G-7 समूह देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक लन्दन में आयोजित की गयी

दुनिया के सात सर्वाधिक विकसित देशों के समूह G-7 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक 5-6 मई को लन्दन में आयोजित की गयी. इस बैठक में मेज़बान ब्रिटेन के अलावा अमरीका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, कनाडा और जापान ने हिस्सा लिया. भारत को इस बैठक में अतिथि देश के रूप में आम‍ंत्रित किया गया था. विदेशमंत्री डॉ एस जयशंकर ने इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया.

इस बैठक में G-7 शिखर बैठक 2021 के लिए माहौल तैयार किया गया. यह बैठक जून 2021 में दक्षिण-पश्चिम इंग्लैंड के कॉर्नवाल में आयोजित क्या जायेगा. अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार किसी अन्तर्राष्ट्रीय बैठक में शामिल होंगे.

G-7 समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक: मुख्य बिंदु

  • बैठक में चीन, रूस और कोरोना महामारी को इस समय की सबसे बड़ी चुनौती माना गया. कोविड महामारी का एकमात्र स्थायी समाधान टीकाकरण बताया गया. वे सस्ती कोरोना वैक्सीन के लिए मिलकर काम करेंगे.
  • बैठक में जलवायु परिवर्तन और महामारी के बाद की स्थिति सहित दुनिया के सबसे अधिक ज्वलंत, भौगोलिक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई.
  • ईरान से उन विदेशी और दोहरी नागरिकता वाले लोगों को रिहा करने का आह्वान किया, जिन्हें ईरानी जेलों में मनमाने ढंग से रखा गया है.
  • जी -7 चीन की प्रतिरोधी आर्थिक नीतियों को रोकने और रूस की भ्रामक सूचनाओं का मुकाबला करने के लिए सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देगा. समूह ने म्‍यांमा की सैन्‍य सरकार पर नयी पाबंदियां लगाने की भी चेतावनी दी.

जलवायु पर विश्‍व नेताओं का शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया

जलवायु पर हाल ही में विश्‍व नेताओं का एक शिखर सम्मेलन (लीडर्स समिट) आयोजित किया गया था. सम्मेलन का आयोजन अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की पहल पर पृथ्वी दिवस के दिन 22 और 23 अप्रैल को वर्चुअल माध्‍यम से किया गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित विश्व के 40 देशों के प्रतिनिधियों ने इस सम्मलेन में हिस्सा लिया था. प्रधानमंत्री को इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आमंत्रित किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्मलेन के ‘अवर क्‍लेक्‍टिव स्प्रिंट 2030’ सत्र में अपने विचार रखे.

सम्‍मेलन के मुख्य बिंदु

  • सम्‍मेलन में जलवायु परिवर्तन के समाधान, जलवायु सुरक्षा के साथ-साथ स्वच्छ ऊर्जा के तकनीकी नवाचारों के लिए धन जुटाने पर विचार-विमर्श किया गया.
  • सम्मलेन के दौरान भारत ने अमेरिका ने साझेदारी के तहत 2030 तक 450 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा पर काम करने की बात कही.
  • इस शिखर सम्मेलन के दौरान, अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दशक के अंत (2030) तक अमेरिका में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को आधा करने का संकल्प लिया.
  • अमेरिकी राष्ट्रपति ने 2 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर के बुनियादी ढांचे के पैकेज का अनावरण किया. इस पैकेज में जलवायु अनुकूल नीतियों, इलेक्ट्रिक ग्रिड में निवेश, स्वच्छ ऊर्जा के लिए विकास निधि के कई तत्व शामिल थे.
  • इस शिखर सम्मेलन के दौरान, 101 नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने ‘जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि’ (Fossil Fuel Non-Proliferation Treaty) पर हस्ताक्षर करने के लिए आवाहन किया.
  • अमेरिका ने विकासशील देशों के लिए अपने सार्वजनिक जलवायु वित्तपोषण को दोगुना करने और इसे 2024 तक तीन गुना करने की घोषणा की.
  • ब्रिटेन ने 1990 के स्तरों की तुलना में 2035 तक 78% उत्सर्जन कम करने की बात कही. जर्मनी ने कहा कि वह 1990 के स्तर की तुलना में 2030 तक उत्सर्जन में 55% की कमी लाने की राह पर है.

