विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक वायु गुणवत्ता मानदंडों में संशोधन किया

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नए वैश्विक वायु गुणवत्ता मानदंड (AQGs) जारी किया है. यह वर्ष 2005 के बाद से WHO का वायु गुणवत्ता मानदंडों में पहला संशोधन है.

इन दिशा-निर्देशों के तहत WHO ने प्रदूषकों के अनुशंसित स्तर को और कम कर दिया है, जिन्हें मानव स्वास्थ्य के लिये सुरक्षित माना जा सकता है. इन दिशा-निर्देशों का लक्ष्य सभी देशों के लिये अनुशंसित वायु गुणवत्ता स्तर प्राप्त करना है.

नए दिशा-निर्देश:

  • WHO के नए दिशा-निर्देश उन 6 प्रदूषकों के लिये वायु गुणवत्ता के स्तर की अनुशंसा करते हैं, जिनके कारण स्वास्थ्य पर सबसे अधिक जोखिम उत्पन्न होता है.
  • इन 6 प्रदूषकों में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5 और 10), ओज़ोन (O₃), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) शामिल हैं.
  • WHO ने पीएम 2.5 सहित कई प्रदूषकों के लिए स्वीकार्य सीमा कम कर दी है. अब, पीएम 2.5 सांद्रता 15μg/m³ से नीचे रहनी चाहिए. नई सीमा के अनुसार, औसत वार्षिक PM2.5 सांद्रता 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए.

मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण का प्रभाव:

  • WHO के अनुसार, प्रत्येक वर्ष वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से 7 मिलियन लोगों की मृत्यु समय से पूर्व हो जाती है और इसके परिणामस्वरूप लोगों के जीवन के लाखों स्वस्थ वर्षों का नुकसान होता है.
  • बच्चों में इसके अनेक प्रभाव दिखाई देते हैं, जैसे- फेफड़ों की वृद्धि और कार्य में कमी, श्वसन प्रणाली में संक्रमण, अस्थमा आदि.
  • वयस्कों में हृदय रोग और स्ट्रोक बाह्य वायु प्रदूषण के कारण समय से पूर्व मृत्यु के सबसे सामान्य कारण हैं तथा मधुमेह और तंत्रिका तंत्र का कमज़ोर होना या न्यूरोडीजेनेरेटिव (Neurodegenerative) स्थितियों जैसे अन्य प्रभावों के प्रमाण भी सामने आ रहे हैं.

रक्षा मंत्रालय ने 118 अर्जुन Mk-1A मुख्य युद्धक टैंक को खरीदने की मंजूरी दी

भारतीय रक्षा मंत्रालय ने  अर्जुन Mk-1A मुख्य युद्धक टैंक के 118 यूनिट को खरीदने की मंजूरी दी. 7,523 करोड़ रुपये की लागत से इसका निर्माण चेन्नई स्थित हैवी व्हीकल फैक्ट्री (Heavy Vehicles Factory) में किया जाएगा.

अर्जुन टैंक पूरी तरह से भारत में निर्मित है. इस टैंक को DRDO की अन्य प्रयोगशालाओं के साथ कॉम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (CVRDE) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है.

अर्जुन Mk-1A

  • यह टैंक अर्जुन Mk -1 का ही एक अपग्रेडेड वर्जन है. यह दिन और रात की परिस्थितियों में काम कर सकता है और स्थिर और गतिशील दोनों तरीकों से लक्ष्य पर निशाना साध सकता है.
  • इस टैंक में अत्याधुनिक ट्रांसमिशन सिस्टम लगाया गया है. जिससे टैंक के अंदर बैठा गनर सीधे कंट्रोल सेंटर से जुड़ सकता है. इसमें स्वदेशी 120 MM कैलिबर की गन भी लगी हुई है.
  • इस टैंक के बाहरी हिस्से में रिएक्टिव ऑर्मर लगे हुए हैं. जो दुश्मन के किसी भी मिसाइल या रॉकेट के प्रभाव को अपने ऊपर झेलकर कम कर सकते हैं.
  • इस टैंक में रसायनिक हमलों से बचने के लिए भी कई सेंसर लगाए गए हैं. जिससे अंदर बैठे क्रू मेंबर बाहरी हमले से सुरक्षित रह सकते हैं.

