प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम को 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी

सरकार ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) को 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दी है. अब यह कार्यक्रम पन्द्रहवें वित्त आयोग की अवधि वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक जारी रहेगा. इसके लिए लगभग 13.54 हजार करोड रुपये का परिव्यय स्वीकृत किया गया है.

सरकार ने इस योजना को संशोधित करने का निर्णय लिया है. इसके अनुसार विनिर्माण इकाइयों के लिए अधिकतम परियोजना लागत 25 लाख डॉलर से बढ़ाकर 50 लाख डॉलर और सेवा इकाइयों के लिए 10 लाख डॉलर से बढ़ाकर 20 लाख डॉलर कर दी है.

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम: एक दृष्टि

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय इस कार्यक्रम को लागू कर रहा है. इसका उद्देश्य गैर-कृषि क्षेत्र में छोटे उद्यम लगाकर बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करना है.

वर्ष 2008-09 में यह कार्यक्रम लागू होने के बाद से 7.80 लाख सूक्ष्म उद्यमों को 20 हजार करोड रुपये की सब्सिडी दी गई है. इससे लगभग 64 लाख युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अध्यक्षता में अंतर्राज्यीय परिषद का पुनर्गठन किया गया

सरकार ने हाल ही में अंतर्राज्यीय परिषद (ISC) का पुनर्गठन किया है. इस परिषद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अध्यक्ष और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और 16 केंद्रीय मंत्री सदस्य हैं.

राजनाथ सिंह, अमित शाह, निर्मला सीतारमण, नरेंद्र सिंह तोमर, वीरेंद्र कुमार, हरदीप सिंह पुरी, नितिन गडकरी, एस जयशंकर, अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, प्रल्हाद जोशी, अश्विनी वैष्णव, गजेंद्र सिंह शेखावत, किरेन रिजिजू और भूपेंद्र यादव केंद्रीय मंत्रियों में शामिल हैं.

सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित की अध्यक्षता में अंतर्राज्यीय परिषद की स्थायी समिति का भी पुनर्गठन किया है. आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इस समिति के सदस्य होंगे. सदस्यों में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, नरेंद्र सिंह तोमर, वीरेंद्र कुमार और गजेंद्र सिंह शेखावत शामिल होंगे.

अंतर्राज्यीय परिषद: एक दृष्टि

  • न्यायमूर्ति आरएस सरकारिया की अध्यक्षता में वर्ष 1988 में गठित आयोग ने अंतर्राज्यीय परिषद स्थापित किये जाने की सिफारिश की थी.
  • अंतर्राज्यीय परिषद के अध्यक्ष, प्रधानमंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री इसके सदस्य होते हैं. विधानसभा नहीं रखने वाले केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासक इसके सदस्य होते हैं. इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत केंद्रीय मंत्रिपरिषद में कैबिनेट रैंक के छह मंत्री भी इसके सदस्य होते हैं.
  • अंतर्राज्यीय परिषद का कार्य देश में सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने और उसका समर्थन करने के लिये एक मज़बूत संस्थागत ढाँचा तैयार करना है. अंतर्राज्यीय परिषद में केंद्र-राज्य तथा अंतर-राज्य संबंधों के सभी लंबित मुद्दों पर विचार किया जाता है. परिषद की एक वर्ष में कम-से-कम तीन बार बैठक हो सकती है.
  • अंतर्राज्यीय परिषद का एक स्थायी समिति भी होता है. स्थायी समिति की स्थापना वर्ष 1996 में परिषद के विचारार्थ मामलों के निरंतर परामर्श और प्रसंस्करण के लिये की गई थी. इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अध्यक्ष और पांच केन्द्रीय मंत्री सदस्य होते हैं.

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: GST परिषद की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं

वास्तु एवं सेवा कर (GST)  परिषद और केंद्र-राज्य संबंध के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को एक ऐतिहासिक फैसला दिया. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि GST परिषद की सिफारिशें केंद्र और राज्यों के लिए बाध्यकारी नहीं हैं. कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि GST परिषद की सिफारिशें विधायिका और कार्यपालिका के लिए बाध्यकारी हैं.

