सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण की अनुमति दी

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर 5 जनवरी को निर्णय सुनाया. जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने 2-1 के बहुमत से सरकार को इस प्रोजेक्ट के निर्माण की अनुमति दी. इस निर्णय के साथ ही नए संसद भवन के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है.

लुटियंस जोन में सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पर्यावरण मंजूरी समेत कई मुद्दों पर सुनवाही करते हुए कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया. कोर्ट ने अपने निर्णय में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गई सिफारिशों को बरकरार रखा और निर्माण के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखने की बात कही.

जस्टिस खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी के अलावा पीठ के तीसरे जज जस्टिस संजीव खन्ना ने भी परियोजना को मंजूरी पर सहमति जताई, लेकिन भूमि उपयोग में बदलाव संबंधी फैसले और परियोजना को पर्यावरण मंजूरी दिए जाने पर असहमति जताई.

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट क्या है?

केंद्र सरकार ने दिल्ली के लुटियंस जोन में सेंट्रल विस्टा के निर्माण की घोषणा सितंबर, 2019 में की थी. इस परियोजना पर 20 हजार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर को नए संसद भवन के निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी.

इस परियोजना में संसद की नई त्रिकोणीय इमारत होगी, जिसमें एक साथ 900 से 1200 सांसद बैठ सकेंगे. इसका निर्माण 75वें स्वतंत्रता दिवस पर अगस्त, 2022 तक पूरा किया जाना है. इसमें केंद्रीय सचिवालय का निर्माण वर्ष 2024 तक करने की योजना है.

भारत में COVID-19 वैक्सीन के रूप में कोविशील्ड और कोवैक्‍सीन को स्वीकृति

भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने कोविड के दो टीकों के आपात स्थिति में सीमित उपयोग की स्वीकृति दे दी है. CDSCO ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डिया के कोविशील्ड (Covishield) और भारत बायोटैक के कोवैक्‍सीन (Covaxin), को अनुमति दी है. औषधि महानियंत्रक (DGCA) वीजी सोमानी ने इसकी घोषणा 3 जनवरी को की.

दोनों टीकों का आपात उपयोग के बारे में केन्‍द्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर यह स्‍वीकृति प्रदान की गयी है. कोविशील्ड और कोवाक्सिन दोनों टीकों में से किसी एक टिके की दो खुराकें दी जाएगीं.

कोविशील्ड

कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनिका के साथ भारत में पुणे की प्रयोगशाला सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डिया में विकसित किया गया है.

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डिया ने 23745 लोगों संबंधी सुरक्षा, रोग प्रतिरक्षा क्षमता के आकड़े प्रस्‍तुत किये और वैक्‍सीन के समग्र प्रभाव कार्य का 70.42 प्रतिशत पाई गई. इ‍सके अतिरिक्‍त संस्‍थान को देश में 1600 लोगों पर दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण की अनुमति दी गई.

कोवैक्‍सीन

भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्‍ट्रीय विषाणु संस्‍थान पूणे के सहयोग से कोवैक्‍सीन तैयार किया है. को-वैक्‍सीन का तीसरे चरण का परीक्षण भारत में 25800 स्‍वयंसेवियों पर किया गया था. यह पहली स्वदेशी रूप से विकसित वैक्सीन है जिसका अनुसन्धान और निर्माण भारत में किया गया है.

ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया

भारत में किसी दवा और वैक्सीन के मंजूरी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा दिया जाता है. यह देश में दवा से संबंधित सभी नियामक कार्यों के लिए जिम्मेदार है. DCGI भारत में दवाओं के विनिर्माण, बिक्री, आयात और वितरण के लिए मानक स्थापित करती है.

RBI ने देशभर में डिजिटल भुगतान सूचकांक तैयार किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देशभर में भुगतान के डिजिटलीकरण के स्तर का पता लगाने के लिए एक समग्र डिजिटल भुगतान सूचकांक (Digital Payments Index-DPI) बनाया है. इसके लिए आधार अवधि मार्च 2018 को बनाया गया है. RBI के अनुसार, मार्च 2019 और मार्च 2020 के लिए DPI क्रमश: 153.47 और 207.84 रहा. यह अच्छी वृद्धि का संकेत देता है.

