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टीबी उन्मूलन के लिए प्रधानमंत्री तपेदिक मुक्त भारत अभियान की शुरुआत

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 9 सितम्बर को प्रधानमंत्री तपेदिक मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य वर्ष 2025 तक देश से टीबी उन्मूलन के मिशन को पुनर्जीवित करना है.

मुख्य बिन्दु

  • यह अभियान स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉक्टर भारती प्रवीण पवार की उपस्थिति में शुरू किया गया.
  • इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मू ने नि-क्षय मित्र पोर्टल का भी शुभारंभ किया. यह पोर्टल टीबी का उपचार करा रहे लोगों को विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान करने का एक मंच प्रदान करेगा.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2018 में दिल्ली टीबी सम्मेलन में वर्ष 2030 के सतत विकास लक्ष्य से पांच साल पहले देश में टीबी उन्‍मूलन करने का आह्वान किया था.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की पाँचवीं रिपोर्ट जारी, प्रजनन दर 2.2 से घटाकर 2.0 हुआ

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) के पांचवें दौर का रिपोर्ट (NFHS-5) 6 मई को जारी की गयी थी. इस रिपोर्ट में भारत के स्वास्थ्य, जनसंख्या वृद्धि दर और प्रजनन दर जैसे मुद्दों पर चर्चा की गयी है. NFHS इस तरह का सर्वेक्षण समय-समय पर कराता रहता है.

5वां राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5): मुख्य बिंदु

  • NFHS-4 (चौथे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण) से NFHS-5 के बीच सर्वेक्षण में प्रजनन दर कमी बताया है. भारत में कुल प्रजनन दर (TFR) को प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या के रूप में मापा जाता है. सर्वेक्षण में प्रजनन दर 2.2 से घटाकर 2.0 हो गया है.
  • सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि परिवार में फैसले लेने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है. देश में महिलाओं व पुरुषों में मोटापा बढ़ रहा है. हालांकि NFHS के सर्वेक्षण के अनुसार महिलाओं व पुरुषों दोनों में मोटापा बढ़ा है. महिलाओं में मोटापा 21% से बढ़कर 24% व पुरुषों में 19% से बढ़कर 23% हो गया है.
  • सरकार के द्वारा जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं, इसके साथ ही वह लोगों को कम बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. सर्वेक्षण में बताया गया है कि गर्भनिरोधक का प्रसार दर देश में 54% से बढ़कर 67% हो गई है. इसके अलावा परिवार नियोजन के कारण भी 13% से 9% की गिरावट आई है.
  • NFHS के अनुसार देश में पांच राज्य हैं जो 2.1 प्रजनन दर से ऊपर हैं. बिहार (2.98), मेघालय (2.91), उत्तर प्रदेश (2.35), झारखंड (2.26) मणिपुर (2.17) है.
  • आंध्र प्रदेश, गोवा, सिक्किम, मणिपुर, दिल्ली, तमिलनाडु, पुडुचेरी, पंजाब,चंडीगढ़, लक्षद्वीप, केरल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक तिहाई से अधिक महिलाएं या तो मोटापे से ग्रसित हैं या फिर अधिक वजन से ग्रसित हैं.
  • NFHS ने पांचवें दौर का सर्वे 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों में किया गया था. यह सर्वे लगभग 6.37 लाख घरों में किया गया है, जिसमें 7,24,115 महिलाएं व 1,01,839 पुरुष शामिल हुए.

देश ने 50 हजार से अधिक गांवों को ‘ओडीएफ प्‍लस’ बनाने की उपलब्धि हासिल की

देश ने 50 हजार से अधिक गांवों को खुले में शौच मुक्त- ‘ओडीएफ प्‍लस’ बनाने की उपलब्धि हासिल की है. तेलंगाना में सर्वाधिक 13960 से अधिक गांव ओडीएफ प्‍लस हैं. इसके  बाद तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में ओडीएफ प्‍लस गांवों की संख्‍या सबसे अधिक है.

