15 अगस्त 2020: देशभर में 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाया गया


देशभर में 15 अगस्त 2020 को 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाया गया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली में ऐतिहासिक लालकिले की प्राचीर से सातवीं बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया और राष्ट्र को संबोधित किया.

नेशनल डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य मिशन का आरंभ

प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2020 से नेशनल डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य मिशन के आरंभ की घोषणा की. इसके तहत प्रत्येक भारतीय को स्‍वास्‍थ्‍य पहचान पत्र दिया जायेगा. ये स्‍वास्‍थ्‍य पहचान पत्र प्रत्येक भारतीय के स्वास्थ्य खाते की तरह काम करेगी. इसमें जांच, रोग, डॉक्‍टरों की ओर से बताई गयी दवाइयां, जांच रिपोर्ट और संबंधित सूचना एक ही स्‍वास्‍थ्‍य पहचान पत्र पर दर्ज होगी.

आत्‍मनिर्भर भारत

भारत को आत्‍मनिर्भर बनना चाहिए और घरेलू तथा वैश्विक बाजार में उत्‍पादन के लिए अपने व्‍यापक प्राकृतिक संसाधनों का इस्‍तेमाल करना चाहिए. वोकल फॉर लोकल का आह्वान किया और कहा कि भारत को विश्‍व की जरूरतों से निपटने का प्रयास करना चाहिए.

नई साइबर सिक्यॉरिटी पॉलिसी

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में नई राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति का मसौदा तैयार कर लिया गया है. आने वाले समय में नई साइबर सिक्योरिटी नीति लाई जाएगी.

नेशनल कैडेड कोर का विस्तार

प्रधानमंत्री मोदी ने नेशनल कैडेड कोर (NCC) के विस्तार की घोषणा की. उन्होंने देश को बताया कि अब NCC का विस्तार देश के 173 सीमाओं और तटीय जिलों तक सुनिश्चित किया जाएगा. इस अभियान के तहत करीब 1 लाख नए NCC कैडेट्स को विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी.

प्रोजेक्ट लॉयन और डॉल्फिन

प्रधानमंत्री ने प्रोजेक्ट लॉयन और डॉल्फिन की घोषणा की. उन्होंने कहा कि अपनी बायोडायवर्सिटी के संरक्षण और संवर्धन के लिए भारत पूरी तरह संवेदनशील है. बीते कुछ समय में देश में शेर, बाघ की आबादी तेज गति से बढ़ी है. अब देश में हमारे एशियाई शेरों के लिए एक प्रोजेक्ट लॉयन की भी शुरूआत होने जा रही है. वहीं डॉल्फिन के संरक्षण के लिए भी प्रोजेक्ट चलाने की बात कही.

100 लाख करोड़ रुपए का नेशनल इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर पाइपलाइन प्रोजेक्‍ट

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरे देश को मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर से जोड़ने की एक बहुत बड़ी योजना तैयार की गई है. इस पर देश 100 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. अलग-अलग सेक्टर्स के लगभग 7 हजार प्रोजेक्ट्स को चिन्हित भी किया जा चुका है. ये एक तरह से इंफ्रास्ट्रक्चर में एक नई क्रांति की तरह होगा.

पड़ोसी नीति के विस्तार पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पड़ोसी देशों के साथ चाहे वो हमसे जमीन से जुड़े हों या समुद्र से, अपने संबंधों को हम सुरक्षा, विकास और विश्वास की साझेदारी के साथ जोड़ रहे हैं. आज पड़ोसी सिर्फ वो ही नहीं हैं जिनसे हमारी भौगोलिक सीमाएं मिलती हैं, बल्कि वे भी हैं जिनसे हमारे दिल मिलते हैं. आसियान देशों का विशेष महत्‍व है, जो कि भारत के समुद्री पड़ोसी देश हैं.

प्रदूषण के खिलाफ अभियान

प्रधानमंत्री ने शहरों से प्रदूषण खत्म करने की योजना की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि देश के 100 चुने हुये शहरों में प्रदूषण कम करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण के साथ एक विशेष अभियान पर भी काम हो रहा है.

