बीटिंग रीट्रिट के साथ 72वें गणतंत्र दिवस समारोह का समापन हुआ

हर साल 29 जनवरी को विजय चौक पर होने वाले समारोह ‘बीटिंग रीट्रिट’ (Beating Retreat) के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होता है. इस वर्ष बीटिंग द रिट्रीट समारोह नई दिल्‍ली के ऐतिहासिक विजय चौक पर आयोजित किया गया. इसके साथ ही चार दिन का गणतंत्र दिवस समारोह संपन्‍न हो गया.

बीटिंग रिट्रीट में सेना, नौसेना, वायु सेना और केन्‍द्रीय सशस्‍त्र पुलिस बलों के बैंड मधुर संगीत के साथ कार्यक्रम प्रस्‍तुत किया गया. कार्यक्रम का प्रारंभ मास्‍डबैंड द्वारा स्‍वर्णिम विजय धुन के साथ और इसका समापन लोकप्रिय धुन सारे जहां से अच्‍छा के साथ हुआ.

बीटिंग रीट्रिट क्या है?

बीटिंग रिट्रीट सदियों पुरानी सैन्‍य परम्‍परा है जिसमें सेनाएं युद्ध के दौरान सूर्यास्‍त के बाद छावनी में लौट जाती हैं. जैसे ही बिगुल बजता है सैनिक लड़ना बंद कर देते हैं, हथियार म्‍यान में रख दिये जाते हैं और वे युद्ध के मैदान से वापस आ जाते हैं.

यह 1950 के दशक की शुरूआत में उस समय शुरू हुआ जब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने बैंड द्वारा प्रदर्शन का अनूठा तरीका विकसित किया था.

भारत और IAA ने रणनीतिक भागीदारी समझौते पर हस्ताक्षर किये

भारत ने 27 जनवरी को अन्तर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IAA) के साथ रणनीतिक भागीदारी समझौते पर हस्ताक्षर किये. समझौता ज्ञापन (MOU) पर भारत की ओर से ऊर्जा सचिव संजीव नंदन सहाय और IAA की ओर से कार्यकारी निदेशक डॉ. फतिह बिरोल ने हस्ताक्षर किए. इसका मकसद वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा, स्थिरता और उसे भरोसेमंद बनाने में सहयोग को मजबूत बनाना है.

भारत-IAA ने समझौते के मुख्य बिंदु

  • इस साझेदारी से सदस्य देश एक-दूसरे के बीच जानकारी का व्यापक रूप से आदान-प्रदान कर सकेंगे. साथ ही यह समझौता भारत के लिए IAA का पूर्ण सदस्य बनने की दिशा में एक और कदम होगा.
  • यह समझौता भारत के लिए IAA पूर्ण सदस्य बनने की दिशा में एक और कदम होगा.
  • इस समझौते के तहत सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास, मजबूत सहयोग और वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा, स्थिरता और टिकाऊपन को बढ़ावा मिलेगा.
  • रणनीतिक साझेदारी की रूपरेखा को भारत और IAA के सदस्यों द्वारा तय किया जाएगा जिसमें भारत की भूमिका और साझेदारी से मिलने वाले फायदे धीरे-धीरे बढ़ाए जाएंगे.
  • IAA सचिवालय भारत में आपसी सहयोग बढ़ाने वाली गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होगा.
  • भारत सरकार समझौते के अनुसार ऊर्जा क्षेत्र में रणनीतिक और तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने वाले आवश्यक कदम उठाएगी.

अन्तर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी: एक दृष्टि

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) एक स्वायत्त अंतर सरकारी विश्व संस्था है. इसकी स्थापना 1974 में हुई थी और इसका मुख्यालय फ्रांस के पेरिस में है. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के 7 सदस्य देशों को छोड़कर शेष सभी OCED सदस्य IEA के सदस्य हैं.

OECD, 35 सदस्य देशों की एक अंतरसरकारी आर्थिक संगठन है, जिसकी स्थापना 1960 में आर्थिक प्रगति और विश्व व्यापार को प्रोत्साहित करने हेतु की गई थी. अधिकांश OECD सदस्य उच्च आय वर्ग अर्थव्यवस्थाएं हैं.

सतह-से-हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया

भारत ने हाल ही में नई पीडी की Akash-NG मिसाइल (प्रक्षेपास्त्र) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. यह परीक्षण चांदीपुर परीक्षण परिसर LC-3 से किया गया था.