संबंधित तथ्य

  • ओडीएफ प्‍लस वह गांव होते हैं जो खुले में शौच मुक्‍त होने के साथ-साथ ठोस और तरल कचरे का प्रभावी ढंग से प्रबंधन भी करते हैं.
  • स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण का द्वितीय चरण फरवरी 2020 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्‍य देश के सभी गांवों को वर्ष 2024 के अंत तक खुले में शौच मुक्‍त करना है.
  • खुले में शौच मुक्‍त बनाने के मिशन में गोबरधन योजना, धूसर जल यानि ग्रे वाटर प्रबंधन, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन और बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट प्रबंधन सहित कई घटक हैं.
  • खुले में शौच मुक्‍त गांवों की प्रगति दर्शाने के लिए उन्‍हें आकांक्षी, अग्रसर और आदर्श तीन श्रेणियों में बांटा गया है. इस वर्गीकरण ने स्वस्थ प्रतिस्पर्धी की भावना पैदा की है और संपूर्ण स्वच्छता को तेजी से लागू करने के लिए लोगों की भागीदारी भी बढ़ी है.

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन को देश में लागू करने की मंजूरी दी गयी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सरकार के प्रमुख कार्यक्रम आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (Ayushman Bharat Digital Mission) को देश में लागू करने की मंजूरी दे दी है। यह अस्‍पतालों में प्रक्रियाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है.

पांच वर्ष की अवधि के लिए बजट में एक हजार 600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की कार्यान्वयन एजेंसी होगी.

क्या है आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन?

  • इस मिशन के तहत प्रत्येक नागरिक को डिजिटल स्वास्थ्य आईडी उपलब्ध कराया जाएगा, जिसपर संबंधित व्यक्ति का स्वास्थ्य रिकॉर्ड अपलोड होगा. डिजिटल माध्‍यम से उनका रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जायेगा. इसमें लोगों के स्वास्थ्य के संबंध में सम्पूर्ण जानकारी होगी. इस आईडी से कोई भी व्यक्ति, अपने स्वास्थ्य रिकॉर्ड को मोबाइल ऐप के जरिये देख सकेगा.
  • इस स्वास्थ्य आईडी में प्रत्येक व्यक्ति की बीमारी, उपचार, रिपोर्ट और दवाइयों का भी ब्यौरा होगा. इसके अलावा इसमें चिकित्सकों, अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल सेवा प्रदाताओं के संबंध में भी जानकारी होगी. इसके माध्यम से किसी व्यक्ति के मेडिकल रिकार्ड को बिना किसी कागजी डॉक्यूमेंट के साझा किया जा सकेगा.
  • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन को पहले चरण में सितम्बर 2021 से प्रायोगिक तौर पर छह केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया था. ये हैं- अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव, लद्दाख, लक्षद्वीप और पुदुचेरी.

भारत ने दो नए COVID रोधी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग को मंज़ूरी दी

भारत में दो नए COVID रोधी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग को मंज़ूरी दी गयी है. यह मंजूरी DCGI (Drugs Controller General of India) ने 28 दिसंबर को दी. जिन वैक्सीन को मंजूरी दी गयी है वो हैं- कॉर्बेवैक्स (Corbevax) और कोवोवैक्स (Covovax). DCGI ने इसके साथ ही कोविड रोधी एंटी-वायरल दवा मोलनुपिरवीर (Molnupiravir)  को भी मंजूरी दी.

इन दोनों वैक्सीन और दवा को नियामक केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organisation – CDSCO) द्वारा अनुमोदित किया गया था. कोवोवैक्स (Covovax)

कॉर्बेवैक्स (Corbevax) वैक्सीन भारत में पहला स्वदेशी रूप से विकसित RBD प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है. इसका निर्माण हैदराबाद स्थित फर्म बायोलॉजिकल-ई द्वारा किया गया है. कोवोवैक्स (Covovax) एक नैनोपार्टिकल वैक्सीन है, जिसका निर्माण पुणे बेस्ड सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जाएगा.