प्रधानमंत्री के संबोधन के अन्य मुख्य बिंदु

  • पिछले वित्‍त वर्ष के दौरान देश में रिकॉर्ड विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश हुआ है और इसमें 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
  • देश के किसानों को आधुनिक ढांचागत सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक लाख करोड़ रूपये का कृषि अवसंरचना कोष बनाया गया है.
  • पिछले पांच वर्ष में दो लाख ग्राम पंचायत तक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क पहुंच चुका है. एक हज़ार दिन के अंदर देश के छह लाख गांवों में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का काम पूरा कर लिया जाएगा.
  • जिस तरह सिक्किम ने जैविक राज्‍य के रूप में अपनी पहचान बनाई है, उसी तरह लद्दाख को कार्बन न्‍यूट्रल क्षेत्र बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं.
    अगले 1000 दिन में, लक्षद्वीप को सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल से जोड़ दिया जाएगा.

नौसेना के नवाचार और स्‍वदेशीकरण संगठन का शुभारंभ

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 13 अगस्त को नौसेना के नवाचार और स्‍वदेशीकरण संगठन (Naval Innovation and Indigenisation Organisation-NIIO) का शुभारंभ किया. यह संगठन रक्षा उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भरता का लक्ष्‍य प्राप्‍त करने के लिए उद्योगों तथा विशेषज्ञों और उत्‍पादों के प्रयोक्‍ताओं के बीच संवाद स्‍थापित करने का मंच प्रदान करेगा.

रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में रक्षा खरीद नीति-2020 का मसौदा जारी किया था जिसमें नवाचार और स्‍वदेशी उत्‍पादन को बढ़ावा देने के लिए सेना मुख्‍यालय द्वारा इस तरह का संगठन बनाने की बात कही गयी थी.

अयोध्‍या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन समारोह आयोजित किया गया

अयोध्‍या में राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन समारोह का आयोजन 5 अगस्त को किया गया. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने अयोध्‍या में इस समारोह में हिस्सा लिया और मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी.

इस अवसर पर उन्होंने अयोध्या में 326 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की आधारशिला रखी और 161 करोड़ रुपये के किये गये कार्यों का शुभारंभ किया. अयोध्‍या में भूमि पूजन समारोह उसी अभिजीत महूर्त में आयोजित किया गया जिसमें स्वयं भगवान राम का जन्म हुआ था. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने श्रीराम जन्‍मभूमि मंदिर पर स्‍मारक डाक टिकट जारी किया.

अयोध्या में प्रस्तावित भव्य राम मंदिर: एक दृष्टि

  • अयोध्या में प्रस्तावित भव्य राम मंदिर 161 फीट ऊंचाई का होगा. मंदिर में मण्डप होंगे और मंदिर में एक अष्टभुजाकार शिखर होगा. मंदिर के निर्माण में लगभग तीन से साढ़े तीन साल का समय लगेगा.
  • तीन मंजिला राम मंदिर में भू-तल पर रामलला विराजमान होंगे जबकि पहले तल पर राम दरबार होगा और दूसरा तल श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के उपयोग के लिए होगा.
  • अयोध्या राम मंदिर एक बेहद मजबूत ढांचा होगा जिस पर भूकंप का भी प्रभाव नहीं पड़ेगा. क्योंकि इसे बनाने में स्टील का इस्तेमाल नहीं होगा सिर्फ तांबा ही उपयोग में लाया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला सुनाया था

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर 9 नवम्बर 2019 को सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था. कोर्ट ने अपने फैसले में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को रामलला का बताया था.

कोर्ट ने केंद्र सरकार को 3 महीने के भीतर बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज का गठन कर विवादित स्थान को मंदिर निर्माण के लिए देने को कहा था. साथ ही कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दिए जाने का आदेश दिया.

5 जजों की बेंच ने फैसला सुनाया

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया. इस बेंच में मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर थे.

उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ सुनवाही

2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं. उच्‍च न्‍यायालय के निर्णय में कहा गया था कि विवादित भूमि को दावेदारों में बराबर बांट दिया जाना चाहिए. इस विवाद में तीन प्रमुख पक्ष हिन्दू महासभा, निर्मोही अखाडा़ और मुस्लिम वक्फ बोर्ड थे.

ASI की रिपोर्ट पर फैसला

कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट को आधार मानते हुए कहा कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद किसी खाली स्थान पर नहीं बनाई गई थी. मस्जिद के नीचे विशाल संरचना थी जो इस्‍लामिक संरचना नहीं थी. ASI ने इसे 12वीं सदी का मंदिर बताया था.

