डॉ समीर वी कामत को रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग (DDRD) के सचिव और रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है. वह जी सतीश रेड्डी का स्थान लेंगे जिनको रक्षा मंत्री का वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त किया गया है.
मुख्य बिन्दु
कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने कामत के नियुक्ति की घोषणा हाल ही में की थी. वह पदभार ग्रहण करने की तिथि से 60 साल की आयु होने तक अपना योगदान देंगे.
डॉ समीर वी कामत 1 जुलाई 2017 से डीआरडीओ में महानिदेशक (नौसेना प्रणाली और सामग्री) के रूप में सेवा दे रहे थे.
हाल ही के दिनों में डॉ कामत ने डीएमआरएल में दुर्लभ पृथ्वी स्थायी चुम्बक (आरईपीएम) के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं.
रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार बने सतीश रेड्डी
वर्तमान में DDRD के सचिव और DRDO के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी को रक्षा मंत्री का वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त किया गया है. रेड्डी ने रक्षा प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास का नेतृत्व किया हैं.
देश में शीर्ष रक्षा वैज्ञानिक के तौर पर डॉ रेड्डी ने रक्षा परिसंपत्तियों के केन्द्रबिन्दु नेविगेशन तकनीक और प्रणालियाँ को कई प्लेटफार्मों के लिए और अत्यन्त महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करते हुए डिजाइन और विकसित किया है.
डीआरडीओ: एक दृष्टि
DRDO भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के अंतर्गत एक प्रमुख एजेंसी है जो सेना के अनुसंधान और विकास के लिए जिम्मेदार है. DRDO का मुख्यालय दिल्ली स्थित है. इसकी स्थापना 1958 में हुई थी.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2022-08-30 22:52:392022-08-30 22:52:39समीर वी कामत DRDO के अगले अध्यक्ष, सतीश रेड्डी रक्षा मंत्री के सलाहकार नियुक्त किए गए
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भारतीय वायु सेना के लडाकू विमानों को दुश्मन के राडारों से सुरक्षित रखने संबंधी एक उन्नत प्रौद्योगिकी– कैफ टैक्नोलोजी (advanced chaff technology) विकसित की है. भारतीय वायु सेना ने सफलतापूर्वक प्रयोग के बाद इस प्रौद्योगिकी के उपयोग की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
इससे संबंधित उपकरणों के उत्पादन के लिए यह प्रौद्योगिकी उद्योगों को दी गई है ताकि भारतीय वायु सेना की वार्षिक मांग को पूरा किया जा सके.
कैफ प्रौद्योगिकी (chaff technology) क्या है?
यह एक तकनीक है जिसका का उपयोग दुनिया भर में सेना द्वारा लड़ाकू जेट या नौसेना के जहाजों को दुश्मन के मिसाइलों से बचाने के लिए किया जाता है. यह रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) को अबरुद्ध कर किया जाता है. कैफ टैक्नोलोजी दुश्मन के राडार को गलत जानकारी देकर दुश्मन के मिसाइलों को विक्षेपित करता है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-08-20 18:33:542021-08-20 18:33:54लडाकू विमानों को दुश्मन के राडारों से सुरक्षित रखने के लिए कैफ टैक्नोलोजी विकसित
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 25 जून को स्वदेश में विकसित ‘पिनाक’ रॉकेट के नये संस्करण का सफल परीक्षण किया था. यह परीक्षण कल ओडिसा के चांदीपुर से किया गया था. इस परीक्षण के तहत अलग-अलग लक्ष्यों पर निशाना साधने के लिए 25 पिनाक रॉकेट दागे गये और ये सभी लक्ष्य पर सटीक बैठे.
DRDO ने स्वदेश में ही विकसित 122 मिलीमीटर कैलिबर रॉकेट के नये संस्करण का भी चांदीपुर से सफल परीक्षण किया था. ये रॉकेट 40 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को निशाना बना सकते हैं.