भारत में आपातकालीन उपयोग के लिए स्वीकृत कोविड रोधी वैक्सीन

इस मंजूरी के बाद भारत में आपातकालीन उपयोग के लिए स्वीकृत कोविड रोधी वैक्सीन की संख्या बढ़कर 8 हो गई है. इन टीकों से पहले निम्नलिखित 6 टीकों – कोविशील्ड, कोवैक्सिन, ZyCoV-D, स्पुतनिक वी, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन की Janssen वैक्सीन को मंजूरी दी गई थी.

प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरूआत की

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 27 सितम्बर को वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (Ayushman Bharat Digital Mission) की शुरूआत की. यह अस्‍पतालों में प्रक्रियाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है. 15 अगस्त 2020 को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नेइस मिशन की प्रायोगिक परियोजना की घोषणा की थी.

क्या है आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन?

इस मिशन के तहत प्रत्येक नागरिक को डिजिटल स्वास्थ्य आईडी उपलब्ध कराया जाएगा, जिसपर संबंधित व्यक्ति का स्वास्थ्य रिकॉर्ड अपलोड होगा. डिजिटल माध्‍यम से उनका रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जायेगा. इसमें लोगों के स्वास्थ्य के संबंध में सम्पूर्ण जानकारी होगी. इस आईडी से कोई भी व्यक्ति, अपने स्वास्थ्य रिकॉर्ड को मोबाइल ऐप के जरिये देख सकेगा.

इस स्वास्थ्य आईडी में प्रत्येक व्यक्ति की बीमारी, उपचार, रिपोर्ट और दवाइयों का भी ब्यौरा होगा. इसके अलावा इसमें चिकित्सकों, अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल सेवा प्रदाताओं के संबंध में भी जानकारी होगी. इसके माध्यम से किसी व्यक्ति के मेडिकल रिकार्ड को बिना किसी कागजी डॉक्यूमेंट के साझा किया जा सकेगा.

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन अभी प्रायोगिक तौर पर छह केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा रहा है. ये हैं- अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव, लद्दाख, लक्षद्वीप और पुदुचेरी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक वायु गुणवत्ता मानदंडों में संशोधन किया

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नए वैश्विक वायु गुणवत्ता मानदंड (AQGs) जारी किया है. यह वर्ष 2005 के बाद से WHO का वायु गुणवत्ता मानदंडों में पहला संशोधन है.

इन दिशा-निर्देशों के तहत WHO ने प्रदूषकों के अनुशंसित स्तर को और कम कर दिया है, जिन्हें मानव स्वास्थ्य के लिये सुरक्षित माना जा सकता है. इन दिशा-निर्देशों का लक्ष्य सभी देशों के लिये अनुशंसित वायु गुणवत्ता स्तर प्राप्त करना है.

नए दिशा-निर्देश:

  • WHO के नए दिशा-निर्देश उन 6 प्रदूषकों के लिये वायु गुणवत्ता के स्तर की अनुशंसा करते हैं, जिनके कारण स्वास्थ्य पर सबसे अधिक जोखिम उत्पन्न होता है.
  • इन 6 प्रदूषकों में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5 और 10), ओज़ोन (O₃), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) शामिल हैं.
  • WHO ने पीएम 2.5 सहित कई प्रदूषकों के लिए स्वीकार्य सीमा कम कर दी है. अब, पीएम 2.5 सांद्रता 15μg/m³ से नीचे रहनी चाहिए. नई सीमा के अनुसार, औसत वार्षिक PM2.5 सांद्रता 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए.

मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण का प्रभाव:

  • WHO के अनुसार, प्रत्येक वर्ष वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से 7 मिलियन लोगों की मृत्यु समय से पूर्व हो जाती है और इसके परिणामस्वरूप लोगों के जीवन के लाखों स्वस्थ वर्षों का नुकसान होता है.
  • बच्चों में इसके अनेक प्रभाव दिखाई देते हैं, जैसे- फेफड़ों की वृद्धि और कार्य में कमी, श्वसन प्रणाली में संक्रमण, अस्थमा आदि.
  • वयस्कों में हृदय रोग और स्ट्रोक बाह्य वायु प्रदूषण के कारण समय से पूर्व मृत्यु के सबसे सामान्य कारण हैं तथा मधुमेह और तंत्रिका तंत्र का कमज़ोर होना या न्यूरोडीजेनेरेटिव (Neurodegenerative) स्थितियों जैसे अन्य प्रभावों के प्रमाण भी सामने आ रहे हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ‘स्टॉप टीबी पार्टनरशिप बोर्ड’ के अध्यक्ष बने

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने 26 अगस्त को ‘स्टॉप टीबी पार्टनरशिप बोर्ड’ (Stop TB Partnership Board) के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया. उन्होंने स्टॉप टीबी बोर्ड के निवर्तमान अध्यक्ष  डॉ. हर्षवर्धन का स्थान लिया है.

श्री मनसुख मंडाविया 2022 तक, संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित टीबी लक्ष्यों तक पहुंचने की दिशा में स्टॉप टीबी पार्टनरशिप सचिवालय, भागीदारों और टीबी समुदाय के प्रयासों का नेतृत्व करेंगे.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वर्ष 2030 तक दुनिया भर में तपेदिक (टीबी) बीमारी के उन्मूलन का लक्ष्य रखा है जबकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2025 तक भारत को टीबी के उन्मूलन की प्रतिबद्धता जताई है.

स्टॉप टीबी पार्टनरशिप बोर्ड

स्टॉप टीबी पार्टनरशिप बोर्ड, वर्ष 2000 में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में तपेदिक (टीबी) को खत्म करने के लिए स्थापित की गई थी. इसमें कई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय संगठन  शामिल हैं. इसका सचिवालय स्विट्जरलैंड के जिनेवा में स्थित है. यह 2015 से UNOPS द्वारा प्रशासित है. इससे पहले, इसकी मेजबानी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा की जाती थी.

भारत में विश्‍व के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है

भारत में विश्‍व के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. यह टीकाकरण कार्यक्रम Covid-19 संक्रमण को रोकने के लिए चलाया जा रहा है. इसकी शुरूआत प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी 16 जनवरी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए की. टीकाकरण कार्यक्रम का पहला टीका दिल्ली एम्स (AIIMS) के सफाईकर्मी मनीष कुमार को दिया गया.

कोविडशील्‍ड और कोवैक्‍सीन के इस्‍तेमाल की अनुमति

इस टीकाकरण के दौरान देश में ही निर्मित दो टीके कोविडशील्‍ड (Covishield) और कोवैक्‍सीन (Covaxin) में से किसी एक टिके का दो डोज दिया जायेगा. दोनों ही टीकों को देश के औषधि नियंत्रक (DGCA) और विशेषज्ञों द्वारा आपात स्थिति में इस्‍तेमाल करने के लिए स्‍वीकृत किया गया है.

कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनिका के साथ भारत में पुणे की प्रयोगशाला सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डिया में विकसित किया गया है.

भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्‍ट्रीय विषाणु संस्‍थान पूणे के सहयोग से कोवैक्‍सीन तैयार किया है. यह पहली स्वदेशी रूप से विकसित वैक्सीन है जिसका अनुसन्धान और निर्माण भारत में किया गया है.

