स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2023: सूरत और इंदौर संयुक्त विजेता घोषित

केन्‍द्र सरकार ने स्वच्छ सर्वेक्षण (Swachh Survekshan) पुरस्कार 2023 की घोषणा 11 दिसम्बर को की थी. इंदौर और सूरत को संयुक्त रूप से सबसे स्वच्छ शहर का पहला पुरस्कार दिया गया. इंदौर को लगातार सातवीं बार सबसे स्‍वच्‍छ शहर का खिताब दिया गया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित समारोह में विजेताओं को पुरस्‍कार दिए.

मुख्य बिन्दु

  • स्‍वच्‍छता के मामले में छह बार से लगातार इंदौर पहले स्थान पर बना हुआ था. सातवीं बार इंदौर के साथ इस लिस्‍ट में सूरत का नाम भी शामिल है. पहली बार सूरत भी संयुक्त तौर पर सबसे स्वच्छ शहर बन गया.
  • राज्यों में महाराष्ट्र को सबसे स्वच्छ राज्‍य घोषित किया गया. दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश और तीसरे नंबर पर  छत्तीसगढ़ रहा. पिछले साल मध्य प्रदेश को देश का सबसे स्वच्छ राज्य चुना गया था.
  • भोपाल को देश की स्वच्छतम राज्य राजधानी का खिताब मिला है. पिछले साल भी ये खिताब भोपाल के ही पास में था. देश के 10 लाख से अधिक आबादी वाले महानगरों की श्रेणी में भोपाल को देश का पांचवां सबसे स्वच्छ शहर चुना गया.

इसरो ने आदित्‍य एल-1 उपग्रह को अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक स्‍थापित किया

भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 6 जनवरी को आदित्‍य एल-1 उपग्रह (Aditya L-1 satellite) को अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक स्‍थापित कर दिया. आदित्‍य एल-1 भारत का पहला सौर अभियान है जो सूर्य के कोरोना, सूर्य के भीषण ताप और पृथ्‍वी पर इसके प्रभाव का अध्ययन करेगा.

मुख्य बिन्दु

  • आदित्‍य एल-1 को हालो कक्षा में एल-1 बिन्‍दु (लैग्रेंजियन बिंदु) के नजदीक सफलतापूर्वक प्रवेश कराया गया है. इसरो ने इसके लिए कमान केन्‍द्र से मोटर और थ्रस्‍टर का प्रयोग किया.
  • एल-1 बिन्‍दु पृथ्‍वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है. अंतरिक्ष यान में 440 न्‍यूटन लिक्विड अपोजी मोटर, आठ 22 न्‍यूटन थ्रस्‍टर और चार 10 न्‍यूटन थ्रस्‍टर लगे थे जो इसे एल-1 बिन्‍दु तक ले गये.
  • लैग्रेंजियन बिंदु वह स्थान है जहां कोई वस्तु सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के कारण संतुलन में रह सकती है. यह बिन्‍दु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है.
  • लैग्रेंजियन बिंदु का उपयोग अंतरिक्ष यान द्वारा स्थिति में बने रहने के लिए आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जा सकता है.
  • एल-1 बिंदु, पांच लैग्रेंजियन बिंदुओं में से एक है. यह बिंदु सूर्य का निर्बाध दृश्य प्राप्त करता है और वर्तमान में सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला उपग्रह SOHO इसी बिन्दु पर हैं.

विदेश मंत्री डॉ. सुब्रहमण्‍यम जयशंकर की नेपाल यात्रा

विदेश मंत्री डॉ. सुब्रहमण्‍यम जयशंकर 4 से 5 जनवरी तक नेपाल की यात्रा पर थे. उनकी यात्रा नेपाल के विदेश मंत्री नारायण प्रसाद सऊद के निमंत्रण पर भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता के लिए थी.

मुख्य बिन्दु

  • यात्रा के दौरान डॉ. जयशंकर ने नेपाल के शीर्ष नेतृत्व और प्रमुख राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की.
  • काठमांडू में नेपाल के विदेश मंत्री एन. पी. सऊद के साथ भारत नेपाल संयुक्त आयोग की 7 वीं बैठक की सह-अध्‍यक्षता की.
  • दोनों देशों के बीच दो महत्‍वपूर्ण समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए गए. नेपाल विद्युत प्राधिकरण और एनटीपीसी लिमिटेड के बीच नवीकरणीय ऊर्जा विकास में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए.
  • समझौते के अनुसार, अगले दस वर्षों में नेपाल भारत को 10 हजार मेगावाट बिजली की आपूर्ति करेगा.
  • विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने नेपाल के राष्‍ट्रपति रामचन्‍द्र पोडेल और प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहल प्रचंड से शिष्‍टाचार मुलाकात की.

