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FSSAI ने खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट की अधिकतम सीमा 3 फीसद निर्धारित किया

भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य पदार्थों के ट्रांस फैट (Trans Fat) की सीमा में कटौती की है. FSSAI ने एक संशोधन द्वारा तेल और फैट में ट्रांस फैट एसिड की अधिकतम सीमा 5 फीसद से घटाकर 3 फीसद कर दिया है. नया विनियमन 1 जनवरी 2021 से प्रभावी हो गया है. यह विनियमन खाने वाले रिफाइन तेल, वनस्पति, मार्जरीन और अन्य कूकिंग के माध्यमों पर लागू होगा.

WHO ने 2023 तक ट्रांस फैट्स के उन्मूलन की मांग की है

ट्रांस फैट्स से हार्ट अटैक और कोरोनरी आर्टरी डिजीज से मौत का ज्यादा खतरा रहता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, करीब 5.4 लाख मौत हर साल दुनिया भर में ट्रांस फैट्टी एसिड के सेवन से होती है. WHO ने खतरे को देखते हुए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ट्रांस फैट्स को 2023 तक उन्मूलन की मांग की है. WHO के मुताबिक, ट्रांस फैट या ट्रांस-फैट्टी एसिड अनसैचुरेटेड फैट्टी एसिड होते हैं जो या तो प्राकृतिक या औद्योगिक स्रोत से मिलते हैं.

2022 तक ट्रांस फैट की सीमा को 2 फीसद करने पर विचार

FSSAI 2022 तक ट्रांस फैट एसिड की अधिकतम सीमा को 2 फीसद करने पर विचार कर रही है. इससे पहले औद्योगिक संगठनों से 2018 में WHO के साथ चलने का आह्वान किया गया था. 2011 में भारत में पहली बार विनियमन पास किया गया था. उसमें तेल और फैट्स में ट्रांस फैट्टी एसिड की मात्रा को 10 फीसद करने का लक्ष्य रखा गया था. उसके बाद 2015 में इस मात्रा को घटाकर 5 फीसद करने की गयी थी.

ट्रांस फैट क्या है?

तरल वनस्पति तेलों के भण्डारण अवधि में वृद्धि करने के लिये उनका हाइड्रोजनीकरण कर उन्हें ट्रांस फैट में परिवर्तित किया जाता है. ट्रांस फैट को ट्रांस फैटी एसिड (TFA) के रूप में भी जाना जाता है. प्राकृतिक तौर पर ट्रांस फैट गाय और भेड़ से मिलता है जबकि औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैट औद्योगिक प्रक्रिया के तहत तैयार होते हैं.

ज्यादा ट्रांस फैट्स खानेवालों में सी रिएक्टिव प्रोटीन का लेवल जयादा हो जाता है. इस प्रोटीन के खून में बढ़ने की आशंका हो जाती है. इसके अलावा, ट्रांस फैट का सेवन खराब याद्दाश्त और डिमेंशिया के ज्यादा खतरे से भी जुड़ा है.

मुंबई सेंट्रल रेलवे स्‍टेशन देश का पहला ‘ईट राइट स्‍टेशन’ बना, FSSAI ने 4 स्टार्स रेटिंग दी

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने मुंबई सेंट्रल रेलवे स्‍टेशन को ‘ईट राइट स्‍टेशन’ प्रमाणित किया है. ‘ईट राइट स्‍टेशन’ प्रमाणित यह देश का पहला रेलवे स्‍टेशन बन गया है. इस स्टेशन को FSSAI ने 4 स्टार्स रेटिंग दी है.

यह उपलब्धि खाद्य सुरक्षा और खाने-पीने के सामान में स्वच्छता के पालन, हेल्दी फूड की उपलब्धता, रिटेल/सर्विंग प्‍वाइंट और खाद्य सुरक्षा पर जागरूकता फैलाने के लिए हासिल हुई है.

ईट राइट स्‍टेशन क्या है?
भारतीय रेलवे ने यात्रियों को स्‍वस्‍थ एवं सही आहार उपलब्ध कराने के लिए ‘ईट राइट स्‍टेशन’ अभियान शुरू किया है. यह अभियान FSSAI द्वारा वर्ष 2018 में शुरू किए गए ‘ईट राइट इंडिया’ अभियान का एक हिस्‍सा है. इस अभियान का उद्देश्‍य लोगों को स्‍वस्‍थ आहार मुहैया कराना है.

ईट राइट इंडिया अभियान क्या है?

  • ‘ईट राइट इंडिया’ अभियान का खाका FSSAI ने तैयार किया है. इसके तहत स्वस्थ रहने के लिए किसको क्या खाना चाहिए, इस बारे में जानकारी दी जाती है.
  • ईट राइट अभियान के तहत अब रेस्तरां और होटल्स को मिली हाइजीन रेटिंग्स को अपने रेस्तरां के दरवाजे पर डिस्प्ले करना होगा.
  • रेस्तरां में जो खाना लोगों को सर्व किया जा रहा है उसकी सेफ्टी की जांच करने के लिए एक फूड सुपरवाइजर की भी नियुक्ति करनी होगी.