नई दिल्ली में आर्टिफिशियल इंटेलीजैंस पर वैश्विक साझेदारी का शिखर सम्मेलन

आर्टिफिशियल इंटेलीजैंस पर वैश्विक साझेदारी (Global Partnership on Artificial Intelligence) शिखर सम्मेलन 2023 नई दिल्ली के भारत मण्डपम में 12 से 14 दिसम्बर तक आयोजित किया गया था. सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था.

GPAI सम्मेलन: मुख्य बिन्दु

  • आर्टिफिशियल इंटेलीजैंस के क्षेत्र में असाधारण काम करने वाले विश्व के दिग्गजों ने इस सम्मेलन में भाग लिया.
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उत्तरदायी (रिस्‍पांसिबल) और नैतिक (एथिकल) उपयोग के लिए प्रतिबद्ध है. प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विकास के लिए महत्‍वपूर्ण है.
  • GPAI शिखर सम्मेलन के दौरान, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वैश्विक स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा गवर्नेंस जैसे विषयों पर कई सत्र आयोजित किए गए.
  • सम्मेलन में शामिल सभी 29 सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से नई दिल्ली घोषणा को स्‍वीकार किया. इस घोषणापत्र में स्वास्थ्य सेवा और कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता अनुप्रयोगों को सहयोग के लिए विकसित करने के साथ-साथ विकासशील देशों की आवश्यकताओं के अनुरूप कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास को शामिल करने पर भी सहमति व्यक्त की गई है.

GPAI: एक दृष्टि

GPAI की शुरुआत जून 2020 में हुई थी. जिसमें 15 सदस्य देश शामिल थे. आज यह संख्‍या बढ़कर 29 हो गई है. जिसमें 28 सदस्‍य देश और यूरोपीय संघ शामिल है. भारत GPAI का संस्‍थापक देश है.

GPAI के सदस्य देश: अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्राज़ील, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, फ़्रांस, जर्मनी, भारत, आयरलैंड, इजराइल, इटली, जापान, मेक्सिको, नीदरलैंड, न्यूज़ीलैंड, पोलैंड, दक्षिण कोरिया, सेनेगल, सर्बिया, सिंगापुर, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, टर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, और यूरोपीय संघ

दिल्ली में निवेश संवर्धन एजेसियों का 27वां अंतर्राष्‍ट्रीय निवेश सम्‍मेलन

निवेश संवर्धन एजेसियों का 27वां अंतर्राष्‍ट्रीय निवेश सम्‍मेलन (World Investment Conference) 11 से 14 दिसम्बर तक नई दिल्‍ली में आयोजित किया गया था. सम्‍मेलन का आयोजन नई दिल्‍ली के इंडिया इंटरनेशनल कॉन्‍वेंशन एण्‍ड एक्‍सपो सेंटर ‘यशोभूमि’ में किया गया था. अंतर्राष्ट्रीय निवेश सम्मेलन भारत में पहली बार आयोजित किया गया था.

मुख्य बिन्दु

  • इस सम्मेलन का आयोजन सरकार की राष्ट्रीय निवेश संवर्धन और सुविधा एजेंसी तथा विश्व निवेश संवर्धन एजेंसी संघ ने संयुक्त रूप से किया था.
  • उद्योग संवर्धन तथा आंतरिक व्‍यापार विभाग के अंतर्गत यह सम्मेलन अब तक का सबसे बडा अंतर्राष्ट्रीय निवेश सम्मेलन था.
  • केंद्रीय वाणिज्‍य तथा उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने डेकेड ऑफ एक्‍शन में व्‍यापार तथा निवेश की भूमिका पर मुख्‍य भाषण दिए थे.

तिरुवनंतपुरम में 5वां वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव आयोजित किया गया

केरल के तिरुवनंतपुरम में 1 से 5 दिसम्बर तक 5वां वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव (5th Global Ayurveda Festival) 2023 का आयोजन किया गया था. इस महोत्सव का उद्घाटन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया था. इसका विषय था- ‘स्वास्थ्य में उभरती चुनौतियां और एक पुनरुत्थान आयुर्वेद’. यह आयुर्वेद पर अब तक का सबसे बड़ा सम्मेलन था.

