FSSAI ने राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक 2019-20 जारी किया, गुजरात पहले स्थान पर

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने हाल ही में ‘राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक, 2019-20’ जारी किया था. यह खाद्य सुरक्षा पर दूसरा सूचकांक था. FSSAI ने इसे 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के अवसर पर ‘खाद्य सुरक्षा सभी का विषय है’ थीम के साथ जारी किया था.

गुजरात, तमिलनाडु और महाराष्ट्र शीर्ष पर

इस सूचकांक में बड़े राज्यों की सूची में गुजरात पहले, तमिलनाडु दूसरे और महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर रहे हैं. छोटे राज्यों में गोवा पहले स्थान पर रहा. इसके बाद मणिपुर और मेघालय रहे. केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़, दिल्ली और अंडमान द्वीप समूह ने शीर्ष स्थान हासिल किया.

राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक: एक दृष्टि

राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (State Food Safety Index) को FSSAI द्वारा जारी किया जाता है. पहला सूचकांक 7 जून 2019 को पहले ‘विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस’ पर जारी किया गया था.

इस सूचकांक में खाद्य सुरक्षा के पांच मानकों- ‘मानव संसाधन और संस्थागत डेटा, अनुपालन, खाद्य परीक्षण सुविधा, प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण तथा उपभोक्ता सशक्तिकरण’ के पैमानों पर राज्यों का क्रम तय किया जाता है.

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) क्या है?

  • भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India) खाद्य पदार्थों के लिए देश की नियामक संस्था है.
  • यह खाद्य सुरक्षा और खाद्य मानकों के बारे में सामान्य जागरूकता को बढ़ावा देने का कार्य करता है. साथ ही खाद्य पदार्थों के उत्पादन, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात के संदर्भ में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करता है.
  • FSSAI की स्थापना खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत वर्ष 2008 में की गई थी. यह केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आता है. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है.

QS वर्ल्ड रैंकिंग 2021: शीर्ष 500 में भारत से 8 संस्थान, अमेरिका का MIT शीर्ष पर

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (Quacquarelli Symonds World University Rankings) 2021 हाल ही में जारी की गई है. QS हर साल वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग जारी करता है. इस साल कुल 1029 यूनिवर्सिटीज की लिस्ट तैयार हुई थी.

अमेरिका का MIT लगातार 9वें साल पहले स्थान पर

इस क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग 2021 में अमेरिका के मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने लगातार 9वें साल पहला स्थान हासिल किया है. जबकि स्टैनफर्ड, हावर्ड और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी को क्रमशः दूसरा, तीसरा और चौथा स्थान मिला है. ये सभी अमेरिकी यूनिवर्सिटीज हैं. पांचवां स्थान यूके की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को मिला है.

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग-2021: भारत के सन्दर्भ में

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग-2021 में दुनिया के शीर्ष 500 संस्थानों में भारत से 8 संस्थानों को जगह मिली है. भारतीय संस्थानों में IIT बॉम्बे शीर्ष पर है. इस वर्ष की रैंकिंग में यह 172वें स्थान पर है, जबकि पिछले वर्ष की रैंकिंग में यह 152वें स्थान पर था.

इस वर्ष इंडियन इंस्टीट्यूट ऑप साइंस (IISc), बंगलुरू को 185वें और IIT दिल्ली 193वें पायदान पर है. IIT मद्रास 275वें, IIT खड़गपुर 314वें, IIT कानपुर 350वें, IIT रूड़की 383वें, IIT गुवाहाटी 470वें स्थान पर है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी को वैश्विक स्तर पर 501 से 510 रैंक के बीच में जगह मिली है. जबकि IIT हैदराबाद दुनिया के टॉप 650 संस्थानों में जगह बना पाया है. जादवपुर यूनिवर्सिटी, सावित्रिबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी और हैदराबाद यूनिवर्सिटी शीर्ष 1000 संस्थानों में जगह बना पाए हैं.

QS रैंकिंग: एक दृष्टि

QS World University Rankings को ब्रिटिश कंपनी Quacquarelli Symonds द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रकाशित किया जाता है. QS द्वारा संस्थानों की रैंकिंग जिन मानकों पर की गई, वे हैं- एकेडेमिक, रेपुटेशन, फैकल्टी-स्टूडेंट्स रेशियो, एंप्लॉयर रेपुटेशन, इंटरनेशनल फैकल्टी रेशियो, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स रेशियो और साइटेशन/फैकल्टी.