क्वाड देशों के नेताओं का पहला शिखर सम्मेलन

क्वाड देशों – भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमरीका के नेताओं का पहला शिखर सम्मेलन 12 मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन, जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा और अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस शिखर सम्मेलन की पहली बैठक में हिस्सा लिया.

सम्‍मेलन में नेतागण साझा हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की और एक स्‍वतंत्र, खुले और समावेशी भारत-प्रशांत क्षेत्र को बनाये रखने की दिशा में सहयोग के व्‍यावहारिक क्षेत्रों पर विचारों पर आदान-प्रदान किया.

बैठक में इन देशों के शीर्ष नेतृत्‍व की ओर से भारत-प्रशान्‍त क्षेत्र में सुरक्षित सामान और सस्‍ता टीका उपलब्‍ध कराने में सहयोग के लिये और कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये की जा रही कोशिशों पर भी चर्चा हुई.

‘क्वाड’ क्या है?

  • ‘क्वाड’ (QUAD) का पूरा नाम Quadrilateral Security Dialogue (QSD) है. यह ‘भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान’ का चतुष्कोणीय गठबंधन है. यह चीन के साथ भू-रणनीतिक चिंताओं के मद्देनजर गठित की गयी है.
  • जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा भारत के परामर्श से 2007 में ‘क्वाड’ की शुरुआत की थी. 2008 में ऑस्ट्रेलिया द्वारा इस ग्रुप से बाहर आने के कारण यह संगठन शिथिल पड़ गया था, लेकिन बाद में वह पुन: इस वार्ता में शामिल हो गया.
  • 2017 में, इस अनौपचारिक समूह को पुनर्जीवित किया गया ताकि एशिया में चीन के आक्रामक उदय को संतुलित किया जा सके.
  • क्‍वाड संगठन का उद्देश्‍य इस क्षेत्र में वैध और महत्‍वपूर्ण हित रखने वाले सभी देशों की सुरक्षा और उनके आर्थिक सरोकारों का ध्‍यान रखना है.

केवडिया में संयुक्त कमांडर सम्मेलन आयोजित किया गया

गुजरात में केवडिया के स्‍टेच्‍यू ऑफ यूनिटी परिसर में 4 से 6 मार्च तक संयुक्त कमांडर सम्मेलन (Combined Commander’s Conference) आयोजित किया गया था. इस वार्षिक आयोजन में तीन सेनाओं की संयुक्‍त कमान रणनीति, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों पर विशेष रूप से चर्चा की गयी.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सम्‍मेलन के समापन सत्र की अध्‍यक्षता की. सम्‍मेलन के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, थलसेना के कमांडरों और रक्षा मंत्रालय के सचिव स्‍तर के अधिकारियों ने हिस्‍सा लिया था. पहली बार इसमें जवानों के साथ-साथ जूनियर कमीशंड ऑफीसर भी शामिल हुए.

कमांडरों का यह संयुक्‍त सम्‍मेलन सैन्‍य अधिकारियों के बीच विचार-विमर्श का एक महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम है जिसे तीन वर्ष बाद आयोजित किया गया था.

इस साल के सम्‍मेलन की कार्यसूची में कई नए विषय शामिल किये गये और इसे बहुस्‍तरीय, विचार-विमर्श आधारित, अनौपचारिक तथा तीस जवानों और जूनियर कमीशंड अधिकारियों को शामिल कर ज्ञानवर्धक बनाया गया.

मेरीटाइम इंडिया समिट-2021 आयोजित किया गया

मेरीटाइम इंडिया समिट-2021 आयोजन 2 से 4 मार्च तक किया गया था. वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस सम्मेलन का उदघाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. इस सम्मलेन का आयोजन बंदरगाह पोत और जलमार्ग मंत्रालय डिजीटल मंच ‘www.maritimeindiasummit.in’ पर किया गया था.

सम्‍मेलन में भारतीय नौवहन क्षेत्र के लिए अगले दशक की योजना पर चर्चा हुई और वैश्विक नौवहन क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनाने की दिशा में विचार-विमर्श किया गया. इस शिखर सम्मलेन का विषय ‘भारतीय समुद्री क्षेत्र में व्यापार के संभावित अवसरों की खोज करना और आत्मनिर्भर भारत बनाना’ था.

