ISRO ने LVM3 प्रक्षेपण यान से 36 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 23 अक्तूबर को LVM3 प्रक्षेपण यान से 36 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया था. ये उपग्रह ब्रिटिश कंपनी ‘वन वेब’ के थे जिन्हें आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किए गए.

मुख्य बिन्दु

  • वनवेब, ब्रिटेन स्थित एक निजी उपग्रह संचार कंपनी है, जिसमें भारत की ‘भारती एंटरप्राइजेज’ एक प्रमुख निवेशक और शेयरधारक है. वनवेब के 36 उपग्रहों के एक और सेट को जनवरी 2023 में कक्षा में स्थापित करने की योजना है.
  • LVM3 (Launch Vehicle Mark 3) भारत का सबसे भारी रॉकेट है. यह जियोसिन्क्रोनस सैटलाइट लॉन्च वीइकल-मार्क3 (GSLV-Mk3) नाम से भी जाना जाता है.
  • मिशन में वनवेब के 5,796 किलोग्राम वजन के 36 उपग्रहों के साथ अंतरिक्ष में जाने वाला LVM3 पहला भारतीय रॉकेट बन गया है.
  • यह LVM3 का पहला वाणिज्यिक (कॉमर्शियल) मिशन था. इस मिशन पर इसने ‘वनवेब’ के 36 उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit)  में स्थापित किया.
  • प्रक्षेपण के करीब 20 मिनट बाद ही 601 किलोमीटर की ऊंचाई पर धरती की निचली कक्षा में सभी 36 सैटलाइट सफलता से स्थापित हो गए.
  • इससे पहले ISRO ने पोलर सैटलाइट लॉन्च वीइकल (PSLV) के माध्यम से वाणिज्यिक मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया था लेकिन GSLV के लिए यह पहला वाणिज्यिक मिशन था.
  • ISRO अब तक 345 विदेशी सैटलाइट को लॉन्च कर चुका है. इन सभी सैटलाइट को PSLV से अंतरिक्ष में भेजा गया था.
  • LVM3 रॉकेट 43.5 मीटर लंबा और 644 टन वजनी है. यह 8 हजार किलो वजन ले जाने में सक्षम है.

चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण जून 2023 में

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण जून 2023 में होने की संभावना है. इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 लगभग तैयार है और इसका परीक्षण भी लगभग पूरा हो चुका है.

इंडिया मोबाइल कांग्रेस का आयोजन, भारत में 5जी मोबाइल सेवाओं की शुरूआत

भारत में 1 अक्तूबर 2022 को 5जी मोबाइल सेवाओं की शुरूआत हुई थी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित छठे इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) में इसकी शुरुआत की थी.

छठे IMC का आयोजन 1 से 4 अक्तूबर तक प्रगति मैदान में किया गया था. एशिया की इस सबसे बड़ी तकनीकी प्रदर्शनी का आयोजन दूरसंचार विभाग और सेल्‍यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) संयुक्त रूप से किया था.

5G तकनीक: एक दृष्टि

  • 5G का पूरा नाम 5th generation है. यह 5वीं पीढ़ी का मोबाइल नेटवर्क है जो 4G नेटवर्क की तुलना में 10 गुना तेज इंटरनेट स्पीड प्रदान करता है. यह अधिकतम स्पीड 20 Gbps है.
  • 5G से अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि समेत अधिकतर क्षेत्रों पर इसका काफी व्यापक प्रभाव पड़ेगा. एक अनुमान के मुताबिक 5जी सेवा भारतीय अर्थव्यवस्था में अगले 15 वर्षों में 450 बिलियन डॉलर का योगदान करेगी.
  • 5जी की शुरूआत से भारत फिन्टेक में एक अग्रणी देश बनकर सामने आएगा. UPI और रुपे जैसी तकनीकों का तेजी से देश और दुनिया में फैलाव संभव हो सकेगा.
  • सरकार ने देशभर में 5जी प्रौद्योगिकी के लिए सौ प्रयोगशालाएं स्थापित करने की योजना बनाई है. इनमें कम से कम 12 प्रयोगशालाओं में विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा.

नासा ने मंगल ग्रह पर जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नमूनों को एकत्रित किया

हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के पर्सवेरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन के संकेतों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नमूनों को एकत्रित किया है.

