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लोकसभा ने वन-संरक्षण संशोधन विधेयक 2023 पारित किया

लोकसभा ने 26 जुलाई को वन-संरक्षण संशोधन विधेयक (Forest Conservation Act) 2023 पारित किया था. यह विधेयक वन-संरक्षण अधिनियम 1980 में संशोधन के बारे में है. इसमें कुछ विशेष प्रकार की भूमि को अधिनियम के दायरे से बाहर करने का प्रावधान है.

वन-संरक्षण संशोधन विधेयक: मुख्य बिन्दु

  • यह विधेयक के तहत भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पास सड़कों, रेलवे लाइनों या दूसरी रणनीतिक परियोजनाओं के लिए जंगलों के हस्तांतरण को वन मंजूरी की जरूरत नहीं होगी.
  • अगर हस्‍तांतरित की जाने वाली वन भूमि 10 हेक्टेयर तक ही है, तो सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे के निर्माण से जुड़ी नॉन-लीनियर परियोजनाओं को भी इसके तहत छूट दी जाएगी.
  • नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे या सार्वजनिक उपयोगिताओं के लिए पांच हेक्टेयर तक भूमि के हस्‍तांतरण से जुड़ी परियोजनाएं वन (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों के दायरे में नहीं आएंगी.

संयुक्त राष्ट्र ने ‘वैश्विक वन लक्ष्य रिपोर्ट’ 2021 जारी की

संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में ‘वैश्विक वन लक्ष्य रिपोर्ट’ (Global Forest Goals Report) 2021 जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी ने वनों के प्रबंधन में विभिन्न देशों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को बढ़ा दिया है.

इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (Department of Economic and Social Affairs) द्वारा तैयार किया गया है. इस रिपोर्ट में ‘यूनाइटेड नेशन स्ट्रेटेजिक प्लान फॉर फॉरेस्ट’ 2030 में शामिल उद्देश्यों और लक्ष्यों की समीक्षा की गयी है.

वैश्विक वन लक्ष्य रिपोर्ट 2021: मुख्य बिंदु

  • वैश्विक आबादी का 25% (लगभग 1.6 बिलियन) लोग अपनी जीवन निर्वाह संबंधी आवश्यकताओं (आजीविका, रोज़गार और आय) के लिये वनों पर निर्भर हैं.
  • विश्व में ग्रामीण क्षेत्रों में से लगभग 40% लोग वनों और सवाना क्षेत्रों में रहते हैं. यह वैश्विक जनसंख्या का 20% है.

विश्व में वन की स्थिति: एक दृष्टि

  • वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन 2020 (FRA 2020) रिपोर्ट के अनुसार विश्व में कुल वन क्षेत्र लगभग 4.06 बिलियन हेक्टेयर है, जो कि कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 31 प्रतिशत है. यह क्षेत्र प्रति व्यक्ति 0.52 हेक्टेयर के बराबर है.
  • विश्व के 54 प्रतिशत से अधिक वन केवल पाँच देशों- रूस, ब्राज़ील, कनाडा, अमेरिका और चीन में हैं.
  • वनों के लिए संयुक्त राष्ट्र सामरिक योजना (United Nations Strategic Plan for Forests) में वर्ष 2030 तक विश्व में वन क्षेत्र को 3% तक बढ़ाने का लक्ष्य शामिल है जो लगभग 1.20 बिलियन हेक्टेयर है.

भारत में वन की स्थिति: एक दृष्टि

भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2019 के अनुसार देश के भौगोलिक क्षेत्र का कुल वन और वृक्ष आच्छादित क्षेत्र 24.56% है. भारत में सर्वाधिक वन क्षेत्रफल वाले पांच राज्य- मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र हैं.
भारत की राष्ट्रीय वन नीति, 1988 में देश के 33% भौगोलिक क्षेत्र को वन और वृक्ष आच्छादित क्षेत्र का लक्ष्य रखा गया है.

भारत ने चार सालों में बाघों की संख्या में दोगुनी बढ़ोतरी का रिकॉर्ड बनाया

बाघों के संरक्षण मामले में भारत ने एक नए तरीके का विश्व रिकॉर्ड बनाया है. चार सालों में बाघों की संख्या में दोगुनी बढ़ोतरी के साथ ही ‘ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन’ का ‘कैमरा ट्रैप’ गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो गया है. इसके साथ ही भारत ने 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने के अपने संकल्प को समय से पहले पूरा किया.

देश में बाघों की अनुमानित संख्या 2,967

नवीनतम गणना के अनुसार, देश में बाघों की अनुमानित संख्या 2,967 हैं. वैश्विक संख्या का लगभग 75% बाघ भारत में निवास करते हैं. भारत ने 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग सम्मलेन में वर्ष 2022 बाघों की संख्या दोगुनी करने का संकल्प निर्धारित किया था.

