केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को टीका और प्रतिरक्षा के लिए गठित वैश्विक गठबंधन (GAVI) के बोर्ड में बतौर सदस्य नामित किया गया है.
डॉ. हर्षवर्धन इस बोर्ड में दक्षिण-पूर्व क्षेत्र क्षेत्रीय कार्यालय (SEARO)/ पश्चिमी प्रशांत क्षेत्रीय कार्यालय (WPRO) निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे. उनका कार्यकाल एक जनवरी, 2021 से 31 दिसंबर, 2023 तक रहेगा. वर्तमान में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व म्यांमार के श्री मिंत ह्टवे कर रहे हैं.
GAVI क्या है?
GAVI का पूर्ण रूप Global Alliance for Vaccines and Immunisation है. GAVI बोर्ड रणनीतिक दिशा एवं नीति-निर्माण के लिए जिम्मेदार है. इसके अलावा यह टीका गठबंधन के संचालनों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की निगरानी भी करता है. वर्तमान में डॉ. नगोजी ओकोंजो इविएला GAVI बोर्ड के अध्यक्ष हैं.
जीवन को बचाने, गरीबी को कम करने और महामारी से विश्व को बचाने के लिए अपने मिशन के हिस्से के रूप में GAVI ने विश्व के सबसे गरीब देशों के 82.2 करोड़ बच्चों टीकाकरण किया है. यह भविष्य में 1.4 करोड़ से अधिक जिंदगियों को खत्म होने से बचाने की पहल है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-12-30 23:30:282020-12-31 10:42:30स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को अन्तर्राष्ट्रीय टीका और प्रतिरक्षा गठबंधन बोर्ड में नामित किया गया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने स्वदेश विकसित भारत की पहली निमोनिया की वैक्सीन का 28 दिसम्बर को उद्घाटन किया. इस वैक्सीन का नाम ‘निमोसिल’ (Pneumosil) है. भारतीय औषध महानियंत्रक (DCGI) ने इस वैक्सीन को जुलाई 2020 में मंजूरी दी थी.
यह वैक्सीन शिशुओं में स्ट्रेप्टोकोक्कस निमोनिया (Streptococcus pneumonia) के कारण और निमोनिया के उपचार के लिए उपयोग की जाएगी. यह मांसपेशियों में इंजेक्शन के जरिए दी जाएगी. भारत में निमोनिया के फुल पीसीवी वैक्सीनेशन के लिए वैक्सीन के 3 डोज की जरूरत पड़ेगी. यह न्यूमोकॉकस बैक्टीरिया के 10 प्रकारों से सुरक्षा प्रदान करता है, जो बच्चों में निमोनिया, मैनिंजाइटिस, कान और रक्त संक्रमण का कारण बनता है.
इस वैक्सीन को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (SIIPL) ने बनाया है. SIIPL दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या में वैक्सीन खुराक का निर्माण करती है.
निमोनिया के उपचार के लिए स्वदेश विकसित पहली वैक्सीन
निमोनिया के उपचार के लिए स्वदेश में विकसित यह पहली वैक्सीन है. इससे पहले ऐसी वैक्सीन देश में लाइसेंस के जरिए आयात की जाती थी क्योंकि इसे बनाने वाली सभी कंपनियां भारत से बाहर की हैं. वर्तमान में निमोनिया के लिए फाइजर और ग्लैक्सोस्मिथलाइन द्वारा तैयार की गई वैक्सीन का प्रयोग किया जाता है. इस वैक्सीन के दुनिया की सबसे किफायती निमोनिया की वैक्सीन होने का दावा किया जा रहा है.
