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जर्काता में आसियान भारत सम्‍मेलन और पूर्वी एशिया सम्‍मेलन आयोजित किया गया

इंडोनेशिया के जर्काता में 6-7 सितम्‍बर को आसियान भारत सम्मेलन और पूर्वी एशिया सम्मेलन आयोजित किया गया था. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस सम्‍मेलन में भाग लेने के लिए इंडोनेशिया की यात्रा पर थे. दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान का वर्तमान अध्‍यक्ष इंडोनेशिया है. भारत पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन का संस्थापक सदस्य है.

मुख्य बिन्दु

  • इस सम्मेलन में भारत-आसियान संबंधों की प्रगति की समीक्षा की गई और आपसी सहयोग की भावी दिशा निर्धारित की गई.
  • पूर्वी एशिया सम्‍मेलन में भारत सहित इसके आठ वार्ता भागीदार क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर विचार साझा किए.
  • आसियान और भारत खाद्य सुरक्षा, पोषण, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला तथा श्रीअन्‍न और जलवायु अनुकुल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वित्तीय सहयोग करने पर सहमत हुए हैं.
  • आसियान देश और भारत चावल और अन्‍य प्राथमिक कृषि उत्‍पादों और पोषक अनाज के बारे में जानकारी के आदान प्रदान की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की.
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारत-आसियान सहयोग को सशक्‍त करने के लिए 12-सूत्रीय प्रस्ताव प्रस्तुत किया है. इसमें सम्‍पर्क सुविधा, डिजिटल परिवर्तन, व्यापार और आर्थिक जुड़ाव, समकालीन चुनौतियों का समाधान, लोगों के बीच आपसी सम्‍पर्क तथा रणनीतिक जुड़ाव को गहरा करना शामिल है.
  • श्री मोदी ने दक्षिण-पूर्व, एशिया-भारत-पश्चिम और एशिया-यूरोप को जोड़ने वाले मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी तथा आर्थिक गलियारे को प्रारंभ करने का प्रस्ताव रखा.

विदेश मंत्री इंडोनेशिया और थाईलैन्‍ड की यात्रा संपन्न की

विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्‍यम जयशंकर 12 से 16 जुलाई तक इंडोनेशिया और थाईलैंड की यात्रा पर थे.

मुख्य बिन्दु

  • इस यात्रा के पहले चरण में वे इंडोनेशिया के जकार्ता में 14 जुलाई को आसियान भारत, पूर्वी एशिया शिखर सम्‍मेलन और आसियान क्षेत्रीय मंच में विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया था. इससे पहले उन्‍होंने आसियान महासचिव के साथ बैठक की थी.
  • थाईलैन्‍ड डॉ. जयशंकर ने वहाँ के उप-प्रधानमंत्री और विदेशमंत्री दोन प्रमुदविनई से भी वार्ता बैठक की. वह म्‍यांमार के विदेशमंत्री यू-थान-स्‍बे से भी मिले. बैठक में उन्होंने भारत-म्‍यांमार-थाईलैण्‍ड त्रि-स्‍तरीय राजमार्ग के निर्माण को प्राथमिकता दी.
  • विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने बैंकाक में लाओस के विदेश मंत्री सालेमक्‍से कोमासित के साथ 12वीं मेकांग-गंगा सहयोग बैठक में भाग लिया.
  • भारत और मेकांग गंगा सहयोग के भागीदार देशों ने आर्थिक सहयोग के लिए एक कारोबार परिषद बनाने का निर्णय लिया.
  • दोनों नेताओं ने इसके दायरे को कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा जल संसाधन प्रबंधन तक बढाने का फैसला किया.

मेकांग गंगा सहयोग (MGC)

यह गंगा और मेकांग नदी घाटियों को साझा करने वाले छह आसियान देशों के बीच बेहतर संबंधों को बढ़ावा देने के लिए तैयार की गई एक परियोजना है.

MGC को वर्ष 2000 में लाओस की राजधानी वियनतियाने में पेश किया गया था. कंबोडिया, भारत, लाओस, म्यानमार और थाईलैंड, वियतनाम इसके सदस्य देश हैं.

कंबोडिया में 40वां और 41वां आसियान शिखर सम्‍मेलन आयोजित किया गया

कंबोडिया के नोम पेन्ह में 10 से 13 नवंबर तक आसियान (ASEAN) और संबंधित शिखर सम्‍मेलन 2022 आयोजित किया गया था.

