भारत 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करेगा

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि वर्ष 2030 तक भारत के ऊर्जा उत्‍पादन का पचास प्रतिशत, गैर-जीवाश्‍म ईंधन से होने लगेगा और 2070 तक भारत शून्‍य कार्बन उत्‍सर्जन का लक्ष्‍य हासिल कर लेगा.

मुख्य बिन्दु

  • प्रधानमंत्री, गांधीनगर में 28 अगस्त को सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के भारत में चालीस वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही.
  • श्री मोदी ने कहा कि देश में इलैक्ट्रिक वाहनों की बढती मांग के साथ इस दिशा में एक मौन क्रांति हो रही है.
  • इस बीच सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के अध्‍यक्ष तोशिहिरो सुजुकी ने भारत में एक नई कंपनी – ‘सुजुकी आर एंड डी’ सेंटर इंडिया की स्थापना की घोषणा की. उन्‍होंने कहा कि इस जापानी कंपनी का लक्ष्‍य न केवल भारत में अनुसंधान और विकास प्रतिस्‍पर्धा और क्षमता बढाना है, बल्कि वैश्विक बाजारों को भी इसका लाभ पहुंचाना है.

भारत ने गरबा नृत्य को यूनेस्को की सांस्कृतिक सूची में के लिए नामित किया

भारत ने गरबा नृत्य को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की सांस्कृतिक सूची में शामिल किए जाने के लिए नामित किया है.

मुख्य बिन्दु

  • भारत ने गरबा नृत्य को 2022 के लिए ‘यूनेस्को की अदृश्य सांस्कृतिक विरासत’ में शामिल किए जाने के लिए नामित किया है.
  • इससे पहले वर्ष 2021 में दुर्गा पूजा को यूनेस्को की अदृश्य सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया गया था.
  • यूनेस्को के निदेशक ऐरिक फॉल्ट ने कहा है कि यूनेस्को की अगली बैठक नवम्बर में होगी और आशा है कि गरबा को यूनेस्को की अदृश्य सांस्कृति विरासत सूची में शामिल कर लिया जाएगा.
  • भारत को जुलाई में अदृश्य सांस्कृतिक विरासत सुरक्षा से संबंधित 2003 की अंतर-सरकारी समिति के लिए चुना गया था. भारत को 155 देशों की समिति में 110 मतों से चुना गया था.

भारत में 11 नए आर्द्रभूमि को रामसर स्थल का दर्जा दिया गया

रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) के तहत भारत के 11 नए आर्द्रभूमि को रामसर स्थल (Ramsar Sites) सूची में शामिल किया गया है. भारत ने स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर ये स्थल जोड़े गए हैं. इसके बाद अब भारत में रामसर स्थलों की कुल संख्‍या 75 हो गई है. ये क्षेत्र देश के 13.27 लाख हैक्‍टेयर भूमि में फैले हैं.

जोडे गये 11 नये स्‍थलों में चार तमिलनाडु, तीन ओडिशा, दो जम्‍मू-कश्‍मीर में और एक-एक महाराष्ट्र तथा मध्‍यप्रदेश में हैं.

इन स्‍थलों को रामसर साइट्स में शामिल करने से इनका रख-रखाव करने में मदद मिलेगी और आर्द्र भूमि संसाधनों का उचित उपयोग हो सकेगा.