एक लाख से अधिक बच्चों की ‘निमोकॉकल’ बीमारियों से मौत
निमोनिया एक श्वास संबंधी बीमारी है. यूनिसेफ के डेटा के मुताबिक, हर साल भारत में पांच साल से कम उम्र में ही एक लाख से अधिक बच्चों की निमोकॉकल बीमारियों से मौत हो जाती है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-12-29 23:55:012021-05-09 10:22:24स्वदेश विकसित पहली निमोनिया की वैक्सीन ‘निमोसिल’ का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 दिसम्बर को जम्मू-कश्मीर के सभी निवासियों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ‘सेहत’ की शुरूआत की. ‘सेहत’ योजना के तहत जम्मू-कश्मीर के सभी निवासियों को 5 लाख रुपए तक का नि:शुल्क स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में पहले ही गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर करने वाले लगभग 14 लाख परिवार आयुष्मान भारत योजना से 2018 से लाभन्वित हो रहे हैं. अब जम्मू-कश्मीर सरकार के इस योजना से जम्मू कश्मीर के सभी परिवार को यह लाभ उपलब्ध होगा. इस योजना से पूरे जम्मू कश्मीर के एक करोड लोगों को लाभ होगा.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-12-26 19:27:292020-12-27 16:32:06जम्मू-कश्मीर के सभी निवासियों को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ‘सेहत’ की शुरुआत
भारतीय औषध महानियंत्रक (DCGI) ने स्वदेश में विकसित पहली ‘न्यूमोकोक्कल पॉलीसैकैराइड कंज्युगेट’ (Pneumococcal Polysaccharide Conjugate) वैक्सीन को मंजूरी दे दी है. यह वैक्सीन शिशुओं में स्ट्रेप्टोकोक्कस निमोनिया (Streptococcus pneumonia) के कारण और निमोनिया के उपचार के लिए उपयोग की जाती है. यह वैक्सीन मांसपेशियों में इंजेक्शन के जरिए दी जाती है.
निमोनिया के उपचार के लिए स्वदेश विकसित पहली वैक्सीन
निमोनिया के उपचार के लिए स्वदेश में विकसित यह पहली वैक्सीन है. इससे पहले ऐसी वैक्सीन देश में लाइसेंस के जरिए आयात की जाती थी क्योंकि इसे बनाने वाली सभी कंपनियां भारत से बाहर की हैं. वर्तमान में निमोनिया के लिए फाइजर और ग्लैक्सोस्मिथलाइन द्वारा तैयार की गई वैक्सीन का प्रयोग किया जाता है. स्वदेशी वैक्सीन पर इन वैक्सीन से कम लागत आएगी.
भारतीय दवा नियामक ने जुलाई में सीरम इंस्टीट्यूट को निमोकोकल पॉलीसैकेराइड कांजुगेट वैक्सीन के लिए मार्केट अप्रूवल दे दिया था.
यह वैक्सीन पुणे के भारतीय सीरम संस्थान (Serum Institute of India) ने विकसित की है. इस संस्थान को वैक्सीन के पहले, दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण की अनुमति दी गई थी जो अब सम्पन्न हो गए हैं. कंपनी ने गाम्बिया में भी इसके परीक्षण किए हैं. उसके बाद कंपनी ने वैक्सीन बनाने की अनुमति के लिए आवेदन किया था.
एक लाख से अधिक बच्चों की निमोकॉकल बीमारियों से मौत
निमोनिया एक श्वास संबंधी बीमारी है. यूनिसेफ के डेटा के मुताबिक, हर साल भारत में पांच साल से कम उम्र में ही एक लाख से अधिक बच्चों की निमोकॉकल बीमारियों से मौत हो जाती है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-07-17 21:24:072020-12-27 15:46:24स्वदेश में विकसित पहली न्यूमोकोक्कल पॉलीसैकैराइड कंज्युगेट वैक्सीन को मंजूरी
भारत की दवा नियामक प्रणाली में सुधार के लिए सरकार ने विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. इस समिति के गठन का उद्देश्य कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे का सामना करते हुए, दवाओं की स्वीकृति प्रक्रिया, अनुसंधान और टीका विकास को गति देना है.
यह समिति वर्तमान दवा नियामक प्रणाली का अध्ययन करेगी और सुधारों की अनुशंसा सौंपेगी ताकि प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप ढाला जा सके और इसे अधिक प्रभावी बनाया जा सके. समिति दुनिया भर की बेहतरीन कार्यप्रणाली के साथ ही घरेलू जरूरतों और केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) को सुगम एवं प्रभावी बनाने के लिए अपनी सिफारिश सरकार को देगी.
