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अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर में राम लला की भव्य रूप में प्राण प्रतिष्ठा

अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर में 22 जनवरी को राम लला की भव्य रूप में प्राण प्रतिष्ठा हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान संपन्न किया.

मुख्य बिन्दु

  • उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लिया.
  • इस अवसर पर देश के सभी प्रमुख आध्यात्मिक और धार्मिक संप्रदायों के प्रतिनिधि उपस्थित थे. विभ‍िन्‍न जनजातीय समुदाय के प्रतिनिधियों सहित समाज के सभी वर्गों के लोगों ने भी भागीदारी की.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम लला की प्राण प्रतिष्‍ठा के बाद मंदिर परिसर में जटायु की प्रतिमा का अनावरण किया. कुबेर टीला में पुनरोद्धार किए गए शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की.
  • राम लला की भव्य रूप में प्राण प्रतिष्ठा पौष शुक्ल द्वादशी विक्रम संवत 2080 अभिजीत मुहूर्त और समय दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर हुई.
  • प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम काशी के गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ के निर्देशन में और प्रसिद्ध विद्वान लक्ष्मीकांत दीक्षित के द्वारा संपन्न कराया गया.

संस्कृति मंत्रालय ने मेरा गांव मेरी धरोहर पहल की शुरुआत की

संस्कृति मंत्रालय ने देश में मेरा गांव मेरी धरोहर (Mera Gaon Meri Dharohar) पहल शुरू की है. इस पहल की आज शुरुआत गृह मंत्री अमित शाह ने 27 जुलाई को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के समन्वय से राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन के तहत किया था. यह अनूठी पहल आजादी के अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में किया गया है.

  • यह राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन के तहत संस्कृति मंत्रालय की राष्ट्रीय पहल है. गृह मंत्री शाह ने कुतुब मीनार परिसर में भव्‍य सांस्‍कृति मानचित्रण कार्यक्रम के दौरान आधिकारिक तौर पर वर्चुअल प्लेटफॉर्म की शुरूआत की थी.
  • परियोजना का मुख्य उद्देश्य 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में भारत के छह लाख पचास हज़ार गांवों का सांस्कृतिक मानचित्रण करना है.
  • मेरा गांव, मेरी धरोहर के माध्‍यम से लोगों को भारत के विविध और जीवंत सांस्‍कृतिक विरासत को जानने का अवसर मिलेगा.
  • इस पोर्टल के माध्‍यम से लोगों को प्रत्‍येक गांवों के बारे में आवश्यक जानकारी उपलब्‍ध हो सकेगी. जिसमें गांव की भौगोलिक स्थिति, पारंपरिक पोशाकों का विवरण, कला और शिल्प, मंदिर, मेले और वहां के त्यौहार शामिल है.

देशभर में मेरी माटी मेरा देश कार्यक्रम आयोजित की जाएगी

सरकार ‘मेरी माटी मेरा देश’ (meri mati mera desh) कार्यक्रम 9 अगस्‍त से 15 अगस्‍त के दौरान देशभर में आयोजित करेगी. लगभग 7.5 हजार विकास खण्‍डों से चयनित युवा दिल्‍ली के कर्तव्‍य पथ पर जुटेंगे. इस भव्‍य समारोह में युवा अपने राज्‍यों के ग्राम पंचायतों या सभी गांवों की मिट्टी अपने साथ लेकर आयेंगे.

यह अभियान आजादी का अमृत महोत्‍सव साबरमती से दाण्‍डी मार्च के साथ 12 मार्च 2021 को शुरु हुआ था. अब मेरी माटी मेरा देश अभियान की परिकल्‍पना आजादी का अमृत महोत्‍सव कार्यक्रम के समापन के रूप में की गई है.

वाराणसी में काशी- तमिल संगमम आयोजित किया गया

वाराणसी में 17 नवंबर से 16 दिसम्बर तक काशी- तमिल संगमम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने किया था. गृह मंत्री अमित शाह इसके समापन समारोह में मुख्य अतिथि थे.

मुख्य बिन्दु

  • काशी- तमिल संगमम  का उद्देश्य देश के दो महत्वपूर्ण शिक्षण पीठों – तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने सम्‍पर्कों को नये सिरे से स्थापित करना था.
  • इस एक माह के संगमम में तमिलनाडु से विभिन्न वर्गों के करीब ढाई हजार लोगों ने काशी का दौरा किया और यहां की कला-संस्कृति, लोक-परंपराओं, रहन-सहन, भाषा तथा खानपान के बारे में नजदीक से जाना. वहीं, स्थानीय लोगों को भी तमिल संस्कृति को और निकट से जानने का अवसर मिला.
  • काशी तमिल संगमम के तहत वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में रोजाना सांस्कृतिक संध्या का आयोजन हुआ जिसमें तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के कलाकारों ने अपनी कला-संस्कृति, संगीत और लोक नृत्यों का प्रदर्शन किया.
  • खेल, फिल्म, हथकरघा और हस्तशिल्प जैसी अन्य विधाओं से जुड़ी गतिविधियां भी आयोजित की गयीं, जिसमें तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया.
  • काशी तमिल संगमम ने तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों को पुर्नजीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.