ISRO ने एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 1 जनवरी 2024 को एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) का सफल प्रक्षेपण किया था. यह प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया था. इस प्रक्षेपण अभियान में 10 अन्य वैज्ञानिक पेलोड्स उपग्रहों को भी प्रक्षेपित किया गया था.

मुख्य बिन्दु

  • यह सैटेलाइट ब्लैक होल (आकाशगंगा) और न्यूट्रॉन सितारों का अध्ययन करेगा. यह मिशन करीब पांच साल (2028 तक) का होने वाला है.
  • एक्सपोसैट (XPoSat) का प्रक्षेपण ध्रुवीय सैटेलाइट लॉन्च व्हिकल (PSLV)-C5 के माध्यम से किया गया था. PSLV-C5 का लिफ्ट-ऑफ द्रव्यमान 260 टन है. यह रॉकेट एक्सपोसैट को पृथ्वी से 650 किमी ऊंचाई पर स्थापित किया.
  • इस मिशन के माध्यम से अमेरिका के बाद भारत ब्लैक होल (आकाशगंगा) और न्यूट्रॉन सितारों का अध्ययन करने के लिए एक विशेष सैटेलाइट भेजने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया.

1 जनवरी 2024 से डिब्बा बंद उत्पादों को लेकर नया नियम लागू हुआ

सरकार की ओर से डिब्बा बंद यानी पैकेजिंग सामानों को लेकर एक नया नियम 1 जनवरी 2024 से लागू हो गया. इसके बाद सभी कंपनियों को डिब्बा बंद किए हुए सामानों पर निर्माण की तिथि के साथ प्रति ईकाई बिक्री मूल्य लिखना होगा.

मुख्य बिन्दु

  • उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नोटिस के अनुसार, अब कंपनियों के लिए सामान के ‘प्रति इकाई बिक्री मूल्य’ के साथ केवल ‘मैन्यूफैक्चरिंग की तारीख’ प्रकाशित करना अनिवार्य किया गया है.
  • चूंकि पैकेट बंद सामान की बिक्री विभिन्न मात्राओं में की जाती है, ऐसे में महत्वपूर्ण है कि उपभोक्ता डिब्बा बंद सामान की प्रति इकाई बिक्री कीमत से अवगत हों, जिससे वह सभी जानकारी के साथ सोच-विचार कर वस्तु खरीद सके.
  • उदाहरण के लिए 5किलोग्राम के पैकेट बंद गेहूं के आटे में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के साथ प्रति किलो इकाई बिक्री मूल्य भी प्रकाशित होगा. इसी प्रकार, एक किलो से कम मात्रा वाले डिब्बा बंद उत्पाद के पैकेट पर बिक्री मूल्य प्रति ग्राम होगा.

केंद्र सरकार, असम सरकार और उल्‍फा के बीच त्रिपक्षीय समझौते

केंद्र सरकार ने असम सरकार और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्‍फा) के साथ 31 दिसम्बर को ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौते पर नई दिल्‍ली में हस्‍ताक्षर किए थे. समझौते पर गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए. इस समझौते का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थायी शांति बहाल करना है.

मुख्य बिन्दु

  • बहुप्रतीक्षित शांति समझौता असम में दशकों से चले आ रहे उग्रवाद को समाप्त करने के लिए है.
  • उल्फा नेताओं और सरकारों के साथ वर्षों की बातचीत और चर्चा के बाद त्रिपक्षीय शांति संधि पर हस्ताक्षर किए गए.
  • शांति संधि में असम के मूल लोगों के अधिकारों की सुरक्षा के प्रावधान होने की संभावना है.
  • असम सरकार और केंद्र द्वारा किए जा रहे कई प्रयासों के बावजूद उल्फा का परेश बरुआ गुट अभी तक शांति प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ है.

