अंटार्कटिका में विश्‍व का सबसे बड़ा बर्फ का पहाड़ ‘A-76’ टूटा

अंटार्कटिका से बर्फ का एक विशाल पहाड़ (हिमखंड) टूटकर अलग हो गया है. यह दुनिया में सबसे बड़ा हिमखंड है. यह हिमखंड 170 किलोमीटर लंबा है और करीब 25 किलोमीटर चौड़ा है. इस हिमखंड के टूटने की तस्‍वीर को यूरोपीय यूनियन के सैटलाइट कापरनिकस सेंटीनल ने ली है.

यह हिमखंड अंटारकर्टिका के पश्चिमी हिस्‍से में स्थित रोन्‍ने ‘आइस सेल्‍फ’ (ice shelves) से टूटा है. यह हिमखंड टूटने के बाद अब समुद्र में स्‍वतंत्र होकर तैर रहा है. इस महाकाय हिमखंड का पूरा आकार 4320 किलोमीटर है. इसे A-76 नाम दिया गया है.

मुख्य बिंदु

  • नैशनल स्‍नो एंड आइस डेटा सेंटर के मुताबिक इस हिमखंड के टूटने से समुद्र के जलस्‍तर में वृद्धि होगी. यह हिमखंड समुद्र के धाराओं की गति को धीमा कर सकता है.
  • अंटारर्कटिका धरती के अन्‍य हिस्‍सों की तुलना में ज्‍यादा तेजी से गरम हो रहा है. अंटारकर्टिका में बर्फ के रूप में इतना पानी जमा है जिसके पिघलने पर दुनियाभर में समुद्र का जलस्‍तर 200 फुट तक बढ़ सकता है.
  • ग्लेशियर के बर्फ की परतें समुद्रस्तर को बढ़ाने से रोकने में बफर का काम करती हैं. जब ये टूटकर गिरती हैं तो ग्लेशियर से महासागर में भारी मात्रा में पानी जाता है. इसका असर पूरी दुनिया के तटीय इलाकों में होता है.
  • अगर वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस ही बढ़ जाता है तो आधा इलाका खतरे की जद में होगा. जीवाश्म आधारित ईंधन के स्रोतों पर निर्भरता कम करने के लिए 2030 तक का समय है जिससे तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़त तक सीमित किया जा सकता है.

चीन और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा सहयोग परियोजना का शुभारंभ किया गया

चीन और रूस ने परमाणु ऊर्जा सहयोग परियोजना का शुभारंभ किया है. चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 19 मई को वर्चुअल माध्यम से इस परियोजना का शुभारंभ किया.

इस परियोजना में तियानवान (Tianwan) परमाणु ऊर्जा संयंत्र और शुदापु (Xudapu) परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण किया जायेगा. इसके तहत तियानवान परमाणु ऊर्जा संयंत्र के यूनिट 7 और यूनिट 8, तथा शुदापु परमाणु ऊर्जा संयंत्र के यूनिट 3 और यूनिट 4 का निर्माण होना है.

चीन और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा सहयोग समझौता

चीन और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा सहयोग से संबंधित यह एक अहम परियोजना है. इस परियोजना के लिए जून 2018 में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था.

इन चार परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण पूरा होने और परिचालन में आने के बाद वार्षिक बिजली उत्पादन 37 अरब 6 करोड़ किलोवॉट तक पहुंच जाएगा. यह प्रति वर्ष 3 करोड़ 6 लाख 80 हज़ार टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के बराबर है.

चीन ने मंगल ग्रह पर अपना पहला रोवर ‘जुरोंग’ उतारने में सफलता पाई

चीन ने हाल ही में मंगल ग्रह पर अपना पहला रोवर उतारने में सफलता पाई है. इस रोवर का नाम जुरोंग है. चीन ने 23 जुलाई, 2020 को अन्तरिक्ष यान ‘तियानवेन-1’ को प्रक्षेपित किया था, जिसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर जुरोंग शामिल था. यह प्रक्षेपण लॉन्ग मार्च 5 (Long March 5) रॉकेट के माध्यम से किया गया था.

चीन मंगल पर अपना रोवर उतारने वाला विश्व का तीसरा देश है. इससे पहले अमेरिका और रूस ने यह उपलब्धि प्राप्त की थी. रूस अपने रोवर को मंगल पर उतारने में सफल रहा था, लेकिन लैंड होने के कुछ समय बाद ही इस रोवर का संपर्क टूट गया था.

