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लघु सिंचाई योजनाओं की छठी गणना की रिपोर्ट जारी

जल शक्ति मंत्रालय ने लघु सिंचाई योजनाओं की छठी गणना की रिपोर्ट 26 अगस्त को जारी की थी. रिपोर्ट के अनुसार देश में 2 करोड 31 लाख 40 हजार लघु सिंचाई योजनाएं हैं. इनमें से 2 करोड 19 लाख 30 हजार भूजल और 12 लाख 10 हजार सतही जल योजनाएं हैं.

मुख्य बिन्दु

  • सबसे अधिक लघु सिंचाई योजनाएं उत्तर प्रदेश में हैं. इसके बाद महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु का स्थान है.
  • भूजल योजनाओं में महाराष्ट्र सबसे आगे है. उसके बाद कर्नाटक, तेलंगाना, ओडिसा और झारखंड का स्थान हैं.
  • सतही जल योजनाओं में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, ओडिशा और झारखंड की हिस्सेदारी सबसे अधिक है.
  • भूजल योजनाओं में खोदे गए कुएं, कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल शामिल हैं. सतही जल योजनाओं में सतही प्रवाह और सर्फस लिफ्ट योजनाएं शामिल हैं.
  • पांचवी गणना की तुलना में छठी लघु सिंचाई गणना के दौरान लघु सिंचाई योजनाओं में लगभग 1.42 मिलियन की वृद्धि हुई है. राष्ट्रीय स्तर पर, भूजल और सतही जल स्तर की योजनाओं में क्रमशः 6.9% और 1.2% की वृद्धि हुई है.
  • लघु सिंचाई योजनाओं में खोदे गए कुंओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, इसके बाद कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल हैं.
  • महाराष्ट्र कुएं खोदने, सतही प्रवाह और सर्फस लिफ्ट योजनाओं में अग्रणी राज्य है. उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और पंजाब क्रमशः कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल में अग्रणी राज्य हैं.

देहरादून में श्रीअन्न महोत्सव आयोजित किया गया

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 13 से 16 जून तक श्रीअन्न महोत्सव का आयोजन किया गया था. इसका उद्देश्य मोटे अनाजों के स्वास्थ्य लाभ से लोगों को अवगत कराना और राज्य में मोटे अनाजों के उत्पादन की क्षमता पर विमर्श करना था. महोत्वस में मोटे अनाज के 100 से अधिक स्टॉल लगाए गये थे.

मुख्य बिदु

  • इस महोत्सव में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ अन्य राज्यों के कृषि मंत्रियों, वैज्ञानिकों और किसानों ने हिस्सा लिया था.
  • महोत्सव का आयोजन मोटे अनाजों के उत्पादन के प्रति लोगों को आकर्षित करने के प्रयोजन से किया गया था.
  • उत्तराखंड में वर्ष 2025 तक मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाकर दोगुना करने का लक्ष्य है. उत्तराखंड के कृषि मंत्री राज्य सरकार ने मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए चालू वित्त वर्ष में 73 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने गेहूं की एक नई किस्म ‘एचडी-3385’ विकसित की

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने गेहूं की एक नई किस्म ‘एचडी-3385’ विकसित की है. इस पर मौसम में परिवर्तन और बढ़ती गर्मी का असर कम होता है.

एचडी-3385 किस्म अगैती बुवाई के लिए अनुकूल है. इसकी फसल को मार्च खत्म होने से पहले काटा जा सकता है.

विपणन वर्ष 2022-23 के लिए खरीफ फसलों के MSP में बढ़ोतरी की गयी

मंत्रिमंडल की आर्थिक कार्य समिति ने वर्ष 2022-23 के लिए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी का निर्णय लिया है. यह निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 8 जून को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया.

