वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद की 25वी बैठक

वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की 25वी बैठक 22 फरवरी को मुम्बई में आयोजित की गयी थी. इस बैठक की अध्‍यक्षता वित्तमत्री निर्मला सीतारामन ने की थी. बैठक में FSDC के विभिन्न अधिदेशों और वैश्विक और घरेलू स्‍तर पर बदलते घटनाक्रम से उपजी वित्तीय चुनौतियों पर गहन विचार-विमर्श किया गया.

परिषद में इस बात पर जोर दिया गया किया कि सरकार और सभी नियामकों को वित्तीय स्थितियों और महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थानों के कामकाज पर निरंतर निगरानी रखने की आवश्यकता है. परिषद ने विकास और व्यापक आर्थिक स्थिरता के साथ एक समावेशी आर्थिक विकास के लिए आवश्यक उपायों पर भी चर्चा की.

वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (FSDC)

सरकार ने वित्तीय बाजार नियामकों के सहयोग से FSDC की स्थापना की थी. यह संस्था, अर्थव्यवस्था के मैक्रो-विवेकपूर्ण पर्यवेक्षण, विशेष रूप से बड़े वित्तीय समूहों के कामकाज की निगरानी करती है, और वित्तीय क्षेत्र के अंतर-नियामक समन्वय और विकास के मुद्दों को हल करती है. यह वित्तीय जागरूकता को बढ़ावा देने पर भी केंद्रित है.

पेरिस में हिन्द-प्रशांत पर यूरोपीय संघ की मंत्रिस्तरीय बैठक

हिन्द-प्रशांत पर यूरोपीय संघ की मंत्रिस्तरीय बैठक पेरिस में 22 फरवरी को आयोजित की गयी थी. विदेश मंत्री डॉक्टर सुब्रमण्यम जयशंकर ने इस बैठक में हिस्सा लिया था.

मुख्य बिंदुविदेश मंत्री डॉक्टर सुब्रमण्यम जयशंकर ने यूरोपीय संघ की हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा में योगदान करने की प्रतिबद्धता का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ की रणनीति भारत के स्वतंत्र, खुले, संतुलित और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के दृष्टिकोण के अनुरूप है.

नीली अर्थव्यवस्था और महासागर शासन पर सहमति

भारत और फ्रांस ने नीली अर्थव्यवस्था और महासागर शासन पर रोडमैप (Roadmap on Blue Economy and Ocean Governance) पर सहमति जताई. इस रोडमैप के दायरे में समुद्री व्यापार, समुद्री उद्योग, समुद्री प्रौद्योगिकी, मत्स्य पालन, वैज्ञानिक अनुसंधान, समुद्री पर्यावरण पर्यटन, अंतर्देशीय जलमार्ग, एकीकृत तटीय प्रबंधन और नागरिक समुद्री मुद्दों पर सक्षम प्रशासन के बीच सहयोग शामिल होगा.

नीली अर्थव्यवस्था का अर्थ है आर्थिक विकास, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और बेहतर आजीविका और नौकरियों के लिए समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग.

वन ओशन समिट का आयोजन फ्रांस के राष्ट्रपति के नेतृत्व में किया गया

वन ओशन समिट (One Ocean Summit) का आयोजन फ्रांस में 9-11 फरवरी को किया गया था. इसका आयोजन फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के नेतृत्व में किया गया था.  इस सम्मलेन को भारत सहित यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया और कनाडा सहित कई राष्ट्राध्यक्षों ने संबोधित किया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्मलेन को विडियो कांफ्रेंसिंग माध्यम से संबोधित किया था. अपने संबोधन में उन्होंने भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक समाप्त करने की प्रतिबद्धता जताई. श्री मोदी ने कहा कि भारत की इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव में प्रमुख स्तंभ के रूप में समुद्री संसाधन शामिल हैं.

