भारतीय पर्यावरणविद और टेरी के पूर्व-प्रमुख डॉ राजेन्द्र कुमार पचौरी का निधन

देश के प्रमुख पर्यावरणविद और ‘द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट’ (TERI) के पूर्व-प्रमुख डॉ राजेन्द्र कुमार पचौरी का 13 फरवरी को 79 साल की अवस्था में निधन हो गया.

देश के प्रमुख पर्यावरणविद राजेन्द्र कुमार पचौरी कर जन्म 20 अगस्त, 1940 को नैनीताल में हुआ था. वह वर्ष 1981 में टेरी के निदेशक और 2001 में इस संस्थान के महानिदेशक बने थे. डॉ पचौरी 20 अप्रैल 2002 को IPCC के अध्यक्ष चुने गये थे.

पर्यावरण के क्षेत्र में उनके महत्वूपर्ण योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. उन्हें वर्ष 2007 में अल गोर के साथ, IPCC की ओर से नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था.

डॉ पचौरी ने अमेरिका के करोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी रेलिग से इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग और अर्थशास्त्र में डॉक्ट्रेट की डिग्री हासिल की थी. 1974 से 1975 तक वह इसी यूनिवर्सिटी में इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे.

प्रसिद्ध ओडिया फिल्मकार मनमोहन महापात्रा का निधन

ओडिशा के प्रसिद्ध फिल्मकार मनमोहन महापात्रा का 14 जनवरी को 69 साल की उम्र में निधन हो गया. 1970 से 80 के शुरुआती दशक में उन्होंने सिनेमा को एक नई पहचान दी थी. उन्हें ‘न्यू वेव ओडिया सिनेमा के जनक’ के रूप में जाना जाता है.

मनमोहन महापात्रा ओडिशा के एकमात्र ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने लगातार राष्ट्रीय पुरस्कार जीता है. उन्होंने लगातार दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था. ओडिशा की रिज़नल फ़िल्म के लिए बेस्ट फीचर कैटेगरी में मनमोहन ने कुल आठ बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीता.

महापात्रा ने पहली ओडिया फ़िल्म ‘सीता राती’ बनाई थी, जिसे इंटरनेशल फ़िल्म फेस्टिवल 1982 में दिखाया गया था. उन्हें निशिधा स्वप्ना, माझी पच्चा, नीरब झाड़ा, अग्नि बेना, क्लांता अपरान्हा, अन्धा दिगंता, किचि स्मृति किचि अनुभूति और भीना समया के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला. उन्होंने रिज़नल फ़िल्मों को अतंरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया. उनकी कई फ़िल्मों को विदेशों में भी दिखाया गया.

जाने-माने फिल्म अभिनेता डॉक्टर श्रीराम लागू का निधन

जाने-माने अभिनेता डॉक्टर श्रीराम लागू का 17 दिसम्बर को पुणे में निधन हो गया. वे 92 वर्ष के थे. श्रीराम लागू ने आजादी के बाद महाराष्‍ट्र में रंगमंच आंदोलन के विकास में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा की थी. वे पेशे से डॉक्टर थे, 42 साल की उम्र में उन्होंने अभिनय को अपना पेशा बना लिया था.

नटसम्राट और हिमालयाची साओली जैसे मराठी नाटकों और मराठी फिल्‍म पिंजरा में अभिनय से उन्‍हें लोकप्रियता मिली. उन्होंने हिन्दी फिल्मों एक दिन अचानक, घरोंदा और लावारिस में भी यादगार भूमिका निभाई.

प्रसिद्ध गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का निधन

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का 14 नवम्बर को पटना में निधन हो गया. वे 77 वर्ष के थे. उन्हें भारत के आइंस्टीन के रूप में जाना जाता है.

दुनियाभर से चर्चित गणितज्ञों में शुमार वशिष्ठ नारायण सिंह ने 1969 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की. इसके बाद वह वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए. वशिष्ठ नारायण ने नासा में भी काम किया, लेकिन वह 1971 में भारत लौट आए.

