इथेनॉल उत्पादन के लिए पुणे में E100 पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत

भारत ने इथेनॉल (Ethanol) क्षेत्र के विकास के लिए पुणे में E100 पायलट प्रोजेक्ट (E100 pilot project) शुरू किया है. यह प्रोजेक्ट इथेनॉल के उत्पादन और वितरण से संबंधित है. इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) के अवसर पर की.

मुख्य बिंदु

  • प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आने वाले वर्षों में भारत इथेनॉल आधारित कई प्रोजेक्ट शुरू करेगा. उन्होंने कहा कि 2020 में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 21,000 करोड़ रुपये का इथेनॉल खरीदा है.
  • भारत ने 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण को पूरा करने का संकल्प लिया है. आज करीब 8.5 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रित किया जा रहा है.
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि एथेनॉल भारत की 21वीं सदी की प्राथमिकताओं से जुड़ गया है. यह पर्यावरण के साथ-साथ किसानों के जीवन की भी मदद कर रहा है. इससे देश के गन्ना किसानों को बड़ा लाभ हुआ है.
  • भारत समग्र दृष्टिकोण के साथ अपने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम पर काम कर रहा है. स्वच्छ ऊर्जा पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी – दोनों एक साथ आगे बढ़ सकते हैं. भारत ने इस रास्ते को चुना है.
  • पिछले कुछ वर्षों में, अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ हमारे वन क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है. हाल ही में देश में बाघों की आबादी दोगुनी हो गई है.

इथेनॉल इंधन क्या होता है?

इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में इंधन की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. इथेनॉल में 35 फीसदी फीसद ऑक्सीजन होता है. इथेनॉल का उत्पादन यूं तो मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होता है लेकिन शर्करा वाली कई अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है.

इंधन के रूप में इथेनॉल उपयोग के फायदे

इथेनॉल के इस्तेमाल से 35 फीसदी कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन होता है. यह सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन को भी कम करता है.

इथेनॉल इको-फ्रैंडली इंधन है और पर्यावरण को जीवाश्म ईंधन से होने वाले खतरों से सुरक्षित रखता है.

इंधन के रूप में इथेनॉल का विश्व में उपयोग

ब्राजील में लगभग 40 प्रतिशत गाड़ियां 100 फीसदी इथेनॉल से चलती हैं, यही नहीं बाकी गाड़ियां भी 24 फीसदी इथेनॉल मिला ईंधन उपयोग कर रही हैं. ब्राजील जैसे देश के लिए यह करना आसान इसलिए हुआ क्योंकि उनके पास भारत से तीन गुना जमीन और आबादी उत्तर प्रदेश जितनी है.

स्वीडन और कनाडा में भी इथेनॉल पर गाड़ियां चल रही है. कनाडा में तो इथेनॉल के इस्तेमाल पर सरकार की तरफ से सब्सिडी भी दी जा रही है.

रक्षा अधिग्रहण परिषद ने छह पनडुब्बियों के निर्माण के नौसेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी

रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने छह पनडुब्बियों के निर्माण के नौसेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. यह मंजूरी 4 जून को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई DAC की बैठक में दी गयी.

सामरिक भागीदारी मॉडल के तहत होने वाला पहला मामला होने के कारण यह एक ऐतिहासिक स्वीकृति है. इस निर्माण में लगभग 43 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी.

परिषद ने बाय एंड मेक इंडियन श्रेणी के तहत सेना के लिए छह हजार करोड़ रुपये की एयर डिफेंस गन और गोला-बारूद को भी मंजूरी दी. इससे सशस्त्र बलों को आकस्मिक और महत्वपूर्ण अधिग्रहणों को पूरा करने में मदद मिलेगी.

रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC)

रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council), अधिग्रहण संबंधी मामलों पर निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च संस्था है।
DAC की स्थापना 2001 में सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं की शीघ्र ख़रीद सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गयी थी. रक्षा मंत्री इस परिषद के अध्यक्ष होते हैं।

भारत में विश्व का पहला नैनो यूरिया विकसित किया गया

भारत में विश्व का पहला नैनो यूरिया विकसित किया गया है. इसका विकास इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) ने किया है. यह यूरिया इफको के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने अनुसंधान के बाद स्वदेशी और प्रोपाइटरी तकनीक के माध्यम से कलोल स्थित नैनो जैव-प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र में तैयार किया है. यह नवीन उत्पाद ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘आत्मनिर्भर कृषि’ की दिशा में एक सार्थक कदम है.

