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संपूर्ण लक्षद्वीप को एक जैविक कृषि क्षेत्र घोषित किया गया

सरकार ने संपूर्ण लक्षद्वीप को एक जैविक (ऑर्गेनिक) कृषि क्षेत्र घोषित किया है. यह घोषणा केंद्र सरकार की भागीदारी गारंटी प्रणाली (PGS) के तहत की गयी है.

भागीदारी गारंटी प्रणाली (PGS) क्या है?

भागीदारी गारंटी प्रणाली (Participatory Guarantee Systems) जैविक उत्पादों को प्रमाणित करने की एक प्रक्रिया है. यह सुनिश्चित करती है कि उनका उत्पादन निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुसार है. इसका कार्यान्वयन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जाता है. PGS प्रमाणीकरण केवल उन किसानों या समुदायों के लिये है, जो एक गाँव अथवा आस-पास के अन्य क्षेत्रों के भीतर समूह के रूप में संगठित होकर कार्य कर सकते हैं.

जैविक कृषि क्या है?

जैविक या ऑर्गेनिक कृषि में सभी प्रकार की कृषि गतिविधियाँ पूर्णतः सिंथेटिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग के बिना की जाती हैं. इसमें भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाए रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कंपोस्ट आदि का प्रयोग किया जाता है.

ऑर्गेनिक क्षेत्र बनने वाला देश का पहला केंद्रशासित प्रदेश

लक्षद्वीप 100 प्रतिशत जैविक कृषि क्षेत्र बनने वाला देश का पहला केंद्रशासित प्रदेश है. इससे पहले वर्ष 2016 में सिक्किम भारत का पहला 100 प्रतिशत जैविक राज्य बना था.

उल्लेखनीय है कि अक्तूबर 2017 में लक्षद्वीप प्रशासन ने सभी द्वीपों को रासायनिक मुक्त क्षेत्र बनाने के उद्देश्य से कृषि प्रयोजनों के लिये किसी भी प्रकार के सिंथेटिक रसायनों की बिक्री और उपयोग पर औपचारिक प्रतिबंध लगा दिया था.

लक्षद्वीप: एक दृष्टि

लक्षद्वीप, भारत का सबसे छोटा केंद्रशासित प्रदेश है. इसका क्षेत्रफल लगभग 32 वर्ग किलोमीटर है. यह एक द्वीप समूह है जिसमें कुल 36 द्वीप शामिल हैं. लक्षद्वीप की राजधानी कवारत्ती यहाँ का सबसे प्रमुख शहर है.

विपणन वर्ष 2021-22 के लिए रबी फसलों के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में वृद्धि

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 2021-22 विपणन वर्ष के लिए रबी फसलों का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) बढ़ाने का‍ निर्णय लिया है. गेंहू का MSP 50 रुपए प्रति क्विंटल बढाकर 1975 रुपए कर दिया गया है. इसी तरह चने के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में 225 रुपए, जौ के समर्थन मूल्‍य में 75 रुपए और सरसों के समर्थन मूल्य में 225 रुपए की बढ़ोतरी की गई है.

MSP (Minimum Support Price) क्या है?

MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. इसे सरकारी भाव भी कहा जा सकता है. MSP की घोषणा सरकार द्वारा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की संस्तुति पर वर्ष में दो बार रबी और खरीफ के मौसम में की जाती है.

सरकार फसलों की MSP तय करती है ताकि किसानों की उपज का वाजिब भाव मिल सके. इसके तहत सरकार फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया, नैफेड जैसी सरकारी एजेसिंयों की मदद से किसानों की फसलों को खरीदती है.

विपणन वर्ष 2021-22 के लिए रबी फसलों का MSP

फसलप्रति क्विंटल MSPवृद्धि
गेहूं197550
जौ160075
सरसों4650225
चना5100255
कुसुभ5327112
मसूर5100300

कृषि क्षेत्र से संबंधित दो मुख्य विधयेकों को संसद के दोनों सदनों में मंजूरी दी गयी

राज्यसभा ने 20 सितम्बर को कृषि क्षेत्र से संबंधित दो मुख्य विधयेकों को मंजूरी दी. इन दोनों विधयेकों को लोकसभा पहले ही पारित कर चुकी है। ये विदेयक- ‘कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020’ और ‘किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020’ हैं. कृषि मंत्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने दोनों विधेयक को लोकसभा में प्रस्तुत किया था. ये विधेयक 5 जून 2020 को जारी किए गए समान अध्‍यादेशों का स्‍थान लेंगे.

