रक्षा मंत्री ने एंटी सैटेलाइट मिसाइल के मॉडल का अनावरण किया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 10 नवम्बर को एंटी सैटेलाइट (A-SAT) मिसाइल के मॉडल का अनावरण किया. यह अनावरण दिल्ली में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) भवन में किया गया. इस मौके पर DRDO के चैयरमैन डॉ जी सतीश रेड्डी भी मौजूद थे.

भारत ने ‘मिशन शक्ति’ के तहत अपनी पहली एंटी सैटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण 27 मार्च 2019 को किया था. यह परीक्षण ओडिशा स्थित एपीजी अब्दुल कलाम परीक्षण स्थल से किया गया था. इस मिसाइल के जरिये पृथ्वी की निचली कक्षा में एक उपग्रह को अचूक निशाना लगाकर ध्वस्त किया जा सकता है.

मिशन शक्ति के तहत इस एंटी सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बना था. भारत ने इस तरह अंतरिक्ष में अपने संसाधनों की रक्षा करने की क्षमता का प्रदर्शन किया था.

भारत के सबसे बड़े HPC-AI सुपरकंप्यूटर ‘PARAM Siddhi–AI’ को कमीशन किया

C-DAC (Centre for Development of Advanced Computing) ने भारत के सबसे बड़े HPC-AI सुपरकंप्यूटर ‘PARAM Siddhi–AI’ को कमीशन किया. HPC-AI का पूरा नाम High Performance Computing and Artificial Intelligence है. PARAM Siddhi–AI विज्ञान प्रद्योगिकी के क्षेत्र में शोध और खोज में मदद करेगा.

भारत का पहला सुपर कंप्यूटर ‘Param Shivay’ था. इसका निर्माण भी C-DAC द्वारा किया गया था. परम शिवाय ने 1,20,000 से अधिक गणना कोर और 833 टीफ्लॉप्स का उपयोग किया. TeaFlop कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड का एक पैमाना है.

सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविड-19 वैक्‍सीन ‘कोविशील्‍ड’ के ट्रायल रोक लगाई

सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने कोविड-19 वैक्‍सीन ‘कोविशील्‍ड’ (Covid-19 vaccine Covishield) का ट्रायल रोक दिया है. देशभर में 17 अलग-अलग जगहों पर इस टीके का परीक्षण हो रहा था. कंपनी ने यह फैसला ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से नोटिस पाने के बाद लिया. DCGI ने नोटिस में कहा कि SII ने वैक्‍सीन के ‘सामने आए गंभीर प्रतिकूल प्रभावों’ के बारे में अपना एनालिसिस भी उसे नहीं सौंपा.

ब्रिटेन की दावा कंपनी अस्‍त्राजेनेका ने ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के साथ मिलकर यह वैक्‍सीन बनाई है. DCGI ने सीरम इंस्टिट्यूट से पूछा था कि उसने यह क्‍यों नहीं बताया कि अस्‍त्राजेनेका ने इस वैक्‍सीन का ट्रायल रोक दिया है. अस्‍त्राजेनेका के ट्रायल रोकने का ऐलान करने के बावजूद सीरम इंस्टिट्यूट ने ट्रायल जारी रखने की बात कही थी.

संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और यूनाइटेड किंगडम सहित विभिन्न देशों में ‘कोविशील्‍ड’ परीक्षण चरण में था. भारत में इस टीका के फेज 2 और 3 ट्रायल को मंजूरी दी गई थी. सीरम इंस्टिट्यूट ने अस्‍त्राजेनेका के साथ कोविड- 19 टीके की एक अरब डोज बनाने की डील कर रखी है. वही इस वैक्‍सीन का भारत में क्लिनिकल ट्रायल कर रही है. अबतक देश में करीब 100 लोगों को यह टीका लगाया जा चुका है.

सीरम इंस्टिट्यूट अपना जवाब DCGI को सौंपेगा. बहुत कुछ अस्‍त्राजेनेका पर भी निर्भर करेगा कि उसकी जांच में क्‍या निकलकर आता है. ट्रायल अस्‍थायी तौर पर इसलिए रोका गया है ताकि बीमारी के बारे में और जाना जा सके.

