कोरोना वायरस से पीड़ितों के लिए देश में एक विशेष वैक्सीन ‘कोरोफ्लू’ तैयार की जा रही है

हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी कोरोना वायरस से पीड़ितों के लिए नाक के जरिए ली जाने वाली एक विशेष वैक्सीन तैयार कर रही है. यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कांसिन मैडीसन और वैक्सान निर्माता कंपनी फ्लूजेन के वायरोलॉजिस्ट ने भारत बायोटेक के साथ मिलकर इस जानलेवा वायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन बनाने का काम कर रही है.

वैक्सीन को ‘कोरोफ्लू’ नाम दिया गया

इस वैक्सीन को कोरोफ्लू नाम दिया गया है. कंपनी ने इसके निर्माण करने के लिए परीक्षण शुरू कर दिया है. कोरोफ्लू वैक्सीन, फ्लूजेन कंपनी की फ्लू वैक्सीन M2SR के आधार पर विकसित किया जा रहा है. उल्लेखनीय है फ्लू की M2SR वैक्सीन यूनिवर्सिटी आफ विस्कांसिन-मैडीसन के वाइरोलाजिस्ट और वैक्सीन निर्माता कंपनी फ्लूजेन के संस्थापकों योशिरो कावाओका व गैब्रियेल न्यूमैन ने ईजाद की थी.

एक बार तैयार होने के बाद इस वैक्सीन की एक बूंद कोरोना मरीजों की नाक में डाली जाएगी. यह वैक्सीन मनुष्यों के लिए पूरी तरह सुरक्षित होने का दावा किया गया है. भारत बायोटेक ने बताया है कि कोरोफ्लू वैक्सीन के विभिन्न परीक्षणों में तीन से छह माह का वक्त लग सकता है.

गौरतलब हो कि अभी तक कोई भी देश या संस्था इस जानलेवा वायरस से लड़ने के लिए कोई वैक्सीन तैयार नहीं कर पाया है. दुनियाभर की कंपनियां कोरोना की वैक्सीन बनाने में लगी हुई है.

भारत COVID-19 के ‘स्‍टेज 2’ और ‘स्‍टेज 3’ के बीच में, जानिए क्या कोरोना वायरस के स्टेज

भारत में COVID-19 (कोरोना वायरस) के मामलों की संख्‍या तेजी से बढ़ रही है. इस बीच सरकार ने देश में इस महामारी के ‘स्‍टेज 3’ में होने से इनकार किया है. स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के अधिकारियों ने 6 अप्रैल को कहा क‍ि भारत COVID-19 महामारी के ‘स्‍टेज 2’ और ‘स्‍टेज 3’ के बीच है. यानी भारत में अभी कम्‍युनिटी ट्रांसमिशन शुरू नहीं हुआ है.

कोरोना वायरस के स्टेज: एक दृष्टि

  1. स्टेज 1: जो लोग संक्रमित देश जैसे चीन, इटली जैसे देशों से आए हैं, वह चपेट में आते हैं.
  2. स्टेज 2: इस स्टेज में देश के लोगों में विदेश से आए लोगों के जरिए संक्रमण फैलता है.
  3. स्टेज 3: ये वायरस संक्रमित लोगों के आस-पास मौजूद दूसरे लोगों में फैलने लगता है.
  4. स्‍टेज 4: इस स्‍टेज में महामारी पर कोई कंट्रोल नहीं रहता. कहीं से भी नए मामले सामने आने लगते हैं. देश के अधिकतर हिस्‍से पर वायरस का कब्‍जा हो जाता है.

कम्युनिटी ट्रांसमिशन ‘थर्ड स्टेज’ होती है. यह तब आती है जब एक बड़े इलाके के लोग वायरस से संक्रमित पाए जाते हैं. स्‍टेज 3 को रोकने के लिए ही लॉकडाउन किया जाता है. इससे कोरोना से पीड़‍ित व्‍यक्ति अपने घरवालों के अलावा किसी और को इन्‍फेक्‍ट नहीं करता.