नया MSP प्रति क्विंटल रुपये में

फसल 2021-22 में MSP  2022-23 में MSP MSP वृद्धि
धान (सामान्य)19402040100
धान (A ग्रेड)19602060100
ज्वार (हाईब्रिड)27382970232
ज्वार (मालदंडी)27582990232
बाजरा22502350100
मक्का1870196292
तुअर63006600300
मूंग72757755480
मूंगफली55505850300
सूरजमुखी60156400385
सोयाबीन39504300350
तिल73077830523
कपास (मिडिल स्टेपल)57266080354
कपास (लॉन्ग स्टेपल)60256379354

मुख्य खरीफ फसलें

धान (चावल), मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन, उडद, तुअर, कुल्थी, जूट, सन, कपास आदि. खरीफ की फसलें जून जुलाई में बोई जाती हैं और सितंबर-अक्टूबर में काट लिया जाता है.

MSP (Minimum Support Price) क्या है?

MSP (Minimum Support Price) यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. इसे सरकारी भाव भी कहा जा सकता है.

सरकार हर साल फसलों की MSP तय करती है ताकि किसानों की उपज का वाजिब भाव मिल सके. इसके तहत सरकार फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया, नैफेड जैसी सरकारी एजेसिंयों की मदद से किसानों की फसलों को खरीदती है.

गांधीनगर में विश्‍व के पहले नैनो तरल यूरिया संयंत्र का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 28 मई को गुजरात में नैनो तरल यूरिया संयंत्र का उद्घाटन किया. यह विश्‍व का पहला नैनो तरल यूरिया संयंत्र है जो गांधीनगर के कलोल में लगाया गया है. यह संयंत्र इफको (IFFCO) द्वारा शुरू किया गया है.

175 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया इस अति आधुनिक नैनो फर्टिलाइजर प्लांट से किसानों को फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद मिलेगी. इस प्लांट से प्रतिदिन 500 मिली लीटर नैनो तरल यूरिया की करीब डेढ़ लाख बोतलों का उत्पादन किया जाएगा.

नैनो तरल यूरिया: एक दृष्टि

  • इफको (Indian Farmers Fertiliser Cooperative) ने व्यावसायिक रूप से दुनिया का पहला नैनो यूरिया विकसित किया और इसक पैटेंट भी इफको के ही पास है.
  • नैनो तरल यूरिया की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक एक बैग परंगरागत यूरिया के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व देता है. IFFCO नैनो यूरिया एकमात्र नैनो फर्टिलाइजर है जिसे भारत सरकार ने मान्यता दी है.
  • किसान यूरिया का इस्तेमाल फसलों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए करते हैं. इफको के मुताबिक नैनो तरल यूरिया के इस्तेमाल से सामान्य यूरिया की खपत 50 फीसदी तक कम हो सकती है.
  • नैनो तरल यूरिया, परंगरागत यूरिया से अधिक कारगर है. परंगरागत यूरिया सफेद दानों के रुप में उपलब्ध थी. इसका इस्तेमाल करने पर आधे से भी कम हिस्सा पौधों को मिलता था जबकि बाकी जमीन और हवा में चला जाता था.
  • भारत नैनो लिक्विड यूरिया को लॉन्च करने वाला पहला देश है. मई 2021 में इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने इसे लॉन्च किया था. इससे पहले नैनो तरल यूरिया को 94 से ज्यादा फसलों को देश भर में 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण (एफएफटी) पर परिक्षण किया गया था. इसके बाद आम किसानों को दिया गया.
  • इस संयंत्र से अब एक बोरी यूरिया की क्षमता को एक बोतल में समेट पाना संभव होगा. इससे ढुलाई की लागत कम होगी.

वर्ष 2024 तक कृषि क्षेत्र में डीजल के स्थान पर अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल का लक्ष्य

सरकार ने वर्ष 2024 तक देश में कृषि क्षेत्र को डीजल मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कृषि क्षेत्र में डीजल के स्थान पर अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) के शत-प्रतिशत इस्‍तेमाल प्रतिवाधता दोहराई है. इससे भारत के कृषि क्षेत्र को डीजल से मुक्ति मिलेगी.