मुख्य बिन्दु

  • रिपोर्ट से पता चला है कि ग्रह पर कार्बनिक पदार्थों की उपस्थिति है. माइक्रोबियल जीवन के नमूने खोजे जाने से पता चला है कि 3.5 अरब साल पहले यहां झील और उसमें एक डेल्टा भी था.
  • नासा के रोवर ने चार नमूने एकत्र किए हैं जिनमें एक प्राचीन नदी डेल्टा के संभावित सबूत हैं, जो एक जैविक समृद्ध नमूने हैं.
  • एक वर्ष के दौरान, रोवर ने ज्वालामुखी विस्फोट वाली झील से एक जैकपॉट की खोज की थी. रोवर ने एक अरब साल पुरानी चट्टान को ड्रिल किया, जिसमें रोवर ने कार्बनिक अणुओं की खोज की.
  • नासा का यह रोवर जुलाई 2020 में केप कैनावेरल, फ्लोरिडा से लॉन्च होने के बाद फरवरी 2021 में मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक उतरा था.

इसरो ने PSLV-C 53 का सफल परीक्षण किया, सिंगापुर के तीन उपग्रहों का प्रक्षेपण

अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हाल ही में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान ‘PSLV-C 53’ का सफल परीक्षण किया था. इस परीक्षण में PSLV-C 53 के माध्यम से सिंगापुर के तीन उपग्रहों को सफलतापूर्वक अभीष्ट कक्षा में प्रक्षेपित किया गया. यह प्रक्षेपण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया था. यह PSLV का 55वां मिशन था.

मुख्य बिंदु

  • PSLV-C 53 इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) का दूसरा समर्पित वाणिज्यिक मिशन है. इससे पहले 23 जून को इसरो ने NSIL के लिए बनाए गए नए संचार उपग्रह जीसैट-24 को प्रक्षेपित किया था. इसका प्रक्षेपण फ्रेंच गुयाना (दक्षिण अमेरिका) के कोउरू से किया गया था.
  • 44.4 मीटर लंबे PSLV-C 53 से सिंगापुर के तीन उपग्रहों 365 किग्रा के DS-EO, और 155 किलोग्राम के न्यूसर और सिंगापुर के नानयांग टेक्नालाजिकल यूनिवर्सिटी (NTU) के 2.8 किलोग्राम के स्कूब-1 उपग्रह को प्रक्षेपित किया गया.
  • प्रक्षेपण यान ने तीनों उपग्रहों को 10 डिग्री झुकाव के साथ 570 किमी की सटीक कक्षा में स्थापित किया.
  • दिन और रात, सभी मौसम में तस्वीरें भेजने में सक्षम DS-EO में इलेक्ट्रो-आप्टिक, मल्टी-स्पेक्ट्रल पेलोड होता है जो भूमि वर्गीकरण के लिए पूर्ण रंगीन तस्वीरें भेजेगा. इसके साथ ही मानवीय सहायता और आपदा राहत आवश्यकताओं की पूर्ति करेगा.
  • न्यूसर सिंगापुर का पहला छोटा वाणिज्यिक उपग्रह है जो AR पेलोड ले जाता है, जो दिन और रात में और सभी मौसम में तस्वीरें भेजने में सक्षम है.
  • सिंगापुर के नानयांग टेक्नालाजिकल यूनिवर्सिटी (NTU) स्कूब-1 सिंगापुर के स्टूडेंट सैटेलाइट सीरीज का पहला उपग्रह है.

देश का पहला मानव रहित लड़ाकू विमान का सफल परीक्षण किया गया

भारत ने पहला मानव रहित लड़ाकू विमान “मानवरहित कॉम्‍बेट एरियल व्‍हीकल” (UCAV)  का सफल परीक्षण 1 जुलाई को किया था. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने यह परीक्षण कर्नाटक के चित्रगुप्त स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में किया गया था.

