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भारत ने 16 देशों में सैन्य प्रतिनिधि ‘सैन्य अताशे’ की नियुक्ति की

भारत सरकार ने 16 देशों में सैन्य प्रतिनिधियों ‘सैन्य अताशे’ (military attache) की नियुक्ति की है. ये वो देश है जहां भारत हथियारों निर्यात करता है या जहां निर्यात किए जाने की संभावनाएं हैं. इन देशों में पोलैंड आर्मेनिया जिबूती पोलैंड तंजानिया मोजाम्बिक इथियोपिया और फिलीपींस आदि शामिल हैं.

मुख्य बिन्दु

  • सैन्य अताशे एक उच्च-रैंकिंग सैन्य अधिकारी होते हैं जो दूतावासों में राजदूत के मातहत काम करते हैं. यह दोनों देशों के द्विपक्षीय सैन्य और रक्षा संबंधों पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
  • सैन्य अताशे इन देशों के साथ न सिर्फ भारत का सैन्य तालमेल बढ़ाने में मदद करेंगे बल्कि चीन के बढ़ते प्रभाव से भी निपटने में मदद करेंगे.
  • भारत ने अप्रैल 2024 में अफ्रीका के कई देशों, पोलैंड, आर्मेनिया और फिलीपींस सहित करीब 16 देशों में पहली बार अपने डिफेंस अताशे (सैन्य प्रतिनिधि) की नियुक्ति की है. जबकि कुछ ही दिनों पहले भारत ने रूस, यूके समेत कुछ देशों से डिफेंस अताशे की संख्या में कमी की थी.
  • पिछले वित्त वर्ष (2022-23) में 21,083 करोड़ रुपए का रिकॉर्ड रक्षा निर्यात होने से भारत सरकार इस सेक्टर को लेकर उत्साहित है.
  • 2023-24 में देश से रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये (2.63 अरब डॉलर) तक पहुंच गया. छह साल पहले इसका आकार 5 हजार करोड़ रुपए से भी कम था. प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2025 तक 5 अरब डॉलर के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है.
  • भारत सरकार की योजना इन देशों के साथ अपने रणनीतिक संबंध मजबूत करने और हथियारों के निर्यात को बढ़ावा देने की है. इन देशों में डिफेंस अताशे की मौजूदगी से हमें अपना डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
  • स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, म्यांमार भारतीय हथियारों का सबसे बड़ा आयातक है, जिसका भारत के निर्यात में 31 फीसदी हिस्सा है. श्रीलंका (19%) दूसरे स्थान पर है. मॉरीशस, नेपाल, आर्मेनिया, वियतनाम और मालदीव अन्य प्रमुख आयातक हैं.
  • जहाज भारत से सबसे अधिक निर्यात होने वाली रक्षा सामग्री है, जिसकी देश के कुल रक्षा निर्यात में करीब 61% हिस्सेदारी है. इसके बाद विमान, सेंसर, बख्तरबंद, तटीय निगरानी प्रणाली, कवच एमओडी लॉन्चर और एफसीएस, रडार के लिए स्पेयर, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और लाइट इंजीनियरिंग मैकेनिकल पार्ट्स आदि आते हैं.

अंगोला उत्पादन लक्ष्यों पर मतभेद के मुद्दे पर ओपेक से बाहर हुआ

अंगोला ने उत्पादन लक्ष्यों पर मतभेद के मुद्दे पर तेल उत्पादक देशों के संगठन ‘ओपेक’ छोड़ दिया है. अंगोला अफ्रीका का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया और राष्‍ट्रपति जोआंओ लौरेन्‍सो ने इसे स्‍वीकृति दे दी.

अंगोला 2007 में ओपेक में शामिल हुआ था, लेकिन तेल उत्‍पादन घटने के प्रयासों पर हाल की बैठकों में सऊदी अरब से उसका विवाद बढ़ गया था.