नासा ने मंगल ग्रह के लिए अभी तक का सबसे बड़ा रोवर ‘Perseverance’ रवाना किया

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 30 जुलाई को मंगल ग्रह के लिए रोवर ‘Perseverance’ रवाना किया. यह रोवर 48 करोड़ किलोमीटर की यात्रा कर फरवरी 2021 में मंगल ग्रह पर पहुंचेगा और बहुत सारे नमूने लेकर 2031 में धरती पर लौटेगा.

मार्स रोवर Perseverance: मुख्य बिंदु

  • अमेरिका द्वारा भेजा गया यह रोवर अभी तक का सबसे बड़ा और वजनी रोवर है. कार के आकार का वाहन 25 कैमरों, दो माइक्रोफोन, ड्रिल मशीन और लेजर उपकरण के साथ मंगल ग्रह के लिए भेजा गया है. अमेरिका अपने इस अभियान पर आठ अरब डॉलर (60 हजार करोड़ रुपये) खर्च कर रहा है.
  • प्लूटोनियम चालित छह पहियों का यह रोवर मंगल ग्रह की जमीन (मार्टियन चट्टान) ड्रिलिंग का काम करेगा और वह टुकड़े एकत्रित करेगा, जिनके अध्ययन से पता चल सकेगा कि वहां पर कभी जीवधारी रहते थे और मानव जीवन क्या वहां पर संभव है.
  • अमेरिका अकेला देश है जिसने मंगल के लिए नौवीं बार अभियान शुरू किया है. इससे पहले के उसके सभी आठ अभियान सफल और सुरक्षित रहे हैं. इस बार के अभियान में चीन ने भी रोवर और ऑर्बिटर मंगल के लिए रवाना किया है, जो वहां से कई तरह की जानकारियां एकत्रित करेंगे.

स्‍वदेश में विकसित पहली न्‍यूमोकोक्‍कल पॉलीसैकैराइड कंज्‍युगेट वैक्‍सीन को मंजूरी

भारतीय औषध महानियंत्रक (DCGI) ने स्‍वदेश में विकसित पहली ‘न्‍यूमोकोक्‍कल पॉलीसैकैराइड कंज्‍युगेट’ (Pneumococcal Polysaccharide Conjugate) वैक्‍सीन को मंजूरी दे दी है. यह वैक्‍सीन शिशुओं में स्‍ट्रेप्‍टोकोक्‍कस निमोनिया (Streptococcus pneumonia) के कारण और निमोनिया के उपचार के लिए उपयोग की जाती है. यह वैक्‍सीन मांसपेशियों में इंजेक्‍शन के जरिए दी जाती है.

निमोनिया के उपचार के लिए स्‍वदेश विकसित पहली वैक्‍सीन

निमोनिया के उपचार के लिए स्‍वदेश में विकसित यह पहली वैक्‍सीन है. इससे पहले ऐसी वैक्‍सीन देश में लाइसेंस के जरिए आयात की जाती थी क्‍योंकि इसे बनाने वाली सभी कंपनियां भारत से बाहर की हैं. वर्तमान में निमोनिया के लिए फाइजर और ग्लैक्सोस्मिथलाइन द्वारा तैयार की गई वैक्सीन का प्रयोग किया जाता है. स्वदेशी वैक्‍सीन पर इन वैक्‍सीन से कम लागत आएगी.

भारतीय दवा नियामक ने जुलाई में सीरम इंस्टीट्यूट को निमोकोकल पॉलीसैकेराइड कांजुगेट वैक्सीन के लिए मार्केट अप्रूवल दे दिया था.

यह वैक्‍सीन पुणे के भारतीय सीरम संस्‍थान (Serum Institute of India) ने विकसित की है. इस संस्‍थान को वैक्‍सीन के पहले, दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण की अनुमति दी गई थी जो अब सम्‍पन्‍न हो गए हैं. कंपनी ने गाम्बिया में भी इसके परीक्षण किए हैं. उसके बाद कंपनी ने वैक्‍सीन बनाने की अनुमति के लिए आवेदन किया था.