वायुसेना ने फ्रांस से 24 पुराने मिराज 2000 लड़ाकू विमान की खरीद के लिए अनुबंध किया

भारतीय वायु सेना ने फ्रांस से 24 पुराने मिराज 2000 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं. यह सौदा 27 मिलियन यूरो का है. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया की मंजूरी मिलने के बाद यह सौदा किया गया है.

मुख्य बिंदु

  • वायुसेना की 35 साल पुरानी मिराज फ्लीट ने 2019 में बालाकोट ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों के कैंप तबाह किये थे.
  • ‘राफेल’ लड़ाकू विमान बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने ही मल्टीरोल फाइटर मिराज 2000 का निर्माण किया है.
  • वायुसेना ने 1985 में चौथी पीढ़ी के लगभग 50 लड़ाकू विमान मिराज-2000 रखरखाव अनुबंध के साथ खरीदे थे. मौजूदा समय में वायुसेना के पास 50 मिराज-2000 हैं, जिन्हें अपग्रेड करने के लिए भी अनुबंध किया गया है.

मद्रास उच्च न्यायालय ने राजमार्गों पर तय गति सीमा को रद्द किया

मद्रास उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर तय की गई गति सीमा को रद्द कर दिया है. न्यायालय ने 2018 की उस अधिसूचना को रद्द किया है जिसमें एक्सप्रेसवे पर 120 किमी/घंटा, राष्ट्रीय राजमार्गों पर 100 किमी/घंटा, जबकि एम 1 श्रेणी के वाहनों के लिए गति सीमा 60 किमी/घंटा निर्धारित की गई थी. हाई कोर्ट का यह आदेश एक अपील पर दिया है.

न्यायालय ने कहा कि, अधिक गति मृत्यु का मुख्य कारण है और अधिकांश दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार है. इस तथ्य को जानने के बावजूद, सरकार ने वाणिज्यिक कारणों सहित विभिन्न कारणों से गति सीमा बढ़ा दी है. इससे अधिक मौतें हो रही हैं. इसका हवाला देते हुए  यह अधिसूचना रद्द की गई है.

भारत का पहला परमाणु मिसाइल ट्रैकिंग जहाज INS ध्रुव को नौसेना में शामिल किया गया

भारत के पहले उपग्रह और बैलिस्टिक (परमाणु) मिसाइल ट्रैकिंग जहाज ‘ध्रुव’ को 10 सितम्बर को नौसेना में शामिल कर लिया गया. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की उपस्थिति में विशाखापत्तनम में इस जहाज को शामिल किया गया. 10,000 टन वजनी इस जहाज में लंबी दूरी तक परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक करने की क्षमता है.

INS ध्रुव: एक दृष्टि

INS ध्रुव का विकास रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) के सहयोग से हिंदुस्तान शिपयार्ड ने किया है. निर्माण की शुरुआत के दौरान इस जहाज का नाम वीसी-11184 दिया गया था. इसकी लंबाई 175 मीटर, बीम 22 मीटर, ड्राफ्ट छह मीटर है और यह 21 समुद्री मील की गति प्राप्त कर सकता है.

  • इस तरह के जहाज का संचालन करने वाला भारत छठा देश बन गया है. इससे पहले ऐसे जहाजों का संचालन केवल फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और चीन द्वारा किया जाता था.
  • यह दुश्मन पनडुब्बियों की विस्तृत जानकारी का पता लगाने के लिए समुद्र तल का नक्शा बनाने की क्षमता रखता है. यह अत्याधुनिक सक्रिय स्कैन एरे रडार या एईएसए से लैस है, जो भारत पर नजर रखने वाले जासूसी उपग्रहों की निगरानी के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में मिसाइल परीक्षणों की निगरानी के लिए विभिन्न स्पेक्ट्रम को स्कैन करने की क्षमता रखता है.
  • आईएनएस ध्रुव भारतीय नौसेना को तीनों आयामों- सतह के नीचे, सतह और हवा में बेहतर सैन्य संचालन की योजना बनाने में मदद करेगा
  • यह भारतीय शहरों और सैन्य प्रतिष्ठानों की ओर जाने वाली दुश्मनों की मिसाइलों के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य करेगा. यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री जानकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण साधन होगा.
  • यह मिसाइल को ट्रैक करने के साथ-साथ पृथ्वी की निचली कक्षा में सैटेलाइटों की निगरानी भी करेगा. लंबी दूरी तक परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक करने की क्षमता होने से भारत की एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता बढ़ेगी.
  • जमीनी जंग के बीच चीन और पाकिस्तान समुद्री रास्ते का इस्तेमाल करते हुए भारत पर नौसैनिक शिप से बैलिस्टिक मिसाइल दाग सकते हैं. ऐसे में भारत का यह ट्रैकिंग और सर्विलांस शिप भारत की जमीनी सीमा को किसी मिसाइल या एयरक्राफ्ट के हमले से सुरक्षित करेगा.

