बिहार के लखीसराय में गंगा घाटी का पहला बौद्ध स्तूप मिला है. यह बौद्ध स्तूप लाल पहाड़ी की खुदाई में मिला है. यह देश का पहला पहाड़ी बौद्ध मठ (Hilltop Buddhist monastery) बन गया है. अब तक प्राप्त सभी बौद्ध स्तूप धरातल यानी जमीन पर हैं. लेकिन यह पहला बौद्ध स्तूप है जो किसी पहाड़ी पर मिला है.
मुख्य बिंदु
इतिहासकारों के अनुसार 11वीं 12वीं शताब्दी के इस मठ में कुछ ऐसी विशेषताएं मिली हैं जो देश के किसी और बौद्ध मठ में नहीं देखी गईं. पूर्वी भारतीय बौद्ध मठों के बीच इस मठ की वास्तुकला इसे एक अलग पहचान देती है. इससे पहले बिहार के किसी भी हिस्से से विहार-स्तरीय मठ की वास्तुकला का कोई प्रमाण नहीं मिला है.
खुदाई में मिली चीजों से पता चलता है कि यह मठ मुख्य रूप से महिलाओं के लिए बनवाया गया होगा. अभिलेख के जरिए भी यहां ऐसा प्रमाण मिला है कि पाल रानी मल्लिका देवी ने विजयश्री भद्र नाम की एक महिला बौद्ध भिक्षु को दान दिया था. साथ ही यह स्थान देखने पर ऐसा लगता है कि इसमें चारों तरफ से सुरक्षा के भी इंतजाम किए गए हैं जो अक्सर महिलाओं के रहने के स्थानों पर ही जाते हैं.
इस मठ के सभी कमरों में दरवाजे पाए गए हैं, जबकि आमतौर पर नालंदा, विक्रमशिला जैसे मठों में दरवाजों के प्रमाण नहीं मिले हैं. इसी के साथ यहां तांबे की चूड़ियां, हाथी दांत की अंगूठी, नाक की लौंग आदि मिली हैं. इससे पता चलता है कि यह मठ विशेष रूप से या तो महिलाओं के लिए बनवाया गया होगा.
लाल पहाड़ी की खुदाई में पहली बार लकड़ी से बना हुआ वोटिव टेबलेट मिला है. खुदाई से मिलीं दो जली हुई मिट्टी की मुहरों पर संस्कृत में ‘श्रीमदधर्माभिर्वाचिका’ नाम लिखा हुआ है. इस नाम से पता चलता है कि प्रारंभिक मध्ययुगीन मगध में महायान बौद्ध धर्म की कितनी प्रतिष्ठा थी.
यह राज्य का पहला विहार या बौद्ध मठ हो सकता है, जिसने संभवतः बिहार को अपना नाम दिया, जैसा कि नालंदा, विक्रमशिला और तेलहारा में पाए गए महाविहार (बड़े बौद्ध मठ) थे. बिहार में नालंदा और तेलहारा के बाद, यह पहला मठ है, जिसमें मिली मुहरों पर मठ के नाम का उल्लेख किया गया है. आमतौर पर महाविहारों के नाम भारत के एपिग्राफिक और पुरातात्विक रिकॉर्ड से पता चलते हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुरू करवाई थी खुदाई इस लाल पहाड़ी की खुदाई का काम 25 नवंबर, 2017 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुरू करवाया था. यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा बिहार में 3 साल के अंदर पूरी की गई पहली खुदाई परियोजना है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-01-04 23:55:242021-01-05 15:46:32बिहार के लखीसराय में गंगा घाटी का पहला बौद्ध स्तूप मिला
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने स्वदेश विकसित भारत की पहली निमोनिया की वैक्सीन का 28 दिसम्बर को उद्घाटन किया. इस वैक्सीन का नाम ‘निमोसिल’ (Pneumosil) है. भारतीय औषध महानियंत्रक (DCGI) ने इस वैक्सीन को जुलाई 2020 में मंजूरी दी थी.
यह वैक्सीन शिशुओं में स्ट्रेप्टोकोक्कस निमोनिया (Streptococcus pneumonia) के कारण और निमोनिया के उपचार के लिए उपयोग की जाएगी. यह मांसपेशियों में इंजेक्शन के जरिए दी जाएगी. भारत में निमोनिया के फुल पीसीवी वैक्सीनेशन के लिए वैक्सीन के 3 डोज की जरूरत पड़ेगी. यह न्यूमोकॉकस बैक्टीरिया के 10 प्रकारों से सुरक्षा प्रदान करता है, जो बच्चों में निमोनिया, मैनिंजाइटिस, कान और रक्त संक्रमण का कारण बनता है.