मुख्य सचिवों का तीसरा राष्ट्रीय सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित किया गया

मुख्य सचिवों का तीसरा राष्ट्रीय सम्मेलन (3rd National Conference of Chief Secretaries) 27 से 29 दिसम्बर तक नई दिल्ली में आयोजित किया गया था. यह अपनी तरह का तीसरा सम्मेलन था. पहला सम्मेलन जून 2022 में धर्मशाला में और दूसरा जनवरी 2023 में दिल्ली में आयोजित किया गया था. इस सम्मेलन का विषय था – सुगम जीवन सुनिश्चित करना.

मुख्य बिन्दु

  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के सहकारी संघवाद के सिद्धांत से प्रेरित होकर इस सम्‍मेलन का आयोजन केंद्र और राज्‍य सरकारों के बीच भागीदारी को प्रोत्‍साहित करने के लिए किया जाता है.
  • इसमें दो सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया था, इनमें केंद्र सरकार के प्रतिनिधि, मुख्‍य सचिव और सभी राज्‍यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्‍ठ अधिकारी शामिल थे.
  • सम्‍मेलन का उद्देश्‍य सरकारी प्रयासों की डिलीवरी व्‍यवस्‍था को मजबूत करके ग्रामीण तथा शहरी जनसंख्‍या के जीवनस्‍तर को बेहतर करने के लिए सहयोगी कार्रवाई का आधार तैयार करना है.
  • सम्मेलन की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी. सम्मेलन में जीवन सुगमता और राज्यों के साथ साझेदारी में विकास एजेंडे के कार्यान्वयन पर मुख्य तौर पर ध्यान केन्द्रित किया गया.

भारत ने स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस इंफाल को नौसेना में शामिल किया

भारत ने 26 दिसम्बर को एक समारोह में नवीनतम स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस इंफाल (INS Imphal) को नौसेना में शामिल किया था. यह समारोह डॉकयार्ड, मुंबई में आयोजित किया गया था. इस समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि थे.

मुख्य बिन्दु

  • इस युद्धपोत की लंबाई 535 फीट और वजन 7, 400 टन है. आईएनएस इंफाल को 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ तैयार किया गया है. इसका निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई ने किया है.
  • आईएनएस इंफाल विध्वंसक पहला युद्धपोत है जिसे पूर्वोत्तर के किसी शहर का नाम दिया गया है. युद्धपोत का नामकरण पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि को दर्शाता है.
  • सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस आईएनएस इंफाल को हिंद महासागर में चीन को चुनौती देने के लिए तैयार किया गया है.
  • यह युद्धपोत परमाणु, जैविक और रासायनिक (एनबीसी) युद्ध स्थितियों के तहत लड़ने के लिए सुसज्जित है. गुप्त विशेषताएं इसकी युद्ध क्षमता को बढ़ाती है.
  • इस युद्धपोत में मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार गिराने वाली मिसाइलों को भी इंस्टॉल किया गया है. यह 30 समुद्री मील (56 किमी/घंटा) से ऊपर की गति से चल सकता है.
  • इसमें पनडुब्बी रोधी स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर और 76 मिमी सुपर रैपिड गन को भी युद्धपोत में इंस्टॉल किया गया है. यह हवा में मार करने वाली मिसाइलों, जहाज-रोधी मिसाइलों और टॉरपीडो सहित अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से सुसज्जित है.
  • इस युद्धपोत से निकलने वाली ब्रह्मोस मिसाइल 90 डिग्री पर घूमकर दुश्मन कर हमला करने की ताकत रखती है.
  • इस युद्धपोत में स्टेट ऑफ द आर्ट सेंसर लगे हैं, जो दुश्मन के हथियारों का पता लगा सकता है. इन सैंसर्स का पता लगाना दुश्मनों के लिए टेढ़ी खीर है.

निर्वाचन आयुक्त नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यकाल विधेयक 2023 पारित

संसद ने हाल ही में मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यकाल) विधेयक (Chief Election Commissioner Appointment Bill) 2023 पारित किया था. लोकसभा ने इसे 21 दिसम्बर को जबकि राज्यसभा ने 12 दिसंबर को पारित किया था.

राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह कानून (अधिनियम) बन जाएगा. यह कानून चुनाव आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तें और कार्य संचालन) अधिनियम, 1991 की जगह लेगा.

