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ईरान-इस्राइल तनाव: ईरान ने इस्राइल पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया

ईरान ने 14 अप्रैल को इस्राइल पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया. इस्राइली सेना के अनुसार अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस और अन्य देशों की मदद से उन्होंने लगभग सभी मिसाइलों और ड्रोन को लक्ष्‍य तक पहुंचने से पहले ही नाकाम कर दिया.

मुख्य घटनाक्रम

  • ईरान ने कहा है कि उसकी ओर से 1 अप्रैल को सीरिया में उसके वाणिज्‍य दूतावास पर हुए हमले के जवाब में कार्रवाई की गई. सीरिया में हुए हमले में ईरान के वरिष्‍ठ सैन्य कमांडरों की मृत्‍यु हो गई थी.
  • इस्राइली सेना ने कहा है कि इस्राइल पर तीन सौ से अधिक ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया गया. हमले के दौरान किसी के मरने की खबर नहीं है और नुकसान भी सीमित स्‍तर पर ही हुआ.
  • परमाणु ऊर्जा संबंधी मामलों की निगरानी करने वाली संयुक्त राष्‍ट्र की संस्‍था अंतरराष्‍ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने ईरान के परमाणु अड्डों पर इस्राइल के हमले की संभावना को लेकर चिंता व्यक्त की है.
  • IAEA ने बताया कि ईरान ने इस्राइल की ओर से बडे पैमाने पर मिसाइल और ड्रोन हमलों की आशंका के लिहाज से सुरक्षा को ध्‍यान में रखते हुए अपने परमाणु अड्डों को अस्‍थाई तौर पर बंद कर दिया है.

अमेरिका ने फलस्तीनी क्षेत्र में बस्तियां बनाने की इस्राइल की नीति का समर्थन किया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृ्त्व में अमेरिका ने इजरायल के प्रति अपनी नीतियों में बड़ा बदलाव किया है. ट्रम्प प्रशासन ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय की नीति को पलटते हुए इजराइल के वेस्ट बैंक और पूर्व येरुशलम पर कब्जे को मान्यता दी है.

इस बदलाव के तहत अमेरिका ने फलस्तीन में पश्चिमी तट (वेस्ट बैंक) पर बस्तियां बनाने के इस्राइल के अधिकार का समर्थन किया है. अमेरिका इसे अब अन्तर्राष्ट्रीय कानून के तहत असंगत रूप में नहीं देखता.

अमरीका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने 18 नवम्बर को घोषणा की कि अमरीका अब यह नहीं मानता कि फलस्तीनी क्षेत्र में इस्राइल की बस्तियां अवैध है. इन बस्तियों को बार-बार अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कहने का कोई फायदा नहीं हुआ. इसकी वजह से शांति की कोशिशें भी नहीं हुई हैं.

अमेरिकी समर्थन पर प्रतिक्रिया

इस्राइल के प्रधानमंत्री ने कहा है कि अमरीका का बयान ऐतिहासिक भूल में सुधार है. लेकिन फलस्तीन प्रशासन ने अमरीकी नीति में बदलाव की निंदा की है और इसे अन्तर्राष्ट्रीय कानून के खिलाफ बताया है. इस बीच, यूरोपीय संघ ने फलस्तीनी क्षेत्र में बस्तियां बनाने की इस्राइल की नीति की आलोचना की है.

वेस्ट बैंक विवाद क्या है?

  • फिलीस्तीन और इजराइल के बीच वेस्ट बैंक, पूर्वी येरूशेलम के हिस्से को लेकर दशकों से विवाद चल रहा है. दोनों देश इस मुद्दे पर एक-दूसरे पर गोलियां और मिसाइलें दागते रहते हैं.
  • 1967 के तीसरे अरब-इजराइल युद्ध में इजराइल ने अपने तीन पड़ोसी देशों सीरिया, मिस्र और जॉर्डन को हराया था. इसके बाद उसने वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम के बड़े हिस्से पर कब्जा कर 140 बस्तियां बना दी थीं.
  • इन क्षेत्रों में अभी करीब 6 लाख यहूदी रहते हैं. इन बस्तियों को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध करार दिया जाता है, हालांकि इजराइल ने इन्हें अपना हिस्सा मानता है.
  • फिलिस्तीनी लंबे समय से इन बस्तियों को हटाने की मांग कर रहा है. उनका कहना है कि वेस्ट बैंक में यहूदियों के रहने से उनका भविष्य में आजाद फिलिस्तीन का सपना पूरा नहीं हो पाएगा.
  • दरअसल फिलीस्तीन वेस्ट बैंक, पूर्वी येरूशेलम और गाजा पट्टी को साथ मिलाकर एक देश बनाना चाहता है. लेकिन इजराइल वेस्ट बैंक और पूर्वी येरूशेलम पर अपना दावा करता है.
  • इजराइल इस क्षेत्रों में यहूदियों की बस्ती का विस्तार कर उसे अपने अधिकार में लेना चाहता है. इजराइल की ओर से सिर्फ वेस्ट बैंक पर लाखों यहूदियों को बसाया जा चुका है. लेकिन इसी हिस्से में करीब 25 लाख फिलीस्तीनी लोग भी रहते हैं.
  • 1978 में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने फैसला लिया था कि वेस्ट बैंक में इजराइली बस्तियां अन्तर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन हैं. 2016 में संयुक्त राष्ट्र में इस पर एक प्रस्ताव लाया गया था, जिसमें इजराइल के अवैध कब्जों को खत्म करने की मांग की गई थी. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस प्रस्ताव पर वीटो करने से इनकार कर दिया था.

अमरीका ने गोलान पहाड़ी पर इजराइल की सम्‍प्रभुता को मान्‍यता दी