मैरीटाइम इंडिया सम्‍मेलन के अवसर पर चाबहार दिवस

मैरीटाइम इंडिया सम्‍मेलन के अवसर पर 4 मार्च को चाबहार दिवस मनाया गया था. वर्चुअल माध्‍यम से आयोजित इस सम्‍मेलन में अफगानिस्‍तान, आर्मेनिया, ईरान, कजाखस्‍तान, रूस और उज्‍बेकिस्‍तान के मंत्रियों ने भाग लिया. विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने भारत का प्रतिनिधित्व किया.

चाबहार बंदरगाह: एक दृष्टि

  • चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) दक्षिण-पूर्वी ईरान में स्थित ओमान की खाड़ी के तट एक बंदरगाह है. यह पाकिस्तान के गवादर बंदरगाह के पश्चिम की तरफ मात्र 72 किलोमीटर की दूरी पर हैं. इस बंदरगाह का विकास भारत के सहयोग से किया गया है.
  • इस बंदरगाह की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार है कि पाकिस्तान के रास्ते का उपयोग किये बिना भारत अफगानिस्तान, यूरोप तथा मध्य एशिया के साथ व्यापर कर सकता है. भारत ने मई 2016 में ईरान और अफगानिस्तान के साथ एक त्रिपक्षीय कनेक्टिविटी समझौते पर हस्ताक्षर था.
  • चाबहार बंदरगाह के पहले चरण (शाहिद बेहेश्ती) के क्रियान्वयन के लिए समझौते पर हस्ताक्षर फरवरी, 2018 किये गये थे. इस समझौते के तहत भारतीय कंपनी ‘इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड’ इसके संचालन का अंतरिम प्रभार दिया गया था.

क्‍वाड संगठन के विदेश मंत्रियों की तीसरी बैठक

चार देशों के समूह- क्‍वाड के विदेश मंत्रियों की बैठक 18 फरवरी को वर्चुअल माध्यम से आयोजित की गयी. यह इस समूह की तीसरी मंत्रिस्‍तरीय बैठक थी. पहली बैठक 2019 में और दूसरी बैठक अक्टूबर 2020 में आयोजित की गयी थी.

इस बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकेन, ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिज पायने और जापानी विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी ने हिस्सा लिया.

बैठक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्‍त और समावेशी बनाये रखने की दिशा में सहयोग सहित क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में वैश्विक जलवायु परिवर्तन और आपसी हित के अन्‍य मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया।

बैठक में कोविड महामारी के बाद अन्तर्राष्ट्रीय व्‍यवस्‍था और चुनौतियों से निपटने के समन्वित प्रयासों पर विचार-विमर्श किया गया. क्षेत्रीय मुद्दों तथा मुक्‍त और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के महत्‍व पर भी चर्चा हुई.

क्वाड क्या है?

क्वाड का पूरा नाम Quadrilateral Security Dialogue (QSD) है. इस संगठन में अमरीका, जापान, ऑस्‍ट्रेलिया और भारत इसमें शामिल हैं. क्‍वाड संगठन का उद्देश्‍य इस क्षेत्र में वैध और महत्‍वपूर्ण हित रखने वाले सभी देशों की सुरक्षा और उनके आर्थिक सरोकारों का ध्‍यान रखना है.

विश्‍व सतत विकास शिखर सम्‍मेलन 2021 का आयोजन

विश्‍व सतत विकास शिखर सम्‍मेलन (World Sustainable Development Summit) 2021 का आयोजन 10 से 12 फरवरी तक किया गया था. यह बीसवां शिखर सम्‍मेलन था. इस सम्‍मेलन का मुख्‍य विषय ‘सबके लिए सुरक्षित और संरक्षित पर्यावरण और हमारा साझा भविष्‍य’ था. इस सम्‍मेलन में विश्‍व में सतत विकास को लेकर चर्चा हुई. इसके अलावा, इस सम्‍मेलन के दौरान चर्चा किए जाने वाले प्रमुख विषयों में ऊर्जा एवं उद्योग परिवर्तन, अनुकूल तथा लचीलापन, प्राकृतिक आधारित समाधान, जलवायु वित्‍तीय अर्थव्‍यवस्‍था, स्‍वच्‍छ महासागर और वायु प्रदूषण शामिल थे.