मुख्य बिंदु

  • इस परीक्षण में ‘ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर’ के जरिए इस उड़ान को परखा गया. इस विमान ने बिना किसी पॉयलेट की मदद के उड़ने से लेकर लैंड करने तक सारा काम खुद किया.
  • यह विमान स्‍वचालित है. बिना किसी मदद के विमान उड़ने से लेकर उतरने तक के सभी कामों को बखूबी अंजाम दे सकता है. इसमें टेक ऑफ, वे प्‍वाइंट नेविगेशन और आसानी से ग्राउंड टचडाउन शामिल हैं.
  • यह स्‍वचालित विमान निर्मित करने की दिशा में महत्‍वपूर्ण उपलब्धि है. यह सैन्‍य प्रणाली के संदर्भ में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
  • इसके साथ ही भारत के गोपनीय मानवरहित कॉम्‍बेट एरियल व्‍हीकल (UCAV) का सफल परीक्षण कर एक उपलब्धि प्राप्त कर ली है. इसे स्‍टील्‍थ विंग फ्लाइट टेस्‍ट बेड (स्विफ्ट) भी कहा जाता है.
  • यह कार्यक्रम भारत के पांचवीं पीढी के स्‍टील्‍थ फाइटर एडवांस मीडियम कम्‍बेट एयरक्राफ्ट विकसित करने से संबंधित है. यह उड़ान पूरी तरह से स्वचालित थी.

ISRO ने संचार उपग्रह जी-सैट 24 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 23 जून को संचार उपग्रह ‘जी-सैट 24’ (GSAT-24) का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया. यह प्रक्षेपण फ्रेंच गयाना के कौरू से एरियन 5 रॉकेट द्वारा किया गया.

मुख्य बिंदु

  • इसरो ने इसका निर्माण न्‍यू स्‍पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के लिये किया है. NSIL इसरो की वाणिज्यिक शाखा है.
  • अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों के बाद NSIL का यह पहला मांग आधारित संचार उपग्रह मिशन है. इस उपग्रह की मांग टेलीविजन सेवा प्रदाता टाटा स्काई (टाटा समूह) ने किया था.
  • जी सैट-24 4180 किलोग्राम वजन वाला 24 केयू बैंड का संचार उपग्रह है, जो पूरे भारत में DTH ऐप की जरूरतें पूरी करेगा.
  • फ़्रेंच गयाना दक्षिण अमेरिका के उत्तरी अटलांटिक तट पर फ्रांस का एक विदेशी विभाग/क्षेत्र और एकल क्षेत्रीय प्राधिकरण है.

वैज्ञानिकों ने की चांद की मिट्टी में पहली बार पौधे उगने में सफलता पाई

वैज्ञानिकों ने की चांद से लायी गयी मिट्टी में पहली बार पौधे उगने में सफलता पाई है. चांद से मिट्टी के ये नमूने 1969 और 1972 में नासा के मिशनों के दौरान इकट्ठे किए गए थे, जिन पर वैज्ञानिकों ने पौधे उगाए हैं.

मुख्य बिंदु

  • धरती के पौधों का दूसरी दुनिया की मिट्टी में उग पाना मानवता के लिए बहुत बड़ी सफलता है. इससे संभावना पैदा होती है कि धरती पर पनपने वाले पौधों को दूसरे ग्रहों पर भी उगाया जा सकता है.
  • नासा ने इस प्रयोग के लिए केवल 12 ग्राम मिट्टी ही दी थी जो कि Apollo 11, Apollo 12 और Apollo 17 मिशन के दौरान इकट्ठा की गई थी.
  • वैज्ञानिकों ने 12 छोटे कंटेनरों में इस मिट्टी में अरबिडोप्सिस थालियाना (Arabidopsis thaliana)  नाम के एक कम फूल वाले खरपतवार के बीज डाले. कुछ दिनों बाद पौधे उग आए.
  • यह मिट्टी नुकीले कणों और ऑर्गेनिक मैटिरियल की कमी के चलते धरती की मिट्टी से बहुत अलग है, इसलिए वैज्ञानिकों को शंका थी कि शायद पौधे न उगें.

इसरो ने शुक्र की कक्षा में अंतरिक्षयान भेजने की योजना बनाई

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्र की कक्षा में अंतरिक्षयान भेजने की योजना बनाई है. इसका उद्देश्य शुक्र ग्रह की सतह का अध्ययन और इसके वातावरण में मौजूद सल्फ्यूरिक एसिड के बादलों के रहस्य का पता लगाना है. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने यह घोषणा हाल ही में की थी. चंद्रयान और मंगलयान की सफलता के बाद इसरो शुक्र ग्रह के लिए मिशन पर काम कर रहा है.

