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भारत-अमरीका विदेश विभाग परामर्श बैठक नई दिल्‍ली में आयोजित की गयी

भारत -अमरीका विदेश विभाग परामर्श बैठक 21 मार्च को नई दिल्‍ली में आयोजित की गयी थी. बैठक की सह-अध्‍यक्षता विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और अमरीका की विदेश उपमंत्री विक्‍टोरिया न्‍यूलैंड ने की.

मुख्य बिंदु

  • दोनों पक्षों ने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और अमरीका के राष्‍ट्रपति जो. बाइडेन के बीच सित‍म्‍बर 2021 में वाशिंगटन में हुई बैठक के बाद से दोनों देशों की व्‍यापक कार्यनीतिक साझेदारी के तहत हुई प्रगति की समीक्षा की.
  • दोनों देशों ने दक्षिण एशिया, हिन्‍द -प्रशांत क्षेत्र, पश्चिम एशिया और यूक्रेन की स्थिति पर व्‍यापक विचार-विमर्श किया. भारत और अमरीका ने स्वतंत्र, मुक्त, समावेशी, शांतिपूर्ण और समृद्ध हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
  • बैठक में हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिये क्‍वाड संगठन की बैठक में लिए गये निर्णय तेजी से लागू करने की इच्‍छा व्‍यक्‍त की गयी.

अमेरिका ने भारत को संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि की ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ में बरकरार रखा

अमेरिका ने हाल ही में स्पेशल 301 रिपोर्ट (Special Report 301) 2021 जारी की है. इस रिपोर्ट में भारत सहित 9 देशों को संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (United States Trade Representative- USTR) की ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ (Priority Watch List) 2021 में रखा गया है. भारत को इस लिस्ट में रखने का कारण यहाँ बौद्धिक संपदा (Intellectual property-IP) अधिकारों के संरक्षण एवं प्रवर्तन में कमी को बताया गया है. रिपोर्ट में भारत के अतिरिक्त अन्य 23 देशों को भी ‘वॉच लिस्ट’ (Watch List) में रखा गया है.

स्पेशल 301 रिपोर्ट (Special Report 301) 2021: मुख्य बिंदु

  • स्पेशल 301 रिपोर्ट (Special Report 301) संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USRT) द्वारा प्रत्येक वर्ष जारी की जाती है. इस रिपोर्ट में विभिन्न देशों में बौद्धिक संपदा कानूनों जैसे कॉपीराइट, पेटेंट और ट्रेडमार्क आदि के कारण अमेरिका की कंपनियों और उत्पादों के समक्ष उत्पन्न होने वाले व्यापार अवरोधों की पहचान की जाती है.
  • इस रिपोर्ट में ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ और ‘वॉच लिस्ट’ शामिल होती हैं, जिसमें वे देश शामिल होते हैं जिनके बौद्धिक संपदा नियमों को अमेरिकी कंपनियों के लिये अवरोधक माना जाता है.
  • ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ में उन देशों को शामिल किया जाता है, जिनके बौद्धिक संपदा अधिकार संबंधित नियमों में गंभीर कमियाँ होती हैं.
  • ज़बरन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (FTT) की नीति द्वारा विदेशी व्यवसायी को बाज़ार पहुँच प्रदान करने के बदले में अपनी तकनीक साझा करने के लिये मज़बूर किया जाता है. इस प्रकार की नीति चीन में काफी सामान्य है. चीन की सरकार विदेशी कंपनी को अपनी तकनीक को चीनी कंपनियों के साथ साझा करने के लिये मज़बूर करती है.

स्पेशल 301 रिपोर्ट 2021

अमेरिकी प्रशासन ने भारत के अतिरिक्त जिन देशों को ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ में स्थान दिया है, उनमें अर्जेंटीना, चिली, चीन, इंडोनेशिया, रूस, सऊदी अरब, यूक्रेन और वेनेज़ुएला शामिल हैं.

भारत के सन्दर्भ में

अमेरिका के अनुसार, भारत ने लंबे समय से अपने बौद्धिक संपदा ढाँचे में पर्याप्त सुधार नहीं किया है, जिसके कारण बीते वर्षों में अमेरिकी कंपनियों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

भारत में अमेरिकी व्यवसायी को बौद्धिक संपदा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जो भारत में पेटेंट प्राप्त करना, पेटेंट बनाए रखना और उन्हें लागू करना अपेक्षाकृत कठिन बनाती हैं, ऐसा विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स उद्योग में देखा जाता है.

भारत और अमेरिका ने बौद्धिक संपदा अधिकार सहयोग बढ़ाने के समझौते पर हस्ताक्षर किए

भारत और अमेरिका ने बौद्धिक संपदा अधिकार पर आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए सहमति ज्ञापन समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा सृजित कोई संगीत, साहित्यिक कृति, कला, खोज, प्रतीक, नाम, चित्र, डिजाइन, कापीराइट, ट्रेडमार्क, पेटेन्ट आदि बौद्धिक सम्पदा कहा जाता है.

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस साल 19 फरवरी को अमेरिकी पेटेंट और ट्रेडमार्क कार्यालय (USPTO) और भारत के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) के बीच इस सहमति ज्ञापन के लिए मंजूरी दी थी.