आकाश मिसाइल: एक दृष्टि

  • आकाश, स्वदेश में निर्मित मध्यम दूरी की सतह-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल है. इसे को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है. यह भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना के साथ परिचालन सेवा में है.
  • इसको एंटी मिसाइल के तौर पर भी उपयोग में लाया जा सकता है. इसमें लड़ाकू जेट विमान क्रूज़ मिसाइलों और हवा-से-सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता है.
  • आकाश 30 किलोमीटर की एक अवरोधक सीमा के साथ सतह-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल है. इसका वजन 720 किलोग्राम व्यास 35 सेंटीमीटर और लंबाई 5.78 मीटर है.
  • आकाश सुपर सोनिक गति पर 2.5 मैक के आसपास पहुंचती है यह 18 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच सकती है. इस मिसाइल को चरण बद्घ सारिणी फायर कंट्रोल रडार द्वारा निर्देशित किया जाता है, जिसे राजेंद्र कहा जाता है. यह बैटरी स्तर रडार (BLR) के रूप में लगभग 7 किलोमीटर तक के टारगेट की ट्रैकिंग कर सकता है.
  • आकाश मिसाइल का पहला परीक्षण 1990 में किया गया था. पिछले दिनों आकाश मिसाइल की खरीद में दक्षिण एशिया के नौ देशों एवं अफ्रीकी मित्र देशों ने रुचि दिखाई.

DRDO ने स्‍वदेशी स्‍मार्ट एंटी एयरफील्‍ड वैपन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 21 जनवरी को स्‍वदेशी स्‍मार्ट एंटी एयरफील्‍ड वैपन (SAAW) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिसा तट पर हॉक-1 विमान से किया गया. यह इस तरह का नौंवा सफल परीक्षण था. भारत ने SAAW का सफल परीक्षण कर एक और उपलब्धि हासिल की है.

स्‍वदेशी स्‍मार्ट एंटी एयरफील्‍ड वैपन: मुख्य बिंदु

  • स्‍वदेशी स्‍मार्ट एंटी एयरफील्‍ड वैपन (SAAW) का परीक्षण हॉक-1 विमान से किया गया. हॉक-1 का विकास हिन्‍दुस्‍तान एरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (HAL) ने किया है. SAAW को पहले जगुआर विमान में लगाया गया था.
  • SAAW एक निर्देशित बम (गाइडेड बम) है. इसको DRDO के अनुसंधान केन्‍द्र RCI हैदराबाद ने विकसित किया है. इसका वजन 125 किलो हैं. इसे बेहद हल्के वजन वाला दुनिया का बेहतरीन गाइडेड बम बताया गया है.
  • 125 किलोग्राम वर्ग वाला यह स्‍मार्ट वैपन 100 किलोमीटर की रेंज में रडार और बंकर जैसे ठिकानों को मार सकता है.

चुनाव अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई के लिए निर्वाचन आयोग की पूर्वानुमति लेनी होगी

मुख्य चुनाव अधिकारियों और संयुक्त मुख्य चुनाव अधिकारी स्‍तर के अन्‍य अधिकारियों के खिलाफ कोई अनुशासनिक कार्रवाई शुरू करने से पहले राज्य सरकारों को निर्वाचन आयोग की पूर्वानुमति लेनी होगी.

निर्णय के मुख्य बिंदु

  • उन चुनाव अधिकारियों के सेवाकाल में और उनके द्वारा कराए गए पिछले चुनाव के एक वर्ष के भीतर उनके खिलाफ किसी भी अनुशासनिक कार्रवाई के लिए यह पूर्वानुमति आवश्यक होगा.
  • आयोग ने यह निर्देश भी दिया है कि मुख्य चुनाव अधिकारी के लिए वाहन, सुरक्षा और अन्य सुविधाओं में भी कोई कटौती न की जाए ताकि वे अपने कर्तव्यों का ठीक तरीके से निर्वाह कर सकें.
  • भारतीय निर्वाचन आयोग ने इस सिलसिले में कैबिनेट सचिव, राज्यों के मुख्य सचिवों, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव तथा सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को पत्र लिखा है.
  • आयोग ने यह भी कहा है कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें मुख्य चुनाव अधिकारियों और उनके कार्यालय में कार्यरत कुछ अन्य अधिकारियों को चुनाव समाप्त होने के बाद प्रताड़ित किया गया है.

गणतंत्र दिवस 2021 परेड में कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष मुख्य अतिथि नहीं होंगे

गणतंत्र दिवस 2021 परेड में कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष मुख्य अतिथि के रूप में शामिल नहीं होंगे. वैश्विक कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया गया है.

