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शोध की संस्कृति विकसित करने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक को मंजूरी

देश में शोध की संस्कृति विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. यह विधेयक साइंस एंड इंजीनयिरंग रिसर्च बोर्ड एक्ट, 2008 का स्थान लेगा. इस विधेयक को संसद के अगले सत्र में पेश किया जाएगा.

राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन: मुख्य बिन्दु

  • इसके तहत राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना की जाएगी. एनआरएफ का संचालन एक गवर्निंग बोर्ड द्वारा किया जाएगा. इसमें सदस्य के रूप में 15 से 25 जाने माने शोधकर्ता और पेशेवर होंगे.
  • प्रधानमंत्री इस बोर्ड के पदेन अध्यक्ष होंगे और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री तथा केन्द्रीय शिक्षा मंत्री पदेन उपाध्यक्ष होंगे. एनआरएफ की कार्यकारी परिषद के प्रमुख प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार होंगे.
  • इस मकसद से वर्ष 2023-24 से 2027-28 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए 50 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराये जायेंगे. इसमें से 14 हजार करोड़ रुपये भारत सरकार देगी, जबकि शेष 36 हजार करोड़ रूपये उद्योग, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, लोकोपकार दान आदि से जुटाया जायेगा.
  • यह फाउंडेशन अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) का मार्ग प्रशस्त करेगा तथा देशभर के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों तथा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं में अनुसंधान एवं नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देगा.

‘राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान’ योजना को 2026 तक जारी रखने की मंज़ूरी दी गयी

सरकार ने ‘राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान’ (RUSA) योजना को 31 मार्च, 2026 तक या अगली समीक्षा तक (जो भी पहले हो) जारी रखने की मंज़ूरी दी है.

इस प्रस्ताव में लगभग 12929.16 करोड़ रुपए का परिव्यय शामिल है, जिसमें से केंद्र का हिस्सा 8120.97 करोड़ रुपए और राज्य का हिस्सा 4808.19 करोड़ रुपए होगा.

योजना के नए चरण को नई शिक्षा नीति (NEP) की कुछ सिफारिशों को लागू करने के लिए डिजाइन किया गया है. इस चरण के तहत, राज्य सरकारें लैंगिक समावेशन, इक्विटी पहल, व्यवसायीकरण और कौशल उन्नयन के माध्यम से रोजगार क्षमता में वृद्धि का समर्थन करेंगी.

राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान यानी RUSA योजना को अक्तूबर 2013 में शुरू की थी. इसका उद्देश्य पूरे भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों को रणनीति वित्तपोषण प्रदान करना है.

केंद्रीय वित्तपोषण (सामान्य श्रेणी के राज्यों के लिये 60:40 के अनुपात में, विशेष श्रेणी के राज्यों के लिये 90:10 के अनुपात में और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये 100%) मानदंड और परिणाम आधारित है.

वित्‍तीय वर्ष 2022 से 2027 तक की अवधि के लिए नव भारत साक्षरता कार्यक्रम को मंजूरी

सरकार ने वित्‍तीय वर्ष 2022 से 2027 तक की अवधि के लिए नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (New India Literacy Programme) मंजूर किया है. इसका उद्देश्‍य प्रौढ़ शिक्षा के सभी पहलुओं को राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और बजट 2021-22 में की गई घोषणाओं के साथ जोड़ना है.

मुख्य बिंदु

  • राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने प्रौढ़ शिक्षा और जीवन भर के लिए विद्या प्राप्त करने की सिफारिशें की हैं. बजट 2021-22 की घोषणा में संसाधनों से ज्‍यादा से ज्‍यादा लाभांन्वित होने, प्रौढ़ शिक्षा के समस्त पहलुओं के लिए ऑनलाइन मॉडयुल्‍स शुरू करने की बात कही गई थी. इस योजना का उद्देश्‍य बुनियादी साक्षरता को लागू करना और बढ़ावा देना भी है.
  • यह योजना देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के गैर-साक्षर लोगों को कवर करेगी. इस कार्यक्रम का अनुमानित कुल परिव्यय 1,037 करोड़ रुपये से अधिक है.

पठन अभियान ‘पढ़े भारत’ का शुभारंभ

शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 1 जनवरी को पठन अभियान ‘पढ़े भारत’ का शुभारंभ किया. यह अभियान सौ दिन तक चलेगा. इसका उद्देश्य बच्चों, अध्यापकों, अभिभावकों, सामुदायिक और शैक्षिक प्रशासन सहित राष्ट्रीय और राज्य स्तर के सभी हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित करना है.