नई शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी, मानव संसाधन मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा

सरकार ने देश में नई शिक्षा नीति (New Education Policy) 2020 को मंजूरी दे दी है. यह मंजूरी 29 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में दी गयी. बैठक में लिए गये निर्णय की जानकारी मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने जानकारी दी.

मानव संसाधन मंत्रालय का नया नाम शिक्षा मंत्रालय

बैठक में लिए गये निर्णय के तहत अब मानव संसाधन मंत्रालय (HRD) को शिक्षा मंत्रालय के (Education Ministry) नाम से जाना जाएगा. शुरुआत में इस मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय ही था लेकिन 1985 में इसे बदलकर मानव संसाधन मंत्रालय नाम दिया गया था. नई शिक्षा नीति के मसौदे में इसे फिर से ‘शिक्षा मंत्रालय’ नाम देने का सुझाव दिया गया था.

कस्तूरीरंग की अध्यक्षता में समिति का गठन

सरकार ने नई शिक्षा नीति के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन की अगुआई में एक समिति का गठन किया था. इस समिति ने पिछले साल मानव संसाधन मंत्रालय में नई शिक्षा नीति के मसौदे को प्रस्तुत किया था. बाद में उस मसौदे को लोगों के सुझावों के लिए रखा गया. मंत्रालय को इसके लिए करीब सवा 2 लाख सुझाव आए थे. उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई थी.

2030 तक सौ प्रतिशत साक्षरता

नई शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्‍य 2030 तक सौ प्रतिशत युवा और प्रौढ़ साक्षरता प्राप्ति करना है. इसका उद्देश्‍य 2030 तक स्‍कूली शिक्षा में सौ प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात के साथ पूर्व विद्यालय स्‍तर से माध्‍यमि‍क स्‍तर तक की शिक्षा का सार्वभौमिकरण करना है.

उच्च शिक्षा

नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के लिए अलग अलग रेगुलेटर की बजाय एक ही रेगुलेटर की बात कही गई है. वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकल नामांकन दर को 50 प्रतिशत के लक्ष्य तक पहुंचाना जायेगा.

नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में मल्टीपल इंट्री और एक्जिट की बात कही गई है. यानि एक साल पढ़ाई करने के बाद अगर कोई बीच में पढ़ाई छोड़ देता है तो भी उसे सर्टिफिकेट मिलेगा, जबकि दो साल के बाद डिप्लोमा पाने का हकदार होगा और तीन या चार साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसे डिग्री मिलेगी.

छात्रों के लिए तीन या चार साल के डिग्री प्रोग्राम का विकल्प रहेगा. नौकरी के इच्छुक छात्रों के लिए तीन साल की जबकि रिसर्च के इच्छुक छात्रों के लिए चार साल की डिग्री का विकल्प रहेगा.

स्कूली शिक्षा

स्कूली शिक्षा के बुनियादी ढांचे में बदलाव किया गया है और 10+2 की बजाय 5+3+3+4 यानि 15 साल की स्कूली शिक्षा की रूपरेखा तय की गई है. यानि पहली बार प्री प्राईमरी शिक्षा को शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बनाया गया है. NCERT प्री प्राइमरी शिक्षा के लिए लिए पाठ्यक्रम तैयार करेगा.

साथ ही लक्ष्य रखा गया है कि हर बच्चा जब स्कूली शिक्षा हासिल कर निकले तो कम के कम एक वोकेशनल स्किल हासिल करके निकले यानि स्कूली शिक्षा को रोजगारपरक बनाने का लक्ष्य इस नई नीति में तय किया गया है.