न्यायालय ने गुजरात हाई कोर्ट के एक फैसले को बरकरार रखते हुए यह निर्णय दिया. दरअसल, हाई कोर्ट ने फैसला दिया था कि समुद्री माल ढुलाई पर एकीकृत जीएसटी असंवैधानिक है.

मुख्य बिंदु

  • कोर्ट ने कहा कि GST परिषद सिर्फ अप्रत्यक्ष कर प्रणाली तक सीमित एक संवैधानिक निकाय नहीं है, बल्कि संघवाद और लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु भी है.
  • सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के पास GST पर कानून बनाने की शक्तियां हैं लेकिन परिषद को एक व्यावहारिक समाधान प्राप्त करने के लिए सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना चाहिए.
  • न्यायालय कहा कि अनुच्छेद 246A के मुताबिक संसद और राज्य विधायिका के पास कराधान के मामलों पर कानून बनाने की एक समान शक्तियां हैं. वहीं अनुच्छेद 279 कहता है कि केंद्र और राज्य एक-दूसरे से स्वतंत्र रहते हुए काम नहीं कर सकते.

जीएसटी परिषद: एक दृष्टि

  • देश में GST लागू करने के लिए भारतीय संविधान में 101वां संशोधन (122वां संशोधन विधेयक) किया गया था. GST और जीएसटी परिषद से संबंधित प्रावधान अनुच्छेद 279-A में दिए गये हैं. इस अनुच्छेद के अनुसार जीएसटी महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्र और राज्यों के लिए सिफारिशें करेगा.
  • देश के वित्त मंत्री को जीएसटी परिषद के पदेन अध्यक्ष होते हैं. इस परिषद में सभी राज्य और संघ शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होते हैं. GST परिषद में केंद्र का एक तिहाई मत होता है. जबकि दो तिहाई मत राज्यों का होता है. किसी भी सहमति पर पहुंचने के लिए तीन चौथाई बहुमत जरूरी होता है.

जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग का चुनाव क्षेत्रों से संबधित आदेश लागू

जम्मू-कश्मीर परिसीमन (Jammu And Kashmir Delimitation) आयोग का चुनाव क्षेत्रों से संबधित आदेश 20 मई से लागू हो गया. केन्द्र सरकार की ओर से इसी दिन इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई थी.

परिसीमन आयोग की अध्यक्षता सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने की. आयोग में पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चन्द्र और जम्मू-कश्मीर के चुनाव आयुक्त केके गुप्ता भी शामिल थे.

जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट: मुख्य बिंदु

  • राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार विधानसभा की 7 सीटें बढ़ाई जानी हैं. इससे विधानसभा में सदस्यों की संख्या 83 से बढ़कर 90 की जानी हैं. परिसीमन आयोग ने जम्मू संभाग में 6 व कश्मीर संभाग में 1 विधानसभा सीट को बढ़ाया है.
  • केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले विधानसभा में सीटों की संख्या 87 थी जिसमें चार सीटें लद्दाख की थीं. लद्दाख के अलग होने से 83 सीटें रह गईं, जो बढ़ने के बाद 90 हो जाएंगी. आयोग ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाले जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के लिए आरक्षित 24 सीटों का परिसीमन नहीं किया है.
  • पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए जम्मू कश्मीर में 9 विधानसभा सीटों को आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है, जबकि अनुसूचित जाति के लिए पहले की तरह ही 7 विधानसभा सीटें आरक्षित रखी गई हैं. दो सीटों पर कश्मीर पंडित समुदाय और पीओजेके विस्थापितों के सदस्यों को मनोनीत किया जाएगा.
  • जम्मू-कश्मीर की लोकसभा सीटों में भी परिसीमन आयोग ने फेरबदल किया है. अब कश्मीर व जम्मू दोनों संभागों के हिस्से ढाई-ढाई लोकसभा सीटें (कुल 5 सीट) होंगी. पहले जम्मू संभाग में उधमपुर डोडा व जम्मू तथा कश्मीर में बारामुला, अनंतनाग व श्रीनगर की सीटें थीं. प्रत्येक लोकसभा सीट में 18 विधानसभा सीटें होंगी.

