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अमरीका और ब्रिटेन ने हूती आतंकी गुट के खिलाफ व्यापक हमले शुरू किए

अमरीका और ब्रिटेन ने यमन में हूती आतंकी गुट के खिलाफ व्‍यापक हमले शुरू कर दिए हैं. यह कार्रवाई लाल सागर से होकर गुजरने वाले वाणिज्यिक जहाजों पर हूती आतंकी गुट के लगातार हमलों के बाद की गई है.

मुख्य बिन्दु

  • अमरीकी राष्‍ट्रपति जो. बाइडन ने एक वक्‍तव्‍य में हमलों की पुष्टि की है. उन्‍होंने कहा कि हमले अमरीकी रक्षा बलों ने ब्रिटेन के साथ मिलकर ऑस्‍ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा और नीदरलैंड के सहयोग से किए हैं. ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी कहा कि आत्‍मरक्षा के लिए ये हमले जरूरी हैं.
  • अमरीका ने लाल सागर में हूती धमकियों का मुकाबला करने के लिए दस देशों के एक नया बहुराष्ट्रीय कार्यवाही बल बनाया है. इस कार्यबल का नाम ऑपरेशन प्रोस्‍पर्टी गार्जेन (Operation Prosperty Guardian) रखा गया है. इस कार्यबल में बहरीन, कनाडा, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, सिशिल्‍स, स्‍पेन और ब्रिटेन की नौसेनाएं शामिल हैं.
  • ईरान ने हूती विद्रोही समूहों का समर्थन किया है.  हूती विद्रोही समूह इस्राइल-हमास संघर्ष के विरोध में लाल सागर में व्यापारियों के जहाजों पर हमले कर रहा है.

कौन हैं हूती?

  • हूती यमन के अल्पसंख्यक शिया ‘ज़ैदी’ समुदाय का एक हथियारबंद समूह है. इस समुदाय ने 1990 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के कथित भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए इस समूह का गठन किया था. उनका नाम उनके अभियान के संस्थापक हुसैन अल हूती के नाम पर पड़ा है.
  • 2003 में अमेरिका के नेतृत्व में इराक़ पर हुए हमले में हूती विद्रोहियों ने नारा दिया था, ‘’ईश्वर महान है. अमेरिका का ख़ात्मा हो, इसराइल का ख़ात्मा हो. यहूदियों का विनाश हो और इस्लाम का विजय हो.’’

अमरीका ने हूती धमकियों का मुकाबला करने के लिए एक नया बहुराष्ट्रीय कार्यवाही बल बनाया

अमरीका ने लाल सागर में हूती धमकियों का मुकाबला करने के लिए दस देशों के एक नया बहुराष्ट्रीय कार्यवाही बल बनाया है. इस कार्यबल का नाम ऑपरेशन प्रोस्‍पर्टी गार्जेन (Operation Prosperty Guardian) रखा गया है.

मुख्य बिन्दु

  • इस कार्यबल में बहरीन, कनाडा, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, सिशिल्‍स, स्‍पेन और ब्रिटेन की नौसेनाएं शामिल हैं. नई सुरक्षा पहल दक्षिणी लाल सागर में सुरक्षा चुनौतियों का समाधान निकालेगी.
  • अमरीका के रक्षामंत्री लॉएड ऑस्ट्रिन ने जानकारी देते हुए बताया कि हूसी ने लाल सागर में जहाजों को रोकने और अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है.
  • दक्षिणी लाल सागर में यमन और अदन की खाड़ी के निकट बॉब अल-मानदेब जल क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी देशों के जहाजों के आवागमन और क्षेत्रीय सुरक्षा तथा समृद्धि को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगा.
  • ईरान ने हूती विद्रोही समूहों का समर्थन किया है, जो कि लगातार व्यापारियों के जहाजों पर हमले कर रहा है और उसने विभिन्न कंपनियों पर दबाव डाला था कि वे पिछले सप्ताहों में क्षेत्र में जहाजों के मार्गों को बंद करे.

कौन हैं हूती?

  • हूती यमन के अल्पसंख्यक शिया ‘ज़ैदी’ समुदाय का एक हथियारबंद समूह है. इस समुदाय ने 1990 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के कथित भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए इस समूह का गठन किया था. उनका नाम उनके अभियान के संस्थापक हुसैन अल हूती के नाम पर पड़ा है.
  • 2003 में अमेरिका के नेतृत्व में इराक़ पर हुए हमले में हूती विद्रोहियों ने नारा दिया था, ‘‘ईश्वर महान है. अमेरिका का ख़ात्मा हो, इसराइल का ख़ात्मा हो. यहूदियों का विनाश हो और इस्लाम का विजय हो.’’