मुख्य बिन्दु

  • इस सम्मेलन के इतर आसियान-भारत स्मारक शिखर सम्मेलन और 17वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों का भी आयोजन किया गया था.
  • उप-राष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़ और विदेश मंत्री डॉक्‍टर एस जयशंकर इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए 12-14 नवंबर तक कंबोडिया यात्रा पर थे.
  • इस दौरान उपराष्ट्रपति ने कंबोडिया के प्रधानमंत्री हून सेन और अन्‍य देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी.
  • यह आसियान-भारत संबंधों की 30वीं वर्षगांठ थी जिसे आसियान-भारत मैत्री वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है.
  • भारत और आसियान ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता, समुद्री सुरक्षा तथा नौवहन स्वतंत्रता के महत्व पर बल दिया. एक संयुक्त वक्तव्य में दोनों पक्षों ने समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि जैसे अंतरराष्ट्रीय नियमों के अन्तर्गत विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की प्रतिबद्धता दोहराई.
  • सम्मेलन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर बढ़ती वैश्विक चिंताओं का उल्लेख किया और पूर्वी एशियाई समूह के सदस्य देशों से 2023 में अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष में पूर्ण सहयोग का आह्वान किया.

जानिए क्या है आसियान…»

आसियान-भारत नेटवर्क थिंक टैंकों की 6ठी गोलमेज बैठक

आसियान-भारत नेटवर्क थिंक टैंकों (AINTT) की 6वीं गोलमेज बैठक 20 अगस्त को विडियो कांफ्रेंसिंग माध्यम से आयोजित की गयी. बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिस्सा लिया.

बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि कोरोना महामारी से दुनिया की अर्थव्यवस्था और समाजिक जीवन पर इतना घातक असर हुआ है, वह हमारी कल्पना से परे है. यह संकट 1930 के दशक में आई बड़ी आर्थिक मंदी जैसा ही है जिसने पूरी अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी के सामने अभूतपूर्व संकट पैदा किया है.

विदेश मंत्री ने कहा, वर्तमान अनुमानों के अनुसार कुल नुकसान 58 से 88 खरब अमरीकी डालर या वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 6.5-9.7 प्रतिशत है.

जयशंकर ने कहा कि आसियान वैश्विक अर्थव्यवस्था के क्रॉस-रोड में से एक है. भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. हम न केवल एक-दूसरे के समीप हैं, बल्कि साथ मिलकर एशिया और दुनिया को आकार देने में मदद करते हैं.

आसियान क्या है?

‘आसियान’ दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन (Association of Southeast Asian Nations- ASEAN) का संक्षिप्त रूप है. यह दक्षिण-पूर्व एशिया के दस देशों का समूह है, जो आपस में आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने के लिए भी कार्य करते हैं.
आसियान का मुख्यालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में है. इसके सदस्य देश इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, लाओस, वियतनाम, म्यांमार और कंबोडिया हैं.

बैंकॉक में 35वां आसियान शिखर सम्‍मेलन आयोजित किया गया

35वां आसियान (Association of Southeast Asian Nations) सम्‍मेलन थाईलैंड के बैंकॉक में 1 से 4 नवम्बर तक आयोजित किया गया. इसका उद्घाटन थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुतचान-ओ-चा ने किया था. इस सम्‍मेलन का विषय- ‘सतत विकास में सहयोग बढ़ाना’ (Advancing Partnership for Sustainability) था. इस सम्मलेन में आसियान के दस देशों के अलावा इसके डायलॉग पार्टनर देश भारत, अमेरिका, चीन, जापान, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने भी हिसा लिया.

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी 3 और 4 नवम्‍बर को इस सम्‍मेलन में शामिल हुए थे. श्री मोदी थाइलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चान के निमंत्रण पर गये थे.

आसियान बैठक में 16वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन, 14वें पूर्व-एशिया शिखर सम्‍मेलन (EAS) और तीसरे क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) सम्‍मेलन भी आयोजित किया गया. प्रधानमंत्री ने आदित्य बिड़ला समूह के स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लिया.

16वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 3 नवम्बर को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में 16वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की थी. शिखर बैठक को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने आसियान के साथ संपर्क को भारत की एक्‍ट-ईस्‍ट नीति और रणनीति का महत्‍वपूर्ण अंग माना. श्री मोदी ने ईस्ट एक्ट पॉलिसी को प्रभावी बनाने के लिए भारत और आसियान देशों के बीच संबंध मजबूत बनाने पर जोर दिया.

