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जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ की भारत यात्रा

जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ 25-26 फ़रवरी को भारत की यात्रा पर थे. उनके साथ वरिष्ठ अधिकारी और कारोबारियों का एक उच्चस्तरीय शिष्टमण्डल भी था.

मुख्य बिन्दु

  • यह चांसलर के तौर पर श्री शोल्ज़ की पहली भारत यात्रा थी. वर्ष 2011 से द्विवार्षिक अंतर सरकारी विचार विमर्श व्यवस्था होने के बाद किसी जर्मन चांसलर की यह पहली भारत यात्रा थी.
  • चांसलर शोल्ज़ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर वार्ता बैठक की. दोनों नेता दोनों देशों की प्रमुख व्यावसायिक हस्तियों और कम्पनियों के मुख्य कार्यकारी आधिकारियों के साथ भी संवाद किए.
  • वार्ता के बाद प्रेस वक्तव्य में प्रधानमंत्री ने कहा कि यूक्रेन में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होने समय से ही भारत इस विवाद को बातचीत और कूटनीति से सुलझाने पर बल देता रहा है.
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए जी-4 समूह में मिलकर काम किया है.

फ्रैंक वाल्टर स्टीनमीयर जर्मनी के पुनः राष्ट्रपति चुने गए

जर्मनी के मौजूदा राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर स्टीनमीयर (Frank Walter Steinmeier) को अगले पांच सालों के लिए फिर से राष्ट्रपति चुन लिया गया है. राष्ट्रपति के रूप में यह उनका दूसरा कार्यकाल है. जर्मनी की संसद के निचले सदन के सदस्यों और 16 प्रांतों के प्रतिनिधियों से बनी विशेष एसेंबली की ओर से बड़े बहुमत से स्टीनमीयर को राष्ट्रपति चुना.

फ्रैंक वाल्टर स्टीनमीयर जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) के सदस्य हैं. वह 2017 में पहली बार राष्ट्रपति चुने गये थे. इससे पहले वो एंजेला मर्केल के चांसलर रहने के दौरान विदेश मंत्री थे.

जर्मनी में राष्ट्रपति और चांसलर

जर्मनी में राष्ट्रपति के पास कार्यकारी शक्तियां तो नहीं हैं, लेकिन वो एक अहम नैतिक प्राधिकार होते हैं. वह देश का मुखिया होता है. राष्ट्रपति के पास महासंघ की ओर से क्षमादान देने का विशेषाधिकार भी होता है. जर्मन राष्ट्रपति लगातार दो कार्यकाल (पांच वर्ष) के लिए चुने जा सकते हैं.

1949 के संविधान (मूल कानून) के अनुसार, जर्मनी में सरकार की संसदीय प्रणाली है, जहां चांसलर सरकार का मुखिया होता है. अधिकतर कार्यकारी शक्तियां चांसलर के पास होते हैं. ओलाफ शोल्ज जर्मनी के वर्तमान चांसलर हैं.

ओलाक शुल्‍ज ने जर्मनी के अगले चांसलर के रूप में शपथ ली

जर्मनी में ओलाक शुल्‍ज (Olaf Schulz) ने 8 दिसम्बर को आधि‍कारिक रूप से देश के अगले चांसलर के रूप में शपथ ली. जर्मन संसद ने 8 दिसम्बर को ओलाफ शॉल्त्स को औपचारिक रूप से देश का नया चांसलर चुना था. सांसदों के कुल 707 वैध मतों में से 395 मत शुल्‍ज के पक्ष में पड़े. वह जर्मनी के नौवें चांसलर हैं. इसके साथ ही एंगेला मर्केल के 16 वर्ष का शासन सम्‍पन्‍न हो गया.

श्री सुल्‍ज जर्मनी के राजनीतिक दल सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) के सदस्य हैं. उन्होंने पूर्व चांसलर एंजेला मर्केल के कुलपति के साथ-साथ 2018 से 2021 तक वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया. SPD ने सितम्‍बर में सुश्री मर्केल के कंजरवेटिव (CDU-CSU) ब्‍लॉक पर जीत दर्ज की थी. श्री शुल्‍ज ने घोषणा की थी कि वे सबसे बडे औद्योगिक आधुनिकीकरण को बढावा देंगे जो जलवायु परिवर्तन रोकने में मददगार होगा.

जर्मनी का चांसलर
जर्मनी का चांसलर, जर्मनी की संघीय सरकार का प्रमुख होता है. वह संघीय मंत्रिमंडल का मुख्य कार्यकारी होता है. वह युद्ध के दौरान जर्मन सशस्त्र बलों के कमांडर इन चीफ के रूप में भी कार्य करता है.

जर्मनी, हिंद-प्रशांत क्षेत्र क्‍लब में शामिल हुआ

जर्मनी, हिंद-प्रशांत क्षेत्र क्‍लब (Indo-Pacific Club) में शामिल हो गया है. व्‍यापार मार्गों को आक्रामक चीन से सुरक्षित रखने के लिए यह कदम उठाया गया है. जर्मनी ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी रणनीति औपचारिक रूप से अपनायी है और इस संबंध में 40 पृष्‍ठों के दिशा-निर्देशों का प्रारूप तैयार किया है.

फ्रांस के बाद हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए औपचारिक रणनीति तय करने वाला जर्मनी दूसरा देश बन गया है. इस रणनीति से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय व्‍यवस्‍था को दिशा देने में जर्मनी सक्रिय योगदान कर सकेगा.

हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific) क्षेत्र क्या है?

  • हिंद यानि हिंद महासागर (Indian Ocean) और प्रशांत (Pacific) यानी प्रशांत महासागर के कुछ भागों को मिलाकर जो समुद्र का एक हिस्सा बनता है उसे हिंद प्रशांत क्षेत्र कहते हैं.
  • अमेरिका अपनी वैश्विक स्थिति को पुनर्जीवित करने के लिये इस क्षेत्र को अपनी भव्य रणनीति का एक हिस्सा मानता है. अमेरिका के इस रणनीति को चीन द्वारा चुनौती दी जा रही है.
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण है. अमेरिका इस क्षेत्र में वृहद् भारत-अमेरिकी सहयोग की बात कर रहा है. इस क्षेत्र में मुक्त व्यापार, आवाजाही की आज़ादी और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिये उपयुक्त ढाँचा बनाना इस रणनीति के मुख्य भाग हैं.
  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रोकने के लिए भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया को ‘हिंद-प्रशांत रणनीति’ शामिल करना चाहता है.

जर्मनी ने हिजबुल्लाह पर प्रतिबंध लगाया, हिजबुल्‍लाह का संक्षिप्त काल क्रम

जर्मनी ने हाल ही में लेबनान (Lebanon) के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है. ये प्रतिबंध देश में इस आतंकी संगठन द्वारा हमले कराए जाने की आशंका के मद्देनजर लगाया गया है. ईरान ने जर्मनी के इस निर्णय को इजराइल और अमेरिका के दबाव में उठाया गया कदम बताया है.

जर्मनी हिजबुल्लाह को दुनिया भर में कई हमलों और अपहरणों के लिए जिम्मेदार मानता है. इस फैसले से पहले जर्मनी ने इस संगठन की सैन्य गतिविधियों पर ही रोक लगा रखी थी. इसकी वजह से ये राजनीतिक रूप से यहां पर सक्रिय था.

जर्मन की सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि इस संगठन के करीब 1000 सदस्य देश में मौजूद हैं. ये जर्मनी का इस्तेमाल एक सुरक्षित जगह के रूप में करते आए हैं जहां ये योजना बनाते हैं, नए सदस्य खोजते हैं और आपराधिक गतिविधियों के जरिए धन जमा करते हैं.

यूरोपीय संघ पर भी प्रतिबंधित करने का दबाव

जर्मनी से पहले अमेरिका, इस्राएल, सऊदी अरब समेत कुछ अन्‍य देशों ने इस आतंकी संगठन पर प्रतिवंध लगा चुके हैं. जर्मनी के इस कदम से यूरोपीय संघ पर भी इसको प्रतिबंधित करने का दबाव बढ़ जाएगा. अमेरिका और इजराइल ने जर्मनी के इस कदम की सराहना की है. इजराइल ने जहां जर्मनी के इस कदम को आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक जंग में एक महत्वपूर्ण बताया है वहीं अमेरिका ने इससे यूरोपीय संघ को सीख लेने की नसीहत दे डाली है.

हिजबुल्‍लाह: संक्षिप्त काल क्रम

  1. हिजबुल्लाह की शुरुआत को समझने के लिए लेबनान (Lebanese Republic) के इतिहास पर एक नजर जरूरी है. लेबनान में 1943 में एक समझौते के तहत ये तय किया गया था कि देश में केवल एक सुन्नी मुसलमान ही प्रधानमंत्री बन सकता था. इसके अलावा ईसाई राष्ट्रपति और संसद का स्पीकर शिया मुसलमान हो सकता है.
  2. धीरे-धीरे लेबनान में फिलिस्‍तीन से आए सुन्नी मुसलामानों की संख्या बढ़ती चली गई और शिया मुसलामानों को अपने हाशिये पर जाने का डर सताने लगा. इसाई यहां पर पहले से ही अल्‍पसंख्‍यक थे. इस डर की वजह से 1975 में लेबनान में गृह युद्ध की शुरुआत हुई, जो 15 वर्ष तक चला.
  3. 1978 में इजराइल ने लेबनान के दक्षिणी हिस्से पर कब्जा कर लिया था. इससे पहले फिलिस्‍तीनी इस इलाके का इस्‍तेमाल इजरायल पर हमले के लिए किया करते थे.
  4. 1982 में लेबनान में हिजबुल्लाह नाम का एक शिया संगठन बना जिसका मतलब था ‘अल्लाह की पार्टी’. इजराइल के खिलाफ हमलों के लिए ईरान ने इसको फंडिंग में मदद की.
  5. हिजबुल्‍लाह ने 1985 में अपना घोषणापत्र जारी किया जिसमें लेबनान से सभी पश्चिमी ताकतों को निकाल बाहर करने का एलान किया गया. इसमें अमेरिका और सोवियत संघ को दुश्मन घोषित किया गया. इसके अलावा इसमें इजराइल को तबाह करने की भी बात कही गई थी.
  6. वर्ष 2000 में इजराइली सैनिकों की लेबनान से वापसी के बाद भी इनके बीच तनाव खत्म नहीं हुआ. 2011 में इस गुट ने सीरिया में राष्‍ट्रपति बशर अल असद के समर्थन में हजारों लड़ाके भेजे.
  7. धीरे-धीरे हिजबुल्लाह लेबनान में और मजबूत होता गया और आज ये देश की एक अहम राजनीतिक पार्टी है. दुनिया के कई देश इसे आतंकी संगठन घोषित कर चुके हैं.