मुख्य बिन्दु

  • इस कार्यक्रम में 70 से अधिक देशों के प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया. यह सम्‍मेलन वैश्विक स्वास्थ्य चिंताओं को दूर करने में आयुर्वेद की प्रासंगिकता की बढ़ती मान्यता को उजागर करता है.
  • स्वास्थ्य सेवा में इसके प्रभाव का पता लगाने के लिए इस वैकल्पिक चिकित्सा के अंतरराष्ट्रीय चिकित्सकों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और उद्योग के प्रतिनिधि ने सम्‍मेलन में भाग लिया.
  • इसमें राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन सहित अन्‍य प्रमुख व्‍यक्ति ने हिस्सा लिया.

42वां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला दिल्ली में संपन्न हुआ

42वां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2023 14 से 27 नवंबर तक नई दिल्‍ली के प्रगति मैदान में आयोजित किया गया था. इस मेले का उद्घाटन केन्‍द्रीय वाणिज्‍य और उद्योग राज्‍य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने किया था. इस व्यापार मेले में देश विदेश के तीन हजार से अधिक व्‍यवसायी भाग लिए और अपनी सामग्री प्रदशित किए.

मुख्य बिन्दु

  • इस व्‍यापार मेले का विषय ‘वसुधैव कुटुम्‍बकम’ था जो सतत विकास और समृद्धि के लिए व्‍यापार क्षेत्र में आपसी संपर्क और सहयोग पर जोर देता है.
  • भारत के अलावा अफगानिस्तान, बांग्लादेश, ओमान, मिस्र, नेपाल, थाईलैंड जैसे देशों के लगभग 3500 शिल्पकार अपने उत्पादों का मेले में प्रदर्शन किए.
  • इस मेले में बिहार और केरल भागीदार राज्य थे. दिल्ली, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश फोकस राज्य के रूप में शामिल किया गया था.

वैश्विक मत्स्य पालन सम्मेलन, घोल को गुजरात की राज्य मछली घोषित किया गया

अहमदाबाद की साइंस सिटी में 21-22 नवंबर को वैश्विक मत्स्य पालन सम्मेलन भारत (Global Fisheries Conference India) 2023 आयोजित किया गया था. इसका उद्घाटन केंद्रीय मत्स्य पालन मंत्री परषोत्तम रूपाला ने किया था. सम्मेलन में पांच हजार से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था.

मुख्य बिन्दु

  • इस बैठक के हिस्से के रूप में मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने वाली एक विशेष प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था.
  • केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला फ्रांस, नॉर्वे, ऑस्ट्रेलिया, रूस समेत खाद्य विदेशी मिशनों और खाद्य और कृषि संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ विभिन्न अंतरराष्ट्रीय गोलमेज सम्मेलनों में भी भाग लिया.

घोल मछली को गुजरात की राज्य मछली घोषित किया

  • वैश्विक मत्स्य पालन सम्मेलन भारत 2023 के दौरान मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने घोल मछली को गुजरात की राज्य मछली घोषित किया. यह भारत में पाई जाने वाली सबसे बड़ी मछलियों में से एक है.
  • यह मछली गुजरात और महाराष्ट्र के समुद्री इलाकों में पाई जाती है. यह मछली सुनहरे-भूरे रंग में पाई जाती है. इसका इस्तेमाल बियर और वाइन बनाने के लिए किया जाता है.

भारत की अध्यक्षता में वर्चुअल माध्यम से जी-20 शिखर सम्मेलन

भारत की अध्यक्षता में वर्चुअल माध्यम से जी-20 शिखर सम्मेलन 22 नवंबर को हुई थी. बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने की थी. अफ्रीकी संघ, नौ अतिथि देशों और 11 अंतरराष्ट्रीय संगठनों सहित सभी 21 सदस्यों ने इसमें भाग लिया.

मुख्य बिन्दु

  • नई दिल्ली में 10 सितंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि भारत उसकी जी 20 अध्यक्षता के समापन से पहले जी 20 नेताओं के वर्चुअल शिखर सम्मेलन का आयोजन करेगा. जी-20 की अध्‍यक्षता 30 नवम्‍बर तक भारत के पास है और 2024 में उसे ब्राजील ग्रहण करेगा.
  • सम्मेलन में कई नेताओं ने इजराइल-हमास संघर्ष पर बातचीत की और समय पर मानवीय सहायता प्रदान करने, हिंसा को फैलने नहीं देने तथा फलस्तीन मुद्दे का दीर्घकालिक समाधान खोजने का आह्वान किया.
  • प्रधानमंत्री मोदी ने कृत्रिम बुद्धिमता के इस युग में प्रोद्यौगिकी के जिम्‍मेदार उपयोग पर जोर दिया उन्‍होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता यानि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर वैश्‍विक नियम बनाने के लिए सभी देशों के साथ मिलकर काम करना होगा.
  • इस वचुर्अल शिखर सम्‍मेलन में नई दिल्‍ली में हुए सम्‍मेलन के निष्‍कर्षो और कार्य बिन्‍दुओं पर चर्चा हुई.