जैव विविधता पर उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन

  • सम्‍मेलन के दौरान, राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे “जैव विविधता पर उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन” (biodiversity beyond national jurisdiction- BBNJ) की घोषणा की गई. BBNJ को “reaty of the High Seas” के रूप में भी जाना जाता है.
  • समुद्र का 95% हिस्सा राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर का है. यह क्षेत्र मानवता को अमूल्य आर्थिक, पारिस्थितिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, वैज्ञानिक और खाद्य-सुरक्षा लाभ प्रदान करता है.
  • यह राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों की समुद्री जैविक विविधता के संरक्षण और सतत उपयोग पर एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है. यह समुद्र में मानव गतिविधियों को नियंत्रित करने वाला एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समझौता है.
  • इस गठबंधन में अब तक ऑस्ट्रेलिया, चिली, कनाडा, कोमोरोस, कोलंबिया, भारत, मोनाको, मिस्र, पेरू, मोरक्को, नॉर्वे, कांगो गणराज्य, स्विट्जरलैंड, सिंगापुर, टोगो, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ और इसके 27 सदस्य देश शामिल हो चुके हैं.

क्‍वाड विदेश मंत्रियों की चौथी बैठक मेलबर्न में आयोजित की गयी

क्वाड (Quad) देशों के विदेश मंत्रियों की चौथी बैठक 11 फरवरी को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में आयोजित की गयी थी. बैठक में क्वाड के सभी सदस्य देशों भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमरीका के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया था.

विदेश मंत्री डॉक्‍टर सुब्रहमण्यम जयशंकर ने इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. वे ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिस पेन के निमंत्रण पर ऑस्‍ट्रेलिया गये थे. डॉ जयशंकर और ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री ने इस संवाद की सह-अध्यक्षता की थी.

मुख्य बिंदु

  • बैठक में शामिल नेताओं ने सीमा पार आतंकवाद के लिए आतंकवादियों के इस्तेमाल की भी निंदा की. बैठक में, विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर के साथ-साथ अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के विदेश मंत्रियों ने भी कहा कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकाने या हमले के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
  • चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि क्वाड देश हिन्द-प्रशान्त क्षेत्र को बाधा-रहित और समावेशी बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं ताकि इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और आर्थिक खुशहाली सुनिश्चित की जा सके.
  • डॉक्‍टर सुब्रहमण्यम जयशंकर ने हिन्द प्रशान्त क्षेत्र को स्वतंत्र आवाजाही, अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप और दबाव मुक्त बनाये जाने पर बल दिया ताकि इस क्षेत्र में और इससे इतर भी सुरक्षा और खुशहाली को बढ़ावा मिले.

‘क्वाड’ क्या है?

  • ‘क्वाड’ (QUAD) का पूरा नाम Quadrilateral Security Dialogue (QSD) है. यह ‘भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान’ का चतुष्कोणीय गठबंधन है. यह चीन के साथ भू-रणनीतिक चिंताओं के मद्देनजर गठित की गयी है.
  • जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा भारत के परामर्श से 2007 में ‘क्वाड’ की शुरुआत की थी. 2008 में ऑस्ट्रेलिया द्वारा इस ग्रुप से बाहर आने के कारण यह संगठन शिथिल पड़ गया था, लेकिन बाद में वह पुन: इस वार्ता में शामिल हो गया.
  • 2017 में, इस अनौपचारिक समूह को पुनर्जीवित किया गया ताकि एशिया में चीन के आक्रामक उदय को संतुलित किया जा सके.
  • क्‍वाड संगठन का उद्देश्‍य इस क्षेत्र में वैध और महत्‍वपूर्ण हित रखने वाले सभी देशों की सुरक्षा और उनके आर्थिक सरोकारों का ध्‍यान रखना है.

भारत-मध्य एशिया प्रथम शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया

भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन (India-Central Asia Summit) का आयोजन 27 जनवरी को किया गया था. इस सम्मेलन में कज़ाखस्तान, किर्गिज़ गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने हिस्सा लिया. यह शीर्ष नेताओं के स्तर पर भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच अपनी तरह का पहला जुड़ाव था.