नई शिक्षा नीति 2020: मुख्य बिंदु

  • केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर शिक्षा पर जीडीपी का 6 फीसदी खर्च करने की दिशा में काम करेंगी.
  • बुनियादी सुविधाओं से वंचितक्षेत्रों और समूहों के लिए बालक-बालिका समावेशी कोष और विशेष शिक्षा क्षेत्र स्‍थापित किया जाएगा.
  • देश में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी.
  • NCERT आठ वर्ष की आयु तक के बच्‍चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा के लिए एक राष्‍ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा.
  • एक मानक निर्धारक निकाय के रूप में नया राष्‍ट्रीय आकलन केन्‍द्र ‘परख’ स्‍थापित की जाएगी.
  • अध्‍यापक शिक्षण के लिए एक नया और व्‍यापक राष्‍ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा NCFTE 2021 तैयार किया जाएगा.
  • पांचवी तक पढ़ाई के लिए होम लैंग्वेज, मातृ भाषा या स्थानीय भाषा माध्यम होगा.
  • छठी कक्षा के बाद से ही वोकेशनल एजुकेशन की शुरुआत होगी.
  • बोर्ड एग्जाम रटने पर नहीं बल्कि ज्ञान के इस्तेमाल पर अधारित होंगे.
  • नई शिक्षा नीति में एमफिल कोर्सेज को खत्म किया जायेगा.
  • लीगल और मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों का संचालन सिंगल रेग्युलेटर के जरिए होगा.
  • विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा होंगे.
  • सभी सरकारी और निजी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक तरह के मानदंड होंगे.
  • देश की वर्तमान शिक्षा नीति को 1986 में तैयार किया गया था. 1992 में उसमें सुधार किया गया था.

पांच रफाल लडाकू विमानों के पहले खेप की आपूर्ति की गयी

फ्रांस ने पांच रफाल लडाकू विमानों के पहले खेप की आपूर्ति कर दी है. इस विमान की पहली खेप 29 जुलाई को अम्‍बाला पहुंची. रफाल के इस खेप में तीन सिंगल सीटर और दो, दो-सीटर विमान शामिल हैं. इन विमानों को हरियाणा के अंबाला में वायुसेना की 17वीं बटालियन में आधिकारिक रूप से शामिल किया जाएगा.

रफाल लडाकू विमानों को 27 जुलाई को दक्षिणी फ्रांस के बॉर्डे स्थित मेरीनियाख हवाईअड्डे से रवाना किया गया था. फ्रांस से लगभग सात हजार किलोमीटर की उड़ान के दौरान ये विमान संयुक्‍त अरब अमारात (UAE) में फ्रांस संचालित अल दफरा हवाई अड्डे पर रुका था. यहाँ पहुंचने से पहले इन विमानों ने मध्य सागर के ऊपर आसमान में ही ईधन भरकर भारत की तरफ अपनी यात्रा का पहला चरण पूरा किया था. अपने दूसरे चरण में राफेल अल दफरा हवाई अड्डे से उड़ान भर के भारत पहुंचा.

भारत ने फ्रांस से 36 विमानों की खरीद की है

रफाल लडाकू विमानों को फ्रांस की कंपनी दस्‍सों ने विकसित किया है. इस विमान की खरीद के लिए 2016 में भारत और फ्रांस के बीच समझौता हुआ था. इस सौदे के तहत भारत ने फ्रांस से 59 हजार करोड रुपये में 36 विमानों की खरीद की थी. 36 विमानों में से 10 विमानों की आपूर्ति तय समय के भीतर पूरी कर ली गई है. इनमें से पांच विमान प्रशिक्षण मिशन पर फ्रांस में ही रहेंगे. 2021 के अंत तक सभी 36 विमान भारत को सौंप दिये जायेंगे.

रफाल लडाकू विमान: मुख्य बिंदु

  • राफेल किटेर और स्केल्प क्रूज मिशाइल समेत अन्य घातक हथियारों से लैस होकर युद्ध भूमि में दुश्मन को स्तब्ध करने वाली क्षमता वाला लड़ाकू विमान है.
  • ये लड़ाकू विमान कुछ विशेष संसाधनों के साथ देश में लाया गया है. जिनमें इस्राइली हेल्मेट युक्त डिस्पले, अत्याधुनिक रडार और कम बेंड के जैमर प्रणाली शामिल हैं. राफेल कई खुबियों वाले रडार वॉर्निंग रिसीवर, इन्फ्रारेड सर्च और ट्रैकिंग सिस्टम जैसी क्षमताओं से भी लैस है.
  • राफेल विमान 9,500 किलोग्राम वजन के साथ इससे जुड़ी तोप एक मिनट में 2,500 राउंड फायर कर सकती है. यह एक ही उड़ान के दौरान आसमान से जमीन और हवा से हवा में मार कर सकता है और दुश्‍मन के विमानों का भी मुकाबला कर सकता है. यह परमाणु हथियार और लेजर गाइडेड बम ले जा सकता है.

एंटी टैंक गाइडेड मिसाइस ध्रुवस्त्र का चांदीपुर में सफल परीक्षण किया गया

भारत ने 22 जुलाई को अपनी स्वदेशी विकसित एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल ‘ध्रुवस्त्र’ (Anti-tank Guided Missile ‘Dhruvastra’) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) के लॉन्च पैड-3 से किया गया. परीक्षण में मिसाइल ने उच्च सटीकता के साथ मारने से पहले अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक ट्रैक किया.