क्या होता है परिसीमन?

  • विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की प्रक्रिया परिसीमन कहलाती है. केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद प्रदेश में एक बार फिर परिसीमन के लिए आयोग बनाया गया है. इस बार सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई इस आयोग के अध्यक्ष हैं.
  • जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार परिसीमन 1995 में हुआ था. उस समय जम्मू-कश्मीर में 12 जिले और 58 तहसीलें हुआ करती थीं. वर्तमान में प्रदेश में 20 जिले हैं और 270 तहसील हैं. पिछला परिसीमन 1981 की जनगणना के आधार पर हुआ था. इस बार परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर किया गया है.

निर्वाचन आयोग ‘चुनावी सत्यनिष्ठा पर लोकतंत्र समूह’ का नेतृत्व करेगा

भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने ‘चुनावी सत्यनिष्ठा पर लोकतंत्र समूह’ का नेतृत्व करने की बात कही है. इसके तहत निर्वाचन आयोग 100 लोकतांत्रिक देशों की साझेदारी से विभिन्न देशों के चुनाव प्रबंधन निकायों के साथ अपने अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करेगा.

मुख्य बिंदु

  • चार सदस्यीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे से मुलाकात की थी. इसमें चुनाव आयोग से अनुरोध किया गया था कि वह दुनिया भर में चुनाव प्रबंधन निकायों को प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण कार्यक्रम और ऐसे अन्य निकायों की जरूरतों के अनुसार तकनीकी परामर्श प्रदान करें.
  • निर्वाचन आयोग ने बताया कि ‘लोकतंत्र के लिए शिखर सम्मेलन’ के तहत भारत से ‘चुनावी सत्यनिष्ठा पर लोकतंत्र समूह’ का नेतृत्व करने का अनुरोध किया गया. इसके साथ ही दुनिया के अन्य लोकतंत्रों के साथ अपने ज्ञान, तकनीकी विशेषज्ञता और अनुभवों को साझा करने का आह्वान किया गया.
  • निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया गया कि वह दुनियाभर में चुनाव प्रबंधन निकायों (ईएमबी) को प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम और ऐसे अन्य निकायों की जरूरतों के अनुसार तकनीकी परामर्श प्रदान करे.
  • भारत के नेतृत्व वाले समूह में साझेदार बनने के लिए न्यूजीलैंड, फिनलैंड और यूरोपीय संघ ने रुचि व्यक्त की है और अन्य इच्छुक लोकतांत्रिक देश भी इसमें शामिल हो सकते हैं.

राजीव हत्‍या कांड दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश, जानिए क्या है अनुच्छेद 142

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्‍या कांड में दोषी एजी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया है. पेरारिवलन इस मामले में पिछले 31 सालों उम्रकैद की सजा काट रहे सात दोषियों में से एक है. कोर्ट ने संविधान के अनुच्‍छेद 142 में मिले विशेषाधिकार के तहत यह फैसला लिया.

मुख्य बिंदु

  • पेरारिवलन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा था कि तमिलनाडु राज्य मंत्रिमंडल ने उसे रिहा करने के लिए राज्यपाल से सिफारिश की थी, लेकिन राज्यपाल ने फाइल को काफी समय तक अपने पास रखने के बाद राष्ट्रपति को भेज दिया था. यह संविधान के खिलाफ है.
  • जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामले के सभी सातों दोषियों की समय से पहले रिहाई की सिफारिश संबंधी तमिलनाडु राज्य मंत्रिमंडल की सलाह राज्यपाल के लिए बाध्यकारी थी.
  • सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर राज्यपाल पेरारिवलन के मुद्दे पर राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश को मानने को तैयार नहीं हैं तो उन्हें फाइल को पुनर्विचार के लिए वापस मंत्रिमंडल में भेज देना चाहिए था.
  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस दलील को भी अस्वीकार कर दिया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत किसी मामले में माफी देने का अधिकार विशिष्ट रूप से राष्ट्रपति के पास है. पीठ ने कहा कि यह अनुच्छेद 161 को निष्प्रभावी कर देगा.
  • दरअसल, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा था कि केवल राष्ट्रपति ही केंद्रीय कानून के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति की माफी, सजा में बदलाव और दया संबंधी याचिकाओं पर फैसला कर सकते हैं.
  • राजीव गांधी हत्याकांड में सात लोगों को दोषी ठहराया गया था. सभी दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे आजीवन कारावास में परिवर्तित कर दिया था.
  • तमिलनाडु सरकार राजीव हत्याकांड के आरोपियों की रिहाई चाहती है. मौजूदा डीएमके सरकार के साथ ही पूर्ववर्ती जे जयललिता और एके पलानीसामी की सरकारों ने 2016 और 2018 में दोषियों की रिहाई की राज्यपाल से सिफारिश की थी.
  • 21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में हत्या हुई थी. इसके बाद 11 जून 1991 को पेरारिवलन को गिरफ्तार किया गया था.