राजेश भूषण इस समिति के अध्यक्ष होंगे
स्वास्थ्य मंत्री के स्पेशल ओन ड्यूटी (OSD) अधिकारी, राजेश भूषण इस समिति के अध्यक्ष होंगे. इस समिति में भारत के शीर्ष दवा एवं टीका उद्यमियों के साथ ही फार्मास्यूटिकल विभाग, बायोटेक्नोलॉजी विभाग, भारतीय फार्माकोपिया आयोग, भारतीय फार्मास्यूटिकल गठबंधन, ICMR के शीर्ष नेतृत्व के साथ ही AIIMS के जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ शामिल होंगे. भारत के संयुक्त औषधि नियंत्रक डॉ ईश्वरा रेड्डी विश्व की सर्वोत्तम कार्यप्रणाली को अपनाने में समिति के काम में सहयोग करेंगे.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-05-25 21:14:232020-05-25 21:14:23दवा नियामक प्रणाली में सुधार के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया
International Advanced Research Centre for Powder Metallurgy and New Materials (ARCI) और श्रीचित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SCTIMST), तिरुवनंतपुरम ने मिलकर नई पीढ़ी की मिश्र-धातु का विकास किया है. यह मिश्र-धातु लौह-मैंगनीज (Fe, Mg, Zn, और बहुलक) आधारित है. इस मिश्र-धातु का उपयोग बायोडिग्रेडेबल ऑर्थोपेडिक प्रत्यारोपण (इम्प्लांट) और स्टेंट बनाने के लिए किया जायेगा.
लौह-मैंगनीज आधारित यह मिश्र-धातु बायोडिग्रेडेबल स्टेंट और आर्थोपेडिक सामग्री अभी इस्तेमाल हो रहे धातुओं के इम्प्लांट का बेहतर विकल्प हैं. यह मिश्र-धातु आधारित प्रत्यारोपण मानव शरीर में कोई दुष्प्रभाव नहीं छोड़ते हैं. वर्तमान प्रत्यारोपण से दीर्घकालिक दुष्प्रभाव जैसे विषाक्तता, घनास्त्रता और सूजन होती है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-05-19 22:59:172020-05-19 22:59:18ARCI और SCTIMST ने बॉयोडिग्रेबल स्टेंट का विकास किया
पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV), ने कोरोना संक्रमण की जांच के लिए रक्त में एंटीबॉडिज के आकलन पर आधारित एलिसा जांच किट तैयार की है. इस जांच किट का नाम ‘कोविड कवच’ दिया गया है. यह देश में तैयार पहला परीक्षण किट है.
कोविड कवच जांच किट से ‘कोविड-19’ जांच की गति तेज होने की आशा है. यह किट विभिन्न परीक्षण स्थलों पर प्रामाणिकता जांच में काफी स्टीक साबित हुआ है. इससे लगभग ढाई घंटे में 90 नमूनों की जांच की जा सकती है. इस किट के बड़े पैमाने पर निर्माण के लिए इसकी प्रौद्योगिकी फार्मास्युटिकल कंपनियों को दी गई है.
यह किट रक्त में IGG एंटीबॉडी की उपस्थिति का परीक्षण करेगी. यह ELISA (Enzyme-linked Immunosorbent Assay) आधारित परीक्षण करने में सक्षम है. ELISA का उपयोग संक्रमणों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए किया जाता है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-05-11 23:34:372020-05-11 23:34:37एंटीबॉडिज के आकलन पर आधारित ELISA जांच किट ‘कोविड कवच’ तैयार की गयी
मलेरिया के विषय में जागरूकता लाने के लिए प्रत्येक वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस के तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मलेरिया से बचाव, इससे मुक़ाबले के लिए प्रभावी रणनीति और इससे होने वाली मौतों में कमी लाने के उपायों पर ज़ोर देता है.
विश्व मलेरिया दिवस 2020 का विषय
इस वर्ष यानी 2020 में विश्व मलेरिया दिवस का विषय (थीम)- ‘जीरो मलेरिया की शुरुआत मेरे साथ’ (Zero malaria starts with me) है.
मलेरिया क्या है?
मलेरिया एक प्रकार के परजीवी प्लाजमोडियम से फैलने वाला रोग है. जिसका वाहक मादा एनाफिलीज मच्छर होता है. जब संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो संक्रमण फैलने से उसमें मलेरिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं.
