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गुरु श्रील प्रभुपाद की 150वीं जयंती के उपलक्ष्‍य में कार्यक्रम आयोजित

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 8 फ़रवरी को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आध्यात्मिक गुरु श्रील प्रभुपाद की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया था.

मुख्य बिन्दु

  • श्री मोदी ने गुरू प्रभुपाद के सम्‍मान में एक स्‍मारक डाक टिकट और सिक्‍का भी जारी किया.
  • आचार्य श्रील प्रभुपाद ने गौडीय मिशन की स्‍थापना की थी. इसका उद्देश्‍य वैष्‍णव दर्शन का प्रचार- प्रसार करना है.
  • गौडीय मिशन श्री चैतन्‍य महाप्रभु की शिक्षाओं के प्रसार में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. विश्‍वभर में वैष्‍णव संप्रदाय की आध्‍यात्मिक विरासत की संरक्षण और प्रसार के लिए हरे कृष्‍णा अभियान चलाया जा रहा है.

14 अप्रैल 2021: बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 131वीं जयंती, समानता दिवस

प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती (Ambedkar Jayanti) मनाई जाती है. उनका जन्म इसी दिन 1891 में मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के महू में हुआ था. 14 अप्रैल 2022 को बाबा साहब की 131वीं जयंती थी. बाबा साहेब को आधुनिक भारत का निर्माता और भारतीय संविधान के मुख्‍य निर्माता थे.

बाबा साहब की जयंती: समानता दिवस

बाबा साहब की जयंती को ‘समानता दिवस’ (Samanata Diwas) और ‘ज्ञान दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले प्रतिभाशाली डॉ॰ भीमराव आंबेडकर को समानता के प्रतीक और ज्ञान का प्रतीक भी कहा जाता है.

डॉ आंबेडकर के मुख्य योगदान: एक दृष्टि

  • निम्न वर्ग समूह के लोगों के लिये अस्पृश्यता के सामाजिक मान्यता को मिटाने के लिये उन्होंने काम किया.
  • दलित वर्ग के अस्पृश्य लोगों के लिये सीट आरक्षित करने के लिये पूना संधि के द्वारा उन्होंने अलग निर्वाचक मंडल की माँग की.
  • डॉ अंबेडकर संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे. उन्होंने एक ऐसे संविधान की रचना की जिसकी नज़रों में सभी नागरिक एक समान हों, धर्मनिरपेक्ष हो और जिस पर देश के सभी नागरिक विश्वास करें.
  • भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में इन्होंने एक बड़ी भूमिका निभायी क्योंकि वो एक पेशेवर अर्थशास्त्री थे.
  • भारत के जम्मू कश्मीर के लोगों के लिये विशेष दर्जा उपलब्ध कराने के लिये भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे.
  • इसके अलावा डॉक्टर अंबेडकर की प्रेरणा से ही भारत के वित्त आयोग की स्थापना हुई थी. वे स्‍वतंत्र भारत के पहले विधि और न्‍याय मंत्री थे.
  • डा. अम्बेडकर को 1990 में मरणोपरांत देश का सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया था.

15 अक्टूबर: डॉक्‍टर एपीजे अब्दुल कलाम जयंती, विश्व छात्र दिवस

15 अक्टूबर को पूर्व राष्‍ट्रपति डॉक्‍टर एपीजे अब्‍दुल कलाम की जयंती (Dr APJ Abdul Kalam Birth Anniversary) मनाई जाती है. डॉक्‍टर कलाम एक असाधारण गुरू, अदभुत प्रेरक और प्रख्‍यात वैज्ञानिक थे.

डॉक्‍टर एपीजे अब्दुल कलाम: एक दृष्टि

  • डॉक्‍टर एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम डॉक्टर अबुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम है. उन्हें ‘मिसाइल मैन’ के नाम से भी जाना जाता है.
  • उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में हुआ था. 27 जुलाई, 2015 को वे IIM शिलॉंग में लेक्चर देने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था.
  • उन्होंने अपनी पढ़ाई सेंट जोसेफ कॉलेज त्रिचि से किया था. 1957 में एमआईटी मद्रास से उन्होंने एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग से स्पेशलाइजेशन किया था.
  • कलाम ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में दो दशक तक अपनी सेवाएँ दी. इस दौरान उन्होंने भारत के पहले सैटेलाइट लॉच व्हीकल (SLV111) की शुरुआत की थी.
  • इसरो के बाद कलाम ने डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंटल ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की जिम्मेदारी ले ली. उन्होंने अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल के निर्माण और ऑपरेशनल कार्यों में अपना भरपूर योगदान दिया था. इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ कहा जाने लगा था.
  • उन्हें भारत और विदेशों के कुल 48 विश्वविद्यालयों और इंस्टीट्यूट से कई डॉक्टरेट की उपाधि मिल चुकी है. उन्हें 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न सम्मान दिया जा चुका है.
  • डॉक्‍टर कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति थे. वर्ष 2002 में उन्होंने लक्ष्मी सहगल को हराकर देश के 11वें राष्ट्रपति बने थे.

