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जून तिमाही के लिए जीडीपी आंकड़े जारी, जीडीपी वृद्धि 7.8 फीसदी

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने वर्तमान वित्त वर्ष (2023-24) के पहले तिमाही (अप्रैल-जून) के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) आंकड़े 31 अगस्त को जारी किए थे. इस तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर बीती 4 तिमाही में सबसे तेज रही है.

अप्रैल-जून तिमाही के आँकड़े: मुख्य बिन्दु

  • NSO द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इस वित्त वर्ष के अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 फीसदी रही है.
  • इससे पहले जनवरी-मार्च तिमाही में वृद्धि दर 6.1 फीसदी के स्तर पर थी. अकतूबर-दिसंबर तिमाही में जीडीपी 4.5 फीसदी के रफ्तार से बढ़ी थी.
  • कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा. कृषि क्षेत्र में 3.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, जो 2022-23 की इसी तिमाही में 2.4 प्रतिशत थी.
  • विनिर्माण (मैन्यूफैक्चरिंग) क्षेत्र की वृद्धि दर घटी है और यह गिरकर 4.7 प्रतिशत रह गई. 2022-23 की इसी तिमाही में यह 6.1 प्रतिशत थी.
  • इस दौरान सेवा क्षेत्र में 9.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. पिछले वर्ष समान तिमाही में यह 25.7 प्रतिशत थी.

आरबीआई का पूर्वानुमान

  • रिजर्व बैंक के पूर्वानुमान के मुताबिक जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी. आरबीआई ने पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. हालांकि विकास दर आरबीआई के अनुमान से कुछ कम रहा है.
  • कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत के वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित किया है. आईएमएफ ने 2023 के लिए वृद्धि दर 5.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था, लेकिन बाद में उसे संशोधित कर 6.1 फीसदी कर दिया.

वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही के आंकड़े जारी: GDP में 7.5 फीसदी की गिरावट

सरकार के राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO) ने वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के आंकड़े 27 नवम्बर को जारी किये. इन आंकड़े के अनुसार इस तिमाही में देश के अर्थव्यवस्था की विकास दर (GDP) 7.5 फीसदी की गिरावट रही. ये आंकडे पहली तिमाही के मुकाबले काफी बेहतर हैं. कोविड-19 महामारी और इससे जुड़े लॉकडाउन के कारण पहली तिमाही में GDP में 23.9 फीसदी की ऐतिहासिक गिरावट आई थी.

GDP में लगातार गिरावट आर्थिक मंदी का संकेत माना जाता है

पिछले 40 साल में पहली बार GDP में इतनी कमी आई है. यदि किसी अर्थव्यवस्था की GDP लगातार घट रही है, तो इसे आर्थिक मंदी का बड़ा संकेत माना जाता है. इससे पहले 2007-2009 में पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी आई थी. यह साल 1930 की मंदी के बाद सबसे बड़ा आर्थिक संकट था.

मंदी के मुख्य संकेतक

GDP का लगातार गिरना: GDP में लगातार गिरावट को आर्थिक मंदी का बड़ा संकेत माना जाता है. यदि देश की विकास दर का मतलब देश की अर्थव्यवस्था या सकल घरेलू उत्पाद (GDP) बढ़ने की रफ्तार से है. GDP एक निर्धारित अवधि में किसी देश में बने सभी उत्पादों और सेवाओं के मूल्य का योग है.

मांग में गिरावट: आर्थिक मंदी के दौरान उपभोक्ता मांग में गिरावट आती है. दरअसल, मंदी के दौरान लोग जरूरत की चीजों पर खर्च को भी काबू में करने का प्रयास करते हैं.

औद्योगिक उत्पादन में गिरावट: मंदी के दौर में उद्योगों का उत्पादन कम हो जाता है, क्योंकि बाजार में बिक्री घट जाती है. इससे माल ढुलाई, बीमा, गोदाम, वितरण, टेलिकॉम, टूरिज्म जैसी तमाम सेवाएं भी प्रभावित होती हैं.

बेरोजगारी में वृद्धि: उत्पादन न होने की वजह से उद्योग बंद हो जाते हैं. इसके चलते कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी करने लगती हैं. इससे अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी बढ़ जाती है.

NSO ने पहली तिमाही के आर्थिक विकास के आंकडे जारी किये, GDP में 23.9 फीसदी की गिरावट

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने चालू वित्त वर्ष (2020-21) की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के आर्थिक विकास के आंकडे हाल ही में जारी किये. इन आंकड़े के अनुसार स्थिर मूल्य (2011-12) पर देश की GDP 26.90 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो 2019-20 की पहली तिमाही में 35.35 लाख करोड़ रुपये था. यानी इसमें 23.9 फीसदी की गिरावट आई है जबकि एक साल पहले 2019-20 की पहली तिमाही में इसमें 5.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी.