कैमरा ट्रैप विधि से सर्वेक्षण

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के अनुसार, 2018-19 में किए गए सर्वेक्षण की चौथी पुनरावृत्ति- संसाधन और डेटा दोनों के हिसाब से अब तक का सबसे व्यापक रहा है. वन्यजीवों का सर्वेक्षण ‘कैमरा ट्रैप’ विधि से किया गया है. इस विधि में कैमरे में मोशन सेंसर्स लगा होता है, जो किसी भी जानवर के गुजरने पर रिकॉर्डिंग शुरू कर देते हैं

कैमरा ट्रैप को 141 विभिन्न साइटों में 26,838 स्थानों पर रखा गया था. इन कैमरा ट्रैप के माध्यम से 1,21,337 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया. कुल मिलाकर कैमरा ट्रैप ने वन्यजीवों की 3,48,58,623 तस्वीरों को खींचा (जिनमें 76,651 बाघों के, 51,777 तेंदुए के, शेष अन्य जीव-जंतुओं के थे). इन तस्वीरों के माध्यम से, 2,461 बाघों (शावकों को छोड़कर) की पहचान स्ट्राइप-पैटर्न- रिकॉग्नाइज सॉफ्टवेयर का उपयोग करके की गई.

गिर वन में एशियाई शेर की आबादी में लगभग 29 प्रतिशत की वृद्धि

गुजरात के गिर वन इलाके में एशियाई शेर (Asiatic Lion) की आबादी में लगभग 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2015 में हुई आखिरी गिनती के समय गिर के जगंलों में शेर की तादाद 523 थी, वहीं अब बढ़कर 674 हो गई है.

शेरों की आबादी की गिनती गुजरात राज्य के वन विभाग द्वारा हर पांच साल पर की जाती है. 2020 में वन विभाग द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार वर्तमान में राज्य के कुल 674 एशियाई शेरों में 260 मादा, 161 नर, 93 उप-वयस्क और 137 शावक हैं.

जारी आंकड़े के अनुसार राज्य में एशियाई शेरों के प्रवास क्षेत्रफल में भी 36 प्रतिशत वृद्धि हुई है, वर्तमान में राज्य में एशियाई शेरों का प्रवास क्षेत्रफल वर्ष 2015 के 22,000 वर्ग किमी से बढ़कर 30,000 वर्ग किमी तक पहुँच गया है.

एशियाई शेर (Asiatic lion): एक दृष्टि

एशियाई शेर का वैज्ञानिक नाम पैंथेरा लियो पर्सिका (Panthera Leo Persica) है. ये मुख्यतः गुजरात में गिर के जंगलों और जूनागढ़, अमरेली तथा भावनगर ज़िलों के संरक्षित क्षेत्रों में पाए जाते हैं.

एशियाई शेर को ‘भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972’ के तहत अनुसूची-I में रखा गया है. International Union for Conservation of Nature (IUCN) ने एशियाई शेरों को संकटग्रस्त श्रेणी में रखा है.

शेरों की जनगणना (Lion Census)

प्रथम शेर जनगणना 1936 में जूनागढ़ के तत्कालीन नवाब द्वारा कराई गई थी. वन विभाग 1965 से हर पाँच वर्ष पर शेरों की जनगणना करता है. इस वर्ष यानी 2020 में शेरों की जनगणना 5 और 6 जून को पूर्णिमा को की गई. जिसे ब्लॉक काउंट मेथड कहा जाता है. टाइम, GPS लोकेशन, शेर के ग्रुप और उनकी तादाद, रेडियो कॉलर नंबर्स, ई-गुजरात फॉरेस्ट डेटा के आधार पर पूरी गिनती की जाती है.

पर्यावरण मंत्रालय ने वनीकरण के लिए CAMPA को 47,436 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने CAMPA (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority) को 47,436 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की है. यह राशि वनीकरण को बढ़ावा देने और देश के हरित उद्देश्यों की प्राप्ति को प्रोत्‍साहन देने के लिए दिया गया है. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने 29 अगस्त को इसकी घोषणा की.

जिन महत्वपूर्ण गतिविधियों पर इस धन का उपयोग किया जाएगा उनमें – क्षतिपूरक वनीकरण, जलग्रहण क्षेत्र का उपचार, वन्यजीव प्रबंधन, वनों में लगने वाली आग की रोकथाम, वन में मृदा एवं आद्रता संरक्षण कार्य, वन्‍य जीव पर्यावास में सुधार, जैव विविधता और जैव संसाधनों का प्रबन्‍धन, वानिकी में अनुसंधान कार्य आदि शामिल हैं.

हस्तांतरित की जा रही धनराशि राज्य के बजट के अतिरिक्त होगी. सभी राज्य इस धनराशि का उपयोग वन और वृक्षों का आवरण बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्‍तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के उद्देश्‍यों की पूर्ति के लिए वानिकी कार्यकलापों में करेंगे. इससे वर्ष 2030 तक 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के समान अतिरिक्त कार्बन सिंक (यानी वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण) होगा.