डॉ. कलाम द्वारा लिखी गयी पुस्तकें

इंडिया 2020, विंग्स ऑफ़ फायर, इग्नाइटेड माइंडस, द लुमिनस स्पार्क्स, मिशन इंडिया, इंस्पायरिंग थॉट्स, इन्डोमिटेबल स्पिरिट, टर्निंग पॉइंट्स, टारगेट 3 बिलियन, फोर्ज योर फ्यूचर, ट्रांसेंडेंस: माय स्पिरिचुअल एक्सपीरियंस विद प्रमुख स्वामीजी, एडवांटेज इंडिया: फ्रॉम चैलेंज टू अपोर्चुनिटी.

15 अक्टूबर: विश्व छात्र दिवस

प्रत्येक वर्ष 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस (World Students Day) मनाया जाता है. 15 अक्टूबर को 1931 को देश के महान वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजी अब्दुल कलाम के जन्मदिन पर यह दिवस मनाया जाता है, क्योंकि डॉ. कलाम की पहचान एक समर्पित शिक्षक के रूप में थी. संयुक्त राष्ट्र ने इसे दिवस के रूप में मनाने को लेकर अभी तक मान्यता नहीं दी है.

विश्व छात्र दिवस 2021 का थीम ‘Learning for people, planet, prosperity and peace’ है.

9 मई 2021: गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की 160वीं जयंती मनाई गयी

9 मई 2021 को गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की 160वीं जयंती मनाई गयी. बंगाली कैलेंडर के हिसाब से टैगोर की जयंती 9 मई को पड़ती है. जार्जियन कैलेंडर के हिसाब से टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ था. उनके पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता शारदा देवी थीं.

रविंद्रनाथ टैगोर: एक दृष्टि

  • रविंद्रनाथ टैगोर अकेले ऐसे भारतीय साहित्यकार हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला है. उनकी काव्यरचना गीतांजलि के लिये उन्हे सन् 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था. वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रथम एशियाई और साहित्य में नोबेल पाने वाले पहले गैर यूरोपीय भी है.
  • वह दुनिया के अकेले ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान हैं– भारत का राष्ट्र-गान ‘जन गण मन’ और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान ‘आमार सोनार बाँग्ला’.
  • सन 1921 में कृषि अर्थशास्त्री लियोनार्ड एमहर्स्ट के साथ मिलकर उन्होंने अपने आश्रम के पास ही ‘ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान’ की स्थापना की थी. बाद में इसका नाम बदलकर श्रीनिकेतन कर दिया गया. प्रकृति के सान्निध्य में पेड़ों, बगीचों और एक लाइब्रेरी के साथ टैगोर ने शान्ति-निकेतन की स्थापना की.
  • अंग्रेजी सरकार ने उन्हें 1915 में नाइटहुड प्रदान किया लेकिन 1919 के जलिआंवाला बाग़ हत्याकांड के बाद टैगोर ने इसे वापस कर दिया था.

इज़राइल में रवींद्रनाथ टैगोर पर एक सड़क का नाम

इज़राइल ने रवींद्रनाथ टैगोर की 159वीं जयंती पर तेल अवीव में एक सड़क का नाम देकर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की थी. इजरायल ने इस सड़क का नाम टैगोर स्ट्रीट रखा है.

27 फरवरी: संत गुरु रविदास की जयंती

27 फरवरी 2021 को दुनियाभर में संत गुरु रविदास की जयंती मनाई गयी. गुरु रविदास की जयंती प्रत्येक वर्ष sant ravidas jayanti को मनाई जाती है. उनका जन्म माघ माह की पूर्णिमा तिथि को वर्ष 1398 में उत्तर प्रदेश के काशी में हुआ था. जिस दिन रविदास जी का जन्म हुआ था उस दिन रविवार था. इसी के चलते इनका नाम रविदास पड़ा.