चालू वित्त वर्ष (2020-21) की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) आंकडे: मुख्य बिंदु

  • सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिये 25 मार्च से पूरे देश में ‘लॉकडाउन’ (बंद) लगाया था. इसका असर अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर पड़ा है.
  • इन आंकड़े के अनुसार देश में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 23.9 फीसदी की गिरावट आई है. आंकड़े के अनुसार सकल GDP में इससे पूर्व वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 5.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
  • कृषि को छोड़कर मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन और सर्विस सेक्टर का प्रदर्शन खराब रहा है. सबसे अधिक प्रभाव निर्माण उद्योग पर पड़ा है. जो 50 फीसदी से भी अधिक गिरा है.
  • विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 39.3 फीसदी की गिरावट आई जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में इसमें 3 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
  • निर्माण क्षेत्र में GVA वृद्धि में 50.3 फीसदी की गिरावट आई जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में 5.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
  • कृषि क्षेत्र में इस दौरान 3.4 फीसदी की वृद्धि हुई. एक साल पहले 2019-20 की पहली तिमाही में 3 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
  • खनन क्षेत्र उत्पादन में 23.3 फीसदी की गिरावट आई जबकि एक साल पहले 2019-20 इसी तिमाही में 4.7 की वृद्धि हुई थी.
  • बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगी सेवा क्षेत्र में 7 फीसदी गिरावट आई जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में 8.8 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
  • व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से जुड़ी सेवाओं में 7 फीसदी की गिरावट आई जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में 3.5 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
  • इस बीच, चीन की अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही में 3.2 फीसदी की वृद्धि हुई है. इससे पहले, जनवरी-मार्च, 2020 तिमाही में 6.8 फीसदी की गिरावट आई थी.

NSO ने पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में GDP वृद्धि दर के आंकड़े जारी किये

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने पिछले वित्त वर्ष (2019-20) की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर के आंकड़े 29 मई को जारी किये. इन आंकड़े के अनुसार इस दौरान देश की GDP वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रही.

2019-20 में GDP वृद्धि दर घटकर 4.2 प्रतिशत रही

इससे पिछले वित्त वर्ष (2018-19) की समान तिमाही में GDP वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रही थी. वित्त वर्ष (2019-20) में GDP वृद्धि दर घटकर 4.2 प्रतिशत पर आ गई है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 6.1 प्रतिशत रही थी.

COVID-19 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर

COVID-19 पर काबू के लिए सरकार ने 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की थी. लेकिन जनवरी-मार्च के दौरान दुनियाभर में आर्थिक गतिविधियां सुस्त रहीं, जिसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा.

एशियाई विकास परिदृश्य 2019: भारतीय GDP की वृद्धि दर 4 प्रतिशत रहने का अनुमान

एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank- ADB) ने अपनी वार्षिक आर्थिक रिपोर्ट ‘एशियाई विकास परिदृश्य 2019’ (Asian Development Outlook) 3 अप्रैल को जारी की.

ADB ने इस रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष (2020-21) में भारतीय अर्थव्यवस्था (GDP) की वृद्धि दर के अनुमान को 5 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है. भारतीय GDP में कमी का मुख्य कारण वैश्विक मांग और सरकार द्वारा कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों को बताया गया है.

ADB ने अगले वित्त वर्ष (2021-22) के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था (GDP) की वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है.

इस रिपोर्ट में ADB ने वित्त वर्ष 2020-2021 में दक्षिण एशिया में विकास दर घटकर 4.1 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2021-2022 में 6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है.

एशियाई विकास बैंक: एक दृष्टि

  • एशियाई विकास बैंक (ADB) एक क्षेत्रीय विकास बैंक है जिसकी स्थापना 19 दिसंबर 1966 को की गयी थी.
  • इस बैंक की स्थापना का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक विकास को गति प्रदान करना था.
  • इस बैंक की स्थापना 31 सदस्यों के साथ हुई थी, अब ADB के पास अब 68 सदस्य हैं, जिसमें से 48 एशिया और पैसिफिक से हैं और 19 सदस्य बाहरी हैं.
  • ADB का मुख्यालय मनीला, फिलिपिन्स में है और इसके प्रतिनिधि कार्यालय पूरे विश्व में हैं. इसकी अध्यक्षता जापान द्वारा की जाती है. मात्सुगु असकवा ADB के वर्तमान अध्यक्ष हैं.
  • ADB का प्रारूप वर्ल्ड बैंक के आधार पर बनाया गया था और वर्ल्ड बैंक के समान यहां भी भारित वोट प्रणाली की व्यवस्था है जिसमें वोटों का वितरण सदस्यों के पूंजी अभिदान अनुपात के आधार पर किया जाता है.
  • वर्तमान में, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान दोनों के ही पास शेयरों का सबसे बड़ा हिस्सा है, जो कुल शेयर का 12.756 प्रतिशत है.

