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चीन और अमरीका के राष्‍ट्रपति के बीच द्विपक्षीय बैठक

अमरीकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग के बीच 16 नवम्बर को बहुप्रतिक्षित वर्चुअल बैठक हुई. दोनों नेताओं के बीच यह पहली वर्चुअल बैठक थी. यह बैठक दोनों देशों के आपसी संबंधी में तनाव कम करने के लिए आयोजित की गयी थी.

बैठक में दोनों नेताओं के बीच बातचीत में ताइवान, हिन्‍द प्रशांत और व्‍यापार जैसे विवादित मुद्दों पर चर्चा हुई. बैठक में दोनों नेताओं ने संघर्ष से बचने और जलवायु परिवर्तन तथा ऊर्जा सुरक्षा जैसी चुनौतियों से मिलकर निपटने पर बल दिया.

अमरीकी राष्‍ट्रपति ने चीन के राष्‍ट्रपति से कहा कि वे एक स्‍वतंत्र, खुला और सुरक्षित हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिए काम करें. चीन के राष्‍ट्रपति ने कहा कि जो लोग ताइवान का समर्थन कर रहे हैं, वे आग से खेल रहे हैं. अमरीका ने अपनी उस नीति को दोहराया जिसमें वह ताइवान की स्‍वतंत्रता का समर्थन नहीं करता है, लेकिन उसकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अमेरिका और चीन में सहमति

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए चीन और अमेरिका ने दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई हैं. यह सहमति चीन के जलवायु दूत शी झेनहुआ ​​और उनके अमेरिकी समकक्ष जॉन केरी के बीच शंघाई में हाल ही में हुई कई बैठकों के बाद बनी है. 18 अप्रैल को जारी एक संयुक्त बयान में दोनों ने उत्सर्जन कम करने के लिए भविष्य में उठाए जाने वाले विशेष कदमों पर भी अपनी सहमति जताई.

जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका और चीन में सहमति: मुख्य बिंदु

  • दोनों देश ‘पेरिस समझौते’ के अनुरूप धरती के तापमान को तय सीमा के भीतर रखने के उद्देश्य से उत्सर्जन कम करने के लिए इस दशक में ठोस कार्रवाई करने पर अपनी चर्चा जारी रखेंगे.
  • दोनों देश विकासशील देशों को कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले ऊर्जा के स्रोतों को अपनाने के लिए धन मुहैया कराने पर भी सहमत हुए हैं.
  • वैज्ञानिकों ने चेताया है कि दुनिया के तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में दो डिग्री से भी कम बढ़ने का लक्ष्य रखना चाहिए.
  • दोनों देशों ने स्वीकार किया है कि पूंजी के प्रवाह को ज्यादा कार्बन उत्सर्जित करने वाली परियोजनाओं की बजाय कम-कार्बन परियोजनाओं की ओर मोड़ना चाहिए. दोनों देशों ने अपने उत्सर्जन को और भी कम करने का वादा किया है.

चीन को 588 बिजली घरों को बंद कर देना चाहिए

हाल की एक रिपोर्ट में कहा गया कि चीन को जलवायु पर अपने वादे पूरा करने के लिए कोयला से चलने वाले 588 बिजली घरों को बंद कर देना चाहिए. इस वक़्त अर्थव्यवस्था बढ़ाने के लिए इसके कई इलाकों में कई नए कोयला चालित बिजली घर बनाए जा रहे हैं.

अमेरिका द्वारा वर्चुअल जलवायु सम्मेलन का आयोजन

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन विश्व पृथ्वी दिवस यानी 22 अप्रैल को एक वर्चुअल जलवायु सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं. इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कई देशों के प्रमुखों के भाग लेने की उम्मीद है. हालांकि अब तक यह साफ नहीं है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सम्मेलन में भाग लेंगे या नहीं.