संत गुरु रविदास: एक दृष्टि

  • संत रविदास बहुत ही सरल हृदय के थे और दुनिया का आडंबर छोड़कर हृदय की पवित्रता पर बल देते थे. इस बारे में उनकी एक कहावत – “जो मन चंगा तो कठौती में गंगा” काफी प्रचलित है.
  • भगवान कृष्ण की परमभक्त मीराबाई के गुरु संत रविदास थे. मीराबाई संत रविदास से ही प्रेरणा ली थी और भक्तिमार्ग अपनाया था.
  • संत रविदास जात-पात के विरोधी थे. इस सन्दर्भ में उनकी दोहा “जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात, रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात.” प्रचलित है.
  • सिख धर्म पर भी संत रविदास का विशेष प्रभाव है. उनकी चालीस कविताओं को सिख धर्म के आदि ग्रंथ में शामिल किया गया है.

28 जनवरी 2021: लाला लाजपत राय की 156वीं जयंती

28 जनवरी 2021 को स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की 156वीं जयंती थी. उनका जन्म 1865 में इसी दिन पंजाब के फिरोजपुर जिले के धूदिकी गांव में हुआ था. उनकी देशभक्ति के लिए उन्हें ‘पंजाब केसरी’ और ‘लायन ऑफ़ पंजाब’ का खिताब दिया गया था.

लाला लाजपत राय: मुख्य तथ्य

  • लाला लाजपत राय 1880 में आर्य समाज के आंदोलन में शामिल हो गए थें. अक्टूबर 1917 में उन्होंने अमेरिका के न्यूयॉर्क में ‘इंडियन होम रूल लीग ऑफ अमेरिका’ नाम से एक संगठन की स्थापना की थी.
  • 1928 में साइमन कमीशन के विरोध करने के दौरान लाला लाजपत राय की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. हत्या के आरोपी ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन साण्डर्स की हत्या की योजना बनाई गई थी. हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन ने इस हत्या का बदला लेने का काम भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद और जयगोपाल को दिया था.
  • ‘लाल बाल पाल’ ने स्वतंत्रता संग्राम की दिशा को बलदने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसमें लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक तथा बिपिन चन्द्र पाल शामिल थे. इन तीनों ने स्वदेशी आन्दोलन को मजबूत करने के लिए देश भर में लोगों को एकजुट किया था.

नेताजी की 125वीं जयंती मनाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है. इस संबंध में 9 जनवरी को अधिसूचना जारी की गई. उच्च स्तरीय समिति 23 जनवरी 2021 से एक वर्ष तक चलने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करेगी.

अधिसूचना के अनुसार प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी इस समिति के अध्यक्ष होंगे. समिति के सदस्यों में प्रतिष्ठित नागरिक, इतिहासकार, लेखक, विशेषज्ञ, और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सदस्यों के साथ-साथ आजाद हिंद फौज से जुड़े प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल होंगे.

यह समिति दिल्ली और कोलकाता के अलावा नेताजी तथा आजाद हिंद फौज से जुड़े देश-विदेश के अन्य स्थानों पर विभिन्‍न कार्यक्रमों का मार्गदर्शन करेगी.

25 दिसंबर: पंडित मदनमोहन मालवीय की जयंती

25 दिसंबर 2019 को महान शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती है. उनका जन्म 1861 में इसी दिन इलाहबाद में हुआ था.

पंडित मदन मोहन मालवीय: एक दृष्टि

  • पंडित मदन मोहन मालवीय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष रहे थे. उन्होंने वर्ष 1909 में लाहौर, 1918 और 1930 में दिल्ली तथा 1932 में कोलकाता में कांग्रेस के अधिवेशन की अध्यक्षता की थी.
  • वह ‘हिन्दोस्तान’ नामक हिंदी दैनिक और ‘इंडियन ओपिनियन’ के संपादक रहे थे. 1907 में उन्होंने स्वयं हिंदी साप्ताहिक पत्रिका ‘अभ्युदय’ और 1910 में ‘मर्यादा’ नामक हिंदी समाचार पत्र की शुरुआत की.
  • उन्‍होंने देश में आधुनिक शिक्षा को बढावा दिया था. मालवीय जी ने 1916 में वाराणसी में काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय (BHU) की स्‍थापना की थी.
  • 1924 में उन्होंने लाला लाजपत राय, एमआर जयकर तथा घनश्याम दास बिरला की सहायता से हिंदुस्तान टाइम्स का अधिग्रहण किया था. वे 1924 से 1946 तक इसके संपादक रहे. उनके प्रयासों से ही 1936 में हिंदुस्तान टाइम्स का हिंदी संस्करण ‘हिंदुस्तान’ शुरू किया गया.
  • पंडित मदन मोहन मालवीय का निधन 1946 में इलाहबाद में हुआ था. उन्‍हें 2015 में मरणोपरांत भारत-रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

31 अक्टूबर: सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती, राष्ट्रीय एकता दिवस

प्रत्येक वर्ष 31 अक्टूबर को लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाई जाती है. इस वर्ष यानी 2020 में उनकी 145वीं जयंती मनाई गयी.