घटनाक्रम

  • नवंबर 2023 में हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में एक कार्गो शिप अपने क़ब्ज़े में ले लिया था. उनका कहना था कि ये इसराइल का है.
  • तीन दिसंबर के बाद से हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में कई सारे व्यापारिक जहाज़ों को निशाना बनाया है. अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांसीसी युद्धपोतों ने हवा से मार करने वाले ऐसे कई हथियारों को मार गिराया, फिर भी बहुत से जहाज़ इनकी चपेट में आ गए.
  • हूती विद्रोहियों ने 18 दिसंबर को भारत के वेरावल से सिर्फ 200 समुद्री मील दूर एक तेल टैंकर पर ड्रोन हमला किया था. लाइबेरियाई झंडे वाला यह टैंकर शिप इजरायल से संबंधित था और भारत आ रहा था.

अमरीका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन की इस्राइल यात्रा

अमरीका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन 18 अकतूबर को इस्राइल के दौरे पर थे. इससे ठीक पहले अमरीका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस्राइल और फलिस्‍तीन की यात्रा की थी.

मुख्य बिन्दु

  • राष्ट्रपति बाइडेन इस यात्रा के दौरान तेल अवीव में इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और जॉर्डन में अरब देशों के नेताओं से मिलने का कार्यक्रम था. लेकिन गाजा के अस्पताल पर हुए हमले के विरोध में जॉर्डन ने इस  मीटिंग को रद्द कर दिया.
  • लेकिन जॉर्डन की मीटिंग का कैंसिल होना दिखाता है कि मिडिल ईस्ट के नेताओं को बाइडेन पर भरोसा नहीं है.
  • अमेरिका चाहता है कि इजरायल गाजा के लिए मदद को अनुमति दे. इसके अलावा फंसे हुए अमेरिकी लोगों के लिए सुरक्षित रास्ता दे.
  • अमरीका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि आतंकी संगठन हमास फलिस्‍तीन के सभी लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है. श्री बाइडेन ने कहा कि हमास को पूरी तरह से खत्‍म किया जाना चाहिए.
  • 7 अक्टूबर को फलिस्‍तीन के आतंकी समूह हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया था. इसमें 1300 से ज्यादा इजरायली मारे गए थे. इस घटना के बाद इजरायल और हमास के बीच संघर्ष जारी है.

अमरीका ने देश की कर्ज लेने की सीमा बढ़ाने से जुड़े विधेयक पर हस्ताक्षर किया

अमरीका के राष्ट्रपति जो. बाइडेन ने देश की कर्ज लेने की सीमा बढ़ाने से जुड़े विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं.इससे पहले सीनेट ने कर्ज सीमा बढ़ाने से जुड़े विधेयक को इस सप्ताह मंजूरी दी थी।

मुख्य बिन्दु

  • अगर इस विधेयक पर समय रहते हस्ताक्षर नहीं किए गए होते तो अमरीका अपने ऋण का भुगतान करने में विफल रहता.
  • विधेयक पर हस्ताक्षर से राजकोषीय उत्तरदायित्व अधिनियम के माध्यम से सरकार के कर्ज लेने की सीमा पर लगी रोक हट गई है।
  • अमरीकी वित्त विभाग ने 5 जून तक कर्ज सीमा नहीं बढ़ाने की स्थिति में चेतावनी देते हुए कहा था कि अमरीकी सरकार 31 ट्रिलियन कर्ज का भुगतान करने में विफल हो सकती है.

अमरीका, भारत और UAE के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की सऊदी अरब युवराज से मुलाकात

अमरीका, भारत और संयुक्‍त अरब अमीरात के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने सऊदी अरब के युवराज और प्रधानमंत्री मोहम्‍मद बिन सलमान से 7 मई को मुलाकात की थी. इस मुलाकात में बुनियादी ढांचे पर क्षेत्रीय पहल के सम्‍बंध में चर्चा की.