एक लाख से अधिक बच्चों की निमोकॉकल बीमारियों से मौत

निमोनिया एक श्वास संबंधी बीमारी है. यूनिसेफ के डेटा के मुताबिक, हर साल भारत में पांच साल से कम उम्र में ही एक लाख से अधिक बच्चों की निमोकॉकल बीमारियों से मौत हो जाती है.

वैज्ञानिकों ने जेनेटिक कोड में बदलाव कर रंगीन कपास को विकसित करने में सफलता पाई

ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने रंगीन कपास को विकसित करने में सफलता का दावा किया है. इसके विकसित होने से अब कपड़ाें में रासायनिक रंगाें के इस्तेमाल की जरूरत नहीं पड़ेगी.

वैज्ञानिकों ने कपास के आणविक रंग के जेनेटिक कोड में बदलाव कर यह सफलता प्राप्त की है. जेनेटिक कोड में बदलाव कर वैज्ञानिकों ने अलग-अलग रंगों के पौधों के टिश्यू काे तैयार किया गया है. अब इसे खेतों में उगाया जा रहा है.

शरीर व पर्यावरण के अनुकूल

विश्व में अभी 60% से ज्यादा पॉलिएस्टर कपड़ों का निर्माण हो रहा है, जो 200 सालों तक नष्ट नहीं होते. साथ ही एक किलो कपड़े को रंगने के लिए एक हजार लीटर पानी बर्बाद होता है. अब इस कपास से बने धागे को रासायनिक रंगों से रंगने की जरूरत नहीं पड़ेगी. साथ ही यह शरीर व पर्यावरण के अनुकूल होंगे.

उन्नत कपास की किस्म का विकास

वैज्ञानिक अब ऐसे प्राकृतिक कपास की किस्म तैयार कर रहे हैं, जिसके धागों से बने कपड़ाें में सिलवट नहीं पड़ेगी और उसे स्ट्रैच करना भी आसान हाेगा. इससे सिंथेटिक कपड़ाें का उपयाेग कम करने में आसानी हाेगी.

भारत में भी प्रयोग किया जा रहा है

रंगीन कपास को लेकर भारत में भी काफी प्रयोग हुए हैं. वैज्ञानिकों को भूरे और हरे रंग के कपास पाने में सफलता भी पाई है. नॉर्दर्न इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन ने रंगीन कपास के 15 पेटेंट भी हासिल किए हैं.

भारत ने दुनिया के सबसे बड़े परमाणु फ्यूजन प्रोजेक्ट के ‘क्रायोस्टेट’ का अंतिम हिस्सा पूरा किया

भारत ने दुनिया के सबसे बड़े ‘परमाणु फ्यूजन प्रोजेक्ट’ के ‘क्रायोस्टेट’ का अंतिम हिस्सा पूरा कर लिया है. ‘क्रायोस्टेट’ के इस हिस्से को देश के एक निजी क्षेत्र की कंपनी ‘एलएंडटी’ ने सूरत के हजीरा में बनाया है. इसे 30 जून को फ्रांस भेजा गया. यह प्रोजेक्ट फ्रांस के कादार्शे में डेढ़ लाख करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया जा रहा है. यह धरती पर सूरज से ज्यादा ऊर्जा पैदा करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है.

क्रायोस्टेट क्या है?

क्रायोस्टेट स्टील का हाई वैक्यूम प्रेशर चैम्बर होता है. जब कोई रिएक्टर बेहद गर्मी पैदा करता है, तो उसे ठंडा करने के लिए एक विशाल रेफ्रिजरेटर की जरूरत होती है जिसे क्रायोस्टेट कहते हैं.