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को कम किया

रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस (Moody’s) ने हाल ही में भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग (Sovereign Credit rating) को घटा दिया है. एजेंसी ने भारत की रेटिंग को Baa2 से घटा कर Baa3 कर दिया है. Baa3 सबसे निचली निवेश ग्रेड वाली रेटिंग है.

मालूम हो कि इससे पहले नवंबर 2017 में मूडीज ने 13 साल के अंतराल के बाद भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को एक पायदान बढ़ा कर Baa2 किया था.

कोरोनावायरस के कारण दुनियाभर की अर्थव्यवस्था मंद पड़ी है. इससे विकसित और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में बदलाव की संभावना बढ़ गई है. भारत भी इससे अछूता नहीं है.

सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग क्या होती है?

विभिन्न देशों की उधार चुकाने की क्षमता के आधार पर सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग तय की जाती है. रेटिंग एजेंसियां इसके लिए इकॉनोमी, मार्केट और राजनीतिक जोखिम को आधार मानती हैं. एजेंसियां क्रेडिट किसी देश की रेटिंग तय करते समाया उस देश के मूलधन और ब्याज जुकाने की क्षमता पर फोकस करती हैं. यह रेटिंग यह बताती है कि एक देश भविष्य में अपनी देनदारियों को चुका सकेगा या नहीं?

सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग टॉप इन्वेस्टमेंट ग्रेड से लेकर जंक ग्रेड तक होती है. जंक ग्रेड को डिफॉल्ट श्रेणी में माना जाता है. सामान्य तौर पर इकॉनोमिक ग्रोथ, बाहरी कारण और सरकारी खजाने में ज्यादा बदलाव पर रेटिंग बदलती है.

अच्छी क्रेडिट रेटिंग का महत्व

कई देश अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए दुनियाभर के निवेशकों से कर्ज लेते हैं. यह निवेशक कर्ज देने से पहले रेटिंग पर गौर करते हैं. ज्यादा रेटिंग पर कम जोखिम माना जाता है. इससे ज्यादा रेटिंग वाले देशों को कम ब्याज दरों पर कर्ज मिल जाता है.

भारत के लिए रेटिंग का महत्व

सामान्य तौर पर भारत सरकार विदेशी बाजारों से कर्ज नहीं लेती है. इसलिए क्रेडिट रेटिंग का ज्यादा महत्व नहीं है. लेकिन कम रेटिंग के कारण स्टॉक मार्केट से विदेशी निवेशकों के बाहर जाने की संभावना बनी रहती है. इसके अलावा नए निवेश के बंद होने की आशंकी भी रहती है.

मुख्य क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां

Standard & Poor’s (S&P), Fitch और Moody’s Investors सॉवरेन रेटिंग तय करने वाली विश्व की मुख्य एजेंसियां हैं.

S&P और फिच रेटिंग के लिए BBB+ को मानक रखती हैं, जबकि मूडीज का मानक Baa1 है. यह सबसे ऊंची रेटिंग है जो इन्वेस्टमेंट ग्रेड को दर्शाती है.

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2020 जारी, भारत 168वें और डेनमार्क पहले स्थान पर

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) ने हाल ही में ‘पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक’ (Environment Performance Index- EPI) 2020 जारी किया है.

भारत 168वें स्थान पर

EPI-2020 में भारत में 168वें स्थान पर है. भारत 2018 में 177वें जबकि 2016 में 141वें स्थान पर था. EPI-2020 में भारत का प्रदर्शन वायु गुणवत्ता, स्वच्छता एवं पेयजल, भारी धातु, अपशिष्ट प्रबंधन आदि में अन्य देशों की तुलना में खराब रहा है.

डेनमार्क पहले स्थान पर

180 देशों के जारी इस सूचकांक में डेनमार्क पहले और लक्ज़मबर्ग दूसरे स्थान पर है. सूचकांक में अमेरिका 42वें और चीन 120वें स्थान पर रहा है. लाइबेरिया सबसे अंतिम 180वें स्थान पर है.