मलेरिया परजीवी विशेष रूप से लाल रक्त कणिकाओं (RBC) को प्रभावित करता है जिससे शरीर में रक्त की कमी हो जाती है और मरीज कमजोर होता जाता है.
वर्ष 2030 मलेरिया के उन्मूलन का लक्ष्य
भारत ने वर्ष 2030 तक मलेरिया के उन्मूलन का लक्ष्य रखा है. जबकि साल 2027 तक पूरे देश को मलेरिया मुक्त बनाया जाएगा. इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर कई परियोजनाएं चलाई जा रही हैं.
विश्व मलेरिया दिवस का इतिहास
विश्व मलेरिया दिवस वर्ष 2007 में विश्व स्वास्थ्य सभा के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सदस्य राष्ट्रों द्वारा शुरू किया गया था. पहली बार विश्व मलेरिया दिवस ’25 अप्रैल, 2008′ को मनाया गया था.
मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभवित देश
विश्व में मलेरिया सबसे ज्यादा प्रभवित देश अफ्रीकी महाद्वीप का नाइजीरिया है. विश्व की 27 फीसदी मलेरिया पीड़ित लोग नाइजीरिया में रहते हैं. इस सूची में दूसरे स्थान पर अफ्रीका का ही कांगो गणराज्य है. यहां 10 फीसदी मलेरिया पीड़ित आबादी है. जबकि तीसरे स्थान पर 6 फीसदी आबादी के साथ भारत है. चौथे स्थान पर 4 फीसदी मरीजों के साथ मोजांबिक और 4 फीसदी के साथ घाना है.
मलेरिया का टीका RTS-S/AS01
मलेरिया के लिए इजाद किए गए वैक्सीन का नाम RTS-S/AS01 है. इस वैक्सीन का ट्रेड नेम मॉसक्यूरिक्स (Mosquirix) है. इस टीके को इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है. इसे ब्रिटिश फार्मास्यूटिकल कंपनी ग्लाक्सोस्मिथक्लाइन द्वारा PATH मलेरिया वैक्सीन इनिशिएटिव के साथ मिलकर तैयार किया है. इस टीके की चार डोज़ निश्चित समय अंतरान पर दी जानी होती हैं.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-04-25 22:25:232020-04-25 22:28:5425 अप्रैल: विश्व मलेरिया दिवस, 2030 तक मलेरिया के उन्मूलन का लक्ष्य
सरकार ने 21 दिन की पूर्ण-बंदी की अवधि के बाद अर्थव्यवस्था को शीघ्र पटरी पर लाने और लोगों की मुश्किलें कम करने के उपाय सुझाने के लिए 11 समूह गठित किए हैं. इन समूहों को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत स्थापित किया गया है.
ये समूह योजनाएं बनाएंगे और समयबद्ध ढंग से उन्हें लागू करने के आवश्यक उपाय करेंगे. इस पहल को ‘कोविड-19’ महामारी की विभिन्न चुनौतियां से निपटने के लिए सरकार का एक प्रभावी कदम माना जा रहा है.
प्रत्येक ग्रुप में प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय से एक वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल होंगे. चिकित्सा आपात और प्रबंधन योजना पर अधिकार प्राप्त समूह की अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वी पॉल करेंगे. नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत निजी क्षेत्र के साथ समन्वय के लिए बनाए गए समूह के अध्यक्ष होंगे. आर्थिक और कल्याणकारी उपायों से संबंधित समूह की अध्यक्षता आर्थिक कार्य सचिव अतानु चक्रवर्ती करेंगे.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-03-30 23:56:172020-03-31 00:32:52अर्थव्यवस्था को शीघ्र पटरी पर लाने के उपाय सुझाने के लिए 11 समूह गठित किए गये
केन्द्रीय कैबिनेट सचिव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ‘महामारी अधिनियम (Epidemic Disease Act) 1897 के खंड 2’ को लागू करने का सुझाव दिया है. कैबिनेट सचिव की ओर से बुलाई गई बैठक में यह निर्णय लिया गया. इस बैठक में संबंधित विभागों के सचिव, सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के प्रतिनिधियों समेत अन्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया था.