भारत ने इस साल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने का न्योता भेजा था. लेकिन ब्रिटेन में कोरोना वायरस के मामले में एक बार फिर से तेजी आ जाने के कारण उन्होंने परेड में शामिल होने में असमर्थता जताई.

पिछले पांच दशकों में पहली बार ऐसा हो रहा है जब कोई राष्ट्राध्यक्ष 26 जनवरी की परेड देखने नहीं आ रहे हैं. हालांकि, इससे पहले तीन बार ऐसे मौके आए हैं. इससे पहले 1952, 1953 और 1966 में भी परेड में कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष मुख्य अतिथि नहीं था.

26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था और इस दिन को हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. देश की राजधानी में राजपथ पर देश की सैन्य ताकत के साथ सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित किया जाता है. परेड में हर बार एक विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य अतिथि बनाने की परंपरा रही है.

पहली बार 1950 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे मुख्य अतिथि

पहली बार 1950 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो 26 जनवरी पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे थे.

DRDO ने पहली स्वदेशी मशीन पिस्टल बनाई

भारत ने अपनी पहली स्वदेशी मशीन पिस्टल विकसित की है. यह 9 मिमी मशीन पिस्टल (9 mm Machine Pistol) है. इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), भारतीय सेना और इन्फैंट्री स्कूल महू (MHOW) ने मिलकर बनाया है. इस 9 मिमी मशीन पिस्टल का नाम अस्मि (Asmi) रखा गया है. यानी गर्व, आत्मसम्मान और कड़ी मेहनत.

9 मिमी मशीन पिस्टल: एक दृष्टि

  • आर्मी के ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद बंसोड़ (Lt Col Prasad Bansod) ने इस पिस्टल को बनाने में मुख्य भूमिका निभाई है.
  • इस पिस्टल की डिजाइनिंग DRDO के आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैबलिशमेंट (ARDE) और आर्मी इन्फैंट्री स्कूल, महू ने मिलकर की है.
  • इसे बनाने में DRDO को सिर्फ 4 महीने लगे हैं. इसके दो वैरिएंट हैं. पहला एक किलोग्राम वजन का दूसरा 1.80 किलोग्राम वजन का.
  • इस पिस्टल का ऊपरी हिस्सा एयरक्राफ्ट ग्रेड के एल्यूमिनियम से बना है, जबकि निचला हिस्सा कार्बन फाइबर से बनाया गया है.
  • इस पिस्टल को बनाने के लिए थ्रीडी प्रिटिंग डिजाइनिंग की भी मदद ली गई थी. एक पिस्टल की उत्पादन लागत 50 हजार रुपए से कम है.
  • 100 मीटर की रेंज तक यह पिस्टल सटीक निशाना लगा सकती है. इसकी मैगजीन में स्टील की लाइनिंग लगी है यानी यह गन में अटकेगी नहीं. इसकी मैगजीन को पूरा लोड करने पर 33 गोलियां आती हैं.
  • इस पिस्टल का उपयोग क्लोज कॉम्बैट, वीआईपी सिक्योरिटी और आतंकरोधी मिशन में किया जा सकता है.

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का तीसरा चरण देशभर के 600 जिलों में शुरू किया जायेगा

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का तीसरा चरण (PMKVY 3.0) 15 जनवरी को देशभर के 600 जिलों में शुरू हुआ. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के पहले और दूसरे चरण से मिले अनुभव के आधार पर तीसरे चरण में कई सुधार किये हैं ताकि मौजूदा नीति और नई आवश्‍यकताओं के अनुसार कौशल प्रशिक्षण दिया जा सके.

PMKVY 3.0: मुख्य बिंदु

  • इस योजना के तीसरे चरण में 2020-21 के दौरान 8 लाख प्रत्‍याशियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा, जिस पर 948.90 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च होगी. इस चरण में नये जमाने के कौशलों के साथ-साथ कोविड महामारी से संबंधित कौशलों पर ध्‍यान केन्द्रित किया जायेगा.
  • देश में कुशल लोगों का बड़ा समूह तैयार करने के लिए 200 से अधिक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्‍थानों और सूचीबद्ध प्रशिक्षण केन्‍द्रों तथा 729 प्रधानमंत्री कौशल केन्‍द्रों में इस योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू किये जायेंगे.