भारत लौटने के बाद वशिष्ठ नारायण ने आईआईटी कानपुर, आईआईटी बंबई और आईएसआई कोलकाता में नौकरी की. 1975 में वह मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया रोग से पीड़ित हो गए थे.

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का निधन

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त तिरूनेल्‍लई नारायणअय्यर शेषन का 11 नवम्बर को निधन हो गया. वे 86 वर्ष के थे. शेषन ने 1990 से 1996 के बीच 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर अपनी सेवाएं दी थीं.

भारतीय चुनावी राजनीति की दिशा बदलने में शेषन का अहम योगदान माना जाता है. भारतीय चुनाव व्यवस्था में शुचिता और पारदर्शिता लाने का श्रेय शेषन को ही जाता है. मतदाता फोटो पहचान पत्र शेषन द्वारा उठाये गए कई सुधारात्‍मक कदमों में से एक है.

टीएन शेषन तमिलनाडु काडर के 1955 बैच के IAS ऑफिसर थे. लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाने में उनके योगदान को देखते हुए 1996 में उन्‍हें मैगसेसे पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया था.

आजाद हिंद फौज के पूर्व सैनिक वी गणेशन का निधन

आजाद हिंद फौज (INA) के पूर्व सैनिक वी गणेशन का 30 सितंबर को निधन हो गया है. वह 94 वर्ष के थे. वह नागपट्टनम (तमिलनाडु) जिले में वेदरण्यम के रहने वाले थे.

गणेशन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली आजाद हिंद फौज में 18 साल की आयु में भर्ती हुए थे और उन्होंने सिंगापुर में छह महीने का प्रशिक्षण हासिल किया था.

म्यामां में ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ाई में भाग लेने के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और उन्हें यांगून जेल में 10 महीने कैद में रखा गया था. बाद में उन्हें वापस भारत भेज दिया गया.

गणेशन को 2012 में राष्ट्रपति भवन में एक कार्यक्रम में तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया था. गणेशन ने सेमबोदोई गांव में नेताजी हॉस्पिटल खोला था, जो एक सार्वजनिक परमार्थ संस्था है.

देश की पहली महिला DGP कंचन चौधरी भट्टाचार्य का निधन

देश की पहली महिला DGP (पुलिस महानिदेशक) कंचन चौधरी भट्टाचार्य का 27 अगस्त को मुंबई में निधन हो गया. वे 72 वर्ष की थीं. वह देश की पहली महिला DGP और दूसरी महिला IPS अधिकारी थीं.

1973 बैच की महिला आईपीएस अफसर कंचन ने साल 2004 में उत्तराखंड की पुलिस महानिदेशक बन कर इतिहास रचा था. वे देश की पहली महिला थीं जो इस पद तक पहुंचीं. वे 31 अक्टूबर 2007 को वे इस पद से ही रिटायर हुई थीं. भट्टाचार्य को 2004 में मेक्सिको में आयोजित इंटरपोल सभा में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए भी भेजा गया था. जबकि 1997 में उन्हें प्रतिष्ठित सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित किया गया था.


पूर्व वित्‍त मंत्री और BJP के वरिष्‍ठ नेता अरुण जेटली का निधन

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्‍ठ नेता और पूर्व वित्‍त मंत्री अरुण जेटली का 24 अगस्त को नई दिल्ली के एम्स में निधन हो गया. वे 66 वर्ष के थे. वे नरेन्‍द्र मोदी की अगुवाई वाले राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की पहली सरकार में वित्‍तमंत्री थे. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी उन्‍होंने केन्‍द्रीय मंत्री के रूप में काम किया. अरुण जेटली ने रक्षा, कम्‍पनी मामलों, वाणिज्‍य और उद्योग, कानून और न्‍याय के अलावा सूचना और प्रसारण मंत्रालय में अपने काम की छाप छोड़ी.