पढ़े भारत: एक दृष्टि

  • यह अभियान विद्यार्थियों के सीखने के स्तर में सुधार के लिये महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि इससे उनकी रचनात्मकता, विश्लेषणात्मक सोच, शब्दावली तथा मौखिक और लेखन अभिवियक्ति क्षमता विकसित होगी. इससे बच्चों को अपने आस-पास और वास्तविक जीवन की स्थितियों को समझने में मदद मिलेगी.
  • बाल-वाटिका से लेकर कक्षा आठ तक के विद्यार्थी इस अभियान का हिस्सा होंगे. इस दौरान प्रत्येक समूह के लिए प्रति सप्ताह का कार्यक्रम तैयार किया गया है, जिसमें पठन कार्य को रोचक बनाने और इस अनुभव से जुड़े रहने पर मुख्य रूप से ध्यान दिया गया है.
  • बच्चे यह कार्यक्रम अध्यापकों, अभिभावकों, और परिवार के अन्य सदस्यों की मदद से तैयार कर सकते हैं. पठन अभियान का आयोजन इस वर्ष 10 अप्रैल तक किया जाएगा.

नया पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए कस्तूरीरंगन समिति का गठन

केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों, शुरूआती बाल्यावस्था, अध्यापक और वयस्क शिक्षा के लिए नया स्कूली पाठ्यक्रम तैयार करने को लेकर 12 सदस्यीय एक समिति का गठन किया है. यह समिति भारत में स्कूलों के लिए पाठ्यक्रम, पाठ्य पुस्तक और शिक्षण प्रथाओं के लिए एक दिशानिर्देश के रूप में कार्य करेगा

के कस्तूरीरंगन समिति के अध्यक्ष

इसरो के पूर्व प्रमुख और वरिष्ठ वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन को इन चार राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा (national curriculum frameworks – NCFs) को विकसित करने वाले समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020) मसौदा समिति के भी अध्यक्ष भी थे.

अन्य सदस्य: राष्ट्रीय शिक्षा योजना एवं प्रशासन संस्थान के चांसलर महेश चंद्र पंत, नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष गोविंद प्रसाद शर्मा, जामिया मिलिया इस्लामिया की कुलपति नजमा अख्तर, आंध्र प्रदेश के केन्द्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति टीवी कट्टिमणि, आईआईएम जम्मू के अध्यक्ष मिलिंद कांबले और आईआईटी गांधीनगर के अतिथि प्रोफेसर मिशेल दनिनो, बठिंडा में पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय कुलाधिपति जगबीर सिंह, भारतीय मूल के अमेरिकी गणितज्ञ मंजुल भार्गव, प्रशिक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता एमके श्रीधर, ‘लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन’ (एलएलएफ) के संस्थापक निदेशक धीर झिंगरान, और एकस्टेप फाउंडेशन के सह-संस्थापक एवं सीईओ शंकर मारुवाड़ा इस पैनल में शामिल हैं.

केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक संसद में पारित

संसद ने केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक संसद में पारित कर दिया है. इसके तहत केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी. जम्‍मू कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 हटाए जाने के बाद केन्‍द्र ने नया विश्‍वविद्यालय बनाने की घोषणा की थी.

सिंधु केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना

इसका उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के लिए उच्च शिक्षा और अनुसंधान के अवसरों को सुगम बनाना और बढ़ावा देना है. इस विधेयक के द्वारा लद्दाख में “सिंधु केंद्रीय विश्वविद्यालय” की स्थापना की जाएगी, जिसके लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में संशोधन किया गया है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लद्दाख में 750 करोड़ रुपये की लागत से एक केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय किया था. चार वर्षों के प्रथम चरण में व्यय लगभग 400 करोड़ रुपये होगा और शेष तीन वर्षों के दूसरे चरण में व्यय लगभग 350 करोड़ रुपये होगा. यह व्यय शिक्षा मंत्रालय के बजटीय उपबंधों के माध्यम से भारत की संचित निधि से पूरा किया जाएगा.

वित्तीय वर्ष 2025-26 तक के लिये स्कूली शिक्षा कार्यक्रम ‘समग्र शिक्षा योजना 2.0’ को मंज़ूरी दी गयी

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने स्कूली शिक्षा के लिए ‘समग्र शिक्षा योजना’ (Samagra Shiksha Scheme) को अगले पांच वर्ष 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है. इसे ‘समग्र शिक्षा योजना 2.0’ से जाना जायेगा. ‘समग्र शिक्षा योजना 1.0’ को वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था. इसे शिक्षा हेतु सतत् विकास लक्ष्य और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ संरेखित करने के लिये विस्तारित किया गया है.