RBI-DPI में पांच व्यापक मानदंड शामिल

RBI मार्च 2021 से चार महीने के अंतर के साथ RBI-DPI का प्रकाशन छमाही आधार पर अपनी वेबसाइट पर करेगा. इसका मकसद डिजिटल भुगतान के तौर-तरीकों की स्थिति का सटीक आकलन करना है. RBI ने विभिन्न समयावधि में डिजिटल भुगतान की स्थिति का आकलन करने के लिए पांच व्यापक मानदंड शामिल किये हैं. ये मानदंड हैं:

  1. भुगतान को सुगम बनाने वाले (25 फीसदी)
  2. भुगतान संबंधी बुनियादी ढांचा-मांग पक्ष कारक (10 फीसदी)
  3. भुगतान संबंधी बुनियादी ढांचा-आपूर्ति पक्ष कारक (15 फीसदी)
  4. भुगतान प्रदर्शन (45 फीसदी)
  5. उपभोक्ता केंद्रित (5 फीसदी)

भारत 1 जनवरी 2021 को संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद का अस्‍थायी सदस्‍य बना

भारत 1 जनवरी 2021 को संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) का अस्‍थायी सदस्‍य बन गया. संयुक्‍त राष्‍ट्र के इतिहास में भारत 8वीं बार प्रतिष्ठित सुरक्षा परिषद के का अस्‍थायी सदस्‍य बना है. भारत का दो साल का कार्यकाल से 31 दिसम्बर 2022 तक होगा.

जून 2020 में हुए चुनाव में भारत के साथ-साथ आयरलैंड, मैक्सिको, नॉर्वे और केन्या को इसका का अस्‍थायी सदस्‍य चुना गया था. 193 सदस्‍यों वाली संयुक्‍त राष्ट्र महासभा में भारत को 184 मत मिले थे. भारत, एशिया-प्रशांत क्षेत्र से 2021-22 के लिए अस्‍थायी सदस्‍यता का एकमात्र उम्‍मीदवार था.

भारत अगस्त, 2021 में UNSC का अध्यक्ष पद संभालेगा. नियमों के अनुसार, हर सदस्य देश अंग्रेजी वर्णानुक्रम के अनुसार बारी-बारी से एक महीने के लिए अध्यक्षता करता है.

संयुक्त राष्ट्र संघ: एक दृष्टि

  • संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 24 अक्तूबर 1945 को विश्व के 50 देशों ने संयुक्त राष्ट्र अधिकार-पत्र पर हस्ताक्षर कर किया था. भारत शुरुआती दिनों से ही इसका सदस्य है.
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के छह अंग हैं- 1. सुरक्षा परिषद्, 2. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, 3. महासभा, 4. सचिवालय, 5. आर्थिक और सामाजिक परिषद् और 6. न्यायसिता परिषद्.
  • संयुक्त राष्ट्र की छह आधिकारिक भाषाएं हैं- अरबी, चाइनीज, अंग्रेजी, फ्रेंच, रसियन और स्पैनिश. आधिकारिक भाषाएं छह हैं, लेकिन यहां पर संचालन भाषा केवल अंग्रेजी और फ्रेंच हैं.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) संयुक्त राष्ट्र के छः प्रमुख अंगों में से एक अंग है. अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए इसका गठन किया गया है.
  • सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य हैं- पांच स्थाई और दस अस्‍थायी (प्रत्येक 2 वर्ष के लिए). चीन, फ़्रांस, रूस, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका इसके स्थाई सदस्य हैं. दस अस्‍थायी सदस्य क्षेत्रीय आधार पर सामान्य सभा द्वारा चुने जाते है। सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष हर महीने वर्णमालानुसार बदलता है.
  • सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्यों को वीटो पॉवर मिली हुई है, जबकि अस्थायी सदस्य के पास वीटो का अधिकार नहीं होता.

वीटो क्या है?

वीटो (veto) का शाब्दिक अर्थ है- ‘मैं अनुमति नहीं देता हूं’. मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, यूके और अमेरिका के पास वीटो पावर है. स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई भी सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है.