वर्ष 2014 से सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है. देश में राष्ट्रीय एकता की भावना का संचार करने के उद्देश्य से इस दिन ‘रन फॉर यूनिटी दौड़’ कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में सरदार पटेल की प्रतिमा ‘स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी’ पर उन्हें पुष्‍पांजलि अर्पित की. गु़जरात के नर्मदा किनारे केवाडिया में बने यह प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है, जो कि दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है.

‘एक भारत श्रेष्‍ठ भारत’ पर्व का आयोजन

सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर नई दिल्‍ली के इंडिया गेट पर ‘एक भारत श्रेष्‍ठ भारत’ पर्व का आयोजन किया जाता है. इस पहल का उद्देश्‍य सभी राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों के बीच देश की विविधता में एकता को रेखांकित करना है. एक भारत श्रेष्‍ठ भारत का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 31 अक्‍तूबर, 2015 को सरदार पटेल की 140वीं जयंती के अवसर पर किया था.

सरदार वल्‍लभ भाई पटेल: संक्षिप्त परिचय

सरदार वल्‍लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्‍तूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था. वह भारत के लौह पुरूष के रूप में जाने जाते हैं. उन्‍होंने भारत के साथ पांच सौ से अधिक रजवाड़ों का विलय कराया था. 12 अक्‍तूबर 1947 को दशहरे के अवसर पर सरदार पटेल ने अखंड भारत की अवधारणा का आह्वान किया था.

सरदार पटेल ने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की और गृहमंत्री भी रहे. वे भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता थे. भारत गणराज्‍य के एक संस्‍थापक के रूप में पटेल ने देश की आजादी के लिए संघर्ष में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई.

28 सितम्बर: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह की जयंती

28 सितम्बर को देश में महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह की जयंती पर उन्हें याद किया गया. भगत सिंह को शहीद-ए-आज़म के नाम से भी जाना जाता है. उनके पिताजी का नाम किशन सिंह तथा उनकी माता जी का नाम विद्यावती था.

भगत सिंह: एक दृष्टि

  • भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था. यह मौजूदा पाकिस्तान का हिस्सा है. 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह पर अमिट छाप छोड़ा.
  • भगत सिंह महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे अहिंसा आंदोलन और भारतीय नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य थे. लेकिन जब 1921 में हुए चौरा-चौरा हत्याकांड के बाद गांधीजी ने हिंसा में शामिल सत्याग्रहियों का साथ नहीं दिया. इस घटना के बाद भगत सिंह का गांधी जी से मतभेद हो गया. इसके बाद अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में बने गदर दल में शामिल हो गए.
  • 9 अगस्त, 1925 को सरकारी खजाने को लूटने की घटना में भी उन्होंने अपनी भूमिका निभाई थी. यह घटना इतिहास में काकोरी कांड नाम से मशहूर है. इसमें उनके साथ रामप्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद जैसे कई क्रांतिकारी शामिल थे.
  • भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसंबर 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज जेपी सांडर्स की हत्या कर दी थी. इस हत्या को अंजाम देने में चंद्रशेखर आजाद ने उनकी पूरी मदद की.
  • अंग्रेजों की सरकार को ‘नींद से जगाने के लिए’ उन्होंने 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली के सभागार में बम और पर्चे फेंके थे. इस घटना में भगत सिंह के साथ क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त भी शामिल थे.
  • लाहौर षड़यंत्र केस में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी की सजा सुनाई गई और बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास दिया गया. भगत सिंह को 23 मार्च, 1931 की शाम सात बजे सुखदेव और राजगुरू के साथ फांसी पर लटका दिया गया. तीनों ने हंसते-हंसते देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया.