‘पिनाक’ रॉकेट का नया संस्करण: एक दृष्टि
‘पिनाक’ एक स्वदेशी मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्च सिस्टम है. नये पिनाका रॉकेट की मारक क्षमता 45 किलोमीटर है. इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-06-27 18:36:002021-06-27 18:36:00DRDO ने पिनाक और कैलिबर रॉकेट के नये संस्करण का सफल परीक्षण किया
रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) ने कोरोना वायरस एंटीबॉडी डिटेक्शन किट तैयार की है. इस किट का नाम ‘DIPCOVAN’ रखा गया है. इस किट ka उपयोग कर SARS-CoV-2 वायरस के साथ-साथ न्यूक्लियोकैप्सिड (S&N) प्रोटीन का भी 97% की उच्च संवेदनशीलता और 99% की विशिष्टता के साथ पता लगाया जा सकता है.
DRDO ने ‘DIPCOVAN’ को दिल्ली स्थित वैनगार्ड डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से विकसित किया गया है. यह किट पूरी तरह स्वदेशी है और इसे यहीं के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है.
भारत ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने ‘DIPCOVAN’ के उपयोग की मंजूरी हाल ही में प्रदान की है. इससे पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने अप्रैल 2021 में इस किट को मान्यता दी थी. अब इस किट की खुले बाजार में बिक्री की जा सकती है. इस किट की कीमत प्रति टेस्ट 75 रुपये के करीब होगी.
DIPCOVAN किट के जरिए किसी व्यक्ति की कोरोना से लड़ने की क्षमता और उसकी पिछली हिस्ट्री (इंसान के शरीर में जरूरी एंटीबॉडी या प्लाज्मा) के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी.
उल्लेखनीय है कि हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने ‘कोवीसेल्फ’ नाम की होम टेस्टिंग किट को भी मंजूरी दी है, जो एक रैपिड एंटीजन टेस्ट किट है. इस किट की मदद से लोग घर बैठे खुद ही अपना कोरोना टेस्ट कर सकेंगे.
DRDO की एंटी-कोविड दवा 2-DG
DRDO ने इससे पहले ‘2-DG’ नाम से covid-19 की दवा विकसित की थी. इस दावा का पूरा नाम 2-Deoxy-D-glucose है. इसे डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज के सहयोग से विकसित किया गया है. यह दवा संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाती है और वायरल को बढने से रोकती है. DGCI ने कोविड-19 के गंभीर रोगियों के लिए इस दवा के आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी है.
भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने सिंगल क्रिस्टल ब्लेड प्रौद्योगिकी (Single Crystal Blade Technology) विकसित की है. यह प्रौद्योगिकी ज्यादा गर्मी में भी इंजन को सुरक्षित रखते हैं. भारत इस प्रौद्योगिकी को विकसित करने वाला विश्व का पांचवां देश है. इससे पहले अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस के पास ही यह तकनीक थी.
सिंगल क्रिस्टल ब्लेड प्रौद्योगिकी: मुख्य बिंदु
सिंगल क्रिस्टल ब्लेड प्रौद्योगिकी से छोटे और ज्यादा शक्तिशाली इंजनों का निर्माण किया जा सकेगा. ये ब्लेड्स इंजन को ज्यादा गर्मी में भी सुरक्षित रखते हैं. ये ब्लेड्स 1500 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन कर सकते हैं.
इस ब्लेड को DRDO की प्रीमियम प्रयोगशाला डिफेंस मेटालर्जिकल रिसर्च लेबोरेटरी (DMRL) ने बनाया है. इसमें निकल-आधारित उत्कृष्ट मिश्रित धातु (CMSX-4) का उपयोग किया गया है. सिंगल क्रिस्टल उच्च दबाव वाले टरबाइन (HPT) ब्लेड के पांच सेट (300 ब्लेड) विकसित किए जा रहे हैं.