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना: एक दृष्टि

  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) का लक्ष्य देश के युवाओं को उद्योगों से जुड़ी ट्रेनिंग देना है, जिससे उन्हें रोजगार पाने में सहायता मिल सके. PMKVY में ट्रेनिंग देने की फीस का सरकार खुद भुगतान करती है.
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY), कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) के नेतृत्‍व में चलायी जा रही है. इसके तहत 2020 तक एक करोड़ लोगों के कौशल विकास का लक्ष्य रखा गया है.
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 15 जुलाई 2015 को स्किल इंडिया मिशन का शुभारंभ किया था. PMKVY से इस अभियान को रफ्तार मिली है. PMKVY का पहला चरण 2015 और दूसरा चरण 2016 में शुरू किया गया था.
  • भारत को दुनिया में कौशल की राजधानी बनाने की सोच के साथ शुरू की गई यह योजना सरकार के प्रमुख कार्यक्रम है जो लोगों में बड़ा लोकप्रिय हुआ है.

भारतीय नौसेना का तट रक्षक अभ्‍यास सी-विजिल-21 आयोजित किया गया

भारतीय नौसेना ने 12-13 जनवरी को तट रक्षक अभ्‍यास ‘सी-विजिल-21’ (Sea Vigil-21) आयोजित किया था. इसका उद्देश्य समुद्र के तटवर्ती इलाकों में चौकसी करना है. इससे पहले जनवरी 2019 में यह अभ्‍यास आयोजित किया गया था.

सी-विजिल-21: मुख्य बिंदु

  • इस अभ्‍यास में समुद्री तट की 7516 किलोमीटर सीमा को कवर किया गया. अभ्यास में देश का विशेष आर्थिक क्षेत्र भी शामिल था. इसमें अन्य समुद्री हितधारकों के साथ वह सभी 13 तटीय राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल थे जिनकी सीमाएं समुद्र के साथ लगी हैं.
  • इसमें शांतिकाल के साथ-साथ युद्ध के समय की जरूरतों को ध्‍यान में रखकर अभ्‍यास किया गया. इसके अलावा तटवर्ती इलाकों में सुरक्षा का उल्‍लंघन होने पर किये जाने वाले उपायों का भी अभ्‍यास किया गया.
  • इस अभ्‍यास में तटवर्ती इलाकों की सुरक्षा से संबंधित समूची प्रणाली के साथ-साथ भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के 110 से अधिक पोतों ने हिस्‍सा लिया.
  • समुद्री पुलिस और सीमाशुल्‍क विभाग को भी सुरक्षा अभ्‍यास में भागीदार बनाया गया था. अभ्‍यास के दौरान भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के विमानों और हेलीकॉप्‍टरों को भी तटवर्ती इलाकों में टोह लेने का अभ्‍यास कराया गया.

वायुसेना के लिए 83 तेजस लड़ाकू विमानों के रक्षा सौदे को मंजूरी

सरकार ने घरेलू रक्षा खरीद के तहत हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से 83 तेजस विमान खरीदने को मंजूरी प्रदान की है. यह मंजूरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 13 जनवरी को हुई सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडल समिति (CCS) की बैठक में दी गयी. इन विमानों की लागत करीब 48,000 करोड़ रुपए है. इस सौदे के तहत 73 हल्के लड़ाकू विमान तेजस MK-1A और 10 तेजस MK-1 प्रशिक्षण विमान शामिल हैं.

तेजस लड़ाकू विमान: एक दृष्टि

  • तेजस चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है. इसका डिजाइन एवं विकास स्वदेशी स्तर पर किया गया है. इसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किया गया है.
  • तेजस की विशेषता यह है कि, कम ऊंचाई पर उड़कर यह दुश्मन पर नजदीक से सटीक निशाना साध सकता है. यह दुश्मन के रडार की पकड़ से बचने में सक्षम है.
  • तेजस हवा-से-हवा में और हवा-से-सतह पर मिसाइल दागने में सक्षम है. इसमें एंटीशिप मिसाइल, बम और रॉकेट भी लगाए जा सकते हैं. आधुनिक रडार और मिसाइल जैमर से भी इस लड़ाकू विमान को लैस किया गया है.
  • डर्बी और अस्त्र मिसाइल से भी ‘तेजस’ लैस हो सकता है. इतना ही नहीं, ‘तेजस’ लड़ाकू विमान के जरिए लेजर गाइडेड बम से दुश्मनों पर हमला किया जा सकता है.
  • ध्वनि की गति से दोगुनी रफ्तार से उड़ान भरने वाला लड़ाकू विमान ‘तेजस’ 2222 किमी प्रति घंटा की गति से उड़ान भरने में सक्षम है.
  • ‘तेजस’ एक बार में 3850 किमी की दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम है. सभी तरह के हथियारों से लैस ‘तेजस’ का कुल वजन करीब 13,500 किलोग्राम, लंबाई 13.2 मीटर और ऊँचाई 4.4 मीटर है.