इफको नैनो यूरिया (Nano Urea): मुख्य बिंदु

  • यह यूरिया तरल (Liquid) के रूप में है. इसके 500 ml की एक बोतल में 40,000 PPM नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करेगा.
  • इफको नैनो यूरिया का उत्पादन जून 2021 तक आरंभ होगा. इसके एक बोतल (500 ml) की कीमत 240 रुपये निर्धारित की है जो सामान्य यूरिया के एक बैग के मूल्य से 10 प्रतिशत कम है.
  • नैनो यूरिया को सामान्य यूरिया के प्रयोग में कम से कम 50 प्रतिशत कमी लाने के प्रयोजन से तैयार किया गया है.
    नैनो यूरिया तरल का आकार छोटा होने के कारण इसे पॉकेट में भी रखा जा सकता है जिससे परिवहन और भंडारण लागत में भी काफी कमी आएगी.

इफको नैनो यूरिया की विशेषता

  • इफको नैनो यूरिया तरल को पौधों के पोषण के लिए प्रभावी व असरदार पाया गया है. इसके प्रयोग से फसलों की पैदावार बढ़ती है तथा पोषक तत्वों की गुणवत्ता में सुधार होता है.
  • नैनो यूरिया भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारने तथा जलवायु परिवर्तन व टिकाऊ उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा.
  • किसानों द्वारा नैनो यूरिया तरल के प्रयोग से पौधों को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होंगे और मिट्टी में यूरिया के अधिक प्रयोग में कमी आएगी. यूरिया के अधिक प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषित होता है, मृदा स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है, पौधों में बीमारी और कीट का खतरा अधिक बढ़ जाता है, फसल देर से पकती है और उत्पादन कम होता है. साथ ही फसल की गुणवत्ता में भी कमी आती है.

इफको (IFFCO): एक दृष्टि

इफको (Indian Farmers Fertiliser Cooperative) विश्व का सबसे बड़ा उर्वरक सहकारिता संस्था है. इफको का पंजीकरण 3 नवम्बर 1967 को का एक बहुएकक सहकारी समिति के रूप में किया गया था. बहुराज्य सहकारी सोसाइटीज अधिनियम, 1984 व 2002 के अधिनियमन के साथ यह एक बहुराज्य सहकारी समिति के रूप में पंजीकृत है. यह समिति प्रमुख रूप से उर्वरकों के उत्पादन और विपणन का कार्य करती है.

युवा लेखकों को परामर्श देने के लिए प्रधानमंत्री योजना ‘YUVA’ की शुरूआत

शिक्षा मंत्रालय ने युवा लेखकों को परामर्श देने के लिए प्रधानमंत्री योजना ‘YUVA’ (Prime Minister’s Scheme for Mentoring Young Authors) की शुरूआत की. यह 30 साल से कम आयु वाले युवा लेखकों को प्रशिक्षित करने के लिए एक लेखक परामर्श कार्यक्रम है.

YUVA योजना क्या है?

‘YUVA’ का का पूरा नाम ‘Young, Upcoming and Versatile Authors’ है. युवा लेखकों को भारत के स्‍वतंत्रता संग्राम के बारे में लिखने के लिए प्रोत्‍साहित करने के वास्‍ते ये प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप है. श्री मोदी ने युवा पीढी से स्‍वतंत्रता सेनानियों और स्‍वाधीनता संग्राम से जुडी घटनाओं के बारे में लिखने का आह्वान किया था.

योजना की रूप-रेखा

‘YUVA’ योजना में एक अखिल भारतीय प्रतियोगिता द्वारा 75 लेखकों का चयन किया जाएगा. इन लेखकों को पांडुलिपियां तैयार करने के लिए प्रख्यात लेखकों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा. 12 जनवरी 2022 को राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर इन पुस्तकों का विमोचन किया जाएगा.