सम्मलेन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्‍यम से किया था. दुनिया के अनेक देशों के प्रतिनिधियों के अलावा व्‍यापार प्रमुखों, विद्वानों, जलवायु वैज्ञानिकों, युवाओं और सिविल सोसाइटी के लोगों ने सम्‍मेलन में भाग लिया. सम्‍मेलन में गयाना के राष्‍ट्रपति डॉक्‍टर मोहम्‍मद इरफान अली, पापुआ न्‍यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्‍स मारापे, मॉलदीव की पीपुल्‍स मजलिस के अध्‍यक्ष मोहम्‍मद नशीद, संयुक्‍त राष्‍ट्र की उप-महासचिव अमिना मोहम्‍मद और केन्‍द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी भाग लिया था.

इस सम्मलेन का आयोजन नई दिल्‍ली स्थित द एनर्जी एण्‍ड रिसोर्सेज इंस्टिटयूट (TERI) द्वारा किया गया था. भारत का पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय तथा पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय इस शिखर सम्‍मेलन के प्रमुख भागीदार थे.

द एनर्जी एण्‍ड रिसोर्सेज इंस्टिटयूट (TERI) क्या है?

TERI उर्जा, जलवायु परिवर्तन तथा सतत विकास इत्यादि विषयों के सन्दर्भ में कार्य करता है. इसकी स्थापना दरबारी सेठ ने 1974 में की थी वर्तमान में TERI एक विश्वस्तरीय थिंक टैंक के रूप में उभर कर आया है.

13वें एयरो इंडिया 2021 का आयोजन बेंगलुरु में किया गया

13वें एयरो इंडिया (13th edition of AERO INDIA) 2021 का आयोजन 3 से 5 फरवरी तक बेंगलुरु में किया गया था. यह एयरो इंडिया हवाई शो का 13वां संस्करण था. इस हवाई शो में देश-विदेश की लगभग 600 कंपनियों ने हिस्सा लिया था.

एयरो इंडिया 2021 के दौरान नागरिक उड्यन मंत्रालय ने एक सेमीनार आयोजित किया था. इस सेमीनार का विषय ‘The dynamism of civil aviation – Making India a civil aviation hub’ था. सेमीनार में एयर लाइंस, एयरपोर्ट, ड्रोन्‍स, आर एंड डी और मैन्‍युफैक्‍चरिंग जैसे विषय शामिल थे.

एशिया के सबसे बड़े इस हवाई शो का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया था. एयरो इंडिया 2021 के उदघाटन समारोह में भारतीय रक्षा क्षेत्र में हुई उपलब्धि की झांकी प्रस्‍तुत की गयी. इसमें भारत में ही तैयार लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस, एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर ध्रुव, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर और यूटिलिटी हेलीकॉप्टर द्वारा फ्लाईपास्ट आयोजित हुआ था. फ्रांस से ख़रीदे गये विमान राफेल और अमेरिका का B1B बॉम्बर ने भी फ्लाइपास्‍ट में भाग लिया था.

एयरो इंडिया 2021 के समापन समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हिस्सा लिया था. इस अवसर पर एक बंधन समारोह भी हुआ जहां देश में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 200 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गये.

एयरो इंडिया: एक दृष्टि

एयरो इंडिया हवाई शो का आयोजन प्रत्येक दो वर्ष में किया जाता है. इस शो के दौरान हवाई रक्षा क्षेत्र की टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन किया जाता है. यह एशिया का सबसे बड़ा हवाई शो है. इस शो के दौरान डिफेंस से संबंधित डील्स की जाती है.

पूर्वोत्तर परिषद का 69वां पूर्ण अधिवेशन शिलांग में आयोजित किया गया

पूर्वोत्तर परिषद के 69वें पूर्ण अधिवेशन (69th Plenary Meeting of the North Eastern Council) का आयोजन 23-24 जनवरी को मेघालय के शिलांग में आयोजित किया गया. इस अधिवेशन में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय, पूर्वोत्तर परिषद, क्षेत्र की राज्य सरकारें के साथ-साथ विभिन्न विकासात्मक पहल और भविष्य की योजनाओं के कार्यों से जुड़े, चुने हुए केन्द्रीय मंत्रालयों के प्रेजेन्टेशन दिखाए गये.

