जल शक्ति मंत्रालय ने लघु सिंचाई योजनाओं की छठी गणना की रिपोर्ट 26 अगस्त को जारी की थी. रिपोर्ट के अनुसार देश में 2 करोड 31 लाख 40 हजार लघु सिंचाई योजनाएं हैं. इनमें से 2 करोड 19 लाख 30 हजार भूजल और 12 लाख 10 हजार सतही जल योजनाएं हैं.
मुख्य बिन्दु
सबसे अधिक लघु सिंचाई योजनाएं उत्तर प्रदेश में हैं. इसके बाद महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु का स्थान है.
भूजल योजनाओं में महाराष्ट्र सबसे आगे है. उसके बाद कर्नाटक, तेलंगाना, ओडिसा और झारखंड का स्थान हैं.
सतही जल योजनाओं में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, ओडिशा और झारखंड की हिस्सेदारी सबसे अधिक है.
भूजल योजनाओं में खोदे गए कुएं, कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल शामिल हैं. सतही जल योजनाओं में सतही प्रवाह और सर्फस लिफ्ट योजनाएं शामिल हैं.
पांचवी गणना की तुलना में छठी लघु सिंचाई गणना के दौरान लघु सिंचाई योजनाओं में लगभग 1.42 मिलियन की वृद्धि हुई है. राष्ट्रीय स्तर पर, भूजल और सतही जल स्तर की योजनाओं में क्रमशः 6.9% और 1.2% की वृद्धि हुई है.
लघु सिंचाई योजनाओं में खोदे गए कुंओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, इसके बाद कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल हैं.
महाराष्ट्र कुएं खोदने, सतही प्रवाह और सर्फस लिफ्ट योजनाओं में अग्रणी राज्य है. उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और पंजाब क्रमशः कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल में अग्रणी राज्य हैं.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2023-08-27 18:21:452023-08-29 18:27:32लघु सिंचाई योजनाओं की छठी गणना की रिपोर्ट जारी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा प्रक्षेपित चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग किया. इसके साथ थी भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला विश्व का चौथा (अमेरिका, रूस, चीन के बाद) और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला विश्व का पहला देश बन गया.
मुख्य बिन्दु
इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन का प्रक्षेपण 14 जुलाई को ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3’ (LVM-3) रॉकेट (प्रक्षेपण यान) द्वारा श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अन्तरिक्ष केन्द्र से किया था.
23 अगस्त को शाम 6.04 बजे चंद्रयान-3 के लैंडर ‘विक्रम’ और उसके अंदर रखे रोवर ‘प्रज्ञान’ ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग किया. सॉफ्ट लैंडिंग का अर्थ बिना झटके के सतह पर उतरना होता है.
भारत से पहले चांद पर पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका और चीन ही सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर पाए हैं. इनमें से कोई भी देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के आस-पास ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ नहीं कर पाया था.
अब तक चांद के लिए जो भी सफल मिशन रहे हैं वो चांद के उत्तर या मध्य में हैं. यहां पर लैंडिंग के लिए जगह समतल है और सूरज की सही रोशनी भी आती है. चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर रोशनी नहीं पहुंचती साथ ही सतह पथरीली, ऊबड़-खाबड़ और गड्ढों से भरी है.
चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग का यह भारत का दूसरा प्रयास था. इसरो ने पहला प्रयास 7 सितंबर 2019 को ‘चंद्रयान-2’ मिशन द्वारा किया था, जो सॉफ्ट लैंडिंग करने में असफल रहा था. इसरो का पहला चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-1’ को 2008 में प्रक्षेपित किया गया था. इस मिशन में चाँद पर उतरने के लिए लैंडर मॉड्यूल नहीं था.
इसरो के वर्तमान चेयरमैन एस सोमनाथ हैं. चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर महान वैज्ञानिक पी वीरामुथुवेल हैं. वहीं चंद्रयान-3 मिशन की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर महिला वैज्ञानिक कल्पना के हैं. चंद्रयान-3 मिशन का कुल खर्च की राशि 615 करोड़ रुपये है.
दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जोहान्सबर्ग से वर्चुअली इसरो के लैंडिंग कार्यक्रम को देखा और संबोधित किया. प्रधानमंत्री 15वें ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने दक्षिण अफ्रीका गए थे.