जुरोंग रोवर: एक दृष्टि

जुरोंग छह पहियों वाला रोवर है. यह मंगल के यूटोपिया प्लेनेशिया समतल तक पहुंचा है जोकि मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध का हिस्सा है. चीन ने इस रोवर में एक प्रोटेक्टिव कैप्सूल, एक पैराशूट और रॉकेट प्लेफॉर्म का इस्तेमाल किया है.

इजराइल-फिलिस्तीन तनाव

हाल के दिनों में इजराइल और फिलिस्तीन (palestine) के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया है. यह तनाव इजराइली पुलिस और धुर दक्षिणपंथी यहूदी समूहों से फलस्तीनियों की हिंसक झड़प से शुरू हुआ था. झड़प दोनों ओर से गाजा पट्टी (Gaza strip) पर भारी बमबारी हुई है, जिसमें कई लोगों की जान चली गयी. इजरायल के हवाई हमले में हमास गाजा के सिटी कमांडर बसीम इस्सा की मौत हो गई है.

फिलिस्‍तीन की सत्‍ता पर काबिज आतंकवादी संगठन हमास (Hamas) ने इजरायल के हवाई हमलों के जवाब में तेल अवीव (Tel Aviv) पर रॉकेट से हमला किया है.

उल्लेखनीय है कि यरुशलम में हाल के दिनों में झड़पों में बढ़ोतरी हुई है, जो इस्राइल-फलस्तीन में लंबे समय से टकराव का मुख्य केंद्र रहा है. यहीं पर यहूदियों, ईसाइयों और मुस्लिमों के पवित्र स्थल भी हैं.

ग़ज़ा पट्टी

ग़ज़ा पट्टी (Gaza strip) इस्रायल के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक 6-10 किंमी चौड़ी और करीब 45 किमी लम्बा क्षेत्र है. इसके तीन ओर इसरायल का नियंत्रण है और दक्षिण में मिस्र है. गाजा पर फलस्तीनी चरमपंथी गुट ‘हमास’ का नियंत्रण है.

अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का रुख

  • संयुक्त राष्ट्र के मध्य पूर्व शांति राजदूत टॉर वेनेसलैंड ने कहा है कि दोनों पक्ष इसे व्यापक युद्ध की ओर ले जा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने कहा है कि वे हिंसा को लेकर काफी चिंतित हैं.
  • अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि इजरायल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है. अमरीका के राष्‍ट्रपति जो. बाइडेन ने हमास और अन्‍य आतंकवादी समूहों के रॉकेट हमलों की निंदा की. उन्‍होंने कहा कि यह इस्राइल का वैध अधिकार है कि वह अपने क्षेत्र और नागरिकों की सुरक्षा करे.
  • जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के प्रवक्ता स्टीफन सीबेरट ने कहा कि गाजा से इजरायल पर हो रहे हमले की हम कड़ी निंदा करते हैं. इसे कहीं से भी उचित नहीं ठहराया जा सकता.
  • तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा कि फलस्तीनियों के प्रति इजरायल के रवैये के खिलाफ अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को उसे कड़ा और कुछ अलग सबक सिखाना चाहिए.
  • वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इजरायल और फलस्तीन से तुरंत हमले रोकने की अपील की है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों को शांति से बैठकर उभरते मुद्दों का हल करना चाहिए.

लॉड शहर में आपातकाल लगा

इस बीच इजरायली अरब की आबादी वाले इजरायल के अन्य शहरों में भी तनाव है. इजरायली शहर लॉड में इजरायली अरबों ने हिंसक प्रदर्शन किया है. इजरायली प्रधानमंत्री ने लॉड में इमरजेंसी की घोषणा की है. 1966 के बाद ये पहली बार हुआ है कि सरकार ने अरब समुदाय के ख़िलाफ़ आपातकालीन अधिकारों का इस्तेमाल किया है.

चीन से अंतरिक्ष में भेजा गया रॉकेट ‘लॉन्ग मार्च 5B’ अनियंत्रित होकर हिंद महासागर में गिरा

चीन से अंतरिक्ष में भेजा गया रॉकेट ‘लॉन्ग मार्च 5B’ अनियंत्रित होकर 9 मई को हिंद महासागर (मालदीव के पास समुद्र) में गिर गया. राकेट का अधिकांश मलबा वायुमंडल में जल गया था.