अधिवेशन की अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह ने की. अधिवेशन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के बहुत से क्षेत्र अभी विकसित नहीं हो पाए हैं. इसके लिए कैबिनेट ने तय किया है कि परिषद को आवंटित राशि का 30 फीसद हिस्सा विकास कार्यो पर खर्च किया जाए.

पूर्वोत्तर परिषद: मुख्य बिंदु

  • पूर्वोत्तर (उत्तर-पूर्वी) परिषद, पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए नोडल एजेंसी है. इस परिषद में आठ राज्य- अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा शामिल हैं.
  • पूर्वोत्तर परिषद के अधिवेशन में विभिन्‍न विकास परियोजनाओं की समीक्षा की जाती है. केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस परिषद के अध्यक्ष और केन्‍द्रीय पूर्वोत्‍तर विकास मंत्री जितेन्‍द्र सिंह इसके उपाध्‍यक्ष हैं.

राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला द्वारा राष्ट्रीय माप पद्धति सम्‍मेलन का आयोजन

राष्ट्रीय माप पद्धति सम्‍मेलन (National Metrology Conclave) 2021 का हाल ही में आयोजन किया गया था. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 4 जनवरी को  इस सम्मलेन का वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन किया था. इस सम्मलेन का आयोजन वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (CSIR-NPL) द्वारा किया गया था.

यह आयोजन राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL) की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर किया गया था. सम्‍मेलन का विषय- ‘राष्‍ट्र के समावेशी विकास के लिए माप पद्धति’ (Metrology for the Inclusive Growth of the Nation) था.

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर राष्ट्रीय परमाणु समय मापक (नेशनल एटॉमिक टाइमस्‍केल) और भारतीय निर्देशक द्रव्य राष्ट्र को समर्पित किया और राष्ट्रीय पर्यावरण संबंधी मानक प्रयोगशाला की आधारशिला भी रखी थी.

नेशनल एटॉमिक टाइमस्‍केल, भारतीय मानक समय को 2.8 नैनोसेकंड की सटीकता के साथ दर्शाता है. भारतीय निर्देशक द्रव्‍य का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रयोगशालाओं को गुणवत्ता आश्वासन उपलब्‍ध कराना है. राष्ट्रीय पर्यावरण मानक प्रयोगशाला औद्योगिक उत्सर्जन निगरानी उपकरणों के प्रमाणीकरण में आत्मनिर्भरता हासिल करने में सहायता करेगी.

राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला: एक दृष्टि

राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (NPL) नई दिल्ली में स्थित है. यह प्रयोगशाला वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के अधीन है. यह भारत में SI मापन पद्धति का अनुरक्षण करती है.

छठा भारत अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव 2020 आयोजित किया गया

छठा भारत अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF) 2020 का आयोजन 22-25 दिसम्बर को वर्चुअल माध्यम से किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महोत्‍सव का उद्घाटन किया था. इस महोत्सव का आयोजन दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड डेवलपमेंट स्टडीज (NISTADS) ने किया था. IISF 20200 का लक्ष्य युवाओं में 21वीं शताब्दी के कौशल विकसित करना था.

इस वर्ष IISF-2020 की शुरुआत प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्म दिवस 22 दिसंबर को की गयी थी, जबकि इसका समापन 25 दिसंबर को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस के अवसर पर हुआ था.

भारत अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF)

समाज में वैज्ञानिक मानसिकता को बढ़ावा देने के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने विज्ञान भारती के साथ मिलकर वर्ष 2015 में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF) की परिकल्‍पना की थी. इस वर्ष IISF का छठा संस्करण था.

IISF का उद्देश्य आम लोगों को विज्ञान के साथ जोड़ना है. साथ ही इस सोच को विकसित करना है कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित लोगों के जीवन में सुधार लाने में किस तरह सहायक हो सकते हैं. इस महोत्सव का दीर्घकालिक उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान का अध्ययन करने के लिए प्रेरित करना है.

अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव 2020 में कुल 20 फिल्मों को पुरस्कार दिए गये

अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF) 2020 में देश एवं दुनिया की कुल 20 फिल्मों को पुरस्कार दिए गये. इनमें छह फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय और 14 फिल्मों को राष्ट्रीय श्रेणी में पुरस्कृत किया गया.

मुख्य पुरस्कार: एक दृष्टि

अंतराष्ट्रीय श्रेणी
‘आत्मनिर्भर भारत और/या विश्व कल्याण के लिए विज्ञान’ विषय पर केंद्रित फिल्म का सर्वोच्च पुरस्कार जर्मनी के अंग्रेजी भाषा की फिल्म ‘द इंस़ेक्ट रेस्क्यूअर्स’ को दिया गया.

‘विज्ञान तथा कोविड-19 पर जागरूकता और अन्य स्वास्थ्य आपात स्थितियां’ विषय पर केंद्रित समारोह का सर्वोच्च पुरस्कार ईरान के अश्कान हतामी द्वारा निर्देशित पारसी भाषा की फिल्म ‘नाइट नर्स’ को मिला है.

राष्ट्रीय श्रेणी
स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं द्वारा निर्मित फिल्मों में अंग्रेजी फिल्म ‘द ट्रायल्स ऐंड ट्रिअम्फ्स ऑफ जीएन रामचंद्रन’ को ‘आत्मनिर्भर भारत और/या वैश्विक कल्याण के लिए विज्ञान’ विषय पर समारोह का सर्वोच्च पुरस्कार मिला है. इस फिल्म का निर्माण विवेक कन्नादी और निर्देशन राहुल अय्यर ने किया है.

‘कोविड-19 जागरूकता तथा विज्ञान और अन्य स्वास्थ्य आपात स्थितियां’ विषय पर हिंदी फिल्म ‘राजा, रानी और वायरस’ को स्वतंत्र फिल्मकारों की श्रेणी में समारोह का सर्वोच्च पुरस्कार दिया गया. इस फिल्म का निर्माण बीकन टेलीविजन ने और निर्देशन सीमा मुरलीधरा ने किया है.

इन दोनों पुरस्कारों के रूप में प्रत्येक को एक लाख रुपये नकद, ट्रॉफी और प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाता है.

भारत को 46वें G-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने का निमंत्रण, जानिए क्या है G-7

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत को 2021 में होने वाले 46वें G-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने का निमंत्रण दिया है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस सिलसिले में एक पत्र लिखा है. भारत की यात्रा पर आये ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमनिक राब ने श्री मोदी से मुलाकात कर उन्हें यह पत्र सौंपा. प्रधानमंत्री ने निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है.

G-7 का विस्तार कर D-10 किये जाने का प्रस्ताव

इस वर्ष G-7 का विस्तार भी होने वाला है, जिसमें 10 लोकतांत्रिक देश शामिल होंगे और इसका नाम D-10 कर दिया जाएगा. D-10 दस लोकतांत्रिक देशों को दर्शाता है.

2021 में होने वाले 46वें G-7 शिखर सम्मेलन की मेजवानी ब्रिटेन कर रहा है. ब्रिटेन ने भारत, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया को G-7 राष्ट्रों के साथ शामिल करने का प्रस्ताव दिया है. इससे पहले अमेरिका ने भारत, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के साथ रूस को भी शामिल करने का प्रस्ताव दिया था.

G-7 क्या है?

G-7 दुनिया की सात सबसे विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है. इसके सदस्य देशों में अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान शामिल हैं. चीन दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवथा है, फिर भी वो इस समूह का हिस्सा नहीं है. इसकी वजह यहां प्रति व्यक्ति आय संपत्ति जी-7 समूह देशों के मुक़ाबले बहुत कम है.

शुरुआत में यह छह देशों का समूह था, जिसकी पहली बैठक 1975 में हुई थी. बाद में कनाडा इस समूह में शामिल हो गया और इस तरह यह G-7 बन गया. 1998 में G-7 में रूस भी शामिल हो गया था और यह जी-7 से जी-8 बन गया था. लेकिन साल 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया हड़प लेने के बाद रूस को समूह से निलंबित कर दिया गया.