चंद्रयान 3 मिशन: एक दृष्टि
चंद्रयान 3 के तीन हिस्से हैं- प्रोपल्शन, लैंडर और रोवर. प्रोपल्शन, लैंडर और रोवर को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की कक्षा में ले गया था. रोवर को लैंडर के अंदर स्थापित किया गया था. लैंडर का नाम ‘विक्रम’ और रोवर का नाम ‘प्रज्ञान’ दिया गया है.
लैंडर का काम चंद्रमा की सतह पर उतरकर उसमें मौजूद 6 पहियों वाले रोवर को बाहर निकालना था. रोवर चांद की सतह पर खनिजों सहित कई महत्वपूर्ण जानकारी जुटाएगा.
इस मिशन का उद्देश्य ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्रमा की सतह के तापीय गुणों को मापना, भूकंपीय गतिविधि का पता लगाना और लूनर क्रस्ट और मेंटल की संरचना का चित्रण करना भी है.
लैंडर और रोवर (कुल वजन 1,752 किलोग्राम) को एक चंद्र दिवस की अवधि (धरती के लगभग 14 दिन के बराबर) तक काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
सुरक्षित रूप से चंद्र सतह पर उतरने के लिए लैंडर में कई सेंसर थे, जिसमें एक्सेलेरोमीटर, अल्टीमीटर, डॉपलर वेलोमीटर, इनक्लिनोमीटर, टचडाउन सेंसर और खतरे से बचने एवं स्थिति संबंधी जानकारी के लिए कैमरे लगे थे.
लैंडर मॉड्यूल ने जहां पर कदम रखे, उस जगह का नामकरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल ‘विक्रम’ ने जहां पर कदम रखे, उस जगह का नामकरण किया है.
चंद्रमा के 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल जिस हिस्से पर उतरा, अब उस पॉइंट को ‘शिवशक्ति‘ के नाम से जाना जाएगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने चंद्रयान-2 के इम्पैक्ट पॉइंट को भी एक नाम दिया. अब उसे ‘तिरंगा‘ के नाम से जाना जाएगा. 2019 में यहीं पर चंद्रयान-2 का लैंडर क्रैश हो गया था.
प्रधानमंत्री ने कहा कि शिवशक्ति पॉइंट आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा कि हमें विज्ञान का उपयोग मानवता के कल्याण के लिए ही करना है. तिरंगा पॉइंट हमें प्रेरणा देगा कि कोई भी विफलता आखिरी नहीं होती.
23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रत्येक वर्ष 23 अगस्त को जब भारत के विक्रम लैंडर ने दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग किया, उस दिन को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2023-08-24 23:55:522023-08-27 13:08:24भारत चंद्रमा ने दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला विश्व का पहला देश बना
केंद्र सरकार ने पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों को सहयोग देने के लिए ‘पीएम-विश्वकर्मा’ योजना को मंजूरी दी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 16 अगस्त को मंत्रिमंडल की आर्थिक कार्य समिति ने पांच वर्ष की अवधि के लिए इस योजना को स्वीकृति दी. इस योजना पर 13 हजार करोड रुपये की लागत आएगी.
मुख्य बिन्दु
इस योजना का उद्देश्य हाथों और औजारों के जरिए काम करने वाले शिल्पकारों और कारीगरों की पीढ़ियों से चले आ रहे पारंपरिक कौशल को मजबूती तथा बढ़ावा देना है.
इस योजना के अंतर्गत शुरूआत में 18 पारंपरिक उद्योग-धंधों को शामिल किया जाएगा. इनमें बढई, नाव बनाने वाले, सुनार, राज मिस्री, खिलौने बनाने वाले, लौहार और कुम्हार शामिल हैं.
इस योजना के अंतर्गत कौशल (स्कील) प्रशिक्षण दिया जाएगा. दो तरह के स्कील प्रोगाम होंगे- बेसिक और एडवांस्ड स्कील्स. स्कील लेने के दौरान 500 रुपये प्रतिदिन स्टाईफंड भी दिया जाएगा. फिर माडर्न टूल्स खरीदने के लिए 15 हजार रुपये तक का सपोर्ट मिलेगा.