कृ‍षक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 किसानों को अपनी उपज के इलेक्‍ट्रॉनिक व्‍यापार की सुविधा भी प्रदान करेगा. इससे वे कृषि जिन्‍सों की प्रत्‍यक्ष ऑनलाइन खरीद-फरोख्‍त के लिए लेन-देन प्‍लेटफॉर्म स्‍थापित कर सकेंगे.

किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 के अनुसार पैदावार या फसल उगाने से पहले खेती संबंधी करार (अनुबंध) किए जा सकेंगे. ऐसे समझौते में कृषि उपज की खरीद के लिए निश्चित मूल्‍य का उल्‍लेख किया जा सकेगा.

कृषि विधयेक: मुख्य बिंदु

  • इन विधयेकों के प्रावधानों के अनुसार कृषि उपज और खेती के क्षेत्र में स्‍टॉक सीमा और लाइसेंस राज की समाप्ति होगी. किसानों को अनुबंध खेती से अधिक आय प्राप्त करने का सुनहरा अवसर भी मिलेगा.
  • इससे किसानों की उपज खरीदने वालों की संख्‍या (प्रतिस्‍पर्धा) बढेगी और किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिलेगा.
  • किसानों को हर तरह के बिचौलियों और रूकावटों से आजाद करेगा. किसान अब यह चुनने के लिए स्वतंत्र हैं कि वे अपने उत्पादों को कहां और किस कीमत पर बेचेंगे.
  • यदि किसान अपनी उपज की बिक्री करेंगे तो उन्‍हें मंडी कर नहीं देना होगा, जो 2-8.5 प्रतिशत तक होता है.
  • इन विधेयकों से कृषि उपज बाजार समिति (AMPC) अधिनियम का प्रभाव किसी भी तरह कम नहीं होगा.
  • कृषि जिन्‍सों के लिए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) की प्रणाली जारी रहेगी.
  • प्रस्‍तावित कानूनों से किसानों को अंतर-राज्‍य बाजारों तक पहुंच कायम करने की अतिरिक्‍त सुविधा मिलेगी.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि अवसंरचना कोष को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक नई अखिल भारतीय केन्‍द्रीय योजना ‘कृषि अवसंरचना कोष’ (Agriculture Infrastructure Fund) को मंजूरी दी है. इस योजना के तहत फसल के बाद प्रबंधन के लिए व्यावहारिक परियोजनाओं में निवेश के लिए मध्यम और दीर्घकालिक ऋण की सुविधा दी जाएगी.

कृषि अवसंरचना कोष: मुख्य बिंदु

  • इस योजना की अवधि वित्त वर्ष 2020 से 2029 तक दस वर्षों के लिए होगी. इसके तहत, चालू वर्ष में 10 हजार करोड़ रुपये की मंजूरी के साथ अगले चार वर्षों में ऋणों का भुगतान किया जाएगा. अगले तीन वित्तीय वर्षों में 30 हजार करोड़ रुपये वितरित किए जाएंगे.
  • योजना के तहत देश में बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से किसान उत्पादक संगठनों (FPO), स्टार्टअप्स, प्राथमिक कृषि साख समितियों, कृषि-उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.
  • इस वित्तपोषण सुविधा के तहत सभी ऋणों में दो करोड़ की सीमा तक प्रति वर्ष 3 प्रतिशत का ब्याज अनुदान होगा. यह अनुदान अधिकतम सात वर्षों की अवधि के लिए उपलब्ध होगा. इसके अलावा पात्र उधारकर्ताओं को दो करोड़ रुपए तक के ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज योजना के तहत क्रेडिट गारंटी कवरेज उपलब्ध होगा.

हिमालयी तितली ‘गोल्डन बर्डविंग’ को भारत की सबसे बड़ी तितली का दर्जा दिया गया

हिमालयी तितली ‘गोल्डन बर्डविंग’ को हाल ही में भारत की सबसे बड़ी तितली का दर्जा दिया गया है. ‘मादा गोल्डन बर्डविंग’ उत्तराखंड के दीदीहाट में जबकि ‘नर गोल्डन बर्डविंग’ मेघालय के शिलांग में ‘वानखर तितली संग्रहालय’ में पाया गया है.