कैबिनेट सचिव ने यह निर्णय देश में COVID-19 (कोरोना वायरस) के फैलने को रोकने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर जारी परामर्श लागू करने के लिए लिया है. उल्लेखनीय है कि हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी COVID-19 को एक महामारी के रूप में घोषित किया है.
COVID-19 बीमारी को फैलने से रोकने के लिए भारत सरकार ने कुछ खास श्रेणियों को छोड़कर बाकी सभी वर्तमान वीज़ा 13 मार्च से लेकर 15 अप्रैल 2020 तक निलंबित कर दिया है.
इस अधिनियम में महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार को संबंधित कानून बनाने और मौजूदा कानूनों में बदलाव करने का अधिकार देता है. इसके तहत दिए गये नियमों की अवहेलना करने वाले व्यक्ति को ‘भारतीय दंड संहिता की धारा 188’ के तहत दण्डित किये जाने का प्रावधान है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-03-12 23:56:312020-03-12 23:56:31देश में ‘महामारी अधिनियम 1897 के खंड 2’ को लागू करने का सुझाव
विश्व स्वास्थ्य संगठऩ (WHO) ने कोरोना वायरस से हुई बीमारी का आधिकारिक नाम ‘कोविड-2019’ (Covid-2019) दिया है. WHO के प्रमुख टेड्रोस अदनॉम ने जिनेवा में इसकी घोषणा की. WHO ने संयुक्त राष्ट्र संकट प्रबंधन दल का गठन किया है जो कोविड-19 पर ध्यान केन्द्रित करेगा.
कोरोना वायरस शब्द उसके नवीनतम प्रारूप को बताने की बजाय केवल उस समूह का उल्लेख करता है जिसका वह सदस्य है. नया नाम, कोरोना वायरस और बीमारी से लिया गया है और साथ में 2019 वर्ष के लिए है जिसमें इस वायरस का प्रकोप सामने आया था. ‘COVID’ में ‘CO’ का मतलब ‘corona’, ‘VI’ का मतलब ‘virus’ और ‘D’ का मतलब ‘disease’ (बीमारी) है. इस वायरस की पहचान पहली बार 31 दिसंबर 2019 को चीन में हुई थी.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-02-12 23:10:312020-02-12 23:10:31WHO ने कोरोना वायरस से हुई बीमारी का आधिकारिक नाम ‘Covid-2019’ बताया
घरेलू वैज्ञानिकों ने सूअरों को घातक ‘क्लासिकल स्वाइन फीवर’ (CSF) से बचाने के लिए एक नया और कारगर टीका विकसित किया है. यह संक्राम बुखार सूअरों के लिए जानलेवा साबित होता है और इससे देश में इनकी संख्या गिर रही है और सालाना अरबों रुपये का नुकसान होता है. वर्ष 2019 की पशुगणना के अनुसार भारत में सूअरों की संख्या वर्ष 2007 के एक करोड़ 11.3 लाख की तुलना में 90.6 लाख रह गई है.
इस टीका का विकास उत्तर प्रदेश में ICAR-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IBRI) द्वारा किया गया है. यह मौजूदा टीके की तुलना में काफी सस्ता होगा. स्वाइन फीवर का मौजूदा घरेलू टीके 15-20 रुपये प्रति खुराक और कोरिया से आयातित टीका 30 रुपये प्रति खुराक का है. इसकी तुलना में नया टीका केवल दो रुपये में है. मौजूदा वैक्सीन की दो खुराक की जगह नये टीके की बस एक खुराक ही एक वर्ष में देनी होगी.
IBRI के अनुसार क्लासिकल स्वाइन बुखार (CSF) को नियंत्रित करने के लिए टीकाकरण पर्याप्त नहीं हो रहा है. जिसके कारण सूअरों की मृत्यु दर काफी ऊंची है और देश को लगभग 4.29 अरब रुपये की वार्षिक हानि होती है. विशेषज्ञों के अनुसार देश में टीकों की दो करोड़ खुराक की वार्षिक आवश्यकता है जबकि उपलब्धता केवल 12 लाख खुराक की ही है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-02-04 23:55:352020-02-05 00:10:49‘क्लासिकल स्वाइन फीवर’ से बचाने के लिए कारगर टीका विकसित किया गया