इस योजना के अंतर्गत अधिकतम 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 1 लाख रुपये तक का ऋण दिया जाएगा. इससे 30 लाख से अधिक परिवार लाभान्वित होंगे.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2023-08-18 17:20:462023-08-22 18:08:10पारंपरिक शिल्पकारों को सहयोग देने के लिए ‘पीएम-विश्वकर्मा’ योजना को मंजूरी
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2023-08-17 17:20:482023-08-22 19:54:35शहरों में ई-बसों की सेवा बढाने के लिए पीएम ई-बस सेवा को स्वीकृति
राज्य सभा में 11 अगस्त को मुख्य निवार्चन आयुक्त और अन्य निवार्चन आयुक्त (सेवा नियुक्ति शर्तें और पद की अवधि) विधेयक 2023 पेश किया गया था. विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह विधेयक पेश किया था.
विधेयक का उद्देश्य मुख्य निवार्चन आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों (EC) की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव करना है.
विधेयक के मुख्य बिन्दु
इस विधेयक के मुताबिक, CEC और अन्य EC की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति करेगी। इस कमेटी में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री भी सदस्य होंगे. मुख्य न्यायाधीश (CJI) को शामिल नहीं किया गया है.
दरअसल, इससे पहले मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा चयन प्रक्रिया को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अब CEC और EC की नियुक्ति का भी वही तरीका होगा, जो सीबीआई चीफ की नियुक्ति का है. अब तक CEC और EC की नियुक्तियां केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी.
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसले में कहा था कि अब ये नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस की कमेटी की सिफारिश पर राष्ट्रपति करेंगे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया था कि मौजूदा व्यवस्था तब तक जारी रहेगी, जब तक संसद इस पर कानून ना बना दे.
CEC और EC का वेतन और भत्ते कैबिनेट सचिव के बराबर होंगे. वर्तमान कानून के तहत उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के वेतन के बराबर वेतन दिया जाता है. वरीयता क्रम में CEC और EC को राज्य मंत्री से नीचे स्थान दिया जाएगा.
CEC और EC की नियुक्ति उन व्यक्तियों में से की जाएगी जो भारत सरकार के सचिव के पद के बराबर पद पर हैं या रह चुके हैं.
CEC और EC पद ग्रहण से छह साल की अवधि के लिए पद पर रहेंगे या जब तक वह 65 वर्ष की आयु पूरी नहीं कर लेते, जो भी पहले हो. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त पुनर्नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे.
जब एक चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता है, उसका कार्यकाल कुल मिलाकर छह साल से ज्यादा नहीं होगा. मौजूदा कानून भी उसी तर्ज पर है.
निर्वाचन आयोग (Election Commission)
देश का संविधान 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया. लेकिन भारत निर्वाचन आयोग को एक संवैधानिक संस्था के रूप में स्थापित करने वाला संविधान का अनुच्छेद 324 उन गिने-चुने प्रावधानों में से है जिन्हें पूरे दो महीने पहले 26 नवम्बर 1949 को ही लागू कर दिया गया था.
भारत निर्वाचन आयोग का गठन भारत के गणतंत्र बनने के एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को हो गया था. निर्वाचन आयोग लोकसभा, राज्य सभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करवाता है.
भारतीय संविधान का भाग 15 चुनावों से संबंधित है. संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 तक चुनाव आयोग और सदस्यों की शक्तियों, कार्य, कार्यकाल, पात्रता आदि से संबंधित हैं.
मूल संविधान में निर्वाचन आयोग में केवल एक चुनाव आयुक्त का प्रावधान था. 1 अक्तूबर, 1993 को इसे तीन सदस्यीय आयोग वाला कर दिया गया. तब से निर्वाचन आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2023-08-15 21:06:022023-08-19 18:10:49निवार्चन आयुक्त (सेवा नियुक्ति शर्तें और पद की अवधि) विधेयक 2023
भारत में न्याय प्रणाली में सुधार के लिए तीन विधेयक पेश किए गए हैं। ये विधेयक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को लोक सभा में प्रस्तुत किया था। इन विधेयकों में भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 शामिल हैं.
ये विधेयक औपनिवेशिक काल में बने वर्तमान तीन कानूनों की जगह लेंगे. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1898 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023; और भारतीय साक्ष्य संहिता (आईईए) 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 प्रभाव में आ जाएगा.
वर्तमान कानूनों में 313 बदलाव किए गए हैं, जिनका उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली को सशक्त बनाना है.
महिलाओं और बच्चों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए विशेष प्रावधान किये गये हैं. संपूर्ण आपराधिक न्याय प्रणाली को डिजिटल बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है.
विधेयक के मुख्य बिन्दु
नई सीआरपीसी में 356 धाराएं होंगी जबकि पहले उसमें कुल 511 धाराएं होती थी.