इस वैक्सीन को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (SIIPL) ने बनाया है. SIIPL दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या में वैक्सीन खुराक का निर्माण करती है.
निमोनिया के उपचार के लिए स्वदेश विकसित पहली वैक्सीन
निमोनिया के उपचार के लिए स्वदेश में विकसित यह पहली वैक्सीन है. इससे पहले ऐसी वैक्सीन देश में लाइसेंस के जरिए आयात की जाती थी क्योंकि इसे बनाने वाली सभी कंपनियां भारत से बाहर की हैं. वर्तमान में निमोनिया के लिए फाइजर और ग्लैक्सोस्मिथलाइन द्वारा तैयार की गई वैक्सीन का प्रयोग किया जाता है. इस वैक्सीन के दुनिया की सबसे किफायती निमोनिया की वैक्सीन होने का दावा किया जा रहा है.
एक लाख से अधिक बच्चों की ‘निमोकॉकल’ बीमारियों से मौत
निमोनिया एक श्वास संबंधी बीमारी है. यूनिसेफ के डेटा के मुताबिक, हर साल भारत में पांच साल से कम उम्र में ही एक लाख से अधिक बच्चों की निमोकॉकल बीमारियों से मौत हो जाती है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-12-29 23:55:012021-05-09 10:22:24स्वदेश विकसित पहली निमोनिया की वैक्सीन ‘निमोसिल’ का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की पहली चालक रहित मेट्रो ट्रेन का 28 दिसम्बर को उद्घाटन किया. यह मेट्रो ट्रेन दिल्ली मेट्रो की मेजेंटा लाइन पर चलेगी. यह लाइन जनकपुरी पश्चिम को बोटैनिकल गार्डन मेट्रो स्टेशन से जोड़ती है.
चालक रहित ट्रेनों की गति को कंट्रोल रूप से ही नियंत्रित किया जायेगा. यह चालक रहित रेलगाड़ी पूरी तरह स्वचालित होगी, जिससे मानवीय भूल की संभावना नहीं होगी. दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन पर इस ट्रेन की शुरूआत होने के बाद दिल्ली मेट्रो रेल निगम विश्व के उन सात प्रतिशत मेट्रो में शामिल हो जायेगी, जहां बिना ड्राईवर रेलगाडी चलाई जा रही है.
कॉमन मोबिलिटी कार्ड सेवा का उद्घाटन
प्रधानमंत्री ने एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर पूरी तरह संचालित नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड सेवा का भी उद्घाटन किया. देश के किसी भी भाग से जारी किए गए रुपे- डेबिट कार्ड धारक इसका इस्तेमाल कर एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन में यात्रा कर सकेंगे. वर्ष 2022 तक यह सुविधा समूचे दिल्ली मेट्रो नेटवर्क पर उपलब्ध हो जाएगी. वर्तमान में दिल्ली मेट्रो के 390 किलोमीटर के नेटवर्क में 285 स्टेशन है. दिल्ली मेट्रो ने 2002 में अपना परिचालन शुरू किया था.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-12-28 23:05:132020-12-29 10:15:21प्रधानमंत्री ने दिल्ली में देश की पहली चालक रहित मेट्रो ट्रेन का उद्घाटन किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 दिसम्बर को शांति निकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि विश्व कल्याण का रास्ता आत्मनिर्भर भारत के विचार से ही गुजरता है. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण का समापन टैगोर की कविता ‘ओरे गृहोबाशी खोल द्वार खोल’ से करते हुए छात्रों का आह्वान किया कि वे नई संभावनाओं का द्वार खोलें और गुरूदेव के विचारों और दर्शन का प्रचार करें.
विश्व भारती विश्वविद्यालय
विश्व-भारती की स्थापना 1921 में गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी. मई 1951 में संसद के अधिनियम से इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया था. प्रधानमंत्री इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-12-24 23:55:222020-12-25 08:11:06विश्व भारती विश्वविद्यालय का शताब्दी समारोह
सौरमंडल में 21 दिसंबर 2020 को दो बड़े ग्रह बृहस्पति और शनि एक दूसरे के बेहद नजदीक आ गये थे. दोनों ग्रहों के बीच की दूर 0.1 डिग्री रह गई थी. यह इनकी निकटतम स्थिति थी. यह स्थिति 397 साल बाद बनी थी.