मुख्य बिंदु

  • यह लक्ष्य 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी बढ़ाने और 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जक बनने की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप निर्धारित किया गया है.
  • पीएम-कुसुम (PM-KUSUM) योजना के माध्यम से, केंद्र सरकार कृषि को सौर ऊर्जा से चलाने के लिए एक योजना चला रही है इससे सौर ऊर्जा से चलने वाली सिंचाई प्रणाली स्थापित करने में मदद मिलेगी.

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को 5 साल बढ़ाने की मंजूरी

सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) को वर्ष 2021-22 से पांच वर्ष बढ़ाकर वर्ष 2025-26 तक करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. यह मंजूरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 15 दिसम्बर को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में दी गयी थी. इस योजना पर कुल लागत 93,068 करोड़ रुपए आने का अनुमान है. इससे करीब 22 लाख किसानों को फायदा होगा, जिसमें 2.5 लाख अनुसूचित जाति और 2 लाख अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसान हैं.

PMKSY योजना 2015 में शुरू की गई थी. खेती में किसानों को पानी की कमी को दूर करने के लिए इस योजना को शुरू किया गया था. इस योजना का उद्देश्य देश में सिंचाई प्रणाली में निवेश को आकर्षित करना, देश में खेती योग्य भूमि का विकास और विस्तार करना, पानी की बर्बादी को कम करना, पानी की बचत करने वाली तकनीकों को लाना है.

मुख्य बिंदु

  • PMKSY के दो मुख्य घटक हैं- त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP) और हर खेत को पानी (HKKP).
  • इस योजना में त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP) के तहत शामिल नई परियोजनाओं सहित 60 चल रहीं परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान दिया जाएगा.
  • AIBP, केंद्र सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है. इसका उद्देश्य सिंचाई परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है. इसके अंतर्गत 2021-26 के दौरान कुल अतिरिक्त सिंचाई क्षमता को 13.88 लाख हेक्टेयर तक करना है.
  • हर खेत को पानी (HKKP) कार्यक्रम का उद्देश्य है कि सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य भूमि का विस्तार हो. इसके तहत सतही जल स्रोतों के माध्यम से अतिरिक्त 4.5 लाख हेक्टेयर रकबे को सिंचाई के दायरे में लाया जायेगा.

प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानून निरस्त करने, MSP पर समिति बनाने की घोषणा की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद द्वारा सितम्बर 2020 में पारित लाये तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की. इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा. इन तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे थे. प्रधानमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से जुड़े मुद्दों पर एक समिति बनाने की भी घोषणा की.

प्रधानमंत्री ने 19 नवम्बर को गुरु नानक जयंती के अवसर पर इस आशय की घोषणा की. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार तीन नये कृषि कानून के फायदों को किसानों के एक वर्ग को हर संभव प्रयासों के बावजूद समझाने में असफल रही. उन्होंने कहा कि इन तीनों कृषि कानूनों का लक्ष्य किसानों विशेषकर छोटे किसानों का सशक्तीकरण था.

MSP को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए समिति का गठन

प्रधानमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति के गठन किये जाने की भी घोषणा की. इस समिति में केंद्र, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, किसान, कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री होंगे.

क्या है तीन कृषि कानून

संसद ने किसानों के सशक्तीकरण के लिए सितम्बर 2020 में तीन कृषि विधेयक पारित कर अधिनियम का रूप दिया था. ये अधिनियम – कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020; किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 हैं.

इन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कृषि उपज और खेती के क्षेत्र में स्‍टॉक सीमा और लाइसेंस राज को समाप्त करना था. इसमें किसानों को अनुबंध खेती का विकल्प दिया गया था. किसानों को मौजूदा विकल्प के अतिरिक्त अन्य कई विकल्प दिए गये थे जिससे उनके उपज का बेहतर दाम मिल सके.