सरकार ने कोविड-19 से लड़ने के लिए CAWACH की स्थापना को मंजूरी दी

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने कोविड-19 लड़ने के लिए Centre for Augmenting WAR with COVID-19 Health Crisis (CAWACH) की स्थापना को 3 अप्रैल को मंजूरी दी.

DST द्वारा समर्थित IIT बांबे में एक टेक्नोलॉजी बिजनेस इंक्यूबेटर, सोसाइटी फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (साइन) की पहचान CAWACH के लिए कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में की गई है.

CAWACH का उद्देश्य नवोन्मेषों तथा स्टार्ट-अप्स को आवश्यक वित्तीय सहायता उपलब्ध करना होगा जो इस बीमारी के समाधान में लगे हुए हैं.

CAWACH उन 50 नवोन्मेषों एवं स्टार्ट-अप्स की पहचान करेगा जो नवीन, निम्न लागत, सुरक्षित एवं कारगर वेंटिलेटरों, रेस्पिरेटरी एड्स, प्रोटेक्टिव गियर्स, सैनिटाइजर के लिए नवीन समाधानों, डिस्इंफेक्टैंट्स, डायगनोस्टिक्स, थेराप्यूटिक्स, इंफार्मेटिक्स एवं कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए अन्य प्रभावी उपायों के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं.

महावीर चक्र से सम्मानित भारतीय वायुसेना के पूर्व सैनिक चंदन सिंह राठौड़ का निधन

भारतीय वायुसेना के पूर्व सैनिक चंदन सिंह राठौड़ का 29 मार्च को 95 साल की आयु में निधन हो गया. वे 1980 में सेवानिवृत हुए थे. चंदन सिंह को अति विशिष्ट सेवा मेडल, 1965 की जंग में उल्लेखनीय योगदान के लिए वीर चक्र से सम्मानित किया गया था. उन्हें 1971 में बांग्लादेश बनाने में अहम भूमिका निभाने पर महावीर चक्र प्रदान किया गया था. यह परमवीर चक्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा सैन्य पुरस्कार है.

एयर मार्शल सिंह उन योद्धाओं में शामिल थे, जिन्होंने दूसरे विश्व युद्ध से लेकर देश की आजादी के बाद 1948 के कबायली आक्रमण, 1962 में भारत-चीन तथा 1965 व 1971 की भारत-पाक लड़ाइयों में बहादुरी के साथ हिस्सा लिया था.

असम के जोरहट एयरफोर्स स्टेशन के एओसी रहते हुए ग्रुप केप्टन चंदन सिंह ने 1971 के भारतीय-पाकिस्तान युद्ध में मुश्किल माने जाने वाली ढाका पोस्ट पर रात को अपने हेलीकॉप्टर्स से 3 हजार से अधिक सैनिकों और 40 टन से अधिक हथियार व अन्य उपकरण पहुंचाकर पाकिस्तान की जीती हुई बाजी को पलट दिया था.

मार्च का अंतिम शनिवार: 14वां अर्थ ऑवर मनाया गया

ऊर्जा की बचत कर धरती को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष मार्च के अंतिम शनिवार (last Saturday of March) को ‘अर्थ ऑवर’ (Earth Hour) मनाया जाता है. इस वर्ष 28 मार्च 2020 को पूरे विश्व में अर्थ ऑवर मनाया गया. इसमें 187 देशों के सात हजार से ज्यादा शहरों ने हिस्सा लिया. अर्थ आवर का यह 14वां संस्करण था, जो ग्रीन ग्रुप WWF द्वारा आयोजित किया गया था. अर्थ ऑवर 2020 का विषय (थीम) ‘Climate Change’ था.

अर्थ ऑवर क्या है?

अर्थ ऑवर लोगों के लिए जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई करने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा जमीनी स्तर का आंदोलन है. इस अवसर पर विश्व भर में लोगों को एक घंटे के लिए गैर-आवश्यक उपकरणों की बिजली बंद करने का आवाहन किया जाता है.