सम्मेलन के मुख्य बिंदु

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय सुरक्षा और अफगानिस्‍तान के घटनाक्रम पर चर्चा की. श्री मोदी ने कहा कि भारत ने मध्य एशियाई देशों के साथ राजनयिक सम्‍बंधों के महत्‍वपूर्ण तीस वर्ष पूरे कर लिए हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि शिखर सम्मेलन के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं. पहला यह स्पष्ट करना कि भारत और मध्य एशिया का आपसी सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए अनिवार्य. दूसरा उद्देश्य हमारे सहयोग को एक प्रभावी स्ट्रक्चर देना है और तीसरा उद्देश्य हमारे सहयोग के लिए एक महत्वाकांक्षी रोड मैप बनाना है. इसके माध्यम से हम अगले तीन सालों में रीजनल कनेक्टीविटी और को-ऑपरेशन के लिए एक इंटीग्रेटेड अप्रोच अपना सकेंगे.

स्विट्ज़रलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक आयोजित की गयी

स्विट्ज़रलैंड के दावोस में 17 से 21 जनवरी तक विश्व आर्थिक मंच की बैठक आयोजित की गयी थी. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कई देशों के प्रमुख इस सम्मेलन को संबोधित कर अपने दृष्टिकोण साझा किये. इनमें जापान, ऑस्ट्रेलिया, इस्रायल के प्रधानमंत्री के अलावा चीन और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति भी शामिल थे.

मुख्य बिंदु

  • इस सम्मलेन में उद्योग जगत के शीर्ष नेता, सामाजिक संस्थायें और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी भाग लिया. इस दौरान वे दुनिया के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान निकालने को लेकर विचार-विमर्श किया.
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 जनवरी को वीडियो कांफ्रेंस के माध्‍यम से इस बैठक को संबोधित किया था. उन्होंने जलवायु परिवर्तन और वैक्सीन के मुद्दे पर समानता जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार साझा किये. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के पुनर्गठन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला.
  • प्रधानमंत्री ने दुनिया को जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति अभी भी पर्यावरण के संरक्षण की अपनी सदियों पुरानी परंपराओं पर टिकी हुई है.

ब्रिक्स देशों के शेरपाओं की पहली बैठक चीन की अध्यक्षता में आयोजित हुई

ब्रिक्स देशों के शेरपाओं (BRICS Sherpas) की पहली बैठक वर्चुअल माध्‍यम से 18 और 19 जनवरी 2022 को आयोजित हुई थी. इस बैठक में भारत के ब्रिक्स शेरपा संजय भट्टाचार्य ने हिस्सा लिया था. ब्रिक्स पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है – ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका.

यह बैठक चीन की अध्यक्षता में हुई जिसमें 2022 के कार्यक्रमों तथा प्राथमिकताओं पर चर्चा हुई. सदस्य देशों ने 2021 में ब्रिक्स की अध्यक्षता के लिए भारत को धन्यवाद दिया है.

तीसरा भारत-मध्य एशिया संवाद दिल्ली में आयोजित किया गया

तीसरा भारत-मध्य एशिया संवाद 19-20 दिसम्बर को नई दिल्ली में आयोजित किया गया था. इस संवाद में कजाख्स्तान, किरगिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया था. विदेशमंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर ने इनकी अध्यक्षता की थी.

तीसरे वार्षिक संवाद में संबंधों को और मजबूत करने पर विचार-विमर्श हुआ. विशेष रूप से व्यापार, संपर्क तथा विकास सहयोग पर बल दिया गया और परस्पर हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मूल्यों पर चर्चा हुई.

भारत का मध्य एशियाई देशों से संबंध

दूसरे संवाद का आयोजन 2020 में भारत की मेजबानी में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया गया था. पिछले कुछ वर्षों से भारत और पांच मध्य एशियाई देशों के बीच संपर्क लगातार बढ़ रहा है. भारत मध्य एशियाई देशों को अपना पड़ोसी मानता है. विदेश मंत्री डॉक्टर जयशंकर ने इस वर्ष कजाख्स्तान, किरगिज गणराज्य, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान की यात्रा की थी. इस वर्ष अक्तूबर में तुर्कमेनिस्तान के विदेशमंत्री से भी उनकी मुलाकात हुई.