भारत ने हवा से गिराये जाने वाले कंटेनर सहायक-एनजी का पहला सफल परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) ने नौसेना के साथ मिलकर हवा से गिराये जाने वाले कंटेनर सहायक-एनजी (SAHAYAK-NG) का पहला सफल परीक्षण किया है. यह परीक्षण गोवा के तट से किया गया. परीक्षण में इस कंटेनर को IL-38SD विमान से गिराया गया.

सहायक-एनजी क्या है?

सहायक-एनजी भारत का पहला स्वदेशी कंटेनर है. यह GPS से लैस है और 50 किलो भार के साथ विमान से गिराया जा सकता है. इसके माध्यम से दूर तैनात जहाजों को जरूरत के सामानों की आपूर्ति की जा सकती है. DRDO और निजी कंपनी एवांटेल की दो प्रयोगशालाओं में इसका विकास हुआ है. हवा से गिराया जाने वाला सहायक-एनजी कंटेनर सहायक MKI का एडवांस वर्जन है.

जमीन से हवा में मार करने वाली MRSAM मिसाइल का सफल परीक्षण

भारत ने 24 दिसम्बर को मध्‍यम दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM) का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया. इस परिक्षण के दौरान बंसी नामक एक मिसाइल को हवा में उड़ाया गया, जिस पर सटीक निशाना लगाते हुए MRSAM मिसाइल ने पल भर में ध्वस्त कर दिया। इससे पहले MRSAM मिसाइल का 17 मई 2019 को नौसेना के जहाज से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था।

MRSAM मिसाइल: एक दृष्टि

  • MRSAM, Medium Range Surface to Air Missile का संक्षिप्त रूप हैं.
  • इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर डिजाईन किया है. इसका निर्माण भारत डायनामिक्स लिमिटेड ने किया है.
  • यह 2469.6 किमी प्रति घंटे की गति से दुश्मन पर कर हमला सकती है. यह मिसाइल 14.76 फीट लंबी और 276 किलोग्राम वजनी है.
  • यह मिसाइल 70 किमी के दायरे में आने वाली मिसाइलों, लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोनों, निगरानी विमानों को मार गिराएगी.
  • यह हवा से एकसाथ आने वाले कई दुश्मनों पर 360 डिग्री में घूमकर एकसाथ हमला कर सकती है.

इजरायल से MRSAM का समझौता

DRDO ने MRSAM मिसाइल के लिए इजरायल एयरोस्‍पेस इंडस्‍ट्रीज (IAI) के साथ 17 हजार करोड़ रुपये के करार पर दस्तखत किए हैं. इसके तहत 40 लॉन्चर्स और 200 मिसाइलें तैयार होंगी.

ISRO ने संचार उपग्रह CMS-01 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 17 दिसम्बर को भारत के नये संचार उपग्रह CMS-01 का प्रक्षेपण किया. यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्‍द्र से किया गया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का यह अपने देश में 77वां प्रक्षेपण था.

प्रक्षेपण PSLV C-50 अन्तरिक्ष यान से

CMS-01 का प्रक्षेपण PSLV C-50 अन्तरिक्ष यान से किया गया. PSLV का ये 52वां अभियान था. इस अभियान में PSLV C-50 ने CMS-01 उपग्रह को भू-समतुल्‍य अंतरण कक्षा में प्रक्षेपित किया. यह अभियान केवल 21 मिनट में पूरा हो गया.

CMS-01 उपग्रह: एक दृष्टि

CMS-01 संचार उपग्रह (Communication Satellite) है. यह उपग्रह 2011 में प्रक्षेपित की गई GSAT-2 संचार उपग्रह का जगह लेगा. इसका उपयोगी जीवनकाल सात वर्ष का होगा. इसकी मदद से टीवी चैनलों की पिक्चर गुणवत्ता सुधरने के साथ ही आपदा प्रबंधन के दौरान मदद मिलेगी.

CMS-01 उपग्रह में ट्रांसपोंडर लगे हैं, जिनसे Extended-C Band का इस्‍तेमाल करते हुए सेवाएं प्रदान की जा सकेंगी. इस उपग्रह के दायरे में भारत की मुख्य भूमि, अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह होंगे.

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन 2021 के गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि होंगे

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन 26 जनवरी 2021 को गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि होंगे. भारत के दौरे पर आए वहां के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत में इस बात की पुष्टि की.

