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अमेरिका ने ईरान के 4 न्यूक्लियर प्रोग्राम पर लगाये प्रतिबंधों को आगे बढाया

अमेरिका ने ईरान के 4 न्यूक्लियर प्रोग्राम पर लगाये प्रतिबंधों को अगले 60 दिन तक जारी रखने का 30 मार्च को फैसला किया. अमेरिका ने 2018 में ईरान परमाणु समझौता (न्यूक्लियर डील) रद्द करके ये प्रतिबंध लगा दिए थे. अब अमेरिका ईरान पर इस बात का भी दबाव बना रहा है कि वह अपनी न्यूक्लियर और मिसाइल संबंधी गतिविधियां बंद कर दे. इन प्रतिबंधों के साथ ईरान के लिए न्यूक्लियर हथियार बनाना मुश्किल होगा.

क्या है ईरान परमाणु समझौता?

ईरान ने P5+1 (China, France, Russia, the United Kingdom, and the US; plus Germany) देशों के साथ जिनेवा में एक परमाणु समझौता हस्ताक्षरित किया था. 2015 के इस परमाणु समझौते में ईरान अपनी संवेदनशील परमाणु गतिविधियों को सीमित करने और अन्तर्राष्ट्रीय निरीक्षकों को जांच की अुनमति देने पर राजी हुआ था. इसके बदले ईरान के खिलाफ लगे कड़े आर्थिक प्रतिबंध को हटाने का प्रावधान था.

2018 में अमेरिका इस परमाणु समझौते से अलग हो गया था. परन्तु रूस, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम अभी भी इस समझौते में बना हुआ है.

ईरान-अमेरिका तनाव: ईरान ने इराक स्थित अमरीका के सैन्य ठिकानों पर हमला किया

ईरान ने इराक स्थित अमरीका के दो ठिकानों पर 12 से अधिक मिसाइलों से हमला किया. पिछले सप्ताह इरानी जनरल कासिम सुलेमानी और अन्‍य लोगों के बगदाद में अमरीकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद यह कार्रवाई हुई है. ईरान ने इसे ‘ऑपरेशन शहीद सुलेमान’ नाम दिया है. इसे अमरीका के अपराध का बदला लेने के लिए किया जा रहा है.

अमरीकी रक्षा मंत्रालय के अनुसार इराक में इन ठिकानों पर अमरीकी सेना और सहयोगी देशों की सेना तैनात हैं. अमरीकी राष्‍ट्रपति डोनल्‍ड ट्रंप ने ईरान के मिसाइल हमले के बाद प्रतिक्रिया में सब कुछ ठीक होने की बात कही.

इस बीच ईरान ने दावा किया है कि उसके रिवोल्‍युशनरी गार्ड के इराक स्थित अमरीकी सैन्य ठिकानों पर किए गए हमले में 80 अमरीकी सैनिक मारे गए हैं और 200 से अधिक घायल हो गए हैं.

अमेरिकी संघीय उड्डयन प्रशासन (FAA) ने अमेरिका में पंजीकृत विमानों के इराक, ईरान और खाड़ी क्षेत्र के ऊपर से गुजरने पर प्रतिबंध लगा दिया है. मिस्र ने भी इराक के लिए अपनी हवाई उड़ानों को स्थगित कर दिया है.

ईरान के राष्‍ट्रपति हसन रोहानी ने फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैन्‍युल मैक्रों के साथ बातचीत की

ईरान के राष्‍ट्रपति हसन रोहानी ने फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैन्‍युल मैक्रों के साथ टेलीफोन पर बातचीत की. बातचीत में रोहानी ने क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ले‍फ्टि‍नेंट जनरल कासिम सुलेमानी की महत्‍वपूर्ण भूमिका की सहराना की. उन्‍होंने कहा कि यदि सुलेमानी ने ISIS के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाये होते तो यूरोप वासियों को आतंकवाद के बड़े खतरों से जूझना पड़ रहा होता.

जनरल क़ासिम सुलेमानी के जनाज़े के दौरान भगदड़

ईरान के केरमान शहर में जनरल क़ासिम सुलेमानी के जनाज़े के दौरान मची भगदड़ में दर्जनों लोगों की मौत हो गयी. लोगों की भारी भीड़ के चलते जनरल सुलेमानी की अंत्येष्टि में कुछ समय की देरी हुई.