नई दिल्ली में प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री संग्रहालय (Pradhan Mantri Sangrahalaya) का उद्घाटन किया है. यह संग्रहालय दिल्‍ली के तीन मूर्ति भवन परिसर में है. संग्रहालय का उद्घाटन अम्बेडकर जयंती पर किया गया. प्रधानमंत्री मोदी इस संग्रहालय का टिकट खरीदने वाले पहले व्यक्ति बने.

  • इस संग्रहालय में देश के 14 पूर्व प्रधानमंत्रियों का जीवन और राष्ट्रनिर्माण में उनका योगदान दर्शाया गया है. स्‍वतंत्रता संग्राम के प्रदर्शन से शुरू होकर सविंधान के निर्माण तक यह संग्रहालय इस गाथा को प्रस्‍तुत करता है कि कैसे हमारे प्रधानमंत्रियों ने विभिन्‍न चुनौतियों के बावजूद देश को नई राह दी और इस सर्वांगिण प्रवृति को सुनिश्चित किया.
  • उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि यह संग्रहालय ऐसे समय में बना है, जब देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. ये म्यूजियम एक भव्य प्रेरणा बनकर आया है. इन 75 वर्षों में देश ने अनेक गौरवमय पल देखे हैं. इतिहास के जरोखे में इन पलों का जो महत्व है वह अतुलनीय है. ऐसे बहुत से पलों की झलक प्रधानमंत्री संग्रहालय में भी देखने को मिलेगी.
  • इसका लोगो- हाथों में राष्‍ट्र और लोकतंत्र का प्रतीक धर्मचक्र थामे देशवासियों का प्रतिनिधित्‍व करता है.

कर्नाटक के होयसला मंदिर, विश्व विरासत की सूची के लिए भारत का नामांकन

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने कर्नाटक के बेलूर, हलेबिड और सोमनाथपुरा के होयसला मंदिरों को वर्ष 2022-2023 की विश्व विरासत सूची के लिए भारत के नामांकन के तौर पर शामिल किया गया है.

होयसला के पवित्र स्मारक 15 अप्रैल, 2014 से यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल हैं और मानव रचनात्मक प्रतिभा के उच्चतम बिंदुओं में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं.

यूनेस्को द्वरा साइट के मूल्यांकन किये जाने के बाद इन मंदिरों को विश्व विरासत की सूची में शामिल किये जाने पर विचार किया जायेगा.

यूनेस्‍को ने तेलंगाना का काकतीय रुद्रेश्‍वर मंदिर को विश्‍व धरोहर में शामिल किया

यूनेस्‍को (UNESCO) ने तेलंगाना के काकतीय रुद्रेश्‍वर मंदिर को विश्‍व स्थल की मान्यता दी है. 800 साल पुराने इस मंदिर को रामप्‍पा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. 25 जुलाई, 2021 को यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 44वें बैठक में यह निर्णय लिया गया. वहीं इस मंदिर को विश्व धरोहर में शामिल करने के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2019 के लिए यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में एकमात्र नामांकन के लिए प्रस्तावित किया गया था.

यूनेस्को की बैठक में आस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ के विश्व धरोहर दर्जे को बरकरार रखा गया है. यूनेस्को ने रीफ को विश्व धरोहर से बाहर करने का प्रस्ताव दिया था, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण उसे काफी नुकसान हुआ है. आस्ट्रेलिया ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इसे वर्ष 2023 तक टाल दिया जाए. ग्रेट बैरियर रीफ उत्तरपूर्वी आस्ट्रेलिया तट पर स्थित दुनिया का सबसे बड़ा बड़े प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तंत्र है.

काकतीय रुद्रेश्‍वर मंदिर: एक दृष्टि

  • इस मंदिर का निर्माण काकतिया वंश के महाराजा गणपति देव के आदेश पर सेनापति रेचारला रुद्र ने करवाया था.
  • मार्को पोलो ने काकतीय वंश के दौरान बने इस मंदिर को तमाम मंदिरों में सबसे चमकता तारा कहा था.
  • भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में मुख्य रूप से रामलिंगेश्वर स्वामी की पूजा होती है. इस मंदिर में शिव, श्री हरि और सूर्य देवता की प्रतिमाएं स्‍थापित हैं.
  • इसका निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था. मंदिर को शिल्पकार रामप्पा का नाम दिया गया, जिसने 40 वर्षों के अथक प्रयास के बाद इसका निर्माण किया था.

यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल

1983 में पहली बार भारत के चार ऐतिहासिक स्थलों को यूनेस्को ने ‘विश्व धरोहर स्थल’ में शामिल किया था. ये चार स्थल थे – ताज महल, आगरा किला, अजंता और एलोरा गुफाएं. वर्तमान में, भारत की कुल 39 साइटें विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं, जिनमें से 28 को सांस्कृतिक श्रेणी में, 7 प्राकृतिक और मिश्रित श्रेणी में 1 स्थान दिया गया है. भारत दुनिया की धरोहरों में छठे स्थान पर है.

मध्यप्रदेश के ग्वालियर और ओरछा यूनेस्को की विश्व धरोहर शहरों की सूची में शामिल

मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक किला शहर ग्वालियर और ओरछा को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व धरोहर शहरों की सूची में शामिल किया गया है.

यूनेस्को ने अपने विश्व धरोहर शहर कार्यक्रम (अर्बन लैंडस्केप सिटी प्रोग्राम) के तहत इन दोनों शहरों को विश्व धरोहर शहरों की सूची में शामिल किया है. विश्व धरोहर शहरों की सूची में आने के बाद यूनेस्को, ग्वालियर और ओरछा के ऐतिहासिक स्थलों को बेहतर बनाने तथा उसकी खूबसूरती निखारने के लिए पर्यटन विभाग के साथ मिलकर मास्टर प्लान तैयार करेगा.

इस परियोजना के तहत यूनेस्को इन ऐतिहासिक शहरों के लिए ऐतिहासिक नगरीय परिदृय (HUL) सिफारिशों पर आधारित शहरी विकास के सबसे बेहतर तरीकों और साधनों का पता लगाएगा.

ओरछा
ओरछा का अर्थ है ‘छिपे हुए महल’ है. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित ओरछा अपने मंदिरों और महलों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. ओरछा पूर्ववर्ती बुंदेला राजवंश की 16वीं शताब्दी की राजधानी है. ओरछा, राज महल, जहांगीर महल, रामराजा मंदिर, राय प्रवीन महल, लक्ष्मीनारायण मंदिर एवं कई अन्य प्रसिद्ध मंदिरों और महलों के लिए विख्यात है.

ग्वालियर

ग्वालियर भी मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक नगर और प्रमुख शहर है. 9वीं शताब्दी में स्थापित ग्वालियर गुर्जर प्रतिहार राजवंश, तोमर, बघेल, कछवाहों तथा सिंधिया राजवंश की राजधानी रहा है. विश्व धरोहर शहरों की सूची में आने के बाद ग्वालियर के मानसिंह पैलेस, गूजरी महल और सहस्रबाहु मंदिर के अलावा अन्य धरोहरों का रासायनिक रूप से परिशोधन किया जाएगा. इससे दीवारों पर उकेरी गई कला स्पष्ट दिखेगी और उसकी चमक भी बढ़ेगी.

कैलाश मानसरोवर के लिए नया रास्ता लिपूलेख-धाराचूला मार्ग का शुभारंभ

भारत सरकार ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए हाल ही में एक नया रास्ता ‘लिपूलेख-धाराचूला मार्ग’ की शुरुआत की है. इस मार्ग के शुरू हो जाने के बाद कैलाश मानसरोवर जाने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा अब काफी आसान होगी.

लिपूलेख-धाराचूला मार्ग: एक दृष्टि

लिपूलेख-धाराचूला मार्ग उत्तराखंड में 17000 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है. इस मार्ग की लंबाई 80 किलोमीटर है. नया रास्ता लिपूलेख को धारचूला से जोड़ता है. इस मार्ग का निर्माण सीमा सड़क संगठन (BRO) ने किया है.

इस रास्ते का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 8 मई को किया. लिपूलेख-धाराचूला मार्ग के पूरा हो जाने के बाद कैलाश मानसरोवर की यात्रा 1 हफ्ते में पूरा किया जा सकेगा, जबकि पहले 2-3 सप्ताह का समय लगता था.

इस मार्ग के बन जाने से अब मानसरोवर के तीर्थयात्री भारतीय भूमि पर 84 प्रतिशत और चीन की भूमि पर केवल 16 प्रतिशत की यात्रा करेंगे. इससे पहले अन्य मार्गों से 80% सड़क यात्रा चीन में करनी होती थी.