अनुच्छेद 161 में क्या है?

अनुच्छेद 161 में राज्यपाल के पास दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सजा को माफ करने, राहत देने, राहत या छूट देने या निलंबित करने, हटाने या कम करने की शक्ति दी गई.

अनुच्छेद 72 और अनुच्छेद 161 में अंतर

अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति का दायरा अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल की क्षमादान शक्ति से ज्यादा व्यापक है. कोर्ट मार्शल के तहत राष्ट्रपति व्यक्ति की सजा माफ कर सकता है लेकिन अनुच्छेद 161 राज्यपाल को ऐसी कोई शक्ति प्रदान नहीं करता है. राष्ट्रपति उन सभी मामलों में क्षमादान दे सकता है जिसमें मौत की सजा दी गई हो, लेकिन राज्यपाल की क्षमादान शक्ति मौत की सजा के मामले के लिए नहीं होती है.

क्या है संविधान का अनुच्छेद 142?

भरतीय संविधान के अनुच्छेद 142 में सुप्रीम कोर्ट को विशेष अधिकार दिया गया है. इस आर्टिकल के मुताबिक जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि रहेगा. इसके तहत कोर्ट ऐसे फैसले दे सकता है जो किसी लंबित पड़े मामले को पूरा करने के लिए जरूरी हो.

नागरिकता छोड़ चुके माता-पिता के गर्भ में मौजूद बच्चे को नागरिकता पाने का हकदार

मद्रास हाईकोर्ट ने नागरिकता छोड़ चुके माता-पिता के गर्भ में मौजूद बच्चे को नागरिकता वापस पाने का हकदार बताया है. कोर्ट के अनुसार भारत की नागरिकता छोड़ते समय पति-पत्नी अगर माता-पिता बनने जा रहे हों, तो उनसे जन्मा बच्चा वापस भारतीय होने का हकदार है.

मुख्य बिंदु

  • मद्रास हाईकोर्ट की जस्टिस अनिता सुमंथ ने 22 वर्षीय याचिकाकर्ता प्रणव श्रीनिवासन की याचिका स्वीकार कर उसे चार हफ्ते में भारतीय नागरिकता देने के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय को निर्देश दिए. मंत्रालय ने 2019 में श्रीनिवासन को नागरिकता देने से इनकार कर दिया था.
  • याचिका के अनुसार, प्रणव के माता-पिता ने दिसंबर, 1998 में भारत की नागरिकता त्याग कर सिंगापुर की नागरिकता ले ली थी. तब मां साढ़े सात महीने की गर्भवती थी. एक मार्च 1999 को प्रणव का जन्म सिंगापुर में हुआ और जन्म की वजह से उसे सिंगापुर की स्वाभाविक नागरिकता मिली.
  • बालिग होने पर प्रणव ने भारतीय नागरिकता वापस लेने का निर्णय किया. इसके लिए मई 2017 को सिंगापुर में भारतीय दूतावास में नागरिकता के लिए आवेदन किया. प्रणव का कहना था कि जब वह गर्भ में था, तब भी भारतीय था.

INS सूरत और INS उदयगिरि युद्धपोत को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया

भारतीय नौसेना में दो युद्धपोतों INS सूरत और INS उदयगिरि युद्धपोत को शामिल किया गया है. इसका उद्धघाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 17 मई को मझगांव डॉक में किया था. इन दोनों युद्धपोतों का डिजाइन नौसेना के नेवल डिजाइन निदेशालय ने किया है और उन्हें मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) मुंबई में बनाया गया है.