सबूत जुटाने के टाइव वीडियोग्राफी करनी जरूरी होगी.
जिन भी धाराओं में 7 साल से अधिक की सजा है वहां पर फॉरेंसिक टीम सबूत जुटाने पहुंचेगी.
राज्य में किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देता है, चाहे अपराध कहीं भी हुआ हो.
3 साल तक की सजा वाली धाराओं का समरी ट्रायल होगा. इससे मामले की सुनवाई और फैसला जल्द आ जाएगा.
90 दिनों के अंदर चार्जेशीट दाखिल करनी होगी और 180 दिनों के अंदर हर हाल में जांच समाप्त की जाएगी.
चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के भीतर न्यायाधीश को अपना फैसला देना होगा.
गलत पहचान देकर यौन संबंध बनाने वालों को अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा. गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा होगी.
18 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ यौन शोषण मामले में मौत की सजा का प्रावधान जोड़ा जाएगा.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2023-08-14 21:06:002023-08-19 18:30:32न्याय प्रणाली में सुधार के लिए संसद में तीन विधेयक पेश किए गए
संसद ने 8 अगस्त को चार विधेयकों को पारित किया था. इनमें अंतर-सेना संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक-2023, भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक 2023, राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग विधेयक 2023 तथा राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक, 2023 शामिल हैं.
अंतर-सेना संगठन विधेयक: संसद ने अंतर-सेना संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक-2023 अंतर-सेना संगठनों के ऑफिसर इन कमांड को उनकी कमान के अंतर्गत कर्मियों पर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक नियंत्रण रखने का अधिकार देता है. विधेयक का मुख्य उद्देश्य तीनों सेनाओं में बेहतर समन्वय कायम करना है.
भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक: इस विधेयक में भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम 2017 में संशोधन का प्रस्ताव है. इसमें भारतीय प्रबंधन संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित किया गया है. नए अधिनियम के अंतर्गत आईआईएम निदेशक की नियुक्ति चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा की जाएगी. इसके लिए पहले कुलाध्यक्ष की मंजूरी लेनी होगी.
राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग विधेयक: इस विधेयक 2023 में नर्सिंग और मिडवाइफरी पेशेवरों द्वारा शिक्षा और सेवाओं के मानकों के विनियमन और रखरखाव का प्रावधान किया गया है. विधेयक में राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग के गठन का प्रावधान है. इसमें 29 सदस्य होंगे. विधेयक के अनुसार, प्रत्येक राज्य सरकार को एक राज्य नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग का गठन करना होगा, जहां राज्य कानून के तहत ऐसा कोई आयोग मौजूद नहीं है.
राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक: इस विधेयक का उद्देश्य देश में दंत चिकित्सा के पेशे को विनियमित कर गुणवत्तापूर्ण और किफायती दंत चिकित्सा शिक्षा प्रदान करना है. यह विधेयक दंत चिकित्सक अधिनियम, 1948 को निरस्त करने के लिए लाया गया. इसमें दंत चिकित्सा शिक्षा और दंत चिकित्सा के मानकों को विनियमित करने के लिए राष्ट्रीय दंत आयोग, दंत सलाहकार परिषद और तीन स्वायत्त बोर्डों के गठन का प्रावधान है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2023-08-09 21:16:132023-08-12 17:18:52संसद ने अंतर-सेना संगठन सहित चार विधेयकों को पारित किया
संसद ने हाल ही में मध्यस्थता विधेयक (Mediation Bill) 2023 पारित किया था. लोकसभा ने इसे 7 अगस्त को पारित किया था जबकि राज्य सभा इसे पहले ही मंजूरी दे चुकी थी.
मुख्य बिन्दु
विधेयक में व्यक्तियों को किसी भी न्यायालय न्यायाधिकरण में जाने से पहले मध्यस्थता के माध्यम से विवादों को निपटाने का अवसर देने का प्रावधान है. विधेयक में भारतीय मध्यस्थता परिषद की स्थापना का प्रावधान भी है.
एक पक्ष दो मध्यस्थता सत्रों के बाद मध्यस्थता से हट सकता है. मध्यस्थता प्रक्रिया 180 दिनों के अन्दर पूरी की जानी चाहिए तथा इसे और 180 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है.
यह विधेयक जीवन में सुगमता लाएगा. इस विधेयक से मध्यस्थता केंद्रों को कानूनी मदद मिलेगी. इससे मुकदमों पर खर्च और उसका बोझ भी कम होगा.