परमाणु फ्यूजन प्रोजेक्ट: मुख्य तथ्य

  • परमाणु फ्यूजन प्रोजेक्ट के तहत 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस तापमान पैदा होगा. यह सूर्य की कोर से 10 गुना ज्यादा होगा.
  • क्रायाेस्टेट का कुल वजन 3850 टन है. इसका 50वां और अंतिम हिस्सा करीब 650 टन वजनी, 29.4 मीटर चाैड़ा और 29 मीटर ऊंचा है.
  • इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) की यह मैग्नेटिक फ्यूजन डिवाइस की परियोजना परमाणु विखंडन के बजाए सूरज की तरह परमाणु संलयन पर आधारित है.

भारत, अमेरिका, जापान समेत 7 देश इस संयंत्र को बनाने में शामिल

  • इस प्रोजेक्ट में भारत के अलावा यूरोपीय देश, अमेरिका, जापान, चीन, फ्रांस और रूस शामिल हैं. इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) प्रोजेक्ट के सदस्य देश हाेने के नाते भारत ने क्रायोस्टेट बनाने की जिम्मेदारी चीन से ली थी.
  • भारत ने इस क्रायोस्टेट का निचला सिलेंडर जुलाई 2019 में और मार्च 2020 में इसके ऊपरी सिलेंडर को भेजा गया था. अब इसकी ऊपरी सतह भेजी गयी है.
  • इन सभी हिस्सों को जाेड़कर चैम्बर का आकार देने के लिए भारत ने कादार्शे के पास एक वर्कशॉप भी बनाई है. इस प्राेजेक्ट में भारत का योगदान 9% है, लेकिन क्रायोस्टेट देकर देश के पास इसके बौद्धिक संपदा के अधिकार सुरक्षित रहेंगे.

SpaceX का ड्रैगन अंतरिक्ष यान दो अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पहुँचाया

अमेरिका के निजी अंतरिक्ष कंपनी स्‍पेसएक्‍स (SpaceX) का अंतरिक्ष यान ‘क्रू-ड्रैगन’ 31 मई को दो अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर सफलतापूर्वक अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (International Space Station- ISS) पहुँचा. इस प्रकार SpaceX अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने वाली पहली निजी कंपनी बन गई है.

वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्रा में एक नये युग की शुरूआत

SpaceX के अंतरिक्ष यान क्रू-ड्रैगन का ऐतिहासिक प्रक्षेपण फ्लोरिडा में केनेडी अंतरिक्ष केन्‍द्र से 30 मई को किया गया था. यह अंतरिक्ष यान नासा के अंतरिक्ष यात्री- बॉब बेंकन और डग हर्ले को लेकर गया है. इस अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण से वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्रा में एक नये युग की शुरूआत हुई है.

प्रक्षेपण के 19 घंटे की यात्रा के बाद नासा के अंतरिक्ष यात्री बॉब बेंकन और डग हर्ले अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (ISS) पर सफलतापूर्वक उतर गये हैं. ISS में पहले से उपस्थित नासा के अंतरिक्ष यात्री क्रिस्‍टोफर कैसिडी और रूस के अंतरिक्ष यात्री अनातोली इवानीशिन और इवान वैगनर ने उनका स्‍वागत किया. क्रू-ड्रैगन ISS से जुड़े अपने कार्यों के पूरा होने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को वापस कर लाएगा.

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन क्या है?

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (International Space Station- ISS) बाहरी अन्तरिक्ष में मानव निर्मित उपग्रह है. इसे अनुसंधान और शोध के लिए बनाया गया है. इसे पृथ्वी की निकटवर्ती कक्षा में स्थापित किया गया है.

ISS विश्व की कई स्पेस एजेंसियों का संयुक्त उपक्रम है. इसे बनाने में संयुक्त राज्य की नासा के साथ रूस की रशियन फेडरल स्पेस एजेंसी (RKA), जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA), कनाडा की कनेडियन स्पेस एजेंसी (CSA) और यूरोपीय देशों की संयुक्त यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ESA) काम कर रही हैं.