एंटी टैंक गाइडेड मिसाइस ‘ध्रुवस्त्र’: एक दृष्टि

  • ‘ध्रुवस्त्र’ हेलीकॉप्टर-लॉन्च एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) है. इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है. यह दुनिया के सबसे उन्नत एंटी-टैंक हथियारों में से एक है.
  • यह ‘नाग हेलिना’ का हेलीकॉप्टर संस्करण है, जिसमें कई नई विशेषताओं के साथ दुश्मन बंकरों, बख्तरबंद वाहनों और मुख्य युद्धक टैंकों को नष्ट करने के लिए हवा से दागा जा सकता है.
  • अगस्त 2018 में एंटी टैंक मिसाइस ‘हेलिना’ से पोखरण परीक्षण रेंज में रुद्र हेलीकॉप्टर से सफल परीक्षण किया गया था. नाग-मिसाइल का जुलाई 2019 में 12 बार परीक्षण किया गया था. यह परीक्षण दिन और रात के दौरान चरम मौसम की स्थिति में सफल रहा था.

काकरापार परमाणु बिजली संयंत्र के तीसरे रिएक्‍टर की शुरूआत

काकरापार परमाणु बिजली संयंत्र के तीसरे रिएक्‍टर (KAPP-3) की शुरूआत 22 जुलाई को हुई. ऊर्जा संयंत्र के इस रिएक्टर की क्षमता 700 मेगावाट की है और यह गुजरात में स्थित है. घरेलू डिजाइन पर आधारित इस रिएक्टर का निर्माण मेक इन इंडिया पहल के तहत किया गया है. यह देश का सबसे बड़ा रिएक्टर है.

KAPP-3 मार्क-4 टाइप कैटिगरी का उपकरण है. जो प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर्स (PHWR) डिजाइन का बेहतरीन नमूना है. यह रिएक्टर बेहतरीन सेफ्टी फीचर्स से लैस है. यह रिएक्टर स्टीम जनेरेटर से लैस है, जिसका वजन करीब 215 टन है. अप्रैल 2019 में वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ न्यूक्लियर ऑपरेशंस (WANO) ने KAPP-3 का प्री-स्टार्टअप रिव्यू शुरू किया था.

भारत के पास न्यूक्लियर पावर तकनीक

KAPP-3 की यह उपलब्धि काफी बड़ी मानी जा रही है. इसके परिचालन में आने के बाद भारत उन देशों की कतार में खड़ा हो गया है जिनके पास न्यूक्लियर पावर तकनीक है.

भारत ने त्रिस्तरीय न्यूक्लियर प्रोग्राम का विकास किया है. इसने क्लोज्ड फ्यूल साइकल पर आधारित एक तीन चरणों वाला परमाणु कार्यक्रम विकसित किया है जहां एक चरण में इस्तेमाल हुए ईंधन को फिर से प्रोसेस करके अगले चरण के लिए ईंधन बनाया जाता है.

काकरापार एटोमिक पावर स्टेशन: एक दृष्टि

  • काकरापार एटोमिक पावर स्टेशन (KAPS) गुजरात के सूरत में ताप्ती नदी के किनारे स्थित है. इस प्लांट में तीसरे रिएक्‍टर (KAPP-3) की शुरूआत 22 जुलाई को की गयी.
  • पूर्णत: भारत में निर्मित 700 मेगवाट वाले इस प्लांट का विकास और ऑपरेशन न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCIL) ने किया है.
  • इस प्लांट में 220 मेगावाट के दो और रिएक्‍टर KAPP-1 और KAPP-2 भी हैं. KAPP-1 की शुरुआत 1993 और KAPP-1 की शुरुआत 1995 में हुई थी. KAPP-3 की शुरुआत के बाद अब KAPP-4 के भी जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है.

DRDO ने भारतीय सेना को ड्रोन ‘भारत’ की आपूर्ति की

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (DRDO) ने भारतीय सेना को शातिशाली ड्रोन की आपूर्ति की है. स्वदेश निर्मित इस ड्रोन का नाम ‘भारत’ दिया गया है. यह ड्रोन ऊंचाई वाले इलाकों और पहाड़ी क्षेत्रों की निगरानी में अद्भुत क्षमता का प्रदर्शन करता है. भारत-चीन तनाव के बीच इस ड्रोन को पूर्वी लद्दाख के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर ही निगरानी के लिए रखा जा रहा है.