प्रधानमंत्री जॉनसन ने गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने के भारत के निमंत्रण को स्वीकर कर लिया है. साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ब्रिटेन की G7 सम्मलेन में बतौर अतिथि राष्ट्र के रूप में शामिल होने का न्योता भी दिया है. भारत के साथ दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया भी G7 सम्मलेन में अतिथि सदस्य के तौर पर शामिल होंगे.

जॉनसन भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बनने वाले दूसरे ब्रिटिश प्रधानमंत्री होंगे. उनसे पहले 1993 में जॉन मेजर को यह सम्मान दिया गया था.

गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि का चयन

गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के चयन के लिए सबसे पहले विदेश मंत्रालय भारत के संबंधों के आधार पर कुछ देशों के नाम आगे करता है. फिर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भवन की मंजूरी ली जाती है. फिर चयनित नेता को न्योता दिया जाता है.

इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2020 का आयोजन किया गया

इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) 2020 का आयोजन 8-10 दिसम्बर को वर्चुअल माध्यम से किया गया. यह IMC का चौथा संस्करण था. इसका आयोजन दूरसंचार विभाग और सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) द्वारा किया गया था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसके उद्घाटन सत्र को सम्‍बोधित किया था.

IMC 2020 का विषय ‘समावेशी नवाचार – स्मार्ट, सुरक्षित और स्थायी’ (Inclusive Innovation – Smart, Secure, Sustainable) है. इसका उद्देश्य प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल समावेशन और स्थाई विकास, उद्यमिता और नवाचार के लक्ष्यों को आगे बढ़ाना था. इन लक्ष्यों में दूरसंचार और उभरते हुए प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में विदेशी और स्थानीय निवेश आकर्षित करना और अनुसंधान तथा विकास को प्रोत्साहित करना भी शामिल था.

इस कार्यक्रम में विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारी, दूरसंचार और वैश्विक कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और 5G, आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थींग्स, डेटा एनेलेटिक्स, क्लाउड और ऐज कमप्यूटिंग, ब्लॉकचेन, साइबर सुरक्षा, स्मार्ट शहर और ओटोमेशन जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया.

भारत के नए संसद भवन की आधारशिला रखी गयी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसम्बर को नए संसद भवन की आधारशिला रखी. इस संसद भवन का निर्माण नई दिल्ली में संसद मार्ग पर किया जायेगा. नये भवन के निर्माण पर 971 करोड़ रुपए की लागत आएगी. इसके निर्माण का प्रस्‍ताव पिछले वर्ष 5 अगस्‍त‍ को राज्‍यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिड़ला ने राज्‍यसभा और लोकसभा की कार्यवाही के दौरान रखा था.

देश को आजाद हुए 75 साल होने वाले हैं और देश का संसद भवन अब काफी पुराना हो चुका है. सरकार चाहती है कि जब देश 15 अगस्त 2022 को अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा हो तब सांसद नए संसद भवन में बैठें.

नया भवन त्रिकोणीय आकार का होगा जिसमें लोकसभा परिसर, मौजूदा परिसर से तीन गुना बड़ा होगा और राज्‍यसभा का आकार भी पहले के मुकाबले बड़ा होगा. नए भवन की सज्‍जा भारतीय संस्‍कृति और क्षेत्रीय कला, शिल्‍पतथा वास्‍तुकला के विविध रूपों के अनुरूप होगी.

नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड करेगी

नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड करेगी. संसद भवन के निर्माण के लिए लगाई गई बोली के आधार पर यह कॉन्ट्रैक्ट टाटा को दिया गया था. टाटा ने निर्माण के लिए 861.90 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. इस बोली में दूसरे स्थान पर रहे लार्सन एंड टुब्रो थे ने 865 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी.

पुराना संसद भवन: एक दृष्टि

मौजूदा संसद की बिल्डिंग का निर्माण ब्रिटिशकाल में किया गया था और यह वृत्‍ताकार है. यह 1911 में बनना शुरू हुआ था और 1927 में इसका उद्घाटन हुआ था. तब अंग्रेजों के शासन के दौर में दिल्ली राजधानी बनी थी.

