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मिस्र के राष्ट्रपति अब्‍देल फतेह अल-सिसि की भारत यात्रा

मिस्र के राष्‍ट्रपति अब्‍देल फतेह अल-सिसि 24 से 26 जनवरी तक भारत की यात्रा पर थे. वे भारत के 74वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे. उनके साथ पांच मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों सहित एक उच्चस्तरीय शिष्टमंडल भी भारत आया था.

मुख्य बिन्दु

गणतंत्र दिवस समारोह में इस बार पहली बार स्‍वदेशी तोप ‘105 एमएम फील्‍ड गन’ से राष्‍ट्रपति अल-सिसि को 21 तोपों की सलामी दी गई.

राष्ट्रपति सिसि ने धानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के साथ शिष्टमंडल स्तर की वार्ता बैठक में हिस्सा लिया जिसमें क्षेत्रीय और आपसी हितों के वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ.

भारत और मिस्र के बीच सम्बन्ध

भारत और मिस्र के बीच वर्षों से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध रहे हैं. भारत और मिस्र के बीच द्विपक्षीय व्यापार ने वर्ष 2021-22 में 7.26 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊँचाई हासिल की. इस दौरान मिस्र को 3.74 अरब भारतीय निर्यात और मिस्र से भारत को 3.52 अरब आयात के साथ व्यापार काफी सन्तुलित था.

50 से अधिक भारतीय कंपनियों ने मिस्र की अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 3.15 अरब डॉलर का निवेश किया है, जिनमें रसायन, ऊर्जा, कपड़ा परिधान, कृषि व्यवसाय और खुदरा शामिल है.

स्वेज नहर विशेष आर्थिक क्षेत्र में भारतीय उद्योगों को भूमि

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने मिस्र में भारतीय निवेश के विस्तार का स्वागत किया है. मिस्र ने स्वेज नहर विशेष आर्थिक क्षेत्र में भारतीय उद्योगों को भूमि आवंटित करने की योजना बनाई है.

यह प्रस्ताव मिस्र में उपलब्ध निवेश अवसरों का उपयोग करने के लिए विदेशी निवेश की क्षमता रखने वाली कंपनियों को प्रोत्साहित करने के भारतीय प्रस्ताव के संदर्भ में है. दोनों देशों के बीच इस समय तीन अरब 15 करोड़ डॉलर से अधिक का व्यापार होता है.

मिस्र के राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस 2023 के मुख्य अतिथि होंगे

गणतंत्र दिवस 2023 के मुख्य अतिथि मिस्र (Egypt) के राष्ट्रपति अब्देह फतेह अल सिसि होंगे. उन्होंने भारत के निमंत्रण को हाल ही में स्वीकार किया है.

मुख्य बिन्दु

  • देश में गणतंत्र दिवस पर विदेशी प्रमुखों को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित करने की परंपरा शुरू से ही चली आ रही है. गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि प्रोटोकॉल के लिहाज से भारत का सर्वोच्च सम्मान है.
  • भारत और मिस्र ने इसी साल राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मनाई है. पिछले महीने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मिस्र यात्रा के दौरान राष्ट्रपति अल-सिसी से मुलाकात की थी.
  • इससे पहले, 2021 में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था. हालांकि, ब्रिटेन में कोरोना महामारी के कारण आखिर में जॉनसन ने भारत आने में असमर्थता जताई थी.
  • कोरोनावायरस महामारी के चलते लगातार दो साल (2021 और 2022) तक गणतंत्र दिवस पर किसी विदेशी नेता को मुख्य अतिथि नहीं बनाया गया था.
  • वर्ष 2020 में ब्राज़ील राष्ट्रपति जायर बोल्सनारो मुख्य अतिथि थे. भारत के प्रथम गणतंत्र दिवस (1950 में) के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे.

मिस्र को ब्रिक्स बैंक का नया सदस्य बनाया गया

मिस्र को ब्रिक्स (BRICS) के न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) का नया सदस्य बनाया गया है. NDB के अध्यक्ष मार्कोस त्रोयजो ने इसकी घोषणा 30 दिसम्बर 2021 को की थी. मिस्र NDB में शामिल होने वाला चौथा नया सदस्य होगा. इससे पहले NDB ने बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और उरुग्वे को सदस्य बनाया था.

मुख्य बिंदु

  • बैंक की सदस्यता तब प्रभाव में आती है जब शामिल किए गए देश की ओर से घरेलू प्रक्रियाएं पूरी कर ली जाती हैं और परिग्रहण का साधन जमा कर दिया जाता है.
  • छह साल पहले अपनी स्थापना के बाद से NDB अपने सदस्यों के लिए 80 परियोजनाओं को अनुमति दे चुका है. इनका कुल पोर्टफोलियो 30 अरब अमेरिकी डॉलर का है.
  • इन परियोजनाओं में परिवहन, जल एवं साफ-सफाई, स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल व सामाजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और शहरी विकास जैसे क्षेत्र शामिल हैं.
  • NDB का मुख्यालय चीन के शंघाई शहर में है. इसकी स्थापना ब्रिक्स देशों यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने की थी. इसकी औपचारिक शुरुआत जुलाई 2015 में हुई थी.

मिस्र के पूर्व-राष्ट्रपति मोहम्मद होस्नी मुबारक का निधन

अरब गणराज्य मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद होस्नी मुबारक का 25 फरवरी को निधन हो गया. वे 91 वर्ष के थे. होस्नी मुबारक तीस वर्ष तक मिस्र के राष्ट्रपति रहे थे. वे मिस्र के चौथे राष्ट्रपति थे. मुबारक के नेतृत्व में 1991 में खाड़ी युद्ध में मिस्र ने सक्रिय भागीदारी निभाई थी.

मोहम्मद होस्नी मुबारक को 1975 में उप-राष्ट्रपति नियुक्त किया गया था. 14 अक्टूबर 1981 को राष्ट्रपति अनवर अल-सदात की हत्या के बाद उन्होंने राष्ट्रपति का पद संभाला था. मुहम्मद अली पाशा के बाद वे सबसे लंबे समय से मिस्र के शासक रहे थे. वर्ष 1995 में इन्हें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

मुबारक को देशभर में 18 दिन चले विरोध प्रदर्शनों के बाद 11 फरवरी, 2011 को इस्तीफा देना पड़ा था. बाद में मुबारक को गिरफ्तार कर लिया गया और प्रदर्शनकारियों की मौत तथा भ्रष्टाचार के मामले में उन पर मुकदमा चलाया गया. उन्हें 2012 में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई लेकिन 2017 तक उन्हें सभी आरोपों से बरी करने के बाद रिहा कर दिया गया.