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भारतीय संसद ने नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू हुआ, जानिए क्या है CAA

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसम्बर को नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill or CAB) 2019 को मंजूरी दी थी. संसद (लोकसभा, राज्‍यसभा और राष्ट्रपति) की मंजूरी के बाद यह विधेयक अधिनियम (Act) बन गया था. यह कानून यानि नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act or CAA) 10 जनवरी को राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ पूरे देश में लागू हो गया.

इस विधेयक को राज्‍यसभा ने 11 दिसम्बर को पारित किया था. राज्‍यसभा 125 सदस्‍यों ने इस विधेयक के समर्थन में जबकि 105 सदस्‍यों ने इसके विरोध में मत दिया था. लोकसभा में यह विधेयक 9 दिसम्बर को पा‍रित हुआ था. यहाँ 311 सदस्‍यों ने इस विधेयक के समर्थन में और 80 ने विरोध में मतदान किया था. गृहमंत्री अमित शाह द्वारा इस विधेयक को संसद में प्रस्तुत किया था.

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्‍यक्षता में 4 दिसम्बर को केन्‍द्रीय मंत्रिमण्‍डल की बैठक में CAB को मंजूरी दी थी. उल्लेखनीय है कि इस विधेयक को पिछले लोकसभा ने भी मंजूरी दे दी थी लेकिन यह राज्‍यसभा में प्रस्‍तुत नहीं किया जा सका और लोकसभा का कार्यकाल ख़त्म होने से विधेयक भी स्वतः निष्प्रभावी हो गया था.

इस विधेयक का उद्देश्य कुछ खास श्रेणियों के अवैध आप्रवासियों को मौजूदा कानून के प्रावधानों से छूट देने के लिए अधिनियम में बदलाव करना है.

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के मुख्य प्रावधान

  1. इस अधिनियम में नागरिकता अधिनियम 1955, पासपोर्ट अधिनियम 1920 और विदेशी नागरिक अधिनियम 1946 में संशोधन का प्रावधान है.
  2. इस अधिनियम में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से भारत आए अप्रवासियों को नागरिकता के योग्‍य बनाने का प्रावधान है बशर्ते कि वो उन देशों के बहुसंख्यक समुदाय से नहीं हों.
  3. इस अधिनियम में हिन्‍दू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदाय के उन व्‍यक्तियों को नागरिकता देने का प्रावधान है जो पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान से धार्मिक उत्‍पीड़न जैसे कारणों से वर्ष 2014 के अंत तक भारत में आ गए थे.
  4. संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा के क्षेत्रों और इनर लाइन परमिट वाले क्षेत्रों अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम में यह नागरिकता संशोधन विधेयक लागू नहीं होगा.

इनर लाइन ऑफ परमिट क्या है?

बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्युलेशन, 1873 के तहत सीमाई इलाकों (पूर्वोत्तर के राज्यों के ज्यातार इलाकों में) के लिए इनर लाइन ऑफ परमिट (ILP) सिस्टम लागू किया गया था. इन इलाकों में बाहरी लोगों (भारतीयों को भी) को ILP के जरिए बसने की अनुमति दी जाती है.

भारतीय संविधान की छठी अनुसूची

आदिवासियों के संरक्षण के लिए भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत अधिसूचित (नोटिफाइड) इलाकों को भी CAB के दायरे से बाहर रखा गया है. असम, मेघालय, त्रिपुरा के कुछ क्षेत्रों को छठी अनुसूची के तहत संरक्षित किया गया है.

संविधान का अनुच्‍छेद 14

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को कई विपक्षी राजनीतिक दलों ने भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 14 का उल्‍लंघन माना है. विधेयक पेश करते हुए केन्‍द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक अनुच्‍छेद 14 का भी उल्‍लंघन नहीं करता. उन्होंने कहा कि 1971 में, श्रीमती इंदिरा गांधी के एक निर्णय में बांग्‍लादेश से आये लोगों को नागरिकता दी गयी थी जबकि पाकिस्‍तान से आए हुए लोगों को नागरिकता नहीं दी गयी.

भारतीय संविधान का अनुच्‍छेद 14 के तहत भारत के राज्यक्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करने की बात कही गयी है.

केन्‍द्रीय मंत्रिमण्‍डल ने नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्‍यक्षता में 4 दिसम्बर को नई दिल्‍ली में हुई केन्‍द्रीय मंत्रिमण्‍डल की बैठक में नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill or CAB) को मंजूरी दी गयी. इस विधेयक के जरिए भारतीय नागरिकता विधेयक 1955 में संशोधन का प्रावधान है. इस विधेयक को संसद (लोकसभा, राज्‍यसभा और राष्ट्रपति) की मंजूरी के लिए रखा जायेगा.

इससे पहले नागरिकता संशोधन विधेयक को पिछले लोकसभा ने मंजूरी दे दी थी लेकिन यह राज्‍यसभा में प्रस्‍तुत नहीं किया जा सका और लोकसभा का कार्यकाल ख़त्म होने से विधेयक भी ख़त्म हो गया था.

इस विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से भारत आए अप्रवासियों को नागरिकता देने का प्रावधान है बशर्ते कि वो उन देशों के बहुसंख्यक समुदाय से नहीं हों. विधेयक का फ़ायदा इन देशों से भारत आए वहां के अल्पसंख्यक समुदाय के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को मिलेगा.

विधेयक में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिश्चियन धर्मों के लोगों को नागरिकता हासिल करने के लिए 11 साल की अवधि को कम करके 6 साल किया जाएगा.