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI): एक दृष्टि

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा प्रत्येक दो वर्ष में जारी किया जाता है. यह सूचकांक येल विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल लॉ एंड पॉलिसी’ तथा कोलंबिया विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इंफॉर्मेशन नेटवर्क’ द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाता है.

‘पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक’ 11 विभिन्न श्रेणियों तथा 32 प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर तैयार किया जाता है. इनमें वायु की गुणवत्ता, जल एवं स्वच्छता, कार्बनडाई ऑक्साइड उत्सर्जन तीव्रता, जंगलों (वनों की कटाई) और अपशिष्ट जल उपचार शामिल हैं.

WEF ने वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक जारी किया, भारत 74वें और स्वीडन पहले स्थान पर

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum- WEF) ने हाल ही में वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (Energy Transition Index- ETI) 2020 जारी किया है. इस सूचकांक में दुनिया के 115 देशों को शामिल किया गया है. यह सूचकांक इन देशों में उपयोग हो रहे ऊर्जा प्रणाली पर सर्वेक्षण किया गया है.

सूचकांक में स्वीडन अपनी पिछले साल की रैंकिंग को बरकरार रखते हुए प्रथम स्थान पर है, जबकि स्विट्जरलैंड और फिनलैंड क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहा है. हैती को सबसे आख़िरी स्थान प्राप्त हुआ है. इस सूचकांक में संयुक्त राज्य अमेरिका 32वें, कनाडा 28वें, ब्राजील 47वें और ऑस्ट्रेलिया 36वें स्थान पर है.

वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI) 2020 में भारत का प्रदर्शन

इस सूचकांक में भारत 74वें स्थान पर है. भारत ने पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष 2 स्थान का सुधार किया है और यह दुनिया के उन चुनिन्दा देशों में से एक है जिसने साल 2015 से लगातार प्रगति की है.
भारत ने अपने ऊर्जा कार्यक्रम में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं. ये सुधार LED बल्ब और स्मार्ट मीटर के उपयोग और उपकरणों की ऊर्जा लेबलिंग करके प्राप्त किया है.

वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI): एक दृष्टि

  • वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI) को प्रत्येक वर्ष विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा जारी किया जाता है. इसके अंतर्गत दुनिया के देशों द्वारा ऊर्जा सुरक्षा, प्रदूषण स्तर और सतत पर्यावरण को बनाए रखने का आकलन किया जाता है.
  • वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI) में आर्थिक विकास, पर्यावरण स्थिरता, ऊर्जा सुरक्षा, सुरक्षित, टिकाऊ, सस्ती और समावेशी ऊर्जा प्रणालियों के मानकों पर सर्वेक्षण किया जाता है.

विश्व आर्थिक मंच (WEF)

  • विश्व आर्थिक मंच एक गैर-लाभकारी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है. इसका उद्देश्य विश्व के प्रमुख व्यावसायिक, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति, शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों तथा अन्य प्रमुख क्षेत्रों के अग्रणी लोगों के लिये एक मंच प्रदान करना है.
  • WEF की स्थापना 1971 में यूरोपियन प्रबंधन के नाम से जिनेवा विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर क्लॉस एम श्वाब ने की थी. इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में है.
  • WEF की बैठक प्रत्येक वर्ष दावोस में आयोजित की जाती है. इस बैठक में परस्पर बातचीत में अनेक समस्याओं का समाधान निकला जाता है.

IDMC रिपोर्ट: 2019 में आपदाओं के कारण सबसे अधिक भारत में विस्थापित हुए

आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र (IDMC) ने प्राकृतिक आपदाओं के कारण विस्थापित हुए लोगों पर एक वैश्विक रिपोर्ट हाल ही में जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में भारत में 50 लाख लोग चक्रवात और बाढ़ सहित विभिन्न आपदाओं के कारण विस्थापित हुए थे. यह संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है.