पहले चरण में स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों को टीका लगाया जाएगा

  1. टीकाकरण के प्रथम चरण में सरकारी या प्राइवेट स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों- डाक्‍टर्स, नर्स, अस्‍पताल में सफाई कर्मी, मेडिकल-पेरामैडिकल स्‍टॉफ और समेकित बाल‍ विकास सेवा से संबंधित कर्मियों को टीके दिए जा रहे हैं. इस चरण में तीन करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा.
  2. टीकाकरण के अगले चरण में उन लोगों को टीका लगाया जाएगा जिन पर जरूरी सेवाओं और देश की रक्षा या कानून व्‍यवस्‍था की जिम्‍मेदारी है. इस चरण में 30 करोड़ लोगों को टीके लगाए जाएंगे.
  3. उसके बाद 50 वर्ष से अधिक की आयु वाले लोगों तथा इससे कम के आयु वाले वैसे लोगों को दी जाएगी जो किसी बीमारी से ग्रसित हैं. इनकी संख्‍या लगभग 27 करोड़ है.

लॉन्गिटूडिनल एजिंग स्टडीज ऑफ इंडिया वेव-1 सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में Longitudinal Ageing Study of India (LASI) वेव-1 सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की थी. यह भारत में उम्रदराज हो रही आबादी के स्वास्थ्य, आर्थिक तथा सामाजिक निर्धारकों और परिणामों की वैज्ञानिक जाँच का व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण है. इसे वर्ष 2016 में मान्यता प्रदान की गई थी.

यह भारत का पहला और विश्व का सबसे बड़ा सर्वेक्षण है जो सामाजिक, स्वास्थ्य तथा आर्थिक खुशहाली के पैमानों पर वृद्ध आबादी के लिये नीतियाँ और कार्यक्रम बनाने के उद्देश्य से लॉन्गिटूडिनल डाटाबेस प्रदान करता है.

सर्वेक्षण में शामिल एजेंसियाँ

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के वृद्धजनों हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम (National Programme for Health Care of Elderly) में हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग के सहयोग से मुंबई स्थित इंटरनेशलन इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (IIPS) के माध्यम से यह सर्वेक्षण किया गया.

सर्वेक्षण की प्रक्रिया और दायरा

LASI, वेव-1 में परिवार तथा सामाजिक नेटवर्क, आय, परिसंपत्ति तथा उपयोग पर सूचना के साथ स्वास्थ्य पर विस्तृत डाटा एकत्रित किया गया था.
इस सर्वेक्षण में 45 वर्ष तथा उससे ऊपर के 72,250 व्यक्तियों और उनके जीवनसाथी के बेसलाइन सैंपल को लिया गया है. इसमें 60 वर्ष और उससे ऊपर की उम्र के 31,464 व्यक्ति तथा 75 वर्ष और उससे ऊपर की आयु के 6,749 व्यक्ति शामिल हैं. ये सैंपल सिक्किम को छोड़कर सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों से लिये गए हैं.

सर्वेक्षण का निष्कर्ष

  • वर्ष 2011 की जनगणना में 60 वर्ष से अधिक आयु (60+) की आबादी भारत की आबादी का 8.6 प्रतिशत थी यानी 103 मिलियन वृद्ध लोग थे.
  • 3 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से वर्ष 2050 में वृद्धजनों की आबादी बढ़कर 319 मिलियन हो जाएगी.
    75 प्रतिशत वृद्धजन किसी न किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होते हैं. 40 प्रतिशत वृद्धजन किसी न किसी दिव्यांगता से ग्रसित हैं और 20 प्रतिशत वृद्धजन मानसिक रोगों से ग्रसित हैं.
  • राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में बहु-रुग्णता की स्थिति (Multi-Morbidity Conditions) का प्रसार केरल (52%), चंडीगढ़ (41%), लक्षद्वीप (40%), गोवा (39%) और अंडमान तथा निकोबार द्वीप (38%) में अधिक है.

सर्वेक्षण का महत्त्व

LASI से प्राप्त साक्ष्यों का उपयोग वृद्धजनों के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम को मज़बूत एवं व्यापक बनाने में किया जाएगा और इससे वृद्धजनों की आबादी के लिये प्रतिरोधी तथा स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाने में मदद मिलेगी.