21वां भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक, भारत-रूस ‘टू-प्‍लस-टू’ संवाद

रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने 6 दिसम्‍बर को आधिकारिक यात्रा की थी. इस यात्रा के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के साथ 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक में भाग लिया था. बैठक दिल्ली के हैदराबाद हाउस में आयोजित किया गया था. बैठक में दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और रणनीतिक भागीदारी और मजबूत करने के उपायों पर विचार-विमर्श किया. उनकी यात्रा के दौरान, भारत और रूस ने 28 समझौतों पर हस्ताक्षर किए. उनमें से कुछ अर्ध-गोपनीय थे.

  • पिछली भारत-रूस शिखर बैठक सितम्‍बर 2019 में रूस में हुई थी. 2020 में कोविड महामारी के कारण बैठक नहीं हो सकी थी. नवम्बर 2019 में ब्राजिलिया में ब्रिक्‍स शिखर सम्‍मेलन के अवसर पर मुलाकात के बाद यह दोनों नेताओं की पहली बैठक थी.
  • इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बीते कुछ दशकों में दुनिया ने बहुत से भूराजनीतिक परिवर्तन देखे हैं, लेकिन भारत और रूस की दोस्ती जस की तस रही है. इस दौरान व्लादिमीर पुतिन ने भी भारत को भरोसेमंद दोस्त करार दिया. पुतिन ने कहा कि हम भारत को एक महान ताकत, मित्र देश और भरोसेमंद साथी के तौर पर देखते हैं.
  • रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि फिलहाल दोनों देशों के बीच करीब 38 अरब डॉलर का कारोबार है. इसके अलावा हम सैन्य और तकनीक के क्षेत्र में भी बड़ी साझेदारी रखते हैं. इस मीटिंग में पुतिन ने आतंकवाद के खिलाफ जंग में भी भारत का साथ देने की बात कही.

भारत-रूस ‘टू-प्‍लस-टू’ संवाद, AK-203 राइफलों का निर्माण समझौता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन की मुलाकात से पहले भारत और रूस के बीच पहला ‘टू-प्‍लस-टू’ संवाद आयोजित किया गया था. इस संवाद में भारत का प्रतिनिधित्‍व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री डॉक्‍टर एस. जयशंकर ने किया था. इसमें रूस की ओर से विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और रक्षा मंत्री सर्गेई सोइग्‍यू ने भाग लिया.

इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूसी रक्षा मंत्री से मुलाकात के दौरान 5,000 करोड़ रुपये के राइफल निर्माण परियोजना समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस परियोजना के तहत रूस के सहयोग से 5 लाख से ज्यादा AK-203 राइफलों का निर्माण के अमेठी में किया जाना है. इस दौरान दोनों देशों के बीच अगले 10 साल तक के लिए रक्षा करार भी हुआ.

भारत G20 ट्रोइका में शामिल हुआ, 2022 में इंडोनेशिया से जी20 का अध्यक्ष पद ग्रहण करेगा

भारत 1 दिसम्बर 2021 को G20 ट्रोइका में शामिल हुआ. वह 2022 में मौजूदा अध्यक्ष इंडोनेशिया से अध्यक्ष पद ग्रहण करेगा. इससे पहले इंडोनेशिया ने इटली से G20 के अध्यक्ष पद ग्रहण किया था. 2023 में पहली बार भारत जी20 देशों की शिखर बैठक की मेजबानी करेगा.

जी20 ट्रोइका में शामिल हुआ

ट्रोइका के तीन देशों में इंडोनेशिया और इटली के साथ भारत भी रहेगा. ये तीनों देश जी20 के मौजूदा, पूर्ववर्ती व भावी अध्यक्ष हैं. जी20 ट्रोइका का मतलब यह है कि हर साल जब एक सदस्य देश अध्यक्ष पद ग्रहण करता है तो वह देश पिछले साल के अध्यक्ष देश और अगले साल के अध्यक्ष देश के साथ समन्वय स्थापित करता है. इस प्रक्रिया को ही ट्रोइका कहा जाता है.

यह जी20 समूह के एजेंडे के साथ सामंजस्य व निरंतरता कायम रखने का काम करता है. भारत 1 दिसंबर 2021 से लेकर 30 नवंबर 2024 तक जी20 ट्रोइका का हिस्सा रहेगा.