स्‍पेसएक्‍स (SpaceX): एक दृष्टि

  • SpaceX का पूरा नाम ‘स्पेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजीज कार्पोरेशन’ है. यह अन्तरिक्ष के क्षेत्र में कार्य करने वाली एक निजी कंपनी है. इसका मुख्यालय हैथॉर्न, कैलिफ़ोर्निया में है.
  • 2002 में अंतरिक्ष परिवहन लागत को कम करने और मंगल ग्रह के उपनिवेशीकरण को सक्षम करने के लक्ष्य के साथ उद्यमी एलन मस्क ने इसकी स्थापना की थी.
  • SpaceX ने फाल्कन और ड्रैगन अंतरिक्ष यान विकसित किया है, जो वर्तमान में पृथ्वी कक्षा में पेलोड वितरित करता है.

भारत ने राष्ट्रीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पोर्टल को शुरू किया गया

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 30 मई को भारत के राष्ट्रीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पोर्टल (National AI Portal of India) को शुरू किया. यह पोर्टल (ai.gov.in) भारत में AI संबंधित विकास के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में काम करेगा.

AI पोर्टल के उद्देश्य

यह भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से संबंधित आर्टिकल, स्टार्टअप्स, AI में निवेश फंडों, संसाधनों, कंपनियों और शैक्षिक संस्थानों आदि को शेयर करेगा. यह पोर्टल दस्तावेजों, केस स्टडीज, रिसर्च रिपोर्ट आदि को भी शेयर करेगा.

इस पोर्टल को भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय और IT उद्योग द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है. इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय के राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन और IT उद्योग से नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (नास्कॉम) मिलकर इस पोर्टल को चलाएंगे.

‘जिम्मेदार AI युवाओं के लिए’ कार्यक्रम की शुरुआत

केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने इसके साथ ही युवाओं के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम, ‘जिम्मेदार AI युवाओं के लिए’ (Responsible AI for Youth) को भी शुरू किया.

इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के युवा छात्रों को डिजिटल रूप से तैयार करने के लिए एक मंच देना है. यह मंच उन्हें नए युग के उपयुक्त तकनीकी दिमाग, प्रासंगिक AI कौशल-सेट और आवश्यक AI टूल-सेट तक पहुंच प्रदान करेगा.

जिम्मेदार AI युवाओं के लिए (Responsible AI for Youth) कार्यकर्म युवाओं को AI के लिए तैयार होने में सक्षम करेगा और युवाओं को सार्थक सामाजिक प्रभाव समाधान बनाने में कौशल अंतर को कम करने में मदद करेगा. यह राष्ट्रीय कार्यक्रम देश के केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा संचालित स्कूलों के कक्षा 8-12 के छात्रों के लिए खुला है.

दवा नियामक प्रणाली में सुधार के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया

भारत की दवा नियामक प्रणाली में सुधार के लिए सरकार ने विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. इस समिति के गठन का उद्देश्य कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे का सामना करते हुए, दवाओं की स्वीकृति प्रक्रिया, अनुसंधान और टीका विकास को गति देना है.

यह समिति वर्तमान दवा नियामक प्रणाली का अध्ययन करेगी और सुधारों की अनुशंसा सौंपेगी ताकि प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप ढाला जा सके और इसे अधिक प्रभावी बनाया जा सके. समिति दुनिया भर की बेहतरीन कार्यप्रणाली के साथ ही घरेलू जरूरतों और केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) को सुगम एवं प्रभावी बनाने के लिए अपनी सिफारिश सरकार को देगी.

राजेश भूषण इस समिति के अध्यक्ष होंगे

स्वास्थ्य मंत्री के स्पेशल ओन ड्यूटी (OSD) अधिकारी, राजेश भूषण इस समिति के अध्यक्ष होंगे. इस समिति में भारत के शीर्ष दवा एवं टीका उद्यमियों के साथ ही फार्मास्यूटिकल विभाग, बायोटेक्नोलॉजी विभाग, भारतीय फार्माकोपिया आयोग, भारतीय फार्मास्यूटिकल गठबंधन, ICMR के शीर्ष नेतृत्व के साथ ही AIIMS के जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ शामिल होंगे. भारत के संयुक्त औषधि नियंत्रक डॉ ईश्वरा रेड्डी विश्व की सर्वोत्तम कार्यप्रणाली को अपनाने में समिति के काम में सहयोग करेंगे.