इसे केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जा रहा है. इसमें केंद्र और अधिकांश राज्यों के बीच वित्तपोषण में 60:40 का विभाजन शामिल है. इस योजना को लागू करने के लिए 2.94 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय निर्धारित किया गया है, जिसमें से केंद्रीय हिस्सा 1.85 लाख करोड़ रुपये है.

इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य भारत के संविधान के अनुच्छेद 21A के अनुसार बच्चों के नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 को लागू करने में राज्यों की सहायता करना है.

समग्र शिक्षा योजना: एक दृष्टि

  • समग्र शिक्षा योजना, ‘सर्व शिक्षा अभियान’ (SSA), ‘राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान’ (RMSA) और ‘शिक्षक शिक्षा’ (TE) की तीन योजनाओं को समाहित कर 2018 में शुरू किया गया था.
  • इस योजना में प्री-स्कूल से लेकर बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा संबंधी सभी पहलुओं को शामिल किया गया है.
  • इस योजना में 1.16 मिलियन स्कूल, 156 मिलियन से अधिक छात्र और सरकारी तथा सहायता प्राप्त स्कूलों के 5.7 मिलियन शिक्षक शामिल हैं.
  • योजना में निपुण भारत पहल पहल के तहत शिक्षण सामग्री के लिये प्रति छात्र 500 रुपए, मैनुअल और संसाधनों के लिये प्रति शिक्षक 150 रुपए और आधारभूत साक्षरता तथा अंकगणित के आकलन के लिये प्रति ज़िले 10-20 लाख रुपये का वार्षिक प्रावधान है.
  • डिजिटल बोर्ड, वर्चुअल क्लासरूम और डीटीएच चैनलों के लिये समर्थन सहित आईसीटी लैब तथा स्मार्ट क्लासरूम का प्रावधान है, जो कोविड -19 महामारी के मद्देनजर अधिक महत्त्वपूर्ण हो गये हैं.
  • इसमें 16 से 19 वर्ष की आयु के स्कूली बच्चों को ओपन स्कूलिंग के माध्यम से अपनी शिक्षा पूरी करने के लिये 2000 प्रति ग्रेड के वित्तपोषण का समर्थन देने का प्रावधान शामिल है.

राष्ट्रीय अभियान ‘निपुण भारत’ का शुभारंभ

शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 5 जुलाई को पठन और संख्यात्मक कौशल में प्रवीणता के लिए राष्ट्रीय पहल ‘निपुण भारत’ कार्यक्रम की शुरूआत की थी. इस दौरान एक लघु वीडियो, गीत और निपुण भारत के कार्यान्वयन संबंधी दिशा-निर्देश भी जारी किए गये.

निपुण भारत क्या है?

  • निपुण (NIPUN) का का पूरा नाम “National Initiative for Proficiency in reading with Understanding and Numeracy” है.
  • निपुण भारत अभियान, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए उठाए जा रहे कदमों के तहत विद्यालय शिक्षा और साक्षरता विभाग की ओर से किया जाने वाला महत्वपूर्ण प्रयास है.
  • निपुण भारत अभियान का उद्देश्य आमतौर पर सभी के लिए आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मक कौशल के अनुकूल माहौल बनाना है.
  • इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वर्ष 2026-27 तक तीसरी कक्षा की पढाई पूरी करने वाले सभी बच्चे लिखने, पढने और संख्यात्मक कौशल में अपेक्षित प्रवीणता हासिल कर सकें.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020: एक दृष्टि

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा की पहुंच, समानता, गुणवत्ता, वहनीय शिक्षा और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति का शुभारंभ स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा 29 जुलाई 2020 को किया गया था.
  • नई शिक्षा नीति के निर्माण के लिये जून 2017 में पूर्व इसरो प्रमुख डॉ के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था. इस समिति ने मई 2019 में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा’ प्रस्तुत किया था.
  • ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ वर्ष 1968 और वर्ष 1986 के बाद स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति है. नई शिक्षा नीति में वर्तमान में सक्रिय 10+2 के शैक्षिक मॉडल के स्थान पर शैक्षिक पाठ्यक्रम को 5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर विभाजित करने की बात कही गई है.
  • तकनीकी शिक्षा, भाषाई बाध्यताओं को दूर करने, दिव्यांग छात्रों के लिये शिक्षा को सुगम बनाने आदि के लिये तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है.

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का तीसरा चरण देशभर के 600 जिलों में शुरू किया जायेगा

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का तीसरा चरण (PMKVY 3.0) 15 जनवरी को देशभर के 600 जिलों में शुरू हुआ. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के पहले और दूसरे चरण से मिले अनुभव के आधार पर तीसरे चरण में कई सुधार किये हैं ताकि मौजूदा नीति और नई आवश्‍यकताओं के अनुसार कौशल प्रशिक्षण दिया जा सके.