  • भारत के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, अमरीका के जैक सुलिवान और संयुक्‍त अरब अमीरात के शेख ताहनून बिन जायद अल नाह्यान ने ऑस्‍ट्रेलिया में इस महीने होने वाले क्‍वाड शिखर सम्‍मेलन से पहले इस बैठक में भाग लिया.
  • अमरीका ने कहा है कि इस बैठक में नेताओं को भारत और विश्‍व से जुडे अधिक सुरक्षित और खुशहाल मध्‍य-पूर्व क्षेत्र के संबंध में अपने दृष्टिकोण साझा करने के लिए कहा गया.
  • सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बैठक में इन देशों के बीच संबंधों को इस तरीके से मजबूत करने के उपायों पर चर्चा हुई ताकि इस क्षेत्र में विकास और स्थिरता को बढावा मिले.
  • भारत के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने इस दौरान अमरीका के अपने समकक्ष के साथ द्विपक्षीय बैठक की और आपसी तथा क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया.

अमेरिका ने स्वीडन और फिनलैंड को NATO के सदस्यता के लिए अनुमोदन किया

अमेरिका ने स्वीडन और फिनलैंड को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) मे शामिल करने के लिए अनुमोदन कर दिया है. अमरीका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन ने 9 अगस्त को दोनों देशों के नैटो गठबंधन में शामिल होने के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए.

मुख्य बिन्दु

यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई की प्रतिक्रिया में स्‍वीडन और फिनलैंड ने नैटो की सदस्‍यता के लिए आवेदन किया था. जबकि, रूस इसके खिलाफ दोनों देशों को लगातार चेतावनी देता रहा है.

तुर्की ने शुरू में नैटो संगठन में इन नॉर्डिक देशों के प्रवेश का विरोध करते हुए आरोप लगाया था कि दोनों देश कुर्द अलगाववादियों को आश्रय दे रहे हैं. मैड्रिड में त्रिपक्षीय बैठक में तुर्की ने कुछ शर्तों के बाद विरोध समाप्त कर दिया था.

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) क्या है?

नाटो या NATO, North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) का संक्षिप्त रूप है. यह 30 यूरोपीय और उत्तरी अमरीकी देशों का एक सैन्य गठबन्धन है जो रूसी आक्रमण के खिलाफ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में बनाया गया था. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है. नाटो सदस्य देशों ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत बाहरी हमले की स्थिति में सदस्य देश सहयोग करते हैं.

नाटो के सदस्य देश

मूल रूप से नाटो में 12 सदस्य (फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका) थे जो अब बढ़कर 30 हो गए हैं.

नाटो के अन्य सदस्य देश: ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, अल्बानिया, क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो, उत्तर मैसेडोनिया (2020 मे शामिल), स्वीडन (2022 प्रस्तावित) और फिनलैंड (2022 प्रस्तावित).

अमेरिका – चीन तनाव, अमरीकी संसद की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा

हाल के दिनों में अमेरिका और चीन के बीच संबंध निचले स्तर पर पहुंच गया है. दोनों देशों के बीच तनाव तब चरण पर पहुँच गया जब अमरीकी संसद की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) चीन की चेतावनी के बावजूद 2 अगस्त को ताइवान पहुंच गई.

मुख्य घटनाक्रम: एक दृष्टि

  • सुश्री पेलोसी पिछले 25 वर्ष में ताइवान जाने वाली चुनी हुई उच्चस्तरीय अमरीकी अधिकारी हैं. उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा से अमरीका की आधिकारिक नीति का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है.
  • उन्होंने ताइवान की राष्‍ट्रपति साइ-इंग-वेन और सांसदों से मुलाकात की. हालांकि, चीन, ताइवान को अलग देश के बजाय अपना अभिन्न अंग मानता है; सुश्री पेलोसी ने ताइवान के प्रति अमरीका की प्रतिबद्धता को दोहराया.
  • नैंसी पेलोसी के चीन की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए ताइवान पहुंचने के बाद चीन ने घोषणा की है कि वह लक्षित सैन्य अभियान शुरू करेगा. अमरीका की रिपब्लिकन पार्टी ने सुश्री पेलोसी की यात्रा का समर्थन किया है.

चीन-ताइवान विवाद क्या है?

  • चीन अपने ‘वन चाइना पॉलिसी’ के तहत ताइवान को अलग देश के बजाय अपना अभिन्न अंग मानता है. दूसरी तरफ ताइवान खुद को एक अलग और संप्रभु राष्ट्र मानता है. चीन नहीं चाहता है कि ताइवान के मुद्दे पर किसी भी तरह का विदेशी दखल हो.
  • ताइवान पहले चीन का हिस्सा था. 1644 के दौरान जब चीन में चिंग वंश का शासन तो ताइवान उसी के हिस्से में था. 1895 में चीन ने ताइवान को जापान को सौंप दिया.
  • 1949 में चीन में गृहयुद्ध हुआ तो माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने चियांग काई शेक के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कॉमिंगतांग पार्टी को हरा दिया. इसके बाद कॉमिंगतांग पार्टी ताइवान पहुंच गई और वहां जाकर अपनी सरकार बना ली.
  • दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की हार हुई तो उसने कॉमिंगतांग को ताइवान का नियंत्रण सौंप दिया. इसके बाद से ताइवान में चुनी हुई सरकार बन रही है. वहां का अपना संविधान भी है.
  • ताइवान का असली नाम रिपब्‍ल‍िक ऑफ चाइना है. वहीं चीन का नाम पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना है.