INS सूरत

  • INS सूरत भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 15B का डिस्ट्रॉयर युद्धपोत (नेक्स्ट जेनरेशन स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर) है. प्रोजेक्ट 15B का पहला युद्धपोत INS विशाखापट्टनम भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है. जबकि बाकी 2 युद्धपोत INS मोरमुगाओ और INS इंफाल का ट्रायल चल रहा है.
  • इसका नाम गुजरात की व्यापारिक राजधानी सूरत शहर पर INS सूरत रखा गया है. यह एक फ्रंटलाइन युद्धपोत है, जिसे गाइडेड मिसाइल से लैस किया गया है. यह युद्धपोत 15A यानी कोलकाता क्लास डिस्ट्रॉयर युद्धपोत की तुलना में बड़ा है.
  • इसका वजन 7400 टन और इसकी लंबाई 163 मीटर है. यह विध्वंसक पोत 56 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकता है. इसमें ब्रम्होस जैसे आधुनिक मिसाइल, ऐंटी सबमरीन रॉकेट लांचर और कई आधुनिक हथियार फिट किए जा सकते हैं.
  • इस वॉरशिप पर चार इंटरसेप्टर बोट के साथ-साथ 50 अधिकारी और 250 जवान एक समय में रह सकते हैं. यह लगभग 45 दिनों तक समुद्र में रह सकता है और एक बार में 7400 किलोमीटर तक की यात्रा कर सकता है.

INS उदयगिरि

  • स्वदेशी तकनीक से निर्मित INS उदयगिरि भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 17A का तीसरा फ्रिगेट युद्धपोत है. नौसेना के इस प्रोजेक्ट के तहत भारत में ही 7 फ्रिगेट तैयार किए जाने हैं. इस युद्धपोत का नामकरण आंध्र प्रदेश की पर्वत श्रंखला के नाम पर INS उदयगिरि रखा गया है.
  • इस युद्धपोत में सेंसर, प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम और आधुनिक हथियार लगे हुए हैं. यह युद्धपोत के बीते संस्करण का दूसरा रूप है. जिसने 18 फरवरी 1976 से लेकर 24 अगस्त 2007 तक लगातार तीन दशकों तक देश की समुद्र सीमा की रक्षा की है.

पटवाई में देश का पहला अमृत सरोवर का उद्घाटन, जानिए क्या है मिशन अमृत सरोवर

उत्तर प्रदेश में रामपुर के पटवाई में देश का पहला अमृत सरोवर बनाया गया है. इसका उद्घाटन केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री एवं राज्यसभा में उपनेता मुख्तार अब्बास नकवी ने 13 मई को किया था. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पटवाई स्थित एक तालाब को अमृत सरोवर के रूप में सजाया-संवारा गया है.

क्या है मिशन अमृत सरोवर?

  • ‘मिशन अमृत सरोवर’ जल संरक्षण के लिए केंद्र सरकार की अनूठी योजना है. इस मिशन के तहत देश के प्रत्येक जिले में 75 सरोवरों का निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया है. आजादी का अमृत महोत्सव के तहत इन तालाबों का निर्माण 15 अगस्त 2023 तक पूरा किया जाना है.
  • जल संरक्षण के लिए इस अनूठी योजना की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी. जिस पर अमल के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय को नोडल मंत्रालय नामित किया गया है. केंद्र के साथ अमृत सरोवरों के निर्माण में राज्य व जिला प्रशासन की सक्रिय हिस्सेदारी होगी.
  • लक्ष्य को निर्धारित समय में पूरा करने के लिए इसमें ग्रामीण विकास, जलशक्ति, पंचायती राज, वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन, भूसंसाधन, पेयजल व स्वच्छता मंत्रालयों के अलावा तकनीकी पार्टनर के रूप में भाष्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट फार स्पेस एप्लीकेशन एंड जियो इन्फार्मेटिक्स को शामिल किया गया है.
  • सरोवरों के लिए मानक निर्धारित कर दिए गए हैं. इस मिशन के तहत 50,000 जल निकाय बनाए जाएंगे. इसके तहत एक एकड़ अथवा इससे अधिक जमीन पर तालाबों की खोदाई की जानी है. इसकी गहराई तीन मीटर तय की गई है, ताकि इसमें कम से कम 10 हजार क्यूबिक मीटर जल भंडारण हो सके.