भारत ड्रोन: एक दृष्टि

  • भारत ड्रोन DRDO के चंडीगढ़ स्थित प्रयोगशाला में विकसित किए गए हैं. भारत सीरीज के ड्रोन दुनिया के सबसे चालाक, मुस्तैद, फुर्तीला और हल्के सर्विलांस ड्रोनों में से एक है. यह ड्रोन इस तरकीब से बनाया गया है कि इसे रेडार की पकड़ में लाना असंभव है.
  • यह एक छोटा लेकिन बेहद ताकतवर ड्रोन है जो किसी भी स्थान की निगरानी करते वक्त बेहद सटीक जानकारी देता है. अडवांस रिलीज टेक्नॉलजी के साथ इसकी यूनिबॉडी बायोमिमेटिक डिजाइन से सर्वोच्च स्तर की निगरानी होती है. आर्टिलफिशियल इंटिलिजेंस से लैस भारत ड्रोन दोस्तों और दुश्मनों में आसानी से अंतर कर लेता है और इसी के अनुकूल ऐक्शन भी लेता है.
  • ड्रोन की क्षमता अत्यंत ठंडे मौसम और रात के घुप अंधेरे में भी निगरानी करने की है. यह पूरे मिशन का रियल-टाइम वीडियो भेजता है.

भारत में 20 जुलाई से ‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019’ लागू किया गया

भारत में 20 जुलाई से ‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019’ (Consumer Protection Act-2019) को लागू कर दिया गया. नए कानून ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की जगह ली है. यह कानून ग्राहकों के साथ होने वाले धोखाधड़ी को रोकने के उद्देश्य से लाया गया है.

इस नए कानून के लागू होते ही ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए कई नए नियम लागू हो गए हैं. ये नियम पुराने कानून में नहीं थे. इस नए कानून के तहत बड़े नुकसान पर ग्राहक को पांच लाख रुपये मुआवजा देना होगा और सात साल की जेल होगी. उपभोक्ता की मौत हो जाए तो मुआवजा दस लाख और सात साल या आजीवन जेल भी संभव है. नए कानून के दायरे में ई-कॉमर्स कंपनियां भी आएंगी.

भ्रामक विज्ञापन करने पर सेलिब्रिटी पर भी 10 लाख रुपये तक का जुर्माना तय किया गया है. सेलिब्रिटी का दायित्व होगा कि वो विज्ञापन दी गई पूरी जानकारी की जाच पड़ताल कर ले. मिलावटी सामान और खराब प्रोडक्ट पर कंपनियों पर जुर्माना और मुआवजा देना शामिल किया गया है. झूठी शिकायत करने पर अब 50 हजार रुपए जुर्माना लगेगा.

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 द्वारा दिए गये 6 अधिकार

  1. सुरक्षा का अधिकार: इसके तहत ग्राहक को किसी माल (गुड्स) या सेवा (सर्विस) की मार्केटिंग से जीवन या प्रॉपर्टी के नुकसान से बचाया जाता है.
  2. सूचना का अधिकार: ग्राहक को पूरा अधिकार है कि उसे प्रोडक्ट की क्वालिटी, उसकी मात्रा, शुद्धता, कीमत आदि के बारे में सही जानकारी दी जाए.
  3. छांटने का अधिकार: इसके तहत ग्राहक को माल और सेवा के कई प्रकार उपलब्ध कराई जाती हैं, ताकि वह अपने अनुकूल माल या सेवा को छांट सके.
  4. सुने जाने का अधिकार: ग्राहक को सुने जाने का पूरा अधिकार है. उसे किसी तरह की दिक्कत होने पर फोरम में उसकी शिकायत को सुना जाएगा.
  5. शिकायत का अधिकार: किसी भी गलत प्रैक्टिस के खिलाफ शिकायत करने का भी ग्राहक को अधिकार है, ताकि उसका शोषण ना हो.
  6. जानने का अधिकार: एक ग्राहक अपनी पूरी जिंदगी एक पूरी जानकारी रखने वाला ग्राहक रहेगा, जिससे वह शोषण से बचा रहेगा.