संक्षिप्त घटना-क्रम

चीन ने ‘लॉन्ग मार्च 5B Y2’ (Long March 5B Y2) रॉकेट को 29 अप्रैल को अंतरिक्ष भेजा था जो अनियंत्रित होकर खो गया था. तब से अंतरिक्ष विज्ञानी इस रॉकेट के पृथ्वी से टकराने को लेकर चिंतित थे.

चीन इस राकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में तियांगोंग (Tiangong) नाम का चीनी स्पेस स्टेशन बनाना चाहता था. इस अंतरिक्ष स्टेशन को 2022 तक पूरा किया जाना था.

Long March-5
Long March-5 का विकास चाइना एकेडमी ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी ने किया है. यह लगभग 9 मीटर लंबा और 4.5 मीटर चौड़ा है. इसका वजन 20 टन से अधिक है.

ऑस्ट्रेलिया ने चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को रद्द किया, जानिए क्या है BRI

ऑस्ट्रेलिया ने चीन की महत्वकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative) के दो समझौते को रद्द कर दिया है. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की कैबिनेट ने यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया है. चीन के साथ यह समझौता 2018 और 2019 में किया गया था. इस नए फैसले से ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच तनाव और ज्यादा बढ़ सकता है.

ऑस्ट्रेलिया ने जिन दो समझौतों को रद्द किया है, उनमें चीनी कंपनियां ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रांत में दो बिल्डिंग इंफ्रास्ट्रक्टर को तैयार करने वाली थीं. चीन ने पहले ही ऑस्ट्रेलिया के साथ तनाव बढ़ने पर विक्टोरिया प्रशासन के साथ सफल व्यवहारिक सहयोग को बाधित करने को लेकर चेतावनी दी थी. जिसके बाद से ऑस्ट्रेलिया ने भी चीन को सबक सिखाने के लिए यह कदम उठाया है.

राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण समझौते को रद्द किया गया

ऑस्ट्रेलिया ने नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत चीन के इस प्रोजक्ट को रद्द करने का फैसला किया है. ऑस्ट्रेलिया ने 2018 में एक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पारित किया था जो घरेलू नीतियों में गुप्त विदेशी दखल को प्रतिबंधित करता है.

नया कानून संघीय सरकार को निचले प्रशासनिक स्तर पर किये गए उन अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों की अनदेखी की शक्तियां प्रदान करता है जो राष्ट्रहित का उल्लंघन करती हों. चीन ने इन कानूनों को चीन के प्रति पूर्वाग्रह पूर्ण और चीन-ऑस्ट्रेलिया के रिश्तों में जहर घोलने वाला बताया है.

क्या है बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना?

  • चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2013 में ‘वन बेल्ट वन रोड’ परियोजना की परिकल्पना की थी. वर्ष 2016 से इस परियोजना को ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) के नाम से जाना जाता है.
  • BRI परियोजना चीन द्वारा प्रस्तावित आधारभूत ढाँचा विकास एवं संपर्क परियोजना है जिसका लक्ष्य चीन को सड़क, रेल एवं जलमार्गों के माध्यम से यूरोप, अफ्रीका और एशिया से जोड़ना है.
  • यह परियोजना चीन के उत्पादन केंद्रों को वैश्विक बाज़ारों एवं प्राकृतिक संसाधन केंद्रों से जोड़ेगी. इस परियोजना के द्वारा चीन को विश्व की 70% जनसंख्या तथा 75% ज्ञात ऊर्जा भंडारों तक पहुँच मिल सकती है.
  • BRI के तहत पहला रूट चीन से शुरू होकर रूस और ईरान होते हुए इराक तक ले जाने की है. इस योजना के तहत दूसरा रूट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से श्रीलंका और इंडोनेशिया होकर इराक तक ले जाया जाना है.
  • चीन से लेकर तुर्की तक सड़क संपर्क कायम करने के साथ ही कई देशों के बंदरगाहों को आपस में जोड़ने का लक्ष्य भी इस योजना में रखा गया है.

BRI परियोजना का मुख्य उद्देश्य

दरअसल चीन के इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर अपना भू-राजनीतिक प्रभुत्व कायम करना है, हालाँकि चीन इस बात से इनकार करता है. वास्तव में चीन का BRI परियोजना, निर्यात करने का माध्यम है जिसके ज़रिये वह अपने विशाल विदेशी मुद्रा भंडार का प्रयोग बंदरगाहों के विकास, औद्योगिक केंद्रों एवं विशेष आर्थिक क्षेत्रों के विकास के लिये कर वैश्विक शक्ति के रूप में उभरना चाहता है.