भारतीय वायुसेना में MR-SAM वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली को शामिल किया गया

MR-SAM (Medium-Range Surface-to-Air Missile) वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली को 10 सितम्बर को भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया गया. रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (DRDO) ने राजस्थान के जैसलमेर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय वायु सेना की 2204 स्‍कवॉडर्न को यह वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली सौंपी.

MR-SAM वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली: एक दृष्टि

MR-SAM सतह से हवा में मार करने वाली वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली है, जिसकी लंबाई 4.5 मीटर है. यह खराब मौसम में भी 70 किलोमीटर की रेंज में कई लक्ष्यों को एक साथ भेदने में पूरी तरह से सक्षम है. इसमें एक कमांड कंट्रोल सिस्टम, ट्रैकिंग रडार, मिसाइल और मोबाइल लॉन्चर सिस्टम को शामिल किया गया है.

यह रक्षा प्रणाली विरोधी लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, यूएवी, निर्देशित और बिना निर्देशित युद्ध सामग्री, सब-सोनिक और सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों जैसे हवाई खतरों के खिलाफ हवाई सुरक्षा प्रदान करता है. यह अत्यंत द्रुत गति से भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों की रक्षा करने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है.

भारत और इजरायल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित

MR-SAM को भारत और इजरायल की कंपनियों ने मिल कर बनाया है. इस प्रणाली के विकास के लिए इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के बीच एक समझौते पर 2009 में हस्ताक्षर किए गए थे. इसे IAI और DRDO द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है. इसका प्रयोग देश की तीनों सेनाएं कर सकेंगी.

भारत की अध्यक्षता में ब्रिक्स देशों की 13वीं शिखर बैठक आयोजित की गयी

ब्रिक्स देशों की 13वीं शिखर बैठक 9 सितम्बर को आयोजित की गयी थी. इस बैठक की  अध्‍यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने वर्चुअल माध्‍यम से किया. भारत वर्तमान (2021) में ब्रिक्‍स का अध्‍यक्ष देश है. इस बैठक का विषय – ‘BRICS@15: निरंतरता, एकीकरण और आम सहमति के लिए ब्रिक्‍स के अंतर्गत सहयोग’ (BRICS@15: Intra-BRICS Cooperation for Continuity, Consolidation and Consensus) था.

इस बैठक में ब्राजील के राष्‍ट्रपति जायर बोलसानारो, रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन, चीन के राष्‍ट्रपति षी जिनपिंग और दक्षिण अफ्रीका के राष्‍ट्रपति साइरिल रामाफोसा ने हिस्सा लिया.

ब्रिक्स देशों की 13वीं शिखर बैठक: मुख्य बिंदु

  • ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समापन पर नई दिल्ली घोषणा में ब्रिक्स देशों ने शांति, विधि सम्मत शासन, मानवाधिकार का सम्मान औऱ मौलिक स्वतंत्रता और सभी के लिए लोकतंत्र के साझा मूल्यों की वचनबद्धता व्यक्त की.
  • भारत ने अपनी अध्‍यक्षता में चार प्राथमिकता के क्षेत्रों का उल्‍लेख किया था. ये थे- बहुस्‍तरीय प्रणाली का सुधार, आतंकवाद का मुकाबला, टिकाऊ विकास लक्ष्‍यों को हासिल करने के लिए डिजिटल और प्रौद्योगिकीय माध्‍यम का उपयोग तथा सदस्‍य देशों के बीच लोगों का सम्‍पर्क बढ़ाना.
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ब्रिक्‍स शिखर बैठक की दूसरी बार अध्‍यक्षता करेंगे. इससे पहले उन्‍होंने 2016 में गोवा शिखर बैठक की अध्‍यक्षता की थी. इस वर्ष ब्रिक्‍स शिखर सम्‍मेलन की अध्‍यक्षता भारत, ब्रिक्‍स की 15वीं वर्षगांठ के समय कर रहा है.

