विस्तारित दूरी वाली पिनाक रॉकेट प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण

भारत ने 8-10 दिसम्बर को पिनाक रॉकेट प्रणाली (पिनाका ईआर) की परीक्षण श्रृंखला सफलतापूर्वक पूरी की थी. यह परीक्षण राजस्थान के पोखरण में आयोजित किया गया था.

इस परीक्षण में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने सेना के साथ फील्ड फायरिंग रेंज में कई बार इन रॉकेट का परीक्षण कर इनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया.

इस दौरान विभिन्न युद्धक क्षमताओं के साथ उन्नत रेंज के पिनाक रॉकेट का अलग-अलग रेंज में परीक्षण किया गया. सभी परीक्षण संतोषजनक रहे.

मुख्य बिंदु

  • इन रॉकेट प्रणालियों का निर्माण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के बाद एक निजी उद्योग ने किया है.
  • रॉकेट प्रणाली को पुणे स्थित दो DRDO प्रयोगशालाओं – आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (ARDI) और उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (HEMRL) द्वारा संयुक्त रूप से डिजाइन किया गया है.
  • पिनाक-I MK रॉकेट सिस्टम की मारक क्षमता लगभग 40 किमी है, जबकि पिनाक II संस्करण 60 किमी की दूरी से लक्ष्य को भेद सकता है. पिनाक-ER (MK -I संस्करण) की सीमा का तत्काल पता नहीं चल पाया है.

प्रधानमंत्री ने सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने 11 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना (Saryu Canal National Project) का उद्घाटन किया. यह प्रदेश की सबसे बड़ी नदी जोड़ो परियोजना है. इस परियोजना से पूर्वी उत्तर प्रदेश में सिंचाई संबंधी कठिनाइयां दूर हो जाएंगी.

  • सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के जरिए पांच नदियों घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिन को जोड़ा गया है. 808 किलोमीटर लंबी सरयू नहर परियोजना पूर्वांचल में बहराइच से गोरखपुर तक 9 जिलों से होकर गुजरती है. ये जिले हैं- बहराइच, गोण्डा, श्रावस्ती, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर, महाराजगंज और गोरखपुर.
  • इस परियोजना के जरिये 14 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन की सिंचाई संभव होगी. साथ ही, मॉनसून के दौरान नेपाल से अत्यधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण इस इलाके में बाढ़ संभावित क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा भी कम हो जाएगा.
  • इसकी मुख्‍य नहर की लम्‍बाई 808 किलोमीटर है जिससे साढे छह हजार किलोमीटर से ज्‍यादा लम्‍बाई की कई छोटी नहरें आकर जुड़ती है.
  • यह परियोजना 78.68 करोड़ रुपये की लागत से 1978 में शुरू की गयी थी. परियोजना की लागत 2021 तक बढ़कर 9,802 करोड़ रुपये हो गई.

लोकतंत्र पर पहली बार शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया

9-10 दिसम्बर को प्रथम लोकतंत्र शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था. यह सम्मेलन अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की पहल पर आयोजित किया गया था. वर्चुअल रूप से आयोजित इस सम्‍मेलन में शासनाध्‍यक्षों, नागरिक संगठनों और निजी क्षेत्र से संबंधित हस्‍तियों ने हिस्‍सा लिया. सम्‍मेलन में भारत सहित 12 चुने हुए देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने लोकतांत्रिक तौर-तरीकों और संबंधित व्‍यवस्‍था को और बेहतर बनाने की जरूरत पर बल दिया. उन्‍होंने कहा कि इसमें समावेश, पारदर्शिता और मानवीय गौरव को और बढ़ाए जाने की जरूरत है.

केन-बेतवा नदी को जोड़ने वाले परियोजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8 दिसम्बर को केन-बेतवा नदी को जोड़ने वाले परियोजना (Ken-Betwa River Interlinking Project) को मंजूरी दी. इस परियोजना में 44,605 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. इसका 90% खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी. यह प्रोजेक्ट 8 साल में पूरा कर लिया जाएगा.