जम्मू और कश्मीर काडर के अधिकारियों का AGMUT काडर में विलय किया गया

सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर काडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFOS) अधिकारियों का AGMUT (अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केन्‍द्रशासित प्रदेश) काडर में विलय कर दिया है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस संबंध में अधिसूचना ‘जम्मू कश्मीर पुनगर्ठन संशोधन अध्यादेश 2021’ को 7 जनवरी को मंजूरी दी. केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने इस अधिसूचना को राष्ट्रपति के मंजूरी के लिए भेजा था.

इस नयी व्‍यवस्‍था से अब देश के अन्‍य राज्‍यों में नियुक्‍त इन सेवाओं के अधिकारी जम्‍मू कश्‍मीर में तैनात किए जा सकेंगे और जम्‍मू कश्‍मीर में नियुक्‍त ऐसे अधिकारियों को दूसरे राज्‍यों में भेजा जा सकेगा. इस संबंध में केंद्र सरकार के नियमों के तहत जरूरी संशोधन किए जाएंगे. जिन अधिकारियों को अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित काडर मिला हैं वह केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के तहत ही काम करते रहेंगे.

प्रधानमंत्री ने माल ढुलाई के विशेष गलियारे के न्‍यू मदार – न्‍यू रेवाड़ी खण्‍ड का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने पश्चिमी डेडिकेट फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) के ‘न्‍यू मदार – न्‍यू रेवाड़ी’ खण्‍ड का 7 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन किया. WDFC का 306 किलोमीटर लम्बा यह गलियारा लगभग 5800 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. इस खंड के चालू होने से हरियाणा के रेवाड़ी तथा महेन्‍द्रगढ़ और राजस्‍थान के अजमेर तथा सीकर में उद्योगों को फायदा होगा.

प्रधानमंत्री ने इससे पहले 29 दिसम्बर 2020 को पूर्वी डेडिकेट फ्रेट कॉरिडोर (EDFC) के ‘न्यू भाऊपुर- न्यू खुर्जा खण्‍ड का उद्घाटन किया था. EDFC का 351 किलोमीटर लम्बा यह गलियारा 5750 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है.

विश्‍व की पहली 1.5 किलोमीटर लंबी डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन

प्रधानमंत्री ने न्यू अटेली से न्यू किशनगढ़ के लिए डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन को झंडी दिखाकर रवाना किया. यह विश्‍व की पहली 1.5 किलोमीटर लंबी डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन है.

दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर तैयार करने की योजना

  • सरकार माल ढुलाई के लिए विशेष रेल-मार्ग का निर्माण कर रहा है. इसके तहत दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (गलियारे) तैयार किया जा रहा है. पूर्वी डेडिकेट फ्रेट कॉरिडोर (EDFC) और पश्चिमी डेडिकेटड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC). दोनों गलियारे का निर्माण डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (DFCCIL) द्वारा किया जा रहा है.
  • पूर्वी डेडिकेट फ्रेट कॉरिडोर (EDFC) पंजाब के औद्योगिकल लुधियाना को पश्चिम बंगाल के दानपुनी से जोड़ रहा है. 1856 किलोमीटर के इस कॉरिडोर रूट में कोयला खाने हैं, थर्मल पावर प्‍लांट है, औद्योगिक शहर है, इनके लिए फीडर मार्ग भी बनाये जा रहे हैं. इस कॉरिडोर में 135 स्‍टेशन होंगे.
  • वहीं पश्चिमी डेडिकेटड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) महाराष्‍ट्र में जेएनटी गोव उत्‍तर प्रदेश के दादरी से जोड़ता है. लगभग 1500 किलोमीटर के इस कॉरिडोर में गुजरात के मुंदरा, कांडला, पीपावा, दहेज और हजीरा के बड़े बंदरगाहों के लिए फीडर मार्ग होंगे.
  • इन दोनों फ्रेट कॉरिडोर के इर्द-गिर्द, दिल्‍ली, मुंबई इंडस्‍ट्रीयल कॉरिडोर और अमृतसर, कोलकाता इंडस्‍ट्रीयल कॉरिडोर भी विकसित किये जा रहे हैं.