ओपेक (OPEC): एक दृष्टि

  • ओपेक या OPEC, Organization of the Petroleum Exporting Countries का संक्षिप्त रूप है. यह पेट्रोलियम उत्पादक देशों का संगठन है. इस संगठन का मुख्यालय ऑस्ट्रिया के विएना में है.
  • OPEC की स्थापना सितम्बर 1960 में हुई थी तथा 1961 से इस संगठन ने अपना काम करना शुरू कर दिया था. इसका वर्तमान अध्यक्ष सऊदी अरब है.
  • इसके सदस्य हैं: अल्जीरिया, अंगोला, ईक्वाडोर, इरान, ईराक, कुवैत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, नाइजीरिया, लीबिया तथा वेनेजुएला, गबोन, इक्वेटोरियल गिनी.
  • OPEC देश विश्व के कुल 43% तेल का उत्पादन करते हैं, विश्व के तेल भंडार का 73% हिस्सा OPEC देशों में स्थित है.
  • OPEC का उद्देश्य पेट्रोलियम नीति पर सदस्य देशों के साथ समन्वय करना तथा पेट्रोलियम की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करना है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तंजानिया की आधिकारिक यात्रा संपन्न की

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर 3 से 6 जुलाई तक तंजानिया की आधिकारिक यात्रा पर ज़ंज़ीबार में थे. इस यात्रा के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति डॉ हुसैन अली म्विनी और ने शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात किए थे.

मुख्य बिन्दु

  • यात्रा के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने भारतीय नौसेना के जहाज ‘त्रिशूल’ के स्वागत समारोह में भी शामिल हुए.
  • भारत-अफ्रीका संबंधों को और मजबूत करने के लिए, भारतीय नौसेना का जहाज त्रिशूल ने तंजानिया सहित कई देशों की यात्रा पर गए थे.
  • विदेश मंत्री ने किदुथानी परियोजना का दौरा किया. यह परियोजना तंजानिया के जांजीबार के तीस हजार घरों में पेयजल पहुंचाएगी.
  • भारत जांजीबार में छह परियोजनाओं का निर्माण कर रही है, जो दस लाख लोगों को पेयजल की सुविधा प्रदान करेगी.
  • डॉ. जयशंकर ने दारा-अस-सलाम में भारत-तंजानिया व्यापार सम्मेलन में हिस्सा लिया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान में तंजानिया का सबसे भरोसेमंद व्यापारिक भागीदार है.

विदेश मंत्री की युगांडा और मोजांबिक की यात्रा

विदेश मंत्री डॉक्‍टर एस. जयशंकर डॉ. जयशंकर 10 से 15 अप्रैल तक युगांडा और मोजांबिक की यात्रा पर थे.

  1. इस यात्रा के दौरान उन्होंने मोजांबिक के विदेश मंत्री के साथ संयुक्त आयोग की पांचवीं बैठक की सह अध्यक्षता की थी.
  2. उन्होंने युगांडा में भारतीय व्यापार समुदाय के साथ विचार-विमर्श किया. उन्होंने भारत और युगांडा के द्विपक्षीय संबंधों में योगदान के लिए व्यापारी समुदाय की सराहना की तथा दोनों देशों के विकास के लिए व्यापारिक संबंध और मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित किया.

आठवें डकार अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सम्मेलन सेनेगल में आयोजित किया गया

आठवां डकार अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सम्मेलन 2022 हाल ही में सेनेगल की राजधानी डकार में आयोजित किया गया था. सेनेगल के राष्ट्रपति मैकी साल ने इस बैठक का उद्घाटन किया था.

मुख्य बिन्दु

  • विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया था. भारत ने पहली बार डकार मंच में मंत्री स्तर पर भाग लिया.
  • श्री मुरलीधरन ने वैश्विक संकट और अफ्रीका में संप्रभुता विषय पर मंच को संबोधित किया. उन्होंने विकास का ऐसा आदर्श प्रस्तुत करने का आहवान किया जो अफ्रीका के नेतृत्व में  जनता की प्रगति और विकास के लिये अफ्रीका केंद्रित हो.
  • डकार इंटरनेशनल फोरम अफ्रीका में नीति निर्माताओं के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम है.

राष्ट्रपति ने जमैका तथा एसवीजी की यात्रा संपन्न की

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद 14 से 21 मई तक जमैका तथा सेंट विंसेंट औऱ ग्रेनेडीन्‍स (एसवीजी) की यात्रा पर थे. यह किसी भारतीय राष्ट्राध्यक्ष की इन दो कैरेबियाई देशों की पहली यात्रा थी.