संसद ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली-(संशोधन) विधेयक (Government of NCT of Delhi (Amendment) Bill) 2023 पारित किया है. राज्यसभा ने इस विधेयक को 7 अगस्त को पारित किया था, जबकि लोकसभा पहले ही इस विधेयक पारित कर चुकी थी. यह विधेयक, सेवाओं से संबंधित केंद्र के अध्यादेश का स्थान लेगा. 19 मई 2023 को राष्ट्रपति ने अध्यादेश जारी किया था.
राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 131 सांसदों ने जबकि विपक्ष में 102 सांसदों ने वोट किया. लोकसभा में यह विधेयक ध्वनि मत से ही पारित हो गया था.
विधेयक के मुख्य बिन्दु
इस विधेयक में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम 1991 में संशोधन का प्रावधान है. यह केंद्र सरकार को अधिकारियों के कार्यों, नियमों और सेवा की अन्य शर्तों सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के मामलों के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देता है.
इसमें राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के गठन का भी प्रावधान है. इस प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली के प्रधान गृह सचिव शामिल होंगे.
प्राधिकरण अधिकारियों के स्थानांतरण और नियुक्तियों तथा अनुशासनात्मक कार्रवाइयों के मामलों के संबंध में दिल्ली के उपराज्यपाल को सिफारिशें देगा.
संवैधानिक पहलू
दिल्ली संघ प्रदेश है जो एक विशेष अनुच्छेद (आर्टिकल) के तहत बनाया गया है. 239AA, 3-B के तहत संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र या उसके किसी भी भाग के लिए उसके संबंधित किसी भी विषय के लिए कानून बनाने का पूर्ण अधिकार है.
भारतीय संविधान के 69वें संशोधन, 1992 के दो नए अनुच्छेद 239AA और 239AB जोड़े गए थे, जिसके अंतर्गत केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली को विशेष दर्जा दिया गया है.
अनुच्छेद 239AA के अंतर्गत केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली को ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली’ बनाया गया और इसके प्रशासक को उपराज्यपाल (Lt. Governor) नाम दिया गया.
69वें संविधान संशोधन में दिल्ली के लिये विधानसभा की व्यवस्था की गई जो पुलिस, भूमि और लोक व्यवस्था के अतिरिक्त राज्य सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बना सकती है.
यह दिल्ली के लिये एक मंत्रिपरिषद का भी प्रावधान करता है, जिसमें मंत्रियों की कुल संख्या विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या के 10% से अधिक नहीं होगी.
अनुच्छेद 239AB के मुताबिक, राष्ट्रपति अनुच्छेद 239AA के किसी भी प्रावधान या इसके अनुसरण में बनाए गए किसी भी कानून के किसी भी प्रावधान के संचालन को निलंबित कर सकता है. यह प्रावधान अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) जैसा है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2023-08-07 19:17:042023-08-09 19:27:50राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार संशोधन विधेयक-2023 पारित
संसद ने चलचित्र संशोधन विधेयक (Cinematograph Amendment Bill) 2023 पारित किया है. इस विधेयक में चलचित्र अधिनियम-1952 में संशोधन का प्रवाधान है, जिसके अंतर्गत केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से जारी प्रमाणपत्र दस वर्ष के लिए वैध होता था. अब यह प्रमाण पत्र हमेशा के लिए वैध माना जाएगा.
विधेयक के मुख्य बिन्दु
इस विधेयक में फिल्मों की अनधिकृत रिकार्डिंग पर प्रतिबंध लगाने तथा लाइसेंस देने की प्रक्रिया को आसान करने का प्रावधान है. यह विधेयक पायरेसी के कारण फिल्म को होने वाले नुकसान से बचायेगा.
अनधिकृत रिकॉर्डिंग करना अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिसके तहत तीन महीने से लेकर तीन साल तक की सजा हो सकती है. साथ ही तीन लाख रुपये तक और फिल्म की सकल उत्पादन लागत का, पांच प्रतिशत जुर्माने के रूप में देना होगा.
इस विधेयक में आयु के आधार पर प्रमाणपत्र की कुछ अतिरिक्त श्रेणियों को जोड़ने का भी प्रावधापन है. ‘A’ या ‘S’ प्रमाणपत्र वाली फिल्मों को टीवी या किसी अन्य मीडिया पर दिखाने के लिए, अलग से प्रमाणपत्र लेना होगा.