सुप्रीम कोर्ट ने 124-A के अंतर्गत देशद्रोह कानून को स्थगित करने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124-A के अंतर्गत देशद्रोह कानून को स्थगित करने का आदेश दिया है. शीर्ष न्‍यायालय ने एक अंतरिम आदेश में केंद्र और राज्य सरकारों से इस धारा पर पुनर्विचार होने तक कोई भी प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का आग्रह किया है.

सुप्रीम कोर्ट इससे संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यों की पीठ राजद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इस पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और हिमा कोहली शामिल हैं.

मुख्य बिंदु

  • न्‍यायालय ने एक कहा है कि धारा 124A के अंतर्गत लगाए गए आरोपों के संबंध में सभी लंबित मामले अपील और कार्यवाही को फिलहाल स्थगित रखा जाए. जो लोग पहले से ही इस धारा के अंतर्गत जेल में हैं, वे जमानत के लिए संबंधित अदालतों में जा सकते हैं.
  • केन्‍द्र सरकार ने उच्‍चतम न्‍यायालय में बताया था कि उसने IPC की धारा 124A के प्रावधानों पर का दुरुपयोग को रोकने के लिए पुनर्विचार करने का फैसला किया है. सरकार ने शीर्ष न्यायालय से आग्रह किया कि जब तक यह काम पूरा नहीं हो जाता, तब तक इससे संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई न की जाए.
  • सरकार ने न्‍यायालय में दाखिल शपथ-पत्र में कहा कि 1962 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने ‘केदारनाथ बनाम बिहार राज्य’ मामले में इस कानून को वैध बताया है.

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124-A: एक दृष्टि

  • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A को 1870 में शामिल किया गया था. इसके मुताबिक अगर कोई भारत में कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमानना फैलाने का प्रयास करता है तो यह राजद्रोह माना जाएगा.
  • भारत में इस कानून को अंग्रेज सरकार भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की अभिव्यक्ति को दबाने के लिए लेकर आई थी. इसके जरिए महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक जैसे नेताओं के लेखन को दबा दिया गया. इन लोगों पर राजद्रोह कानून के तहत मुकदमे चलाए गए.
  • अनुच्छेद 124A के मुताबिक राजद्रोह एक गैर-जमानती अपराध है. इसके दोषी को तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा के साथ जुर्माना तक हो सकता है. जिस व्यक्ति पर राजद्रोह का आरोप होता है वह सरकारी नौकरी नहीं कर सकता. उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया जाता है.
  • इस कानून से जुड़ा एक मामला हाल ही में चर्चा में रहा है. अप्रैल, 2022 में महाराष्ट्र में सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा पर राजद्रोह का केस दर्ज हुआ. दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने का एलान किया था. राज्य सरकार का कहना था कि दोनों सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ घृणा फैला रहे थे.

जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट जारी, विधानसभा में सदस्यों की बढ़कर 90 हुई

जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग ने केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन पर अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी है. 5 मई को आयोग ने एक बैठक के बाद रिपोर्ट को जारी की. आयोग के लिए 6 मई 2022 तक अंतिम रिपोर्ट सौंपने की समय सीमा निर्धारित थी. रिपोर्ट के जारी होने के साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराए जाने का रास्ता साफ हो गया है.

जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट: मुख्य बिंदु

  • राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार विधानसभा की 7 सीटें बढ़ाई जानी हैं. इससे विधानसभा में सदस्यों की संख्या 83 से बढ़कर 90 की जानी हैं. परिसीमन आयोग ने जम्मू संभाग में 6 व कश्मीर संभाग में 1 विधानसभा सीट को बढ़ाया है.
  • केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले विधानसभा में सीटों की संख्या 87 थी जिसमें चार सीटें लद्दाख की थीं. लद्दाख के अलग होने से 83 सीटें रह गईं, जो बढ़ने के बाद 90 हो जाएंगी.
  • पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए जम्मू कश्मीर में 9 विधानसभा सीटों को आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है, जबकि अनुसूचित जाति के लिए पहले की तरह ही 7 विधानसभा सीटें आरक्षित रखी गई हैं. जम्मू कश्मीर की नई विधानसभा में कश्मीरी पंडितों और पीओजेके विस्थापितों को प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है.
  • जम्मू-कश्मीर की लोकसभा सीटों में भी परिसीमन आयोग ने फेरबदल किया है. अब कश्मीर व जम्मू दोनों संभागों के हिस्से ढाई-ढाई लोकसभा सीटें (कुल 5 सीट) होंगी. पहले जम्मू संभाग में उधमपुर डोडा व जम्मू तथा कश्मीर में बारामुला, अनंतनाग व श्रीनगर की सीटें थीं. प्रत्येक लोकसभा सीट में 18 विधानसभा सीटें होंगी.

क्या होता है परिसीमन?

  • विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की प्रक्रिया परिसीमन कहलाती है. केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद प्रदेश में एक बार फिर परिसीमन के लिए आयोग बनाया गया है. इस बार सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई इस आयोग के अध्यक्ष हैं.
  • जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार परिसीमन 1995 में हुआ था. उस समय जम्मू-कश्मीर में 12 जिले और 58 तहसीलें हुआ करती थीं. वर्तमान में प्रदेश में 20 जिले हैं और 270 तहसील हैं. पिछला परिसीमन 1981 की जनगणना के आधार पर हुआ था. इस बार परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर किया गया है.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की पाँचवीं रिपोर्ट जारी, प्रजनन दर 2.2 से घटाकर 2.0 हुआ

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) के पांचवें दौर का रिपोर्ट (NFHS-5) 6 मई को जारी की गयी थी. इस रिपोर्ट में भारत के स्वास्थ्य, जनसंख्या वृद्धि दर और प्रजनन दर जैसे मुद्दों पर चर्चा की गयी है. NFHS इस तरह का सर्वेक्षण समय-समय पर कराता रहता है.

5वां राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5): मुख्य बिंदु

  • NFHS-4 (चौथे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण) से NFHS-5 के बीच सर्वेक्षण में प्रजनन दर कमी बताया है. भारत में कुल प्रजनन दर (TFR) को प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या के रूप में मापा जाता है. सर्वेक्षण में प्रजनन दर 2.2 से घटाकर 2.0 हो गया है.
  • सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि परिवार में फैसले लेने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है. देश में महिलाओं व पुरुषों में मोटापा बढ़ रहा है. हालांकि NFHS के सर्वेक्षण के अनुसार महिलाओं व पुरुषों दोनों में मोटापा बढ़ा है. महिलाओं में मोटापा 21% से बढ़कर 24% व पुरुषों में 19% से बढ़कर 23% हो गया है.
  • सरकार के द्वारा जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं, इसके साथ ही वह लोगों को कम बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. सर्वेक्षण में बताया गया है कि गर्भनिरोधक का प्रसार दर देश में 54% से बढ़कर 67% हो गई है. इसके अलावा परिवार नियोजन के कारण भी 13% से 9% की गिरावट आई है.
  • NFHS के अनुसार देश में पांच राज्य हैं जो 2.1 प्रजनन दर से ऊपर हैं. बिहार (2.98), मेघालय (2.91), उत्तर प्रदेश (2.35), झारखंड (2.26) मणिपुर (2.17) है.
  • आंध्र प्रदेश, गोवा, सिक्किम, मणिपुर, दिल्ली, तमिलनाडु, पुडुचेरी, पंजाब,चंडीगढ़, लक्षद्वीप, केरल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक तिहाई से अधिक महिलाएं या तो मोटापे से ग्रसित हैं या फिर अधिक वजन से ग्रसित हैं.
  • NFHS ने पांचवें दौर का सर्वे 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों में किया गया था. यह सर्वे लगभग 6.37 लाख घरों में किया गया है, जिसमें 7,24,115 महिलाएं व 1,01,839 पुरुष शामिल हुए.