भगत सिंह का लेखन और संपादन

भगत सिंह एक अच्छे वक्ता, पाठक, लेखक और पत्रकार भी थे. उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखा और संपादन भी किया. उन्होंने ‘अकाली’ और ‘कीर्ति’ दो अखबारों का संपादन भी किया. उनकी कृतियों के कई संकलन भी प्रकाशित हुए. उनमें ‘एक शहीद की जेल नोटबुक, सरदार भगत सिंह : पत्र और दस्तावेज, भगत सिंह के संपूर्ण दस्तावेज प्रमुख हैं.

23 जुलाई: बाल गंगाधर तिलक और चन्द्रशेखर आजाद की जयंती

बाल गंगाधर तिलक

लोकमान्य तिलक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता थे. बाल गंगाधर तिलक ने ही सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग उठाई थी.

23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के एक ब्राह्मण परिवार में जन्में तिलक ने अंग्रेजों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी थी. अंग्रेजों ने तिलक को 1906 में विद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर 6 साल की सजा सुनाई और बर्मा के एक जेल में डाल दिया था.

उन्होंने बर्मा के जेल में रहते हुए महान किताब ‘गीता रहस्य’ लिखी थी. भारत का यह महान सपूत 1 अगस्त 1920 को हमें अलविदा कह गया.

चन्द्रशेखर आजाद

महान क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 के दिन अलीराजपुर जिला के भाबरा गांव में पिता पण्डित सीताराम तिवारी और माता जगरानी देवी के यहां हुआ था. महज 14 साल के थे जब गांधीजी जी के सन् 1921 में असहयोग आन्दोलन में भाग लेने पर वे पहली बार गिरफ़्तार हुए थे. यही से चन्द्रशेखर के साथ आजाद नाम जुड गया.

9 अगस्त 1925 में काकोरी काण्ड को अंजाम दिया. चन्द्रशेखर आज़ाद ने 8 सितम्बर 1928 को दिल्ली के फीरोजशाह कोटला मैदान में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसियेशन की स्थापना की. 27 फ़रवरी 1931 को अल्फ्रेड पार्क में चन्द्रशेखर आजाद और पुलिस बल के बीच भयंकर गोलीबारी हुई आखीरी गोली बचने पर चन्द्रशेखर आजाद ने खूद को गोली मार ली और इस तरह देश का सच्चा सपूत शहीद हो गया.

9 मई 2020: गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की 159वीं जयंती मनाई गयी

9 मई 2020 को गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की 159वीं जयंती मनाई गयी. बंगाली कैलेंडर के हिसाब से टैगोर की जयंती 9 मई को पड़ती है पर जार्जियन कैलेंडर के हिसाब से टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ. उनके पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता शारदा देवी थीं.

रविंद्रनाथ टैगोर: एक दृष्टि

  • रविंद्रनाथ टैगोर अकेले ऐसे भारतीय साहित्यकार हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला है. उनकी काव्यरचना गीतांजलि के लिये उन्हे सन् 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था. वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रथम एशियाई और साहित्य में नोबेल पाने वाले पहले गैर यूरोपीय भी है.
  • वह दुनिया के अकेले ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान हैं– भारत का राष्ट्र-गान ‘जन गण मन’ और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान ‘आमार सोनार बाँग्ला’.
  • सन 1921 में कृषि अर्थशास्त्री लियोनार्ड एमहर्स्ट के साथ मिलकर उन्होंने अपने आश्रम के पास ही ‘ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान’ की स्थापना की थी. बाद में इसका नाम बदलकर श्रीनिकेतन कर दिया गया. प्रकृति के सान्निध्य में पेड़ों, बगीचों और एक लाइब्रेरी के साथ टैगोर ने शान्ति-निकेतन की स्थापना की.
  • अंग्रेजी सरकार ने उन्हें 1915 में नाइटहुड प्रदान किया लेकिन 1919 के जलिआंवाला बाग़ हत्याकांड के बाद टैगोर ने इसे वापस कर दिया था.

इज़राइल ने रवींद्रनाथ टैगोर पर एक सड़क का नाम देकर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की

इज़राइल ने रवींद्रनाथ टैगोर की 159वीं जयंती पर तेल अवीव में एक सड़क का नाम देकर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इजरायल ने रवीन्द्र जयंती पर मनाने के लिए एक सड़क का नाम टैगोर स्ट्रीट रखा गया।

हर साल, रवींद्र जयंती बंगाली महीने के 25वें दिन बैसाख में मनाई जाती है। रबींद्रनाथ टैगोर का जन्म बंगाली कैलेंडर के 1268 में इस विशेष दिन पर हुआ था।