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अमेरिका और चीन में सहमति

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए चीन और अमेरिका ने दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई हैं. यह सहमति चीन के जलवायु दूत शी झेनहुआ ​​और उनके अमेरिकी समकक्ष जॉन केरी के बीच शंघाई में हाल ही में हुई कई बैठकों के बाद बनी है. 18 अप्रैल को जारी एक संयुक्त बयान में दोनों ने उत्सर्जन कम करने के लिए भविष्य में उठाए जाने वाले विशेष कदमों पर भी अपनी सहमति जताई.

जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका और चीन में सहमति: मुख्य बिंदु

  • दोनों देश ‘पेरिस समझौते’ के अनुरूप धरती के तापमान को तय सीमा के भीतर रखने के उद्देश्य से उत्सर्जन कम करने के लिए इस दशक में ठोस कार्रवाई करने पर अपनी चर्चा जारी रखेंगे.
  • दोनों देश विकासशील देशों को कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले ऊर्जा के स्रोतों को अपनाने के लिए धन मुहैया कराने पर भी सहमत हुए हैं.
  • वैज्ञानिकों ने चेताया है कि दुनिया के तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में दो डिग्री से भी कम बढ़ने का लक्ष्य रखना चाहिए.
  • दोनों देशों ने स्वीकार किया है कि पूंजी के प्रवाह को ज्यादा कार्बन उत्सर्जित करने वाली परियोजनाओं की बजाय कम-कार्बन परियोजनाओं की ओर मोड़ना चाहिए. दोनों देशों ने अपने उत्सर्जन को और भी कम करने का वादा किया है.

चीन को 588 बिजली घरों को बंद कर देना चाहिए

हाल की एक रिपोर्ट में कहा गया कि चीन को जलवायु पर अपने वादे पूरा करने के लिए कोयला से चलने वाले 588 बिजली घरों को बंद कर देना चाहिए. इस वक़्त अर्थव्यवस्था बढ़ाने के लिए इसके कई इलाकों में कई नए कोयला चालित बिजली घर बनाए जा रहे हैं.

अमेरिका द्वारा वर्चुअल जलवायु सम्मेलन का आयोजन

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन विश्व पृथ्वी दिवस यानी 22 अप्रैल को एक वर्चुअल जलवायु सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं. इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कई देशों के प्रमुखों के भाग लेने की उम्मीद है. हालांकि अब तक यह साफ नहीं है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सम्मेलन में भाग लेंगे या नहीं.

इज़राइल और ग्रीस ने अपने सबसे बड़े रक्षा खरीद सौदे की घोषणा की

इज़राइल और ग्रीस ने अपने सबसे बड़े रक्षा खरीद सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं. यह समझौता 1.65 बिलियन अमरीकी डालर का है. इस सौदे की घोषणा यूएई, ग्रीस, साइप्रस और इजरायल के विदेश मंत्रियों के बीच साइप्रस में आयोजित एक बैठक में की गई.

इज़राइल-ग्रीस रक्षा खरीद सौदे के मुख्य बिंदु

  • समझौते में इजरायल के रक्षा ठेकेदार एलबिट सिस्टम्स द्वारा एक ग्रीक वायु सेना प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण और संचालन करने के लिए $ 1.65 बिलियन का अनुबंध शामिल है.
  • प्रशिक्षण केंद्र को इजरायल फ्लाइंग अकादमी के बाद तैयार किया जाएगा और यह इतालवी कंपनी लियोनार्डो द्वारा निर्मित 10 एम -346 प्रशिक्षण विमान से सुसज्जित होगा.
  • एल्बिट ग्रीक T-6 विमानों के आधुनिकीकरण और संचालन के लिए किट प्रदान करेगा, और प्रशिक्षण, सिमुलेटर और लॉजिस्टिक सहायता भी प्रदान करेगा.

न्यूजीलैंड ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कानून बनाया

न्यूजीलैंड ने जलवायु परिवर्तन के लिए हाल ही में एक कानून बनाया है. इस कानून में वित्तीय क्षेत्रों को पर्यावरण के लिए जवाबदेह बनाया गया है.

न्यूजीलैंड वैसे तो जलवायु परिवर्तन का बुरी तरह से शिकार देश नहीं माना जाता है, लेकिन फिर भी न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जैसिंडा आर्डर्न ने यह संकल्प लिया है कि उनका देश साल 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन करने वाला देश बन जाएगा और साल 2035 तक पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा के जरिए अपनी ऊर्जा आवश्यकताएं पूरी करने लगेगा.