इससे पहले दोनों ग्रह 1623 में इतने करीब आए थे. सूर्य के नजदीक होने के कारण तब उन्हें देख पाना लगभग असंभव था. इस बार सूर्यास्त के बाद यह दृश्य आसानी से देखा गया.
बृहस्पति और शनि मार्च 2020 से एक साथ हैं और ग्रहों का ये संयोग लगभग 21 अप्रैल 2021 तक बना रहेगा. इसके बाद ये नजारा 15 मार्च 2080 को दिखाई देगा.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-12-22 15:54:472020-12-23 16:06:49बृहस्पति और शनि अब तक के निकटतम दूरी पर आये
अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी नॉर्थरोप ग्रुमेन ने अपने अगले स्पेस स्टेशन रिसप्लाय शिप ‘NG-14’ सिग्नस अंतरिक्ष यान का नाम ‘एस एस कल्पना चावला’ रखने की घोषणा की है. यह अंतरिक्ष यान 29 सितंबर को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए लॉन्च किया जाएगा.
एस एस कल्पना चावला एक री-सप्लाई शिप है. यह अंतरिक्ष यान अपने साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए करीब 3629 किग्रा वजनी सामान लेकर जाएगा. इसे वर्जीनिया स्पेस के मिड-अटलांटिक रीजनल स्पेसपोर्ट (MARS) वॉलॉप्स द्वीप से कक्षा में लॉन्च किया जाएगा.
कल्पना चावला: एक दृष्टि
16 जनवरी, 2003 को कल्पना चावला अमेरिकी अंतिरक्ष यान कोलंबिया के चालक दल के रूप में अंतरिक्ष में जाने वाली भारत की पहली महिला बनी थीं. पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करने के दौरान कोलंबिया अंतरिक्ष यान दुर्घटना ग्रस्त हो गया था. इस दुर्घटना में सभी सात क्रू सदस्यों की मौत हो गयी थी. चावला ने नासा में भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री के रूप में इतिहास रचा है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-10-06 21:20:092020-10-07 21:45:11अमेरिका में कल्पना चावला के नाम पर अंतरिक्ष यान का नाम रखा गया
स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 पुरस्कार 20 अगस्त को प्रदान किया गया. शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ये पुरस्कार प्रदान किए. यह वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण का पांचवां संस्करण था. इस वर्ष सर्वेक्षण में 4242 शहरों के करीब 1.87 करोड़ लोगों ने भाग लिया.
इंदौर को प्रथम पुरस्कार
इस वर्ष का प्रथम पुरस्कार मध्य प्रदेश के इंदौर शहर को दिया गया है. इंदौर ने यह पुरस्कार लगातार चौथी बार प्राप्त किया है. स्वच्छ सर्वेक्षण में गुजरात का सूरत दूसरे और महाराष्ट्र का नवी मुंबई तीसरे स्थान पर रहा है. गंगा नदी के किनारे बसे हुए शहरों में वाराणसी को सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार मिला. वहीं नई दिल्ली को, देश की सबसे स्वच्छ राजधानी, शहर के लिए पुरस्कृत किया गया.
40 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर में अहमदाबाद और 10-40 लाख की आबादी वाले शहर में विजयवाड़ा सबसे स्वच्छ शहर बना. 3-10 लाख की आबादी वाले शहर में मैसूर और दिल्ली शहर ने सबसे स्वच्छ राजधानी शहर का पुरस्कार जीता.
छत्तीसगढ़ को सौ से अधिक शहरों वाले राज्यों की श्रेणी में पहला स्थान मिला, जबकि झारखंड को सौ से कम शहरों वाले राज्य की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार मिला है. जालंधर छावनी बोर्ड को देश के सबसे स्वच्छ छावनी बोर्ड का पुरस्कार दिया गया है. चालीस लाख से अधिक आबादी वाले, सबसे स्वच्छ शहरों में गुजरात का अहमदाबाद सबसे ऊपर रहा.
केन्द्र सरकार ने स्वच्छ सर्वेक्षण की शुरूआत, व्यापक पैमाने पर नागरिकों की भागीदारी और देश का सबसे स्वच्छ शहर बनने के लिए प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-08-20 23:10:432020-08-21 14:05:23स्वच्छ सर्वेक्षण 2020: मध्य प्रदेश के इंदौर को प्रथम पुरस्कार
हिमालयी तितली ‘गोल्डन बर्डविंग’ को हाल ही में भारत की सबसे बड़ी तितली का दर्जा दिया गया है. ‘मादा गोल्डन बर्डविंग’ उत्तराखंड के दीदीहाट में जबकि ‘नर गोल्डन बर्डविंग’ मेघालय के शिलांग में ‘वानखर तितली संग्रहालय’ में पाया गया है.