परियोजना के मुख्य बिंदु

  • केन-बेतवा परियोजना के तहत 176 किलोमीटर की लिंक कैनाल का निर्माण किया जाएगा, जिससे दोनों नदियों को जोड़ा जा सके. प्रोजेक्ट के अस्तित्व में आने के बाद मध्य प्रदेश के सागर-विदिशा सहित 12 जिलों को पानी मिलेगा. इसके साथ ही 10 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी.
  • केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से नॉन मानसून सीजन (नवंबर से अप्रैल के बीच) में मध्यप्रदेश को 1834 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) व उत्तर प्रदेश को 750 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) पानी मिलेगा.
  • प्रोजेक्ट के पहले फेज में केन नदी पर ढोड़न गांव के पास बांध बनाकर पानी रोका जाएगा. यह पानी नहर के जरिया बेतवा नदी तक पहुंचाया जाएगा. वहीं, दूसरे फेज में बेतवा नदी पर विदिशा जिले में 4 बांध बनाए जाएंगे. इसके साथ ही बेतवा की सहायक बीना नदी जिला सागर और उर नदी जिला शिवपुरी पर भी बांधों का निर्माण किया जाएगा.
  • प्रोजेक्ट के दोनों फेज से सालाना करीब 10.62 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. साथ ही, 62 लाख लोगों को पीने के पानी के साथ 103 मेगावॉट हाइड्रो पावर भी पैदा किया जाएगा. केन-बेतवा लिंक परियोजना में दो बिजली प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित हैं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 72 मेगावॉट है.
  • परियोजना से बुंदेलखंड के उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के 12 जिलों को पानी मिलेगा. मध्यप्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी को पानी मिलेगा. वहीं, उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिलों को राहत मिलेगी.

केन और बेतवा नदी

केन और बेतवा नदियों का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश में है, ये यमुना की सहायक नदियाँ हैं. केन नदी उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में यमुना नदी में मिलती है तथा बेतवा नदी से यह उत्तर प्रदेश के हमीरपुर ज़िले में मिलती है.

नदियों को जोड़ने का लाभ

नदियों को आपस में जोड़ने से बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखे की पुनरावृत्ति का समाधान होगा. इससे सिंचाई के स्थायी साधन प्रदान करके तथा भूजल पर अत्यधिक निर्भरता को कम करके उनके लिये स्थायी आजीविका सुनिश्चित करेगा. बहुउद्देशीय बांध के निर्माण से न केवल जल संरक्षण में तेज़ी आएगी, बल्कि जल-विद्युत का उत्पादन भी होगा.

संसद ने बांध सुरक्षा विधेयक 2019 पारित किया

संसद ने 2 दिसम्बर को बांध सुरक्षा विधेयक (Dam Safety Bill) 2019 पारित किया. केन्‍द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्‍द्र सिंह शेखावत ने विधेयक को सदन में प्रस्‍तुत किया था. इस विधेयक का उद्देश्य बांध सुरक्षा का नियम जारी करना है.

  • विधेयक में विशिष्‍ट बांध की सुरक्षा के लिए निगरानी, निरीक्षण, काम-काज और रख-रखाव का प्रावधान है. इससे बांधों के सुरक्षित संचालन के लिए संस्‍थागत ढांचा तैयार करने में मदद मिलेगी.
  • देश में 90 प्रतिशत बांध अंतराज्‍यीय नदियों पर बने हैं और उनकी सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है. बांध के नुकसान से बड़े जान-माल की हानि हो सकती है.
  • इस विधेयक में दो राष्ट्रीय निकाय- राष्ट्रीय बांध सुरक्षा समिति और राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण का प्रावधान किया गया है. बांध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति नीतियां तैयार करेगी और बांध सुरक्षा से संबंधित नियमों की सिफारिश करेगी. राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण राष्ट्रीय समिति द्वारा बनाई गई नीतियों को लागू करेगा.
  • इस विधेयक में दो राज्य निकाय भी होंगे. वे बांध सुरक्षा और राज्य बांध सुरक्षा प्राधिकरण पर राज्य समिति हैं. इन समितियों और प्राधिकरणों के कार्य राज्य स्तर पर सीमित हैं और वे राष्ट्रीय समितियों और प्राधिकरणों के समान कार्य करेंगे.

संसद ने कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 पारित किया

संसद ने 29 नवम्बर को कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 पारित किया था. यह विधेयक सितम्बर 2021 में संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए लाया गया था. इन तीनों कृषि विधेयकों को वापस लिए जाने से संबंधित विधेयक को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद को दिनों सदनों में पेश किया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी. इन कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे थे. प्रधानमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से जुड़े मुद्दों पर एक समिति बनाने की भी घोषणा की थी.

क्या था तीन कृषि कानून

संसद ने किसानों के सशक्तीकरण के लिए सितम्बर 2020 में तीन कृषि विधेयक पारित कर अधिनियम का रूप दिया था. ये अधिनियम – कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020; किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 हैं.

इन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कृषि उपज और खेती के क्षेत्र में स्‍टॉक सीमा और लाइसेंस राज को समाप्त करना था. इसमें किसानों को अनुबंध खेती का विकल्प दिया गया था. किसानों को मौजूदा विकल्प के अतिरिक्त अन्य कई विकल्प दिए गये थे जिससे उनके उपज का बेहतर दाम मिल सके.