अरुण जेटली के वित्‍त मंत्री रहते सरकार ने नोट बंदी और वस्तु और सेवा कर (GST) जैसे महत्‍वपूर्ण आर्थिक उपाय किये थे. वित्तीय समावेशन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी जन-धन योजना की कामयाबी का श्रेय अरुण जेटली को ही जाता है. उनके नेतृत्‍व में मोदी सरकार ने रेल बजट को आम बजट में शामिल किया. आम बजट को पहली फरवरी को पेश किया जाना भी अरुण जेटली के कार्यकाल में ही हुआ. अरुण जेटली 1975 के आपातकाल के पहले सत्याग्रही थे. उनको इस दौरान 1975 से 1977 तक 19 महीने तक हिरासत में रखा गया था.


मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का निधन

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर का 21 अगस्त को भोपाल में निधन हो गया. वे 89 वर्ष के थे. बाबूलाल BJP के अकेले नेता रहे हैं जिन्‍होंने मध्‍यप्रदेश विधानसभा के लगातार 10 चुनाव जीते. उन्होंने गोविंदपुरा विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने 2004 में उमा भारती के मुख्‍यमंत्री पद से हटने के बाद प्रदेश की कमान संभाली थी.

राजनीति में आने से पहले श्री गौर ने भोपाल की कपड़ा मील में मजदूरी की थी. वे भारतीय मजदूर संघ के संस्‍थापक सदस्‍य भी थे. 1974 में मध्‍यप्रदेश शासन द्वारा उन्‍हें गोवा मुक्ति आंदोलन में शामिल होने के कारण स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी का सम्‍मान भी प्रदान किया गया था.


जाने-माने संगीतकार खय्याम का निधन

जाने-माने संगीतकार खय्याम का 19 अगस्त को मुंबई में निधन हो गया. वे 92 वर्ष के थे. खय्याम ने 17 वर्ष की उम्र में अपने संगीत सफर की शुरूआत की थी. उन्होंने फिर सुबह होगी, शोला और शबनम, आखिरी खत, शगुन, उमराव जान, रजिया सुल्तान, बाजार और कभी-कभी जैसी फिल्मों में संगीत दिया. उन्होंने 1948 में उन्हें हीर-रांझा फिल्म में संगीत देकर अपने फिल्म सफ़र की शुरुआत की थी.

मोहम्मद ज़हूर ख़य्याम हाशमी संगीतकार बनने से पहले एक फौजी थे. उन्होंने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अलग-अलग मोर्चों पर लड़ा था. कई फिल्‍मों के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया. भारत सरकार ने 2011 में उनकी उपलब्धियों को पद्म भूषण से सम्मानित किया. 2017 में अपने 90वें जन्मदिन पर उन्होंने उभरते संगीतकारों की मदद के लिए 12 करोड़ रुपए की अपनी सारी संपत्ति दान कर दी थी. उनका कहना था देश ने उन्हें बहुत कुछ दिया और अब वे सब कुछ देश को लौटाना चाहते हैं.


बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री डॉक्‍टर जगननाथ मिश्रा का निधन

बिहार के वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्‍यमंत्री डॉक्‍टर जगननाथ मिश्रा का 19 अगस्त को निधन हो गया. वे 82 वर्ष के थे. डॉक्‍टर मिश्रा 1975, 1980 और 1989 में बिहार के मुख्‍यमंत्री बने थे. वे केन्‍द्र की नरसिम्‍हा राव सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं. वह बिहार विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे.


नोबेल पुरस्कार विजेता लेखिका टोनी मॉरिसन का निधन

नोबेल पुरस्कार विजेता लेखिका टोनी मॉरिसन का 6 अगस्त को निधन हो गया. वह 88 वर्ष की थीं. मॉरिसन का पहला उपन्यास “द ब्लूएस्ट आई” था. वह वर्ष 1993 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाली पहली अश्वेत महिला बन गईं. “बिलव्ड” और “सांग आफ सोलोमन” उनके द्वार लिखी गयी मुख्य उपन्यास हैं. “बिलव्ड” के लिए उन्हें वर्ष 1988 में पुलित्जर पुरस्कार भी मिला.