भारतीय नौसेना के पहले विध्वंसक पोत ‘INS राजपूत’ को विदाई दी गई

भारतीय नौसेना के पहले विध्वंसक पोत ‘INS राजपूत’ को 21 मई को नौसेना की सेवा से विदाई दे दी गई. इस पोत को नेवल डॉकयार्ड, विशाखापत्तनम में नौसेना की सेवा से हटाया (डीकमीशन) गया. 41 साल की सेवा के बाद इस पोत को विदाई दी गयी है.

इस पोत का निर्माण सोवियत संघ ने किया था और इसे 4 मई, 1980 को नौसेना में शामिल किया गया था. यह भारतीय नौसेना का पहला पोत था जिसे थल सेना की किसी रेजीमेंट (राजपूत रेजीमेंट) से संबद्ध किया गया था. इसने पश्चिमी और पूर्वी दोनों बेड़े में अपनी सेवाएं दी. इसका आदर्श वाक्य “राज करेगा राजपूत” था.

इस पोत ने पिछले चार दशकों में कई प्रमुख मिशनों में भाग लिया. इनमें भारतीय शांतिरक्षक बलों की सहायता के लिए श्रीलंका में चलाया गया ‘ऑपरेशन अमन’, श्रीलंका के तट पर गश्ती कार्य के लिए ‘ऑपरेशन पवन’ और मालदीव में बंधकों की समस्या के समाधान के लिए चलाया गया ‘ऑपरेशन कैक्टस’ शामिल हैं.

DRDO ने कोरोना वायरस एंटीबॉडी डिटेक्शन किट ‘DIPCOVAN’ तैयार की

रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) ने कोरोना वायरस एंटीबॉडी डिटेक्शन किट तैयार की है. इस किट का नाम ‘DIPCOVAN’ रखा गया है. इस किट ka उपयोग कर SARS-CoV-2 वायरस के साथ-साथ न्यूक्लियोकैप्सिड (S&N) प्रोटीन का भी 97% की उच्च संवेदनशीलता और 99% की विशिष्टता के साथ पता लगाया जा सकता है.

DRDO ने ‘DIPCOVAN’ को दिल्ली स्थित वैनगार्ड डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से विकसित किया गया है. यह किट पूरी तरह स्वदेशी है और इसे यहीं के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है.

भारत ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने ‘DIPCOVAN’ के उपयोग की मंजूरी हाल ही में प्रदान की है. इससे पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने अप्रैल 2021 में इस किट को मान्यता दी थी. अब इस किट की खुले बाजार में बिक्री की जा सकती है. इस किट की कीमत प्रति टेस्ट 75 रुपये के करीब होगी.

DIPCOVAN किट के जरिए किसी व्यक्ति की कोरोना से लड़ने की क्षमता और उसकी पिछली हिस्ट्री (इंसान के शरीर में जरूरी एंटीबॉडी या प्लाज्मा) के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी.

उल्लेखनीय है कि हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने ‘कोवीसेल्फ’ नाम की होम टेस्टिंग किट को भी मंजूरी दी है, जो एक रैपिड एंटीजन टेस्ट किट है. इस किट की मदद से लोग घर बैठे खुद ही अपना कोरोना टेस्ट कर सकेंगे.

DRDO की एंटी-कोविड दवा 2-DG

DRDO ने इससे पहले ‘2-DG’ नाम से covid-19 की दवा विकसित की थी. इस दावा का पूरा नाम 2-Deoxy-D-glucose है. इसे डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज के सहयोग से विकसित किया गया है. यह दवा संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाती है और वायरल को बढने से रोकती है. DGCI ने कोविड-19 के गंभीर रोगियों के लिए इस दवा के आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी है.

यूनेस्को ने भारत के छह स्थानों को विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल किया

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने भारत के छह स्थानों को विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल किया है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने नौ स्थानों को यूनेस्को की संभावित विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल करने के लिए भेजा था, जिसमें छह को अस्थायी सूची के लिए मंजूरी दी गई है.

विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल किये गये स्थान

  1. वाराणसी का गंगा घाट
  2. तमिलनाडु में कांचीपुरम का मंदिर
  3. मध्य प्रदेश में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
  4. महाराष्ट्र सैन्य वास्तुकला
  5. हीरे बेंकल मेगालिथिक साइट
  6. मध्य प्रदेश (जबलपुर) में नर्मदा घाटी के भेड़ाघाट-लम्हेटाघाट

धरोहर स्थल क्या है?