राष्‍ट्रपति कोविंद की दोनों देशों की यह यात्रा खास है क्योंकि यह दोनों देश कैरेबियन क्षेत्र में काफी अहम स्‍थान रखते हैं. इन देशों राज्‍य प्रमुख स्‍तर की यह पहली यात्रा भारत और कैरिबियन क्षेत्र के बढते परस्‍पर संबंधों की प्रतीक हैं.

जमैका

  • राष्ट्रपति 14 से 18 मई तक जमैका में थे. इस दौरान उन्होंने जमैका के गवर्नर जनरल सर पैट्रिक एलन के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की.
  • जमैका और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध हैं. राष्ट्रपति की यह यात्रा भारत और जमैका के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई.
  • राष्‍ट्रपति राम नाथ‍ कोविन्‍द ने 17 मई को जमैका की संसद के दोनों सदनों की संयुक्‍त बैठक को संबोधित किया. उन्होंने जमैका के प्रधानमंत्री एन्‍ड्रयू होलनैस से मुलाकात भी की.

सेंट विंसेंट औऱ ग्रेनाडीन्स (एसवीजी)

  • श्री कोविंद 18 मई से 21 मई तक सेंट विंसेंट औऱ ग्रेनाडीन्स (एसवीजी) की यात्रा पर थे. इस दौरान श्री कोविंद सेंट विंसेंट औऱ ग्रेनाडहन्स की गवर्नर जनरल सूसन डौगन और प्रधानमंत्री डॉ. रॉल्फ गोंजाल्विस सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों से भी भेंट की.
  • सांस्कृतिक और एतिहासिक रूप से भी भारत सेंट विंसेंट और ग्रेनेडीन्स से जुड़ा हुआ है. भारतीय मूल के लोग 19वीं शताब्दी में गिरमिटिया मजदूर के रूप में इस द्वीप पर लाए गए थे. उन व्यक्तियों के वंशज अब स्थानीय समुदाय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
  • यात्रा के दूसरे दिन कल वहां की गवर्नर जनरल डेम सुज़न डॉगन से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन और संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग मजबूत करने पर चर्चा की.
  • दोनों पक्षों ने कर संग्रह से संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान और सहयोग तथा प्राचीन कालडेर समुदाय के उन्नयन की परियोजना के लिए सहमति पत्र पर भी हस्ताक्षर किए.

फ्रांस के राष्‍ट्रपति ने रवांडा नरसंहार के लिए माफी मांगी, जानिए क्या है रवांडा नरसंहार

फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने 1994 में रवांडा नरसंहार में फ्रांस की भूमिका के लिए रवांडा से माफी मांगी है. इस नरसंहार में करीब आठ लाख जातीय तुतसी और उदारवादी हुतू समुदाय के लोग मारे गए थे. रवांडा की राजधानी किगाली में नरसंहार मेमोरियल पर आयोजित एक कार्यक्रम में मैक्रों ने रवांडा से माफी मांगी. उन्होंने कहा है कि फ्रांस ने नरसंहार की चेतावनी पर ध्‍यान नहीं दिया और सच्‍चाई की जांच को लेकर लंबे समय तक मौन बना रहा.

माफी मांगने का दबाव

रवांडा नरसंहार को लेकर फ्रांसीसी जांच पैनल की हाल की एक रिपोर्ट ने तत्कालीन फ्रांसीसी सेना की भूमिका पर सवाल उठाए थे. जिसके बाद से फ्रांस के ऊपर इस नरसंहार को लेकर माफी मांगने का दबाव बढ़ने लगा था.

रवांडा नरसंहार क्या है?

रवांडा में अप्रैल 1994 से जून 1994 के बीच के करीब 100 दिनों के अंदर करीब 8 लाख लोगों को मार डाला गया था. इस नरसंहार का निशाना बना था रवांडा के अल्पसंख्यक तुतसी और उदारवादी हुतू समुदाय के लोग.