इंडोनेशिया ने 1 दिसंबर 2021 को जी20 का अध्यक्ष पद ग्रहण किया था. वह सालभर तक विभिन्न जी20 बैठकें आयोजित करेगा. इसका समापन 30-31 अक्टूबर 2022 को जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के साथ होगा.

जी20 सदस्य देश

जी20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं.

जी20 विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों और यूरोपीय संघ को साथ लाता है. इसके सदस्य देशों को विश्व की कुल जीडीपी में 80 फीसदी योगदान है. जबकि विश्व व्यापार में इनका 75 फीसदी और विश्व की कुल आबादी में 60 फीसदी हिस्सेदारी है.

भारत, चीन और रूस यानी रिक देशों की 18वीं बैठक आयोजित की गयी

भारत, चीन और रूस यानी रिक देशों की 18वीं बैठक 26 नवम्बर को वीडियो कांफ्रेंस के माध्‍यम से आयोजित की गयी थी. बैठक में तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया था. भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने किया था. इससे पहले इन देशों की बैठक ओसाका में जून 2019 में हुई थी.

रिक देशों की 18वीं बैठक: मुख्य बिंदु

  • तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने विश्‍व व्‍यापार संगठन (WTO) की पारदर्शी, समावेशी और भेदभाव मुक्‍त बहुपक्षीय व्‍यापार प्रणाली को सहयोग देने का आश्‍वासन दिया.
  • बैठक के बाद संयुक्‍त वक्‍तव्‍य में नेताओं ने संगठन में आवश्‍यक सुधारों को समर्थन देने पर सहमति व्‍यक्‍त की. इन देशों ने अपीलीय संस्‍था के सदस्‍यों की तेजी से नियुक्ति पर भी जोर दिया.
  • विदेश मंत्रियों ने आतंकवाद के सभी प्रारूपों की कड़े शब्‍दों में निंदा की. उन्‍होंने अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय से संयुक्‍त राष्‍ट्र के नेतृत्‍व में आतंक के विरूद्ध वैश्विक सहयोग को मजबूत करने का आह्वान किया.
  • विदेश मंत्रियों ने रूस, भारत और चीन के बीच त्रिपक्षीय सहयोग बढ़ाने के बारे में विचार रखे. कोविड-19 से लड़ाई में विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन, सरकारों, गैर सरकारी संगठनों, व्‍यापारियों और उद्योगों के सामूहिक प्रयासों के मुद्दे पर भी बैठक में चर्चा की गई.

13वां एशिया-यूरोप शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया

13वां एशिया-यूरोप शिखर सम्मेलन (ASEM) 25-26 नवम्बर तक वर्चुअल माध्‍यम से आयोजित किया गया था. इस सम्मेलन का विषय – ‘साझा विकास के लिए बहुपक्षवाद को सुदृढ़ बनाना’ था. यह शिखर सम्मेलन एशिया यूरोप बैठक की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया था. शिखर सम्मेलन में कई राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों ने भाग लिया

सम्‍मेलन की मेजबानी बैठक के अध्यक्ष के रूप में कंबोडिया ने किया था. शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने किया था.

इस सम्मेलन में बहुपक्षवाद के सुदृढ़ीकरण, कोविड महामारी के बाद सामाजिक-आर्थिक सुधार तथा अन्य क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर मुख्य रूप से चर्चा की गयी.

एशिया-यूरोप बैठक (ASEM): एक दृष्टि

  • एशिया-यूरोप बैठक (Asia–Europe Meeting – ASEM) एक एशियाई-यूरोपीय राजनीतिक संवाद मंच है. यह अपने भागीदारों के बीच संबंधों और सहयोग के कई रूपों को बढ़ाने के लिए काम करता है. पहला एशिया-यूरोप बैठक 1 मार्च, 1996 को बैंकॉक में हुई थी.
  • इस सम्मेलन में एशिया-यूरोप समूह में 51 सदस्य देश और 2 क्षेत्रीय संगठन – यूरोपीय संघ और आसियान शामिल हैं.
  • ASEM शिखर सम्मेलन में अर्थशास्त्र, राजनीति, वित्त, शिक्षा, सामाजिक और संस्कृति के क्षेत्र में पारस्परिक हित के मुद्दों पर एशिया और यूरोप के बीच संवाद आयोजित किया जाता है.