ARCI और SCTIMST ने बॉयोडिग्रेबल स्टेंट का विकास किया

International Advanced Research Centre for Powder Metallurgy and New Materials (ARCI) और श्रीचित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SCTIMST), तिरुवनंतपुरम ने मिलकर नई पीढ़ी की मिश्र-धातु का विकास किया है. यह मिश्र-धातु लौह-मैंगनीज (Fe, Mg, Zn, और बहुलक) आधारित है. इस मिश्र-धातु का उपयोग बायोडिग्रेडेबल ऑर्थोपेडिक प्रत्यारोपण (इम्प्लांट) और स्टेंट बनाने के लिए किया जायेगा.

लौह-मैंगनीज आधारित यह मिश्र-धातु बायोडिग्रेडेबल स्टेंट और आर्थोपेडिक सामग्री अभी इस्तेमाल हो रहे धातुओं के इम्प्लांट का बेहतर विकल्प हैं. यह मिश्र-धातु आधारित प्रत्यारोपण मानव शरीर में कोई दुष्प्रभाव नहीं छोड़ते हैं. वर्तमान प्रत्यारोपण से दीर्घकालिक दुष्प्रभाव जैसे विषाक्तता, घनास्त्रता और सूजन होती है.

CERT-In द्वारा ‘EventBot’ को लेकर चेतावनी, जानिए क्या है ‘EventBot’ वायरस

भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-In) ने बैंकिंग वायरस ‘EventBot’ को लेकर हाल ही में चेतावनी जारी की है. जारी चेतावनी के अनुसार मोबाइल मैलवेयर ‘EventBot’ काफी तेजी से फैल रहा है जो कि लोगों के बैंक से जुड़ी जानकारियों को चोरी कर रहा है.

‘EventBot’ क्या है?

‘EventBot’ ट्रोजन एक वायरस या मैलवेयर है जो किसी उपयोगकर्ता (यूजर्स) के बिना अनुमति के उनके मोबाइल जानकारियों की चोरी करता है.

CERT-In द्वारा जारी एडवाइजरी के मुख्य बिंदु

  • CERT-In के मुताबिक माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, एडोबी फ्लैश और अन्य थर्ड पार्टी एप्स के जरिए मोबाइल ट्रोजन फोन में पहुंच रहा है. यह एक मोबाइल बैंकिंग ट्रोजन है जो कि लोगों के फोन में मौजूद बैंकिंग जानकारी को चुरा सकता है.
  • EventBot ने हाल ही में अमेरिका और यूरोप क्षेत्र में स्थित बैंकिंग एप्स, मनी-ट्रांसफर सेवाओं, और क्रिप्टोक्यूरेंसी वॉलेट सहित 200 से अधिक वित्तीय एप को निशाना बनाया है.
  • CERT-In ने कहा है कि यह वायरस बार्कलेज, यूनीक्रेडिट, कैपिटलऑन यूके, एचएसबीसी यूके, ट्रांसफर वाइज, पेपल, कॉइनबेस, पेसेफकार्ड आदि एप्स को निशाना बनाता है.
  • EventBot को अभी तक गूगल प्ले-स्टोर पर नहीं देखा गया है. यह वास्तिवक एप के जरिए ही फोन में पहुंच रहा है. इस वायरस से बचने के लिए किसी भी थर्ड पार्टी स्टोर से एप डाउनलोड ना करें.

CERT-In क्या है?

CERT-In (Indian Computer Emergency Response Team) साइबर हमलों का मुकाबला करने और भारतीय साइबर स्पेस की रक्षा करने के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी शाखा है. यह देश में हैकिंग, साइबर सुरक्षा खतरों, फ़िशिंग के विरुद्ध कार्य करती है.