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असम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में AFSPA को छह महीने के लिए बढ़ाया गया

असम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड के कुछ जिलों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA) को अतिरिक्त छह महीने के लिए बढ़ा दिया है.

गृह मंत्रालय से इसकी अधिसूचना हाल ही में जारी की थी जो 1 अप्रैल, 2024 से प्रभावी होगी. गृह मंत्रालय ने, यह निर्णय इन पूर्वोत्तर राज्यों में कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के बाद लिया है.

मुख्य बिन्दु

  • असम के चार जिलों से AFSPA को 1 अप्रैल से छह महीने के लिए बढ़ा दिया है. ये जिले हैं – तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, चराइदेव और शिवसागर.
  • अरुणाचल प्रदेश में AFSPA को तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिले सहित एक अन्य जिले के तीन पुलिस थाना क्षेत्र में छह महीने के लिए बढ़ाया गया है.
  • नागालैंड में दीमापुर, न्यूलैंड, चुमुकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक और पेरेन सहित पांच अन्य जिलों के 21 पुलिस थाना क्षेत्र में छह महीने के लिए AFSPA बढ़ाया गया है.
  • गृह विभाग ने अधिसूचना में कहा है कि इन ज़िलों को कानून-व्यवस्था की दृष्टि से अशांत क्षेत्र माना गया है और इसलिए अधिनियम की अवधि 30 सितंबर तक बढा दी गई है.

AFSPA क्‍या है?

  • AFSPA का पूरा नाम The Armed Forces (Special Powers) Act, 1958 है. यह अधिनियम 11 सितंबर 1958 को AFSPA लागू हुआ था. केंद्र सरकार या राज्यपाल पूरे राज्य या उसके किसी हिस्से में AFSPA लागू कर सकते हैं.
  • AFSPA के जरिए सुरक्षा बलों को कई खास अधिकार दिए गये हैं. इसके तहत सुरक्षा बलों को कानून के खिलाफ जाने वाले व्यक्ति पर गोली चलाने, सर्च और गिरफ्तारी का अधिकार है.
  • AFSPA के तहत किसी तरह की कार्रवाई करने पर सैनिकों के खिलाफ किसी तरह की कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती है.
  • शुरू में यह पूर्वोत्तर और पंजाब के उन क्षेत्रों में लगाया गया था, जिनको ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर दिया गया था. इनमें से ज्यादातर ‘अशांत क्षेत्र’ की सीमाएं पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश और म्यांमार से सटी थीं.
  • अप्रैल 2022 में केंद्र ने नागालैंड, असम और मणिपुर के कई हिस्सों में AFSPA के तहत आने वाले क्षेत्रों में कमी की गयी थी.
  • 2015 में त्रिपुरा, 2018 में मेघालय और 1980 के दशक में मिजोरम से इस अधिनियम को हटा लिया गया था. इन कटौतियों के बावजूद, जम्मू और कश्मीर में AFSPA लागू है.
  • कई राजनीतिक दल और संगठन AFSPA को हटाने की मांग कर रहे हैं. आलोचकों का तर्क है कि AFSPA के कारण मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है, जबकि समर्थकों का दावा है कि संघर्ष-ग्रस्त क्षेत्रों में व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है.

केंद्र सरकार, असम सरकार और उल्‍फा के बीच त्रिपक्षीय समझौते

केंद्र सरकार ने असम सरकार और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्‍फा) के साथ 31 दिसम्बर को ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौते पर नई दिल्‍ली में हस्‍ताक्षर किए थे. समझौते पर गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए. इस समझौते का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थायी शांति बहाल करना है.

मुख्य बिन्दु

  • बहुप्रतीक्षित शांति समझौता असम में दशकों से चले आ रहे उग्रवाद को समाप्त करने के लिए है.
  • उल्फा नेताओं और सरकारों के साथ वर्षों की बातचीत और चर्चा के बाद त्रिपक्षीय शांति संधि पर हस्ताक्षर किए गए.
  • शांति संधि में असम के मूल लोगों के अधिकारों की सुरक्षा के प्रावधान होने की संभावना है.
  • असम सरकार और केंद्र द्वारा किए जा रहे कई प्रयासों के बावजूद उल्फा का परेश बरुआ गुट अभी तक शांति प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ है.

असम के लिए निर्वाचन आयोग की ओर से जारी परिसीमन अधिसूचना

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने असम के लिए निर्वाचन आयोग की ओर से जारी परिसीमन अधिसूचना को स्वीकृति दी है. निर्वाचन आयोग ने असम में विधानसभा और लोकसभा सीटों के परिसीमन के बारे में अंतिम रिपोर्ट 11 अगस्‍त को प्रकाशित की थी.