IDMC रिपोर्ट: मुख्य बिंदु

  • जिनेवा स्थित IDMC की रिपोर्ट के अनुसार 2019 में आपदाओं के कारण दक्षिण एशिया में 95 लाख विस्थापित हुए. यह संख्या 2012 के बाद सबसे ज्यादा है.
  • इतनी बड़ी संख्या में विस्थापन के कारणों में भारत और बांग्लादेश में मानसून के कारण आई बाढ़ तथा फोनी और बुलबुल जैसे चक्रवात भी थे जिनकी वजह से बड़ी संख्या में लोगों को अपने घरों से भागने पर मजबूर होना पड़ा.
  • रिपोर्ट के अनुसार भारत में 50,37,000 लोग विस्थापित हुए जबकि बांग्लादेश में ऐसे लोगों की संख्या 40,86,520 रही. अफगानिस्तान में 5,78,000 लोग विस्थापित हुए जबकि नेपाल में 1,21,000 और पाकिस्तान में 1,16,000 लोग विस्थापित हुए.
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि संघर्ष और हिंसा के कारण 2019 में भारत में लगभग 19,000 लोग विस्थापित हुए. इसमें मुख्य रूप से त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में पहली छमाही में राजनीतिक और चुनावी हिंसा के कारण 7,600 से अधिक लोग विस्थापित हुए.

सैन्य खर्च के मामले में SIPRI रिपोर्ट जारी, भारत पहली शीर्ष तीन देशों में शामिल हुआ

ग्लोबल थिंक-टैंक ‘SIPRI’ (Stockholm International Peace Research Institute) ने वर्ष 2019 में किये गये सैन्य खर्च पर हाल ही में एक वैश्विक अध्‍ययन रिपोर्ट जारी की है. इस अध्‍ययन के अनुसार साल 2019 में वैश्विक सैन्य खर्च 1,917 बिलियन डॉलर रहा जो साल 2018 के वैश्विक सैन्य खर्च की तुलना में 3.6 प्रतिशत अधिक है. यह मौजूदा दशक की सबसे ऊंची वार्षिक बढ़ोत्तरी है.
इस अध्‍ययन रिपोर्ट के अनुसार सैन्य खर्च के मामले में विश्व में अमेरिका पहले, चीन दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर है. यह पहली बार है जब भारत अधिक सैन्य खर्च करने वाले दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल हुआ है. 2018 में भारत चौथे स्थान पर था. रिपोर्ट के अनुसार सैन्य खर्च के मामले में रूस चौथे और सऊदी अरब पांचवे स्थान पर है.

SIPRI रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार हैं:

  1. 2019 के वैश्विक सैन्य खर्च में बढ़ोत्तरी दर (3.6 प्रतिशत) साल 2010 के बाद सबसे अधिक है. सैन्‍य खर्च के क्षेत्र में साल 1989 से ही हर साल बढ़ोत्तरी हो रही है.
  2. अमेरिका ने साल 2019 में 732 बिलियन डॉलर सैन्य खर्च किए जो 2018 की तुलना में 5.3 प्रतिशत ज्‍यादा है. यह रकम दुनियाभर में होने वाले सैन्‍य खर्च की 38 प्रतिशत है.
  3. सैन्‍य खर्चों के मामले में एशिया का दबदबा धीरे-धीरे बढ़ रहा है. चीन का सैन्य खर्च 2018 के मुकाबले 2019 में 5.1 प्रतिशत बढ़कर 261 बिलियन डॉलर है.
  4. भारत ने भी अपने सैन्य खर्च में 6.8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है. साल 2019 में भारत का सैन्य खर्च 71.1 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है. यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 2.4% हिस्सा है. भारत के पड़ोसी देश पाकिस्‍तान और चीन के साथ तनाव के कारण सैन्य खर्च में बढ़ोत्तरी स्‍वाभाविक है.
  5. सबसे अधिक सैन्य खर्च करने वाले यदि दुनिया के पांच शीर्ष देशों में अमेरिका, चीन और भारत के बाद रूस (65.1 बिलियन डॉलर) चौथे और सऊदी अरब (बिलियन डॉलर) पांचवें स्थान पर हैं. विश्व में कुल सैन्य खर्च में इन पांच देशों का हिस्सा 62 प्रतिशत है.
  6. एशियाई देशों में चीन और भारत के अलावा सबसे अधिक सैन्य खर्च करने वालों में जापान और दक्षिण कोरिया भी शामिल हैं. साल 2019 में जापान और दक्षिण कोरिया का सैन्य खर्च क्रमश: 47.6 बिलियन डॉलर और 43.9 बिलियन डॉलर रहा है.