अल्प विकसित और विकासशील देशों ‘ग्लोबल साउथ’ का शिखऱ सम्मेलन

अल्प विकसित और विकासशील देशों का शिखऱ सम्मेलन ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ (Voice of Global South Summit) 17 नवंबर 2023 को आयोजित किया गया था. यह सम्मेलन भारत की मेजवानी में वर्चुअल प्रारूप से आयोजित किया गया था. सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.

मुख्य बिन्दु

  • इस सम्मेलन में 10 सेशन हुए. इसमें व्यापार, एनर्जी और क्लाइमेट फाइनेंस जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. समिट की शुरुआत और अंतिम सेशन की अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी ने किया.
  • यह दूसरा ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट’ था. भारत ने जनवरी 2023 में प्रथम ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ का आयोजन वर्चुअल प्रारूप में किया था. इस अनूठी पहल में ग्‍लोबल साउथ के 125 देश शामिल हुए थे.
  • भारत, जी-20 समिट के अलावा ब्रिक्स में भी ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज उठाता रहा है. भारत की कूटनीति में यह सम्मेलन काफी अहम माना जा रहा है. पीएम मोदी अपनी इस कूटनीति के जरिये चीन को काउंटर करने की भूमिका तैयार कर रहे हैं.
  • शीत युद्ध की समाप्ति तक चीन ग्लोबल साउथ के सदस्य देश था. इसके बाद चीन ने आर्थिक रूप से खूब तरक्की की. ऐसे में चीन ग्लोबल साउथ का सदस्य नहीं है. हालांकि, वह खुद को ग्लोबल साउथ के नेता के तौर पर स्थापित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाता रहा है.

ग्लोबल साउथ क्या है?

  • ‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है. ये देश मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं. इनमें से कई देश 1960 और 1970 के दशक तक पश्चिमी यूरोपीय औपनिवेशिक का हिस्सा रह चुके हैं.
  • ग्लोबल साउथ दुनिया की 85 फीसदी से अधिक आबादी और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 40 फीसदी का प्रतिनिधित्व करता है.
  • ‘ग्लोबल नॉर्थ’ अधिक समृद्ध राष्ट्र हैं जो ज़्यादातर उत्तरी अमेरिका और यूरोप में स्थित हैं, इनमें कुछ अन्य देश भी शामिल हैं. सामान्यतः इसके अन्तर्गत यूएसए, कनाडा, यूरोप, एशिया के विकसित देश सहित आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड आते हैं.

सैन फ्रांसिस्को में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग सीईओ शिखर सम्मेलन

अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में 16 नवंबर को एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) के सीईओ का शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था. सम्मेलन में एपेक देशों के नेताओं और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) ने हिस्सा लिया था.

मुख्य बिन्दु

  • सम्मेलन को संबोधित करते हुए अमरीका के राष्ट्रपति जो. बाइडन ने महत्वपूर्ण सेमीकंडक्टर उद्योग को मजबूत करने के लिए भारत, जापान, कोरिया गणराज्य और सिंगापुर के साथ मिलकर काम करने के महत्व पर जोर दिया.
  • राष्ट्रपति बाइडन ने भारत सहित प्रमुख देशों से सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की अमरीका की प्रतिबद्धता की पुष्टि की.
  • अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग ने एक वार्ता बैठक के बाद विदेशी पूंजी को लुभाने के लिए एशिया-प्रशांत शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) से निवेश की अपील की.

दिल्‍ली में भारतीय मोबाइल कांग्रेस की सातवीं बैठक आयोजित की गई

भारतीय मोबाइल कांग्रेस की सातवीं बैठक (7th India Mobile Congress) दिल्ली के भारत मंडपम में 27 से 29 अक्तूबर तक आयोजित की गई थी. बैठक का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने किया था.