क्या है न्यूजीलैंड जलवायु परिवर्तन कानून?

इस कानून के तहत न्यूजीलैंड में अब बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अपने द्वारा किए गये निवेश के कारण जलवायु परिवर्तन पर पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी देना आवश्यक होगा. यह दुनिया का पहला कानून होगा जो वित्तीय क्षेत्र को पर्यावरण के प्रति जवाबदेह बनाएगा. इस कानून के मुताबिक बैंक, बीमा कंपनी और निवेश प्रतिष्ठानों के लिए जलवायु रिपोर्टिंग अब अनिवार्य होगी.

वित्तीय क्षेत्र क्यों?

वैश्विक पूंजीवादी व्यवस्था में वित्तिय क्षेत्र की कंपनियों और प्रतिष्ठानों का खासा प्रभाव रहता है और उनके निवेश ही औद्योगिक गतिविधियों को दिशा प्रदान करते हैं.

इस कानून से फायदा

यह कानून अगर पास हो गया तो साल 2023 को लागू हो जाएगा जिसके बाद वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों के लिए जलवायु रिपोर्टिंग आनिवार्य हो जाएगी. वार्षिक रिपोर्ट इस तथ्य को रेखांकित करेंगी कि उच्च कार्बन निवेश कम आकर्षक हो जाएगा क्योंकि उत्सर्जन को रोकने के ले सख्तियां लागू होने लगेंगी.

दुनिया में इस तरह का कानून ला कर न्यूजीलैंड को वास्तविक नेतृत्व दिखाने का मौका मिला है जिससे दूसरे देशों को जलवायु संबंधित खुलासे करने अनिवार्य करने के लिए रास्ता मिलेगा. इससे वित्तीय प्रतिष्ठानों को अपने निवेश के जलवायु पर असर का ध्यान रखना होगा और लोगों को उनका प्रदर्शन आंकने का अवसर भी मिलेगा.

जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए अन्य देशों के पहल

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को रोकने के लिए दुनिया के लगभग सभी देश पेरिस समझौते से बंधे हैं. इसके बाद भी पर्यावरणविदों को लगता है कि यह काफी नहीं है क्योंकि दुनिया का कोई देश अपने यहां उद्योगों के लिए सख्त कानून लागू नहीं कर रहा है जिससे उनकी गतिविधियां पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डालना बंद कर दें.

वैसे दुनिया में कहीं भी राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह का कानून नहीं बना है. अमेरिका के कैलिफोर्निया ने साल 2006 में ग्लोबल वार्मिंग सॉल्यूशन्स एक्ट लागू किया था जिसमें बहुत सारे जलवायु परिवर्तन संबंधी बड़े कदम उठाए गए थे. इस कानून का लक्ष्य साल 2020 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के 1990 के स्तर तक ले जाने का था.

बंगाल की खाड़ी में बहुपक्षीय समुद्री अभ्यास ‘ला पेरोज’ का आयोजन किया गया

फ्रांस और क्वाड देशों का समुद्री अभ्यास ‘ला पेरोज’ (La Perouse) का आयोजन 5 से 7 अप्रैल तक किया गया था. इस अभ्यास का आयोजन बंगाल की खाड़ी में किया गया था. इस अभ्यास में फ्रांस और क्वाड (QUAD) देश (भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका) ने हिस्सा लिया.

ला पेरोज समुद्री अभ्यास में भारतीय नौसेना, फ़्रांसिसी नौसेना, रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी, जापान मेरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स (JMSDF) और अमेरिकी नौसेना (USN) के जहाजों ने हिस्सा लिया.

भारतीय नौसेना का जहाज INS सतपुड़ा और INS किल्टन के साथ P8I लॉन्ग रेंज मैरीटाइम पैट्रोल एयरक्राफ्ट ने पहली हिस्सा लिया. फ्रांस की ओर से टोननेर (Tonnerre) और फ्रिगेट सर्कुफ (Surcouf) शामिल हुए थे.

ला पेरोज समुद्री अभ्यास: एक दृष्टि

ला पेरोज समुद्री अभ्यास की शुरुआत फ्रांस द्वारा वर्ष 2019 में की गई थी. इसके प्रथम संस्करण में ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के जहाज़ शामिल हुए थे. इस अभ्यास का नाम 18वीं शताब्दी के फ्राँस नौसेना के एक खोजकर्त्ता के नाम पर रखा गया है.