शुक्र मिशन क्यों है महत्वपूर्ण

  • शुक्र ग्रह धरती का सबसे नजदीकी ग्रह है. यह आकार में पृथ्वी जैसा ही है. उसे सोलर सिस्टम का पहला ग्रह माना जाता है जहां जीवन था. धरती की तरह वहां भी महासागर था. वहां की जलवायु भी धरती की तरह थी.
  • शुक्र ग्रह अब जीवन के लायक नहीं है. वहां सतह का तापमान 900 डिग्री फारेनहाइट यानी 475 डिग्री सेल्सियस है. शुक्र का वातावरण कॉर्बन डाई-ऑक्साइड और सल्फ्यूरिक एसिड के पीले बादलों से घिरा हुआ है. शुक्र के वातावरण का घनत्व पृथ्वी के मुकाबले 50 गुना ज्यादा है. वीनस के अध्ययन से धरती पर भी जीवन के संभावित विनाश को टाला जा सकता है.
  • भारत दिसंबर 2024 तक शुक्र मिशन को लॉन्च करना चाहता है. इसकी वजह ये है कि उस वक्त पृथ्वी और शुक्र ग्रह की स्थिति ऐसी रहेगी कि किसी स्पेसक्राफ्ट को वीनस तक पहुंचने में कम से कम ईंधन लगे. अगर दिसंबर 2024 में लॉन्चिंग नहीं हो पाती है तो फिर उसके 7 साल बाद यानी 2031 में उस तरह की अनुकूल खगोलीय स्थिति बन पाएगी.
  • अबतक अमेरिका, रूस, यूरोपियन स्पेस एजेंसी और जापान ही वीनस मिशन लॉन्च किए हैं. सबसे पहले फरवरी 1961 में रूस ने शुक्र के लिए टी. स्पूतनिक मिशन को लॉन्च किया था लेकिन वह नाकाम हो गया. अगस्त 1962 में अमेरिका का मैरिनर-2 मिशन पहला सफल मिशन था.

NASA के इन्जेन्यूटी हेलीकॉप्टर ने मंगल पर पर्सेवेरेंस रोवर के मलबे की तस्वीरें भेजीं

नासा के इन्जेन्यूटी हेलीकॉप्टर ने हाल ही में  मंगल ग्रह पर पर्सेवेरेंस रोवर के मलबे की तस्वीरें भेजीं है. दरअसल पर्सेवरेंस रोवर का कुछ हिस्सा मंगल की सतह पर लैंड करते समय उससे अलग हो गया था. पर्सेवरेंस रोवर को साल 2020 में लॉन्च किया गया था और यह 18 फरवरी 2021 में सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर लैंड हुआ था. यह इन्जेन्यूटी हेलीकॉप्टर को साथ लेकर गया था.

इन्जेन्यूटी हेलीकॉप्टर ने रोवर से अलग हुये पैराशूट और कोन के आकार वाले बैकशेल की 10 तस्वीरें खीचकर भेजीं हैं. पैराशूट रोवर को मंगल की सतह पर उतरने में मदद करने के लिये था जबकि बैकशेल का काम रोवर के उतरते समय उसकी रक्षा करना है.

मुख्य बिंदु

  • मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन के संकेत तलाशने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने पर्सवेरेंस रोवर (Perseverance rover) को 2020 में भेजा था. इन्जेन्यूटी हेलीकॉप्टर भी इसी के साथ भेजा गया था.
  • फरवरी 2021 में मंगल ग्रह की सतह पर पर्सवेरेंस रोवर के उतरने के दौरान उसका एक कॉम्‍पोनेंट (बैकशेल) अलग हो गया था. यह उसी की तस्‍वीर है.
  • अपनी 26वीं उड़ान के दौरान Ingenuity ने हवा में 159 सेकंड के दौरान 1,181 फीट की दूरी तय करते हुए 10 तस्वीरें लीं. इनमें उस कॉम्‍पोनेंट (बैकशेल) या लैंडिंग कैप्सूल के टॉप हाफ हिस्से को भी दिखाया गया है.

भारत ने नयी विमान लैंडिंग तकनीक ‘गगन’ का सफल परीक्षण किया

भारत ने एक नयी विमान लैंडिंग तकनीक  विकसित की है. इस तकनीक का नाम ‘गगन’ दिया गया है. इस तकनीक के माध्यम से खराब मौसम में भी आसानी से विमान उतारे जा सकेंगे. अमरीका- यूरोप और जापान के बाद भारत चौथा ऐसा देश है, जिसने यह तकनीक विकसित की है.