अमेरिका में वर्ष 2013 के बाद पोलियो संक्रमण का मामला

अमेरिका में वर्ष 2013 के बाद पोलियो संक्रमण का मामला आया है. इस अमेरिकी नागरिक का टीकाकरण नहीं किया गया था. यह व्यक्ति कथित तौर पर उस प्रकार के पोलियो वायरस के संपर्क में आया जो जिसका इस्तेमाल पोलियो रोधी टीका में किया गया.

अमेरिका में इस प्रकार के टीके का इस्तेमाल वर्ष 2000 के बाद से नहीं किया गया है. संभवतः पोलियो वायरस का यह संक्रमण किसी बाहरी देश में उत्पन्न हुआ होगा, जहां अब भी टीके पिलाए जाते हैं.

पोलियो टीके के प्रकार

  • पोलियो टीके दो प्रकार के हैं. पहला पिलाया जाने वाला टीका ओर दूसरा इंजेक्शन की मदद से लगाया जाने वाला टीका.
  • पिलाया जाने वाला पोलियो टीका, मूल रूप से अल्बर्ट सेबिन ने विकसित किया था. इसे टीके को बनाने में एक कमजोर जीवित पोलियो वायरस का इस्तेमाल किया जाता है.
  • दूसरी तरह के पोलियो टीके को मूल रूप से जोनास साल्क द्वारा विकसित किया गया था. इस टीके में निष्क्रिय और मृत वायरस का इस्तेमाल किया जाता है, और इसे इंजेक्शन की मदद से लगाया जाता है.
  • पिलाये जाने वाले पोलियो टीके में वायरस के कमजोर रूप की मौजूदगी बीमारी को जन्म नहीं दे सकती. लेकिन यह टीका मुंह के जरिये दिया जाता है, इसलिए कमजोर वायरस मल के जरिये निकलकर फैल जाते हैं.
  • यदि यह कमजोर वायरस लंबे समय तक एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुंचकर उत्परिवर्तित (म्युटेट) होता रहा, तो यह लकवा देने यानी लोगों को विकलांग बनाने की अपनी क्षमता को दोबारा हासिल कर सकता है.
  • मुंह के जरिये दिये जाने वाले पोलियो टीके का एक सकारात्मक पहलू यह है कि, कमजोर वायरस पूरे समुदाय में फैल सकता है. इससे उन लोगों में भी प्रतिरक्षा उत्पन्न हो जाती है, जिनका प्रत्यक्ष रूप से टीकाकरण नहीं किया गया है.

अमरीका में सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के अधिकार को समाप्त किया

अमरीका में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के गर्भपात के अधिकार को समाप्त करने का निर्देश दिया है. 50 वर्ष पुराने एक फैसले में अमरीका में गर्भपात को महिलाओं का संवैधानिक अधिकार माना गया था.

मुख्य बिंदु

  • सुप्रीम कोर्ट ने 3 के मुकाबले 6 के बहुमत से रिपब्लिकन समर्थित मिसिसिपी कानून को लागू किया, जो 15 सप्ताह के बाद गर्भपात को प्रतिबंधित करता है. इस फैसले से अमरीका में गर्भपात कानूनों में बदलाव आएगा.
  • सुप्रीम कोर्ट ने 50 साल पहले के रो वर्सेज वेड फैसले को पलट दिया है और गर्भपात का संवैधानिक अधिकार खत्म कर दिया है.
  • 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए महिलाओं को अपनी मर्जी से गर्भपात का अधिकार दिया था.

कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की वैश्विक पहल ‘फर्स्ट मूवर्स कोलिशन’ में शामिल हुआ भारत


भारत कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की वैश्विक पहल ‘फर्स्ट मूवर्स कोलिशन’ (First Movers Coalition) में शामिल हुआ है. यह पहल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन और विश्व आर्थिक फोरम (WEF) द्वारा COP26 में शुरू की गई थी.