रामसर स्थल: एक दृष्टि

  • अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि को रामसर स्थल कहा जाता है. रामसर स्थल पानी में स्थित मौसमी या स्थायी पारिस्थितिक तंत्र हैं. इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल, चावल के खेत, प्रवाल भित्तियाँ, समुद्री क्षेत्र (6 मीटर से कम ऊँचे ज्वार वाले स्थान) के अलावा मानव निर्मित आर्द्रभूमि जैसे- अपशिष्ट जल उपचार तालाब और जलाशय आदि शामिल होते हैं.
  • आर्द्रभूमियां प्राकृतिक पर्यावरण का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं. ये बाढ़ की घटनाओं में कमी लाती हैं, तटीय इलाकों की रक्षा करती हैं, साथ ही प्रदूषकों को अवशोषित कर पानी की गुणवत्ता में सुधार करती हैं.
  • आर्द्रभूमि मानव और पृथ्वी के लिये महत्त्वपूर्ण हैं. 1 बिलियन से अधिक लोग जीवनयापन के लिये उन पर निर्भर हैं और दुनिया की 40% प्रजातियाँ आर्द्रभूमि में रहती हैं तथा प्रजनन करती हैं.
  • रामसर स्थल का दर्जा उन आर्द्रभूमियों को दिया जाता है जो रामसर कन्वेंशन के मानकों को पूरा करते हैं. रामसर कन्वेंशन एक पर्यावरण संधि है जो आर्द्रभूमि एवं उनके संसाधनों के संरक्षण तथा उचित उपयोग हेतु राष्ट्रीय कार्रवाई और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये रूपरेखा प्रदान करती है.
  • रामसर स्थल नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है क्योंकि यहीं 02 फरवरी 1971 को रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए थे. भारत ने इस संधि पर 1 फरवरी 1982 को हस्ताक्षर किये थे.
  • भारत में अब कुल 75 रामसर स्थल हैं जो देश की कुल भूमि का लगभग 5% है. ये क्षेत्र देश के 13.27 लाख हैक्‍टेयर भूमि में फैले हैं.
  • आर्द्रभूमि के राज्य-वार वितरण में तमिलनाडु पहले और गुजरात दूसरे स्थान पर है (एक लंबी तटरेखा के कारण). इसके बाद आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का स्थान है.
  • रामसर सूची के अनुसार, सबसे अधिक रामसर स्थलों वाले देश यूनाइटेड किंगडम (175) और मेंक्सिको (142) हैं. अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि का क्षेत्रफल (148,000 वर्ग किमी) सबसे अधिक बोलीविया में है.

जम्मू कश्मीर में दुनिया का सबसे ऊंचा पुल की अंतिम आर्क को जोड़ा गया

जम्मू कश्मीर में, निर्माणाधीन विश्व के सबसे ऊंचे रेल पुल ने उस समय एक और उपलब्धि प्राप्त की जब 14 अगस्त को इसके अंतिम आर्क (गोल्डन ज्वाइंट) को जोड़ दिया गया.

मुख्य बिन्दु

  • यह रेल पुल जम्मू कश्मीर में, रियासी जिले के कौरी इलाके में चिनाब नदी पर निर्माणाधीन है. यह विश्व का सबसे ऊंचा रेल पुल होगा.
  • इस पुल के दोनों सिरों को हाई स्ट्रेंथ फ्रिक्शन ग्रिप (HSFG) बोल्ट की मदद से जोड़ा गया है. इसे ‘गोल्डन जॉइंट’ नाम दिया गया है.
  • यह कश्मीर को सीधा राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ता है. यह उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना के तहत बनाया गया है.
  • चिनाब दरिया की सतह से 359 मीटर की ऊंचाई पर इस पुल के अंतिम आर्क जुड़ते ही कोड़ी और बक्कल रेलवे स्टेशन आपस में जुड़ गए हैं.
  • यह पुल पेरिस के एफिल टावर से 30 मीटर ऊंचा है. हालांकि, पुल का अभी 98 फीसदी निर्माण पूरा हुआ है, जिसे दिसंबर 2022 तक पूरा किया जाएगा.
  • इस पुल पर 1,436 करोड़ रुपये खर्च होने हैं. 17 स्तंभों पर बने पुल की कुल लंबाई 1315 मीटर है.
  • 111 किलोमीटर लंबे कटड़ा-बनिहाल सेक्शन में निर्माणाधीन पुल का काम वर्ष 2004 में शुरू हुआ था. 120 साल की अवधि के लिए तैयार किए जा रहे पुल पर 260 किलोमीटर प्रतिघंटे के रफ्तार से चलने वाली हवाएं भी असर नहीं डाल सकेंगी.

जगदीप धनखड़ ने भारत के 14वें उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली

नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 11 अगस्त को देश के 14वें उप-राष्ट्रपति (14th Vice-President of India) के रूप मे शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाईं. उप-राष्ट्रपति के रूप में श्री एम वेंकैया नायडु का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो गया था. 6 अगस्त को उप-राष्ट्रपति पद के चुनाव में जगदीप धनखड़, भारत के 14वें उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे.