गोल्डन बर्डविंग: एक दृष्टि
‘गोल्डन बर्डविंग’ (Golden Birdwing) का वैज्ञानिक नाम Troides aeacus है. इस प्रजाति के पंखों की लंबाई 194 मिलीमीटर तक होती है. तितली की यह प्रजाति गढ़वाल से उत्तर-पूर्व राज्य तथा ताइवान, चीन आदि में भी पाई जाती है.
इससे पहले ‘दक्षिणी बर्डविंग’ को भारत की सबसे बड़ी तितली होने का दर्जा
गोल्डन बर्डविंग को 88 वर्षों के बाद भारत की सबसे बड़ी तितली के रूप में खोजा गया हिया. इससे पहले भारत की सबसे बड़ी तितली होने का दर्जा 1932 में ‘दक्षिणी बर्डविंग’ को दिया गया था जो कॉमन बर्डविंग उप-प्रजाति है. इस प्रजाति का वैज्ञानिक नाम Troides Minos है. दक्षिणी बर्डविंग के पंखों की लंबाई 140-190 मिलीमीटर तक होती है. यह गोवा से केरल तक पाई जाती है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-07-09 22:38:472020-07-09 22:38:47हिमालयी तितली ‘गोल्डन बर्डविंग’ को भारत की सबसे बड़ी तितली का दर्जा दिया गया
भारत के बाहर पहला योग विश्वविद्यालय अमरीका के लॉस एंजेलिस शहर में शुरू किया गया है. इस विश्वविद्यालय का नाम स्वामी विवेकानंद के नाम पर रखा गया है. विदेश राज्य मंत्री मुरलीधरन ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए इस संस्था का उद्घाटन 23 जून को 6ठे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर किया गया था.
विश्वविद्यालय के वर्ष 2020 सेमेस्टर की पहली कक्षा 24 अगस्त 2020 से शुरू होगी. इसके अलावा योग (MS योग) में ऑनलाइन मास्टर कार्यक्रम भी विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा.
योग गुरू नागेन्द्र इस विश्वविद्यालय के पहले अध्यक्ष होंगे
इस विश्वविद्यालय के पहले अध्यक्ष के रूप में जाने-माने योग गुरू एचआर नागेन्द्र को नियुक्त किया गया है. वह स्वामी विवेकानंद योग अनुसन्धान संस्थान (SVYASA) के कुलपति हैं. बेंगलुरु में स्थित SVYASA भारत और विश्व का पहला योग विश्वविद्यालय है. यह एक डीम्ड विश्वविद्यालय है जिसकी स्थापना वर्ष 2002 में हुई थी.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-06-26 23:02:222020-06-26 23:02:22भारत के बाहर पहला योग विश्वविद्यालय लॉस एंजेलिस में शुरू किया गया
अमेरिकी महिला कैथरीन सुलिवन (Kathy Sullivan) पृथ्वी के महासागर में सबसे गहरे ज्ञात स्थान ‘मरियाना ट्रेंच’ पर पहुंचने वाली पहली महिला बन गई हैं. सुलिवन ने एक सबमर्सिबल में मरियाना ट्रेंच स्थित ‘चैलेंजर डीप’ (Challenger Deep) की तली तक करीब 11 किलोमीटर नीचे पहुंचीं.
कैथरीन सुलिवन ने मरियाना ट्रेंच (प्रशांत महासागर) तक पहुचने की यह कामयाबी EYOS Expeditions नाम की लॉजिस्टिक्स कंपनी के साथ मिलकर किया. उनके साथ एक्सप्लोरर विक्टर एल वेस्कोवो भी गए थे. दोनों ने चैलेंजर डीप पर करीब डेढ़ घंटा बिताया.
अंतरिक्ष में चलने वाली पहली अमेरिकी महिला
68 साल की कैथरीन सुलिवन ने 1978 में NASA को जॉइन किया था. वह उस पहले अमेरिकी ऐस्ट्रोनॉट्स के ग्रुप का हिस्सा थीं जिसमें महिलाओं को शामिल किया गया था. 11 अक्टूबर, 1984 को वह अंतरिक्ष (स्पेस) में चलने वाली पहली अमेरिकी महिला बनीं थीं.