  • निर्वाचन आयोग ने राज्‍य में विधानसभा की 126 सीटों और लोकसभा की 14 सीटों की कुल संख्‍या को यथावत रखा है.
  • विधानसभा की 19 और लोकसभा की दो सीटों को अनुसूचित जनजाति के लिए तथा विधानसभा की 9 और लोकसभा की 1 सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रखा गया है.

असम और अरुणाचल प्रदेश ने सीमा विवाद के निपटारे के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए

असम और अरुणाचल प्रदेश ने दोनों राज्यों के बीच अंतर-राज्य सीमा विवाद के निपटारे के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

मुख्य बिन्दु

  • यह समझौता नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने किया.
  • इस समझौते से दोनों राज्‍यों की सीमा पर स्थित 123 गांवों का विवाद समाप्त हो जाएगा. 1972 से इस सीमा विवाद को सुलझाने का प्रयास विफल रहा था.
  • 100 किलोमीटर से लंबी असम-अरूणाचल सीमा का विवाद के समाधान के लिए यह समझौता बहुत बड़ी उपलब्धि है.

असम सरकार ने राज्य के तीन सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार की घोषणा की

असम सरकार ने हाल ही में वर्ष 2022-23 के लिए राज्य के तीन प्रतिष्ठित सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार की घोषणा की थी. ये पुरस्कार उन व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए दिए जाते हैं, जिन्होंने राज्य और वहाँ के लोगों के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया हो.

  1. पहला पुरस्कार – असोम बैभव: असम सरकार द्वारा दिया असोम बैभव पुरस्कार सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है और इस वर्ष के प्राप्तकर्ता डॉ. तपन सैकिया हैं.
  2. दूसरा सम्मान – असोम सौरव: इस वर्ष के यह सम्मान कृष्णा रॉय, गिल्बर्ट संगमा, डॉ. बिनॉय कुमार सैकिया और डॉ. शशिधर फुकन को मिला है.
  3. तीसरा सम्मान – असोम गौरव: इस वर्ष के यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले देबजीत बर्मन, रुस्तम बासुमतारी, मंजे ला, बिनंदा हतिबरुआ, अतुल बरुआ, शिला गोवाला, डॉ. जोगेश देउरी, डॉ. पंकज लाल गोगोई, सरबेश्वर बासुमतारी, मन्थंग हमार, दयाल गोस्वामी, डॉ. सैयद इफ्तिखार अहमद, डॉ. ध्रुबज्योति शर्मा हैं.

अहोम सेनापति लचित बारफुकन की 400वीं जयंती मनाई गई

असम के प्रसिद्ध युद्ध नायक अहोम सेनापति लचित बारफुकन की 400वीं जयंती हाल ही में मनाई गई थी. इस अवसर पर 23 से 25 नवंबर तक एक समारोह नई दिल्ली आयोजित किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समापन समारोह में भाग लिए थे.

लचित बारफुकन ने सरायघाट के प्रसिद्ध युद्ध में मुगलों को पराजित किया था. देश की राजधानी में 400वीं जयंती समारोह आयोजित करने का प्रधान उद्देश्‍य लचित बारफुकन के शौर्य और युद्ध कौशल के बारे में देश की जनता को बताना था.

लचित बारफुकन कौन थे?

  • लचित बारफुकन, अहोम सेना के प्रसिद्ध सेनापति थे, जिन्होंने मुगलों को पराजित किया और औरंगजेब की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को रोक दिया था.
  • लाचित बरफुकन मोमाई तमुली बोरबरुआ के सातवें और सबसे छोटे बेटे थे. उनके पिता अहोम साम्राज्य के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और मुख्य न्यायाधीश थे.

अहोम साम्राज्य

  • अहोम साम्राज्य की स्थापना 1228 में स्वर्गदेव सुकफा ने की थी. मुग़ल-अहोम संघर्ष पहली बार 1615 में शुरू हुआ था.
  • लाचित बरफुकन के सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के समय तक मुग़लों ने गुवाहाटी पर क़ब्ज़ा कर लिया था. उसके बाद अहोम सगारू ने गुवाहाटी को फिर से हासिल करने का संकल्प लिया और उसके बाद लाचित बरफुकन ने अपनी सेना खड़ी की.
  • उनकी सेना ने गुवाहाटी पर फिर से क़ब्ज़ा किया और उसके बाद औरंगज़ेब ने राम सिंह को गुवाहाटी फिर से हासिल करने के लिए तैनात कर दिया.
  • 1671 में प्रसिद्ध सरायघाट का युद्ध लड़ा गया. बीमारी के बावजूद लाचित ने अपनी सेना को ब्रह्मपुत्र नदी पर मुग़लों को हराने के लिए प्रेरित किया था.

एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना पूरे देश में सफलतापूर्वक लागू

एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (ONORC) योजना पूरे देश में सफलतापूर्वक लागू हो गया है. असम 21 जून को यह योजना लागू करने वाला देश का 36वां राज्य बना.

मुख्य बिंदु

  • इस योजना का उद्देश्य देश में किसी भी स्थान पर प्रवासी मजदूरों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए किसी भी उचित दर दुकान से रियायती दर पर अनाज की आपूर्ति सुनिश्चित करना है.
  • एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना से लाभार्थियों विशेष रूप से कोविड महामारी के दौरान प्रवासी लाभार्थियों को रियायती दर पर अनाज सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान मिला है.
  • इस योजना को बाधारहित और त्वरित बनाने के लिए ‘मेरा राशन मोबाइल’ ऐप शुरू किया गया है. यह ऐप लाभार्थियों को कई तरह की महत्वपूर्ण सूचनाएं उपलब्ध करा रहा है.

असम और मेघालय सरकार ने सीमा विवाद के समाधान के समझौते पर हस्ताक्षर किए

असम और मेघालय सरकार ने सीमा विवाद के समाधान के लिए 29 मार्च को नई दिल्‍ली एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में इस समझौते पर हस्‍ताक्षर किए गए.

इस समझौता ज्ञापन (MoU) पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने हस्ताक्षर किए. ये हस्ताक्षर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में किये गये. ये समझौता सहकारी संघवाद को बढ़ावा देता है और राज्‍यों के बीच सीमा विवादों के समाधान का मार्ग प्रशस्‍त करता है.

मुख्य बिंदु

  • मेघालय और असम के बीच 12 क्षेत्रों को लेकर लंबे समय से सीमा विवाद चल रहा है. इस समझौते के बाद 12 में से 6 क्षेत्रों में समाधान किया गया है.
  • इस नए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के साथ, मेघालय को 18.33 वर्ग किलोमीटर और असम को कुल 36.79 वर्ग किलोमीटर में से 18.46 वर्ग किलोमीटर का लाभ होगा.
  • 12 क्षेत्रों में गिज़ांग, ताराबारी, लंगपीह (लुंपी), हाहिम, बोकलापारा, बोरदुआर, खानापारा-पिलंगकाटा, नोंगवाह-मवतमुर (गर्भभंगा), ब्लॉक- I और ब्लॉक- II, देशदूमरेह, खंडुली और सायर, और रातचेरा हैं.
  • गिज़ांग, ताराबारी, बोकलापारा, हाहिम, रातचेरा और खानापारा-पिलंगकाटा 6 क्षेत्र हैं जिन्हें इस समझौते से समाधान किया गया है.

पूर्वोतर के 5 कार्बी आंगलांग विद्रोही समूहों ने केंद्र सरकार के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया

पूर्वोत्तर के 5 कार्बी आंगलांग विद्रोही समूहों ने केंद्र सरकार के साथ ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किया है. ये समझौते गृह मंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा और 5 संगठनों के नेताओं की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गये.

इस समझौते के तहत 1,000 उग्रवादी आत्मसमर्पण करेंगे. इससे कार्बी अनलांग क्षेत्र में शांति बनी रहेगी. इस समझौते के बाद असम सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए 1000 करोड़ रुपए खर्च करेगी. नए समझौते के तहत, पहाड़ी जनजाति के लोग भारतीय संविधान की अनुसूची 6 के तहत आरक्षण के हकदार होंगे.
यह समझौता असम की क्षेत्रीय और प्रशासनिक अखंडता को प्रभावित किए बिना, कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद को और अधिक स्वायत्तता का हस्तांतरण, कार्बी लोगों की पहचान, भाषा, संस्कृति आदि की सुरक्षा और परिषद क्षेत्र में सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करेगा.

कार्बी समूह क्या है?

कार्बी आंगलोंग असम का विद्रोही और प्रमुख जातीय समूह है. यह समूह कई साल से असम में कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (KAAC) की मांग करता आ रहा है. यह कई गुटों और टुकड़ों से घिरा हुआ है. कार्बी समूह का इतिहास 1980 के दशक के उत्तरार्ध से हत्याओं, जातीय हिंसा, अपहरण और कराधान से जुड़ा रहा है.