मुख्य बिन्दु

  • बैठक का शुभारंभ करते हुए श्री मोदी ने कहा कि सरकार प्रत्येक नागरिक तक 5-जी कनेक्टिीविटी पहुंचाने का प्रयास कर रही है. उन्‍होंने कहा कि इसके लिए चार लाख 5-जी केन्द्र बनाए गए हैं.
  • ये केन्द्र 97 प्रतिशत शहरों को और 80 प्रतिशत से अधिक आबादी को कवर करते हैं. उन्‍होंने कहा कि मोबाइल ब्रॉडबैंड स्‍पीड में भारत 118वें स्थान से 43वें स्थान पर पहुंच गया है.
  • यह कार्यक्रम 5-जी अनुप्रयोग को प्रोत्साहन देकर 5-जी प्रौद्योगिकी से जुडे अवसरों का लाभ उठाने का प्रयास है. इससे देश के साथ-साथ वैश्‍विक आवश्‍यकतों की पूर्ति होगी. साथ ही शिक्षा, कृषि, स्‍वास्‍थ्‍य, विद्युत और परिवहन जैसे विभिन्न सामाजिक आर्थिक क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा.
  • यह कार्यक्रम देश में 6-जी प्रौद्योगिकी और स्‍टार्ट-अप के अनुकूल माहौल बनाने में भी महत्वपूर्ण साबित होगी.

नई दिल्ली में सेना कमांडरों का सम्मेलन आयोजित किया गया

नई दिल्ली में 16 से 20 अकतूबर तक सेना कमांडरों का सम्मेलन आयोजित किया गया था. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 18 अक्टूबर को सम्मेलन में शामिल हुए थे.

मुख्य बिन्दु

  • इस शीर्ष स्तर के द्विवार्षिक सम्मेलन में भारतीय सेना से संबंधित नीतिगत निर्णयों के बारे में विचार-विमर्श किया जाता है.
  • सेना कमांडरों का यह सम्‍मेलन यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी और भविष्‍य के लिए तैयार रहे.
  • सम्मेलन में भारतीय सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पाण्डेय और वायु सेना प्रमुख वीआर चौधरी भी शामिल हुए थे.
  • इस सम्मेलन में सेना का शीर्ष नेतृत्व भारतीय सेना की रणनीतियों से संबंधित तैयारियों की समीक्षा किया गया. इसके अलावा वर्तमान और भविष्‍य की सुरक्षा गतिविधियों के बारे में भी विचार-विमर्श हुआ.
  • सम्‍मेलन में मौजूदा तैयारियों, प्रशिक्षण मामलों, मानव संसाधन प्रबंध जैसे विभिन्‍न पहलुओं पर विचार हुआ.

संयुक्त राष्ट्र महासभा का 78वां अधिवेशन, भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री ने किया

संयुक्त राष्ट्र महासभा का 78वां अधिवेशन (78th Session of the UN General Assembly) 18 से 26 सितम्बर तक न्यूयॉर्क में आयोजित किया गया था. इस अधिवेशन का विषय (थीम) था- विश्वास का पुनर्निर्माण और वैश्विक एकजुटता को फिर से जागृत करना: सभी के लिए शांति, समृद्धि, प्रगति और स्थिरता की दिशा में 2030 एजेंडा और इसके सतत विकास लक्ष्यों पर कार्रवाई में तेजी लाना.

78वां अधिवेशन: मुख्य बिन्दु

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें अधिवेशन में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने किया था. वे इस अधिवेशन में भाग लेने के प्रयोजन से 22 से 30 सितंबर तक अमरीका यात्रा पर थे.
  • अमेरिका की इस यात्रा के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने न्यूयॉर्क में क्‍वाड देशों के विदेश मंत्रियों के साथ चर्चा की. बैठक के दौरान उन्होंने हिन्‍द प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की रक्षा करने और क्वाड प्रतिबद्धताओं को पूरा करने पर चर्चा की.
  • इस यात्रा के दौरान विदेश मंत्री विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय बैठकों में भाग लिया. उन्होंने जापान के विदेश मंत्री योको कामिकावा के साथ बैठक में विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी पर दृष्टिकोण का आदान-प्रदान किया.
  • उन्होंने मैक्सिको, बोस्निया और हर्जेगोविना और आर्मेनिया के अपने समकक्षों के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें कीं.
  • विदेश मंत्री जयशंकर ने अर्मेनियाई समकक्ष अरारत मिर्ज़ोयान से भी मुलाकात की और कॉकस में मौजूदा स्थिति के उनके साझा आकलन की सराहना की.