  • इस चुनाव में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया था जबकि मार्गरेट अल्वा विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार थीं.
  • नव निर्वाचित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मार्गरेट अल्वा को 346 मतों के अंतर से हराया था. धनखड़ को  कुल डाले गए 725 में से 528 वोट मिले. वहीं, अल्वा को 182 वोट मिले. जबकि 15 वोट अमान्य रहे.
  • जगदीप धनखड़ का जन्म राजस्थान में हुआ था. वह भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे है. इससे पहले वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे. 1993 से 1998 तक किशनगढ़ (राजस्थान) से विधायक चुने गए थे.

भारतीय संविधान में उपराष्ट्रपति

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 में भारत के उपराष्ट्रपति होने की बात कही गई है. अनुच्छेद 64 के अनुसार उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति (अध्यक्ष) होता है.
  • अनुच्छेद 65 के अनुसार, राष्ट्रपति की मृत्यु, इस्तीफे या हटाने की स्थिति में उपराष्ट्रपति उस तारीख तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा जब तक कि नए राष्ट्रपति की नियुक्ति नहीं की जाती.

उपराष्ट्रपति चुनाव

  • उपराष्ट्रपति चुनाव भारतीय निर्वाचन आयोग संपन्न कराता है. इसके लिए निर्वाचन आयोग एक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करता है.
  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों पदों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से (आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति) होता है. यानी चुनाव जनता की बजाय उनके द्वारा चुने गए जन प्रतिनिधि करते हैं.
  • उपराष्ट्रपति चुनाव में लोक सभा और राज्य सभा के सदस्य, जिनमें मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं, मतदान में हिस्सा लेते हैं.
  • वहीं राष्ट्रपति के चुनाव में लोक सभा और राज्य सभा के निर्वाचित सदस्य और राज्यों के विधानमंडलों के सदस्यों को भी मतदान का अधिकार होता है. राष्ट्रपति चुनाव में किसी भी सदन के मनोनीत सदस्य को वोट नहीं डाल सकते.
  • राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति चुनाव में किसी भी संदेह या विवाद सामने आने पर संविधान के अनुच्छेद-71 के मुताबिक, फैसले का अधिकार केवल देश की सुप्रीम कोर्ट को है.
  • उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन भरने के लिए उम्मीदवार को कम-से-कम 20 सांसद बतौर प्रस्तावक और 20 सांसद बतौर समर्थक दिखाने की शर्त पूरी करनी होती है. उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होना चाहिए.

अब तक के उपराष्ट्रपति

  1. डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 13 मई 1952 से 12 मई 1962
  2. जाकिर हुसैन 13 मई 1962 से 12 मई 1967
  3. वीवी गिरि 13 मई 1967 से 3 मई 1969
  4. गोपाल स्वरूप पाठक 31 अगस्त 1969 से 30 अगस्त 1974
  5. बीडी जत्ती 31 अगस्त 1974 से 30 अगस्त 1979
  6. मोहम्मद हिदायतुल्ला 31 अगस्त 1979 से 30 अगस्त 1984
  7. आर वेंकटरमण 31 अगस्त 1984 से 24 जुलाई 1987
  8. शंकर दयाल शर्मा 3 सितम्बर 1987 से 24 जुलाई 1992
  9. केआर नारायणन 31 अगस्त 1992 से 24 जुलाई 1997
  10. कृष्णकांत 21 अगस्त 1997 से 27 जुलाई 2002
  11. भैरों सिंह शेखावत 19 अगस्त 2002 से 21 जुलाई 2007
  12. मोहम्मद हामिद अंसारी 11 अगस्त 2007 से 19 जुलाई 2017
  13. एम वेंकैया नायडू 11 अगस्त 2017 से 10 अगस्त 2022
  14. जगदीप धनखड़ 11 अगस्त 2017 से वर्तमान

इसरो का ‘SSLV-D1’ रॉकेट का पहला प्रक्षेपण आंशिक सफल रहा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का ‘SSLV-D1’ रॉकेट का पहला प्रक्षेपण आंशिक रूप से सफल रहा. यह प्रक्षेपण 7 अगस्त को श्री हरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से किया गया था.