कैथरीन स्पेस के अपने दूसरे मिशन में Discovery स्पेस शटल से गई थीं. इस मिशन के दौरान Hubble Space Telescope को लॉन्च किया गया था. Hubble पृथ्वी की कक्षा में घूमती ऑब्जर्वेटरी है जिसने पिछले 30 साल में अद्भुत नजारे कैमरे में कैद किए हैं.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-06-16 22:09:382020-06-16 22:09:38अमेरिकी महिला कैथरीन सुलिवन मरियाना ट्रेंच पहुंचने वाली पहली महिला बनी
ब्रिटिश लेखिका जेके राउलिंग ने 26 मई को अपनी नई बाल पुस्तक (children’s book) ‘द इकाबॉग’ (The Ickabog) का इन्टरनेट संस्करण जारी किया. इस पुस्तक के कहानियों को 10 जुलाई तक प्रत्येक दिन किस्तों (instalments) में theickablog.com पर मुफ्त में प्रकाशित की जाएगी. इसका आधिकारिक प्रकाशन नवंबर 2020 में किया जायेगा.
जे.के. रोलिंग
जेके रोलिंग का पूरा नाम जोन कैथलीन रोलिंग (Joanne Kathleen Rowling) है. वह एक ब्रिटिश लेखिका हैं. अंग्रेज़ी में लिखा उनका उपन्यास- श्रृंखला ‘हैरी पॉटर’ (Harry Potter) 21वी सदी का सबसे मशहूर उपन्यासों में से एक है. हैरी पॉटर में एक नयी जादुई दुनिया का वर्णन है. इन उपन्यासों पर इन्हीं नामों की 8 हॉलिवुड फ़िल्में भी बन चुकी हैं.
हैरी पॉटर श्रृंखला का पहला उपन्यास ‘हैरी पॉटर और द फिलोस्फर स्टोन’ 1997 में प्रकाशित हुआ था. जेके रोलिंग ने 2012 में वयस्कों के लिए अपना पहला उपन्यास ‘द कैजुअल वेकेंसी’ (The Casual Vacancy) और 2013 में उन्होंने ‘रॉबर्ट गैलब्रेथ’ नाम से एक अपराध उपन्यास प्रकाशित किया था.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-05-27 23:27:292020-05-27 23:27:29जेके राउलिंग ने अपनी नई बाल पुस्तक ‘द इकाबॉग’ का इन्टरनेट संस्करण जारी किया
भारत में हाल ही में पहला संस्थागत वैकल्पिक विवाद समाधान (alternate dispute resolution) केंद्र का उद्घाटन किया गया है. इस केंद्र का नाम ‘भारतीय विवाद समाधान केंद्र’ (Indian Dispute Resolution Centre-IDRC) है. इसका उद्घाटन सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक न्यायालय के अन्तर्राष्ट्रीय न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एके सिकरी ने किया था.
IDRC भारत में अपनी तरह का पहला संस्थागत ADR (alternate dispute resolution) केंद्र है, जो ई-पंच निर्णय, ई-मध्यस्थता और ई-समाधान पोर्टल के जरिए ऑफलाइन सुविधा प्रदान करता है. यह पूरी तरह से कागज रहित विवाद के समाधान का माहौल प्रदान करता है.
IDRC के पैनल में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज, उच्च न्यायालयों और जिला न्यायालयों के पूर्व जज, वरिष्ठ अधिवक्ता, पूर्व नौकरशाह, सीए, आर्किटेक्ट, कॉर्पोरेट लीडर और अन्य लोग शामिल हैं.
IDRC एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में स्थापित किया गया है
IDRC को एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में स्थापित किया गया है. यह देश और दक्षिण एशिया में अद्वितीय और नया रास्ता बनाने वाला संस्थागत वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र (ADR) है.
IDRC एक अनूठा मिश्रण के रूप में दोनों ऑफलाइन बुनियादी ढांचे के साथ-साथ ऑनलाइन E-ADR प्लेटफार्म प्रदान करता है. IDRC की वेबसाइट (www.theidrc.com) है.
IDRC के पास मध्यस्थता, समाधान और सुलह के लिए प्रारंभिक स्तर पर तटस्थ मूल्यांकन और विशेषज्ञ निर्धारण के लिए अत्याधुनिक ADR बुनियादी ढांचा मौजूद है.
IDRC का मुख्य कायार्लय नई दिल्ली के कनॉट प्लेस क्षेत्र में होगा. साथ ही देश में रणनीतिक वाणिज्यिक स्थानों पर केंद्र रहेगा.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-05-26 23:14:152020-05-26 23:14:15भारत में पहला संस्थागत वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र IDRC का उद्घाटन