DRDO ने इनमें से 60 ब्लेड की आपूर्ति हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को हेलिकॉप्टर इंजन एप्लीकेशन (Helicopter) के लिए दिया है. HAL इस समय स्वदेशी हेलीकॉप्टर विकास कार्यक्रम के तहत हेलिकॉप्टर बना रहा है. जिसमें इस क्रिस्टल ब्लेड का उपयोग किया जाएगा.
रणनीतिक व रक्षा एप्लीकेशन्स में इस्तेमाल किए जाने वाले हेलिकाप्टरों को चरम स्थितियों में अपने विश्वसनीय संचालन के लिए कॉम्पैक्ट तथा शक्तिशाली एयरो-इंजन की आवश्यकता होती है. इसके लिए जटिल आकार वाले अत्याधुनिक सिंगल क्रिस्टल ब्लेड काम आते हैं. ये मिशन के दौरान उच्च तापमान सहन करने में सक्षम होता है.
रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (DRDO): एक दृष्टि
रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (DRDO), भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिये देश की अग्रणी संस्था है. इस संस्थान की स्थापना 1958 में भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. डॉ जी सतीश रेड्डी DRDO के वर्तमान चेयरमैन हैं.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-04-28 23:55:072021-04-29 09:17:12भारत सिंगल क्रिस्टल ब्लेड प्रौद्योगिकी को विकसित करने वाला विश्व का पांचवां देश बना
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 21 जनवरी को स्वदेशी स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वैपन (SAAW) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिसा तट पर हॉक-1 विमान से किया गया. यह इस तरह का नौंवा सफल परीक्षण था. भारत ने SAAW का सफल परीक्षण कर एक और उपलब्धि हासिल की है.
स्वदेशी स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वैपन: मुख्य बिंदु
स्वदेशी स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वैपन (SAAW) का परीक्षण हॉक-1 विमान से किया गया. हॉक-1 का विकास हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने किया है. SAAW को पहले जगुआर विमान में लगाया गया था.
SAAW एक निर्देशित बम (गाइडेड बम) है. इसको DRDO के अनुसंधान केन्द्र RCI हैदराबाद ने विकसित किया है. इसका वजन 125 किलो हैं. इसे बेहद हल्के वजन वाला दुनिया का बेहतरीन गाइडेड बम बताया गया है.
125 किलोग्राम वर्ग वाला यह स्मार्ट वैपन 100 किलोमीटर की रेंज में रडार और बंकर जैसे ठिकानों को मार सकता है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-01-22 23:57:002021-01-23 13:02:22DRDO ने स्वदेशी स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वैपन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के वर्तमान अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी के कार्यकाल को दो वर्ष का विस्तार दिया गया है. कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने DRDO अध्यक्ष के रूप में रेड्डी के कार्यकाल के विस्तार को 24 अगस्त को मंजूरी दी.
उन्हें अगस्त 2018 में दो वर्षों के लिए इस पद पर नियुक्त किया गया था. इसके अलावा वह 26 अगस्त के बाद दो वर्षों के लिए DRDO के सचिव भी होंगे.
रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (DRDO): एक दृष्टि
DRDO, रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation) का संक्षिप्त रूप है. यह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक संगठन है.
यह सैन्य अनुसन्धान तथा विकास से सम्बंधित कार्य करता है. यह देश की सुरक्षा के लिए मिसाइल, रडार, सोनार, टॉरपीडो आदि का निर्माण करती है.
इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है. DRDO का आदर्श वाक्य ‘बलस्य मूलं विज्ञानं’ है. पूरे देश में DRDO की 52 प्रयोगशालाओं का नेटवर्क है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-08-25 22:14:222020-08-25 22:14:22डीआरडीओ के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी के कार्यकाल को विस्तारित किया गया
रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (DRDO) ने हाल ही में अल्ट्रावायलेट (UV) डिसइंफेक्टेंट टावर (Ultra Violet Disinfection Tower) बनाने में कामयाबी हासिल की है. इस टावर उपयोग कोरोना वायरस के अति संवेदनशील क्षेत्रों को कम समय में वायरस मुक्त करने के लिए किया जा सकता है. इस UV-आधारित एरिया सैनिटाइजर का नाम UV-BLASTER रखा गया है.