मुख्य बिन्दु

  • इस प्रक्षेपण में इसरो ने ‘SSLV-D1’ रॉकेट के माध्यम से पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (अर्थ आब्‍जर्वर उपग्रह) ‘EOS-02’ और एक अन्‍य उपग्रह ‘आजादी-सैट’ (AzadiSAT) को अंतरिक्ष उनके निर्धारित कक्षा में भेजा गया  था.
  • इस प्रक्षेपण में दोनों उपग्रह अपने निर्धारित कक्षा में पहुँचने में सफल नहीं हुआ. आखिरी समय में इन उपग्रहों का संपर्क इसरो से टूट गया.
  • ‘SSLV-D1’ (स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) इसरो का सबसे छोटा वाणिज्यिक रॉकेट है. इसे बेबी रॉकेट से जाना जाता है.
  • ‘EOS02’ एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट हैं. 142 किलोग्राम का यह सैटेलाइट रात में भी पृथ्वी की निगरानी कर सकता है.
  • दूसरा सैटेलाइट ‘AzaadiSAT’ है. यह ‘स्पेसकिड्ज इंडिया’ नाम की देसी निजी स्पेस एजेंसी का स्टूडेंट सैटेलाइट है. इसे देश की 750 लड़कियों ने मिलकर बनाया है.

नौसेना की महिला अधिकारियों ने पहला स्वतंत्र समुद्री निगरानी मिशन पूरा किया

भारतीय नौसेना की महिला अधिकारियों के दल ने डोर्नियर 228 विमान पर सवार होकर उत्तरी अरब सागर में पहला स्वतंत्र समुद्री निगरानी मिशन पूरा कर इतिहास रच दिया है.

मिशन को गुजरात के पोरबंदर में नौसेना एयर एन्क्लेव स्थित नौसेना की एयर स्क्वाड्रन INAS-314 की पांच महिला अधिकारियों ने पूरा किया.

मिशन की कप्तानी लेफ्टिनेंट कमांडर आंचल शर्मा ने की. इस दल में लेफ्टिनेंट कमांडर आंचल शर्मा, लेफ्टिनेंट शिवांगी, लेफ्टिनेंट अपूर्वा गीते, लेफ्टिेनेंट पूजा पांडा और सब-लेफ्टिनेंट पूजा शेखावत शामिल थीं.

भारत में 10 नए आर्द्रभूमि को रामसर स्थल का दर्जा दिया गया

रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) के तहत भारत के 10 नए आर्द्रभूमि को रामसर स्थल (Ramsar Sites) सूची में शामिल किया गया है. सूची में शामिल किए गए 10 नए स्थलों में से तमिलनाडु के छह और गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश तथा ओडिशा का एक-एक स्थल शामिल है. इन 10 स्थलों को शामिल किए जाने के बाद देश में कुल रामसर स्थलों की संख्या 64 हो गई है.

जिन आर्द्रभूमि को रामसर स्थल का दर्जा दिया गया है उनमें शामिल हैं:

कोंथनकुलम पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु), 2. सतकोसिया गॉर्ज (ओडिशा), 3. नंदा झील (गोवा), 4. मन्नार की खाड़ी समुद्री जीवमंडल रिजर्व (तमिलनाडु), 5. रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य (कर्नाटक), 6. वेम्बन्नूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स (तमिलनाडु), 7. वेलोड पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु), 8. सिरपुर आर्द्रभूमि (मध्यप्रदेश), 9. वेदान्थंगल पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु) और 10. उदयमर्थनपुरम पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु

रामसर स्थल: एक दृष्टि

  • अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि को रामसर स्थल कहा जाता है. रामसर स्थल पानी में स्थित मौसमी या स्थायी पारिस्थितिक तंत्र हैं. इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल, चावल के खेत, प्रवाल भित्तियाँ, समुद्री क्षेत्र (6 मीटर से कम ऊँचे ज्वार वाले स्थान) के अलावा मानव निर्मित आर्द्रभूमि जैसे- अपशिष्ट जल उपचार तालाब और जलाशय आदि शामिल होते हैं.
  • आर्द्रभूमियां प्राकृतिक पर्यावरण का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं. ये बाढ़ की घटनाओं में कमी लाती हैं, तटीय इलाकों की रक्षा करती हैं, साथ ही प्रदूषकों को अवशोषित कर पानी की गुणवत्ता में सुधार करती हैं.
  • आर्द्रभूमि मानव और पृथ्वी के लिये महत्त्वपूर्ण हैं. 1 बिलियन से अधिक लोग जीवनयापन के लिये उन पर निर्भर हैं और दुनिया की 40% प्रजातियाँ आर्द्रभूमि में रहती हैं तथा प्रजनन करती हैं.
  • रामसर स्थल का दर्ज उन आर्द्रभूमियों को दिया जाता है जो रामसर कन्वेंशन के मानकों को पूरा करते हैं. रामसर कन्वेंशन एक पर्यावरण संधि है जो आर्द्रभूमि एवं उनके संसाधनों के संरक्षण तथा उचित उपयोग हेतु राष्ट्रीय कार्रवाई और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये रूपरेखा प्रदान करती है.
  • रामसर स्थल नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है क्योंकि यहीं 02 फरवरी 1971 को रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए थे.
  • भारत में अब कुल 64 रामसर स्थल हैं जो देश की कुल भूमि का 5% है. आर्द्रभूमि के राज्य-वार वितरण में गुजरात शीर्ष पर है (एक लंबी तटरेखा के कारण). इसके बाद आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का स्थान है.
  • रामसर सूची के अनुसार, सबसे अधिक रामसर स्थलों वाले देश यूनाइटेड किंगडम (175) और मेंक्सिको (142) हैं. अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि का क्षेत्रफल (148,000 वर्ग किमी) सबसे अधिक बोलीविया में है.