असम में देश के पहले मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क की आधारशिला राखी गयी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 20 अक्टूबर को असम में देश के पहले मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क (Multi Modal Logistics Park) की आधारशिला रखी. इस पार्क का विकास असम के जोगिघोपा क्षेत्र में किया जा रहा है.

राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) इस परियोजना का विकास करेगी. इसके पहले चरण पर 694 करोड़ रुपये की लागत आएगी. इस पार्क का निर्माण भारतमाला परियोजना के तहत किया जा रहा है.

असम के जोगिघोपा क्षेत्र में बनने वाले इस पार्क के जरिये यातायात के चारों मॉडल सड़क, हवाई, रेल और जल मार्ग इंटरकनेक्ट होंगे. इस मल्टी मॉडल पार्क से असम समेत उत्तर पूर्वी राज्यों में ना सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी.

प्रधानमंत्री की असम यात्रा: बोडो समझौते पर आयोजित रैली को संबोधित किया

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी 7 फरवरी को असम के कोकराझार में आयोजित एक रैली को संबोधित किया. यह रैली बोडो ऐतिहासिक बोडो समझौते का स्‍वागत करने के लिए आयोजित की गयी थी. बोडो क्षेत्र में शांति और विकास के लिए इस समझौते पर 27 जनवरी को केन्‍द्र, असम सरकार और विभिन्‍न बोडो संगठनों ने हस्‍ताक्षर किये थे.

विभिन्‍न बोडो संगठनों ने हस्‍ताक्षर किये थे

केंद्र सरकार ने असम के उग्रवादी समूहों में से एक नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) और दो अन्य संगठनों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. समग्र बोडो समाधान समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) और यूनाइटेड बोडो पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (UBPO) भी शामिल हैं. ABSU 1972 से ही अलग बोडोलैंड राज्य की मांग के लिए आंदोलन चला रहा था.

बोडो समझौता: एक दृष्टि

  • इस समझौते के तहत केन्‍द्र सरकार बोडो क्षेत्रों के विकास के लिए तीन वर्ष में 1500 करोड़ रुपये का पैकेज उपलब्‍ध करायेगी.
  • बोडो लैंड क्षेत्रीय परिषद के वर्तमान ढांचे को और अधिक मजबूत किया जाएगा तथा इसके सदस्यों की संख्या चालीस से बढ़ाकर 60 कर दी जाएगी.
  • बरामा में एक बोडो सामाजिक कार्यकर्ता और ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष उपेन्द्र नाथ ब्रह्मा के नाम पर एक केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी.
  • तामूलपुर में एक मेडिकल कॉलेज और कैंसर अस्पताल की स्थापना की जाएगी. इसके साथ ही क्षेत्र में पशु चिकित्सा कॉलेज, रेल कोच फैक्ट्री और राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय की स्थापना भी की जाएगी.
  • असम सरकार जल्दी ही बोडो भाषा को राज्य की एक सहयोगी राजभाषा बनाने के लिए अधिसूचना जारी करेगी.

27 साल में तीसरी बार बोडो समझौता

  1. पहला बोडो समझौता 1993 में ऑल बोडो स्‍टूडेंट्स यूनियन के साथ हुआ था. इसमें बोडो लैंड स्‍वायत्‍त परिषद का गठन हुआ था जिसके पास सीमित राजनीतिक शक्तियां थीं.
  2. 2003 में दूसरा समझौता उग्रवादी गुट बोडो लिबरेशन टाइगर्स के साथ हुआ था. इसके तहत असम के चार जिलो कोकराझार, चिरांग, बक्‍सा और उडालगुड़ी के साथ बोडो लैंड क्षेत्रीय परिषद का गठन हुआ. इन जिलों कों बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्‍ट कहा गया.
  3. 27 जनवरी को 2020 को हुए नए समझौते के तहत बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्‍ट का नाम बदलकर बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन) हो जाएगा, जिसके पास और अधिक कार्यकारी, प्रशासनिक, विधायी और वित्‍तीय शक्तियां होंगी.बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद में बोडो बहुसंख्‍यक आबादी वाले गांवों को शामिल करने और बोडो अल्‍पमत आबादी वाले गांवों को हटाने के लिए समिति गठित की जाएगी.

क्या है बोडोलैंड?

असम में बोडो एक बहुत बड़ा जनजातीय समुदाय है जो अपनी विशिष्‍ट संस्‍कृति और भाषायी पहचान के संरक्षण के लिए काफी समय से अलग बोडोलैंड राज्‍य बनाने की मांग करता रहा है. कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदालगुड़ी में तकरीबन 30 फीसदी की आबादी बोडो जनजाति की है.