PMKVY 3.0: मुख्य बिंदु

  • इस योजना के तीसरे चरण में 2020-21 के दौरान 8 लाख प्रत्‍याशियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा, जिस पर 948.90 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च होगी. इस चरण में नये जमाने के कौशलों के साथ-साथ कोविड महामारी से संबंधित कौशलों पर ध्‍यान केन्द्रित किया जायेगा.
  • देश में कुशल लोगों का बड़ा समूह तैयार करने के लिए 200 से अधिक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्‍थानों और सूचीबद्ध प्रशिक्षण केन्‍द्रों तथा 729 प्रधानमंत्री कौशल केन्‍द्रों में इस योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू किये जायेंगे.

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना: एक दृष्टि

  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) का लक्ष्य देश के युवाओं को उद्योगों से जुड़ी ट्रेनिंग देना है, जिससे उन्हें रोजगार पाने में सहायता मिल सके. PMKVY में ट्रेनिंग देने की फीस का सरकार खुद भुगतान करती है.
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY), कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) के नेतृत्‍व में चलायी जा रही है. इसके तहत 2020 तक एक करोड़ लोगों के कौशल विकास का लक्ष्य रखा गया है.
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 15 जुलाई 2015 को स्किल इंडिया मिशन का शुभारंभ किया था. PMKVY से इस अभियान को रफ्तार मिली है. PMKVY का पहला चरण 2015 और दूसरा चरण 2016 में शुरू किया गया था.
  • भारत को दुनिया में कौशल की राजधानी बनाने की सोच के साथ शुरू की गई यह योजना सरकार के प्रमुख कार्यक्रम है जो लोगों में बड़ा लोकप्रिय हुआ है.

विश्व भारती विश्वविद्यालय का शताब्दी समारोह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 दिसम्बर को शांति निकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्‍होंने कहा कि विश्व कल्याण का रास्‍ता आत्‍मनिर्भर भारत के विचार से ही गुजरता है. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण का समापन टैगोर की कविता ‘ओरे गृहोबाशी खोल द्वार खोल’ से करते हुए छात्रों का आह्वान किया कि वे नई संभावनाओं का द्वार खोलें और गुरूदेव के विचारों और दर्शन का प्रचार करें.

विश्व भारती विश्वविद्यालय

विश्‍व-भारती की स्‍थापना 1921 में गुरूदेव रवीन्‍द्रनाथ टैगोर ने की थी. मई 1951 में संसद के अधिनियम से इसे केंद्रीय विश्‍वविद्यालय और राष्‍ट्रीय महत्‍व का संस्‍थान घोषित किया गया था. प्रधानमंत्री इस विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति हैं.

मातृ भाषा में तकनीकी शिक्षा देने की रूपरेखा तैयार करने के लिए कार्यबल का गठन

सरकार ने मातृ भाषा में तकनीकी शिक्षा देने की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक कार्यबल का गठन किया है. शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने यह निर्णय 2 दिसम्बर को एक उच्‍चस्‍तरीय बैठक में लिया. इस बैठक को राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्‍वयन से जुडे मुद्दों पर चर्चा के लिए बुलाया गया था.

उच्‍च शिक्षा सचिव अमित खरे इस कार्यबल के अध्यक्ष होंगे. यह कार्यबल इस संबंध में विभिन्‍न पक्षों से मिले सुझावों पर विचार करने के बाद एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा.

नई शिक्षा नीति 2020: मुख्य बिंदु…»

15 से 23 अक्टूबर: बौद्धिक संपदा साक्षरता सप्ताह

15 से 23 अक्टूबर के सप्ताह को ‘बौद्धिक संपदा साक्षरता सप्ताह’ के रूप में मनाया जा रहा है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इसकी घोषणा 15 अक्टूबर को की थी. इसका उद्देश्य बौद्धिक संपदा और पेटेंट के क्षेत्र में जागरूकता को बढ़ावा देना है. इस सप्ताह के दौरान बौद्धिक संपदा और पेटेंट के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया के महत्व के बारे में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.

कापीला अभियान की शुरूआत

केंद्रीय शिक्षा मंत्री, रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने बौद्धिक संपदा साक्षरता और जागरूकता अभियान के लिए ‘कापीला’ (KAPILA) अभियान की शुरूआत की है. यह अभियान 15 अक्टूबर को पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की 89वीं जयंती के उपलक्ष्य में शुरू किया गया था.

KAPILA का पूरा नाम Kalam Programme for Intellectual Property Literacy and Awareness campaign है.