विश्व धरोहर या विरासत सांस्कृतिक महत्व और प्राकृतिक महत्व के वह स्थल होते है जो बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं. दुनियाभर में कुल 1052 विश्व धरोहर स्थल हैं जो बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. इनमें से 814 सांस्कृति, 203 प्राकृतिक और 35 मिश्रित स्थल हैं.

यूनेस्को में शामिल भारत के धरोहर स्थल

यूनेस्को ने भारत में 36 स्थानों, शहर, इमारतों, गुफाओं आदि को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया है. इनमें 27 सांस्कृतिक, 8 प्राकृतिक और 1 मिश्रित धरोहर शामिल हैं. यूनेस्को में शामिल भारत के धरोहर स्थल इस प्रकार हैं:

ताजमहल, आगरा का किला, अजंता और एलोरा की गुफाएं, काजीरंगा अभयारण्य, केवलादेव उद्यान, महाबलीपुरम और सूर्य मंदिर कोणार्क, मानस अभयारण्य, हम्पी, गोवा के चर्च और फतेहपुर सीकरी, चोल मंदिर, खजुराहो मंदिर, पट्टादकल और एलिफेंटा की गुफाएं, सुंदरबन, सांची के बुद्ध स्मारक, हुमायूं का मकबरा और नंदा देवी का पुष्प उद्यान, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, चंपानेर पावागढ़, दिल्ली का लाल किला और जयपुर का जंतर मंतर, नालंदा विश्वविद्यालय, कार्बूजिए की वास्तुकला, कंचनजंघा पुष्प उद्यान और अहमदाबाद शहर, भीमबैठका, कुतुब मीनार, हिमालयन रेल और महाबोधि मंदिर, गुजरात की रानी की वाव, पश्चिमी घाट, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क और राजस्थान का किला.

कोविड पीड़ितों के उपचार के लिए दवा ‘टू-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज’ के उपयोग को मंजूरी दी गयी

भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने कोविड पीड़ितों के उपचार के लिए देश में विकसित दवा ‘टू-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज’ (2-Deoxy – D – Glucose) के उपयोग को मंजूरी दी है. इस दवा को संक्षिप्त में 2DG भी कहते हैं. इस दवा को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है.

यह दवा एक पाउडर के रुप में है जिसे पानी में घोलकर लेना होता है. इसका विकास DRDO की एक प्रयोगशाला नाभिकीय औषधि तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान ने डॉ. रेड्डीज लेबॉरेट्रीज के साथ मिलकर किया है.

अब तक के परीक्षणों से पता चला है कि यह दवा कोरोना मरीजों को तेज़ी से स्वस्थ करती है और इसके सेवन से ऑक्सीजन पर निर्भरता भी कम रह जाती है.

2DG क्‍या करता है?

यह दवा ग्‍लूकोज का एक वेरिऐंट है. जब इस दवा को कोरोना के मरीज को दिया हैं तो ये वायरस से ग्रस्‍त कोशिका में ज्‍यादा मात्रा में चला जाता है. जिससे कोरोना वायरस को एनर्जी की जरूरत होती है. पर यह दवा वायरस को एनर्जी नहीं दे पाता. जिससे शारीर में उस वायरस की वृद्धि को नियंत्रित किया जाता है.

सामाजिक सुरक्षा संहिता – 2020 की धारा 142 की अधिसूचना जारी गयी

केन्द्रीय श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय ने आधार की प्रासंगिकता को कवर करने वाली सामाजिक सुरक्षा संहिता – 2020 की धारा 142 को अधिसूचित (notified) कर दिया है. इस धारा को प्रवासी मज़दूरों सहित अन्य श्रमिकों के डेटाबेस को एकत्रित करने के लिए अधिसूचित किया गया है.

सामाजिक सुरक्षा संहिता – 2020 की धारा 142 की अधिसूचना जारी होने से श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत अपने डेटाबेस के लिए लाभार्थियों के आधार का विवरण प्राप्त करने में सक्षम होगा.

राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (National Informatics Centre) देश के असंगठित श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस (NDUW) के लिए एक पोर्टल विकसित कर रहा है. इस पोर्टल का उद्देश्य प्रवासी मज़दूरों सहित असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का डाटा एकत्रित करना है, ताकि सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ इन श्रमिकों तक पहुँचाया जा सके. अंतर-राज्यीय प्रवासी मज़दूर केवल आधार कार्ड के विवरण के माध्यम से अपने आप को इस पोर्टल पर पंजीकृत कर सकता है.

भारत-ब्रिटेन वर्चुअल शिखर बैठक, 2030 के लिए रूपरेखा जारी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के बीच 4 मई को वर्चुअल शिखर बैठक आयोजित की गयी थी. इस बैठक में विभिन्‍न मुद्दों पर गंभीर विचार-विमर्श किया गया. बैठक के दौरान आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्‍विक मुद्दों तथा द्विपक्षीय सम्बंधों के सभी पहलुओं पर व्‍यापक चर्चा हुई.

2030 के लिए रूपरेखा जारी

बैठक का पहला महत्‍वपूर्ण निष्‍कर्ष 2030 के लिए रूपरेखा जारी होना था. दोनों नेताओं ने ‘भारत-ब्रिटेन साझेदारी’ को बढ़ाकर ‘व्‍यापक रणनीतिक साझेदारी’ का रूप देने के लिए 2030 की महत्‍वकांशी रूपरेखा स्‍वीकार की.

इस रूपरेखा में अनेक ठोस, भविष्‍योन्मुखी और परिणाम केन्‍द्र‍ित गतिविधियों की व्‍यापक सूची बनाई गई. इसके लिए पांच महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान की गई है. ये पांच क्षेत्र हैं- व्‍यक्ति से व्‍यक्ति के बीच संबंध बढ़ाना, व्‍यापार और समृद्धि, रक्षा और सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्रवाई और स्‍वास्‍थ्‍य.

व्‍यापार साझेदारी बढ़ाने की घोषणा

शिखर बैठक की एक और बड़ी उपलब्‍धि व्‍यापार साझेदारी बढ़ाने की घोषणा था. 2019-20 में दोनों देशों के बीच दो तरफा व्‍यापार 15 अरब चालीस करोड़ डॉलर का था.

ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने से दोनों देशों के लिए नए और शानदार अवसर उपलब्‍ध हुए हैं. इन अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए दोनों नेताओं ने अंतरिम व्‍यापार समझौते पर विचार करने के लिए वार्ता शुरू करने की घोषणा की. इसके तहत 2030 तक आपसी व्‍यापार दोगुने से अधिक बढ़ाना है.

शीघ्र बाजार सुलभ कराने के पैकेज पर सहमति

दोनों नेता शीघ्र बाजार सुलभ कराने के पैकेज पर भी सहमत हुए. इसके तहत ब्रिटेन भारतीय उद्यमियों के लिए अपने मत्‍स्‍य क्षेत्र को खोलेगा, नर्सों को अधिक अवसर उपलब्‍ध कराएगा, भारतीय नौवहन चालकों के प्रमाण-पत्रों को मान्‍यता देगा और सामाजिक सुरक्षा समझौते पर संयुक्‍त संवाद करेगा.

इसके बदले भारत ने फलों, चिकित्‍सा उपकरणों और स्‍नातकोत्‍तर डिग्री की परस्‍पर मान्‍यता के बारे में ब्रिटेन के प्रस्‍ताव पर सहमति व्‍यक्‍त की है. भारत विधिक सेवाओं को खोलने की दिशा में भी काम करेगा.

भारत-ब्रिटेन वैश्‍विक नवाचार साझेदारी

वर्चुअल बैठक में नई भारत-ब्रिटेन वैश्‍विक नवाचार साझेदारी आरंभ करने के समझौते पर हस्‍ताक्षर किए गए. प्रवासन और मोबीलिटी के क्षेत्र में साझेदारी के समझौते पर भी हस्‍ताक्षर किए गए.

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किये गए

देश के पांच राज्य पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुद्दुचेरीके विधानसभा सदस्यों के चुनाव की मतगणना के नतीजे 3 अक्टूबर को घोषित किये गए. इन चारों राज्यों में मार्चा और अप्रैल में विभिन्न चरणों में मतदान हुए थे.