जानिए क्या है ब्रिक्स और इसकी अहमियत…»

वायु सेना के विमानों की आपातकालीन लैंडिंग सुविधा का उद्घाटन

वायु सेना के विमानों की आपातकालीन लैंडिंग सुविधा के लिए राजस्थान के बाड़मेर (जालौर) में राजमार्ग की हवाई पट्टी तैयार की गयी है. इस हवाई पट्टी का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी 9 सितम्बर को किया. 3.5 किलोमीटर लम्बी इस हाइवे का इस्तेमाल युद्ध या किसी आपातकाल के मौके पर बतौर हवाई पट्टी किया जा सकेगा.

इस हाइवे का निर्माण भारतमाला परियोजना के तहत किया गया है. यह उत्तर प्रदेश के यमुना एक्सप्रेस-वे के अलावा भारतीय वायु सेना के फाइटर प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग किये जा सकने योग्य दूसरा हाइवे है.

हवाई पट्टी का निर्माण भारतीय भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने जालौर जिले के चितलवाना में राष्ट्रीय राजमार्ग-925A पर भारतीय वायु सेना के लिए इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड (ईएलएफ) के रूप में तैयार किया है.

मंत्रिमंडल ने वायुसेना के लिए एयरबस से 56 परिवहन विमानों की खरीद को मंजूरी दी

भारतीय वायु के लिए 56 C-295MW विमानों की खरीद को मंजूरी दी गयी है. यह मंजूरी सुरक्षा संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने 8 सितम्बर को दी.

  • 56 विमानों में से 16 विमान एयरबस डिफेंस एंड स्पेस, स्पेन से खरीदे जाएंगे जो उड़ान भरने की स्थिति में होंगे. इन 16 विमानों की आपूर्ति 48 महीनों के भीतर की जाएगी. इसके अलावा 40 विमानों का निर्माण 10 वर्षों के भीतर टाटा कंसोर्टियम द्वारा भारत में किया जाएगा.
  • सी-295MW विमान नयी तकनीक के साथ 5 से 10 टन क्षमता वाला परिवहन विमान है जो वायुसेना के पुराने पड़ गए एवरो विमान की जगह लेगा.
  • यह अपनी तरह की पहली परियोजना होगी जिसमें एक निजी कंपनी द्वारा भारत में किसी सैन्य विमान का निर्माण किया जाएगा.

सेना ने ‘स्काई स्ट्राइकर’ ड्रोन खरीदने के लिए भारत और इजराइल के संयुक्त उद्यम से अनुबंध किया

भारतीय सेना ने 100 से अधिक ‘स्काई स्ट्राइकर’ खरीदने के लिए भारतीय कंपनी अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज और इजराइल की कंपनी एलबिट सिस्टम के संयुक्त उद्यम से अनुबंध किया है. अनुबंध के तहत इन ‘स्काई स्ट्राइकर’ का निर्माण बेंगलुरु में किया जाना है.

स्काई स्ट्राइकर: मुख्य बिंदु

  • स्काई स्ट्राइकर एक मानव रहित ‘घूमने वाला हथियार’ (ड्रोन) है जो लंबी दूरी तक सटीक और सामरिक हमले करने में सक्षम है. यह विस्फोटक वारहेड के साथ लाइन-ऑफ-विजन ग्राउंड लक्ष्यों से परे संलग्न करने के लिए बनाया गया है.
  • यह ‘स्काई स्ट्राइकर’ एक ‘आत्मघाती ड्रोन’ की तरह काम करता है, जो विस्फोटकों के साथ लक्ष्य को मारकर खुद भी नष्ट हो जाता है. यह खुद 5 किलो वारहेड के साथ निर्दिष्ट लक्ष्यों का पता लगाकर उन पर हमला कर सकता है.
  • इनकी मारक क्षमता करीब 100 किलोमीटर तक है. यह 20 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य क्षेत्र तक 10 मिनट में पहुंचकर मिशन को अंजाम देने के बाद लौट सकते हैं.
  • यह बहुत ही धीमी आवाज के साथ कम ऊंचाई पर उड़ सकता है, जो इसे मौन, अदृश्य और आश्चर्यजनक हमलावर बनाता है. लॉन्च करने से पहले इस पर ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लोड किया जाता है.
  • यह उड़ान भरने के बाद ग्राउंड कंट्रोल रूम की मंजूरी मिलने के बाद ही लक्ष्य को टार्गेट करता है. इसे लॉन्च करने के बाद ग्राउंड कंट्रोल रूम लक्ष्य भी बदल सकता है और किसी भी मिशन को रद्द करके उसे वापस भी बुला सकता है.