नैटो के प्रशासनिक परिषद की आपात बैठक, पश्चिम एशिया में तनाव कम करने के उपायों पर चर्चा

उत्‍तर अटलांटिक संधि संगठन (नैटो) के प्रशासनिक परिषद की आपात बैठक 7 जनवरी को संगठन के मुख्‍यालय ब्रसेल्‍स में हुई. बैठक में ईरानी मेजर जनरल, कासिम सुलेमानी की अमरीकी ड्रोन हमले में मौत से उत्‍पन्‍न पश्चिम एशिया में तनाव कम करने के उपायों पर चर्चा हुई. सुलेमानी ईरान के पश्चिम एशिया ऑपरेशन के प्रमुख और रिवोल्यूशनरी गॉर्ड कुद्स फोर्स के कमांडर थे.

इस बैठक में अमरीकी अधिकारियों ने बगदाद हवाई अड्डे पर ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी के खिलाफ कार्रवाई का औचित्य बताया. नेटो प्रमुख जेन्स स्टॉल्टेनबर्ग ने आगाह किया है कि ईरान को हिंसा और उकसावे से बचना चाहिए. उन्होंने पश्चिम एशिया क्षेत्र में संयम बरतने और संघर्ष कम करने का आह्वान किया है.

इस बीच ईरान द्वारा अमरीका के ठिकानों को निशाना बनाने की धमकी और इराकी संसद द्वारा उसके देश से अमरीकी सेना हटाने के प्रस्‍ताव के कारण पश्चिम एशिया में तनाव और बढ़ गया है.

इराक से अमरीकी सेनाओं की वापसी से इंकार

अमरीका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने इराक से अमरीकी सेनाओं की वापसी से इंकार किया है. इराक में एक अमरीकी जनरल द्वारा सेना की वापसी की सलाह से संबंधित एक पत्र भेजे जाने के बाद श्री एस्पर ने यह बात कही है. अमरीकी हमले में ईरान के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद अमरीकी सेना पर खतरे के बीच यह भ्रम की स्थिति पैदा हुई है. ईराक में अमेरिका के लगभग 5000 सैनिक मौजूद हैं.

पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच जर्मनी ने ईराक में आईएस का मुकाबला करने के लिए भेजे गए अपने कुछ सैनिकों को वापस बुलाने की बात कही है.

अमेरिका ने इराक के खिलाफ कड़ा प्रतिबंध लगाने की धमकी

अमरीकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रम्‍प ने इराकी संसद द्वारा पारित प्रस्‍ताव के जवाब में इराक के खिलाफ कड़ा प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है. इराकी संसद ने प्रस्‍ताव पारित कर उसकी भूमि से अमरीकी सैनिकों को निकालने का प्रस्‍ताव पारित किया था. इराक ने अमरीकी ड्रोन हमले में ईरान के प्रमुख मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की हत्‍या की प्रतिक्रिया में यह प्रस्‍ताव पास किया था. ड्रोन हमले के बाद अमरीका और ईरान के बीच तनाव और बढ़ गया है.

ईरान की संसद ने अमेरिकी सेना को आतंकवादी घोषित किया

ईरान की संसद ने एक प्रस्ताव पारित कर अमेरिकी सेना को आतंकवादी घोषित कर दिया है. संसद ने कुद्स फोर्स के लिए 244 मिलिअन अमेरिकी डॉलर के और बजट की घोषणा की है. जनरल कासिम सुलेमानी को ही दरअसल कुद्स फोर्स खड़ी करने के लिए जाना जाता है.

ईरान ने 2015 के परमाणु समझौते से अलग होने का फैसला किया

ईरान ने घोषणा की है कि अब वह 2015 के परमाणु समझौते को नहीं मानेगा. उसने कहा है कि अब वह इस समझौते के तहत आने वाले परमाणु संवर्धन की क्षमता, संवर्धन के स्‍तर, संवर्धित सामग्री के भंडार या अनुसंधान और विकास से जुडी सीमाओं का पालन नहीं करेगा. ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी को बगदाद में अमरीका द्वारा मारे जाने के परिपेक्ष्य में यह फैसला किया गया है.

यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने ईरान के विदेश मंत्री मोहम्‍मद जावेद ज़ारिफ को परमाणु समझौते पर चर्चा और सुलेमानी की हत्‍या से उत्‍पन्‍न संकट दूर करने पर बातचीत के लिए ब्रसेल्‍स आने का निमंत्रण दिया है. श्री बोरेल ने कहा कि 2015 में ईरान के परमाणु कार्यक्रम समझौते को बचाने के लिए क्षेत्र में राजनीतिक समाधान एक मात्र उपाय है.

जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के नेताओं ने भी ईरान से 2015 के परमाणु समझौते का उल्लंघन ना करने की अपील की है. जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक संयुक्त बयान में कहा कि हम ईरान से उन सभी कदमों को वापस लेने की अपील करते हैं जो परमाणु समझौते के अनुरूप नहीं है.

ईरान परमाणु समझौता: एक दृष्टि

ईरान ने P5+1 (China, France, Russia, the United Kingdom, and the US; plus Germany) देशों के साथ जिनेवा में एक परमाणु समझौता हस्ताक्षरित किया था. 2015 के इस परमाणु समझौते में ईरान अपनी संवेदनशील परमाणु गतिविधियों को सीमित करने और अन्तर्राष्ट्रीय निरीक्षकों को जांच की अुनमति देने पर राजी हुआ था. इसके बदले ईरान के खिलाफ लगे कड़े आर्थिक प्रतिबंध को हटाने का प्रावधान था.

2018 में अमेरिका इस परमाणु समझौते से अलग हो गया था. परन्तु रूस, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम अभी भी इस समझौते में बना हुआ है.

इराक़ की संसद ने सभी विदेशी सैनिकों से देश छोड़ने को कहा

इराक़ की संसद ने 6 जनवरी को एक प्रस्ताव पास कर सभी विदेशी सैनिकों से मुल्क छोड़ने को कहा है. अमेरिका द्वारा किए गए हवाई हमले में ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख जनरल क़ासिम सुलेमानी की मौत के बाद इराक़ की संसद ने ये प्रस्ताव पास किया है. इराक ने देश में हुए अमेरिकी हवाई हमले की शिकायतें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् को सौंप दी हैं.

इराक़ में अभी अमरीका के पाँच हज़ार सैनिक हैं. इराकी संसद ने विदेशी बलों को इराक़ की ज़मीन, हवाई क्षेत्र और जलक्षेत्र के इस्तेमाल को रोकने और अमरीकी सेना को सभी तरह की मदद बंद किये जाने की बात भी कही है.

ईरान और अमेरिका के बीच तनाव: अमेरिकी हमले में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की मौत

ईरान और अमेरिका के बीच तनाव एक बार फिर तब गहरा गया जब अमेरिका ने ईरान की कुद्स फोर्स के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी को एक हवाई हमले में मार गिराया है. यह हवाई हमला इराक में बगदाद अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर किया गया था. इस हमले में कताइब हिजबुल्लाह कमांडर अबू महदी अल-मुहादिस भी मारा गया.

हमले की वजह

  • अमेरिका ने कुद्स फोर्स के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी समेत कताइब हिज़्बुल्लाह संगठन को आतंकवादी घोषित कर रखा है. कासिम सुलेमानी पश्चिमी एशिया में ईरानी गतिविधियों को चलाने का प्रमुख रणनीतिकार माना जाता था.
  • जनरल सुलेमानी ने यमन से सीरिया तक और इराक से लेकर दूसरे देशों तक रिश्तों का ऐसा नेटवर्क तैयार किया था, जिससे ईरान के असर को बढ़ाया जा सके.
  • कताइब हिज़्बुल्लाह का संबंध ईरान के इस्लामिक रिवॉल्युशन गार्ड कोर यानि IRGC के वैश्विक ऑपरेशन आर्म कुद्स फोर्स से है और इसे ईरान से कई तरह की मदद मिल रही है.
  • इस हमले के बाद अमेरिकी रक्षा विभाग की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के निर्देश पर विदेश में रह रहे अमेरिकी सैन्यकर्मियों की रक्षा के लिए कासिम सोलेमानी को मारने का कदम उठाया गया है.
  • सुलेमानी बीते 27 दिसंबर समेत कई महीनों से इराक स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमलों को अंजाम देने में शामिल रहे हैं. इसके अलावा बीते हफ्ते अमेरिकी दूतावास पर हुए हमले को भी उन्होंने अपनी स्वीकृति दी थी.

क्या है कुद्स फोर्स?

कुद्स फोर्स ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स की एक शाखा है, जो देश के बाहर के अभियानों को अंजाम देती है. इसके प्रमुख मेजर जनरल कासिम सुलेमानी सीधे तौर पर देश के सर्वोच्च नेता आयतोल्लाह अली खामेनेई के प्रति जवाबदेह थे.

2003 में अमरीका के नेतृत्व में हुए सैन्य हमलों में इराक़ में सद्दाम हुसैन की सत्ता ख़त्म हो गई. इसके बाद से मध्यपूर्व में कुद्स फोर्स ने अपने अभियान तेज़ किए.