चालू वित्त वर्ष में GDP वृद्धि दर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने राष्ट्रीय आय का पहला अग्रिम अनुमान 7 जनवरी को जारी किया. इस अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 में GDP वृद्धि दर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है.

NSO के अग्रिम अनुमान अनुसार मुख्‍य रूप से विनिर्माण क्षेत्र में सुस्‍ती के कारण GDP वृद्धि दर में गिरावट आई है. इस दौरान कृषि, निर्माण और विद्युत, गैस तथा जलआपूर्ति जैसे क्षेत्रों में सुस्‍ती देखी गई. अग्रिम अनुमान के अनुसार कृषि, निर्माण और बिजली, गैस और जलापूर्ति जैसे क्षेत्रों की वृद्धि दर भी नीचे आएगी. वहीं खनन, लोक प्रशासन और रक्षा जैसे क्षेत्रों की वृद्धि दर में मामूली सुधार का अनुमान है.

सरकार ने आर्थिक वृद्धि दर को गति देने के लिये कई घोषणाएं की

सरकार ने आर्थिक वृद्धि दर को गति देने के लिये 20 सितम्बर को कई घोषणाएं की. इन घोषणाओं के तहत वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारामन ने निगमित कर (कॉरपोरेट टैक्‍स) दरों को घटाने का प्रस्‍ताव किया है.

वित्‍तमंत्री की घोषणाओं के मुख्य बिंदु

  • अब घरेलू कंपनियों को 22 फीसदी कॉर्पोरेट टैक्स देना होगा. सरचार्ज के साथ टैक्स की प्रभावी दर 25.17 फीसदी होगी. पहले यह दर 35 प्रतिशत थी. नयी दर इस वित्त वर्ष के 1 अप्रैल से प्रभावी होगी. दर कम करने तथा अन्य घोषणाओं से राजस्व में सालाना 1.45 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान है.
  • वित्‍त वर्ष 2019-20 से आयकर अधिनियम में नये प्रावधान जोड़े गए हैं. जिनके तहत छूट या प्रोत्‍साहन का लाभ न लेने वाली स्‍वदेशी कम्‍पनियां 22 प्रतिशत की दर से आयकर (इनकम टैक्‍स) देने का विकल्‍प अपना सकती है.
  • 1 अक्‍तूबर 2019 या उसके बाद बनने वाली और 31 मार्च 2023 तक उत्‍पादन शुरू करने वाली कंपनियों को केवल 15 प्रतिशत की दर से आयकर देना होगा.


अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए निर्यात और हाउसिंग सेक्टर में कई घोषणाएं

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए 14 सितम्बर को कई घोषणाएं कीं. ये घोषणाएं निर्यात और हाउसिंग सेक्टर से संबंधित हैं.

वित्त मंत्री ने निर्यात (एक्सपोर्ट) को बढ़ावा देने के लिए ड्यूटी में कमी की घोषणा की. निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश के चार जगहों पर वार्षिक मेगा शॉपिंग फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा. यह आयोजन मार्च 2020 से शुरू होगा. जेम्स ऐंड जूलरी, योगा एवं टूरिजम, टैक्सटाइल एवं लेदर क्षेत्र में ये आयोजन होगा.

वित्त मंत्री ने पैसों के अभाव में लटकी अफॉर्डेबल इनकम कैटिगरी के हाउजिंग परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये का स्ट्रेस फंड बनाने की घोषणा की. इसका फायदा उन्हीं रियल एस्टेट परियोजनाओं को मिल सकेगा, जो न तो एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) हैं और न ही उनका मामला एनसीएलटी (नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल) में चल रहा है.


सरकार ने अगले 5 वर्ष के राष्ट्रीय योजनाओं का खाका तैयार करने के लिए एक कार्यबल का गठन किया

सरकार ने अगले 5 वर्ष के राष्ट्रीय अवसंरचना योजनाओं का खाका तैयार करने के लिए एक कार्यबल का गठन किया है. आर्थिक मामलों के सचिव इस कार्यबल के अध्यक्ष होंगे. यह कार्यबल 5 वर्ष यानी वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2024-25 तक एक सौ लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय अवसंरचना योजनाओं का खाका तैयार करेंगे.