अमेरिका ने की तिब्बत में चीन के उत्पीड़न को रोकने के लिए कानून बनाया

अमेरिका ने की तिब्बत में चीन के उत्पीड़न को रोकने के लिए ‘द टिबेटन पॉलिसी एंड सपोर्ट एक्ट (TPSA)’ कानून बनाया है. चीन यहां 50 साल से ज्यादा समय से लगातार उत्पीड़न कर रहा है. इससे पहले तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने आमंत्रित किया था और उनके साथ आधिकारिक वार्ता की थी. चीन ने इस पर कड़ा विरोध जताया था.

अमेरिकी संसद में TPSA कानून को सत्ता पक्ष और विपक्ष का मजबूत समर्थन मिला है. इससे संबंधित प्रस्ताव को प्रतिनिधि सभा में सांसद जेम्स मैकगवर्न और क्रिस स्मिथ ने रखा था. जबकि सीनेट में मार्को रूबियो और बेन कार्डिन ने पेश किया था.

तिब्बत में दलाई लामा की निर्वासित सरकार

चीन तिब्बत की सांस्कृतिक पहचान नष्ट करने के लिए सुनियोजित चालें चल रहा है. तिब्बत के आध्यात्मिक प्रमुख दलाई लामा ने भारत में शरण ली हुई है और उनके संरक्षकत्व में यहीं से तिब्बत की निर्वासित सरकार कार्य कर रही है. एक समय मध्य एशिया का यह स्वतंत्र देश अब दुनिया के सबसे ज्यादा उत्पीड़न झेल रहे इलाकों में से एक है.

TPSA कानून में तिब्बती बौद्ध समुदाय का फैसला सर्वोपरि

TPSA कानून दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन के मामले में तिब्बती बौद्ध समुदाय का फैसला सर्वोपरि मानता है. अमेरिका दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन प्रक्रिया में चीन सरकार के हस्तक्षेप को मान्यता नहीं देता.

अमरीका और चीन के बीच व्यापार समझौते के पहले चरण पर सहमति

अमरीका और चीन ने हाल ही में व्यापार समझौते के पहले चरण पर सहमति बनी है. अमरीकी राष्‍ट्रपति डॉनल्‍ड ट्रंप ने यह घोषणा की. इस घटना क्रम में दोनों देशों ने व्यापार में संरचनात्मक सुधार और व्यापार शुल्क में छूट की घोषणा की है. विश्‍व की दो सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं के बीच 18 महीनों का व्‍यापारिक गतिरोध वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था के लिए खतरा बन गया था.

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान है कि आयात कर को हथियार बनाकर लड़ी जा रही अमरीका-चीन व्यापार युद्ध के चलते अमेरिका के आर्थिक विकास में 0.6 प्रतिशत और चीन के आर्थिक विकास में 2 प्रतिशत की कमी आई है.

अमरीका चीन व्यापार समझौता: एक दृष्टि

  • व्‍यापार समझौते में चीन की अर्थव्‍यवस्‍था और व्‍यापार क्षेत्र में बौद्धिक संपदा, तकनीक का हस्तांतरण, कृषि, वित्‍तीय सेवाओं, मुद्रा और विदेशी मुद्रा में परिवर्तन और संरचनात्‍मक सुधार की जरूरत होगी. चीन आने वाले वर्षों में अतिरिक्त अमरीकी वस्‍तुओं और सेवाओं की खरीद करेगा. अमरीका 1974 के व्यापार अधिनियम की धारा-301 में परिवर्तन करेगा.
  • समझौते के तहत 160 अरब डॉलर के चाइनीज आयात पर 15 दिसंबर से प्रस्तावित अमेरिकी आयात शुल्क टल जाएगा. चीन ने भी 15 दिसंबर से अमरीकी उत्‍पादों पर अतिरिक्‍त शुल्‍क लगाने का फैसला टाल दिया है. समझौते में चीन 2020 में अमेरिका से 50 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद और अन्य वस्तुएं खरीदने पर सहमत हुआ है.