ईरान की प्रतिक्रिया

ईरान के खमेनी ने सुलेमानी की मौत के बाद तीन दिन के शोक की घोषणा की है और अमेरिका के इस हमले पर बेहद तल्‍ख प्रतिक्रिया दी है. अमेरिकी विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने कहा कि अमेरिका की यह कार्रवाई अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद है. जनरल सुलेमानी उस कुर्दिश सैन्‍य बल के प्रमुख थे जो आईएस, अल-नुसरा, अल-कायदा के खिलाफ प्रभावी लड़ाई लड़ रहा था.

सऊदी अरब की तेल कंपनी पर ड्रोन से हमले किये गये

सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको के अबकैक और खुराइस में स्थित तेल कुओं पर 14 सितम्बर को ड्रोन से हमले किये गये. हमले के बाद से सऊदी अरब की तेल कंपनी ने उत्पादन को लगभग आधा कर दिया है. बीते 4 महीनों में यह छठा मौका है, जब सऊदी अरब के फैसिलिटी सेंटर या फिर आपूर्ति करने वाले तेल टैंकरों को निशाना बनाया गया.

आपूर्ति को लेकर संकट

हमले से इस इंडस्ट्री के समक्ष पहली बार आपूर्ति को लेकर संकट खड़ा हो गया है. इस हमले के चलते आपूर्ति में 57 लाख बैरल प्रतिदिन की कमी आई है, जो वैश्विक आपूर्ति का 6 फीसदी है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में ग्लोबल क्रूड सप्लाई चेन के लिए यह गंभीर चुनौती है और अनियंत्रित युद्ध की स्थिति में विकट हालात पैदा हो सकते हैं.

हमले की जिम्मेदारी हूथी विद्रोही संगठन ने ली

अरामको के अबकैक और खुराइस में स्थित तेल कुओं पर हमले की जिम्मेदारी यमन के हथियारबंद हूथी विद्रोही संगठन ने ली थी. लेकिन अमरीका और सउदी अरब को संदेह है कि यह हमला ईरान द्वारा किया गया है. सउदी अरब ने कहा है कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि हमारे तेल संयंत्र पर हमला ईरानी हथियारों से किया गया था.

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव

सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर हमले के बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव गहरा गया है. अमरीका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने ईरान पर सउदी तेल प्रतिष्‍ठानों पर कल के ड्रोन हमलों का आरोप लगाया है. जबकि ईरान ने अमेरिका के दावे को सिरे से खारिज किया है.ईरान ने कहा है कि अमेरिका उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई के बहाने तलाश रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सऊदी अरब को अमेरिका की ओर से समर्थन देने का प्रस्ताव दिया है.

सउदी अरब, अमरीका के नेतृत्‍व वाले संगठन में शामिल हुआ

सउदी अरब ने कहा है कि वह पश्चिम एशिया के समुद्री मार्गों और तेल उद्योग को ईरान से होने वाले संभावित हमलों से सुरक्षित रखने के लिए अमरीका के नेतृत्‍व वाले संगठन में शामिल हो गया है. सउदी अरब का यह फैसला अमरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो की आगामी सउदी अरब यात्रा को देखते हुए किया गया है.


ईरान ने नई देसी वायु रक्षा प्रणाली ‘बावर-373’ का अनावरण किया

ईरान ने 22 अगस्त को नई देसी वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) ‘बावर-373’ का अनावरण किया. इस मिसाइल प्रणाली को रूस की S-300 का उन्नत रूप बताया गया है. यह एक बार में 100 लक्ष्यों को पहचान सकता है और छह अलग-अलग हथियारों से लक्ष्यों को भेद सकता है.

साल 1992 से लेकर अब तक ईरान ने स्वेदशी रक्षा उद्योग विकसित किया जिसके तहत मोटार्र और टॉर्पीडो से लेकर टैंक और पनडुब्बियों तक हल्के और भारी हथियार बनाए हैं.

अमेरिका के साथ बातचीत निरर्थक: अमेरिका के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाते हुए ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि अमेरिका के साथ वार्ता व्यर्थ है क्योंकि विश्व शक्तियों के साथ तेहरान का परमाणु समझौता और कमजोर होगा.

फ्रांस के परमाणु समझौते के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए तैयार: ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने कहा है कि हम 2015 में हुए परमाणु समझौतों को आगे बढ़ाने व उस पर विचार करने के लिए तैयार हैं. इस समझौते में फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने अहम भूमिका निभाई थी.