इस कार्यबल का गठन 2024-25 तक देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए किया गया है. यह कार्यबल वित्त वर्ष 2019-20 के लिए अपनी रिपोर्ट 31 अक्तूबर 2019 तक सौंपेगा. वित्तीय वर्ष 2021 से 2025 तक के लिए रिपोर्ट 31 दिसंबर 2019 तक सौंपी जाएगी.

कार्यबल के कार्य
यह कार्यबल चालू वित्‍त वर्ष में शुरू की जा सकने वाली तकनीकी और आर्थिक रूप से व्‍यावहारिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की पहचान करेगा. इसके अलावा, कार्यबल वार्षिक अवसंरचना निवेश लागतों का अनुमान लगाने तथा वित्त पोषण के उपयुक्त स्रोतों की पहचान करने में मंत्रालयों का मार्गदर्शन करेगा.


CSO ने देश की आर्थिक विकास दर से संबंधित ताजा आंकड़े जारी किये

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) ने देश की आर्थिक विकास दर से संबंधित ताजा आंकड़े 30 अगस्त को जारी किये. इन आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष (2019-20) की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश की आर्थिक विकास दर 5 फीसदी रही है. यह साढ़े छह वर्षों का निचला स्तर है. पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) में आर्थिक विकास दर 5.8 फीसदी रही थी.


वित्‍त मंत्री ने उच्‍च आर्थिक विकास के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए कई उपायों की घोषणा की

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारामन ने उच्‍च आर्थिक विकास के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए 23 अगस्त को कई उपायों की घोषणा की. वित्‍त मंत्री द्वारा घोषित किए गए उपायों से व्‍यापार करने में सरलता और मांग में बढ़ोत्‍तरी होगी. साथ ही, सस्‍ती दरों पर कर्ज भी उपलब्‍ध होंगे.

उच्‍च आर्थिक विकास के लिए किये गये मुख्य उपाय: एक दृष्टि

  • वित्‍तमंत्री ने राष्‍ट्रीय आवास बैंक द्वारा आवास वित्‍त कंपनियों को 20 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्‍त सहायता की घोषणा की.
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर बढ़ा हुआ सरचार्ज वापस ले लिया गया है और बजट से पहले की स्थिति बहाल कर दी गई है.
  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 70 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्‍त राशि जारी की गई है. कर्ज तथा तरलता बनाए रखने के लिए 5 लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं.
  • वित्‍त मंत्री ने कहा कि सरकार ने कंप‍नी अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जगह जुर्माना लेकर 14 हजार मामले वापस लेने का फैसला किया है.
  • गैर बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियों और आवास वित्‍त कंपनियों के लिए आंशिक ऋण योजना के तहत 1 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
  • सरकार ने ऑटो क्षेत्र में मांग बढ़ाने और आवास ऋण सस्‍ते करने के लिए भी कदम उठाए हैं. अत्‍यधिक अमीर लोगों पर सरचार्ज वापस लिए जाएंगे.


वर्ष 2018 में भारत, विश्व की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

विश्व बैंक द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 में GDP के मामले में भारत विश्व की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी है. वर्ष 2017 में यह छठे स्थान पर थी.

वित्त वर्ष 2018 में ब्रिटेन और फ्रांस क्रमशः पांचवें और छठे स्थान पर पहुंच गए हैं. साल 2017 में भारत, फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना था. GDP के मामले में अमेरिकी अर्थव्यवस्था पहले स्थान पर बनी हुई है. 2018 में अमेरिका की GDP 20.5 ट्रिलियन डॉलर रही. अमेरिका के बाद दसरे पायदान पर चीन है. इस दौरान चीन की GDP 13.6 ट्रिलियन डॉलर रही. 5 ट्रिलियन डॉलर की GDP के साथ जापान तीसरे पायदान पर है. ब्रिटेन और फ्रांस 2.8 ट्रिलियन डॉलर की GDP के साथ इस लिस्ट में पांचवें और छठे पायदान पर हैं.

2018 में भारत की GDP 2.7 ट्रिलियन डॉलर दर्ज की गई. वित्त वर्ष 2017 में भारतीय अर्थव्यवस्था की GDP 2.65 ट्रिलियन डॉलर थी. उस दौरान ब्रिटेन की GDP 2.64 ट्रिलियन डॉलर और फ्रांस की 2.5 ट्रिलियन डॉलर थी. भारत अभी भी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है.