कानून वापसी की प्रक्रिया

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 245 के अनुसार संसद भारत के संपूर्ण राज्य क्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए और किसी राज्य का विधानमंडल उस राज्य या उसके किसी भाग के लिए कानून बना सकता है. संसद को कानून बनाने के साथ-साथ कानून वापस लेने का भी अधिकार है. कानून खत्म करने की प्रक्रिया भी कानून बनाने के समान ही है.

भारत और फ्रांस का छठा संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘शक्ति’ आयोजित किया गया

भारत और फ्रांस का छठा संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘शक्ति 2021’ 15 से 26 नवम्बर तक आयोजित किया गया था. यह सैन्य अभ्यास फ्रांस के बंदरगाह शहर फ्रेजस में आयोजित किया गया था.

दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहयोग और अंतर-संचालकता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित युद्धाभ्यास में अर्ध-शहरी क्षेत्रों में आतंकवाद से निपटने की कार्रवाई पर विशेष ध्यान दिया गया था.

सैन्य अभ्यास शक्ति की पिछली कड़ी वर्ष 2019 में 31 अक्तूबर से 13 नवंबर तक राजस्थान में आयोजित की गई थी. इसमें मरुस्थलीय क्षेत्रों में आतंकवाद से निपटने की कार्रवाई पर ध्यान दिया गया था.

भारत और फ्रांस सैन्य अभ्यास

  • भारत और फ्रांस के बीच तीन द्वि-वार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास संचालित किए जाते हैं. भारतीय वायुसेना के साथ गरुड़,  भारतीय नौसेना के साथ वरुण और स्थल सेना के साथ शक्ति अभ्यास का संचालन होता है.
  • संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘शक्ति’ 2011 में शुरू किया गया था और भारत और फ्रांस में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है.

प्रधानमंत्री ने नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की आधारशिला रखी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के जेवर में नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की आधारशिला रखी. प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप इस हवाई अड्डे का विकास, संपर्क को बढ़ावा देने और विमानन क्षेत्र को भविष्य की आवश्यकताओं के आधार पर  किया जा रहा है.

मुख्य बिंदु

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली में, इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा के बाद यह दूसरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा. इस हवाई अड्डे के साथ, उत्तर प्रदेश पांच अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों वाला एकमात्र भारतीय राज्य बन जाएगा. इसके साथ ही दिल्‍ली देश का पहला शहर बन जायेगा, जहां 70 किमी के दायरे में अब तीन एयरपोर्ट होंगे.
  • यह भारत का पहला नैट जीरो उत्सर्जन हवाई अड्डा होगा. भारत में पहली बार किसी हवाई अड्डे में मल्‍टी मॉडल कार्गो केन्‍द्र की व्‍यवस्‍था होगी. इसके कार्गो टर्मिनल की क्षमता बीस लाख मीट्रिक टन है, जिसे बढ़ाकर 80 लाख मीट्रिक टन कर दिया जायेगा.
  • नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (YIAPL) द्वारा पीपीपी मॉडल के तहत उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार के सहयोग से विकसित किया जाना है.
  • इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 15,000- 20,000 करोड़ रुपये है. इस परियोजना का पहला चरण लगभग 10,050 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है.

मंत्रिमंडलीय समिति ने ‘O-SMART’ योजना को जारी रखने को मंज़ूरी दी

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने हाल ही में 2021-26 की अवधि के लिये O-SMART (Ocean Services, Modelling, Application, Resources and Technology) योजना को जारी रखने को मंज़ूरी दी थी.

O-SMART एक सरकारी योजना है जिसका उद्देश्य समुद्री अनुसंधान को बढ़ावा देना और पूर्व चेतावनी मौसम प्रणाली स्थापित करना है. इस योजना को 2,177 करोड़ रुपये की लागत से इसे जारी रखने की स्वीकृति दी गई. इसे अगस्त 2018 में लॉन्च किया गया था.

O-SMART: मुख्य बिंदु

O-SMART का उद्देश्य महासागर विकास गतिविधियों जैसे कि प्रौद्योगिकी, सेवाओं, संसाधनों, निगरानी और अवलोकन के साथ-साथ नीली अर्थव्यवस्था के पहलुओं को लागू करने के लिये आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान करना है.

इसमें सात उप-योजनाएँ शामिल हैं. ये उप-योजनाएँ हैं: महासागरीय प्रौद्योगिकी, महासागरीय मॉडलिंग और परामर्श सेवाएँ (OSMAS), समुद्री अवलोकन नेटवर्क (OON), समुद्री निर्जीव (नॉन-लिविंग) संसाधन, समुद्री सजीव संसाधन एवं इको-सिस्टम (MLRE), तटीय अनुसंधान एवं परिचालन, पोतों का अनुसंधान एवं रख-रखाव. ये सभी उप-योजनाएं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय(MoES)  के स्वायत्त संस्थानों द्वारा कार्यान्वित की जा रही हैं.