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि पायरेसी के कारण फिल्म उद्योग को हर साल लगभग 22 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2023-07-31 21:30:232023-08-02 08:46:39संसद ने चलचित्र संशोधन विधेयक-2023 पारित किया
प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) मनाया जाता है. यह दिवस बाघ और उनके प्राकृतिक परिवास के सरंक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से मनाया जाता है.
2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में एक सम्मेलन में प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को बाघ दिवस मनाने का फैसला लिया गया था. इस सम्मेलन में बाघों को लुप्तप्राय प्रजाति करार दिया था. उस समय 2022 तक बाघ की आबादी को दोगुना करने का भी लक्ष्य रखा गया था. भारत ने इस टारगेट को 2018 में ही हासिल कर लिया था. 2018 में भारत में बाघों की संख्या 2967 से ज्यादा हो चुकी थी.
World Wildlife Fund के अनुसार पिछले 150 सालों में बाघों की आबादी में लगभग 95 प्रतिशत की गिरावट आई है. मौजूदा समय में जिन गिने-चुने देशों में बाघ अभी बाकी हैं, उनमें भारत सबसे ऊपर है. इसके बाद रूस है जहां पर 433 बाघ हैं. इसके बाद का इंडोनेशिया जहां 371, मलेशिया में 250, नेपाल में 198 बाघ ही जिंदा हैं.
भारत में बाघों की स्थिति: मुख्य तथ्य
भारत सरकार ने देश में बाघों को विलुप्त होने से बचाने के लिए 1973 में प्रॉजेक्ट टाइगर शुरू किया था.
1973-74 में देश में केवल 9 बाघ अभयारण्य थे और अब इनकी संख्या बढकर 51 हो गई है. दुनिया में बाघों की कुल संख्या के मामले में भारत पहले स्थान पर है.
पर्यवारण मंत्रालय ने 2005 में नैशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) का गठन किया था. प्रॉजेक्ट टाइगर के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी NTCA सौंपी गई थी.
दुनिया में बाघों की कुल संख्या में से करीब 70 प्रतिशत भारत में हैं. भारत में बाघों की जनसंख्या का 80 प्रतिशत रॉयल बंगाल टाइगर है.
बाघ, भारत और बांग्लादेश दोनों का राष्ट्रीय पशु है.
बाघ आकलन रिपोर्ट-2023
विश्व बाघ दिवस 2023 के अवसर पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार ने एक रिपोर्ट जारी की थी.
इस रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में विश्व में बाघों की कुल संख्या का लगभग 75 प्रतिशत भारत में है.
भारत में बाघों की आबादी 6.1 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर के साथ 3925 होने का अनुमान है.
बाघों की सबसे बड़ी आबादी मध्य प्रदेश में पाई गई है, जिनकी संख्या 785 है वहीं कर्नाटक में 563 उत्तराखंड में, 560 और महाराष्ट्र में 444 बाघ है.
बाघ अभ्यारण के भीतर बाघों की संख्या सबसे अधिक 260 कोरबेट में है इसके बाद बांदीपुर में 150 और नागर हॉल में 141 बाघ है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2023-07-29 21:14:552023-08-01 17:54:5729 जुलाई: अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस, भारत में बाघों की स्थिति पर मुख्य तथ्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 जुलाई को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी सम्मेलन केंद्र (IECC कॉम्प्लेक्स) राष्ट्र को समर्पित किया था. इस केंद्र का नाम ‘भारत मंडपम’ दिया गया है.
मुख्य बिन्दु
इस परियोजना को लगभग 2.7 हजार करोड रुपये की लागत से विकसित किया गया है. ये परिसर देश में अन्तर्राष्ट्रीय बैठकों, सम्मेलनों और प्रदर्शनियों की मेजबानी करेगा.
लगभग 123 एकड़ के परिसर क्षेत्र में शंख के आकार में विकसित, यह भवन, भारत की पारंपरिक कला, संस्कृति और वास्तुशिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण हैं.
परिसर में कुल सात प्रदर्शनी हॉल हैं और यह छोटे और मध्यम उद्यमों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपने उत्पादों और सेवाओं को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा.
प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय ‘युगे युगीन भारत’ जल्द ही दिल्ली में बनाया जाएगा.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2023-07-27 16:50:252023-07-29 14:01:27अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी और सम्मेलन केंद्र ‘भारत मंडपम’ का लोकार्पण