गोल्डन बर्डविंग: एक दृष्टि

‘गोल्डन बर्डविंग’ (Golden Birdwing) का वैज्ञानिक नाम Troides aeacus है. इस प्रजाति के पंखों की लंबाई 194 मिलीमीटर तक होती है. तितली की यह प्रजाति गढ़वाल से उत्तर-पूर्व राज्य तथा ताइवान, चीन आदि में भी पाई जाती है.

इससे पहले ‘दक्षिणी बर्डविंग’ को भारत की सबसे बड़ी तितली होने का दर्जा

गोल्डन बर्डविंग को 88 वर्षों के बाद भारत की सबसे बड़ी तितली के रूप में खोजा गया हिया. इससे पहले भारत की सबसे बड़ी तितली होने का दर्जा 1932 में ‘दक्षिणी बर्डविंग’ को दिया गया था जो कॉमन बर्डविंग उप-प्रजाति है.
इस प्रजाति का वैज्ञानिक नाम Troides Minos है. दक्षिणी बर्डविंग के पंखों की लंबाई 140-190 मिलीमीटर तक होती है. यह गोवा से केरल तक पाई जाती है.

किसानों के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गये

सरकार ने किसानों के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए. ये निर्णय 3 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गये. इन फैसलों से न केवल किसानों को बड़ा फायदा होगा बल्कि कृषि क्षेत्र की सूरत में भी आमूल-चूल तौर बदलाव होगा.

आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन

सरकार ने किसानों की आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन का फैसला किया है. यह कृषि क्षेत्र में बदलाव और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है.

मंत्रिमंडल ने कृषि उपज के बाधा मुक्त व्यापार को सुनिश्चित करने के लिए कृषि उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सहायता) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दी. इस अध्‍यादेश से ऐसा माहौल बनाने में मदद मिलेगी जिसमें किसान और व्‍यापारी अपनी पसंद की कृषि उपज खरीद और बेच सकेंगे.

साथ ही मूल्‍य आश्‍वासन और कृषि सेवाओं से संबंधित किसान सशक्‍तीकरण और संरक्षण अध्‍यादेश-2020 को स्वीकृति दी गयी है. यह अध्‍यादेश किसानों को कृषि उपज का प्रसंस्‍करण करने वालों, एग्रीगेटरों, थोक विक्रेताओं, बडे पैमाने पर खुदरा व्‍यापार करने वालों और निर्यातकों के साथ बिना किसी शोषण की आशंका के बराबरी के साथ व्‍यावसायिक संबंध बनाने में सक्षम बनाएगा.

आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन से लाभ

  • सरकार के इन फैसलों से आवश्यक वस्तु की सूची से अनाज, दलहन, तिलहन, प्‍याज और आलू जैसी तमाम वस्तुएं और कृषि उत्पादों को बाहर किया गया है.
  • इससे किसान ‘एग्रीकल्चर प्रोड्यूसर मार्केट कमेटी’ के बंधन से मुक्त हो जाएगा. किसान को न केवल अपनी फसल की अच्छी कीमत मिलेगी बल्कि वो उत्पादों का अपने मुताबिक भंडारण कर सकेंगे.
  • किसान अपनी मर्जी से कृषि उत्पादों को अब देश के किसी भी बाज़ार में बेच सकेगा. साथ ही उसे सीधे निर्यातकों को बेचने की भी अनुमति मिल गयी है.

इससे वन नेशन वन मार्केट की सरकार की नीति को भी बढावा मिलेगा. किसान प्रत्यक्ष रूप से विपणन से जुड़ सकेंगे, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी और उन्हें अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिलेगा.

कृषि क्षेत्र में निजी और प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश बढ़ेगा

इन फैसलों से कृषि क्षेत्र में निजी और प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश भी बढ़ेगा. इससे कोल्‍ड स्‍टोरेज में निवेश बढ़ाने और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला यानी सप्‍लाई चेन के आधुनिकीकरण में मदद मिलेगी.

उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा

सरकार ने नियमों मे बदलाव करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा भी सुनिश्चित की है. अब अकाल या युद्ध और प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियों में इन कृषि‍ उपजों की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है.