मालाबार सैन्य अभ्यास का 23वां संस्करण: भारत, जापान और अमेरिकी नौसेना शामिल

‘मालाबार सैन्य-अभ्यास’ (Malabar Trilateral Maritime Exercise) का 23वां संस्करण 26 सितम्बर से 4 अक्टूबर 2019 तक जापान के ससेबो शहर के समीप पश्चिमी प्रशांत महासागर में आयोजित किया गया. पूर्वी चीन सागर के समीप इस सैन्य अभ्यास में भारत, जापान और अमेरिकी नौसेना शामिल हुए.

23वां मालाबार सैन्य अभ्यास: एक दृष्टि
इस अभ्यास में सतह, उप-सतह और वायु क्षेत्रों में जटिल सामुद्रिक ऑपरेशन शामिल हुए तथा पनडुब्बी-रोधी युद्ध, विमान-रोधी और पनडुब्बी-रोधी फायरिंग, मैरीटाइम इन्टर्डिक्शन ऑपरेशन्स (एमआईओ) पर ध्यान केंद्रित किया गया.

भारत की ओर से इस अभ्यास में 6100 टन वजनी INS सहयाद्रि, पनडुब्बी विध्वंसक INS किल्टन और पी8आई मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट हिस्सा ले रहे हैं. यह पहला मौका है जब जापान में भारत का P8I एयरक्राफ्ट पहुंचा था.

चीन की आपत्ति
चीन पहले से ही समुद्र के इस हिस्से को अपना जलक्षेत्र मानता है और किसी भी प्रकार की सैन्य गतिविधि को सीधा अपनी संप्रभुता का उल्लंघन समझता है. चीन मानता है कि मालाबार अभ्यास के तहत तीन देश उसके खिलाफ सैन्य लामबंदी कर रहे हैं.

वहीं इस अभ्यास के जरिये भारतीय नौसेना यह सामरिक संदेश देने की कोशिश करेगी कि वह केवल हिंद महासागर के इलाके तक ही अपने को सीमित नहीं रखना चाहती है बल्कि दक्षिण चीन सागर के पार प्रशांत महासागर तक पहुंचने की भी उसकी क्षमता है.

युद्धाभ्यास के उद्देश्य

  • इस तरह के क्षेत्रों में युद्धाभ्यास करने से नौसेना को प्रायोगिक तौर पर लड़ाई में आने वाली दिक्कतों का अंदाजा हो पाता है. ‘रियल टाइम अटैक स्ट्रैटजी’ में भी नौसेना को फायदा होता है.
  • नौ-सैनिकों को वास्तविक अनुभव मिलता है जिसका फायदा वो युद्ध की स्थिति में उठा पाते हैं, साथ ही नौसेना को वैश्विक स्तर पर भी खुद की स्थिति का पता चलता है.
  • इस तरह की युद्धाभ्यास का लक्ष्य कई बार शक्ति प्रदर्शन भी होता है. ऐसा कर एक देश दूसरे देश को ताकत का अहसास करा कर डर पैदा करना चाहता है.


अमेरिका ने चीन को मुद्रा के साथ छेड़छाड़ करने वाला देश घोषित किया

अमेरिका ने चीन को आधिकारिक तौर पर मुद्रा के साथ छेड़छाड़ करने वाला देश (करेंसी मैनिपुलेटर) 5 अगस्त को घोषित किया. अमेरिका ने चीन पर व्यापार में अनुचित प्रतिस्पर्धी लाभ लेने के लिए युआन का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. अमेरिका ने चीन की ओर से अपनी मुद्रा युआन को डॉलर के मुकाबले सात के स्तर से नीचे रखने की अनुमति देने के बाद यह कदम उठाया. इस कदम से अमेरिका और चीन के अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार मोर्चे पर चल रहे टकराव के गहराने की आशंका है. ट्रंप ने 2016 में राष्ट्रपति चुनावी अभियान के दौरान चीन को मुद्रा के साथ छेड़छाड़ करने वाला देश ठहराने का वादा किया था लेकिन वित्त मंत्रालय ने यह कदम उठाने से इनकार करते हुए चीन को निगरानी सूची में डाल रखा था.