DRDO के लेज़र साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर (LASTEC) ने न्यू ऐज इंस्ट्रूमेंट एंड मैटीरियल्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर UV-BLASTER बनाया है. यह उन सभी चीजों को सैनिटाइज करने के लिए आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है, जिन्हें साफ़ करने के लिए किसी केमिकल का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं.
यह सैनिटाइजर एयरपोर्ट, शॉपिंग मॉल, फैक्ट्री, ऑफिस जैसी उन जगहों पर भी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है, जिनका एरिया और आने वाले लोगों की संख्या ज्यादा होती है. इसे दूर से भी मोबाइल, लैपटॉप की मदद से Wi-Fi से कनेक्ट कर चला सकते हैं.
अल्ट्रावायलेट किरणों से काम करने वाले इस UV-BLASTER में 43 वाट UV-C के 6 लैंप लगते हैं जोकि 254 नैनोमीटर वेव लेंथ पर काम करते हैं ताकि 360 डिग्री यानि की हर तरफ रोशनी पहुंच सके. UV-BLASTER की मदद से 400 स्क्वायर फीट के कमरे को सैनिटाइज करने में लगभग 30 मिनट लगते हैं.
रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (DRDO) भारत की थल और वायु सेना की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रनाश मिसाइल का विकास कर रहा है. 200 किमी रेंज की इस टैक्टिकल बैलेस्टिक मिसाइल को पारंपरिक वारहैड से लैस किया जा सकेगा. यह मिसाइल सतह से सतह पर मार करने के लिए यह ठोस ईंधन का उपयोग करती है.
प्रनाश, प्रहार का आधुनिक प्रारूप
प्रनाश को प्रहार मिसाइल का आधुनिक रूप माना जा रहा है. प्रहार की क्षमता 150 किमी दूरी तक वार करने की है. इसे भी टेक्टिकल मिशन के लिए DRDO द्वारा विकसित किया जा रहा है.
निर्यात के लिए अन्तर्राष्ट्रीय प्रावधान के अनुरूप
प्रनाश मिसाइल की रेंज मिसाइलों को बेचने के लिए तय अन्तर्राष्ट्रीय प्रावधान के अनुरूप है. अगले दो वर्ष में प्रनाश का ट्रायल शुरू किया जा सकता है. इस दौरान इसके सिंगल स्टेज सॉलिड प्रोपलेंट प्रारूप को मित्र देशों को निर्यात के लिए उपलब्ध करवाया जाएगा.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-02-12 23:05:172020-02-12 23:05:17DRDO सेना की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रनाश मिसाइल का विकास कर रहा है
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी को अपना स्थापना दिवस (DRDO Day) मनाती है. DRDO की स्थापना 1 जनवरी, 1958 में की गई थी.
रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान कार्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मात्र दस प्रयोगशालाओं के साथ संगठन की शुरुआत हुई थी. DRDO के वर्तमान अध्यक्ष डॉक्टर जी. सतीश रेड्डी हैं. DRDO देश की सुरक्षा के लिए मिसाइल, रडार, सोनार, टॉरपीडो आदि का निर्माण करती है.
रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (DRDO): एक दृष्टि
DRDO, रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation) का संक्षिप्त रूप है. यह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक संगठन है. यह सैन्य अनुसन्धान तथा विकास से सम्बंधित कार्य करता है. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है. DRDO का आदर्श वाक्य ‘बलस्य मूलं विज्ञानं’ है. पूरे देश में DRDO की 52 प्रयोगशालाओं का नेटवर्क है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-01-02 23:21:482020-01-02 23:21:481 जनवरी: DRDO दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 30 सितम्बर को स्वदेशी उपकरणों वाले ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के भू-हमला संस्करण का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडि़सा के चांदीपुर परीक्षण केंद्र से किया गया. यह मिसाइल जमीनी लड़ाई में उपयोगी साबित होगी. इस मिसाइल को ज़मीन और समुद्र में स्थित प्लेटफॉर्म दोनों से दागा जा सकता है.
ब्रह्मोस मिसाईल: महत्वपूर्ण तथ्यों पर एक दृष्टि
ब्रह्मोस के महानिदेशक डॉक्टर सुधीर कुमार हैं.
ब्रह्मोस एक कम दूरी की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है.
9 मीटर लंबी इस मिसाइल का वजन लगभग 3 टन है. यह मिसाइल ठोस ईंधन से संचालित होती है.
यह दुनिया की सबसे तेज मिसाइल है. यह ध्वनि से 2.9 गुना तेज (करीब एक किलोमीटर प्रति सेकेंड) गति से 14 किलोमीटर की ऊँचाई तक जा सकता है.
इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है जिसे अब 400 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है.
ब्रम्होस का विकास भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ के संयुक्त उद्यम ने किया है.
ब्रह्मोस के संस्करणों को भूमि, वायु, समुद्र और जल के अंदर से दागा जा सकता है.
इसका पहला परीक्षण 12 जून 2001 को किया गया था.
इस मिसाइल का नाम दो नदियों को मिलाकर रखा गया है जिसमें भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्क्वा नदी शामिल है.
जमीन और नौवहन पोत से छोड़ी जा सकने बाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाईल पहले ही भारतीय सेना और नौसेना में शामिल की जा चुकी है. इस सफल परीक्षण के बाद ये मिसाइल सेना के तीनों अंगों का हिस्सा बन जायेगी.
सुखोई लड़ाकू विमान से गाइडेड बम छोड़ने का सफल परीक्षण
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 24 मई 2019 को सुखोई लड़ाकू विमान (SU-30 MKI) से 500 किलोग्राम श्रेणी के एक गाइडेड बम छोड़ने का सफल परीक्षण किया था. यह परीक्षण राजस्थान के पोकरण में किया गया था. यह बम देश में ही विकसित किया गया है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-10-01 23:46:242019-10-02 17:37:10DRDO ने स्वदेशी उपकरणों वाले ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 17 सितम्बर को अस्त्र मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण सुखोई-30 MKI लड़ाकू विमान से किया गया, जिसने पश्चिम बंगाल में एक हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी.
अस्त्र मिसाइल: मुख्य तथ्य
अस्त्र मिसाइल BVR (बियोंड विजुअल रेंज) एयर-टू-एयर (हवा से हवा में मार करने वाली) मारक क्षमता वाली मिसाइल है.
इसकी रेंज 70-80 किलोमीटर है. अस्त्र एक ऐसी मिसाइल है जो किसी भी मौसम में इस्तेमाल की जा सकती है. इसे एक्टिव रडार टर्मिनल गाइडेंस से लैस किया गया है.
इसका निर्माण DRDO ने किया है. इसे मिराज-2000H, मिग-29, मिग-29K, मिग-21 बायसन, LCA तेजस और सुखोई SU-30 MKI विमानों में लगाने के लिए विकसित किया गया है.
इस मिसाइल में ठोस ईंधन प्रणोदक का इस्तेमाल किया गया है. यह सुपर सोनिक गति से हवा में उड़ रहे किसी भी लक्ष्य को नेस्तनाबूत कर सकती है.
इसका वजन 154 किलोग्राम, लंबाई 3570mm और व्यास 178mm है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-09-17 23:08:402019-09-18 15:04:20भारत ने हवा से हवा में मार करने सक्षम ‘अस्त्र’ मिसाइल का सफल परीक्षण किया