आसियान देशों के साथ भारत का व्यापार लगातार बढ़ता जा रहा है. यह व्यापार 81 बिलियन डॉलर का है, जिसकी हिस्सेदारी भारत के व्यापार में दस प्रतिशत से अधिक है. इसी तरह आसियान देशों के साथ निर्यात 11 प्रतिशत से अधिक है. भारत आसियान देशों के साथ कृषि, अंतरिक्ष, पर्यटन, विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में सक्रिय सहयोग कर रहा है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत, म्यामा और थाईलैंड को जोड़ने वाली सड़क से तीनों देशों के बीच आवाजाही आसान होगी और पूरे क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिलेगा.

बैठक में श्री मोदी थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चान, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो और म्यामां की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की के साथ भी द्विपक्षीय बैठकें किये.

विभिन्‍न देशों के बीच आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक क्षेत्र में सहयोग की निरंतरता को बनाए जाने को लेकर इस बैठक में गहन विचार-विमर्श किया जाएगा. इसके अलावा प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता के विभिन्‍न पहलुओं पर भी चर्चा की जाएगी.

14वें ईस्‍ट एशिया शिखर सम्‍मेलन (EAS)

14वां पूर्व एशिया शिखर सम्‍मेलन (EAS) बैंकॉक में 4 नवम्बर को आयोजित किया गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसमें भाग लिया. इस सम्मेलन में सम्बद्ध देशों के बीच सहयोग बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ. सम्‍मेलन का मुख्‍य एजेंडा अंतर्राष्‍ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर आपसी सहयोग को लेकर भविष्‍य की रूपरेखा तैयार करना था.

प्रधानमंत्री मोदी ने सम्‍मेलन में आतंकवाद के खिलाफ सभी देशों को एकजुट होकर कदम उठाने की बात कही. EAS सम्‍मेलन के दौरान जापान, वियतनाम और ऑस्‍ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के साथ आपसी सहयोग को लेकर द्विपक्षीय वार्ता भी की.

पूर्वी एशिया शिखर सम्‍मेलन में आसियान के 10 देशों के अलावा भारत, अमरीका, रूस, चीन, जापान, न्‍यूजीलैंड, कोरिया और ऑस्‍ट्रेलिया ने भाग लिया. इन देशों की आबादी पूरे विश्‍व की जनसंख्‍या का 54 प्रतिशत है जबकि GDP 58 प्रतिशत है.

पूर्व एशिया शिखर सम्‍मेलन एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों का एक महत्वपूर्ण मंच है, जहां सदस्य देश क्षेत्र के विभिन्न घटनाक्रमों पर आपसी विचार-विमर्श करते हैं. यह सम्बद्ध देशों के बीच विश्वास निर्माण का काम करता है.

3रा क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) सम्‍मेलन

35वें आसियान बैठक में तीसरा क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक भागीदारी (रिज़नल कॉम्प्रिहेन्सिव इकॉनामिक पार्टरशिप) सम्‍मेलन भी आयोजित किया गया. भारत ने RCEP में शामिल नहीं होने का फैसला लिया है. पढ़ें पूरा आलेख…»

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी का बैंकॉक में कार्यक्रम: सावासदी पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 2 नवम्बर को बैंकॉक के नेशनल इंडौर स्‍टेडियम में भारतीय समुदाय को संबोधित किया था. इस कार्यक्रम का नाम ‘सावासदी पीएम मोदी’ दिया गया था. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने आसियान देशों के साथ संबंधों को बढ़ावा देने के भारत के ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का हिस्सा बताया.

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री गुरू नानक देव जी की 550वीं जयंती के सिलसिले में विशेष स्‍मारक सिक्‍का जारी किया और तमिल ग्रंथ ‘तिरूक्‍कुरल’ के थाई भाषा में अनुवाद का विमोचन किया.
जानिए क्या है आसियान…»

तीसरा RCEP सम्‍मेलन: भारत ने मुक्‍त व्‍यापार समझौते में शामिल न होने का फैसला लिया

तीसरा क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक भागीदारी (रिज़नल कॉम्प्रिहेन्सिव इकॉनामिक पार्टरशिप) सम्‍मेलन थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में 4 नवम्बर को आयोजित किया गया. प्रधानमंत्री ने इस सम्‍मेलन में हिस्सा लिया. इस सम्मेलन में आसियान और व्‍यापारिक साझेदार देशों के बीच प्रस्‍तावित मुक्‍त व्‍यापार समझौते के विभिन्‍न पहलुओं पर विचार-विमर्श हुआ.