संबोधन के मुख्य बिन्दु

  • डॉक्टर जयशंकर ने 26 सितम्बर को 78वें अधिवेशन में भारत का पक्ष रखा था. अधिवेशन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि, अब वे दिन नहीं रहे हैं, जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और बाकी देशों से उनके अनुरूप चलने की उम्मीद की जाती थी.
  • डॉ. जयशंकर ने बल देकर कहा कि आम सहमति बनाना अनिवार्यता है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाना चाहिए और इसके लिए प्रभावशीलता और विश्वसनीयता दोनों ही आवश्‍यक है.
  • उन्होंने कहा कि आतंकवाद, उग्रवाद और हिंसा पर राजनीतिक सुविधा के अनुसार प्रतिक्रियाएं निर्धारित नहीं की जानी चाहिए.
  • विदेश मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और घरेलू मामलों में हस्तक्षेप का इस्तेमाल अपनी सुविधा अनुसार नहीं किया जा सकता है.

उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की 31वीं बैठक अमृतसर में आयोजित की गई

उत्तरी क्षेत्रीय परिषद (Northern Zonal Council) की 31वीं बैठक 26 सितम्बर को अमृतसर में हुई थी. इस बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की थी.

पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, दिल्ली, जम्मू कश्मीर और लद्दाख के उपराज्यपाल, चंडीगढ़ के प्रशासक, सदस्य राज्यों के वरिष्ठ मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी बैठक में शामिल हुए थे.

गृह मंत्री ने कहा कि सरकार नशीले पदार्थों और आतंकवाद पर नकेल कसने में सफल रही है. जल्द ही हमारे देश की सीमाओं पर एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात किया जाएगा.

श्री अमित शाह ने उत्तरी क्षेत्रीय परिषद के सभी सदस्यों से जल बंटवारे से संबंधित अपने विवादों को आपसी बातचीत से सुलझाने का आग्रह किया.

क्षेत्रीय परिषदें: एक दृष्टि

  • क्षेत्रीय परिषदें (Zonal Councils), केन्द्र एवं राज्यों के बीच आपसी मतभेदों को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष विचार-विमर्शों तथा परामर्शों के माध्यम से सुलझाने के लिए एक मंच प्रदान करती है.
  • वर्तमान में, भारत में छः क्षेत्रीय परिषद (उत्तरी, मध्य, पूर्वी, पश्चिमी, दक्षिणी और उत्तर-पूर्वी) हैं. पांच क्षेत्रीय परिषद (उत्तरी, मध्य, पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी) का गठन 1957 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के अंतर्गत हुआ था. उत्तर-पूर्वी परिषद का गठन 1971 के उत्तर-पूर्वी परिषद अधिनियम द्वारा हुआ था.
  • उत्तरी क्षेत्रीय परिषद: इसमें हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान राज्य, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और संघ राज्य क्षेत्र चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख शामिल हैं.
  • मध्य क्षेत्रीय परिषद: इसमें छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्य शामिल हैं.
  • पूर्वी क्षेत्रीय परिषद: इसमें बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं.
  • पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद: इसमें गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र राज्य और संघ राज्य क्षेत्र दमन-दीव तथा दादरा एवं नगर हवेली शामिल है.
  • दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद: इसमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, राज्य और संघ राज्य क्षेत्र पुद्दुचेरी शामिल हैं.
  • उत्तर-पूर्वी परिषद: असम, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और सिक्किम शामिल हैं.

अध्यक्ष और अन्य सदस्य

  • केन्द्रीय गृह मंत्री इन सभी परिषदों के अध्यक्ष होते हैं. प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद में शामिल किये गए राज्यों के मुख्यमंत्री, रोटेशन से एक वर्ष की अवधि के लिये उस क्षेत्रीय परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं.
  • मुख्यमंत्री और प्रत्येक राज्य से राज्यपाल द्वारा यथा नामित दो अन्य मंत्री और परिषद में शामिल किये गए संघ राज्य क्षेत्रों से दो सदस्य.

उद्देश्य

राष्ट्रीय एकीकरण को साकार करना. तीव्र राज्य संचेतना, क्षेत्रवाद तथा विशेष प्रकार की प्रवृत्तियों के विकास को रोकना.