अर्थ ऑवर को वर्ष 2007 में वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर द्वारा शुरू किया गया था. अर्थ ऑवर के द्वारा पर्यावरण सुरक्षा तथा जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के प्रति प्रतिबद्धता प्रकट की जाती है.

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को ड्रग एंड कास्मेटिक्स एक्ट की H1 सूची में डाला गया

कोरोना वायरस के कारण हाइड्रॉक्‍सीक्‍लोरोक्‍वीन (Hydroxychloroquine) के इस्तेमाल में आई तेजी को रोकने के लिए सरकार ने इस दवा की खुली बिक्री पर रोक लगा दी है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और उसके फार्मूले पर बनने वाली अन्य सभी दवाओं को ड्रग एंड कास्मेटिक्स एक्ट की H1 सूची में डाल दिया है.

क्या होता है H1 सूची में शामिल दवा

H1 सूची में शामिल दवा को पंजीकृत डाक्टर की अनुसंशा के बगैर नहीं बेचा जा सकता है. साथ ही केमिस्ट के लिए डाक्टर की उस पर्ची को ड्रग विभाग को भी जमा कराना होता है. अभी तक इस सूची में एड्स समेत ऐसी गंभीर बीमारियों की दवाएं हैं, जिनका शरीर पर गहरा दुष्प्रभाव होता है, लेकिन मरीज की जान बचाने के लिए उसे इन दवाओं को देना जरूरी होता है.

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का दुष्प्रभाव घातक हो सकता है

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा मलेरिया के इलाज के लिए इस्‍तेमाल की जाती है. मलेरिया की दवा की बिक्री पर प्रतिबंध पहली बार लगा है. कोरोना वायरस (COVID-19) से बचाव और इलाज में क्लोरोक्वीन और हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के कारगर होने की जानकारी के कारण बड़ी संख्या में लोग इसका इस्तेमाल करने लगे थे. इसके साथ ही लीवर, दिल और किडनी की बीमारियों के जूझ रहे मरीजों पर इसका दुष्प्रभाव घातक हो सकता है.

देश में ‘महामारी अधिनियम 1897 के खंड 2’ को लागू करने का सुझाव

केन्द्रीय कैबिनेट सचिव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ‘महामारी अधिनियम (Epidemic Disease Act) 1897 के खंड 2’ को लागू करने का सुझाव दिया है. कैबिनेट सचिव की ओर से बुलाई गई बैठक में यह निर्णय लिया गया. इस बैठक में संबंधित विभागों के सचिव, सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के प्रतिनिधियों समेत अन्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया था.

कैबिनेट सचिव ने यह निर्णय देश में COVID-19 (कोरोना वायरस) के फैलने को रोकने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर जारी परामर्श लागू करने के लिए लिया है. उल्लेखनीय है कि हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी COVID-19 को एक महामारी के रूप में घोषित किया है.

COVID-19 बीमारी को फैलने से रोकने के लिए भारत सरकार ने कुछ खास श्रेणियों को छोड़कर बाकी सभी वर्तमान वीज़ा 13 मार्च से लेकर 15 अप्रैल 2020 तक निलंबित कर दिया है.

महामारी अधिनियम (Epidemic Disease Act) 1897 क्या है?

इस अधिनियम में महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार को संबंधित कानून बनाने और मौजूदा कानूनों में बदलाव करने का अधिकार देता है. इसके तहत दिए गये नियमों की अवहेलना करने वाले व्यक्ति को ‘भारतीय दंड संहिता की धारा 188’ के तहत दण्डित किये जाने का प्रावधान है.

राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया

केंद्र सरकार ने 2 मार्च को मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (eco-sensitive zone- ESZ) घोषित किया. राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में गांगेय डॉल्फिन और अत्यंत लुप्तप्राय घड़ियाल पाए जाते हैं.

पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार इस अभयारण्य की सीमा से 0 से 2 किलोमीटर के दायरे में आने वाले क्षेत्र को पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील घोषित किया गया है. अधिसूचना में वन्यजीव अभयारण्य के एक किलोमीटर या ESZ तक, जो भी नजदीक हो, किसी भी होटल या रिजॉर्ट के निर्माण पर रोक लगायी है.

राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य: एक दृष्टि

राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य मध्य प्रदेश के श्योपुर, मुरैना और भिंड जिलों में 435 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है. यह 75 प्रतिशत घड़ियालों का प्राकृतिक आवास है. इस अभयारण्य में ताजा पानी में पायी जाने वाली गांगेय डॉल्फिन, ताजा पानी के कछुओं की नौ प्रजातियां और पक्षियों की 180 से अधिक प्रजातियां भी पायी जाती हैं.

इको-सेंसिटिव जोन क्या हैं?

इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) संरक्षित क्षेत्रों, राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास के क्षेत्र हैं. ESZ को भारत सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत अधिसूचित किया जाता है. इसका मूल उद्देश्य राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आस-पास कुछ गतिविधियों को विनियमित करना है ताकि ऐसी गतिविधियों के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके.

एशियाई हाथी, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को संरक्षण हेतु सूचीबद्ध किया था

सरकार ने इससे पहले प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण को लेकर एशियाई हाथी, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और बंगाल फ्लोरीकन को सूचीबद्ध किया था. इन प्रजातियों के वास स्थलों को सुरक्षित क्षेत्र के रूप में घोषित करने के अलावा भारत में दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल हिम तेंदुआ, ओलिव रिडले कछुए, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, गांगेय डॉल्फिन और डुगोंग आदि को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की पहली अनुसूची में सूचीबद्ध कर इन्हें उच्चतम श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है.

श्री राम जन्‍मभूमि न्‍यास की पहली बैठक, नृपेंद्र मिश्रा मंदिर निर्माण समिति के प्रमुख होंगे

अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए गठित ‘श्री राम जन्‍मभूमि न्‍यास’ की पहली बैठक 19 फरवरी को नई दिल्ली में हुई. इस बैठक में महंत नृत्य गोपाल दास को इस न्‍यास (ट्रस्‍ट) का अध्यक्ष और चंपत राय को महासचिव बनाया गया है. पन्‍द्रह सदस्यीय न्‍यास का गठन नवंबर 2019 में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में किया गया है.

मंदिर निर्माण समिति का गठन

श्री राम जन्‍मभूमि न्‍यास की पहली बैठक में मंदिर निर्माण के बारे में निर्णय लेने के लिए ‘मंदिर निर्माण समिति’ बनाये जाने का फैसला लिया गया. इस समिति के प्रमुख नृपेंद्र मिश्रा होंगे. नृपेंद्र मिश्रा प्रधानमंत्री मोदी के पूर्व प्रधान सचिव हैं. साथ ही गोविंद देवगिरि को इस समिति कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

मंदिर निर्माण समिति अपनी रिपोर्ट रखेगी. इसी रिपोर्ट के आधार पर ट्रस्ट की अयोध्या बैठक में मंदिर निर्माण की तारीख तय की जाएगी. भवन निर्माण समिति सभी प्रशासनिक और अन्य कार्यों के लिए विशेषज्ञों के साथ मिलकर निर्णय करेगी.

प्रवासी भारतीय केंद्र का नया नाम सुषमा स्वराज भवन किया गया

सरकार ने ‘प्रवासी भारतीय केंद्र’ का नाम बदलकर ‘सुषमा स्वराज भवन’ और ‘विदेश सेवा संस्थान’ का नाम बदलकर ‘सुषमा स्वराज इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेन सर्विस’ करने का फैसला किया है. भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के अमूल्य योगदान के लिए विदेश मंत्रालय ने 13 फरवरी को उनकी जयंती की पूर्व संध्या पर इसकी घोषणा की. इससे पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर उन्हें पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था.

14 फरवरी को पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का जन्मदिन है. उनका निधन 67 वर्ष की उम्र में 6 अगस्‍त 2019 को हो गया था. विदेश मंत्री के तौर पर सुषमा स्वराज विदेशों में भी काफी लोकप्रिय थीं.

