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की.

यह शिखर बैठक 4 जून 2020 को आयोजित ऐतिहासिक पहली वर्चुअल शिखर बैठक के बाद हुई. पहली शिखर बैठक में दोनों देशों ने अपने द्विपक्षीय संबंधों का दर्जा बढ़ाकर व्यापक सामरिक भागीदारी कर दिया था.

मुख्य बिंदु

  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी के विभिन्न पहलों पर हुई प्रगति की समीक्षा की. बैठक में दोनों देशों ने महत्‍वपूर्ण खनिज, जल प्रबंधन और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढाने पर सहमती व्‍यक्‍त की.
  • इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे कॉम्प्रिहेन्सिव इकोनोमिक कॉरपोरेशन एग्रीमेंट-सीका की बहुत कम समय में उल्‍लेखनीय प्रगति हुई है. सीका का शीघ्र समापन हमारे आर्थिक संबंधों, इकोनोमिक रिवाइवल और इकोनोमिक सिक्‍योरिटी के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण होगा.
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि क्‍वॉड में भी हमारे बीच अच्‍छा सहयोग चल रहा है. हमारा यह सहयोग फ्री, ओपन और इन्‍क्‍लूजिव इंडो-पेसिफिक के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

भारत-अमरीका विदेश विभाग परामर्श बैठक नई दिल्‍ली में आयोजित की गयी

भारत -अमरीका विदेश विभाग परामर्श बैठक 21 मार्च को नई दिल्‍ली में आयोजित की गयी थी. बैठक की सह-अध्‍यक्षता विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और अमरीका की विदेश उपमंत्री विक्‍टोरिया न्‍यूलैंड ने की.

मुख्य बिंदु

  • दोनों पक्षों ने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और अमरीका के राष्‍ट्रपति जो. बाइडेन के बीच सित‍म्‍बर 2021 में वाशिंगटन में हुई बैठक के बाद से दोनों देशों की व्‍यापक कार्यनीतिक साझेदारी के तहत हुई प्रगति की समीक्षा की.
  • दोनों देशों ने दक्षिण एशिया, हिन्‍द -प्रशांत क्षेत्र, पश्चिम एशिया और यूक्रेन की स्थिति पर व्‍यापक विचार-विमर्श किया. भारत और अमरीका ने स्वतंत्र, मुक्त, समावेशी, शांतिपूर्ण और समृद्ध हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
  • बैठक में हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिये क्‍वाड संगठन की बैठक में लिए गये निर्णय तेजी से लागू करने की इच्‍छा व्‍यक्‍त की गयी.

भारत और जापान की 14वीं शिखर वार्ता, भारत में 3.20 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य

भारत और जापान की 14वीं शिखर वार्ता (14th India Japan Annual Summit) 19 मार्च को नई दिल्ली में हुई थी. इस वार्ता में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो (Fumio Kishida) ने हिस्सा लिया था. यह दोनों नेताओं के बीच पहली बैठक थी. दोनों देशों के बीच पिछली वार्षिक शिखर वार्ता अक्तूबर 2018 में तोक्यो में हुई थी.