INS विक्रांत को भारतीय नौसेना को सौंपा गया

स्वदेशी विमान वाहक पोत INS विक्रांत को 27 जुलाई को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया गया. यह भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है जिसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड ने किया है. इन्हें अगस्त 2022 में नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा.

INS विक्रांत: एक दृष्टि

  • विक्रांत को नौसेना को सौंपे जाने के साथ ही भारत उन चुनिंदा राष्ट्रों में शामिल हो गया है जो देश में ही विमान वाहक समुद्री जहाज का निर्माण करते हैं.
  • इसका नाम भारत के पहले विमानवाहक पोत के सम्मान में रखा गया है. भारत के पहले विमान वाहक जहाज का नाम भी विक्रांत था जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उस विक्रांत को 31 जनवरी 1997 को कार्य मुक्त किया गया था.
  • INS विक्रांत, भारत में बनाया गया अभी तक का सबसे बड़ा युद्धपोत है. यह 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा तथा 45,000 टन भारी है. यह विमानवाहक पोत 30 लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों को ले जाने में सक्षम है.

भारत के 5 नए आर्द्रभूमि को रामसर स्थल का दर्जा दिया गया

रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) के तहत भारत के 5 नए आर्द्रभूमि को रामसर स्थल (Ramsar Sites) सूची में शामिल किया गया है. इनमें दो स्थल तमिलनाडु से और मिजोरम और मध्य प्रदेश से एक-एक स्थल हैं. इन पांच स्थलों को शामिल किए जाने के बाद देश में कुल रामसर स्थलों की संख्या 54 हो गई है.

जिन आर्द्रभूमि को रामसर स्थल का दर्जा दिया गया है उनमें शामिल हैं:

  1. पल्लिकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट, तमिलनाडु (चेन्नई में मीठे पानी का दलदल)
  2. करिकीली पक्षी अभयारण्य, तमिलनाडु (कांचीपुरम में 61.21 हेक्टेयर संरक्षित क्षेत्र है)
  3. पिचवरम मैंग्रोव, तमिलनाडु (कुड्डालोर जिले में देश के सबसे बड़े मैंग्रोव वनों में गिना जाता है)
  4. पाला आर्द्रभूमि, मिजोरम (यह जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियों सहित पशु प्रजातियों की समृद्ध विविधता के लिए जानी जाती है)
  5. साख्य सागर, मध्य प्रदेश (यह झील शिवपुरी में माधव राष्ट्रीय उद्यान का एक अभिन्न अंग है)