  1. पश्चिम बंगाल: 294 सदस्यों की पश्चिम बंगाल विधानसभा में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने 213 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत प्राप्त किया है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 77 सीटें जीत कर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी है. यहाँ मुख्य विपक्षी पार्टी रही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (MKP) और कांग्रेस एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी.
  2. तमिलनाडु: 234 सदस्यों की तमिलनाडु विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके ने 133 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत प्राप्त किया है. यहाँ सत्तारूढ़ AIADMK ने 66 सीटें जीतने में सफल रही.
  3. केरल: 140 सदस्यों की केरल विधानसभा में सत्तारूढ़ वामपंथी मार्क्‍सवादी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (CPI-M) ने 62 सीटें जीती. यहाँ मुख्य विपक्षी कांग्रेस 21 सीटें जीतने में सफल रही.
  4. असम: 126 सदस्यों की असम विधानसभा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 60 सीटें जीती. यहाँ मुख्य विपक्षी कांग्रेस 29 सीटें मिली.
  5. पुद्दुचेरी: 60 सदस्यों की पुद्दुचेरी विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी AINRC और BJP के गठबंधन ने 16 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत प्राप्त किया है. यहाँ सत्तारूढ़ कांग्रेस 2 सीटें जीतने में सफल रही.

भारत ने लड़ाकू विमान तेजस के साथ पाइथन-5 मिसाइल की सफल परीक्षण श्रृंखला पूरी की

भारत ने लड़ाकू विमान तेजस (Tejas) की मारक क्षमता के कई सफल परीक्षण ‘पाइथन-5’ मिसाइल के साथ किया. रक्षा अनुसंधान विकास संस्थान (DRDO) ने यह परीक्षण श्रृंखला गोवा में हाल ही में आयोजित किया था. इस श्रृंखला में स्वदेश में बने हल्के लड़ाकू विमान ‘तेजस’ के साथ पाइथन-5 मिसाइल को एकीकृत किया गया था.

इस परीक्षण का लक्ष्य तेजस पर पहले से ही एकीकृत पाइथन डर्बी बियॉन्ड विजुअल रेंड (BVR) AAM की बढ़ी हुई क्षमता को सत्यापित करना था. डर्बी प्रक्षेपास्त्र ने तेज गति से हवा में करतब दिखा रहे लक्ष्य पर सीधा प्रहार किया और पाइथन प्रक्षेपास्त्र ने भी 100 प्रतिशत लक्ष्य पर वार किया और इस तरह अपनी पूर्ण क्षमताओं को प्रमाणित किया.

इस परीक्षणों से पहले बेंगलुरु में तेजस में लगी विमानन प्रणाली के साथ ‘पाइथन-5’ मिसाइल के एकीकृत होने के आकलन के लिये व्यापक हवाई परीक्षण किए गए. इनमें लड़ाकू विमान की वैमानिकी, फायर-नियंत्रण रडार, प्रक्षेपास्त्र आयुध आपूर्ति प्रणाली, विमान नियंत्रण प्रणाली शामिल थे.

पाइथन-5 मिसाइल: मुख्य तथ्य

  • पाइथन-5 मिसाइल हवा से हवा में मार करने में सक्षम पांचवीं पीढ़ी की मिसाइल है. यह इजरायल के हथियार निर्माता राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम द्वारा निर्मित मिसाइल है. पायथन 5, डर्बी मिसाइल का एक उन्नत संस्करण है.
  • पाइथन-5 की लंबाई 10.17 फीट है. इसका व्यास 6.29 इंच है. वजन 105 किलोग्राम है. यह इंफ्रारेड और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इमेजिंग के जरिए गाइड होती है.
  • इसकी मारक क्षमता 20 किलोमीटर है. यानी दुश्मन का जहाज अगर 20 किलोमीटर दूर पर हवा में स्थित हैं और वह दिखाई नहीं दे रहा है तो भी यह उसे नष्ट कर सकती है.
  • इस मिसाइल को स्वदेश में बने हल्के लड़ाकू विमान (फाइटर जेट) ‘तेजस’ के साथ एकीकृत किया गया है. यह मिसाइल दुश्मन के विमानों, हेलिकॉप्टरों और ड्रोन को तेजी से मर गिराने में सक्षम है. इस मिसाइल का उपयोग दुनिया के करीब 20 देशों की वायुसेना करती है.