कानून वापसी की प्रक्रिया

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 245 के अनुसार संसद भारत के संपूर्ण राज्य क्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए और किसी राज्य का विधानमंडल उस राज्य या उसके किसी भाग के लिए कानून बना सकता है.

संसद को कानून बनाने के साथ-साथ कानून वापस लेने का भी अधिकार है. कानून खत्म करने की प्रक्रिया भी कानून बनाने के समान ही है. सरकार एक विधेयक में ही तीनों कानूनों की वापसी का जिक्र करके काम खत्म कर सकती है. इस विधेयक के पारित होने के बाद नया कानून अस्तित्व में आ जाएगा जिसके तहत तीनों कृषि कानून खत्म माने जाएंगे.

विपणन वर्ष 2022-23 के लिए रबी फसलों के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में वृद्धि

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने विपणन सत्र 2022-23 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि को मंजूरी दी है. गेहूं का MSP 40 रुपये बढ़ाकर 2015 रुपये प्रति क्विंटल और जौं का 35 रुपये बढ़ाकर 1635 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

विपणन वर्ष 2022-23 के लिए रबी फसलों का MSP

फसलप्रति क्विंटल MSPवृद्धि
गेहूं201540
जौ163535
सरसों5050400
चना5230130
कुसुभ5441114
मसूर5500400

MSP (Minimum Support Price) क्या है?

MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. इसे सरकारी भाव भी कहा जा सकता है. MSP की घोषणा सरकार द्वारा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की संस्तुति पर वर्ष में दो बार रबी और खरीफ के मौसम में की जाती है.

सरकार फसलों की MSP तय करती है ताकि किसानों की उपज का वाजिब भाव मिल सके. इसके तहत सरकार फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया, नैफेड जैसी सरकारी एजेसिंयों की मदद से किसानों की फसलों को खरीदती है.

विपणन वर्ष 2021-22 के लिए खरीफ फसलों के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में बढ़ोतरी की गयी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी का निर्णय किया है. यह निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 10 जून को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में हुई.

विपणन सीजन 2021-22 के लिए खरीफ फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी केन्द्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य, औसत उत्पादन लागत के कम से कम डेढ़ गुणा तय किया गया था ताकि किसानों को उनकी उपज का समुचित लाभ मिल सके.

मुख्य बिंदु

  • धान के MSP में 72 रुपये की वृद्धि की गयी है. यह अब 1,940 रुपये प्रति क्विंटल है.
  • अरहर दाल के MSP में 300 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गयी है. अरहर दाल का MSP अब 6300 रुपये प्रति क्विंटल है. उड़द दाल का MSP भी बढ़ कर अब 6300 रुपये प्रति क्विटल, मूंग दाल का MSP बढ़ा कर 7275 रुपये प्रति क्विंट किया गया है.
  • तिलहन में तिल के MSP में सबसे ज्यादा 452 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. अब तिल का MSP 7,307 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. मूंगफली का MSP 275 रुपये बढ़ा है और 5550 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है.

MSP (Minimum Support Price) क्या है?

MSP (Minimum Support Price) यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. इसे सरकारी भाव भी कहा जा सकता है.

सरकार हर साल फसलों की MSP तय करती है ताकि किसानों की उपज का वाजिब भाव मिल सके. इसके तहत सरकार फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया, नैफेड जैसी सरकारी एजेसिंयों की मदद से किसानों की फसलों को खरीदती है.

भारत में विश्व का पहला नैनो यूरिया विकसित किया गया

भारत में विश्व का पहला नैनो यूरिया विकसित किया गया है. इसका विकास इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) ने किया है. यह यूरिया इफको के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने अनुसंधान के बाद स्वदेशी और प्रोपाइटरी तकनीक के माध्यम से कलोल स्थित नैनो जैव-प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र में तैयार किया है. यह नवीन उत्पाद ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘आत्मनिर्भर कृषि’ की दिशा में एक सार्थक कदम है.