नरसंहार की पृष्ठभूमि

  • रवांडा की कुल आबादी में हूतू समुदाय का हिस्सा 85 प्रतिशत है लेकिन देश पर लंबे समय से तुत्सी अल्पसंख्यकों का दबदबा रहा था.
  • कम संख्या में होने के बावजूद तुत्सी राजवंश ने लंबे समय तक रवांडा पर शासन किया था. साल 1959 में हूतू विद्रोहियों ने तुत्सी राजतंत्र को खत्म कर देश में तख्तापलट किया. जिसके बाद हूतू समुदाय के अत्याचारों से बचने के लिए तुत्सी लोग भागकर युगांडा चले गए.
  • अपने देश पर फिर से कब्जा करने को लेकर तुत्सी लोगों ने रवांडा पैट्रिएक फ्रंट (RPF) नाम के एक विद्रोही संगठन की स्थापना की जिसने 1990 में रवांडा में वापसी कर कत्लेआम शुरू कर दिया.
  • 6 अप्रैल 1994 को तत्कालीन राष्ट्रपति जुवेनल हाबयारिमाना और बुरुंडी के राष्ट्रपति केपरियल नतारयामिरा को ले जा रहा विमान किगाली में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सवार सभी लोगों की मौत हो गई. दोनों ही समुदायों ने इस हादसे के लिए एक दूसरे पर आरोप लगते हुए हिंसा शुरू कर दिया.

रवांडा नरसंहार में फ्रांस की भूमिका

दरअसल, रवांडा लंबे समय तक फ्रांस का उपनिवेश रहा है. उस समय भी हुतू सरकार को फ्रांस का समर्थन प्राप्त था. राष्ट्रपति की मौत के बाद हुतू सरकार के आदेश पर सेना ने अपने समुदाय के साथ मिलकर तुत्सी समुदाय के लोगों को मारना शुरू किया.

युगांडा ने ख़त्म कराया नरसंहार

1994 में इस नरसंहार को देखते हुए पड़ोसी देश युगांडा ने अपनी सेना को रवांडा में भेजा. जिसके बाद उसके सैनिकों ने राजधानी किगाली पर कब्जा कर इस नरसंहार को खत्म किया.

मलावी राष्ट्रपति चुनाव में लाजर मैकार्थी चकवेरा ने जीत हासिल की

मलावी में हाल ही में संपन्न हुए राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दल मलावी कांग्रेस पार्टी (MCP) के नेता लाजर मैकार्थी चकवेरा (Lazarus Chakwera) ने जीत हासिल की है. यहाँ न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद दोबारा चुनाव कराए गए थे. मौजूदा राष्ट्रपति पीटर मुथारिका (Peter Mutharika) ने दोबारा चुनाव कराने के अदालत के निर्णय को मलावी के इतिहास में सबसे खराब करार दिया था.

दक्षिण अफ्रीकी देश मलावी में मई 2019 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में व्यापक अनियमितताओं के आरोपों के कारण यहाँ महीनों से में प्रदर्शन जारी था. यहाँ की संवैधानिक न्यायालय के दोबारा चुनाव करने का निर्देश दिया था. जिसमे लाजर मैकार्थी चकवेरा ने चकवेरा ने 58 प्रतिशत मत (26 लाख वोट) के साथ चुनाव में जीत हासिल की. मौजूदा राष्ट्रपति मुथारिका को 17 लाख वोट मिले.

अफ्रीकी संघ का 33वां शिखर सम्मेलन अदीस अबाबा में आयोजित किया गया

अफ्रीकी संघ का 33वां शिखर सम्मेलन 9 से 10 फरवरी को इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा मिस्र के राष्ट्रपति का स्थान लेकर अफ्रीकी संघ के नए अध्यक्ष बने. उनका कार्यकाल एक साल तक होगा.

रामाफोसा ने अफ्रीका के विकास और समृद्धि बढ़ाने में सलंग्न रहने और सदस्य देशों के बीच सहयोग को प्राथमिकता देने की बात कही. उन्होंने कहा कि अफ्रीकी देशों को मुक्त व्यापार क्षेत्र से पैदा अवसरों के प्रयोग से औद्योगीकरण का प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे एकता और समृद्धि साकार हो सके. सम्मेलन के दौरान कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य को वर्ष 2021 में 34वें शिखर सम्मलेन की अध्यक्षता दी गयी.