फर्स्ट मूवर्स कोलिशन: मुख्य बिंदु

  • इस पहल का उद्देश्य भारी उद्योगों और लंबी दूरी वाले परिवहन क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना है. इस पहल के लक्षित क्षेत्रों में एल्यूमीनियम, विमानन, रसायन, कंक्रीट, शिपिंग, स्टील और ट्रकिंग शामिल हैं.
  • वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन में भारी उद्योगों और लंबी दूरी के परिवहन क्षेत्रों की भागीदारी 30 प्रतिशत है. इन क्षेत्रों में उत्सर्जन मध्य शताब्दी तक लगभग 50% तक बढ़ जाने की उम्मीद है.
  • भारत के अलावा, डेनमार्क, इटली, जापान, नॉर्वे, सिंगापुर, स्वीडन और यूके इस गठबंधन में शामिल हुए हैं.

अमरीका ने समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा का शुभारम्‍भ किया

अमरीका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन ने समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा (IPEF) का शुभारम्‍भ किया है. इसका शुभारम्भ क्वाड शिखर सम्मेलन 2022 के दौरान 24 मई को किया गया. यह सम्मेलन जापान के तोक्यो में आयोजित किया गया था.

मुख्य बिंदु

  • आरम्भ में इस आर्थिक रूपरेखा में अमरीका के अलावा 12 अन्‍य देश – भारत, ऑस्‍ट्रेलिया, जापान, ब्रनेई, इंडोनेशिया, कोरिया, मलेशिया, न्‍यूजीलैंड, फिलीपिंस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं. ये देश विश्‍व के सकल घरेलू उत्पाद के चालीस प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं.
  • IPEF का उद्देश्‍य हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo Pacific Region) में आने वाले दशकों में प्रौद्योगिकी नवाचार और वैश्विक अर्थव्यवस्था के संबंधों को मजबूत करना और इस क्षेत्र में चीन के आक्रामक विस्तार का मुकाबला करना है.
  • भारत के दक्षिण में समुद्री क्षेत्र से लेकर ऑस्ट्रेलिया से आगे तक का विशाल जलक्षेत्र बिजनस और अर्थव्यवस्था के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. इसे ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र कहते हैं.
  • यह सीधे तौर पर अमेरिका की पहल है. IPEF में 12 देश अमेरिका के साथ जिनमें 7 आसियान देश हैं, लेकिन कंबोडिया, लाओस जैसे देश इससे दूर रहे जिन्हें चीन का करीबी माना जाता है. अमेरिका ने फिलहाल ताइवान को IPEF से दूर रखा है.
  • IPEF के माध्यम से अमेरिका, सीधे तौर पर चीन को चुनौती देना चाहता है. दरअसल, चीन सहित 15 सदस्य देश रीजनल कंप्रेहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) व्यापर समझौता में शामिल है. इसमें जापान और दक्षिण कोरिया और 10 एशियाई देश हैं. हालांकि अमेरिका ने साफ किया है कि यह पहल कोई मुक्त व्यापर समझौता नहीं है और न ही सुरक्षा व्यवस्था है.

अमेरिका ने भारत सहित सात देशों को अपनी USTR’s निगरानी सूची में बरकरार रखा

संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ने भारत सहित सात देशों को बौद्धिक संपदा संरक्षण (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टीज) के लिए अपनी प्राथमिकता निगरानी सूची (Priority Watch List) में बरकरार रखा है. भारत के अलाबे ये देश हैं- अर्जेंटीना, चिली, चीन, इंडोनेशिया, रूस और वेनेजुएला. इस वर्ष की सूची के शामिल सातों देश पिछले वर्ष की सूची में भी शामिल थे.

अमरीका ने आरोप लगाते हुए यह कदम उठाया है कि इन देशों में बौद्धिक संपदाओं और उनके प्रवर्तन ने अमरीकियों की न्यायोचित बाजार पहुंच को हानि पहुंचाई है.

अमेरिका के अनुसार, भारत में बौद्धिक संपदा चुनौतियों ने अमरीकी व्यापारियों के लिए इस देश में पेटेंट हासिल करना, कायम रखना और उसे लागू करना मुश्किल कर दिया है.

बौद्धिक संपदा

विश्व बौद्धिक संपदा अधिकार संगठन के अनुसार, बौद्धिक संपदा में साहित्यिक और कलात्मक कार्यों, प्रतीकों, नामों और छवियों का निर्माण शामिल है. चार प्रमुख बौद्धिक संपदा अधिकारों में अविष्कार, भौगोलिक संकेत, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिजाइन शामिल हैं.