रामसर स्थल: एक दृष्टि

  • अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि को रामसर स्थल कहा जाता है. रामसर स्थल पानी में स्थित मौसमी या स्थायी पारिस्थितिक तंत्र हैं. इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल, चावल के खेत, प्रवाल भित्तियाँ, समुद्री क्षेत्र (6 मीटर से कम ऊँचे ज्वार वाले स्थान) के अलावा मानव निर्मित आर्द्रभूमि जैसे- अपशिष्ट जल उपचार तालाब और जलाशय आदि शामिल होते हैं.
  • आर्द्रभूमियां प्राकृतिक पर्यावरण का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं. ये बाढ़ की घटनाओं में कमी लाती हैं, तटीय इलाकों की रक्षा करती हैं, साथ ही प्रदूषकों को अवशोषित कर पानी की गुणवत्ता में सुधार करती हैं.
  • आर्द्रभूमि मानव और पृथ्वी के लिये महत्त्वपूर्ण हैं. 1 बिलियन से अधिक लोग जीवनयापन के लिये उन पर निर्भर हैं और दुनिया की 40% प्रजातियाँ आर्द्रभूमि में रहती हैं तथा प्रजनन करती हैं.
  • रामसर स्थल का दर्ज उन आर्द्रभूमियों को दिया जाता है जो रामसर कन्वेंशन के मानकों को पूरा करते हैं. रामसर कन्वेंशन एक पर्यावरण संधि है जो आर्द्रभूमि एवं उनके संसाधनों के संरक्षण तथा उचित उपयोग हेतु राष्ट्रीय कार्रवाई और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये रूपरेखा प्रदान करती है.
  • रामसर स्थल नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है क्योंकि यहीं 02 फरवरी 1971 को रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए थे.
  • भारत में अब कुल 54  रामसर स्थल हैं जो देश की कुल भूमि का 4.6% (15.26 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र) है. आर्द्रभूमि के राज्य-वार वितरण में गुजरात शीर्ष पर है (एक लंबी तटरेखा के कारण). इसके बाद आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का स्थान है.
  • रामसर सूची के अनुसार, सबसे अधिक रामसर स्थलों वाले देश यूनाइटेड किंगडम (175) और मेंक्सिको (142) हैं. अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि का क्षेत्रफल (148,000 वर्ग किमी) सबसे अधिक बोलीविया में है.

द्रौपदी मुर्मू ने भारत की 15वीं राष्ट्रपति के रूप से शपथ ली

नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 जुलाई को भारत की 15वीं राष्‍ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की. भारत के प्रधान न्‍यायाधीश एनवी रमना ने श्रीमती मुर्मू को शपथ दिलाये. शपथग्रहण समारोह संसद के केन्‍द्रीय कक्ष में आयोजित किया गया था.

21 जुलाई को आए राष्ट्रपति चुनाव परिणाम में राष्ट्रपति मुर्मू ने यशवंत सिन्हा को पराजित किया था. राष्ट्रपति चुनाव में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने द्रौपदी मुर्मू को जबकि विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया था.

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू: एक दृष्टि

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद पर आसीन होने वाली पहली आदिवासी और दूसरी महिला हैं. 64 वर्षीय श्रीमती मूर्मु सबसे कम आयु की राष्ट्रपति हैं.
  • वे देश की पहली ऐसी राष्ट्रपति हैं, जिनका जन्म स्वतंत्रता के बाद हुआ है. उनका जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था.
  • श्रीमती मूर्मु ने वर्ष 1997 में पहली बार राजनीति में प्रवेश किया जब वे ओडिसा में रायरंगपुर अधिसूचित क्षेत्र परिषद की पार्षद चुनी गईं.
  • श्रीमती मूर्मु वर्ष 2000 से 2009 तक रायरंगपुर विधान सभा क्षेत्र से दो बार विधायक भी चुनी गईं. उन्होंने ओडि़सा सरकार में वाणिज्य, परिवहन, मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास मंत्री का पदभार संभाला.
  • वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल थीं. साथ ही किसी भी राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली आदिवासी नेता बनीं.

राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी…»

सेना के तीनों अंगों की संयुक्त थिएटर कमान स्थापित करने की घोषणा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना के तीनों अंगों की संयुक्त थिएटर कमान स्थापित करने की घोषणा की. इस कमान का उद्देश्य सशस्त्र बलों के बीच समन्वय बढ़ाना है. उन्होंने यह घोषणा जम्मू में 24 जुलाई को करगिल शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कहा.

रक्षा मंत्री के संबोधन के मुख्य बिन्दु

  • भारत रक्षा उपकरणों के मामले में दुनिया के सबसे बड़े आयातक से एक निर्यातक बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
  • भारत (रक्षा उत्पादों का) दुनिया का सबसे बड़ा आयातक था. आज, भारत दुनिया का सबसे बड़ा आयातक नहीं है, बल्कि रक्षा निर्यात में शामिल शीर्ष 25 देशों में से एक है.
  • देश ने 13,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात शुरू कर दिया है और 2025-26 तक इसे बढ़ाकर 35,000 रुपये से 40,000 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा गया है.