विधेयक के मुख्य बिन्दु

  • विधेयक में मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और निर्वाचन आयुक्‍तों (EC) की नियुक्ति, वेतन और पद से हटाए जाने से जुडे प्रावधान शामिल किए गए हैं.
  • CEC और EC की नियुक्ति, चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रपति करेंगे. चयन समिति में अब प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री की तरफ नामित एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे. यदि लोकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता नहीं दी गई है, तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता शामिल होगा.
  • विधेयक में CEC और EC के पदों पर विचार करने के लिये पाँच व्यक्तियों का एक पैनल तैयार करने हेतु एक खोज समिति (Search Committee) की स्थापना का प्रस्ताव है.
  • खोज समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करेंगे और इसमें सचिव के पद से निम्न पद वाले दो सदस्य भी शामिल होंगे जिनके पास चुनाव से संबंधित मामलों का ज्ञान तथा अनुभव होगा.
  • CEC और ECs को ड्यूटी करते समय कोई आदेश पारित करने पर अदालत में किसी तरह की कार्रवाई से संरक्षण प्राप्त होगा.
  • CEC और ECs का वेतन एवं सेवा शर्तें कैबिनेट सचिव के सामान होंगी. 1991 के अधिनियम के तहत इनका वेतन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के वेतन के बराबर था. CEC और ECs का कार्यकाल 6 साल या 65 वर्ष की आयु तक रहेगा.
  • यह विधेयक वर्तमान संवैधानिक प्रावधान (अनुच्छेद 324 (5)) को बरकरार रखता है जो CEC को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह निष्कासन की अनुमति देता है, जबकि EC को केवल CEC की अनुशंसा पर हटाया जा सकता है.

संसद से तीन आपराधिक संहिता विधेयकों के पारित किया

भारतीय संसद से हाल ही में तीन तीन आपराधिक संहिता विधेयकों के पारित किया था. संसद के शीतकालीन सत्र 2023 के दौरान इन तीन विधेयकों को पेश किया गया था. ये विधेयक हैं-  भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023.

भारतीय न्‍याय द्वितीय संहिता 2023, भारतीय दण्‍ड संहिता (आईपीसी) 1860 का स्‍थान लेगी. यह देश में फौजदारी अपराधों से संबंधित प्रमुख कानून है. भारतीय नागरिक सुरक्षा द्वितीय सं‍हिता 2023, दण्‍ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1973 का स्‍थान लेगी. इसमें गिरफ्तारी, अभियोग और जमानत की प्रक्रिया के प्रावधान हैं. भारतीय साक्ष्‍य द्वितीय विधेयक 2023, भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम 1872 का स्‍थान लेगी. इसमें देश के न्‍यायालयों में साक्ष्‍यों की स्वीकार्यता से जुडे प्रावधान हैं.

मुख्य बिन्दु

  • राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इन विधेयकों ने कानून का रूप ले लिया है. ये कानून औपनिवेशिक काल के पुराने आपराधिक कानूनों का स्थान लेंगे.
  • इन अधिनियमों में कानूनी, पुलिस और जांच प्रणालियों को अद्यतन किया गया है जिससे कमजोर लोगों के लिए सुरक्षा बढ़ती है. इससे संगठित अपराध और आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी प्रतिक्रिया की सुविधा भी मिलती है.
  • नए अधिनियमों में प्रथम सूचना रिपोर्ट से लेकर केस डायरी, आरोप पत्र और अदालत के फैसले तक की पूरी प्रक्रिया डिजिटल बनाने का प्रावधान है.
  • इन अधिनियमों में आतंकवादी गतिविधियों, मॉब लिंचिंग, भारत की संप्रभुता को खतरा पैदा करने वाले अपराधों को कानूनों में शामिल किया गया है और बलात्कार जैसे कई अपराधों में सजा में बढ़ोतरी की गई है.
  • भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को एक नए अपराध की कैटेगिरी में डाला गया है. जबकि तकनीकी रूप से राजद्रोह को आईपीसी से हटा दिया गया है.
  • आतंकवादी कृत्य, जो पहले गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे विशेष कानूनों का हिस्सा थे, इसे अब भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है.
  • पॉकेटमारी जैसे छोटे संगठित अपराधों समेत संगठित अपराध से निपटने के लिए प्रावधान पेश किए गए हैं. पहले इस तरह के संगठित अपराधों से निपटने के लिए राज्यों के अपने कानून थे.
  • मॉब लिंचिंग, यानी जब पांच या अधिक लोगों का एक समूह मिलकर जाति या समुदाय आदि के आधार पर हत्या करता है, तो समूह के प्रत्येक सदस्य को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.
  • शादी का झूठा वादा करके संबंध बनाने को विशेष रूप से अपराध के रूप में पेश किया गया है. व्यभिचार और धारा 377, जिसका इस्तेमाल समलैंगिक यौन संबंधों पर मुकदमा चलाने के लिए किया जाता था, इसे अब हटा दिया गया है.
  • पहले केवल 15 दिन की पुलिस रिमांड दी जा सकती थी. लेकिन अब अपराध की गंभीरता को देखते हुए इसे 60 या 90 दिन तक दिया जा सकता है.
  • छोटे अपराधों के लिए सजा का एक नया रूप सामुदायिक सेवा को शामिल किया गया है. सामुदायिक सेवा को समाज के लिए लाभकारी बताया गया है. जांच-पड़ताल में अब फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाने को अनिवार्य बनाया गया है.
  • एफआईआर, जांच और सुनवाई के लिए अनिवार्य समय-सीमा तय की गई है. उदाहरण के लिए, अब सुनवाई के 45 दिनों के भीतर फैसला देना होगा, शिकायत के 3 दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करनी होगी.
  • अब सिर्फ मौत की सजा पाए दोषी ही दया याचिका दाखिल कर सकते हैं. पहले गैर सरकारी संगठन या नागरिक समाज समूह भी दोषियों की ओर से दया याचिका दायर कर देते थे.