इफको नैनो यूरिया (Nano Urea): मुख्य बिंदु

  • यह यूरिया तरल (Liquid) के रूप में है. इसके 500 ml की एक बोतल में 40,000 PPM नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करेगा.
  • इफको नैनो यूरिया का उत्पादन जून 2021 तक आरंभ होगा. इसके एक बोतल (500 ml) की कीमत 240 रुपये निर्धारित की है जो सामान्य यूरिया के एक बैग के मूल्य से 10 प्रतिशत कम है.
  • नैनो यूरिया को सामान्य यूरिया के प्रयोग में कम से कम 50 प्रतिशत कमी लाने के प्रयोजन से तैयार किया गया है.
    नैनो यूरिया तरल का आकार छोटा होने के कारण इसे पॉकेट में भी रखा जा सकता है जिससे परिवहन और भंडारण लागत में भी काफी कमी आएगी.

इफको नैनो यूरिया की विशेषता

  • इफको नैनो यूरिया तरल को पौधों के पोषण के लिए प्रभावी व असरदार पाया गया है. इसके प्रयोग से फसलों की पैदावार बढ़ती है तथा पोषक तत्वों की गुणवत्ता में सुधार होता है.
  • नैनो यूरिया भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारने तथा जलवायु परिवर्तन व टिकाऊ उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा.
  • किसानों द्वारा नैनो यूरिया तरल के प्रयोग से पौधों को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होंगे और मिट्टी में यूरिया के अधिक प्रयोग में कमी आएगी. यूरिया के अधिक प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषित होता है, मृदा स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है, पौधों में बीमारी और कीट का खतरा अधिक बढ़ जाता है, फसल देर से पकती है और उत्पादन कम होता है. साथ ही फसल की गुणवत्ता में भी कमी आती है.

इफको (IFFCO): एक दृष्टि

इफको (Indian Farmers Fertiliser Cooperative) विश्व का सबसे बड़ा उर्वरक सहकारिता संस्था है. इफको का पंजीकरण 3 नवम्बर 1967 को का एक बहुएकक सहकारी समिति के रूप में किया गया था. बहुराज्य सहकारी सोसाइटीज अधिनियम, 1984 व 2002 के अधिनियमन के साथ यह एक बहुराज्य सहकारी समिति के रूप में पंजीकृत है. यह समिति प्रमुख रूप से उर्वरकों के उत्पादन और विपणन का कार्य करती है.

सरकार ने नारियल गरी के MSP में बढ़ोतरी को मंजूरी दी

सरकार ने पेराई वाले नारियल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में 375 रुपये प्रति क्विंटल और नारियल गोला गरी के MSP में 300 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 27 जनवरी को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने वर्ष 2021 सत्र के लिए नारियल गरी के MSP को अपनी मंजूरी दी.

उचित औसत गुणवत्ता (FAQ) के पेराई वाले नारियल (मिलिंग कोपरा) के MSP को 2020 सत्र के 9,960 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 10,335 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि नारियल गरी गोला के लिए MSP को पिछले साल के 10,300 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 10,600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

बढ़ोतरी के बाद पेराई लायक नारियल का MSP, उत्पादन लागत की तुलना में 52 प्रतिशत अधिक है, जबकि बाल कोपरा का समर्थन मूल्य 55 प्रतिशत अधिक है.

नारियल गरी के उत्पादन में विश्व में पहले स्थान पर
भारत नारियल गरी के उत्पादन और उत्पादकता में विश्व में पहले स्थान पर है. यह मुख्य रूप से 12 तटीय राज्यों में उगाया जाता है.

MSP (Minimum Support Price) क्या है?

MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. इसे सरकारी भाव भी कहा जा सकता है. MSP की घोषणा सरकार द्वारा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की संस्तुति पर करती है.