आवश्यक वस्‍तु अधिनियम, 1955: एक दृष्टि

आवश्यक वस्‍तु अधिनियम, 1955 (Essential Commodities Act of 1955) को उपभोक्‍ताओं को अनिवार्य वस्‍तुओं की सहजता से उपलब्‍धता सुनिश्चित कराने तथा व्‍यापारियों के शोषण से उनकी रक्षा के लिए बनाया गया था.

इस अधिनियम में अनिवार्य वस्‍तुओं के उत्‍पादन वितरण और मूल्‍य निर्धारण नियंत्रित करने की व्‍यवस्‍था की गई है. इस अधिनियम के तहत अधिकांश शक्तियां राज्‍य सरकारों को दी गई हैं.

विपणन वर्ष 2020-21 के लिए खरीफ फसलों के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में बढ़ोतरी की गयी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी का निर्णय किया है. यह निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 1 जून को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में हुई.

मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार खरीफ की 14 फसलों के लिए MSP में 83 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की गयी है. यह बढ़ोतरी किसानों के लागत से 50 प्रतिशत अधिक मुनाफे को ध्‍यान में रखते हुए किया गया है.

मंत्रिमंडल ने धान के MSP में 53 रुपये की बढ़ोतरी की है. अब धान का MSP 1868 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. ज्‍वार का MSP 2620 प्रति क्विंटल और बाजरा का MSP 2150 प्रति क्विंटल घोषित किया गया है. कपास का MSP 260 रुपये बढ़ाकर 5515 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है.

MSP (Minimum Support Price) क्या है?

MSP (Minimum Support Price) यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. इसे सरकारी भाव भी कहा जा सकता है.

सरकार हर साल फसलों की MSP तय करती है ताकि किसानों की उपज का वाजिब भाव मिल सके. इसके तहत सरकार फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया, नैफेड जैसी सरकारी एजेसिंयों की मदद से किसानों की फसलों को खरीदती है.

ई-नाम पोर्टल एक हजार मंडियों से जुड़ा, जानिए क्या है ई-नाम

कृषि उत्पादों की बिक्री के लिए बनाया गया ई-नाम पोर्टल 18 राज्यों और 3 केन्द्र शासित प्रदेशों की एक हजार मंडियों से जुड़ गया है. कृषि मंत्रालय के अनुसार, 15 मई को 38 अतिरिक्त मंडियों को इस पोर्टल से जोड़ा गया.

ई-नाम क्या है?

  • ई-नाम (eNAM) National Agriculture Market का संक्षिप्त रूप है. किसानों के लिए अपने फसलों को ऑनलाइन बेचने के लिए यह एक व्यापार पोर्टल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में ई-नाम की शुरुआत की थी. यह पोर्टल ‘www.enam.gov.in’ पर उपलब्ध है.
  • यह पोर्टल एक राष्ट्रीय कृषि बाजार है. इससे किसानों को, अपनी उपज को बेचने के लिए खुद थोक मंडियों में जाने की जरूरत नहीं होगी.
  • कोरोनावायरस के संक्रमण के खतरे से बचने के लिहाज से ई-नाम सुविधा काफी अहम है, क्योंकि यह सामाजिक दूरी को बनाए रखते हुए व्यापार करने की सुविधा प्रदान करता है.
  • देशभर की कृषि उपज मंडियों को एक मंच पर लाकर किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाने का प्रयास किया जा रहा है.
  • इस पोर्टल के माध्यम से अब तक 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हो चुका है. वहीं पिछले चार साल में एक करोड 66 लाख किसान, 1 लाख 31 हजार व्‍यापारी के अलावा 1 हजार से अधिक किसान उत्‍पादक संगठन ई-नाम से जुड़ चुके हैं.

वैज्ञानिकों ने गेहूं की उच्च प्रोटीन एवं स्थिर उपज वाली किस्म ‘मैक्स 4028’ विकसित की

पुणे के अगहरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट (ARI) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में गेहूं की बायोफोर्टीफाइड किस्म ‘MACS 4028’ विकसित की है, जिसमें उच्च प्रोटीन है. ARI भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्तशासी संस्थान है. MACS 4028 के विकसित किये जाने की जानकारी ‘इंडियन जर्नल ऑफ जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग’ में प्रकाशित की गई थी.