आकाश प्रणाली का परीक्षण, एक साथ चार लक्ष्‍यों को नष्ट करने वाला पहला देश बना

भारत ने 17 दिसम्बर को आकाश हथियार प्रणाली (Akash Weapon System) का सफल परीक्षा किया था. DRDO ने यह परीक्षण भारतीय वायुसेना द्वारा आयोजित अस्त्रशक्ति 2023 अभ्यास कार्यक्रम के दौरान किया था. अस्त्रशक्ति 2023 अभ्यास का आयोजन आंध्र प्रदेश के सूर्यलंका वायु सेना स्टेशन पर हुआ था.

मुख्य बिन्दु

  • इस परीक्षण में आकाश हथियार प्रणाली के जरिए 30 किमी की रेंज पर 4 लक्ष्यों को हवा में ही नष्ट कर दिया गया. भारत ऐसा पहला देश बन गया है, जिसने सिंगल फायरिंग यूनिट के जरिए एक साथ 4 लक्ष्‍यों को नष्ट किया हो.
  • आकाश हथियार प्रणाली को फायरिंग लेवल रडार, फायरिंग कंट्रोल सेंटर और दो आकाश एयरफोर्स लॉन्च के साथ तैनात किया गया. इन लॉन्चर्स में 5 मिसाइलें लगी हुई थीं.
  • आकाश हथियार प्रणाली सिस्टम स्वदेशी है. इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बनाया है. पिछले ही दशक में इसे आर्मी और वायुसेना में तैनात किया गया है.
  • वर्तमान में जिस सिस्टम से इसकी फायरिंग की गई, उसका रिपीट ऑर्डर सितंबर 2019 में वायुसेना की तरफ से दिया गया था. डीआरडीओ लगातार इसे अपग्रेड कर आधुनिक बना रहा है.
  • इससे पहले डीआरडीओ ने स्वदेशी हाई-स्पीड फ्लाइंग यूएवी, ऑटोनोमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर का सफल परीक्षण किया था.

भारत ने हाई-स्पीड फ्लाइंग विंग UAV का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

भारत ने 15 दिसम्बर को हाई-स्पीड फ्लाइंग विंग (High Speed Flying Wing) UAV का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. यह परीक्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (Aeronautical Test Range ATR) से किया था.

मुख्य बिन्दु

  • इस परीक्षण के बाद भारत भी उन देशों के क्लब में शामिल हो गया है, जिन्होंने फ्लाइंग विंग कॉन्फ़िगरेशन (Flying wing configuration) को कंट्रोल करने में महारत हासिल कर ली है.
  • इस परीक्षण में डीआरडीओ ने ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर (Autonomous Flying Wing Technology Demonstrator) का प्रयोग कर स्वदेशी हाई-स्पीड फ्लाइंग विंग यूएवी को सफलतापूर्वक उड़ाया.
  • इस स्वदेशी हाई-स्पीड फ्लाइंग विंग यूएवी, एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता को दिखाता है. इसकी खासियत है कि इसे हल्के कार्बन प्रीप्रेग से बनाया गया है.