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2020: भारत 142वें और नॉर्वे पहले स्थान पर

प्रेस की दशा-दिशा पर नज़र रखने वाली वैश्विक संस्था ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders- RWB) ने 21 अप्रैल को ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ (World Press Freedom Index) 2020 जारी किया. 180 देशों के इस सूचकांक में भारत 142वें पायदान पर है. पिछले वर्ष यानी 2019 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 140वें स्थान पर था.

नॉर्वे, फिनलैंड और डेनमार्क पहले तीन स्थान पर

इस सूचकांक में नॉर्वे शीर्ष पर है. नॉर्वे लगातार चौथे वर्ष पहले पायदान पर है. सूचकांक में फिनलैंड दूसरे और डेनमार्क तीसरे पायदान पर है. सबसे निचली रैंकिंग उत्तर कोरिया की है जो 180वें स्थान पर है वहीं तुर्कमेनिस्तान 179वें स्थान पर है.

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RWB) क्या है?

‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders- RWB) एक गैर-लाभकारी संगठन है जो दुनिया भर के पत्रकारों पर हमलों का दस्तावेजीकरण और सामना करने के लिए कार्य करता है. RWB का मुख्यालय फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित है.

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की राष्ट्रीय सूची जारी

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने 18 अप्रैल को ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ (Intangible Cultural Heritage-ICH) की राष्ट्रीय सूची जारी की. यह सूची संस्‍कृति मंत्रालय के ‘विज़न 2024’ का हिस्सा है. इस सूची का लक्ष्य, भारत के विभिन्न राज्यों की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत परंपराओं के बारे में जागरूकता फैलाना है.

यूनेस्को (UNESCO) ने देश की 13 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत परंपराओं को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्रदान की है.

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिये 2003 के कन्वेंशन (Convention) का अनुसरण करते हुए भारत के संस्कृति मंत्रालय ने इस सूची को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को प्रकट करने वाले पाँच व्यापक डोमेन में वर्गीकृत किया है-

  1. अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के एक वाहक के रूप में भाषा सहित मौखिक परंपराएँ और अभिव्यक्ति;
  2. प्रदर्शन कला;
  3. सामाजिक प्रथाएँ, अनुष्ठान और उत्सव;
  4. प्रकृति एवं ब्रह्मांड के विषय में ज्ञान तथा अभ्यास;
  5. पारंपरिक शिल्प कौशल.

एशिया की अर्थव्यवस्था पर IMF का ब्लॉग, 2020 में वृद्धि दर शून्य रहने का अनुमान

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने ‘कोविड-19 महामारी और एशिया-प्रशांत क्षेत्र: 1960 के दशक के बाद की सबसे कम वृद्धि दर’ शीर्षक से एक ब्लॉग प्रकाशित किया है. इस ब्लॉग में कोरोना वायरस महामारी के कारण एशिया-प्रशांत क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि दर पर चर्चा की गयी है.

ब्लॉग के मुख्य बिंदु:

  • इस महामारी का एशिया-प्रशांत क्षेत्र में गंभीर और अप्रत्याशित असर होगा. हालांकि गतिविधियों के संदर्भ में अन्य क्षेत्रों की तुलना में अभी भी एशिया बेहतर स्थिति में है.
  • 2020 में एशिया की वृद्धि दर 0 (शून्य) रहने की आशंका है. शून्य वृद्धि दर करीब 60 साल की सबसे खराब स्थिति होगी. एशिया की आर्थिक वृद्धि दर वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान 4.7 प्रतिशत और एशियाई वित्तीय संकट के दौरान 1.3 प्रतिशत थी.
  • इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में तीन प्रतिशत की गिरावट आने के अनुमान हैं. एशिया के दो बड़े व्यापारिक भागीदार अमेरिका और यूरोप में क्रमश: 6 प्रतिशत और 6.6 प्रतिशत की गिरावट के अनुमान हैं. IMF ने दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में क्रमश: 3.5 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की कटौती की है.
  • एशिया में उत्पादकता में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है. अब भी एशिया क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की तुलना में बेहतर कर सकता है.
  • इस साल भारत की विकास दर सबसे ज्यादा 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. चीन की आर्थिक वृद्धि दर भी 2019 के 6.1 प्रतिशत से गिरकर 1.2 प्रतिशत पर आ जाने की आशंका है. 2021 में चीन 9.2 फीसदी और भारत 7.4 फीसदी की दर से विकास कर सकता है.