भारत में COVID-19 वैक्सीन के रूप में कोविशील्ड और कोवैक्‍सीन को स्वीकृति

भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने कोविड के दो टीकों के आपात स्थिति में सीमित उपयोग की स्वीकृति दे दी है. CDSCO ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डिया के कोविशील्ड (Covishield) और भारत बायोटैक के कोवैक्‍सीन (Covaxin), को अनुमति दी है. औषधि महानियंत्रक (DGCA) वीजी सोमानी ने इसकी घोषणा 3 जनवरी को की.

दोनों टीकों का आपात उपयोग के बारे में केन्‍द्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर यह स्‍वीकृति प्रदान की गयी है. कोविशील्ड और कोवाक्सिन दोनों टीकों में से किसी एक टिके की दो खुराकें दी जाएगीं.

कोविशील्ड

कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनिका के साथ भारत में पुणे की प्रयोगशाला सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डिया में विकसित किया गया है.

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डिया ने 23745 लोगों संबंधी सुरक्षा, रोग प्रतिरक्षा क्षमता के आकड़े प्रस्‍तुत किये और वैक्‍सीन के समग्र प्रभाव कार्य का 70.42 प्रतिशत पाई गई. इ‍सके अतिरिक्‍त संस्‍थान को देश में 1600 लोगों पर दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण की अनुमति दी गई.

कोवैक्‍सीन

भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्‍ट्रीय विषाणु संस्‍थान पूणे के सहयोग से कोवैक्‍सीन तैयार किया है. को-वैक्‍सीन का तीसरे चरण का परीक्षण भारत में 25800 स्‍वयंसेवियों पर किया गया था. यह पहली स्वदेशी रूप से विकसित वैक्सीन है जिसका अनुसन्धान और निर्माण भारत में किया गया है.

ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया

भारत में किसी दवा और वैक्सीन के मंजूरी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा दिया जाता है. यह देश में दवा से संबंधित सभी नियामक कार्यों के लिए जिम्मेदार है. DCGI भारत में दवाओं के विनिर्माण, बिक्री, आयात और वितरण के लिए मानक स्थापित करती है.

ऑक्सफोर्ड की COVID-19 वैक्सीन ‘Covishield’ को भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गयी

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित COVID-19 वैक्सीन ‘Covishield’ के भारत में आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी गयी है. केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की कोविड-19 पर एक विशेषज्ञ समिति ने इसकी मंजूरी 31 दिसम्बर को दी.

Covishield वैक्सीन का उत्पादन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) कर रहा है. इससे पहले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने पहले इस वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए आवेदन किया था. SII ने Covishield के उत्पादन के लिए एस्ट्रेजेनेका के साथ करार किया है. यह दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी है.

‘कोवैक्‍सीन’ को सीमित इस्‍तेमाल की अनुमति

विशेषज्ञ समिति ने स्वदेशी वैक्सीन ‘कोवैक्‍सीन’ को एहतियात के तौर पर नैदानिक परीक्षण मोड में, विशेष रूप से परिवर्तित स्‍ट्रेन द्वारा फैलाए जा रहे संक्रमण से संबंधि‍त आपात स्थिति में इसके सीमित इस्‍तेमाल की अनुमति देने की सिफारिश की है. भारतीय औषध महानियंत्रक वैक्‍सीन की मंजूरी के बारे में अंतिम फैसला करेंगे.
कोवैक्‍सीन भारत में निर्मित पहली वैक्‍सीन है, जिसे भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्‍ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्‍थान के सहयोग से तैयार किया है.

विशेषज्ञ समिति ने कैडिला हेल्‍थकेयर लिमिटेड अहमदाबाद को फेस-3 नैदानिक परीक्षण करने की भी सिफारिश की है.