सैन्य दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण: यह मार्ग सैन्य दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है. इससे चीन सीमा पर सैनिकों की तैनाती और रसद आपूर्ति आसान होगी.

कैलाश पर्वत: एक दृष्टि

  • कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित एक पर्वत श्रेणी है. इस पर्वत को भगवान शिव का घर कहा गया है. इसके पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा राक्षसताल झील हैं. यहां से- ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलुज इत्यादि कई महत्वपूर्ण नदियां निकलतीं हैं.
  • कैलाश-मानसरोवर जाने के अनेक मार्ग हैं किंतु उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के अस्कोट, धारचूला, खेत, गर्ब्यांग, कालापानी, लिपूलेख, खिंड, तकलाकोट होकर जानेवाला मार्ग अब तक का सबसे सुगम मार्ग था. यह भाग 544 किमी (338 मील) लंबा है और इसमें अनेक चढ़ाव उतार है.

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की राष्ट्रीय सूची जारी

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने 18 अप्रैल को ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ (Intangible Cultural Heritage-ICH) की राष्ट्रीय सूची जारी की. यह सूची संस्‍कृति मंत्रालय के ‘विज़न 2024’ का हिस्सा है. इस सूची का लक्ष्य, भारत के विभिन्न राज्यों की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत परंपराओं के बारे में जागरूकता फैलाना है.

यूनेस्को (UNESCO) ने देश की 13 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत परंपराओं को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्रदान की है.

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिये 2003 के कन्वेंशन (Convention) का अनुसरण करते हुए भारत के संस्कृति मंत्रालय ने इस सूची को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को प्रकट करने वाले पाँच व्यापक डोमेन में वर्गीकृत किया है-

  1. अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के एक वाहक के रूप में भाषा सहित मौखिक परंपराएँ और अभिव्यक्ति;
  2. प्रदर्शन कला;
  3. सामाजिक प्रथाएँ, अनुष्ठान और उत्सव;
  4. प्रकृति एवं ब्रह्मांड के विषय में ज्ञान तथा अभ्यास;
  5. पारंपरिक शिल्प कौशल.

त्रिपुरा राज्‍य सरकार ने पहली बार हॉर्नबिल महोत्‍सव का आयोजन किया

त्रिपुरा में राज्‍य सरकार ने पहली बार हॉर्नबिल महोत्‍सव का आयोजन किया है. यह महोत्‍सव 8-9 फरवरी को तेलियामुरा के बारामुरा इको पार्क में आयोजित किया गया था. लोगों में हॉर्नबिल पक्षी और पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्‍य से यह महोत्‍सव आयोजित किया गया था.

महोत्‍सव का उद्घाटन करते हुए मुख्‍यमंत्री बिप्‍लब कुमार देव ने कहा कि ये आयोजन न केवल प्रकृति और पक्षी प्रेमियों को प्रोत्‍साहित करेगा, बल्कि हार्न बिल पक्षियों के प्रति जागरूकता भी पैदा करेगा. उन्‍होंने कहा कि हार्न बिल महोत्‍सव से राज्‍य के पर्यावरण पर्यटन क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिलेगा.

एक भारत श्रेष्‍ठ भारत’ अभियान का आयोजन किया जा रहा है

भारत सरकार का सूचना और प्रसारण मंत्रालय 10 से 28 फरवरी तक ‘एक भारत श्रेष्‍ठ भारत’ अभियान का आयोजन देशभर में कर रहा है. अभियान के दौरान 36 राज्‍यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों की संस्‍कृति, खानपान, शिल्‍प और परंपराओं को दर्शाया जाएगा ताकि लोगों में देश की विविधता के प्रति बेहतर समझ पैदा हो और लोगों में साझा पहचान की भावना मजबूत हो.

एक भारत श्रेष्‍ठ भारत: एक दृष्टि

  • एक भारत श्रेष्‍ठ भारत विविधता में भारत की एकता को दर्शाने वाला एक अनूठा कार्यक्रम है. इसका उद्देश्‍य एक ऐसा माहौल उपलब्‍ध कराना है, जिसमें सभी राज्‍य सर्वोत्‍तम कार्यशैलियों और अनुभवों से सीख ले सकें.
  • इस कार्यक्रम के तहत देश के सभी राज्‍यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों के बीच गहरा सामंजस्‍य स्‍थापित कर राष्‍ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा दिया जाता है.
  • इस अभियान के लिए राज्‍यों की जोड़ी केन्‍द्रशासित प्रदेशों के साथ बनाई गयी है. इस दौरान, देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दी जाएगी.
  • वर्ष 2016 में एक भारत श्रेष्‍ठ भारत कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा था कि यह कार्यक्रम राज्‍यों के लोगों को जोड़ने का माध्‍यम बन सकता है.