‘फोर्ब्स’ पत्रिका ने दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की ताजा सूची जारी की, जेफ बेजोस शीर्ष पर

प्रतिष्ठित पत्रिका ‘फोर्ब्स’ ने दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की वार्षिक सूची 9 अप्रैल को जारी की. यह सूची ऐसे वक्त में जारी की गई है, जब कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर में शेयर बाजार में भारी गिरावट आई है.

विश्व में सबसे अमीर

इस सूची में अमेजन के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) जेफ बेजोस पहले स्थान पर हैं. उनकी मौजूदा संपति 113 बिलियन डॉलर आंकी गयी है. जेफ बेजोस के बाद माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स कुल संपत्ति 98 बिलियन डॉलर के साथ दूसरे स्थान पर और LVVH (LVMHF) के अध्यक्ष और CEO बर्नार्ड अर्नाल्ट 76 बिलियन डॉलर की कुल संपत्ति के साथ तीसरे स्थान पर हैं.

विश्व में सबसे अमीर भारतीय

‘फोर्ब्स’ की इस सूची के अनुसार HCL के शिव नाडर, कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक तथा अडाणी समूह के गौतम अडाणी अब फोर्ब्स की 100 अरबपतियों की सूची से बाहर हो गए हैं.

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के चेयरमैन मुकेश अंबानी दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में 17वें स्थान पर हैं. अंबानी की इस समय कुल संपत्ति 44.3 बिलियन डॉलर है. इसके साथ ही वह सबसे अमीर भारतीय बने हुए हैं. मुकेश अंबानी रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक हैं.

इस सूची में दूसरे अमीर भारतीय मुंबई के बड़े निवेशक राधाकृष्ण दमानी हैं, जो विश्व रैंकिंग में 34वें पायदान पर हैं. ‘इंडिया के रिटेल किंग’ नाम से मशहूर दमानी की कुल संपत्ति 16.6 बिलियन डॉलर है. दमानी सुपर मार्केट चेन डी-मार्ट के मालिक हैं.

एशियाई विकास परिदृश्य 2019: भारतीय GDP की वृद्धि दर 4 प्रतिशत रहने का अनुमान

एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank- ADB) ने अपनी वार्षिक आर्थिक रिपोर्ट ‘एशियाई विकास परिदृश्य 2019’ (Asian Development Outlook) 3 अप्रैल को जारी की.

ADB ने इस रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष (2020-21) में भारतीय अर्थव्यवस्था (GDP) की वृद्धि दर के अनुमान को 5 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है. भारतीय GDP में कमी का मुख्य कारण वैश्विक मांग और सरकार द्वारा कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों को बताया गया है.

ADB ने अगले वित्त वर्ष (2021-22) के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था (GDP) की वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है.

इस रिपोर्ट में ADB ने वित्त वर्ष 2020-2021 में दक्षिण एशिया में विकास दर घटकर 4.1 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2021-2022 में 6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है.

एशियाई विकास बैंक: एक दृष्टि

  • एशियाई विकास बैंक (ADB) एक क्षेत्रीय विकास बैंक है जिसकी स्थापना 19 दिसंबर 1966 को की गयी थी.
  • इस बैंक की स्थापना का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक विकास को गति प्रदान करना था.
  • इस बैंक की स्थापना 31 सदस्यों के साथ हुई थी, अब ADB के पास अब 68 सदस्य हैं, जिसमें से 48 एशिया और पैसिफिक से हैं और 19 सदस्य बाहरी हैं.
  • ADB का मुख्यालय मनीला, फिलिपिन्स में है और इसके प्रतिनिधि कार्यालय पूरे विश्व में हैं. इसकी अध्यक्षता जापान द्वारा की जाती है. मात्सुगु असकवा ADB के वर्तमान अध्यक्ष हैं.
  • ADB का प्रारूप वर्ल्ड बैंक के आधार पर बनाया गया था और वर्ल्ड बैंक के समान यहां भी भारित वोट प्रणाली की व्यवस्था है जिसमें वोटों का वितरण सदस्यों के पूंजी अभिदान अनुपात के आधार पर किया जाता है.
  • वर्तमान में, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान दोनों के ही पास शेयरों का सबसे बड़ा हिस्सा है, जो कुल शेयर का 12.756 प्रतिशत है.