भारत ने मुक्‍त व्‍यापार समझौते में शामिल न होने का फैसला लिया

भारत ने रीजनल कॉम्प्रिहंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) में शामिल नहीं होने का फैसला लिया है. RCEP समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि RCEP के तहत कोर हितों पर कोई समझौता नहीं होगा.

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की चिंता असमान व्यापारिक घाटे को लेकर है. भारतीय बाज़ार में अवसर उपलब्ध होंगे लेकिन साथ ही ये भी सुनिश्चित होना चाहिए कि समान अवसर भारतीय व्यवसाय और उत्पादों को भी मिले जिससे भारत की स्थिति भी बराबरी की हो.

भारत का कहना है कि RCEP समझौता अपनी मूल मंशा को नहीं दर्शा रहा है और इसके नतीजे संतुलित और उचित नहीं हैं. भारत ने इस समझौते में कुछ नई मांग रखी थी. भारत का कहना था कि इस समझौते में चीन की प्रधानता नहीं होनी चाहिए, नहीं तो इससे भारत को व्यापारिक घाटा बढ़ेगा.

क्या है क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP)?

  • RCEP, Regional Comprehensive Economic Partnership का संक्षिप्त रूप है. यह आसियान देशों और उनके व्यापार सहयोगी देशों के बीच मुक्त व्यापार वार्ता मंच है.
  • आसियान और उसके व्‍यापारिक साझेदार देशों के बीच आर्थिक संबंध को मजबूत करने के लिए नवम्‍बर 2012 में RCEP का गठन किया गया था.
  • RCEP समझौते के तहत सदस्य देशों के बीच आयात और निर्यात कर मुक्त या आंशिक कर लगाने का प्रावधान था.
  • RCEP में 10 आसियान देशों के अलावा भारत, चीन, जापान, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के शामिल होने का प्रावधान था, जिसमें से अब भारत ने इसमें से बाहर रहने का फैसला किया है.
  • भारत का मानना है कि आयात शुल्क कम करने या खत्म करने से विदेश (मुख्य तौर पर चीन) से भारी मात्रा में सामान भारत आएगा और इससे देश के घरेलू उद्योगों को काफी नुकसान होगा.
  • दुनिया के लगभग 29 प्रतिशत व्‍यापार इन देशों के बीच होता है. RCEP मुक्त व्यापार को लेकर यदि समझौता हो जाता है तो विश्‍व की 50 प्रतिशत अर्थव्‍यवस्‍था इसके दायरे में शामिल हो जाती.

अमेरिका का ASEAN देशों के साथ पहला संयुक्त नौसैनिक अभ्यास आयोजित किया गया

अमेरिका का दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) देशों के साथ पहला संयुक्त नौसैनिक अभ्यास 2 से 7 सितम्बर 2019 तक आयोजित किया गया.

यह सैन्य अभ्यास थाइलैंड के नौसैनिक अड्डे से शुरू हुआ था और विवादित दक्षिण चीन सागर से होते हुए सिंगापुर में समाप्त हुआ.

इस सैन्य अभ्यास में आठ युद्धपोत, तीन NH 60 हेलीकॉप्टर, एक P-8 पोसाइडन विमान और एक हजार से अधिक अमेरिकी और ASEAN सैनिकों ने हिस्सा लिया.

अमेरिका ने ASEAN देशों के साथ पहली बार संयुक्त सैन्य अभ्यास किया. ASEAN देशों ने हालांकि इसी तरह का सैन्य अभ्यास पिछले साल चीन के साथ भी किया था.

यह अभ्यास ऐसे समय हो रहा है, जब जुलाई 2018 में वियतनाम के जल क्षेत्र में चीन का एक तेल सर्वे पोत घुस आया था. इसे लेकर तनाव पैदा हो गया था. चीन ने हालांकि दावा किया था कि यह उसका क्षेत्र है.

दक्षिण चीन सागर पर चीन का दावा
चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है. जबकि ब्रुनेई, फिलीपींस, मलेशिया और वियतनाम भी इस पर अपना दावा करते हैं.

आसियान के सदस्य देश
आसियान के सदस्य देशों में इंडोनेशिया, थाइलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम, म्यांमार, कंबोडिया, ब्रुनेई और लाओस शामिल हैं.