क्वाड (QUAD) क्या है?

क्वाड भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का एक समूह है. इसका उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में लोकतांत्रिक देशों के हितों की रक्षा करना तथा वैश्विक चुनौतियों का समाधान करना है.

NASA का इन्जेन्यूटी हेलिकॉप्टर मंगल की सतह पर उतरा

अमेरिकी स्पेस एजेंसी (NASA) का हेलिकॉप्टर ‘इन्जेन्यूटी’ (Ingenuity) मंगल की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने में सफलता पाई है. इसके साथ ही पृथ्वी के अलावे किसी दूसरे ग्रह पर उतरने वाला यह पहला रोटरक्राफ्ट बन गया है.

मंगल पर रोटरक्राफ्ट की जरूरत इसलिए है क्योंकि वहां की सतह बेहद ऊबड़-खाबड़ है जहां न ऑर्बिटर देख सकते हैं और न रोवर जा सकते हैं. ऐसे में ऐसे रोटरक्राफ्ट की जरूरत होती है जो उड़ कर मुश्किल जगहों पर जा सके और हाई-डेफिनेशन तस्वीरें ले सके.

NASA के मुताबिक अगर एक्सपेरिमेंटल फ्लाइट के दौरान हेलिकॉप्टर टेक ऑफ और कुछ दूर घूमने में सफल रहा तो मिशन का 90% सफल रहेगा. अगर यह सफलता से लैंड होने के बाद भी काम करता रहा तो चार और फ्लाइट्स टेस्ट की जाएंगी.

मंगल पर रात को 130 डिग्री F तक तापमान गिर सकता है और पहली रात इसे झेलने के बाद अगले दिन टीम देखेगी कि Ingenuity का प्रदर्शन कैसा रहा. न सिर्फ यह देखा जाएगा कि क्या हेलिकॉप्टर चल रहा है, बल्कि इसके सोलर पैनल, बैटरी की हालत और चार्ज चेक करेगी और अगले कुछ दिन तक इन पैमानों को ही टेस्ट किया जाएगा.

नासा के पहले मंगल हेलीकॉप्टर का नाम ‘इन्जेन्यूटी’

नासा के पहले मंगल हेलीकॉप्टर का नाम इन्जेन्यूटी (Ingenuity) रखा गया है. यह नाम भारतीय मूल की 17 वर्षीय छात्रा वेनिजा रुपानी ने दिया था. रूपानी ने नासा के ‘नेम द रोवर’ प्रतियोगिता में भाग लेकर इस विषय पर एक निबंध लिखा था. उनके निबंध से ही उनके द्वारा बताए गए नाम को तय किया गया.

जापान में चेरी ब्लॉसम मौसम समय से पहले खत्म हुआ

हर साल बसंत के मौसम में जापान की जमीन खूबसूरत गुलाबी चेरी ब्लॉसम (Cherry Blossom) के फूलों से ढकी रहती है. इस साल यह मौसम पहले के मुकाबले जल्दी आ गया है और जल्दी ही खत्म भी हो गया.

चेरी ब्लॉसम का इतना जल्दी खिलाना अपने आप में एक रेकॉर्ड है. वैज्ञानिकों के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम पर यह असर पड़ा है. जापान में इतने पहले चेरी ब्लॉसम 1,200 साल से पहले हुआ था.

चेरी ब्लॉसम की पीक की तारिख मौसम और बारिश जैसी चीजों पर निर्भर करता है. लेकिन ट्रेंड से पता चलता है कि यह पहले होता जा रहा है. इस साल क्योटो में इसका पीक 26 मार्च को और राजधानी टोक्यो में 22 मार्च को आया. क्योटो में पीक सदियों से अप्रैल के मध्य में रहा है.

चेरी ब्लॉसम क्या है?

चेरी ब्लॉसम एक फूल है. जापान में इसे ‘सकूरा’ (Sakura) कहा जाता है. पर्यटक चेरी ब्लॉसम को देखने दूर-दूर से आते हैं. चेरी ब्लॉसम के मुख्य रूप से उत्तरी गोलार्ध में समशीतोष्ण जलवायु वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं. इसमें जापान, भारत, नेपाल, पाकिस्तान, चीन, कोरिया, अमेरिका, ब्रिटेन, इंडोनेशिया आदि शामिल हैं.