मुख्य बिंदु

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भारत और जापान हिंद-प्रशांत क्षेत्र की दो प्रमुख शक्तियां बताते हुए कहा कि दोनों नेताओं ने आपसी सहयोग से जुड़े कई क्षेत्रों पर चर्चा की. इनमें आर्थिक, भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का विकास, डिजिटल और कौशल विकास शामिल हैं.
  • भारत और जापान ने शिष्‍टमंडल स्‍तर की बातचीत के बाद छह समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए. ये समझौते साइबर सुरक्षा, स्‍वच्‍छ ऊर्जा, बुनियादी ढांचा विकास और शहरी विकास से संबंधित हैं.
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने श्री किशिदा के साथ संयुक्‍त संवाददाता सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जापान अगले पांच वर्ष में भारत में 3.20 लाख करोड रुपए का निवेश करेगा.
  • मुम्‍बई-अहमदाबाद हाईट्रेक रेल प्रोजेक्‍ट में अच्‍छी प्रगति हो रही है, दोनों देश इस पर ‘वन टीम- वन प्रोजेक्‍ट’ के साथ काम कर रहे हैं. यह प्रोजेक्‍ट भारत-जापान पार्टनरशिप का एक बेहतरीन उदाहरण है.
  • जापान ने 2014 में निर्धारित 3.5 ट्रिलियन जापानीज़ येन का निवेश लक्ष्य पार कर लिया है और आने वाले पांच वर्षों में 5 ट्रिलियन येन मतलब करीब 3.20 लाख करोड़ रुपये के निवेश का नया लक्ष्य तय किया है.
  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सतत आर्थिक वृद्धि का लक्ष्‍य प्राप्‍त करना और जलवायु परिवर्तन की समस्‍या से निपटना आवश्‍यक है. उन्‍होंने कहा कि भारत-जापान स्‍वच्‍छ ऊर्जा साझेदारी इस दिशा में निर्णायक कदम साबित होगी.
  • भारत और जापान ने यूक्रेन में संघर्ष और मानवीय संकट पर गंभीर चिंता व्‍यक्‍त की. संयुक्‍त वक्‍तव्‍य में कहा गया है कि दोनों नेता यूक्रेन में मानवीय संकट के समाधान के लिए समुचित कदम उठाएंगे.
  • दोनों प्रधानमंत्रियों ने परमाणु प्रसार और परमाणु आतंक की चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्‍ट्रीय सहयोग सुदृढ़ किए जाने पर भी बल दिया.

दूसरी भारत-इंडोनेशिया सुरक्षा संवाद जकार्ता में आयोजित की गयी

दूसरी भारत-इंडोनेशिया सुरक्षा वार्ता 17 मार्च को जकार्ता में आयोजित की गयी थी. इसकी सह-अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और इंडोनेशिया के राजनीतिक, कानूनी और सुरक्षा समन्वय मंत्री मोहम्मद महफूद ने की थी.

मुख्य बिंदु

  • इस दूसरे संवाद में सुरक्षा समन्वय मंत्री मोहम्मद महफूज और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कई साझा प्राथमिकताओं पर चर्चा की. इनमें मौजूदा वैश्विक और सुरक्षा मुद्दों की समीक्षा, आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करना और समुद्री, रक्षा और साइबर सुरक्षा सहयोग बढ़ाना शामिल है.
  • बैठक में, श्री डोभाल और मोहम्मद महफूज ने इंडोनेशिया के राजनीतिक, कानूनी और सुरक्षा मामलों के समन्वय मंत्रालय और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के बीच सुरक्षा वार्ता के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए.
  • भारत-इंडोनेशिया सुरक्षा वार्ता (संवाद) एक ऐसा मंच है जो इंडोनेशिया के राजनीतिक, कानूनी और सुरक्षा मामलों के समन्वय मंत्री और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने और चर्चा के लिए साथ लाता है.

भारत और श्रीलंका की नौसेनाओं के बीच युद्धाभ्यास ‘स्लाइनेक्स’ आयोजित किया गया

भारत और श्रीलंका की नौसेनाओं के बीच 6 से 10 मार्च तक संयुक्त युद्धाभ्यास ‘स्लाइनेक्स’ (SLINEX) का आयोजन किया गया था. यह इस युद्धाभ्यास का नौवां संस्करण है. यह युद्धाभ्यास दो चरणों में आयोजित किया गया था. इसका पहला चरण 7 और 8 मार्च को विशाखापट्टणम में, जबकि दूसरा चरण 9 और 10 मार्च को बंगाल की खाड़ी में आयोजित किया गया.

  • श्रीलंका की नौसेना का नेतृत्व युद्धपोत SLNS सयुराला ने किया, जबकि भारतीय नौसेना आईएनएस क्रीच की अगुवाई में युद्धाभ्यास में भाग लिया.
  • युद्धाभ्यास में भारतीय नौसेना के आईएनएस ज्योति, अत्‍याधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर, सीकिंग और चेतक हेलीकॉप्टर तथा डोर्नियर समुद्री निगरानी विमान ने हिस्सा लिया.
  • इससे पहले अक्तूबर 2020 में स्लाइनेक्स युद्धाभ्यास का आयोजन किया गया था. इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच बहुआयामी समुद्री संचालन के लिए आपसी समझ बढ़ाना है.