एक भारत श्रेष्‍ठ भारत’ अभियान का आयोजन किया जा रहा है

भारत सरकार का सूचना और प्रसारण मंत्रालय 10 से 28 फरवरी तक ‘एक भारत श्रेष्‍ठ भारत’ अभियान का आयोजन देशभर में कर रहा है. अभियान के दौरान 36 राज्‍यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों की संस्‍कृति, खानपान, शिल्‍प और परंपराओं को दर्शाया जाएगा ताकि लोगों में देश की विविधता के प्रति बेहतर समझ पैदा हो और लोगों में साझा पहचान की भावना मजबूत हो.

एक भारत श्रेष्‍ठ भारत: एक दृष्टि

  • एक भारत श्रेष्‍ठ भारत विविधता में भारत की एकता को दर्शाने वाला एक अनूठा कार्यक्रम है. इसका उद्देश्‍य एक ऐसा माहौल उपलब्‍ध कराना है, जिसमें सभी राज्‍य सर्वोत्‍तम कार्यशैलियों और अनुभवों से सीख ले सकें.
  • इस कार्यक्रम के तहत देश के सभी राज्‍यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों के बीच गहरा सामंजस्‍य स्‍थापित कर राष्‍ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा दिया जाता है.
  • इस अभियान के लिए राज्‍यों की जोड़ी केन्‍द्रशासित प्रदेशों के साथ बनाई गयी है. इस दौरान, देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दी जाएगी.
  • वर्ष 2016 में एक भारत श्रेष्‍ठ भारत कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा था कि यह कार्यक्रम राज्‍यों के लोगों को जोड़ने का माध्‍यम बन सकता है.

अयोध्‍या में राम मंदिर के निर्माण के लिए ‘श्री राम जन्‍म भूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्‍ट का गठन किया गया

केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने अयोध्‍या में राम मंदिर के निर्माण के लिए एक स्‍वायत्‍त ट्रस्‍ट के गठन का फैसला किया है. इस ट्रस्‍ट का नाम ‘श्री राम जन्मभूमि तीथ क्षेत्र’ रखा गया है. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस ट्रस्ट को बनाये जाने की घोषणा लोकसभा में 5 फरवरी को की.

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार इस ट्रस्‍ट को बनाने की घोषणा की है. अयोध्‍या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार उत्‍तरप्रदेश सरकार सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि देने पर सहमत हो गई है.

‘श्री राम जन्‍म भूमि तीर्थ क्षेत्र’ का गठन करने का प्रस्‍ताव

राम मंदिर के निर्माण के लिए करीब 67 एकड़ भूमि इस ‘श्री राम जन्‍म भूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्‍ट को हस्‍तांतरित की जाएगी. ये ट्रस्‍ट भगवान श्रीराम की जन्‍मस्‍थली पर भव्‍य और दिव्‍य श्री राममंदिर के निर्माण और उससे संबंधित विषयों पर निर्णय लेने के लिए पूर्ण रूप से स्‍वतंत्र होगा.

इस ट्रस्‍ट में 15 ट्रस्‍टी होंगे जिनमें से एक हमेशा दलित समुदाय से होगा. ट्रस्ट के नियमों के मुताबिक, इसमें 10 स्थायी सदस्य हैं, जिन्हें वोटिंग का अधिकार होगा. बाकी के पांच सदस्यों को वोटिंग का अधिकार नहीं है.

मन्दिर संबंधी सभी फैसलों के लिए ट्रस्‍ट पूरी तरह स्‍वतंत्र होगा. ट्रस्ट में शामिल किए जाने वाले लोगों में ऐडवोकेट के पराशरण, कामेश्वर चौपाल, महंत दिनेंद्र दास और अयोध्या राज परिवार से जुड़े विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा जैसे नाम प्रमुख हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया था

लंबे समय तक चले अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया था. कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन करे. सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के तहत इस ट्रस्ट का गठन किया गया है.