किंग जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की थी. पंचम ने नई राजधानी के निर्माण के लिए एडविन लुटियंस को नामित किया था. वर्तमान संसद भवन और राष्ट्रपति भवन को एडविन लुटियंस ने ही डिजाइन किया था.

मध्यप्रदेश के ग्वालियर और ओरछा यूनेस्को की विश्व धरोहर शहरों की सूची में शामिल

मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक किला शहर ग्वालियर और ओरछा को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व धरोहर शहरों की सूची में शामिल किया गया है.

यूनेस्को ने अपने विश्व धरोहर शहर कार्यक्रम (अर्बन लैंडस्केप सिटी प्रोग्राम) के तहत इन दोनों शहरों को विश्व धरोहर शहरों की सूची में शामिल किया है. विश्व धरोहर शहरों की सूची में आने के बाद यूनेस्को, ग्वालियर और ओरछा के ऐतिहासिक स्थलों को बेहतर बनाने तथा उसकी खूबसूरती निखारने के लिए पर्यटन विभाग के साथ मिलकर मास्टर प्लान तैयार करेगा.

इस परियोजना के तहत यूनेस्को इन ऐतिहासिक शहरों के लिए ऐतिहासिक नगरीय परिदृय (HUL) सिफारिशों पर आधारित शहरी विकास के सबसे बेहतर तरीकों और साधनों का पता लगाएगा.

ओरछा
ओरछा का अर्थ है ‘छिपे हुए महल’ है. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित ओरछा अपने मंदिरों और महलों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. ओरछा पूर्ववर्ती बुंदेला राजवंश की 16वीं शताब्दी की राजधानी है. ओरछा, राज महल, जहांगीर महल, रामराजा मंदिर, राय प्रवीन महल, लक्ष्मीनारायण मंदिर एवं कई अन्य प्रसिद्ध मंदिरों और महलों के लिए विख्यात है.

ग्वालियर

ग्वालियर भी मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक नगर और प्रमुख शहर है. 9वीं शताब्दी में स्थापित ग्वालियर गुर्जर प्रतिहार राजवंश, तोमर, बघेल, कछवाहों तथा सिंधिया राजवंश की राजधानी रहा है. विश्व धरोहर शहरों की सूची में आने के बाद ग्वालियर के मानसिंह पैलेस, गूजरी महल और सहस्रबाहु मंदिर के अलावा अन्य धरोहरों का रासायनिक रूप से परिशोधन किया जाएगा. इससे दीवारों पर उकेरी गई कला स्पष्ट दिखेगी और उसकी चमक भी बढ़ेगी.

भारत और अमेरिका ने बौद्धिक संपदा अधिकार सहयोग बढ़ाने के समझौते पर हस्ताक्षर किए

भारत और अमेरिका ने बौद्धिक संपदा अधिकार पर आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए सहमति ज्ञापन समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा सृजित कोई संगीत, साहित्यिक कृति, कला, खोज, प्रतीक, नाम, चित्र, डिजाइन, कापीराइट, ट्रेडमार्क, पेटेन्ट आदि बौद्धिक सम्पदा कहा जाता है.

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस साल 19 फरवरी को अमेरिकी पेटेंट और ट्रेडमार्क कार्यालय (USPTO) और भारत के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) के बीच इस सहमति ज्ञापन के लिए मंजूरी दी थी.

वर्चुअल माध्यम से हुई बैठक में DPIIT के सचिव गुरुप्रसाद मोहपात्रा और USPTO के अध्यक्ष और अमेरिकी वाणिज्य एवं बौद्धिक संपदा अधिकार विभाग के अपर सचिव आंद्रेई इंकू के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.

इस समझौते के तहत दोनों देश बौद्धिक संपदा अधिकारों के क्षेत्र की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया साझा करेंगे और साथ मिलकर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाएंगे. इसके लिए दोनों पक्ष एक द्विपक्षीय योजना तैयार करेंगे जो इस सहमति ज्ञापन पत्र के प्रावधानों को लागू करने का काम करेगी. इस योजना में विस्तृत सहयोग कार्यक्रम और कार्रवाई करने लायक उपाय शामिल होंगे.