अफ्रीकी संघ: एक दृष्टि

अफ्रीकी संघ (AU) एक महाद्वीपीय संघ है, जिसमें अफ्रीका महाद्वीप के 55 देश शामिल हैं. AU की स्थापना 2001 में अदीस अबाबा, इथियोपिया में हुई थी. इसका मुख्यलय अदीस अबाबा में स्थित है.

टिड्डियों की वजह से सोमालिया ने देश में आपातकाल की घोषणा की

पूर्वी अफ्रीका में टिड्डियों के प्रकोप की वजह से सोमालिया ने देश में आपातकाल की घोषणा की है. दरअसल, वनस्पितयों को खाने वाले कीटों की वजह से सोमालिया के लिए खाद्य सुरक्षा एक बड़ा मसला बन गया है और ऐसी आशंकाएं हैं कि इस स्थिति पर अप्रैल से पहले काबू नहीं पाया जा सकेगा.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि सोमालिया और इथियोपिया में बीते 25 सालों में टिड्डियों का आतंक काफ़ी बढ़ा है. हालांकि सोमालिया इस क्षेत्र का ऐसा पहला देश है जिसने ऐसी स्थिति के लिए आपातकाल की घोषणा की है.

अफ्रीका में महात्मा गांधी के सम्मान में पहला अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र का उद्घाटन किया गया

विदेश मंत्री एस जयशंकर और नाईजर के राष्ट्रपति महमदौ इसोफौ ने 21 जनवरी को अफ्रीका में महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र का उद्घाटन किया. यह सम्मेलन केंद्र भारत-नाईजर मैत्री और अफ्रीका के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है.

महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र महात्मा गांधी की स्मृति में भारत द्वारा स्थापित किया गया है. आधुनिक और पर्यावरण अनुकूल सुविधायुक्त यह सम्मेलन केंद्र अफ्रीका में महात्मा गांधी के सम्मान में स्थापित पहला केंद्र है. 2 अक्टूबर 2019 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई गई थी.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर नाईजर और ट्यूनीशिया की तीन दिन की यात्रा के पहले चरण में नाईजर की राजधानी नियामी पहुंचे थे.

घाना में उज्ज्वला योजना की तर्ज पर LPG कनेक्शन देने के लिए इंडियल ऑयल के साथ सहमति

घाना ने भारत के ‘उज्ज्वला’ योजना से प्रभावित होकर अपने यहां जरूरतमंद लोगों तक रसोई गैस पहुंचाने के लिए वह ऐसी ही योजना लागू करने की घोषणा की है. इसके लिए उसने भारतीय कंपनी इंडियन ऑयल के साथ समझौता भी किया है.

घाना के राष्ट्रीय पेट्रोलियम प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अलहसन सुलेमाना ताम्पुली और इंडियल ऑयल के मुख्य महाप्रबंधक एलकेएस चौहान के बीच इस संबंध में एक सहमति ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इस दौरान पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और घाना के भारत में उच्चायुक्त माइकल एरॉन मौजूद रहे.

घाना में मात्र 23 प्रतिशत आबादी के पास LPG कनेक्शन है. लोगों को पेट्रोल पंपों पर लाइनों में लगकर सिलेंडर भरवाने पड़ते हैं. इसलिए वह भारत की उज्ज्वला योजना की तर्ज पर अपने यहां भी एक योजना लागू करना चाहता है ताकि कम से कम 50 प्रतिशत आबादी को LPG उपलब्ध करा सके.

उज्ज्वला योजना: एक दृष्टि

भारत में गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले आठ करोड़ जरूरतमंद लोगों तक मुफ्त गैस कनेक्शन पहुंचाने के लिए मई 2016 में उज्ज्वला योजना शुरू की गयी थी. योजना के आठ करोड़ के लक्ष्य मार्च 2020 तक पूरा करना था हालांकि, इसे समय से पहले ही पूरा कर लिया गया. इस योजना के तहत केंद्र सरकार गैस कनेक्शन में लगने वाले 1600 रुपये का भुगतान करती है.