ऑनलाइन एजुकेशन से जुड़े दिशा-निर्देश ‘PRAGYATA’ जारी किये गये

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने देश में ऑनलाइन एजुकेशन से जुड़े प्रज्ञता (PRAGYATA) दिशा-निर्देशों को जारी किया. इन दिशा-निर्देशों के तहत कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए प्रतिदिन ऑनलाइन पढ़ाई की समय सीमा तय की गई है.

PRAGYATA, प्लान, रिव्यू, अरेंज, गाइड, टॉक, असाइन, ट्रैक एंड एप्रिशिएट (Plan- Review- Arrange- Guide- Yak (talk)- Assign- Track- Appreciate) का संक्षिप्त रूप है.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इन दिशा-निर्देशों के मुताबिक प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए प्रतिदिन अधिकतम 30 मिनट की समय-सीमा तय की गई है. यह समय-सीमा अभिभावकों के साथ बातचीत और उन्हें निर्देश देने के लिए है.

कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थी हर रोज़ 30 से 45 मिनट के अधिकतम दो ऑनलाइन सत्र में ही शामिल हो सकते हैं, जबकि कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थी 30 से 45 मिनट के अधिकतम 4 ऑनलाइन सत्र में पढ़ाई कर सकते हैं. ऑनलाइन पढ़ाई के दिन राज्य अपने हिसाब से तय कर सकते हैं.

गौरतलब है कि कोरोना महामारी का असर स्कूल जाने वाले 24 करोड़ से भी अधिक छात्रों पर पड़ा है. इस असर को कम करने के लिए स्कूलों को न केवल शिक्षा और शिक्षण के तौर-तरीकों में बदलाव करने होंगे, बल्कि ऐसे तरीके ढूंढने होंगे जिससे बच्चों को घर पर और स्कूल में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराई जा सके.

उच्चतम न्यायालय ने वाट्सएप, ईमेल और फैक्स से समन भेजने की इजाजत दी

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने वाट्सएप, ईमेल और फैक्स से लगभग सभी कानूनी प्रक्रियाओं के लिए अनिवार्य समन और नोटिस भेजने की इजाजत दे दी है. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुआई में पीठ ने फोन मैसेंजर सेवाओं के माध्यम से उसी दिन नोटिस और समन भेजे जाने की इजाजत दी. इस पीठ में जस्टिस एएस बोपन्ना और आर सुभाष रेड्डी भी शामिल हैं,

पीठ ने वाट्सएप को विशेष रूप से प्रभावी सेवा के रूप में नामित करने के अटॉर्नी जनरल के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया. पीठ ने कहा, दो नीले निशान बताएंगे कि प्राप्तकर्ता ने नोटिस देख लिया है.

प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत नवाचार चुनौती का शुभारंभ किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में स्तरीय ऐप विकसित करने के लिये ‘आत्मनिर्भर भारत नवाचार चुनौती’ (AatmaNirbhar Bharat Innovate Challenge) का शुभारंभ किया है. इसका उद्देश्य स्टार्ट-अप और तकनीकी क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना तथा भारतीय ऐप निर्माताओं और नवाचारों को प्रोत्साहित करना है.

मुख्य बिंदु

  • प्रधानमंत्री ने लोगों और प्रौद्योगिकी से जुड़े समुदाय से आत्मनिर्भर भारत नवाचार चुनौती में भाग लेने का आग्रह किया. यह चुनौती दो स्तरों पर आयोजित होगी- मौजूदा ऐप का संवर्धन और नये ऐप का विकास.
  • ई-लर्निंग, वर्क फ्रॉम होम, गेमिंग, बिज़नस, मनोरंजन, कार्यालय संबंधी कार्य और सोशल नेटवर्किंग के लिये मौजूदा ऐप को बढ़ावा देने और नये ऐप विकसित करने के लिये सरकार आवश्यक सहयोग उपलब्ध करेगी.
  • इस चुनौती के नतीजे मौजूदा ऐप को बेहतर बनाने और लक्ष्य प्राप्त करने में मदद करेंगे. भारतीय ऐप्स में विश्व स्तरीय बनने की क्षमता है.
  • उन्होंने कहा कि भारत और विश्व की अनेक समस्‍याओं के समाधान के लिये नये ऐप विकसित किये जाने की असीम संभावना है.
  • भारत के पास प्रौद्योगिकी और स्टार्ट-अप के अनुकूल पारिस्थितिकीय तंत्र है और इनके लिये भारतीय बाजारों में भी अपार क्षमता है.