वर्चुअल माध्यम से हुई बैठक में DPIIT के सचिव गुरुप्रसाद मोहपात्रा और USPTO के अध्यक्ष और अमेरिकी वाणिज्य एवं बौद्धिक संपदा अधिकार विभाग के अपर सचिव आंद्रेई इंकू के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.

इस समझौते के तहत दोनों देश बौद्धिक संपदा अधिकारों के क्षेत्र की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया साझा करेंगे और साथ मिलकर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाएंगे. इसके लिए दोनों पक्ष एक द्विपक्षीय योजना तैयार करेंगे जो इस सहमति ज्ञापन पत्र के प्रावधानों को लागू करने का काम करेगी. इस योजना में विस्तृत सहयोग कार्यक्रम और कार्रवाई करने लायक उपाय शामिल होंगे.

भारत और अमेरिका के बीच 2+2 संवाद आयोजित किया गया

भारत और अमेरिका के बीच 26-27 अक्टूबर को 2+2 (टू प्लस टू) संवाद आयोजित किया गया. यह दोनों देशों में बीच तीसरा 2+2 संवाद था जिसका आयोजन नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में किया गया था. पहला 2+2 संवाद सितंबर 2018 में नई दिल्ली में और दूसरा 2019 में वाशिंगटन डीसी में आयोजित किया गया था.

इस संवाद में भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जय शंकर ने हिस्सा लिया. अमेरिका का प्रतिनधित्व वहां के विदेश सचिव माइक पोम्पेओ और रक्षा सचिव मार्क ओशो ने किया.

भू-स्थानिक सहयोग के लिए सहयोग समझौते

इस 2+2 संवाद में दोनों पक्षों ने भू-स्थानिक सहयोग (BECA) के लिए बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौते पर भी हस्ताक्षर किए, जिससे उनके बीच भू-स्थानिक सहयोग का विस्तार हो सके और भारत की मिसाइल प्रणाली सटीकता में सुधार हो सके. BECA का पूर्ण रूप Basic Exchange and Cooperation Agreement for Geo-Spatial Cooperation है.

NISAR उपग्रह का प्रक्षेपण

इस संवाद में दोनों देशो ने अंतरिक्ष संबंधी जानकारी साझा करने का निर्णय लिया. संवाद के बाद संयुक्त बयान में NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar (NISAR) को 2022 तक प्रक्षेपित करने की बात कही गयी.

NISAR दोहरी-आवृत्ति का उपयोग करने वाला पहला रडार इमेजिंग उपग्रह है. इस उपग्रह की दोहरी आवृत्ति का उपयोग रिमोट सेंसिंग और पृथ्वी पर प्राकृतिक प्रक्रियाओं को समझने के लिए किया जाएगा.

अमरीका-भारत व्यापार परिषद द्वारा ‘इंडिया आइडियाज’ वर्चुअल शिखर सम्मेलन का आयोजन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘इंडिया आइडियाज’ वर्चुअल शिखर सम्मेलन (India Ideas Summit) 2020 को संबोधित किया. इस सम्मेलन का आयोजन अमरीका-भारत व्यापार परिषद (America-India Business Council) ने 21-22 जुलाई को किया था. परिषद के गठन की 45वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में इसका आयोजन किया गया था. इस वर्ष के ‘इंडिया आइडियाज’ शिखर सम्मेलन का विषय- ‘बेहतर भविष्य का निर्माण’ (Building a Better Future) था.

सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कोरोना और उसके बाद के परिवेश में भारत और अमरीका की साझा भूमिका को रेखांकित किया. इस सम्‍मेलन में दोनों ही देशों के बीच पारस्‍परिक संबंधों सहित कोविड महामारी के बाद उत्‍पन्‍न परिस्थितियों की चर्चा और मूल्‍यांकन पर बल दिया गया.

शिखर सम्‍मेलन में मुख्‍य वक्‍ताओं में प्रधानमंत्री मोदी के अलाबा विदेश मंत्री डॉक्‍टर एस. जयशंकर, अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो, अमरीकी राज्‍य वर्जीनिया के सिनेटर मार्क वार्नर और संयुक्‍त राष्‍ट्र में पूर्व अमरीकी राजदूत रहीं निकी हेली शामिल थे.

अमरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत एक महत्‍वपूर्ण साझेदार है. उन्‍होंने कहा कि भारत हिन्‍द-प्रशांत क्षेत्र में और वैश्विक स्‍तर पर भी अमरीका का एक उभरता हुआ सुरक्षा भागीदार है. उन्होंने कहा कि अमरीका ने राष्‍ट्रपति ट्रंप द्वारा आयोजित की जा रही जी-7 देशों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को आम‍ंत्रित किया है.

अमरीका-भारत व्यापार परिषद क्या है?

अमरीका-भारत व्यापार परिषद (America-India Business Council) का गठन 1975 में किया गया था. यह दोनों देशों के बीच निवेश प्रवाह को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करती है. यह सरकारों और व्यापारियों के बीच सीधे संपर्क का काम करती है.

अमेरिका ने ईरान से तेल आयात करने वाले भारत समेत अन्य देशों पर पाबंदी लगाई