भारतीय नौसेना के लिए स्वदेश-निर्मित नेवल एंटी-ड्रोन सिस्टम बनाने का समझौता

भारतीय नौसेना ने भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड (BEL) के साथ अपना पहला स्वदेश-निर्मित नेवल एंटी-ड्रोन सिस्टम (NADS) बनाने का समझौता किया है. यह समझौता 31 अगस्त को नौसेना और अनुसन्धान और विकास संगठन (DRDO) के अधिकारियों की उपस्थिति में हुआ. इस एंटी-ड्रोन सिस्टम को रक्षा DRDO ने विकसित किया है और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित किया गया है.

एंटी-ड्रोन सिस्टम क्या है?

एंटी-ड्रोन सिस्टम काउंटर अनमैन्ड एयरक्राफ्ट प्रणाली पर काम करते हैं. ये सिस्टम दुश्मन ड्रोन्स और मानव-रहित हवाई उपक्रम या किसी भी प्रणाली का पता लगाते हैं और उन्हें रोक सकते हैं. यह देश के सशस्त्र बलों में शामिल होने वाला पहला स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-ड्रोन सिस्टम होगा.

एंटी ड्रोन सिस्टम का निर्माण इस तरह की तकनीक से बनाया गया है कि वह इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल, इंफ्रारेड सेंसर, रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी की मदद से ड्रोन को डिटेक्ट कर उसे पूरी तरह से जाम कर दे.

इंडियन कोस्ट गार्ड का जहाज ‘विग्रह’ राष्ट्र को समर्पित

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 28 अगस्त को इंडियन कोस्ट गार्ड (ICG) का जहाज ‘विग्रह’ राष्ट्र को समर्पित किया. चेन्नई में कमीशन किया गया यह जहाज विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश में तैनात होगा. पूर्वी समुद्र तट पर संचालित इस जहाज पर तटरक्षक क्षेत्र (पूर्व) के कमांडर का प्रशासनिक नियंत्रण होगा. यह अपतटीय गश्ती जहाजों (OPV) की श्रृंखला का सातवां जहाज है.

  • 98 मीटर लम्बे इस अपतटीय गश्ती जहाज को लार्सन एंड टुब्रो शिप बिल्डिंग लिमिटेड ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया है. जहाज में उन्नत प्रौद्योगिकी रडार, नेविगेशन और संचार उपकरण, सेंसर और मशीनरी लगाई गई है, जो उष्णकटिबंधीय समुद्री परिस्थितियों में काम करने में सक्षम है.
  • पोत 40/60 बोफोर्स तोप से भी लैस है और अग्नि नियंत्रण प्रणाली के साथ दो 12.7 मिमी स्थिर रिमोट कंट्रोल गन से सुसज्जित है. जहाज पर एकीकृत पुल प्रणाली, एकीकृत मंच प्रबंधन प्रणाली, स्वचालित बिजली प्रबंधन प्रणाली और उच्च शक्ति बाहरी अग्निशमन प्रणाली भी लगाई गई है.
  • जहाज को बोर्डिंग ऑपरेशन, खोज और बचाव, कानून प्रवर्तन और समुद्री गश्त के लिए एक जुड़वां इंजन वाले हेलीकॉप्टर और चार उच्च गति वाली नौकाओं को ले जाने के लिए भी डिजाइन किया गया है.
  • जहाज लगभग 2,200 टन वजन के साथ दो 9100 किलोवाट डीजल इंजनों से संचालित किया जाता है, जिससे 26 समुद्री मील प्रति घंटे की अधिकतम गति से 5000 नॉटिकल माइल तक दूरी तय कर सकता है.
  • महासागर और समुद्र के कानून पर 2008 की रिपोर्ट में, तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने समुद्री सुरक्षा के लिए 7 खतरों को रेखांकित किया: समुद्री डकैती, आतंकवाद, हथियारों और नशीले पदार्थों की अवैध तस्करी, मानव तस्करी, अवैध मछली पकड़ने और पर्यावरण को नुकसान. यह जहाज इन खतरों से रक्षा करेगा.