गगन तकनीक का परीक्षण 28 अप्रैल को एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया (AAI) ने इसरो के सहयोग से किया. परीक्षण के दौरान इंडिगो एयरलाइन के विमान ने राजस्थान के किशनगढ़ स्थित हवाईअड्डे पर गगन आधारित एलपीवी तकनीक के माध्यम से विमान लैंड कराया.

मुख्य बिंदु

  • गगन (GAGAN) का पूरा नाम जीपीएस एडेड जियो आग्मेंटेड नेविगेशन है. यह  सैटेलाइट पर आधारित लैडिंग सिस्‍टम है. इसे इसरो ने विकसित किया है. यह नेविगेशन सिस्टम इसरो द्वारा लांच किए गए जीसैट-8, जीसैट-10 और जीसैट-15 सेटेलाइट के माध्यम से काम करता है.
  • इस तकनीक से खराब मौसम या कम दृश्‍यता की स्थिति में भी विमान की लैंडिग की जा सकती है. गगन आधारित LPV (लोकलाइजर परफार्मेस विद वर्टिकल गाइडेंस) तकनीक के प्रयोग से यह समस्या दूर होगी और विमानों की लैंडिंग सुरक्षित होगी.
  • खराब मौसम या कम दृश्यता में विमान की लैंडिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली मौजूदा तकनीक ILS (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) बहुत महंगी है. यही कारण है कि देशभर में सौ से ज्यादा एयरपोर्ट पर अभी तक मात्र 50 से कुछ ही ज्यादा रनवे पर इस सिस्टम को लगाया गया है.

IIT रूड़की में स्वदेश निर्मित पेटास्‍केल सुपर कंप्‍यूटर ‘परम गंगा’ को इंस्‍टॉल किया गया

IIT रूड़की में स्वदेश निर्मित पेटास्‍केल सुपर कंप्‍यूटर ‘परम गंगा’ (PARAM Ganga) को स्थापित (इंस्‍टॉल) किया गया है. इसकी सुपरकंप्‍यूटिंग कैपिसिटी 1.66 PFLOPS (पेटा फ्लोट‍िंग-पॉइंट ऑपरेशंस प्रति सेकंड) है.

मुख्य बिंदु

  • इससे पहले इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IISc) ने सुपर कंप्यूटर ‘परम प्रवेग’ (Param Pravega) को इंस्‍टॉल किया था. यह देश का सबसे पावरफुल सुपर कंप्‍यूटर है, जिसमें 3.3 पेटाफ्लॉप्स की सुपर कंप्यूटिंग कैपेसिटी है.
  • ‘परम गंगा’ को नेशनल सुपर कंप्‍यूटिंग मिशन (NSM) के तहत तैयार किया गया है. इसे सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्‍ड कंप्‍यूटिंग (CDAC) ने तैयार किया है. IIT रुड़की ने इसके लिए CDAC के साथ एक MoU साइन किए थे.
  • इस सुपर कंप्‍यूटर का मकसद IIT रूड़की और इसके आसपास के एजुकेशन इंस्टीट्यूट की यूजर कम्‍युनिटी को कंप्‍यूटनेशनल पावर देना है.
  • इसका उपयोग जीनोमिक्स और ड्रग डिस्कवरी, मौसम विज्ञान, जल विज्ञान, बाढ़ आने की चेतावनी और भविष्यवाणी, गैस ढूढ़ने में और भूकंपीय इमेजिंग में किया जायेगा.

ISRO ने उपग्रह प्रक्षेपण यान PSLV-C52 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 14 फरवरी को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C52) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. यह परीक्षण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया था. यह 2022 का पहला प्रक्षेपण अभियान था.

इस परीक्षण में PSLV-C52 के माध्यम से पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ‘EOS-04’ और दो छोटे उपग्रहों का प्रक्षेपण किया गया. EOS-04 एक ‘रडार इमेजिंग सैटेलाइट’ है जिसे कृषि, वानिकी और वृक्षारोपण, मिट्टी की नमी और जल विज्ञान व बाढ़ मानचित्रण जैसे अनुप्रयोगों एवं सभी मौसम स्थितियों में उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है.

इस अभियान में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST) का उपग्रह इन्सपायरसैट-1 (INSPIREsat-1) और इसरो द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह (INS-2TD) को भी प्रक्षेपित किया गया था.