MACS 4028 की विशेषताएं

  • MACS 4028 एक अर्ध-बौनी (सेमी ड्वार्फ) किस्म है, जो 102 दिनों में तैयार होती है और जिसमें प्रति हेक्टेयर 19.3 क्विंटल की श्रेष्ठ और स्थिर उपज क्षमता है. यह डंठल, पत्‍तों पर लगने वाली फंगस, पत्‍तों पर लगने वाले कीड़ों, जड़ों में लगने वाले कीड़ों और ब्राउन गेहूं के घुन की प्रतिरोधी है.
  • इस गेहूं की किस्‍म में लगभग 14.7% उच्च प्रोटीन, बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ जस्ता (जिंक) 40.3 PPM, और 46.1 PPM लौह सामग्री है.
  • MACS 4028 को फसल मानकों पर केन्‍द्रीय उप-समिति द्वारा अधिसूचित किया गया है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने भी वर्ष 2019 के दौरान बायोफोर्टीफाइड श्रेणी के तहत इस किस्म को टैग किया है.

सरकार ने ‘किसान रेल’ की रूप-रेखा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया

सरकार ने ‘किसान रेल योजना’ की रूप-रेखा तैयार करने के लिए एक समिति (Kisan Rail Committee) का गठन किया गया है. यह समिति कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तत्वावधान में कार्य करेगी. इस समिति में भारतीय रेलवे के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है.

‘किसान रेल’ क्या है?

गौरतलब है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में जल्द खराब होने वाले उत्पादों के परिवहन के लिये किसान रेल योजना (Kisan Rail Scheme) का प्रस्ताव किया था. इसमें से जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं की ढुलाई के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से कोल्ड सप्लाई चेन की सुविधा प्रदान की जाएगी.

फल-सब्जियों की लोडिंग-अनलोडिंग के लिए सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तहत 4 कार्गो सेंटर बनाएगी. ये कार्गों सेंटर गाजीपुर, न्यू आजादपुर, लासलगांव और राजा का तालाब में बनाये जाएंगे. इसके अलाबा सोनीपत में एक एग्रीकल्चर लॉजिस्टिक सेंटर बनाया जायेगा.

19 फरवरी: देशभर में ‘मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड दिवस’ मनाया गया

19 फरवरी को देशभर में ‘मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड दिवस’ मनाया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 फरवरी 2015 को राजस्थान के हनुमानगढ से मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) योजना का शुभारंभ किया था. इस योजना के पांच वर्ष पूरे हो चुके हैं.

मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड: एक दृष्टि

  • इस योजना का उद्देश्य प्रत्‍येक दो वर्ष में किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना है ताकि मिट्टी में पोषक तत्‍वों की कमी दूर करने के उपाय किये जा सकें.
  • इस योजना का शुभारंभ करते हुए श्री मोदी ने कहा था कि किसानों को मिट्टी की सेहत की जानकारी होनी चाहिए. उन्होंने कहा था कि यदि मिट्टी सेहतमंद नहीं होगी, तो कृषि उपज नहीं बढ़ेगी.
  • मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड के तहत दो चरणों में 22 करोड़ से अधिक किसानों को मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड जारी किए गए. सरकार ने इस योजना पर अब तक सात सौ करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की है.

मृदा स्वास्थ्य कार्ड के कारण देश में केमिकल फर्टिलाइजर्स में कमी और उपज में वृद्धि हुई

राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC) ने हाल ही में एक अध्ययन रिपोर्ट जारी किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के तहत देश में केमिकल फर्टिलाइजर्स के इस्तेमाल में 8-10 फीसदी तक की कमी आई है और उपज में 5-6 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है.

क्या है मृदा स्वास्थ्य कार्ड?

भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीन मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन योजना (Soil Health Card Scheme) बनाई गई है. योजना के अंतर्गत ग्रामीण युवा एवं किसान जिनकी उम्र 18 से 40 वर्ष है, ग्राम स्तर पर मिनी मृदा परिक्षण प्रयोगशाला (Soil Test Laboratory) की स्थापना कर सकते हैं. प्रयोगशाला को स्थापित करने में 5 लाख रुपए का खर्च आता है, जिसका 75 फीसदी यानी 3.75 लाख रुपए सरकार देती है.

उर्वरकों के उपयोग से मृदा में मौजूद पोषक तत्‍वों में होने वाली कमी दूर करने के उद्देश्य से वर्ष 2014-15 में सरकार ने ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना’ को शुरू किया था.