भारत, मालदीव व श्रीलंका के तट रक्षक बलों के बीच सैन्य अभ्यास ‘दोस्ती’ आयोजित किया गया

भारत, मालदीव और श्रीलंका के बीच त्रिपक्षीय अभ्यास ‘दोस्ती’ का आयोजन 20-24 नवंबर 2021 को किया गया था. यह त्रिपक्षीय अभ्यास ‘दोस्ती’ का 15वां संस्करण था जिसका आयोजन मालदीव में किया गया था.

भारत-मालदीव-श्रीलंका त्रिपक्षीय अभ्यास का उद्देश्य तट रक्षक बल सहयोग को बढ़ाना, संबंधों को और मजबूती देना तथा परिचालन क्षमता को बढ़ाना था.

अभ्यास ‘दोस्ती’

अभ्यास ‘दोस्ती’ 1991 में भारतीय और मालदीव के तट रक्षकों के बीच शुरू किया गया था. श्रीलंका 2012 में पहली बार अभ्यास में शामिल हुआ था.

पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण का तथ्य-पत्र जारी किया किया गया

स्वास्थ्य मंत्रालय ने पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के (NFHS-5) में भारत से संबंधित प्रमुख संकेतकों का तथ्य-पत्र 24 नवम्बर को नई दिल्ली में जारी किया. इस तथ्य-पत्र में देश की जनसंख्या, पुनर्प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण जैसे अन्य प्रमुख संकेतक शामिल हैं.

यह पत्र 2019-2021 के सर्वेक्षण से संबंधित है, जो 14 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है. सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य और परिवार कल्याण तथा अन्य उभरते मुद्दों से संबंधित विश्वसनीय और तुलनात्मक डेटा प्रदान करना है.

तथ्य-पत्र के मुख्य बिंदु

  • सर्वेक्षण के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर कुल प्रजनन दर 2.2 से कम होकर 2 हो गई है.
  • पूर्ण टीकाकरण अभियान के अलावा 23 माह से 12 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के मामले में काफी सुधार हुआ है, जो कि अखिल भारतीय स्तर पर 62 प्रतिशत से बढ़ कर 75 प्रतिशत हो गया.
  • रिपोर्ट के अनुसार 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 11 में 23 माह से 12 वर्ष आयु वर्ग के 75 प्रतिशत बच्चे हैं, जिनका पूर्ण टीकाकरण कर लिया गया है. ओडिसा में पूर्ण टीकाकरण वाले सबसे अधिक 90 प्रतिशत बच्चे हैं.
  • अब हर 1,000 पुरुषों पर 1,020 महिलाएं हैं. आजादी के बाद ये भी पहली बार है जब पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की आबादी 1 हजार से ऊपर पहुंची है. इससे पहले 2015-16 में हुए NFHS-4 में ये आंकड़ा हर 1,000 पुरुष पर 991 महिलाओं का था.
  • सर्वे में कहा गया है कि बच्चों के जन्म का लिंग अनुपात अभी भी 929 है यानी अभी भी लोगों के बीच लड़के की चाहत ज्यादा दिख रही है. महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा जी रही हैं.
  • सर्वे के अनुसार एक महिला के अब औसतन 2 बच्चे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों से भी कम है.

स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी INS वेला का मुंबई में नौसेना गोदी में जलावतरण किया गया

स्वदेश निर्मित स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी INS वेला (INS Vela) का 25 नवम्बर को मुंबई में नौसेना गोदी में जलावतरण किया गया. यह प्रोजेक्ट 75 के तहत चौथी स्टेल्थ स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी है.

  • INS वेला का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने फ्रांस के नेवल ग्रुप के सहयोग से किया है. मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने स्कॉर्पिन श्रेणी की छह पनडुब्बियों के निर्माण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए फ्रांस के नेवल ग्रुप के साथ समझौता किया था. INS कलवरी, INS खंदेरी और INS करंज के बाद INS वेला इस श्रृंखला की चौथी पनडुब्बी है.
  • INS वेला, डीजल-इलेक्ट्रिक से चलने वाला एक अटैक पनडुब्बी है. इसकी लंबाई 67.5 मीटर और ऊंचाई 12.3 मीटर है जबकि इसकी बीम की लंबाई 6.2 मीटर है.
  • वेला जलमग्न होने पर 20 समुद्री मील की शीर्ष गति तक पहुँच सकता है जबकि इसकी सतह की शीर्ष गति 11 समुद्री मील तक होती है. इसमें पावर के लिए 360 बैटरी सेल के साथ चार MTU 12V 396 SE84 डीजल इंजन शामिल हैं.