असम के बोडो क्षेत्रों में स्थायी शांति के लिए त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर

केंद्र सरकार ने 27 जनवरी को असम के उग्रवादी समूहों में से एक नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) और दो अन्य संगठनों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते का उद्देश्य असम के बोडो बहुल क्षेत्रों में स्थायी शांति लाना है. समग्र बोडो समाधान समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) और यूनाइटेड बोडो पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (UBPO) भी शामिल हैं. ABSU 1972 से ही अलग बोडोलैंड राज्य की मांग के लिए आंदोलन चला रहा था.

यह त्रिपक्षीय समझौता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में किये गये. समझौते पर NDFB के चार धड़ों, ABSU, UBPO के शीर्ष नेताओं, गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सत्येन्द्र गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्णा ने हस्ताक्षर किए.

बोडो उग्रवादियों की हिंसा में पिछले कुछ दशकों में चार हजार से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी है. NDFB पिछले कुछ दशकों में सिलसिलेवार हिंसक कृत्यों के लिए जिम्मेदार रहा है जिनमें दिसंबर 2014 में लगभग 70 आदिवासियों की हत्या भी शामिल है.

समझौते के मुख्य बिंदु

  • इस समझौते में राजनीतिक और आर्थिक फायदे दिए गए हैं लेकिन अलग राज्य या केंद्रशासित क्षेत्र की मांग पूरी नहीं की गई है.
  • समझौते के मुताबिक NDFB के धड़े हिंसा का रास्ता छोड़ेंगे, अपने हथियार डाल देंगे और समझौते के एक महीने के भीतर उनके सशस्त्र संगठन भंग कर दिए जाएंगे.
  • NDFB के 1,550 उग्रवादी 30 जनवरी को हथियार छोड़ देंगे, अगले तीन वर्षों में 1,500 करोड़ रुपये का आर्थिक कार्यक्रम लागू किया जाएगा जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों की 750 — 750 करोड़ रुपये की बराबर भागीदारी होगी.
  • केंद्र और राज्य सरकार NDFB (P), NDFB (RD) और NDFB (S) के लगभग 1,550 कैडरों का पुनर्वास करेंगी.
  • बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद् (BTC) के वर्तमान ढांचे को और शक्तियां देकर मजबूत किया जाएगा तथा इसकी सीटों की संख्या 40 से बढ़ाकर 60 की जाएगी.
  • बोडो बहुल गांवों को BTC में शामिल करने, गैर बोडो बहुल गांवों को इससे बाहर करने के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा.
  • असम सरकार बोडो भाषा को राज्य की एक सह-आधिकारिक भाषा के रूप में देवनागरी लिपि में अधिसूचित करेगी.
  • समझौते में कहा गया है कि पृथक राज्य के लिए हुए आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजनों को राज्य सरकार पांच-पांच लाख रुपये देगी और NDFB के सदस्यों के खिलाफ गैर जघन्य आपराधिक मामलों को वापस लिया जाएगा.
  • जघन्य अपराधों की मौजूदा नियमों के अनुरूप मामले दर मामले के आधार पर समीक्षा की जाएगी.

तीसरा बोडो समझौता

यह पिछले 27 वर्षों में तीसरा बोडो समझौता है:

  1. पहला समझौता 1993 में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन के साथ हुआ था जिसका परिणाम सीमित राजनीतिक शक्तियों के साथ बोडोलैंड स्वायत्त परिषद के रूप में निकला.
  2. दूसरा समझौता 2003 में उग्रवादी समूह ‘बोडो लिबरेशन टाइगर्स’ के साथ हुआ था जिसका परिणाम असम के चार जिलों- कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदलगुड़ी को मिलाकर बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (BTC) के गठन के रूप में निकला. इन चारों जिलों को बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र जिला (BTAD) कहा जाता है.
  3. 27 जनवरी को हुए तीसरे समझौते के अनुसार BTAD का नाम बदलकर अब बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR) होगा और इसके पास अधिक कार्यकारी, प्रशासनिक, विधायी तथा वित्तीय शक्तियां होंगी.

BTC का गठन संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत

BTC का इस समय शिक्षा, वन, बागवानी जैसे 30 से अधिक क्षेत्रों पर नियंत्रण है, लेकिन पुलिस, राजस्व और सामान्य प्रशासनिक विभागों पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है और ये असम सरकार के नियंत्रण में हैं. BTC का गठन संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत किया गया था.